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साँस लेना ह्यूमन्स का एक बेसिक फंक्शन होता है और कभी-कभी तो उन्हें अहसास तक नहीं होता, कि वो इसे कर भी रहे हैं। हालांकि, भले ही आपके लिए आपकी साँसों का सारा जिम्मा आपका शरीर ही क्यों न लेता हो, इसका मतलब ये नहीं निकल जाता कि आप हमेशा सही ढ़ंग से ही साँसें ले रहे हैं। अच्छी बात ये है, कि एक बेहतर ढ़ंग से साँस लेने वाला बनना, एक ऐसी बात है, जिसे हर कोई कर सकता है और यहाँ पर आपकी साँस लेने की आदतों में करने लायक कुछ सिंपल से बदलाव दिए हुए हैं, जो आपको आपके शरीर के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीज़न लेने में मदद कर सकती हैं और जिससे आप और भी ज्यादा रिलैक्स फील कर सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 5:

गहरी साँसें लेना

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  1. अगर आप नीचे लेटे होंगे या फिर एक कम्फ़र्टेबल चेयर पर बैठे होंगे, तो आपको डीप, स्लो साँसें लेने में काफी आसानी महसूस होगी। एक सोफा, ब्लैंकेट या बेड पर अपने पीठ के बल लेट जाएँ। अपनी आर्म को अपनी साइड पर ढ़ीला छोड़ दें। आप आपके पैरों को स्ट्रेट रखें या अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ लें। [१]
    • आप अगर चाहें तो, अगर आपको इससे ज्यादा कम्फ़र्टेबल फील होता हो, तो अपने सिर और घुटनों के नीचे सपोर्ट के लिए पिलो (तकिये) का यूज भी कर सकते हैं।
  2. अपने मुँह को बंद करें और अपनी नाक से साँस खींचना शुरू करें: नाक के जरिए साँस लेने से, आपके द्वारा इन्हेल की जा रही हवा का टेम्परेचर रेग्युलेट होता रहता है और साथ ही ये हार्मफुल इरिटेंट्स को भी अंदर आने से भी रोक देती है, जो साँस लेने को और भी आसान बना देती है। गहरी साँसें लेते वक़्त अपने मुँह से इन्हेल न करें या फिर सिर्फ सामान्य रूप से साँस लें। [२]
    • अपनी नाक से साँस लेने के लिए, अपने मुँह को बंद रखने की कोशिश करें। आपका ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम साँस लेना जारी रखेगा और साँसें आपके नोस्ट्रिल्स (नथुनों) से आने लगेगी।
  3. अपने डायाफ्राम (diaphragm) से गहरी साँसें लें, ताकि आपका एब्डोमेन (पेट का निचला हिस्सा) बढ़ने लगे: आपका डायाफ्राम, आपके लंग्स के नीचे मौजूद एक मसल की शीट होती है और जब आप गहरी साँसे लेते हैं, ये नीचे आ जाता है और आपके लंग्स को फैलने के लिए जगह देता है, ताकि आप और भी प्रभावी ढ़ंग से साँस ले सकें। अपने डायाफ्राम से साँस लेने के लिए, अपनी नाक से कुछ इस तरह से गहरी साँसें इन्हेल करें, जैसे आप आपकी लोअर बैली में साँस ले रहे हैं। इन्हेल करते वक़्त आपको आपका एब्डोमेन फैलते हुए महसूस होना चाहिए। [३]
    • अगर इन्हेल करते वक़्त आपका एब्डोमेन नहीं फैलता (बढ़ता) है, तो आपकी साँसें बहुत हल्की हो रही हैं।
    • अगर आपको समझ नहीं आ रहा है, कि आप आपके डायाफ्राम से साँस ले रहे हैं या नहीं, तो अपने हाँथ को अपनी बैली पर रखें। फिर, अपनी नाक से गहरी साँसें लें और देखें, अगर आपके हाँथ को आपके पेट से धक्का मिलता हो। अगर ऐसा ही है, तो आप आपके डायाफ्राम से साँस ले रहे हैं।

    क्या आपको मालूम है? अपने डायाफ्राम से साँस लेने से असल में आपकी हार्टबीट धीमी हो जाती है और आपका ब्लड प्रैशर भी स्टेबल हो जाता है। [४]

  4. आप चाहें तो, इन दोनों में से जो भी आपके लिए कम्फ़र्टेबल लगे, उसी से एक्सहेल कर सकते हैं। जब आप एक्सहेल करें, तब हवा को अप और डाउन फोर्स करने के लिए अपने डायाफ्राम का यूज करें। ऐसा करते वक़्त आपको आपका डायाफ्राम नीचे जाता समझ आएगा। एक्सहेल करने के बाद कुछ पल के लिए रुकें और फिर जब आप रेडी हो जाएँ, तब दूसरी साँस लें। [५]
    • रोजाना 10-20 मिनट के लिए गहरी साँसें लेने की प्रैक्टिस करें।
विधि 2
विधि 2 का 5:

मेडिटेटिव तरीके से साँस लेना (Meditative Breathing)

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    बैठने के लिए एक ऐसी कम्फ़र्टेबल जगह तलाशें, जहां पर आप अपनी पीठ को सीधा करके बैठ सकें: मेडिटेट करते वक़्त आपको कम्फ़र्टेबल होना बहुत जरूरी होता है, लेकिन बस इतनी पुष्टि कर लें, कि आप झुक तो नहीं रहे हैं। एकदम स्ट्रेट बैठने से आपके लंग्स खुल जाते हैं और ये गहरी, एक-जैसी साँसें लेना आसान बना देता है। [६]
    • अपने पैरों को क्रॉस करके, एक चेयर पर या फिर जमीन पर एक ब्लैंकेट के ऊपर बैठ जाएँ।
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    कुछ गहरी साँसें लें: मेडिटेटिव तरीके से साँस लेने का असली मकसद आपकी साँसों को स्लो करना, आपके शरीर को और भी ज्यादा ऑक्सीज़न लेने में मदद करना और साँस लेते वक़्त किस तरह से माइंडफुल रहा जाए, सिखाना होता है। जैसे ही आप कम्फ़र्टेबल हो जाते हैं, फिर अपनी साँसों को एक-समान बनाने और अपने शरीर को रिलैक्स करने के लिए अपनी नाक से गहरी साँसें लें। जब आप इन्हेल कर रहे हों, अपने डायाफ्राम से साँस लें, ताकि अपनी बैली फैलने लगे। [७]

    एक सलाह: साँस लेते वक़्त अपने हाँथ को अपनी बैली पर रख कर देखें। अगर आपका हाँथ, आपके द्वारा ली जाने वाली हर एक साँस के साथ उठता और नीचे जाता है, तो समझ जाइए, कि आप भरपूर ढ़ंग से गहरी साँसें ले रहे हैं।

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    अपने फोकस को अपनी साँसों के ऊपर ले जाएँ: एक बार जब आप कुछ गहरी साँसें ले लेते हैं और अपनी बॉडी को रिलैक्स कर लेते हैं, फिर अपने अंदर चलने वाले विचारों को और आपके आसपास मौजूद किसी भी डिस्ट्रेक्शन को अपने आप से दूर कर दें। इसकी बजाय, आपका सारा ध्यान आपके द्वारा इन्हेल और एक्सहेल किए जाने पर लगाएँ, जब आपकी नाक से साँस गुजरती है, और आपके लंग्स को भर देती है, तब कैसा फील होता है, उस अहसास की तरफ पूरा ध्यान दें। साथ ही, अपने लंग्स से साँसें पंप करने में होने वाली सेन्सेशन की ओर ध्यान दें और एक्सहेल करते वक़्त आपकी नाक और मुँह से जाने वाली साँसों को महसूस करें। [८]
    • मेडिटेटिव तरीके से साँस लेने से न सिर्फ आपको स्ट्रेस में होते वक़्त, या फिर किसी चिंता के वक़्त में शांत महसूस करने में मदद मिलेगी, बल्कि ये आपको ज्यादा से ज्यादा माइंडफुल और प्रेजेंट रहने के लिए भी ट्रेन करेगा। जब आप आपकी साँसों में माइंडफुल रहना सीख लेते हैं, फिर आप मेडिटेट न करते वक़्त भी, और भी प्रभावी ढ़ंग से साँस लेना शुरू कर सकते हैं।
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    एक स्थिर गति से साँस लेते रहें और अगर आपका मन भटकने लगे, तो उसका फोकस वापस ले आएँ: जब आप पहली बार मेडिटेटिव तरीके से साँस लेना शुरू करते हैं, तब कुछ छोटे, 3-5 मिनट के सेशन को करने की कोशिश करें। जैसे-जैसे ये आपके लिए आसान होते जाए, फिर आप लंबे वक़्त के लिए भी मेडिटेट करना शुरू कर सकते हैं। साथ ही, अगर आपका मन भटकना शुरू कर दे और आपका फोकस साँसों से हटने लग जाए, तो भी घबराएँ नहीं। ये एकदम नेचुरल है और ये कभी न कभी होता ही है। [९]
    • अगर आपका मन भटकने लगता है और आप खुद को कुछ और सोचता हुआ पाते हैं, तो बस अपने फोकस को फिर से अपनी साँसों पर ले आएँ और धीमे-धीमे इन्हेल और एक्सहेल करना जारी रखें।
विधि 3
विधि 3 का 5:

एक्सर्साइज़ करते वक़्त साँस लेना (Breathing While Exercising)

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    दौड़ते वक़्त एक गहरी, बैली वाली साँस लें: दौड़ते वक़्त गहरी साँसें लेना इसलिए भी जरूरी होता है, क्योंकि ये आपके लंग्स को ज्यादा ऑक्सीज़न से भर देती हैं, जो आपके शरीर को दौड़ते रहने के लिए और भी ज्यादा एनर्जी देते हैं। अगर आप दौड़ते वक़्त सिर्फ अपनी चेस्ट से हल्की-हल्की साँसें लेते हैं, तो फिर अपने डायाफ्राम से साँस लेने की प्रैक्टिस करें, ताकि इन्हेल करते वक़्त आपकी बैली बढ़ने लगे। [१०]
    • अगर दौड़ते वक़्त स्थिर, गहरी साँसें लेना आपके लिए हार्ड लगता है, तो फिर अलग-अलग तरह की साँसों की रिदम को करके देखें, जब तक कि आपको आपके हिसाब से कम्फ़र्टेबल रिदम न मिल जाए। उदाहरण के लिए, आप पहले गहरी साँस लेकर देख सकते हैं और फिर अपने मुँह से दो बार एक्सहेल करें।
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    कोर और एब्डोमिनल एक्सर्साइज़ करते वक़्त 4 काउंट पर इन्हेल और एक्सहेल करें: जब आप एक कोर या एब्डोमिनल एक्सर्साइज़ करते हैं, तब अपनी साँसों को होल्ड करके रखना काफी आसान होता है, लेकिन ऐसा करते रहना जारी रखना, ये असल में आपके वर्कआउट को, आपके मसल पर और भी हार्ड बना देता है। इसकी बजाय, जब आप एक्सर्साइज़ करते हैं, तब इन्हेल करते वक़्त 4 काउंट तक स्थिर रहने की कोशिश करें और ठीक ऐसे ही एक्सहेल करते वक़्त 4 काउंट तक बने रहें। इस तरह से, आप आपके कोर का वर्कआउट करते वक़्त लगातार साँसें लेते रहेंगे। [११]
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    हाइ-इंटेन्सिटी एक्सर्साइज़ करते वक़्त, अपने मुँह से नहीं, बल्कि अपनी नाक से साँस लें: जंपिंग जैक्स (jacks) और बर्पीस (burpees) जैसी हाइ-इंटेन्सिटी एक्सर्साइज़ को बहुत ज्यादा ऑक्सीज़न की जरूरत होती है, लेकिन अपने मुँह के जरिए बहुत ज्यादा हवा खींचने की वजह से असल में आपके शरीर के ऑक्सीज़न को एनर्जी की तरह यूं करने की क्षमता में कमी आ जाती है। इसकी जगह, इस तरह की एक्सर्साइजेज़ करते वक़्त अपनी नाक से इन्हेल करने की कोशिश करें, ताकि आप आपके शरीर में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीज़न पहुंचा रहे हों, जो आपको ज्यादा वक़्त तक वर्कआउट करते रहने में मदद करेगी। [१२]

    एक सलाह: अगर आपको आपकी नाक से साँस लेने में कोई तकलीफ हो रही है, तो ऐसे में जब तक आप आपके मुँह से साँस लेना बंद न कर दें, तब तक अपनी एक्सर्साइज़ की इंटेसिटी या ड्यूरेशन (अवधि) को कम करके देखें।

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    जब आप स्ट्रेंथ-ट्रेनिंग एक्सर्साइज़ कर रहे हों, तब एक रिदम में साँस लें: स्ट्रेंथ-ट्रेनिंग एक्सर्साइज़ करते वक़्त सही ढ़ंग से साँसें लेने से आपका फॉर्म इंप्रूव हो सकता है और साथ ही हार्निया जैसी किसी भी कोंप्लिकेशन्स को कम करने में भी मदद मिलेगी। वेट लिफ्ट करते वक़्त या और दूसरी स्ट्रेंथ एक्सर्साइज़ करते वक़्त एकदम अजीब तरह से साँस लेने की बजाय, लिफ्ट करते वक़्त एक्सहेल करने और नीचे लाते वक़्त इन्हेल करने की कोशिश करें। [१३]
    • उदाहरण के लिए, जब आप बाइसेप कर्ल्स कर रहे हों, तब वेट को उठाते वक़्त एक्सहेल करें और फिर जब वेट को नीचे लेकर आ रहे हों, तब इन्हेल करें।
    • अगर आपको इस तरह से साँस लेने में तकलीफ हो रही है, तो फिर या तो आप बहुत ज्यादा वेट लिफ्ट कर रहे हैं या फिर आप खुद को बहुत ज्यादा फोर्स कर रहे हैं।
विधि 4
विधि 4 का 5:

काल्मिंग ब्रीदिंग एक्सर्साइजेज़ (Calming Breathing Exercises)

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  1. साँस लेते वक़्त अपनी मुट्ठी (फिस्ट) को जकड़ने और अपनी आर्म्स को हिलाकर देखें: ये एक्सर्साइज़ आपके ऑक्सीज़न के इनटेक को बढ़ाने में और आपके सर्क्युलेशन को बनाने में मदद कर सकती है। अपनी आर्म्स को साइड में रखकर खड़े होकर शुरुआत करें। फिर, जब आप साँस लें, तब अपनी मुट्ठी को ज़ोर से जकड़ लें और अपने हाँथों को अपने सामने फैलाना शुरू कर दें। फिर आखिर में, एक्सहेल करते वक़्त अपनी मुट्ठी को अपने कंधे की तरफ ले आएँ। [१४]
    • इस एक्सर्साइज़ को कुछ मिनट तक रिपीट करते रहें।
  2. अपने शरीर को रिलैक्स करने के लिए, एक्सहेल करते वक़्त साय (Sigh) करें: अपनी नाक से एक गहरी साँस लेते हुए शुरुआत करें। फिर, अपने मुँह को चौड़ा खोल लें और एक फोर्स के साथ रिपीट करें। जब आप एक्सहेल करें, तब “आह” बोलने की कोशिश करें, जैसे कि आप साय कर रहे हैं। [१५]
    • अब जब कभी भी आप स्ट्रेस फील करें या फिर आपको किसी भी तरह की चिंता हो तब इस एक्सर्साइज़ को कुछ वक़्त तक रिपीट करते रहें।
  3. अपनी साँसों को स्लो करने के लिए होंठ सिकोड़ते हुए साँस लेने की कोशिश करें: अगर आपको साँसों की कमी महसूस हो रही है, तो पहले बैठने की एक कम्फ़र्टेबल पोजीशन पा लें और फिर अपनी नाक से 2 सेकंड के लिए, धीमे-धीमे इन्हेल करें। फिर अपने होंठों से एक “ओ (o)” शेप बनाएँ और फिर 4 काउंट तक अपने मुँह से एक्सहेल करने की कोशिश करें। [१६]
    • जब आप ऐसा कर रहे हों, तो आप धीरे-धीरे अपने इन्हेल और एक्सहेल करने के वक़्त को बढ़ाते हुए, अपने द्वारा इन्हेल करने और एक्सहेल करने के वक़्त को बदल सकते हैं।
  4. अपनी साँसों को काबू करना, खुद को एक पैनिक अटैक से पहले शांत करने का बहुत अच्छा तरीका होता है। ऐसा करने के लिए, एक गहरी, धीमी साँस लें और अपनी साँसों को 3 सेकंड के लिए होल्ड करे रहें। 3 काउंट होने के बाद, अपने सिकुड़े हुए होंठों से धीरे से एक्सहेल करें। [१७]
    • जब आप एक्सहेल करें, अपने चेहरे, चेस्ट, जॉ (जबड़े) और कंधों की मसल्स को रिलैक्स करने की कोशिश करें।
    • आप कभी भी खुद को चिंता में पड़ता हुआ देखकर इस एक्सर्साइज़ का यूज कर सकते हैं।
  5. हायपरवेंटिलेटिंग (hyperventilating) को रोकने के लिए 7-11 ब्रीदिंग पैटर्न का यूज करें: बहुत जल्दी-जल्दी साँस लेना या हायपरवेंटिलेटिंग, आपको ऐसा फील करा सकती हैं, कि आप भरपूर साँसें नहीं ले रहे हैं। 7-11 ब्रीदिंग पैटर्न यूज करने के लिए, अपनी आँखों को बंद करके शुरुआत करें और फिर 7 सेकंड्स के लिए अपनी नाक से इन्हेल करते रहें। फिर, रुकें और 11 काउंट पर एक्सहेल कर दें। जब आप एक्सहेल करना खत्म कर दें, एक्सर्साइज़ को रिपीट करने से पहले, फिर से रुकें। [१८]

    क्या आप जानते हैं? साँस लेने की इस स्टाइल को करने से आपके सारे एंजाइटी लेवल में कुछ मदद मिल सकती है। वक़्त के साथ, जब कभी भी आपको चिंता महसूस होगी, तब इसके बारे में एक बार भी सोचे बिना, आप खुद ही इस तरह से साँस लेने लग जाएंगे।

विधि 5
विधि 5 का 5:

सही ढ़ंग से साँस लेना

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    गहरी साँसें लें और चेस्ट से हल्की (ऊपरी) साँसें लेना अवॉइड करें: बिना जाने हल्की, ऊपरी साँसें लेने की आदत में पड़ना काफी आसान होता है। हालांकि, खुद को गहरी साँसें लेने के लिए ट्रेन करना भी काफी जरूरी होता है, क्योंकि गहरी साँसें आपके शरीर को अच्छी तरह से ऑक्सीज़न पहुंचाने में काफी मददगार होती हैं और ये सच में स्ट्रेस कम करने में मदद कर सकती हैं। अपनी साँसों के ऊपर ध्यान देने के लिए वक़्त निकालें। साँस लेते वक़्त अगर सिर्फ आपकी चेस्ट ही उठ रही है, तो आप ऊपरी साँसें ले रहे हैं। [१९]
    • आपको साँस लेते वक़्त, आपके लंग्स के नीचे मौजूद एक पतली सी मसल, जिसे डायाफ्राम कहते हैं, का यूज करना चाहिए। जब आप गहरी साँसें लें, तब आपका डायाफ्राम नीचे की तरफ हो जाता है और आपके लंग्स को भरने और फैलने के लिए और भी जगह दे देता है। अगर इन्हेल करते वक़्त आपकी बैली फैल जाती है, तो आप समझ जाइए, कि आप डायाफ्राम से साँस ले रहे हैं।

    सलाह: रोजाना कुछ वक़्त के लिए गहरी साँसें लेने की प्रैक्टिस करें। वक़्त के साथ, ये आपके लिए काफी आसान बन जाएगा और आपको नेचुरल भी फील होने लगेगा।

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    अपने मुँह की बजाय, अपनी नाक से इन्हेल करें: नाक से साँस लेना, हवा को साफ करने में मदद करती है, जिसका मतलब कि आप ज्यादा इरिटेंट्स को इन्हेल नहीं कर रहे हैं। साथ ही ये आपके द्वारा इन्हेल की जाने वाली हवा के टेम्परेचर को भी रेग्युलेट करती है। अगर आप नॉर्मली अपने मुँह से साँस लेते हैं, तो अपने मुँह को बंद करके और फिर अपनी नाक से साँस लेने की प्रैक्टिस करें। फिर, अपनी नाक या मुँह से, जिससे भी आपको कम्फ़र्टेबल लगे, एक्सहेल करके देखें। [२०]
    • अगर आपको अपने मुँह से साँस लेने की आदत है, तो शुरू-शुरू में आपको नाक से साँस लेना मुश्किल लग सकता है, लेकिन ये धीरे-धीरे टाइम और प्रैक्टिस के साथ आसान बनते जाएगा।
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    एक अच्छा पोस्चर बनाए रखें और अपने शरीर को रिलैक्स करें: अपने मसल्स को झुकाना और खींचना, फुल, गहरी साँसें लेने को हार्ड बना सकता है। इसकी बजाय, आपको एकदम स्ट्रेट खड़े रहना चाहिए, अपने कंधों को रिलैक्स करना चाहिए और अपने जोइंट्स को लूज करना चाहिए, ताकि आपको साँसें लेने में आसानी हो। [२१]
    • आगे की तरफ झुकें, अपने कंधों को अपने सिर की तरफ उठा लें, ताकि ये एकदम तने रहें और गहरी साँसें लेते रहें। फिर, एकदम स्ट्रेट खड़े हो जाएँ, अपने कंधों को रिलैक्स कर लें और एक और गहरी साँस लें। जब आप अच्छे पोस्चर में रहेंगे और रिलैक्स रहेंगे, तब आपको समझ आएगा, कि साँस लेना कितना आसान हो गया है।
    • चाहे आप खुद को झुकता हुआ या खिंचता हुआ पाएँ, अपने पोस्चर को एडजस्ट कर लें और एक पल लेकर अपने मसल्स को रिलैक्स कर लें।
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    अपने आप में आई इंप्रूवमेंट को चेक करने के लिए, पूरे दिनभर अपनी साँसों के ऊपर नजर बनाए रखें: जैसे कि, आपको असल में कभी अहसास भी नहीं होता, कि आप साँस ले रहे हैं, ऐसे में आप इसे सही ढ़ंग से कर रहे हैं, या नहीं, इस बात पर ध्यान देना जरा सा मुश्किल जरूर होगा। हालांकि, अगर आप चाहें तो अपनी साँस लेने के तरीके को जाँचने के लिए, इसे चेक करने का एक वक़्त जरूर सेट कर सकते हैं, जैसे कि सुबह उठकर सबसे पहले और लंचटाइम में। रोजाना ठीक इसी वक़्त पर चेक करते रहें, ताकि ये आपके रूटीन में आ जाए। [२२]
    • अपनी साँसों की ओर इस तरह से ध्यान देते रहकर, जरूरत पड़ने पर आपको एडजस्टमेंट करने में भी मदद मिलेगी। जैसे कि, अगर आप अपनी साँसों को चेक करते वक़्त हर बार खुद को हल्की साँसे लेते हुए नोटिस करते हैं, तो आपको मालूम होगा, कि आपको अपने डायाफ्राम से किस तरह से गहरी साँसें लेने की कोशिश करना है।

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