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पीठ में जकड़न और पीठ में दर्द होना एक इतनी कॉमन बात है कि हम उसकी तरह ज्यादा ध्यान ही नहीं देते हैं। ये आमतौर पर बस थोड़े आराम से या फिर ज्यादा से ज्यादा पेनकिलर लेकर ठीक हो जाता है। हालांकि, इन कंडीशन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये आपके मेरुदंड (vertebrae) में मौजूद डिस्क से लगातार होने वाले पानी के लॉस का एक पहला संकेत हो सकता है, जिसका अगर ख्याल न रखा गया, तो ये डिस्क के क्षय तक के रूप में सामने आ सकता है। एडल्ट की स्पाइन डिस्क में फ्लुइड की कमी की वजह से हर दिन तकरीबन 20 mm (करीब 3/4 इंच) डिस्क हाइट तक खोया करती है। सोने से इनके थोड़े फ्लुइड को वापस पाया जा सकता है, लेकिन पूरा नहीं। इसी वजह से 30 की उम्र के बाद से डिस्क हाइट धीरे-धीरे घटना शुरू हो कति है, जिसकी वजह से 60 की उम्र तक पहुँचने पर कुछ लोग इसकी 2 इंच तक मात्रा को खो चुके होते हैं। [१] अपनी स्पाइनल डिस्क को दोबारा हाइड्रेट करने से आपकी हड्डियाँ लंबे समय तक हेल्दी और पीठ मजबूत बनी रह सकती है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

पीठ और हड्डियों की हैल्थ को बेहतर करना (Improving Back and Bone Health)

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  1. स्पाइनल डिस्क भी शरीर का भाग होती हैं। अगर शरीर डिहाइड्रेट रहेगा, तो डिस्क भी डिहाइड्रेट रहेंगी। डिस्क के फाइब्रोकार्टिलेज के लिए पानी बेहद जरूरी होता है। डिहाइड्रेशन से इसके लिए नॉर्मल शेप को वापस हासिल करना और अपना काम करना मुश्किल और बेहद कठिन बन जाएगा।
    • हर दिन करीब 3 लीटर तक पानी पिएं। आपके पीठ के एरिया में ब्लड सर्कुलेशन उस पानी तक पहुंचने के लिए अच्छा होना चाहिए।
  2. हमारे शरीर का नॉर्मल pH 7.4 रहता है, जो हल्का सा एल्केलाइन (pH 7 न्यूट्रल होता है) रहता है। ये इम्मेच्योर बोन्स और कार्टिलेज में कैल्शियम को डिपॉजिट करने में मदद करता है। अगर शरीर का pH एसिडिक हो जाता है, तो कई सारे एल्केलाइन सब्सटेन्स, जिनमें कैल्शियम भी शामिल है, एक्सट्रा एसिड को न्यूट्रलाइज करने लग जाता है। इसलिए बोन्स और कार्टिलेज से कैल्शियम कम होना शुरू कर देता है, जिसकी वजह से वो सूखना शुरू हो जाती हैं।
    • कॉफी, सिगरेट, अल्कोहल, रिफाइंड शुगर, जंक फूड्स, फास्ट फूड्स, ज्यादा पके फूड्स, रिफाइंड ब्रेड, मीट बगैरह हमारे शरीर को एसिडिक बनाते हैं। इन्हें अवॉइड करने की कोशिश करें।
    • कच्चे फूड्स, खासतौर से सब्जियाँ, खून और शरीर के टिशू की एल्केलिनिटी को मेंटेन करने में अच्छी होती हैं।
    • बहुत ज्यादा दूध का सेवन करने से भी खून का pH एसिडिक हो जाता है, हालांकि ये कैल्शियम का एक अच्छा सोर्स होता है।
  3. कैल्शियम हड्डियों के निर्माण का आधार होता है। ये कार्टिलेज की भी अच्छी हैल्थ के लिए जरूरी होता है। कैल्शियम मेरुदंड डिस्क को मजबूती देता है, साथ ही फाइब्रोकार्टिलेज को भी मजबूत करता है। ये बुजुर्गों के लिए और मीनोपॉज के बाद में ऐसी महिलाओं के लिए खासतौर से जरूरी होता है, जो कैल्शियम की कमी और फ्रेक्चर के रिस्क में ज्यादा रहती हैं।
    • नट-मिल्क, नट-बटर (पीनट बटर नहीं), नट्स, सीड्स, हरी सब्जियाँ, जैसे कि ब्रोकली, ग्रीन पत्तियाँ और स्प्राउट, ये सभी कैल्शियम रिच फूड्स के उदाहरण हैं।
    • अगर आप आपके डाइटरी सोर्स को लेकर डाउट में हैं या फिर आपको कैल्शियम की कमी है, तो आप कैल्शियम सप्लिमेंट्स भी ले सकते हैं। लक्षणों के पूरी तरह से गायब होने तक टैब कैल्शियम 500 mg (Tab Calcium 500 mg) या टैब कैल्शियम+ विटामिन D प्रिपरेशन (Tab Calcium+ Vitamin D preparation) को डेली एक बार लें।
  4. एक्सरसाइज करना हड्डियों और जोइंट्स की फंक्शनिंग के लिए बहुत अच्छा रहता है। किसी भी तरह की एक्सरसाइज, जैसे कि योगा एरोबिक्स या सिम्पल वॉक करना भी मदद कर सकता है। यहाँ पर इसके फायदे इस प्रकार हैं: [२]
    • पीठ की मसल को मजबूती देने से, वजन उठाने की संभावित क्षमता बेहतर हो जाती है।
    • स्पाइनल फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ जाती है।
    • पेट की मसल्स और पैरों और आर्म्स की मसल्स को मजबूती देकर, वजन एक-समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट होता है और ये पीठ के तनाव को कम करता है।
    • उम्र से संबन्धित बोन लॉस भी संभावित रूप से कम हो जाते हैं, जिससे स्पाइन स्ट्रॉंग हो जाती है और ये स्ट्रेस को सहन करने लायक बन जाती है। [३]
  5. वजन घटाएँ : आपने शायद मोटे लोगों को अक्सर उनकी पीठ में दर्द, डिस्क प्रोलैप्स और बाकी की दूसरी स्पाइनल परेशानियों की शिकायत करते हुए पाया होगा। जब आप सीधे रहते हैं, तब आपका वजन को आपकी स्पाइन के द्वारा सपोर्ट मिलता है, इसलिए जब इंसान मोटा होता है, तब स्पाइन को ये एक्सट्रा स्ट्रेस सहन करना पड़ता है। इसकी वजह से माइनर इंजरी और डीजनरेशन होता है। अपने वजन को अपनी हाइट के अनुसार आइडियल लिमिट पर रखने की कोशिश करें। [४]
    • आपके डॉक्टर आपके लिए सही वजन के बारे में जानकारी देने में और वजन कम करने और सेफ़्टी के साथ एक्सरसाइज करने के लिए एक प्लान बनाकर दे सकेंगे। यहाँ तक कि बस कुछ किलो वजन से भी काफी अंतर देखने को मिल सकता है!
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपनी पीठ का ख्याल रखना (Taking Care of Your Back)

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  1. अपने पीठ के एरिया में रक्त के प्रवाह को बेहतर करें: डिस्क तक न्यूट्रीएंट्स और पानी पहुंचाने के लिए अच्छा सर्कुलेशन जरूरी होता है, जो उन्हें हाइड्रेट रखता है। अगर आप आपके पूरे दिन आराम करते या बैठे रहते हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन भी धीमा हो जाता है। एक्टिविटी और मसाज ऐसा करने के सबसे अच्छे तरीके होते हैं।
    • सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए ओर्डिनरी एक्टिविटी में शामिल हो जाएँ। अगर आप लंबे समय तक बैठे रहते हैं, तो बीच-बीच में रेगुलरली उठते जाएँ और एक हल्की वॉक कर आएँ।
    • पीठ की मसाज करने से भी काफी हद तक ब्लड सप्लाई बेहतर हो जाती है। इस काम के लिए आपको किसी दूसरे इंसान की मदद की जरूरत पड़ेगी। डेली एक या दो बार 10 मिनट की मसाज से भी फायदा मिलेगा।
  2. ग्लूकोसामाइन (Glucosamine) और कोंड्रोइटिन (chondroitin) कार्टिलेज के लिए जरूरी कम्पोनेंट्स हैं। आप आपके कार्टिलेज को बूस्ट करने और दोबारा नया करने के लिए इन सप्लिमेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • टैब ग्लूकोसामाइन 500 mg (Tab Glucosamine 500 mg) को डेली तीन बार लें या टैब ग्लूकोसामाइन + कोंड्रोइटिन (Tab Glucosamine + Chondroitin) की एक से दो टेबलेट्स को दिन में तीन बार तक लें। 60 दिन के बाद या फिर रिस्पोंस के आधार ओर एक से दो डोज़ को कम किया जा सकता है।
    • आप चाहें तो प्रभावित एरिया पर एक ग्लूकोसामाइन सल्फेट क्रीम (Glucosamine sulfate cream) भी यूज कर सकते हैं। ये सूजन को कम करेगा और फाइब्रोकार्टिलेज को तेजी से आराम पहुंचाएगा। क्रीम की एक पतली लेयर को दर्द वाले एरिया पर लगाएँ और आराम से उसे अपनी उँगलियों के उभरे भाग से घिसें। दर्द के कम होने तक इसे डेली दो बार यूज करें।
  3. जब आप डिस्क के डीजनरेशन के लिए प्रीकॉशन ले रहे हों, तब आप आपकी डिस्क को डिहाइड्रेशन भी बचा रहे होते हैं। आपके पास में कई सारे ऑप्शन होते हैं:
    • कॉम्प्लिमेंट्री एंड ऑल्टर्नेटिव मेडिकल थेरेपीज (CAM) : ये डिस्क डिहाइड्रेशन की शुरुआत में, जब ये डीजनरेशन में काफी कमी कर सकती हैं और शायद नई रीजनरेशन भी कर सकती हैं, तब अच्छी तरह से काम करती हैं।
    • काइरोप्रेक्टिक केयर (Chiropractic care) : इस तरह के केयर में स्पाइनल जोइंट्स के अलाइनमेंट को रिस्टोर करने के लिए हाथ से मेनिपुलेशन किया जाता है। काइरोप्रेक्टर कंट्रोल्ड फोर्स के साथ जोइंट्स को मेनिपुलेट करते हैं और अलाइनमेंट को रिस्टोर करते हैं; इससे काफी हद तक आराम मिलता है। केवल एक ट्रेन, सर्टिफाइड काइरोप्रेक्टर ही इसे कर सकता है। [५]
    • मसाज थेरेपी (Massage therapy) : ये मसल से जुड़े खिंचाव को राहत देता है और प्रभावित जाइंट में ब्लड सर्कुलेशन को इंप्रूव करता है। अलग-अलग टाइप की मसाज थेरेपी, जैसे कि हीट और कोल्ड ऑल्टर्नेटिंग मसाज थेरेपी, पंचकर्म मसाज थेरेपी बगैरह, को भी अलग-अलग रिजल्ट्स के साथ किया जा सकता है। [६]
    • स्पाइनल डिकंप्रेशन बाय ट्रेक्शन (Spinal decompression by traction): ये डिस्क स्पेस को बढ़ाकर मदद करता है, जिससे पानी के फ़्लो की मदद से डैमेज डिस्क को रीहाइड्रेट किया जाता है। थेरेपी का ये प्रकार केवल क्रोनिक मामलों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है; अगर इस जगह पर काफी दर्द और सूजन है, तो इसे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
    • दूसरे तरीके, जैसे कि अल्ट्रासोनिक या इलेक्ट्रिकल स्टिमुलेशन, ब्रेसिंग, पूल थेरेपी पोस्चर ट्रेनिंग, फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी पॉपुलर हैं। ये सारे तरीके शायद जादू की तरह काम कर सकते हैं और इन्हें ट्राई किया जा सकता है, लेकिन किसी एक्सपर्ट की निगरानी में और आपके डॉक्टर के साथ ही।
  4. अच्छे पोस्चर के साथ खड़े हों और बैठें: डेली एक्टिविटी के लिए हमें अलग-अलग पोस्चर में रहने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इनका हमारी स्पाइनल डिस्क और डिस्क डिहाइड्रेशन पर काफी अहम असर पड़ता है। कुछ पोस्चर डिस्क को डिस्प्लेस कर देते हैं और उन पर स्ट्रेस डालते हैं। आपके सभी मूवमेंट और एक्टिविटी को ऐसा रहना चाहिए जिसमें डिस्क रिलैक्स रह सकें।
    • अपने टोर्सों को जितना हो सके, उतना स्ट्रेट रखने की कोशिश करें। अपनी पीठ के बल लेटने पर अपने घुटने के नीचे और अपने करवट पर सोने पर अपने पैरों के नीचे तकिये रख लें।
    • अपनी पूरी पीठ को चेयर के बैकरेस्ट से चिपकाए रखकर, अपनी पीठ को सीधा करके बैठें। चेयर पर बैठने पर अपने बटक्स को जितना हो सके, उतनी दूर रखने की कोशिश करें।
    • खड़े रहने पर, अपनी पीठ को सीधा रखें और पेट की मसल्स को हमेशा सिकोड़े रखें।
    • अगर आपको फर्श से किसी चीज को उठाने की जरूरत पड़े, तो पहले स्क्वेट करें, फिर उस चीज को अपने हाथ में लें। एक घुटने को उठाएँ और उस चीज को अपने घुटने पर रखें। अपनी पीठ को स्ट्रेट रखकर खड़े हो जाएँ।
    • लंबे समय के लिए खड़े या बैठे न रहें।
  5. रिपिटिटिव मूवमेंट्स और खराब लिफ्टिंग पोस्चर अवॉइड करें: गलत पोस्चर इस्तेमाल करके रिपिटिटिव मूवमेंट्स की वजह से डिस्क पर चोट पहुँचती है। रिपिटिटिव फ़्लेक्सन (सामने की तरफ झुकना) अवॉइड किए जाने लायक एक प्राइमरी पोजीशन है। अगर आप किसी चीज को उठाने के लिए झुकते हैं, तो अपने पैरों और पीठ को स्ट्रेट रखकर झुकें। ध्यान से उस चीज को अपने शरीर के नजदीक रखें।
    • साथ ही रिपिटिटिव ट्विस्टिंग और रोटेशन भी अवॉइड करें। अगर आप रोटेट करने वाले हैं, तो ध्यान रखें कि अपने पूरे शरीर को टर्न करते हुए पहले अपने पंजों से मूव करें, न कि अपनी कमर से। जैसे, अगर आप दाएँ तरफ घूमने वाले हैं, तो अपने दाएँ पैर को पहले बाहर घुमाएँ और फिर अपने पूरे शरीर को फॉलो करें। इससे आपका शरीर स्पाइन पर ज्यादा रोटेशन होने से बचा लेगा।
  6. ये सभी मामलों में जरूरी है, क्योंकि ये पीठ के दर्द को बहुत प्रभावी ढंग से ठीक करता है। खड़े होने की पोजीशन में, स्पाइन ज्यादा लोड लेती है, लेकिन जब आप लेटते हैं, तब वजन स्पाइन से पीठ की मसल्स पर शिफ्ट हो जाता है; ये स्ट्रेस कम करता है और आपको कम्फ़र्टेबल भी कर देता है।
    • कंप्लीट बेड रेस्ट लेने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि ये आपकी पीठ की मसल्स को कमजोर कर देगा। हर एक घंटे में खड़े हो जाएँ और थोड़ा वॉक करें, फिर चाहे कुछ ही मिनट के लिए सही।
  7. पेनकिलर और एंटी-इन्फ़्लैमेट्री दवाएं अक्सर मरीजों के लिए उनकी नॉर्मल एक्टिविटी को वापस पाने में मदद करते हैं। ये रूटीन के अनुसार एक्सरसाइज करने में भी मदद करते हैं, दर्द घटाते हैं और आपकी पीठ को इस तरह से स्ट्रेच करते हैं, ताकि आपकी डिस्क सही लुब्रिकेट हो सकें।
    • NSAIDs डिस्क डीजनरेशन से जुड़े पीठ के दर्द के लिए सबसे पहले इलाज होते हैं। जैसे, आइबुप्रुफेन (ibuprofen), कीटोप्रोफेन (ketoprofen), एस्पिरिन (aspirin), इंडोमिथैसिन (indomethacin), डाइक्लोफेनेक (diclofenac) बगैरह शामिल हैं।
    • कभी-कभी दर्द कम करने में NSAIDS के काम न करने पर मॉर्फिन (morphine), कोडीन (Codeine), पेंटाज़ोसीन (pentazocine), दवाएं भी दी जाती हैं। इन्हें कम समय के लिए ही लें, क्योंकि साइड इफ़ेक्ट्स से दूसरी परेशानियाँ भी खड़ी हो सकती हैं। इसके सबसे कॉमन साइड इफ़ेक्ट्स में, मितली, उल्टी, कब्ज, चक्कर आना शामिल हैं। ये दवाएं केवल प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिलती हैं और ये अब्यूस की संभावना से भी जुड़ी होती हैं।
    • आमतौर पर प्रिस्क्राइब किए जाने वाले रिलैक्सेंट्स, जैसे कि क्लोरोज़ॉक्साज़ोन (chlorzoxazone) उनींदापन, डिप्रेशन की प्रवृत्ति और सुस्ती के साथ जुड़ी होती हैं और इसलिए इसे 2 से 3 दिनों से अधिक नहीं लिया जाना चाहिए। ये मांसपेशियों में ऐंठन के मामले में भी मदद करते हैं।
    • जब आपको बहुत ज्यादा दर्द हो और बाकी के किसी भी इलाज से कोई फर्क न पड़ रहा हो, तब डॉक्टर कभी-कभी कोर्टिसोन और लोकल एनिस्थेटिक के मिक्स्चर को स्पाइनल कॉर्ड के आसपास की स्पेस में इन्सर्ट करते हैं — एपिड्यूरल ब्लॉक बोला जाता है। एपिड्यूरल कराने से पहले, पीठ का सीटी स्कैन या एमआरआई करके दर्द की वजह को पता किया जाता है और बेसलाइन इंवेस्टिगेशन की सलाह दी जाती है। [७]
  8. सर्जरी का टाइप, डिस्क इंजरी की वजह के ऊपर निर्भर करता है। जैसे:
    • लैमिनेक्टॉमी (Laminectomy) और डाइनैमिक डिस्क स्टेबलाइजेशन लुंबार स्पाइनल स्टेनोसिस (lumbar spinal stenosis) के मामले में डिस्क रिहाइड्रेशन को बेहतर बना सकता है।
    • स्पाइनल फ्यूजन (Spinal fusion) डीजनरेटिव स्पोंडिलोसिस (degenerative spondylosis) के सभी रिफ्रेक्ट्री मामलों के लिए एक अच्छा उपचार है। [८]
    • मेसेनकाईमल स्टेम सेल (mesenchymal stem cells) का इस्तेमाल करके डिस्क रिजनरेशन निश्चित रूप से आने वाले सारे डिस्क डीजनरेटिव डिसऑर्डर के लिए एक अच्छा विकल्प है, लेकिन ये अभी भी ट्रायल फेज से गुजर रहा है। [९]
      • सर्जिकल करेक्शन शायद सभी मामलों में सक्सेसफुल नहीं हो सकते हैं और ये भी कुछ खास तरह के रिस्क से जुड़े रहते हैं, इसलिए इन्हें आपको केवल तभी ट्राई करना चाहिए, जब बाकी का कोई दूसरा तरीका आपके कोई काम न आया हो।
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपनी पीठ की एक्सरसाइज करना (Exercising Your Back)

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  1. ये नर्व कंप्रेसन (lumbago या sciatica) की वजह से होने वाले दर्द को कम करने में मदद करता है। हालांकि, कोई भी एक्सरसाइज करने के पहले, अच्छा होगा कि आप पहले किसी डॉक्टर से या फिजियोथेरेपिस्ट से कन्सल्ट कर लें। ये इसलिए, क्योंकि कुछ एक्सरसाइज शायद डिस्क को आराम देने की बजाय और भी डैमेज कर सकती हैं। एक्सरसाइज करने का मकसद पीठ की मसल को मजबूती देकर स्पाइन को सपोर्ट देना और डिस्क को उसकी नॉर्मल पोजीशन पर वापस लेकर आना होता है। यहाँ पर नी पुल एक्सरसाइज करने का तरीका बताया गया है: [१०]
    • अपनी पीठ के बल सीधे लेटें और अपनी एक-दूसरे में उलझी हुई उँगलियों से एक घुटने को पकड़ें।
    • अपनी पीठ को स्ट्रेट रखते हुए अपने घुटने को अपने सीने तक खींच लाएँ। इसे 20 सेकंड तक के लिए रोके रखें।
    • ठीक ऐसा ही दूसरे घुटने के लिए भी करें। एक सेशन में करीब 20 बार रिपीट करें। डेली 2 सेशन परफ़ोर्म करें।
  2. जैसा कि इसका नाम से ही पता चलता है, इसमें अपने पेल्विस को सामने की तरफ झुकाएँ।
    • अपने घुटनों को मोड़कर और पंजों को फर्श पर फ्लेट रखकर अपनी पीठ के बल फ्लेट लेट जाएँ।
    • अपनी पीठ की मसल को रिलैक्स करके और पेट की और बटक्स की मसल को टाइट करके अपनी लोअर बैक और बटक्स से से फर्श पर दबाव डालें।
    • 20 सेकंड तक प्रैस करते रहना जारी रखें। अपने माथे से लेकर घुटने तक के लिए एक बराबर रिपीटीशन करें।
  3. ये एब्डोमिनल और साइड मसल्स को डेवलप करने के लिए है।
    • अपने घुटनों को मोड़कर और पंजों को फर्श पर रखकर अपनी पीठ के बल लेट जाएँ।
    • अपने हाथों को, उँगलियों को बांधकर अपने सिर के पीछे ले आएँ।
    • अपनी पीठ को फर्श पर ही रखकर, आराम से अपने सिर और कंधे की ब्लेड्स को उठाएँ। आपको आपकी एब्डोमिनल मसल में एक टेंशन फील होगा।
    • अपने सिर को 5 सेकंड के लिए होल्ड करें और फिर धीरे-धीरे उसे नीचे ले आएँ।
    • शुरुआत में इसे एक सेशन में 5 बार दोहराएँ। धीरे-धीरे इसे करीब 20 रिपीटीशन तक बढ़ा लें।
  4. जब आप बैलेंस करना सीखें, तब धीरे-धीरे लेटने की पोजीशन में झुकने की डिग्री को बढ़ाना शुरू करते जाएँ और वापस सीधी पोजीशन में लौटना सीखते जाएँ। यहाँ इसे करने का तरीका दिया गया है:
    • अपनी पीठ को स्ट्रेट रखकर और घुटनो को मोड़कर फर्श पर बैठ जाएँ।
    • अपनी आर्म्स को अपने सामने बाहर निकालकर खुद को रिलैक्स करें।
    • अब धीरे से पीछे की तरफ झुकें और आराम से अपनी एब्डोमिनल मसल को टाइट रखें।
    • अपने एब्डोमिनल और साइड मसल का इस्तेमाल करके पीछे की तरफ गिरने से बचने की कोशिश करें। उस पोजीशन को 20 सेकंड के लिए बनाए रखें।
    • एक सेशन में 20 बार इसे रिपीट करें। शुरुआत में इसके एक दिन में दो से तीन सेशन भी काफी रहेंगे।
  5. ये एक्सरसाइज स्पाइनल डिस्क को सामने की ओर धकेलने में मदद करती है और नर्व रूट्स से कंप्रेसन को रिलीज करती है।
    • अपने पेट के बल कम्फ़र्टेबली लेट जाएँ।
    • अपने हाथ और कंधे को बाहर फैलाएँ और अपनी हथेली को फर्श पर रखकर, खुद को सपोर्ट दें।
    • इसे 10 सेकंड के लिए बनाए रखें और फिर वापस नॉर्मल पोजीशन में लौट आएँ।
    • 20 सेकंड के लिए रिलैक्स करें और एक्सरसाइज को रिपीट करें: शुरूआत में 5 रिपीटीशन करें और फिर दो-दो करके बढ़ाते जाएँ।

सलाह

  • डिस्क डीजनरेटिव डिसऑर्डर में किसी अच्छे स्पाइन फिजियोथेरेपिस्ट से कन्सल्ट किए बिना कभी भी कोई एक्सरसाइज करने का प्लान न बनाएँ।
  • सही पोस्चर, प्रोपर एक्सरसाइज और अच्छा न्यूट्रीशन, ये सभी डिस्क रिहाइड्रेशन के लिए बहुत जरूरी हैं।
  • आपकी फैमिली हिस्ट्री भी आपको डिस्क डीजनरेटिव डिसऑर्डर होने के रिस्क में डाल सकती है।
  • अगर आपको पीठ की कोई परेशानी है, सबसे पहले एक स्पाइन स्पेशलिस्ट से कन्सल्ट कर लें।

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