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जब कभी भी धन को किसी दूसरे इंसान से उधार लिया जाता है, तो उस लोन पर एक ब्याज राशि भी लगी होती है। ये ब्याज, वो धनराशि होती है, जिसे उधार देने वाले इंसान को, असल राशि (मूलधन या उधार लिया हुआ पैसा) के साथ में वापस दिया जाना होता है। जब लोन पर ब्याज लगाया जा रहा है, तब इसे उधार लेने वाले के ऊपर बनने वाली राशि को इस प्रिंसिपल या मूल धनराशि (जिसे एक वेरिएबल P से दर्शाया जाता है) को ब्याज रेट या ब्याज दर (जिसे r से दर्शाया जाता है) से मल्टीप्लाय (गुणा) किया जाता है और फिर इसे उधार लिए गए समय (जिसे t से दर्शाया जाता है) से गुणा किया जाता है। इन सबको मिलाकर साधारण ब्याज कैलकुलेट करने की एक इक्वेशन, बन जाती है। [१]

विधि 1
विधि 1 का 2:

साधारण ब्याज केलकुलेट करना (Calculating Simple Interest)

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    का इस्तेमाल करके ब्याज की गणना करें।
    • ब्याज को दर्शाता है।
    • प्रिंसिपल, या शुरुआत में उधार लिया हुआ पैसा।
    • ब्याज दर, जिसे डेसिमल (दशमलव) में लिखा जाता है।
    • शुरुआत से उधार वापस दिये जाने तक का समय।
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    दिये जाने वाली कुल धनराशि (ऋण) पाएँ: उधार लेने वाले इंसान को ब्याज के साथ में शुरुआत में ली हुई धनराशि भी लौटना होती है, तो इसलिए उस पर बनने वाली कुल धनराशि के बराबर होगी। आप चाहें तो इसे आखिर में जोड़कर भी देख सकते हैं या फिर इस कुल धनराशि को पाने के लिए सीधे एक इक्वेशन भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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    उदाहरण 1: एक बैंक आपको 55,000 रूपये, 3% के साधारण ब्याज की दर पर उधार देता है। 10 साल के बाद आप पर कितना ब्याज बनेगा?
    • (परसेंट को डेसिमल में बदलने के लिए, उसे 100 से डिवाइड (भाग देना) करें। जैसे कि, अगर आपको 3% की दर दी गई है, तो ये 3/100, या 0.03 हो जाएगी)
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    उदाहरण 2: आपका फ्रेंड आप से Rs.70 उधार लेता है और हर हफ्ते इसके लिए 5% साधारण ब्याज देने का वादा करता है। दो महीने के बाद, आपके फ्रेंड पर आपका कितना पैसा बकाया होगा?
    • (इस कैलकुलेशन के लिए, ब्याज हर हफ्ते दिया जाना है, तो इसलिए हमें हफ्ते के अनुसार ही कैलकुलेशन करना होगा)
विधि 2
विधि 2 का 2:

कान्सैप्ट को समझना (Understanding Concepts)

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    ब्याज समझिए: आखिर ब्याज लिया ही क्यों जाता है? वो इंसान, जो पैसे उधार दे रहा है, वो उस वक़्त तक उन पैसों को अपने लिए इस्तेमाल नहीं कर पाता, जब तक कि वो पैसे वापस उसकी हांथ में न आ जाएँ। इसलिए इस पर ब्याज इस एक वजह से लगाया जाता है, कि अगर वो पैसे उसके (उधार देने वाले इंसान) पास में होते, तो वो अपने लिए किसी और लाभ के तरीके में इनका लगाकर इस्तेमाल कर सकता था। [२]
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    हर एक लोन के टाइम पीरियड (समयावधि) पर ध्यान दीजिये: ब्याज नियमित रूप से समय-समय पर जमा होता है। वार्षिक ब्याज के लिए ये समय अवधि साल में होगी, लेकिन ब्याज की समय सीमा में महीनों, हफ्तों और यहाँ तक कि दिनों का भी इस्तेमाल होता है। समय अवधि जितनी कम होगी, उतना ही बार आपके लोन पर ब्याज लगेगा।
    • इससे काफी बड़ा अंतर भी हो सकता है। वार्षिक अवधि पर लिए गए लोन में, 10 वर्ष में 10 बार ब्याज दर लगती है। मासिक अवधि से लिए गए लोन पर 10 वर्षों में वही ब्याज दर 120 बार जुड़ती है।
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    प्रिंसिपल या मूलधन को न भूलें: जब लोन वापस दिया जाता है, तब इसे उधार लेने वाले को सिर्फ ब्याज नहीं लौटना होता है — उन्हें इसके साथ में वो धनराशि भो अदा करनी होती है, जो इन्होंने शुरू में ली थी। ब्याज की कुल धनराशि निकाली जाती है इसके साथ ही इसमें जोड़ी हुई मूलधन राशि को लोन की "भावी राशि (future value)" या "मेच्योरिटी वैल्यू (maturity value)" कहा जाता है। [३]
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    साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज (compound interest) के बीच का अंतर समझें: आपने अभी सिर्फ साधारण ब्याज की गणना ही की है, जिसमें आप उधार लिए हुए मूलधन राशि पर ब्याज देते हैं। बहुत सारे क्रेडिट कार्ड्स और अन्य तरह के लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज लगाया जाता है, जिसमें आप पर आने वाला ब्याज, उस ब्याज का भी ब्याज होता है। चक्रवृद्धि ब्याज में, समय के साथ-साथ साधारण ब्याज के मुक़ाबले ज्यादा ब्याज लगता है। चक्रवृद्धि ब्याज का हिसाब लगाने के लिए एक अलग तरह के फॉर्मूला की जरूरत होती है। यहाँ पर दोनों ही तरह के ब्याज के बीच के अंतर दर्शाए गए हैं:
    • आप 30% की साधारण ब्याज की दर पर 100 रूपये उधार लेते हैं। एक समय अवधि पूरी होने का बाद आपको Rs.30 का ब्याज देना होगा, दूसरी समय अवधि पूरी होने के बाद Rs.60, तीसरी अवधि के बाद Rs.90 और चौथी समय अवधि के बाद में आपको Rs.120 का ब्याज देना होगा।
    • आप 30% की चक्रवृद्धि ब्याज की दर पर Rs.100 उधार लेते हैं। एक समय अवधि पूरी होने का बाद आपको Rs.30 का ब्याज देना होगा, दूसरी समय अवधि पूरी होने के बाद Rs.69, तीसरी अवधि के बाद Rs..119.70, और चौथी समय अवधि के बाद में आपको Rs.285.61 का ब्याज देना होगा।
    • ब्याज के ज्यादा जटिल रूपों की गणना करते समय कई तरह के अन्य कारक आपके सामने आ सकते हैं, जिनमें क्रेडिट रिस्क या ऋण जोखिम और मुद्रास्फीति (inflation) शामिल हैं।

सलाह

  • अन्य रिसोर्स इस इक्वेशन के लिए अलग-अलग तरह के वेरिएबल का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उनके जरिये भी रिजल्ट में ठीक हमारे द्वारा बताए हुए कान्सैप्ट और राशि ही प्राप्त होगी।
  • हालांकि इस लेख से आपको सरल ब्याज की गणना करने के लिए स्किल और ज्ञान तो मिल ही जाना चाहिए, लेकिन अगर अभी भी आपको मदद की जरूरत हो, तो इसके लिए आपको ब्याज की गणना करने के लिए बहुत सारे ऑनलाइन कैलकुलेटर्स मिल जाएँगे।
  • इस फॉर्मूला को रिअरेंज करके आप इसका उपयोग इस तरह से, मूलधन ( ), दर ( ) या समय सीमा ( ) की गणनाओं को पूरा करने के लिए से भी कर सकते हैं।

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साधारण ब्याज या सिम्पल इंट्रेस्ट कैलकुलेट करने के लिए, प्रिंसिपल या मूल धनराशि, जो कि शुरुआत में उधार ली हुई धनराशि होती है, को डेसिमल में लिखी हुई लोन की इंट्रेस्ट रेट या ब्याज दर के साथ में गुणा करें। फिर, साधारण ब्याज निकालने के लिए उस नंबर को लोन की शुरुआत से लेकर अब तक के गुजरे समय के साथ में गुणा करें। जैसे कि, अगर आपकी मूल धन राशि Rs.55,000 है, ब्याज दर 0.03 प्रतिशत है और लोन की शुरुआत से लेकर अब तक का समय 10 साल है, तो पहले आपको 55,000 को 0.03 से गुणा करके, उसके जवाब में 1,650 मिलेगा। फिर, आप 1,650 को 10 से गुणा करेंगे, जिससे आपको 16,500 मिलेगा। इसलिए, Rs.16,500 आपका साधारण ब्याज होगा। इस इक़्वेशन के हर एक पहलू के बारे में और जानकारी पाने के लिए, पढ़ते जाएँ।

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