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क्या आप साइकल चलाना चाहते हैं? क्या आप किसी और को साइकल चलाना सिखाना चाहते हैं? बहुत से वयस्कों को कभी सीखने का मौका ही नहीं मिला और बहुत से बच्चे सीखना चाहते हैं। परेशान मत हो जाइए। बल्कि उसकी जगह, जल्दी से तंदरुस्ती बनाने वाली सबसे बढ़िया चीज़ों में से एक, पर्यावरण के लिए सर्वोत्तम और सबसे अधिक संतुष्टि देने वाली सवारी की शुरुआत करने को तैयार हो जाइए। इसके लिए तैयारी, तकनीक, और थोड़ी सी गिरने वाली चोटों की ज़रूरत होती है, मगर साइकल चलाना कोई भी सीख सकता है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

सुरक्षित सवारी करना

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  1. सीखते समय आप चाहेंगे कि जगह आरामदेह और ट्राफिक से दूर हो। शुरू करने के लिए एक समतल, चिकनी जगह होनी चाहिए जैसे घर के सामने वाली खाली सड़क या आपका फ़ुटपाथ। जिनको यहाँ मौका न मिल सके वे तो किसी पार्किंग लॉट या पार्क में सीख सकते हैं। [१]
    • चिकनी जगह या घास पर शुरू करने का लाभ यह होता है कि गिरने पर चोट कम लगती है। हालांकि इन सतहों पर बैलेंस करना और पेडल करना कठिन हो जाता है।
    • अगर आप पहाड़ों पर बैलेंस करने और पेडल चलाने का अभ्यास करने वाले हों, तब ऐसी जगहें ढूँढिए जहां ढलान हल्की हो।
    • स्थानीय क़ानूनों को जान लीजिये कि कहीं फ़ुटपाथ या कुछ विशेष रास्तों पर साइकल चलाना मना तो नहीं है।
  2. चूंकि घुटनों और कोहनी के पैड जोड़ों को इंसुलेट (insulate) करते हैं और खरोंचों से बचाते हैं, इसलिए सभी साइकल चालकों केलिए इनके इस्तेमाल का सुझाव दिया जाता है। पूरी बाहों वाली कमीज़ें और लंबी पैंटें भी गिरने से बचाव में सहायक होती हैं इसलिए इन्हें पैडों के साथ पहना जा सकता है।
    • बैगी पैंटों और लंबी स्कर्टों से बचिए क्योंकि वे साइकल की चेन, गियर और पहियों में फँस सकती हैं।
    • आगे से खुले जूते मत पहनिए क्योंकि इससे आपके पाँव में ज़मीन और साइकल दोनों से ख़तरा हो सकता है।
  3. हेलमेट का उपयोग करने की सलाह, सीखने वालों और अनुभवी बाइकर्स, दोनों को दी जाती है। दुर्घटना बता कर नहीं आती। टूटी हुई हड्डी तो जुड़ सकती है मगर सिर की चोटें, जो साइकल दुर्घटनाओं में आम तौर पर लगती ही हैं, उनका प्रभाव लंबे समय तक रहता है। इसके अलावा, कुछ जगहों पर तो साइकल सवारों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य होता है। [२]
    • हेलमेट की नाप सिर की माप के आधार पर होती है। अच्छा हेलमेट कसा हुआ होता है और आपकी भौंहों से लगभग एक इंच (ढाई सेंटीमीटर) ऊपर तक आता है। इसमें स्ट्रैप (straps) भी होंगे जिनसे इसे इतना कसा जा सकेगा कि आपका मुँह खुला रह सके
    • कम्यूटर हेलमेट आम तरीके के होते हैं। गोलाकार, फ़ोम और प्लास्टिक के बने, जो आम तौर पर ऑनलाइन या उन दुकानों में मिल सकते हैं जहां साइकलें मिलती हैं। [३]
    • सड़क वाले हेलमेट अंडाकार होते हैं और उनमें हवा के लिए छेद होते हैं। ये भी फ़ोम और प्लास्टिक के बने होते हैं मगर सड़क पर चलाने वालों और रेसों में हिस्सा लेने वालों में यह लोकप्रिय होते है। इन्हें, ऑनलाइन या दुकानों से खरीदा जा सकता है। [४]
    • युवाओं (उम्र 10-15), बच्चों (उम्र 5-10), और बालकों (5 से कम) के कम्यूटर और सड़क वाले हेलमेट छोटे आकार के होते हैं। केवल बालकों के हेलमेटों में अधिक फ़ोम लगा होता है।
    • माउंटेन बाइक हेलमेटों और प्रोफ़ेशनल खेलों वाले हेलमेटों में सड़क के खतरों से निबटने के लिए, वाइज़र (visor) और गर्दन की ब्रेसिंग लगी होती है। [५]
  4. रात में साइकल की सवारी करना संभव है, मगर शुरुआत करने वालों को इसकी सलाह नहीं दी जाती है। इसका मतलब यह है, कि जैसी जैसे आपको आदत होती जाएगी, आप ऐसे ट्राफिक या ख़तरे को देख कर अपनी साइकल लहरा सकेंगे जिसे आपने कठिनाई से देख पाया हो। रात में ड्राइवरों को भी आपको देखने में कठिनाई हो सकती है। [६]
    • अगर आपको रात में जाना ही हो, तब हल्के रंग के कपड़े पहनिए, रिफ़्लेक्टिव स्टिकर लगाइए और बाइक हेडलाइटों का इस्तेमाल करिए।
विधि 2
विधि 2 का 3:

साइकल पर चढ़ना

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  1. घर के सामने की सड़क, फ़ुटपाथ, शांत सड़कें, या पार्क में बनी ट्रेलें इसके लिए अच्छी होती हैं। इनमें कोई ढलान नहीं होती, इसलिए आप गिर जाने पर दूर तक घिसटते नहीं चले जाएँगे और आपको बैलेंस (balance) बनाने और रुकने में कम समय लगेगा।
    • छोटी घास और चिकनी रोड़ी वाली सतहें भी इस्तेमाल की जा सकती हैं क्योंकि यहाँ गिरने से कम चोट लगेगी। मगर आपको साइकल को आगे बढ़ाने के लिए यहाँ पेडल कुछ अधिक ज़ोर से मारने होंगे।
  2. सीट को इतना नीचा कर लीजिये कि जो भी साइकल चलाये, बैठे रहने पर, उसके दोनों पाँव ज़मीन पर टिक सकें। सीट नीची होने से गिरने से पहले ही आप अपने पाँवों का इस्तेमाल करके संभल सकते हैं। वयस्कों को ट्रेनिंग पहियों की ज़रूरत नहीं होती, मगर छोटे बच्चे इनका या विशेष बैलेंस साइकलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। [७]
    • पेडल रास्ते में न आयें इसके लिए उन्हें निकाला जा सकता है, मगर इसकी ज़रूरत नहीं पड़ती।
  3. देखिये कि साइकल के ब्रेक कैसे काम करते हैं। साइकल से दूर रहते हुये, उसे अपने साथ ले कर चलिये। यह देखने के लिए ब्रेक कहाँ पर हैं, कैसे लगते हैं और साइकल पर उनका असर क्या होता है, ब्रेक को दबा कर देखिये। इसको सीखने के बाद आपको थोड़ा अधिक सहज लगेगा क्योंकि ज़रूरत होने पर आप एमर्जेंसी में रुक सकेंगे।
    • अगर आपकी साइकल के ब्रेक उसके हैंडल में हों तब दोनों को बारी बारी से लगा कर देखिये कि किससे अगला, और किससे पिछला पहिया रुकता है। प्रोफ़ेशनल साइकल चालक इनको अदल बदल भी सकते हैं। [८]
    • ध्यान दीजिये कि कैसे पिछला ब्रेक दबाने से पिछला पहिया स्किड (skid) करने लगता है, और अगला ब्रेक दबाने से साइकल आगे की ओर उलटने लगती है। [९]
    • अगर आपकी साइकल में ब्रेक्स हैंडल पर नहीं होंगे तब उसमें बैक पेडल (कोस्टर) ब्रेक्स होंगे। ब्रेक लगाने के लिए, पेडल को पीछे की ओर ले जाना होगा जैसे कि आप पीछे को साइकल चला रहे हों। [१०]
    • अगर आपकी साइकल फ़िक्स्ड व्हील (fixed wheel) वाली है और उसमें बदलाव नहीं किया गया है तब उसमें ब्रेक नहीं होंगे और उसमें ब्रेक लगाने के लिए या आपको पेडल चलाने की गति धीमी करनी होगी या आगे को झुक कर दोनों पेडलों को हॉरिजॉन्टल (horizontal) रख कर अपने पैरों से स्किड करना होगा। [११]
  4. हालांकि इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा कि आप कौन सा टिकाएंगे, दायाँ या बायाँ, मगर आप जिसका भी सामान्य तौर पर इस्तेमाल करते हैं, वही बेहतर होगा। जैसे कि दाएँ हाथ से काम करने वाला व्यक्ति, साइकल के बाईं ओर खड़ा हो सकता है। अपना दायाँ पैर उठाइए, उसे साइकल के ऊपर से ले जा कर साइकल के दूसरी ओर ज़मीन पर टिकाइए। साइकल को दोनों पैरों के बीच में सीधा खड़ा रखिए।
    • साइकल के वज़न को दोनों पैरों के बीच में महसूस करिए और जब आप उस पर बैठने लगें तब बैलेंस बनाए रखिए। आदत डालते समय, चूंकि पैर ज़मीन पर होंगे इसलिए साइकल गिरेगी नहीं।
    • अपना वज़न साइकल के बीच में ऐसे रखिए कि आपके दाईं और बाईं ओर बराबर बंटा रहे और किसी एक ओर झुकने की जगह सीधे रहिए।
  5. पेडल चलाने की जगह, साइकल को अपने पैरों से ढकेलिए। अपने पैर ऊपर की ओर ले जा कर उसे पेडलों पर टिकाइए। जब साइकल चल रही हो, तब जितनी देर हो सके अपना बैलेंस बनाए रखिए। जब आपको लगे कि साइकल किसी एक ओर झुक रही है, तब एक पैर ज़मीन पर टिका कर सीधे हो जाइए, और फिर आगे बढ़िए। [१२]
  6. जब आप अवरोधों को देखते हैं तब साइकल सीधी उन्हीं की ओर जाती है। इसलिए उस तरफ देखने पर ध्यान लगाइए जहां आप अपनी साइकल को ले जाना चाहते हैं। सड़क के आस पास ध्यान बंटाने वाली चीज़ों से नज़र हटाने के लिए कुछ अभ्यास की ज़रूरत होती है।
    • जब तक साइकल पूरी तरह से आपके नियंत्रण में न आ जाये, जहां भी वह जाये वहीं चले जाइए। शुरुआत में साइकल या तो एक ही दिशा में जाती है या गोल गोल घूमती है। रुकने की जगह, उसे जाने दीजिये और साथ में उसका बैलेंस भी बनाए रखने की कोशिश करिए। [१३]
    • अगर आप किसी बच्चे या दोस्त की सीखने में मदद कर रहे हों तब आप उनके अभ्यास के समय, साइकल को पीछे से पकड़ कर, उसे सीधा रखने में, उनकी मदद कर सकते हैं।
  7. एक पैर ज़मीन पर रख कर शुरू करिए। आपका दूसरा पैर सपाट, ऊपर की ओर पॉइंट (point) करते हुये पेडल पर होना चाहिए। उसे दबाइए, दूसरा पाँव दूसरे पेडल पर रखिए, और आगे बढ़ते जाइए! जब तक आप बैलेंस बनाए रख सकें, तब तक चलते रहिए।
    • तेज़ चलाने से बैलेंस बनाना आसान हो जाता है, मगर इतना तेज़ भी मत जाइए कि आप नियंत्रण खो बैठें।
  8. पैरों से मत रोकिए। बेहतर तरीका होता है कि आप ब्रेक का इस्तेमाल करके रुकें। पेडल चलाना रोक दीजिये, अपना वज़न उस पेडल की ओर डालिए जो नीचे हो, और अगर साइकल में ब्रेक हों, तो दोनों हाथों से ब्रेक दबाइए। जब साइकल रुक जाए, तब थोड़ा उचकिए और पाँव ज़मीन पर टिकाइए। [१४]
    • अगर आप ब्रेक लगाने के बाद बहुत जल्दी से पैरों को नीचे ज़मीन पर टिका देंगे तब आपकी साइकल एकाएक रुक जाएगी। आपका मोमेंटम (momentum) समाप्त नहीं होगा और आप आगे की ओर हैंडल से टकरा जाएँगे। [१५]
विधि 3
विधि 3 का 3:

ढलान पर साइकल चलाना सीखना

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  1. साइकल को पैदल चला कर ढलान के ऊपर ले जाइए, उस पर चढ़िए, और फिर ग्लाइड करते हुये तब तक नीचे आने दीजिये, जब तक कि नीचे समतल ज़मीन पर आ कर वह अपने आप धीमी न हो जाए। उतरिए और इसी काम को तब तक दोहराते रहिए जब तक आपको बैलेंस करने और साइकल पर नियंत्रण करने की आदत न पड़ जाए। [१६]
    • अपने वज़न को अपने पैरों पर केन्द्रित रहने दीजिये, सीट पर जम कर बैठिए, कोहनियों को मुड़ा रख कर, शरीर को आराम से रहने दीजिये। [१७]
    • जब आपको विश्वास हो जाए कि आप नीचे तक सहजता से जा सकते हैं, तब अपने पैर पेडलों पर रख कर चलने की कोशिश करिए।
  2. जब पहाड़ों से नीचे को ग्लाइड कर रहे हों तब ब्रेक लगाइए: जब आपको पैर पेडलों पर रख कर चलाने की आदत हो जाए तब फिर से कोशिश करिए, और इस बार ढलान से नीचे आते समय हल्के से ब्रेक लगाइए। आप बिना नियंत्रण खोये या हैंडल से टकराए साइकल को धीमा करना सीख जाएँगे।
  3. जब आप ग्लाइड कर लेंगे, पेडल चलाना सीख लेंगे और साइकल सीधे रखते हुये उसे रोक सकेंगे, तब एक बार फिर पहाड़ से नीचे आने की कोशिश करिए। बिना नियंत्रण खोये, साइकल की दिशा बदलने के लिए हैंडल को थोड़ा सा मोड़ कर देखिये। देखिये कि किस तरह ढलान बदल जाती है और साइकल का व्यवहार भी बदल जाता है और तब आप अपने बैलेंस को उसके अनुसार एडजस्ट (adjust) करिए।
  4. पहाड़ की तलहटी में रुके बिना आपने ग्लाइड करते समय पेडल चलाने और मोड़ने की जो तकनीकें सीखी हैं उनका इस्तेमाल करते रहिए। तीखे मोड़ लेने और ब्रेक लगा कर रुकने का अभ्यास करते हुये समतल ज़मीन पर चलाना शुरू कर दीजिये।
  5. पहाड़ की तराई की समतल ज़मीन से ऊपर की ओर पेडल चला कर जाने की कोशिश करिए। चढ़ाई में मेहनत अधिक लगेगी। इसलिए अतिरिक्त शक्ति लगाने के लिए या तो आगे की ओर झुकिए या खड़े ही हो जाइए। जब तक आपको सहज न लगने लगे, तब तक साइकल को ऊपर नीचे चलाते रहिए।
    • जब आपको अपने ऊपर यकीन हो जाए तब आधी चढ़ाई तक जाइए, रुकिए, और फिर से पेडल चला कर ऊपर जाना शुरू करिए।

सलाह

  • सामने देखिये और सावधान रहिए क्योंकि अपने पैरों की ओर देखने से आपका ध्यान बंट सकता है और आपको चोट भी लग सकती है।
  • कई लोगों के साथ सीखने में अधिक मज़ा आता है। बच्चों और उन लोगों के लिए जिन्हें गिरने से डर लगता है, दूसरों को देख कर सीखना प्रेरणादायक हो सकता है।
  • सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों की मंशा की कल्पना मत कर लीजिये; सदैव यह ध्यान रखिए कि आपको दूसरे साइकल सवारों और कारों से सावधान रहना होगा।
  • जब आप साइकल चलाने में महारत हासिल कर लें तब आप अपनी सीट इतनी ऊँची कर सकते हैं कि आपके बस पंजे ज़मीन को छू सकें।
  • हमेशा किसी को निगरानी के लिए रखिए, चाहे वह कोई बड़ा हो या कोई अभिभावक। आपकी उम्र चाहे जो भी हो, वे आपकी सीखने में मदद कर सकते हैं।
  • जब आप समतल ज़मीन पर साइकल चला रहे हों तब तेज़ चलाइये और जब आप ढलान पर हों तब पेडल मत ही चलाइये।
  • अगर आपको हेलमेट या पैडिंग नहीं मिल पाये हों तो सड़क से हट कर घास पर ही साइकल चलाइए।
  • साइकल चलाते समय अपना ध्यान सामने की ओर ही रखिए। अगर आप अपना ध्यान दूसरी ओर ले जाएंगे, तब आपकी साइकल उस ओर ही जाने लगेगी।
  • शुरुआत करने वालों को गियर वाली साइकलों में कठिनाई होती है। अगर आप ऐसी साइकल का इस्तेमाल कर रहे हों, तब जैसे जैसे चढ़ाई तीखी होती जाये गियर संख्या बढ़ाते जाइए।
  • हेलमेट और पैडिंग सहित सभी सुरक्षा साधनों का हमेशा इस्तेमाल करिए।
  • विश्वास रखिए कि आपसे हो सकता है, और गिरने के बाद, हर बार उठ कर खड़े हो जाइए।

चेतावनी

  • स्थानीय कानूनों की जानकारी रखिए। कुछ जगहों पर हेलमेट पहनना अनिवार्य होता है और कुछ दूसरी जगहों पर फ़ुटपाथों पर साइकल चलाना मना होता है।
  • जब आप साइकल चलाना सीख लें, तब सड़क सुरक्षा की जानकारी प्राप्त कर लीजिये, जैसे कि तेज़ चलाने के ख़तरे, कारों से निबटना, और सड़क चिन्हों की पहचान आदि।
  • साइकल दुर्घटनाएँ होती ही रहती हैं और वे ख़तरनाक भी होती हैं। सिर की चोटों से बचने के लिए हमेशा हेलमेट पहनिए तथा खरोंचों और हड्डी टूटने से बचने के लिए पैडिंग पहनिए।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • साइकल
  • टायरों में हवा भरने के लिए साइकल का पंप
  • हेलमेट
  • घुटनों के लिए पैड (वैकल्पिक)
  • कोहनियों के लिए पैड (वैकल्पिक)
  • समतल ज़मीन

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