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क्या आप के परिवार के लोग और आप के मित्र आप को "बहुत ऊँचे स्वर वाला", "कष्टकर" या "एक गप्पी" इंसान समझते हैं"? क्या आप इतना ज़्यादा बोलते हैं, कि दूसरे लोगों के विचारों पर ध्यान ही नहीं दे पाते? यदि ऐसा है, और यदि यह आप के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन रहा है, तो क्या हम आप को एक शांत व्यक्ति बनने की सलाह दे सकते हैं? थोडा-सा शांत व्यक्ति बनकर, जब आप लोगों की और ज्यादा ध्यान देने लगेंगे, तो आप के रिश्तों में सुधार आएगा। इस तरह से आप का परिवार और आप के मित्र भी आप कि अहमियत को समझने लगेंगे और हर वक़्त आप को शांत रहने की सलाह भी नहीं देंगे।

पहले किसी परिस्थिति का चयन कर के उस में शांत रहने कि कोशिश करने की शुरुआत करें और इस के बाद इसे अपने व्यक्तित्व का एक अहम हिस्सा बना लें। हालाँकि, किसी भी तरह के व्यक्तित्व में बदलाव लाते वक़्त धीमी शुरुआत करें। यदि आप एकदम अचानक ही कोई परिवर्तन लाने कि कोशिश करेंगे, जैसे यदि आप पहले बहुत ही ऊंची आवाज में बात किया करते थे, लेकिन अचानक ही आप एकदम शांत रहने लगेंगे, तो लोगों को अजीब सा लगने लगेगा, वे सोचने लगेंगे, कि आप के साथ में कुछ गड़बड़ है। उन्हें यह बात बताकर रखें, कि आप एक शांत व्यक्ति बनने की कोशिश कर रहे हैं और फिर उन्हें देखने दें और आप में आए बदलावों कि सराहना करने दें।

यदि आप को सच में ऐसा लगता है, कि यही रास्ता आप के लिए उचित है, तो इस लेख को पढ़ें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

एक शांत आचरण पाना

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  1. शांत व्यक्तित्व वाले लोग किसी भी बात पर अच्छी तरह से सोच विचार कर के ही, निर्णय लेते हैं। इन लोगों की सोच-विचार करने की आदत होती है, और ये किसी भी परिस्थिति पर अचानक से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देते। ये लोग हर समय अपने अगले कदम को ध्यान में रखकर ही निर्णय करते हैं। [१] अब से किसी भी बात पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले, आगे क्या होगा, पर विचार जरुर कर लें।
    • शांत व्यक्ति हर समय हर किसी से कुछ अलग तरह से सोचा करते हैं। यदि हर कोई किसी बात को लेकर एक ही तरह से सोच रहे हैं, तो शांत लोग हमेशा ही किसी ग्रुप से अलग सोचते हैं। यदि ग्रुप में मौजूद हर व्यक्ति किसी बात को लेकर सोच-विचार करते हैं, तो शांत व्यक्ति ऐसा करने से पहले एक बार ज़रूर सोचेगा, कि क्या ये सब लोग सही दिशा में विचार कर रहे हैं, या फिर बस ये एक दिखावा है।
  2. आक्रामक लोगों को समझ सकने से ज्यादा बेहतर तरीके से शांत लोगों को समझा जा सकता है। इन लोगों के हाव-भाव बहुत ही सामान्य होते हैं। और इन के चेहरे पर हमेशा, चल रही बातचीत या परिस्थिति को उजागर करने के बजाय एक निष्पक्ष अभिव्यक्ति होती है। शांत व्यक्ति, आक्रामक और लाउड व्यक्तियों से ज़्यादा अच्छे होते हैं।
    • खुले विचारों वाले और सुलभ बनने के लिए, अपना सिर ऊपर रखें, चारों तरफ देखें, और अपने आसपास की बातों का निरीक्षण करते हुए नजर आएं। हमेशा एक बहुत ही साधारण मुद्रा में रहें, जैसे कि, यदि किसी कमरे में अकेले होते, तब होते। चीज़ों को देखने का समय लें, एक बार आप बातों में लग जाते हैं, तो फिर आप का ध्यान इन की तरफ मुश्किल से ही जा पाएगा।
  3. शांत एवं प्रसन्नचित रहेंँ और धैर्यवान बनें : जब आप किसी शांत व्यक्ति के साथ में रहते हैं, तो आप देखेंगे, कि उस व्यक्ति का किस तरह से परिस्थिति पर शांतिदायक प्रभाव रहता है और वह हर एक स्थिति में बहुत ही स्पष्ट रूप से सोच पाता है। आप भी इसी तरह के व्यक्ति क्यों नहीं बन सकते? जब हर कोई सिर्फ़ बातें ही कर रहा हो, तो आप ही ऐसे हों, जिसकी बातों का कोई प्रभाव हो।
    • इस से आप को सच में शक्ति प्राप्त होगी और आप एक शांत व्यक्ति के रूप में परिवर्तित हो जाएँगे। जब आप के विचार स्पष्ट और शांति से भरे होंगे, तो अन्य लोग आप के नेतृत्व में रहना पसंद करने लगेंगे।
  4. शांत लोग हमेशा ही हर परिस्थिति पर अच्छे से प्रतिक्रिया देते हैं, और इस तरह से लोग उन पर भरोसा करना शुरू कर देंगे। और इसी जगह पर जो लाउड लोग होते हैं, वे परिस्थिति का सामना सही ढंग से नहीं कर पाते, या तो वे चिल्लाने लगते हैं, या बात को बीच में ही छोड़ देते हैं। अपनी एक अनूठी शख्सियत के साथ आगे बढ़ें। आप एक ऐसे व्यक्ति भी बन सकते हैं, जिस पर हर कोई आँख बंद कर के भरोसा कर सके।
विधि 2
विधि 2 का 3:

किसी चर्चा में शांत रहना

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  1. जब भी आप कुछ कहें, तो उसे बोलने का कोई उद्देश्य हो: शांत लोगों के पास जब तक बोलने को कोई पुख़्ता बात ना हो, तब तक ये पीछे ही रहते हैं, लेकिन जब ये बोलते हैं, तो एकदम से सब के सामने आ जाते हैं। जब तक एक शांत व्यक्ति आकर इस चर्चा का कोई समाधान नहीं निकालता, तब तक हर कोई सिर्फ़ बातें ही करता है। तो अब जब भी आप इस चर्चा में बोलने वाले हों, तो ज़रा सोच-समझ कर ही बोलें।
    • यदि आप किसी चर्चा में शामिल हों, तो खुद को समझा कर रखें, कि आप के बोलने से पहले 3 (या और ज़्यादा) लोग बोल चुके हों। इस तरह से आप को समझ आएगा कि क्या बोलना है। इस तरह से आप को वास्तव में क्या कहना चाह रहे हैं, और क्या बोल रहे हैं इस के बीच में अंतर तय करने में मदद मिलेगी।
    एक्सपर्ट टिप

    Klare Heston, LCSW

    क्लीनिकल सोशल वर्कर
    क्लेयर हेस्टन ओहियो में एक लाइसेंस्ड क्लीनिकल सोशल वर्कर है। उन्होंने 1983 में वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क प्राप्त किया।
    Klare Heston, LCSW
    क्लीनिकल सोशल वर्कर

    जब आप उन्हें सावधानी से चुनते हैं तो आपके शब्द अधिक प्रभाव डाल सकते हैं। क्लेरी हेस्टन, एक सोशल वर्कर, कहती हैं, “कई शब्दों के साथ हवा भरने के बजाय, अपने शब्दों को ध्यान से चुनें जब आपको लगता है कि आपके पास योगदान करने के लिए कुछ है। आत्मविश्वास रखने के लिए आपको समूह का केंद्र नहीं होना चाहिए। वास्तव में, कभी-कभी यह विपरीत होता है!”

  2. सभ्यता से सब का ध्यान अपनी ओर से हटाने, और इसे अन्य किसी व्यक्ति पर केंद्रित करने की कोशिश करें। यदि आप उन की सोच के साथ सहमत नहीं हैं, तो उन से इसे स्पष्ट करने का ज़रूर कहें। वे कब बोलते हैं, क्या बोलते हैं, और उन की सोच कितनी प्रभावी है, इन सारी बातों पर ध्यान रखें। जब आप इन सारी जानकारियों को इकट्ठा कर लेंगे, तब आप को भी समझ आएगा, क्या बोलना है, कब बोलना है और कितना बोलना है।
    • इस तरह से आप और भी अच्छे श्रोता बन जाएँगे। आप सक्रिय रूप से किसी और व्यक्ति पर अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे। अंत में आप को आश्चर्य होगा, कि आप कितना सीख पाए हैं।
    • जब कभी आप किसी नए इंसान से मुलाकात कर रहे हों, तो बहुत ज़्यादा शांत ना रहें। उस व्यक्ति को लगेगा कि आप कितने अज़ीब या बात करने के लायक ही नहीं हैं। इस के बजाय आप के आसपास मौजूद लोगों की बातों को सुनने पर और अपनी ओर से सवाल करने के बीच में संतुलन बनाए रखें।
    • फालतू वकवास ना करें। बोलने से पहले एक बार सोच लें।
  3. जिस से बात कर रहे हैं, उसकी बॉडी लेंग्वेज पर ध्यान दें: अपने विचार व्यक्त करने से पहले, उन की बातों के पीछे छिपे हुए अर्थ को समझने की कोशिश करें। यह व्यक्ति असल में कैसा महसूस करता है? ये कैसी प्रतिक्रिया चाहते हैं? ऐसी कौन सी बात है, जिस पर आप ने आज से पहले कभी गौर नहीं किया?
    • यह कुछ ऐसा नहीं है, जिसे कोई बातूनी व्यक्ति नहीं करे और न कर सकते हैं। बल्कि यह और भी आसान होगा जब आप अपनी दिमागी शक्ति का उपयोग किसी को समझने में और ना सिर्फ आगे क्या बोलना है सोचने पर लगाएँगे। अब ज़रा सा समय से पीछे, जब आप लाउड हुआ करते थे, के बारे में सोचें — इस दुनिया के बारे में ऐसा क्या है, जिस पर आप अब ध्यान दे पा रहे हैं और पहले नहीं दे पाते थे?
  4. जब आप किसी टोकते हैं, आप उनके और उन के विचारों के प्रति अनादर दर्शा रहे होते हैं। कुछ भी कहने से पहले उन्हें अपनी बात पूरी कर लेने दें। यदि आप को समझ नहीं आ रहा है, कि आप ने उन्हें रोक दिया है, तो उन से कहें, "माफ़ कीजिए। क्या मैने आप को टोक दिया? आप अपनी बात कहें।" इस तरह से उन्हें आप से बात कर के और भी अच्छा लगेगा।
    • एक बार इस बारे में भी विचार कर लें, कि आप कितना बोलने वाले हैं और सामने वाला कितना बोलेगा। यदि चर्चा के दौरान कोई एक व्यक्ति भी शांत हो जाए, तो यह चर्चा किस तरह से आगे बढ़ पाएगी। इस बात की पुष्टि ज़रूर कर ले, कि चर्चा को ख़त्म करने से पहले एक बार सुनिश्चित कर लें, कि हर किसी ने अपने विचार सामने रख दिए हैं।
  5. हर किसी को अपने बारे में बातें करना पसंद होता है, लेकिन यदि आप आगे बढ़ कर उन के बारे में सवाल करेंगे, तो उन्हें अच्चा लगेगा और वे अप कि आईएस पहल के लिए आप को और भी पसंद करने लगेंगे। शांत होने का मतलब यह नहीं, कि आप किसी से बिल्कुल बात ही ना करें — इस का तात्पर्य, संक्षिप्त शब्दों का उपयोग करना, अच्छी बातें करना, कुछ दिलचस्प सवाल करना और किसी भी चर्चा के विषय को शक्तिशाली बनाना है। तो हर समय अपने आप को चुप करने के बजाय; कुछ अच्छे और उचित सवाल करें।
    • यदि आप का कोई मित्र आप से स्काइडाइविंग पर जाने की बात बताता है, तो उस से ऐसा "हाँ मैं भी एक बार स्काइडाइविंग गया था; बहुत शानदार अनुभव था!", कहने की बजाय कुछ ऐसे सवाल करें "अरे वाह! कैसा अनुभव रहा?, "क्या आप पहली बार गए थे? यदि वह सच में बातचीत में दिलचस्पी लेना चाह रहा होगा, तो आप से भी इस अनुभव के बारे में कुछ सवाल करेगा।
  6. अपनी बातों को ज़रा कम आवाज में बोलें और शांति से बात करें, हाँ लेकिन, इतना भी धीमा ना बोलें, कि कोई भी सुन ही ना पाए। शांत लोग बात करते वक़्त भी सभ्यता से पेश आते हैं और इन कि अपनी एक पहचान होती है। इन्हें आश्चर्य दर्शाना बखूबी आता है और अपने चेहरे और अपनी आवाज के माध्यम से भी लोगों को अचरज में डाल देते हैं
    • हालाँकि ऐसा करने कि भी एक उचित सीमा होनी चाहिए। ऐसे लोग जो हद से ज्यादा धीमा बोलते हैं, बेहद कष्टप्रद लगते हैं। कभी-कभी लोगों को इन पर गुस्सा आने लगता है। हाँ यह सच है, जब कोई आप की बातों को ही नहीं सुन पाएगा, तो उसे आप पर गुस्सा आना स्वाभाविक है। तो ध्यान रहे, कि आप अपनी आवाज़ उचित रूप से उपयोग कर रहे हैं ना कि सिर्फ मन ही मन में बुदबुदा रहे हैं।
  7. ऐसे लोग, जो बहुत सोच समझकर अपने शब्दों का प्रयोग करते हैं, ये लोग बहुत ही सभ्यता से बात करने वाले होते हैं। इस तरह से लोग आप की सक्षमताओं को देख कर आप पर विश्वास करने लगेंगे और आप का सम्मान भी करेंगे। जब भी आप को लगे, कि आप के पास बोलने लायक कुछ है, तभी बोलें, लेकिन माहौल में मौजूद चुप्पी को तोड़ने के लिए ऐसा कुछ भी ना बोलें, जिस की वहां पर कोई जरूरत ही ना हो।
    • अपने शांत आचरण को बनाकर रखने के लिए और अपने शब्दों को महत्वपूर्ण और आर्थिक बनाए रखने के लिए, हमेशा मुद्दे पर ही बात करें। अपने शांत आचरण को बनाए रखने के लिए, और अपनी बातों को और भी महत्वपूर्ण और इन के कोई मायने दर्शाने के लिए, अपनी शब्दों को एकदम विषय के अनुसार ही प्रयोग करें।
    • आप के शब्दों से ज़्यादा आप की नज़रों का संपर्क मायने रखता है। यदि आप नज़रों का संपर्क नहीं बना सकते, तो आप एक शर्मीले, असुरक्षित और अनिश्चित व्यक्तित्व के व्यक्ति नज़र आएँगे। यदि आप कुछ भी ना बोलने के बाबजूद भी अपनी नज़रों का संपर्क बनाकर रख पा रहे हैं, तो इस तरह से आप एक गहन विचारक की तरह नज़र आएँगे।
  8. खुद को अभिव्यक्त करने के लिए अपने चेहरे पर भरोसा करें: जब भी आप अपने विचारों को अभिव्यक्त करना चाह रहे हैं, और आप को उसे अपने अंदर रोक कर रखने में बहुत परेशानी हो रही है, तो अपने चेहरे के ज़रिए, अपनी भावनाएँ व्यक्त करें। अपनी आँखों को घुमाना भी बहुत कुछ कर सकता है और इस तरह से लोग आप की ओर ध्यान दे पाएँगे। आप ने कभी किसी शांत व्यक्ति को किसी चीज़ पर अपने चेहरे के ज़रिए प्रतिक्रिया देते हुए देखा है? यह हल्का सा मजाकिया भी लग सकता है — ये लोग बिना कुछ कहे भी एक सेंस ऑफ ह्यूमर विकसित करते हैं। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपने चेहरे का इस्तेमाल करें।
    • हाँ, लेकिन ऐसा करते वक़्त भी ज़रा सावधान रहें। क्योंकि भले ही आप कुछ भी ना बोल रहे हों, लेकिन इस तरह से आप अन्य लोगों को परेशान कर सकते हैं। आप की आँखों को घुमाना आप के लिए एक संवेदना की अभिव्यक्ति होगी, लेकिन यदि आप इस का इस्तेमाल ज़रा सी भी असावधानी से प्रयोग करेंगे, तो आप के दोस्त इसे गलत भी समझ सकते हैं। पहले अपने आसपास के लोगों को समझें, फिर ही सोच-समझ कर इन अभिव्यक्तियों का उपयोग करें।
  9. अपने मन में खुले विचारों को आने के लिए कुछ क्षण दें: किसी भी इंसान की कुछ अलग विचारों से उस के ग़लत होने की कल्पना ना करें। इन लोगों के इस तरह के विचार क्यों है, इस तरह के विचार कहाँ से आते हैं और ये इस तरह से क्यों सोचते हैं, इस सारी बातों पर ध्यान रखें। इस तरह से आप दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर सोच पाएँगे। यह आप को सवाल पूछने और चर्चा पर विचार करने के लिए उकसाएगा।
    • इस का यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है, कि ज़्यादा शांत लोग बहुत समझदार होते हैं। बस इस का अर्थ यह है, कि जब आप किसी की बात को सुन रहे हों, तो दूसरे लोगों को भी सुनें और उन्हें अपनी बातें पूरी करने का मौका दें। तो अब जब, भी कोई व्यक्ति कोई ऐसी बात कहता है, आप जिस से बिल्कुल भी सहमत नहीं है, तो बिना सोच विचार करे, उस से बहस ना करने लगें। उन्हें सुनें। और "फिर" उन्हें अपने विचारों को दर्शाएं।
    • अन्य लोगों को क्रोधित ना करने के विचार से शांत रहना कम करें। सिर्फ़ इसलिए चुप रहना, ताकि आप को किसी का विरोध ना करना पड़े, कहाँ का विचार है। किसी भी चर्चा पर अपने मुद्दों को रखना बहुत ज़रूरी है, लेकिन ध्यान रहे, कि ऐसा करते वक़्त आप बहुत ज़्यादा ऊँची आवाज़ का प्रयोग नहीं कर रहे हैं।
    • असभ्य और अनावश्यक रूप से कड़वा ना बोलें — जब भी आप को बोलना पड़े, तो सभ्यता से ही बोलें और जो भी जवाब दें, अपनी बुद्धिमता का उपयोग कर के ही दें। शांत बनना आप का लक्ष्य है, ना कि असभ्य बनना। तो जहाँ तक हो सके सिर्फ अपने लक्ष्य पर ही ध्यान देने की कोशिश करें।
विधि 3
विधि 3 का 3:

एक शांत जीवन की ओर बढ़ना

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  1. अपने दिमाग़ को शांत करने के लिए, कम से कम कुछ समय के लिए मेडिटेट करें: मेडिटेशन ना सिर्फ़ आप के विचारों को खुला रखेगा, बल्कि यह आप के कोलेस्टरॉल और ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करेगा। [२] हर दिन के 10-15 मिनिट आप को एक पूरे दिन के लिए खुश रख पाएँगे।
    • यदि आप को मेडिटेशन करना नहीं भाता, तो ऐसी और भी गतिविधियाँ हैं, जो आप को इस तरह का अनुभव दे सकें। किसी मनपसंद स्थानीय पार्क में जाकर पैदल चलें, या फिर सिर्फ़ एक बेंच पर बैठकर कुछ पढ़ें। एक डायरी लें और उस में अपनी भावनाओं को लिखने में कुछ समय व्यतीत करें। ऐसा कुछ भी करें, जो आप का ध्यान कुछ समय तक के लिए आप पर बनाए रखे।
    • क्या लोग आप को मज़ाक के तौर पर परेशान करते हैं? तो शायद आप को भी उन्हें उसी तरह से परेशान करना चाहिए।
    • माइंडफुलनेस और जेन ड्राइविंग जैसी तकनीक का उपयोग करते हुए, हर एक पल को महसूस करना सीखें। विज्ञान के इतिहास (ब्रम्हांड, क्वांटम सिद्धांत) के बारे में विचार करना, भी बहुत ही रोचक आत्म-विश्लेषी अनुभव होगा।
  2. डायरी लिखना आप का ध्यान कहीं और लगाने का एक तरीका है। हर दिन डायरी लिखने का प्रयास करें, और खुद से कुछ इस तरह के सवाल करें:
    • मुझे कैसा महसूस हुआ? क्यों?
    • मैने आज क्या सीखा? मैने किस से सीखा?
    • किन विचारों ने दस्तक दी? मैने आज किस के या किस बारे में सोचा?
    • आज का दिन कल से किस तरह अलग था? या पिछले हफ्ते से? या पिछले साल से?
    • मैं किस बात का आभारी हो सकता हूँ? कौन आप को अकेला दिख रहा है? और क्यों?
  3. हालाँकि किसी से मदद माँगने में कोई बुराई नहीं है, आप का यह शांति भरा आत्म-विश्वास आप को कोई भी काम पूरा करने का साहस देगा, और जो आप को अन्य लोगों की नज़रों में महत्वपूर्ण बनाएगा। इस के बाद कभी भी आप को किसी से मदद मांगने कि जरूरत नहीं होगी और आप का यह आत्मविश्लेषी व्यवहार ही आप को ध्यान केन्द्रित कर पाने योग्य और सही सवाल करने योग्य बनाएगा। ,
  4. जब आप अपने साथ अकेले ही शांति में कुछ समय बिता सकते हैं, तो फिर ऐसा एक बड़े ग्रुप में कर पाना भी आप के लिए आसान होगा। और आप को जब आप ऐसा कर चुके होंगे, तो आप को इसे कर के आनंद ही आएगा। खुद को अंदर से अच्छा महसूस करने के लिए धैर्य रखें । बुनाई करें या ऐसी कोई गतिविधि करें, जिस में आप को ज़्यादा कुछ बोलने की ज़रूरत ना हो। यहाँ तक कि किसी एक किताब को पढ़ना भी एक अच्छी शुरुआत है।
    • यदि आप एक ओछे या मूर्ख व्यक्ति होंगे, तो लोगों को आप को चुप करना अच्छा लगेगा। आप भी खुद को बेहतर बनाना चाहते होंगे और शायद ऐसा कोई व्यक्ति बनना चाहेंगे, जिसे लोग अपने आसपास पाना चाहते हैं, फिर भले ही आप ज़्यादा बात करते हों, या नहीं।
    • इस बात का भी ध्यान रखें, कि शांत लोग भी वो सरे काम कर सकते हैं, जो एक लाउड व्यक्ति करता है। आप भी गाने, डांस करने और किसी इंस्ट्रूमेंट को बजाने की कोशिश कर सकते हैं। लेकिन जब अप का ये सब हो जाए, तो वापस से शांत व्यक्तित्व में आना न भूलें।
    • हालाँकि, जब आप का सारा खाली वक़्त शांत रहकर ही बीत जाता है, तो फिर किसी और परिस्थिति में आप को फिर से लाऊड बनने में तकलीफ होगी। सोचें कि सारा दिन अपनी मनपसंद किताबें पढते -पढ़ते आप उस में पूरी तरह से खो जाते हैं, और इस के बाद किसी पार्टी में जाना। इस समय भी आप अपनी किताबी दुनिया में ही खोये हुए होंगे और स्वाभाविक रूप से शांत और अपने में ही खोये हुए से रहेंगे।
  5. शांति में ही कोई नयी सोच जन्म लेती है। [३] अपने विचारों के साथ में अकेला रहना, दिनभर का सब से अच्छा और सृजनकारी समय माना जाएगा। और इस समय आप को हर वो काम करने कि आज़ादी होगी, जो आप करना चाहते हैं।
    • अपनी रुचियों को जागृत करने का, एक डायरी लिखने का, अपने कुत्ते को घुमाने ले जाने का या फिर कुछ दिलचस्प काम करने का यही उचित समय है। आप क्या करते हैं, इस का कोई महत्त्व नहीं, महत्वपूर्ण यह होगा, कि आप इसे करना जारी रखें। एकदम एकांतवासी न बन जाएँ, बल्कि इस समय का उपयोग अपनी सृजनात्मक क्षमताओं को निखारने में करें।
  6. चुलबुले, मस्तीबाज़ लोगों के आसपास रहकर आप और भी ज्यादा चुलबुले और मस्तीबाज़ बन जाएँगे। तो जहाँ तक हो सके, अपना खाली समय बिताने के लिए कुछ अंतर्मुखी मित्रों कि तलाश करें। आप भी महसूस करेंगे कि इस तरह शांत रहने के भी अलग ही मजे हैं।
    • शांत लोग अक्सर ही, कुछ शांत लोगों के साथ ही रहना पसंद करते हैं, यद्यपि हर समय ही ऐसा जरुरी नहीं होता। यदि आप शांत लोगों को नहीं जानते हैं, तो अपने किसी सब से शांत मित्र से मिलें और फिर उस के भी मित्रों से मिलें। ऐसे मित्रों का साथ होना बहुत ही मददगार होता है, जो खुद ही शांत हैं (या बनने कि कोशिश कर रहे हैं)। इस के साथ ही, और भी शांत लोगों से मिलने के लिए, किसी लाइब्रेरी या कुकिंग क्लास में जाना शुरू कर दें।
  7. इस से आ प को अपने बारे में बात करने का न सिर्फ ज्यादा समय मिलेगा, बल्कि आप को अनुभव भी हो सकेगा, कि आप को एक शांत व्यक्ति बनने कि क्या जरुरत है और क्या आप अन्य लोगों का ध्यान अपनी ओर पाना चाहते हैं। थेरेपिस्ट सिर्फ उन लोगों कि मदद के लिए बस नहीं होते, जिन को कोई गंभीर मानसिक बीमारी हो, बल्कि ये आप को आप के और भी करीब लाने में भी मदद करते हैं।
    • यदि कोई आप को बार-बार ऐसा महसूस करा रहा है, कि आप बहुत लाऊड हैं, तो आप उस से इस बारे में बात कर सकते हैं। जब तक कि आप को खुद से किसी समस्या का अनुभव न हो, तब तक आप जैसे भी हैं, वैसे ही बने रहें, आप को कोई भी बदलाव लाने कि कोई जरुरत नहीं।
  8. आप जो हैं वही बने रहें : कुछ लोग, अन्य लोगों को तुलना में ज़रा सा ज्यादा उग्र और तीव्र स्वभाव रखते हैं। आप को और शांत बनने कि जरुरत नहीं है — आप जैसे भी हैं, अपने लिए अच्छे हैं। हालाँकि, यदि आप को बदलाव लाने कि जरुरत महसूस हो ही रही है, तो बेशक ऐसा करें, लेकिन बदलाव भी ऐसे हो, जो सच्चे लगते हों। यदि आप बोलना चाहते हैं, तो बोलें। यदि आप कैंटीन में डांस करना चाहते हैं, तो करें। हम सभी लोग एक साथ अन्य और भी व्यक्तित्व को अपने साथ रखते हैं। हो सकता है, कि यही आप का एक अन्य रूप हो।
    • यदि आप को सच में ऐसा महसूस होता है, कि आप को शांत रहने की जरुरत है, तो ऐसे समय का चयन करें, जब आप को लगता है, कि ऐसा करना जरुरी है। डिनर पर? क्लास में? सिर्फ एक शांत व्यक्ति बनने का लक्ष्य ही न रखें, बल्कि समयानुसार शांत रहने का लक्ष्य रखें। ऐसे बहुत समय आएंगे, जिन में आप को खुद को शांत रखने कि जरुरत होगी।
  9. यदि आप आगे बढ़ने को तैयार हैं, तो कुछ समय के लिए शांत हो जाएँ: शायद आप एक घंटे के लिए भी शांत रह सकते हों। फिर 3 घंटे के लिए ऐसा करें। यदि आप खुद को एक पूरे दिन चुप रख पा रहे हैं, तो आप को अनुभव होगा, कि लोग किस तरह से आप पर ध्यान देने लगे, जो इस से पहले, वे कभी नहीं दिया करते थे।
    • जब भी अप के मुंह में किसी भी तरह कि सर्जरी हुई हो, जैसे रूट कैनाल या सिर में दर्द हो, तो आप के लिए शांत रहने का अभ्यास शुरू करने का यही सही समय है। बेशक, इस के लिए अप खुद को दर्द भी न पहुंचाएं, लेकिन एक शांत व्यक्ति बनने के लिए मौजूद हर प्रेरणा अपनाने का प्रयास करें।

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