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जब हम दूसरों की नजरों में खुद को "नॉर्मल" दिख रहा हुआ नहीं महसूस करते या फिर "लोगों की नजरों को अपने ऊपर टिके हुए" सा पाते हैं, उस वक़्त हमारे अंदर एक तरह की सामाजिक अस्वाभाविकता या सोशली ऑक्वर्डनेस (Socially Awkwardness) जन्म लेती है। अपने मन में खुद ही उठने वाले डर और दूसरे लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं, की चिंता और सामाजिक उम्मीदों की वजह से, सोशल ऑक्वर्डनेस हमें इस डर की वजह से दूसरों के साथ में खुलकर मिलने से रोक लेती है, कि हम कुछ अजीब कर देंगे या फिर हम उनके सामने हमारा मज़ाक बन जाएगा। एक बार जब आपको समझ आ जाए, कि हर किसी के मन में सोशली ऑक्वर्ड होने का डर होता है और ऐसी किसी ऑक्वर्ड परिस्थिति का पूरे ग्रेस और कॉन्फ़िडेंस के साथ सामना करने के कई सारे तरीके मौजूद हैं, तो आप सोशल इंटरेक्शन के बारे में सोचते रहने के बजाय, इसे और भी मजबूत करने की ओर अपने कदम बढ़ा सकेंगे।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने माइंडसेट को एडजस्ट करना

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  1. हो सकता है, आप ऐसा सोचते हों, कि दुनिया में मौजूद हर एक इंसान अच्छी तरह से सोशल इंटरेक्शन कर लेता है, लेकिन असल में ज़्यादातर लोग पब्लिक में सोशली ऑक्वर्ड होने के बारे में चिंता किया करते हैं। उनके मन में इस बात का डर रहता है, कि क्या पता लोग उन्हें पसंद करेंगे या नहीं, क्या वो एक अच्छा इंप्रेशन बना रहे हैं या फिर लोग कहीं उन से बोर तो नहीं हो रहे।
    • आप सोच सकते हैं, कि आपके आस-पास के कुछ लोग स्वाभाविक रूप से कॉन्फ़िडेंस दिखाते हैं, और उनके मन में वो कैसे नजर आने वाले हैं, को लेकर कभी कोई चिंता नहीं रहती, लेकिन असल में हर एक इंसान सोशल इंटरेक्शन के किसी न किसी पहलू को लेकर परेशान रहता है। हम सभी के अंदर लोगों के द्वारा पसंद किए जाने की और फ्रेंड्स बनाने की चाहत होती है।
  2. अपने आप से पूछें, कि आपकी ये अजीबो-गरीब भावनाएँ कहाँ से आती हैं: ऐसे काफी सारे लोग, जो सोशल ऑक्वर्डनेस फील करते हैं, उनकी ये भावनाएँ किसी चिंता, डर, इनसिक्योरिटी या फिर लो सेल्फ-कॉन्फ़िडेंस की वजह से जन्म लेती हैं। अगर आप कुछ वक़्त लेकर अपनी दायरे को जरा सा और बढ़ा लेने की इच्छा रखते हैं और अपने कॉन्फ़िडेंस को तैयार करने के लिए तरीकों को तलाश कर लेते हैं, तो इनमें से हर एक सोर्स को हैंडल किया जा सकता है। हर एक मामले में, आपको इस तरह से ऑक्वर्डनेस फील कराने के पीछे के हर एक कारण को पहचानने की कोशिश करें, ताकि फिर आप सीधे इसके ही ऊपर काम कर सकें। आप जितनी जल्दी असली वजह की पहचान करेंगे, आप उतना ही जल्दी उसे हैंडल करना शुरू कर देंगे।
    • आत्म-चेतना (self-conscious) महसूस करने के पीछे कई और दूसरे कारण भी होते हैं, जैसे कि एक पिछला बुरा एक्सपीरियन्स, फील होना कि आपको समझा नहीं जा रहा है, किसी परिस्थिति में बात करने का प्रैशर (जैसे कि काम, साथी या फिर पैरेंटल प्रैशर बगैरह) या फिर आपके आसपास मौजूद लोगों के एक्शन या मोटिवेशन के बीच में कनफ्यूज होना।
  3. झिझकना आपके सोशल इंटरेक्शन को सच में प्रभावित कर सकता है। ये झिझक सारे लोगों के सामने शर्म आना से लेकर किसी खास ग्रुप के सामने शर्माने तक बदल सकती है। आप शायद शर्मिंदगी के डर से बातचीत करने के लिए अनिच्छुक हो सकते हैं। [१] आप सोशल इंटरेक्शन के दौरान और ज्यादा रिलैक्स फील करके और जरा ज्यादा उबरकर सामने आने की कोशिश करके इसके ऊपर काम कर सकते हैं।
    • अगर आप शर्माते हैं, तो फिर आप शायद सोशल ईवेंट्स में पार्टिसिपेट करना तो चाहें, लेकिन शर्मिंदा होने से या फिर छोड़ दिए जाने के डर को महसूस करते हों।
    • और ज्यादा इन्फोर्मेशन पाने और ये महसूस करने के लिए कि शर्मिंदगी एक ऐसी चीज़ है, जिस पर काबू पाया जा सकता है, शर्म पर काबू पाएँ देखें।
  4. दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, इसके बारे में चिंता करना बंद करें: भले ही इसे कहना, इसे करने से ज्यादा आसान लगे, लेकिन दूसरे लोग आपके बारे में किस तरह से सोचते हैं, इसके बारे में सोचना बंद करना, सोशल ऑक्वर्डनेस को अवॉइड करने का बेस्ट तरीका होता है। ज़्यादातर लोग बस इसी चिंता में डूबे रहते हैं, कि दूसरे लोग उनके बारे में न जाने क्या सोचते हैं, जो अपने आप को याद दिलाने के लायक है, जब आप इस बारे में चिंता करना शुरू करते हैं, कि दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं। [२] अगर आप हर वक़्त बस इसी बात की चिंता करते रहेंगे, कि आप जिससे बात कर रहे हैं, वो आपके बारे में क्या सोच रहा है, फिर आप कभी भी सोशल इंटरेक्शन को एंजॉय करने के लिए रिलैक्स नहीं कर पाएंगे। एक बार आप अपने मन से इस चिंता को दूर कर देंगे, फिर आप अपने आप को लेकर और शांति से और नेचुरली बात करने को लेकर आसान फील करने लगेंगे।
    • जो विचार आपके लिए मायने रखते हैं, उनके बारे में अपने आप को याद दिलाते रहें। हो सकता है, कि कोई एक इंसान आपको पसंद नहीं करता हो, लेकिन क्या आप इस इंसान को वापस मिलने वाले हैं? ठीक वैसे ही, जैसे आपके कितने भी यहाँ-वहाँ जाने के बाद भी आपके असली फ्रेंड्स हमेशा आपके ही साथ बने रहते हैं।
  5. सोशल एंजाइटी एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें इंसान अपनी डेली लाइफ में फंक्शन ही नहीं कर पाता, जिसमें स्कूल, वर्क या सोशल ईवेंट्स शामिल हैं। सोशल एंजाइटी से गुजर रहा इंसान अक्सर अपनी फ़ैमिली और भरोसेमंद फ्रेंड्स के करीब रहना पसंद करता है और सारे पब्लिक रिलेशनशिप्स को अवॉइड करता है। सोशल एंजाइटी अक्सर इस बात के डर से हुआ करती है, कि सामने वाला इंसान आपको परेशान करने या नीचा दिखाने के लिए आपकी लाइफ में बहुत ताक-झांक करता है। [३]
  6. जब भी आप अजीब महसूस करें, तब सचेत हो जाएँ। जब आप अजीब और चिंतित महसूस कर रहे हों, तब अपनी शारीरिक संवेदनाओं के बारे में अधिक जागरूक होकर, आप सचेत रूप से ये पहचान सकते हैं, कि आपका एड्रेनालाईन बढ़ रहा है और आपको उससे छिपने या भागने के लिए प्रेरित कर रहा है।
    • जान लें, अगर आप बेवजह ही गरम, पसीने भरा, उछलता हुआ, बेचैन या फिर अपने शरीर के बारे में कुछ ज्यादा ही जागरूक महसूस कर रहे हों। अपने विचारों के ऊपर नजर रखें और देखें ये किस तरह से आपके सोशल परफ़ोर्मेंस के लिए ज्यादा क्रिटिकल हैं। साथ ही, अपने इमोशन्स के ऊपर भी नजर रखें, फिर चाहे आप हेल्प]लेस या अप्रभावी क्यों न महसूस कर रहे हों। इन फीलिंग्स के अनुरूप बनें ताकि आप उन्हें पहचानना सीख सकें।
विधि 2
विधि 2 का 3:

रिलैक्स होने की टेक्निक्स यूज करना

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  1. सेल्फ टॉक आपके फोकस को दूसरे लोगों के मन में आपके बारे में क्या चल रहा है, से दूर ले जाने में मदद करेगा और साथ ही आपको खुद को शांत करेगा, ताकि आप अपने साथ में सहजता के भाव रख सकें। [४] सोशल एंजाइटी के पलों से उबरने में मददगार कुछ तरीकों में, ये शामिल हैं:
    • "मैं एकदम ठीक होने वाला हूँ। मेरी फीलिंग्स हमेशा सही या तर्कसंगत नहीं हो सकती, इसलिए मैं रिलैक्स कर सकता हूँ और खुद को शांत कर सकता हूँ।"
    • "मैं अपने शरीर में बुरी फीलिंग्स की ओर बहुत ज्यादा अटेन्शन दे रहा हूँ।"
    • "लोग अच्छे हैं और मुझे उनके साथ रहकर मजा ही आने वाला है।"
    • "मैं यहाँ पर खुद को एंजॉय करने के लिए हूँ।"
  2. रिलैक्स होना सीखना, घर से ही शुरू होना चाहिए, जहां आप सबसे ज्यादा कम्फ़र्टेबल रहते हैं। किसी भी परिस्थिति में जाने से पहले रिलैक्स करना, आपको और ज्यादा खुलने, लोगों के साथ में ऑनेस्ट होने और सोशल सेटिंग्स में अपने मन को शांत रखने में मदद करते हैं। अगर आप टेन्स फील नहीं कर रहे होंगे, तो फिर आप सोशल परिस्थिति में डरे बिना, उन्हें और भी अच्छी तरह से अपनाना शुरू कर देंगे। साथ ही, रिलैक्सेशन आपको महसूस हो रही चिंता को शांत करने में मदद करेगी। [५]
    • एंजाइटी के पलों से उबरने के लिए गहरी साँसें लेने की प्रैक्टिस करें।
    • और ज्यादा जानकारी पाने के लिए, अवेयरनेस मेडिटेशन करना और मेडिटेट करना देखें।
  3. कभी-कभी अनचाही और शर्मनाक चीज़ें हो जाती हैं। हल्का मन कर लें और ऐसे ऑक्वर्ड पलों के मजेदार साइड की ओर देखना शुरू कर लें। ऐसा करने से न सिर्फ ऐसी बातों को बेहतर नजरिए से देखने में मदद करेगा, बल्कि ह्यूमर अक्सर टेंशन को कम करता है, जो लोगों को आपके साथ , न कि आपके ऊपर हँसने भी देगा। अपने आप को ऐसे ऑक्वर्ड पलों से बचाने के लिए एक और चीज़ आप कर सकते हैं और वो है, अपने आप को बहुत ज्यादा भी सीरियसली नहीं लेना। ये प्रैशर को दूर कर देगा और आपको रिलैक्स होने में मदद भी करेगा।
    • अक्सर ऑक्वर्ड परिस्थिति के ऊपर हमारा कंट्रोल नहीं रहता है, जैसे कि बातचीत के बीच में एक लंबी खामोशी, हमारी उम्मीद के विपरीत अनचाही हवा का गुजरना और किसी की ओर जाते वक़्त किसी चीज़ में पैर का फँस जाना। ऐसे वक़्त पर खुद पर हँस लेना ही चुनें।
  4. भले ही ऐसे सोशली ऑक्वर्ड पल हमें उस वक़्त पर हो रही सारी गलत चीजों के ऊपर फोकस करने के लिए मजबूर कर देते हैं, लेकिन तब भी धीरे से खुद के फोकस को पॉज़िटिव बातों के ऊपर करने की कोशिश करें। इस वक़्त आपके आसपास क्या चल रहा है? किसी पॉज़िटिव चीज़ की तरफ फोकस करना, आपको इस बात का अहसास दिलाने में मदद करेगा, कि आपके साथ में जो हुआ, वो असली दुनिया में होने वाली चीजों के मुक़ाबले कितना छोटा है। [६]
    • किसी बुरी स्थिति के साथ में जुड़ी हुई प्रासंगिकता को बढ़ाने को लेकर सावधान रहें और इसे अपने सोशल इंटरेक्शन के जनरल इंप्रेशन के ऊपर भी अप्लाई करें; आपके द्वारा एंजॉय किए हुए इंटरेक्शन, जिसमें आपने अपनी ओर से ठीक प्रदर्शन किया हो, के ऊपर ध्यान लगाने की कोशिश करें।
  5. फिर चाहे आप कॉन्फिडेंट न भी फील कर रहे हों, तो भी जब तक इसे महसूस करना शुरू न कर लें, तब तक आप इसका दिखावा जरूर कर सकते हैं या फिर खुद को जितना हो सके, उतना फ्रेंडली बनने का याद दिला सकते हैं। डर, चिंता, तनाव और छिपने या भाग जाने की चाहत के पलों में कॉन्फ़िडेंस को तलाश पाना, सच में काफी मुश्किल हो सकता है। [७]
    • खुद से पूछना, कि "इससे भी बुरा और क्या हो सकता है?" और अपने आप को, अपने आसपास मौजूद लोगों के साथ में इंगेज रखने के लिए कम से कम कोई एक चीज़ करने की कोशिश करना, एक अच्छी शुरुआत हो सकती है। उम्मीद है, कि कोई भी बुरी चीज़ नहीं हो पाएगी!
    • अपने पर्सनल कॉन्फ़िडेंस को बढ़ाने के लिए जरूरी सलाह पाने के लिए, अपने सेल्फ कॉन्फ़िडेंस को बढ़ाएँ पढ़ें।
  6. सोशली ऑक्वर्ड होना कोई हमेशा के लिए नही होता, ये तो एक टेम्पररी फेज है। आप किसी खास मामले से उबर ही जाएंगे और आप इसकी जगह पर न जाने कितने ही सारे पॉज़िटिव एक्सपीरियंस को फील करने वाले हैं। हर कोई गलतियाँ करता है और हर किसी की लाइफ में ऐसा कोई अपमानजनक अनुभव भी होता है, जिसे वो याद कर सकें। यह सेल्फ-काइंडनेस का प्रतीक है, जिसे आप ऐसी ही परिस्थितियों में एक मुस्कुराहट के साथ वापस देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं, कि यह ये भी आपको नहीं तोड़ पाया, बल्कि ये अब एक एंटरटेनिंग डाइनिंग टेबल बन चुका है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपनी सोशल स्किल्स को इंप्रूव करना

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  1. एक अच्छे लिसनर बनना सीखें : यदि आप मजाकिया अंदाज में बातचीत करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो यहाँ दूसरों के साथ में जुडने के और भी कई तरीके मौजूद हैं: एक अच्छे लिसनर बन जाएँ। इससे सोशल इंटरेक्शन के प्रैशर से कुछ और राहत भी मिल जाएगी, ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें आपको अपनी तरफ से स्मार्ट या इंटरेस्टिंग साउंड करने की चिंता भी नहीं होगी; आपको सिर्फ सावधानी से सुनना पड़ेगा और सवाल करने होंगे। याद रखें, लोगों को उनके बारे में बातें करना बहुत अच्छा लगता है, खासकर कि तब, जब दूसरा इंसान उनकी बातों में सच में इंटरेस्ट लेता हुआ नजर आए। [८]
    • जब एक्टिव रूप से सुन रहे हों, तब उनकी बातों पर प्रतिक्रियाएँ देते हुए और उसे वापस रिपीट करके, सामने वाले इंसान को दिखाएँ, कि आप उनकी बातों में पूरा ध्यान लगा रहे हैं। आप चाहें तो ऐसा कुछ भी बोल सकते हैं: "मतलब, कि आपके कहने का मतलब यही है..."
    • फॉलो-अप क्वेश्चन्स पूछें। आपको यहाँ पर अजीब या बहुत ज्यादा पर्सनल भी नहीं जाना है, लेकिन उस इंसान से सवाल या उनकी राय पूछना जारी रखें।
    • अपना सिर हिलाकर, अच्छा आइ कांटैक्ट बनाकर, मुँह से आवाज निकालकर या फिर आपके द्वारा सुने जाने की पुष्टि करने वाले साउंड (जैसे "हाँ" या "अच्छा") करते हुए उन्हें दिखाएँ, कि आप उन्हें सुन रहे हैं।
  2. एकदम दबे हुए से मत दिखें, बल्कि इसकी जगह पर, आप कितने वेलकमिंग और ओपन हैं, लोगों को इन्वाइट करें। बॉडी इसे बहुत आसानी से कम्यूनिकेट करती है। अपनी आर्म्स या लेग्स को क्रॉस करके, आप ऐसा दिखा देते हैं, जैसे सोशल इंटरेक्शन में आपकी कोई दिलचस्पी ही नहीं। अगर आप आइ कांटैक्ट करना अवॉइड करते हैं, तो इससे भी आपकी दिलचस्पी नहीं होने का इशारा मिलता है। अपने शरीर को क्रॉस करने, झुकाने या फिर अपने सिर को नीचे रखने के प्रति बहुत सावधान रहें और इसकी जगह पर आइ कांटैक्ट रखने में बिजी रहें और ओपन बॉडी पोस्चर मेंटेन करें। [९]
  3. कम बातें करना, लोगों को खुलने का मौका देने में मदद करता है और साथ ही आपको मिले लोगों के साथ में शॉर्ट कन्वर्जेशन भी करने का मौका देता है। [१०]
    • लोगों से पूछें कि वो कैसे हैं या उनका काम कैसा चल रहा है।
    • एक-दूसरे के बीच कॉमन ग्राउंड तलाश करें। वो इंसान आपकी ही तरह किसी स्पोर्ट में दिलचस्पी रखता है, आपके ही जैसे टीवी शो देखता है या फिर उसके पास में भी आपके ही जैसा कोई पैट है, ये जानने के कुछ अस्पष्ट तरीके तलाशें।
    • आपकी मदद के लिए, अपने एनवायरनमेंट का यूज करें। अगर आप उस इंसान से कॉफी शॉप में मिलते हैं, तो उससे पूछें, कि उसने वहाँ के बेक्ड आइटम्स को ट्राइ करके देखा है। अगर आप कहीं बाहर हैं और दिन बहुत खूबसूरत है, तो उस इंसान से पूछें अगर वो मौसम के मजे लेने के लिए बाहर जाकर कुछ करने वाला है।
  4. फ्रेंडली बनें : ऐसा मानना, कि कोई आपके साथ में कनेक्ट होना चाहता है, ये आपको दूसरे लोगों के सामने और भी ज्यादा ओपन और फ्रेंडली बनाए रखने में मदद करता है। वैसे तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, कि आप चाहे कितने भी फ्रेंडली हो जाएँ, कुछ लोग ऐसे रिस्पोंड करेंगे, जैसे उनके मुँह में कड़वाहट के अलावा और कुछ आता ही नहीं, इसका मतलब ये नहीं, कि इसके लिए आप खुद को दोषी ठहराने लगें। आखिरकार, आप किसी और के बर्ताव के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। उनका शायद कोई मुश्किल कल रहा होगा या फिर उनका दिन ही खराब गुजरा होगा। किसी भी तरह से, इसका आपके और आपके एक इंसान के तौर पर कैसे हैं, के साथ में कोई लेना-देना नहीं होता। फ्रेंडली बनकर, आप लोगों को कम्फ़र्टेबल रखेंगे, उन से घुलने-मिलने के तरीके खोज लेंगे और दूसरे लोगों को आपके सामने और ज्यादा खुलने और घुलने-मिलने की आजादी दे सकेंगे।
  5. गलत वक़्त पर कोई जोक सुनाना, आपकी "सोशल छवि" को बर्बाद कर सकता है और आपको ऑक्वर्ड दिखा सकता है। फिर भी, सही वक़्त पर, एकदम सही टोन के साथ में कोई जोक सुनाना, किसी बहुत ही संगीन पल को भी खुशनुमा पल में बदलने में मदद कर सकता है।
    • स्थिति के लिए एक अनुभव हासिल कर लें। अगर माहौल जरा गर्माया हुआ सा है, तो एक परफेक्ट जोक मूड को हल्का बना सकता है। लेकिन अगर वहाँ मौजूद लोग असल में उनके ग्रेंडपैरेंट्स की मौत के जैसे किसी मुद्दे पर सीरियस डिस्कशन कर रहे हैं, तो फिर आपको तब तक अपने ह्यूमर पर काबू करना होगा, जब तक कि कन्वर्जेशन की टोन हल्का सा बदल न जाए।
  6. बात जब तारीफ करने की हो, तो यहाँ पर उन्हें एकदम सच्चा रखना और साथ ही उन्हें एकदम सही वक़्त पर देना, बेहद जरूरी होता है। अगर आप सच्चे नहीं हैं, तो तारीफ मत करें। अगर आपने अभी तारीफ देने की शुरुआत ही की है, तो फिर टाइमिंग के लिए और तारीफ़ों के लिए दूसरे लोगों पर ध्यान दें और फिर उन्हीं की तरह तारीफ दें। आप किसी इंसान की ज्वेलरी, स्वेटर या नए हेयरकट की तारीफ कर सकते हैं और जब आप उस इंसान को और भी बेहतर तरीके से जानने लग जाएँ, तब उसे कुछ और भी अच्छे कोम्प्लीमेंट्स देना शुरू कर सकते हैं।
    • किसी इंसान को उसकी पर्सनालिटी के लिए कोम्प्लीमेंट देना, जैसे कि अपने फ्रेंड से कि उसका सेंस ऑफ ह्यूमर काफी अच्छा है या फिर वो नए लोगों से कितनी अच्छी तरह से बात कर सकता है, ये उसे उसके फिजिकल अपीयरेंस के ऊपर किए हुए कोम्प्लीमेंट के मुक़ाबले कहीं ज्यादा स्पेशल फील कराएगा।
    • अगर आप कोई फिजिकल कोम्प्लीमेंट कर रहे हैं, तो बस उसके किसी गलत तरीके से सामने न आने की पुष्टि कर लें। अगर आप किसी के अपीयरेंस के लिए कोम्प्लीमेंट दे रहे हैं, तो फिर उनके चेहरे या बाल के ऊपर कोम्प्लीमेंट करने तक ही सीमित रहें और उनके शरीर के ऊपर कोई भी कोम्प्लीमेंट देने से बचें, नहीं तो आपके द्वारा की हुई तारीफ शायद, सामने वाले को आपके इरादे के एकदम विपरीत भी महसूस हो सकती हैं।
  7. हालांकि हर एक सामाजिक परिस्थिति अलग होती है, लेकिन फिर भी ऐसी कुछ चीज़ें हैं, जिन्हें आपको सामाजिक निपुणता हासिल करते वक़्त अवॉइड करने के बारे में सोचना चाहिए। ऐसे कुछ कमेंट्स या एक्शन होते हैं, जो भी ठीक सामाजिक अस्वाभाविकता के रूप में उभरकर सामने आते हैं और अगर आप लोगों के सामने कम्फ़र्टेबल फील करना चाहते हैं, तो इन्हें अवॉइड करना जरूरी हो जाता है। यहाँ पर ध्यान देने लायक कुछ चीज़ें दी हुई हैं:
    • ऐसा कहने से बचें, कि आप सोशली ऑक्वर्ड हैं। आप इसके परिणाम का अंदाजा लगा सकते हैं।
    • अगर आप उन्हें बहुत अच्छी तरह से नहीं जानते हैं, तो लोगों से वो किसी को डेट कर रहे हैं या फिर उन्होने वजन बढ़ाया है, के जैसे बहुत ज्यादा पर्सनल क्वेश्चन्स पूछने से बचें।
    • हालांकि आपको लोगों से मीलों की दूरी पर भी नहीं खड़े होना है, लेकिन फिर भी उन्हें कुछ स्पेस दें।
  8. अगर आप उन ग्रुप्स के लिए सामाजिक मानदंडों को नहीं जानते हैं, जिनके साथ में वक़्त बिताया करते हैं, तो उन्हें जानने के लिए जरा ज्यादा मेहनत कर लें। सामाजिक मानदंडों के बारे में जानकारी नहीं होना भी आपको सोशली ऑक्वर्ड बना सकता है। ये उस वक़्त और भी ज्यादा जरूरी होता है, जब आप अपने देश के किसी दूसरे हिस्से में घूमने जा रहे हों या फिर किसी और दूसरे देश जा रहे हों। अच्छे मैनर्स का यूज करें और “प्लीज” और “थैंक यू” कहना मत भूलें। [११]
  9. घर पर, अपने कंप्यूटर के पीछे, एक क्यूबिक बैरियर के पीछे रहना या फिर लंच डेट्स से दूर भागना, आपको सोशली ऑक्वर्ड पलों से बचने में कोई मदद नहीं करेगा। अगर आप लोगों से मिलने के डर के चलते, अपना ज़्यादातर वक़्त सिर्फ घर पर ही या फिर कंप्यूटर के सामने बिताते हैं, तो फिर आप अपनी सोशल स्किल्स के ऊपर कभी भी काम नहीं कर सकेंगे।
    • इस बात को समझ जाएँ, कि आपको मिलने वाले कुछ लोग घमंडी भी हो सकते हैं। वे आदर्श नहीं हैं, न ही वे अपने आप को घर में छिपाने के लिए, एक कारण का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे लोगों के लिए, अपने आप को एक गरिमा के साथ उन से दूर ले जाने के तरीके सीख लें, जैसे कि उनके सामने मुड़कर जाने से पहले बस सिर हिला दें और "आप से मिलकर अच्छा लगा" कहना भी काफी है।
    • बातचीत शुरू करना सीखने के साथ ही उसे खत्म करने के तरीके को भी सीखें। ज़्यादातर लोगों के लिए, ऐसी बातचीत को खत्म करना, जो कहीं नहीं जाती नजर आ रही है या फिर जो हद से ज्यादा बोरिंग हो चुकी है, रूड या अजीब से नजर आने के डर से ऑक्वर्डनेस की भावना पैदा कर सकती है।

सलाह

  • काफी सारे लोगों में सोशली ऑक्वर्ड होने की फीलिंग जन्म ले लेती है। ऑक्वर्डनेस एक ऐसा गुण है, जो ज़्यादातर टीनेज के साथ और एडल्ट के शुरुआती दौर में जन्म लेती है और जब लोगों की उम्र बढ़ती है, वो अपनी लाइफ के इन इशू से निपटने के लिए कई सारे तरीके तलाश कर लेते हैं।

चेतावनी

  • चिंता मत करें और आमतौर पर, बहुत ज्यादा एनालाइज मत करें। आप अपने सोशल इंटरेक्शन के मकसद को जितना ज्यादा सिंपल बनाएँगे, आपके लिए उतना ही बेहतर रहेगा।
  • दूसरे लोगों को इंप्रेस करने के चक्कर में जबर्दस्ती बढ़-चढ़कर बातें मत करें। अगर आप खुद को अपने बारे में या फिर अपनी किसी चीज़ के बारे में बढ़-चढ़कर बोलता हुए पाते हैं, तो खुद को वहीं पर रोक दें और फिर सामने वाले से या तो माफी मांग लें या फिर किसी और मुद्दे पर बात करना शुरू कर दें।

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