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रंगों का त्यौहार होली! हिंदुओं का पारंपरिक रूप से 2 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ, बसंत ऋतु के आगमन के तौर पर मनाया जाता है। इस त्यौहार में पहले दिन होली जलाई जाती है, जिसे होलिकादहन कहते हैं और दूसरे दिन होली खेली जाती है, जिसे धुरेड़ी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है। इस दिन सभी लोग बैर भाव को भुला कर एक-दूसरे के गले मिल कर गुलाल और अबीर आदि रंग लगाते हैं, इस लिए इसे भाईचारे का त्यौहार भी माना जाता है।

होली हिंदुओं का एक बेहद लोकप्रिय पर्व है, जो हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, मार्च के महीने में) मनाया जाता है, और इसे बच्चों से ले कर बुजुर्ग तक, हर एक उम्र के इंसान, और हिंदुओं के अलावा भी हर धर्म के लोग भी खेलना पसंद करते हैं। यह विशेष रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है और इस के साथ ही ऐसे देशों में, जहाँ पर अल्पसंख्यक हिंदू लोग रहते हैं, वहां भी धूमधाम के साथ इसे मनाया जाता है। होली, लोगों को करीब लाने का एक त्यौहार है, जिसकी शुरुआत होलिकादहन से होती है, फिर रंगों के साथ खेलना और उसके बाद अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मिलना, होली को और भी मजेदार बना देता है।

विधि 1
विधि 1 का 4:

होलिकादहन करना

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  1. लकड़ियाँ इकट्ठी करें और इन्हें एक ढेर में जमा लें: परंपरागत रूप से, होली के एक-महीने पहले से ही लोग, शहर में मौजूद किसी खाली जगह में लकड़ियों का ढेर इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं, ताकि होली करीब आते-आते, होलिकादहन के लिए भरपूर मात्रा में लकड़ियाँ जमा हो जाएँ। इस ढेर में लकड़ी के साथ-साथ और भी कुछ ज्वलनशील सामग्रियां (गोबर के कंडे, घास आदि) रखें, और अंत में इसे जलने के लिए तैयार एक ढेर के रूप में तैयार कर दें। भरपूर मात्रा में लकड़ियों और ज्वलनशील पदार्थों को इकठ्ठा कर लें, ताकि होलिकादहन के लिए एक अच्छा ढेर बन सके। [१]
  2. होलिकादहन से संबंधित अनेक कहानियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक सब से प्रसिद्ध कहानी है, भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक दानव राजा हुआ करता था, जिसके पुत्र का नाम प्रहलाद था। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, और हिरण्यकश्यप को उसका भगवान विष्णु की भक्ति करना पसंद नहीं थी, उसकी इस भक्ति से क्रुद्ध होकर उसने प्रहलाद को ना जाने कितने ही कठोर दंड दिए, लेकिन उनसे उसका बाल भी बांका ना हो सका और उसने अपनी भक्ति के मार्ग को नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि आग भी उस के शरीर को भस्म नहीं कर सकती। तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए, ताकि भक्त प्रहलाद आग में जल कर मर जाए। लेकिन आग में बैठते ही होलिका के बालों ने आग को पकड़ लिया और वह तो जल गई और भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद आग से बच कर बाहर आ गया। बस इसी की याद में होली का त्यौहार, होलिकादहन कर के मनाया जाता है। होलिका के एक ज्वलनशील पुतले को इस लकड़ी के ढेर पर रखें और इसे जला दें। इस होली में जलती हुई होलिका को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। [२]
  3. लकड़ी को जलाने के लिए, इस पर आग जलाने में सहायक कुछ पदार्थ जैसे कि कैरोसीन का इस्तेमाल करें, ताकि आग अच्छी तरह से जलती रहे। माचिश की तीली को जलाएं और आग लगाने के लिए इसे लकड़ी के ढेर पर फेंक दें। [३]
    • आग जलाते वक़्त इस बात का ध्यान रखें कि आप होलिका से काफी दूर खड़े हैं, ताकि आप को आग से कोई नुकसान ना हो।
    • होली का त्यौहार ही भाईचारे का प्रतीक है, तो होलिका को जलते हुए देखने के लिए अपने दोस्तों, परिवार या किसी समुदाय को एक-साथ में इकठ्ठा कर लें।
  4. होलिकादहन देखते वक़्त रक्षोघ्न मंत्रों का उच्चारण करते रहें। इन मंत्रों को भारतीय वैदिक संस्कृत स्त्रोत ऋग्वेद में पाया गया है। बुरी आत्माओं को अपने से दूर भगाने के लिए इस अग्नि के चारों ओर नृत्य करते हुए और मंत्रों का उच्चारण करते हुए होलिकादहन का आनंद लें। [४]
    • आप चाहें, तो इन मंत्रों को ऑनलाइन भी खोज सकते हैं या फिर बाज़ार में मौजूद ऋग्वेद की किताब खरीद कर ला सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 4:

रंगों से खेलना

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  1. घर पर ही रंगों को बनाएँ या बाज़ार से खरीद कर लाएँ: होली के त्यौहार को लोग, शरद ऋतु के अंत और बसंत ऋतु के आगमन की ख़ुशी में, लोगों पर रंगों और पानी की बरसात कर के उत्सव मनाते हैं। आप चाहें तो ऐसी गुलाल खरीद सकते हैं, जो कि प्राकृतिक हो और पलाश के फूलों से बनी हो, यह आप को लाल, गुलाबी और नारंगी रंगों में मिल सकती है। इन फूलों को सुखा कर और पीस कर इन का पाउडर तैयार किया जाता है। आप चाहें तो अबीर भी खरीद सकते हैं, जो अभ्रक के छोटे-छोटे कणों से मिल कर बनाई जाती है और यह चांदी के जैसे रंग की होती है। लोग इन दोनों को ही मिलाकर एक बेहद खूबसूरत लाल-नारंगी रंग का चमकीला पाउडर बना लेते हैं, जिसे वे लोगों के चेहरे, हाथों और शरीर पर तरह-तरह के रंग डालते हैं और होली के मजे लेते हैं। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर, अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के साथ में होली खेलते हैं। कॉलेज के छात्र और छात्राएं किसी एक जगह इकट्ठे हो कर होली खेलते हैं। [५]
    • बाज़ार में अलग-अलग रंगों की गुलाल मिल जाती है, तो यदि आप चाहें तो बाज़ार जाकर या ऑनलाइन पीले और हरे रंगों को भी खरीद सकते हैं। बाज़ार से रंग लाते वक़्त ज़रा सावधान रहें, क्योंकि बाज़ार में रासायनिक रंग भी मिलते हैं, और ये त्वचा के लिए काफी हानिकारक होते हैं।
    • ऐसे और भी रंग मौजूद हैं, जो चावल के आंटे से और प्राकृतिक रंगों से निर्मित होते हैं। तो यदि आप चाहें तो होली का त्यौहार मनाने के लिए, बाज़ार से या ऑनलाइन इस तरह के रंगों को मँगा सकते हैं।
  2. रंगों के इस त्यौहार की शुरुआत अपने परिवार के लोगों और अपने दोस्तों पर रंगों की बरसात करके करें। यदि आपके घर में कोई बड़ा-बुजुर्ग मौजूद है, तो उन्हें गुलाल का तिलक लगा कर इस त्यौहार की शुरुआत करें। ये रंग हानि-रहित होने चाहिए, ताकि आप इन्हें अपने परिवार के लोगों के चेहरे, बाल, हाथ और पैर पर लगा सकें। रंगों के साथ खेलने का नवयुवकों और युवतियों में खासा उत्साह देखा जाता है। कुछ लोग होली की टोली बना कर, नांचते-गाते हुए निकलते हैं, जिसे हुरियारे भी कहते हैं। [६]
  3. पिचकारी एक पानी बन्दूक की तरह होती है, जिसके अंदर रंग भर के इसे लोगों के ऊपर बरसाया जाता है। सूखे रंगों को पानी में घोलें और फिर इसे पिचकारी में भर लें। लोगों को इस रंगीन पानी से भिगाने के लिए और इन रंगों के साथ में खेलने के लिए इस पिचकारी का इस्तेमाल करें। [७]
    • बच्चों के लिए तो यह त्यौहार बहुत महत्व रखता है, वे बाज़ार जा कर तरह-तरह की पिचकारियाँ और गुब्बारे (रंग से भरे हुए) लेकर आते हैं। इन गुब्बारों को एक-दूसरे पर फेंक कर होली खेलते हैं।
    • बच्चे बड़ी उत्साह के साथ होली मनाने के लिए इन पिचकारियों का उपयोग करते हैं।
    • यह पिचकारी, बच्चों को होली के त्यौहार के लिए दिया जाने वाला एक अच्छा उपहार है।
  4. ढोलक, होली जैसे त्योहारों में हाथ से बजाया जाने वाला एक वादक है। ढोलक की ताल पर नाच-गा कर इस रंगों के त्यौहार का आनंद उठाएँ। होली के गीत गाएँ और इसकी धुन पर अपने शरीर को हरकत करने दें। [८]
  5. होली में बनाए जाने वाले पारंपरिक पकवानों और पेय पदार्थों का सेवन करें: भारतीय पकवानों और पेय के साथ में होली उत्सव मनाने का मजा और बढ़ जाता है। अलग-अलग प्रांतों के अनुसार ऐसे बहुत सारे व्यंजन मौजूद हैं, जिनका सेवन करते हुए आप होली के इस त्यौहार का लुत्फ़ और भी ज्यादा अच्छे से ले सकते हैं। [९]
    • ठंडाई (भांग), होली में पिया जाने वाला एक मुख्य पेय है, जिसे गाढे दूध में नट्स (बादाम, काजू अदि) और मसाले डाल कर तैयार किया जाता है।
    • पूरन पोली, होली में बनाया जाने वाला, महाराष्ट्र प्रांत का बहुत ही चर्चित मीठा व्यंजन है। इसे मैंदे की रोटी के अंदर मसूर की दाल और काजू, किशमिश, बादाम भर कर बनाया जाने वाला एक बेहद स्वादिष्ट मीठा व्यंजन है।
    • गुझिया, होली के त्यौहार में, उत्तर भारतीय लोगों द्वारा बनाया जाने वाला एक बेहद स्वादिष्ट व्यंजन है, जिसे मैंदे की रोटी के अंदर कसार भर कर बनाया जाता है। कसार बनाने के लिए आप रवा, मावा, बेसन, काजू, किशमिश, बादाम, नारियल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • दही-बड़ा, बहुत स्वादिष्ट नाश्ता है, जिसे उड़द की दाल से बने हुए बड़ों को, दही में भिगो कर रख कर बनाया जाता है।
विधि 3
विधि 3 का 4:

मटकी तोडना

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  1. शहर में जगह-जगह पर छाछ से भरी हुई मटकियाँ लटकाई जाती हैं: मटकी तोड़, एक बहुत पुराना रिवाज है, जो वर्षों से चला आ रह है। इसके लिए सब से पहले मिट्टी की बनी हुई एक मटकी में छाछ को भरा जाता है, फिर इस मटकी को रस्सी की मदद से ऊपर लटकाया जाता है। ऐसा माना जाता है, कि भगवान श्री कृष्ण छाछ और मक्खन के दीवाने थे, और वे अपने गाँव के घरों से जा कर मक्खन चुराया करते थे। इस मक्खन को भगवान कृष्ण से बचाने के लिए, गाँव की औरतें, इसे मटकी में डाल कर, अपने घरों में, गाँव में ऊपर कहीं रस्सी से बांधकर छिपा दिया करतीं थीं। और भगवान् कृष्ण इसे ढूंढ कर इस मटकी को तोड़ कर सारा माखन चुरा कर ले जाया करते थे। तो बस वही प्रथा सालों से मटकी तोड़ या दही हांडी के नाम से चली आ रही है। [१०]
  2. बहुत सारे लोगों को एक के ऊपर एक खड़ा कर के, एक बड़ा, ऊंचा स्तंभ बना लें: आप के शहर या गाँव में मौजूद लोग ही मिल कर, एक-दूसरे के कंधे या पीठ पर संतुलन जमा कर खड़े हो कर इस स्तंभ को बना सकते हैं। यह स्तंभ इतना ऊंचा होना चाहिए, कि सब से ऊपर खड़ा हुआ इंसान, उस दही और माखन से भरी हुई मटकी तक पहुँच पाए। [११]
    • बहुत सावधानी के साथ लोगों के कंधों या पीठ पर संतुलन बनाएँ। इसे बनाना बहुत ज्यादा कठिन काम होता है, और इसे बनाने के लिए बहुत ज्यादा संतुलन की जरूरत होती है।
  3. सबसे ऊपर खड़े हुए लड़के के सिर से या फिर हांड़ी पर रखे हुए नारियल की मदद से मटकी को तोड़ दें: जब आप का यह स्तंभ मटकी तक पहुँच जाए, तो सबसे ऊपर खड़े हुए लड़के को अपने सिर से या फिर नारियल की मदद से कुछ इस तरह से मटकी को फोड़ना होगा, ताकि मटकी में रखा हुआ सारा दही या माखन उसके और स्तंभ में खड़े हुए लोगों के सिर पर गिरने लगे। परंपरा के अनुसार तो मटकी को सिर से फोड़ा जाता है, लेकिन आप चाहें तो इसे हाथ से भी फोड़ सकते हैं।
  4. स्तंभ में खड़े हुए लोगों को वहां मौजूद औरतें घेर कर खड़ी हो जाती हैं। और इस दिन ये औरतें, लोक-लाज की फ़िक्र किए बिना, होली के मजेदार गीत गा कर स्तंभ में खड़े लोगों के ऊपर बाल्टी भर-भर के पानी फेंकतीं हैं। ये औरतें, वहां मौजूद लोगों के सामने नाच-गा कर होली उत्सव का आनंद लेती हैं। होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी की शान भी देखते ही बनती है। अलग-अलग जगहों में अलग-अलग तरह से होली खेलते हैं, जिसमें ब्रज की होली, मथुरा और वृन्दावन में 15 दिनों तक मनाई जाने वाली होली, बरसाने की लठमार होली और काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है। परिवारों में देवर-भाभी की होली और जीजा-साली की होली को काफी महत्व दिया जाता है। [१२]
विधि 4
विधि 4 का 4:

दोस्तों और परिवार के लोगों के घर जाना

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  1. शाम के अंत में जब रंगों का खेल थोडा कम हो जाता है, तो बहुत सारे लोग अपने दोस्तों या परिवार के लोगों के घर जाना पसंद करते हैं। होली, लोगों को करीब लाने का त्यौहार है, इस दिन बिछड़े हुए दोस्त भी गले मिल कर नई दोस्ती की शुरुआत करते हैं, अंत में अपने लोगों के साथ मिल-बाँट कर इस त्यौहार को पूरा करें। [१३]
  2. जब भी आप अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के घर जाएँ, तो अपने साथ मिठाई ले कर जाएँ। लोग परंपरागत भारतीय व्यंजन ले कर अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के घर जाते हैं, और साथ में बैठ कर इन का आनंद लेते हुए इस त्यौहार को पूरा करते हैं। [१४]
    • गुझिया, नारियल की बर्फी, सूजी (रवा) के लड्डू, गुलाब-जामुन या फिर गाजर का हलवा, अपने साथ में ले कर जा सकते हैं।
  3. कुछ लोग शाम को होली के जश्न में लोगों को आमंत्रित करते हैं, इस तरह से लोगों से मिलना-जुलना हो जाता है, लेकिन यदि आप चाहें तो अपने किसी खास इंसान के घर पर जा कर भी इस त्यौहार का आनंद ले सकते हैं। भाई-चारे के इस त्यौहार को, अपने दोस्तों परिवार के लोगों के गले मिल कर, और उन्हें शुभकामनाएँ दे कर पूरा करें। जब तक मन करे, होली के गीत गा कर नृत्य करें और इस त्यौहार का आनंद उठाएं। होली सही मायने में एक पूरे दिन भर मनाया जाने वाला त्यौहार है। [१५]

सलाह

  • होलिका का पुतला, ज्वलनशील पदार्थों से बना हुआ होना चाहिए, ताकि यह आग को अच्छी तरह से पकड़ सके।
  • होलिकादहन के लिए किसी एक ऐसी जगह का चयन करें, जो एकदम खाली हो और जहाँ पर पेड़-पौधे ना हों, और इसे सिर्फ किसी बड़े (उम्र में) व्यक्ति को ही जलाने दें, बच्चों को इससे दूर ही रखें।
  • अपने आसपास मौजूद दलों या समुदाय में जा कर देखें, हो सकता है कि किसी समुदाय में होली के जश्न की योजना की हो।
  • प्राकृतिक (organic) और अच्छी क्वालिटी के रंगों को ही खरीदें, ताकि ये आपकी और आपके प्रियजनों की त्वचा को कोई नुकसान ना पंहुचा सकें।
  • बच्चों को ज़रा सावधानी के साथ, बड़ों की निगरानी में होली खेलनी चाहिए।
  • इस मनभावन त्यौहार को रासायनिक रंगों और नशे आदि का इस्तेमाल करके बर्बाद ना करें।
  • याद रखें होली का उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, मिल-जुल कर उत्सव मनाना और मनोरंजन करना है, तो इसकी आड़ में किसी पर भी अपने मन की भड़ास निकालने की कोशिश ना करें।
  • होली खेलने में ना जाने कितना पानी बर्बाद होता है, तो जहाँ तक हो सके होली खेलने के लिए सूखे रंगों का इस्तेमाल करें और पानी का सदुपयोग करें।

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