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अब Serum glutamate pyruvate transaminase (SGPT) को Alanine aminotransferase (ALT) कहा जाता है, यह एक ऐसा लिवर एंजाइम है जो एनर्जी प्रोडक्शन के लिए जरुरी होता है | यह मुख्य रूप से लिवर और किडनी में पाया जाता है जबकि इसकी कुछ मात्रा हार्ट और दूसरी मसल्स में भी पायी जा सकती है | [१] जब लिवर डैमेज हो जाता है तो SGPT कोशिकोओं से बाहर आ जाता है और ब्लड में मिल जाता है | नॉर्मल SGPT लेवल की रेंज 7 से 56 यूनिट प्रति लीटर ब्लड होती है | रक्त में SGPT का हाई लेवल लिवर प्रॉब्लम और लिवर डैमेज की तरफ इशारा करता है लेकिन ये मेहनत वाली एक्टिविटी के कारण भी बढ़ सकता है | अगर आप अल्कॉहोलिक हैं, कुछ खास दवाएं लेते हैं या आपको लिवर कैंसर या वायरल हेपेटाइटिस जैसी लिवर की कोई बीमारी है तो आपका SGPT लेवल भी बढ़ सकता है | अगर आप सभी गंभीर कारणों को खोज लेते हैं और अपने लगातार हाई बने रहने वाले SGPT लेवल के लिए परेशान हैं तो सही डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव लायें और जरूरत पड़ने पर मेडिकल ट्रीटमेंट भी लें | इस तरह से SGPT का लेवल नॉर्मल आ सकता है | अपना SGPT लेवल कम करने में लिए नीचे दी गयी स्टेप 1 को शुरू करें |

विधि 1
विधि 1 का 3:

डाइट में सुधार लायें

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  1. लिवर की सेल्स डैमेज होने पर रक्त में ज्यादा SGPT छोड़ने लगती हैं | हाल ही में की गयी स्टडीज के अनुसार, विटामिन D लिवर डैमेज से बचाता है और SGPT लेवल को कम करता है | जिन लोगों में विटामिन D लेवल हाई होता है, उनमे विटामिन D के कम लेवल वाले लोगों की तुलना में लिवर डिजीज होने की संभावना कम होती है | [२] इसलिए, अपने हर बड़े मील में कम से कम एक फल को शामिल करें जिससे आपको विटामिन D का डेली डोज़ मिल सके और आप भी लिवर डिजीज से दूर रह सकें | [३]
    • विटामिन D के अच्छे सोर्सेज हैं-हरी पत्तेदार सब्जियां, कॉड लिवर ऑइल, फिश, फोर्टीफाइड सीरियल्स, सीप या ओएस्टर, कैवियार, टोफू, सोया मिल्क, डेरी प्रोडक्ट्स, अंडे, मशरूम, सेव और संतरे |
    • धूप में अधिक से अधिक समय बिताएं। सूरज की UV किरणें आपकी त्वचा में विटामिन D के बनने को बढ़ावा देती हैं। (सुनिश्चित करें कि सनबर्न से बचने के लिए सनस्क्रीन लगाएं)।
  2. ऑर्गेनिक फ़ूड खाने से लिवर को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलती है जिससे अपने आप टॉक्सिन साफ़ होते रहते हैं और रक्त में SGPT के लीकेज को रोकने के लिए नयी कोशिकाएं बनती हैं | ये फूड्स आमतौर पर एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं, इसके अलावा, उनमे फैट बहुत कम होता है | दूसरे शब्दों में कहें तो ये पूरे शरीर के लिए बहुत अच्छे होते हैं | अपने डाइट में फ्रेश, साबुत फूड्स पर फोकस करें जिन्हें आप खुद तैयार करके खाएं | ऐसे प्रोडक्ट्स से दूर रहें जिन्हें अनावश्यक रूप से प्रोसेस किया गया है क्योंकि प्रोसेसिंग से उनके पोषक तत्व ख़त्म हो जाते हैं | [४]
    • ध्यान रखें कि डाइट में बहुत सारे कलर हों | आपकी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकॉली, गाजर, स्क्वाश और नट्स, साबुत अनाज, कम फैट वाले डेरी प्रोडक्ट्स और लीन मीट के साथ कई तरह के ताजे फल शामिल होने चाहिए |
    • साबुत अनाज, बीन्स और दाल जैसे स्रोतों से प्रतिदिन 20-30 ग्राम फाइबर प्राप्त करने का लक्ष्य रखें।
    • एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे जंगली ब्लूबेरी, गाजर, आलू, चुकंदर और एवोकैडो शामिल करें।
    • रेड मीट या वसायुक्त मीट को चिकन और मछली जैसे लीन प्रोटीन से बदलें, कम वसा वाले डेयरी उत्पादों पर स्विच करें, और आलू के चिप्स जैसे प्रोसेस्ड फ़ूड पदार्थों के बजाय पौष्टिक नट्स और बीजों को स्नैक्स में शामिल करें।
  3. आमतौर पर लिवर के लिए फैटी फूड्स पचाना और उनसे न्यूट्रीएंट्स पाना बहुत मुश्किल होता है | लिवर में थोडा फैट होना सामान्य बात है लेकिन अगर लिवर में 10% से ज्यादा फैट होते हैं तो आपको "फैटी लिवर" नामक बीमारी हो जाती है | इन फैटी सेल्स की उपस्थिति के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और इससे लिवर के आसपास के टिश्यू डैमेज होने लगते हैं | अगर लिवर डैमेज होने लगता है तो डैमेज्ड लिवर सेल्स रक्त में SGPT रिलीज़ करने लगती हैं जिससे SGPT का लेवल बढ़ जाता है | [५]
    • तेल में तले हुए फूड्स जैसे ऑयली फूड्स,
    • मीट फैट, चिकन स्किन
    • कोकोनट ऑइल
    • बटर, चीज़, प्रोसेस्ड फ़ूड, सॉसेस, बेकन
    • हाई प्रोसेस्ड जंक, फैटी फूड्स
    • हाई शुगर कार्बोनेटेड ड्रिंक्स
  4. शरीर में नमक की आवश्यकता से अधिक मात्रा, विशेषरूप से लिवर में, होने के कारण सूजन और तरल एकत्रीकरण होने लगता है | इससे लिवर अवशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर नहीं कर पाता | इससे समय के साथ-साथ लिवर डैमेज होता जाता है और SGPT लिवर से रिसकर रक्त में मिलने लगती है जिससे यह लेवल बढ़ जाता है | [६] चूँकि नमक का इस्तेमाल सभी जगह किया जाता है इसलिए इसका इन्टेक सीमित करने के लिए ज्यादातर खाना घर पर ही पकाने की कोशिश करें | एक औसत वयस्क व्यक्ति को प्रतिदिन केवल 2300 मिलीग्राम (एक छोटी चम्मच ) नमक की ही जरूरत होती है | [७]
    • नमक, बेकिंग सोडा, सोया सॉस, सलाद ड्रेसिंग, बेकन, सलामी, अचार और दूसरे प्रोसेस्ड फ़ूड खाने से बचें | यथासंभव खाने में अतिरिक्त नमक डालने से बचें |
    • किराने की दुकान पर सोया सॉस या स्नैकिंग नट्स जैसे खाद्य पदार्थों के कम-सोडियम या अनसाल्टेड वर्शन देखें।
    • अपने खाना में स्वाद जोड़ने के लिए, अतिरिक्त चुटकी भर नमक के बजाय अधिक हर्ब्स और मसालों का चयन करें।
  5. हाइड्रेटेड रहें और ज्यादा से ज्यादा हर्बल टी पियें: बहुत सारा पानी पीने से लीवर को विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और खुद की मरम्मत करने में मदद मिलती है, जिससे आपके रक्त में फ़िल्टर होने वाले SGPT की मात्रा कम हो जाती है। अपने शरीर और लीवर को हाइड्रेटेड रखने के लिए सुबह उठते के साथ ही, भोजन के बीच और शाम को फ़िल्टर्ड पानी पीने का लक्ष्य रखें। [८]
विधि 2
विधि 2 का 3:

लाइफस्टाइल में सुधार लायें

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  1. जब तक आपका SGPT लेवल नॉर्मल नहीं हो जाता, शराब की लत छोड़ें : लम्बे समय तक अल्कोहल लेना, लिवर के लिए बहुत हानिकारक होता है और इससे लिवर पूरी तरह से काम करना बंद कर सकता है | अल्कोहल लेने पर यह डायरेक्टली रक्त में मिल जाता है | इसके बाद सारा रक्त किडनी द्वारा ग्रहण और फ़िल्टर किया जा है | अब शरीर में मौजूद सभी टॉक्सिक अवशिष्ट पदार्थों को फ़िल्टर करने का काम लिवर का होता है जिसमे अल्कोहल के कारण मिलने वाले टॉक्सिन भी शामिल होते हैं | इससे समय के साथ-साथ गंभीर रूप से लिवर डैमेज हो सकता है | लिवर जितना ज्यादा डैमेज होता जाता है, उसकी सेल्स उनता ही ज्यादा SGPT लीक करती जाती हैं जो ब्लड में मिल जाता है | [१३]
    • जब तक आपका SGPT स्तर सामान्य सीमा पर न आ जाए (इसमें कारण के आधार पर कई सप्ताह या महीने लग सकते हैं) तब तक शराब पूरी तरह से बंद कर दें। आप दोबारा कब और क्या शराब पीना शुरू कर सकते हैं, इसके बारे में अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें।
    • आपका लेवल नार्मल हो जाने के बाद, यदि आप चाहें तो सीमित मात्रा में अल्कोहलिक ड्रिंक का आनंद ले सकते हैं। मेडिकली, पुरुषों के लिए प्रतिदिन 2 ड्रिंक्स या उससे कम और महिलाओं के लिए 1 ड्रिंक या उससे कम रेकमंड की गई है। [१४]
    • फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस जैसी लिवर डिजीज होने में मुख्य योगदान अल्कोहल या शराब पीने का ही होता है | बहुत ज्यादा अल्कोहल लेने के कारण होने वाली बीमारियों से बचने के लिए आत्म-अनुशासन की प्रैक्टिस करें | इससे ब्लड में SGPT के लीकेज को कम किया जा सकता है |
  2. हफ्ते में 3 या अधिक दिन वेट लिफ्टिंग या एरोबिक्स ट्राय करे: ब्रिस्क वॉकिंग, जॉगिंग और स्विमिंग जैसी आसान एक्सरसाइज से लिवर को स्वस्थ रखने के साथ ही पूरे शरीर के स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है | एक्टिव बने रहने से पसीने के जरिये बहुत सारे टॉक्सिन शरीर से बाहर निकल जाते हैं | इससे फैट बर्न करके आपको स्लिम बनाये रखने में भी मदद मिलती है | एक्सरसाइज करने से शरीर के अंग स्वस्थ रहते हैं और उनमे लीन मसल्स ज्यादा बनती हैं, इन अंगों में लिवर भी शामिल है | इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है | इससे लिवर को बहुत कम टॉक्सिन की सफाई करनी पड़ती है और इसकी ज्यादातर एनर्जी सेल्स की स्ट्रेंथनिंग पर काम कर पाती है | [१५]
    • व्यायाम आपके लीवर के स्वास्थ्य सहित आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। सक्रिय रहने से पसीने के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और वसा जलती है, जिससे आपके लीवर को अपनी कोशिकाओं को मजबूत करने के लिए अधिक ऊर्जा मिलती है।
    • हर दिन कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज करने से लिवर की हेल्थ में काफी सुधार आ सकता है | जब टॉक्सिन शरीर से बाहर निकलने लगते हैं तो लिवर को बहुत कम काम करना पड़ता है जिससे SGPT लेवल बढ़ नहीं पाता |
  3. स्मोकिंग छोड़ें : सिगरेट के धुएं में निकोटीन और अमोनिया जैसे टॉक्सिन होते हैं | जब आप इन टॉक्सिन के सम्पर्क में आते हैं तो स्किन पर चिपक जाते हैं और वहां से अवशोषित होकर लिवर को शरीर में मौजूद सभी टॉक्सिन फ़िल्टर करके हटाने का अतिरिक्त काम दे देते है | इसलिए सेकंडहैण्ड स्मोक से भी बचने की कोशिश करें क्योंकि इसके प्रभाव भी स्मोकिंग के समान ही होते हैं | [१६]
    • यह न केवल SGPT लेवल बढाता है बल्कि यह आपके दिल, फेफड़े, किडनी, स्किन, बाल और नाखूनों के लिए भी हानिकारक होता है | इसके कारण भी आपको अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ सकती हैं | अगर आपका SGPT लेवल बढ़ा हुआ है तो समझ जाएँ कि उसके लिए ये कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं |
  4. वायु प्रदूषण के स्मोक में धुआं, गैसोलीन और अमोनिया के साथ दूसरे हानिकारक केमिकल भी मिले होते हैं जो हवा में फैले रहे हैं | अगर आप किसी ऐसे वातावरण में रहते या काम करते हैं जहाँ आप लगातार इस तरह के टॉक्सिन के सम्पर्क में आते रहते हैं तो यथासंभव अपने एक्सपोज़र को कम करें | ये टॉक्सिन स्किन से लीक हो सकते हैं जिनके कारण लिवर डैमेज हो सकता है और SGPT लेवल बढ़ सकता है | [१७]
    • अगर आपको टॉक्सिक धुएं के आसपास रहना ही पड़ता है तो हर समय लम्बी स्लीव्स वाली शर्ट, पैन्ट्स, मास्क और ग्लव्स पहने रहें |
    • आप जितनी सावधानी रखेंगे विशेषरूप से लम्बे समय तक उतने ही ज्यादा स्वस्थ रहेंगे |
  5. अगर आप ओवरवेट या मोटापे से ग्रसित हैं तो सुरक्षित तरीके से वज़न घटायें: अगर आपका वज़न कम नहीं हो रहा है तो आपको फैटी लिवर होने की संभावना हो सकती है जिससे SGPT लेवल बढ़ सकते हैं | [१८] डॉक्टर से अपने वज़न को मैनेज करने के सुरक्षित और असरदार तरीके जानें या उनसे किसी रजिस्टर्ड डाइटीशियन का रिफरेन्स लें | [१९]
    • अपने डॉक्टर से बात करें कि किस प्रकार का आहार और व्यायाम आपके लिए स्वस्थ और उपयुक्त हैं। अधिकांश लोगों के लिए, प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट व्यायाम करने का लक्ष्य रखें और अपने आहार को ताजा उपज और संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर केंद्रित करें। [२०]
    • अधिकतर लोगों के लिए, वज़न कम करने का सबसे सुरक्षित और असरदार तरीका है-एक्सरसाइज करना और हेल्दी, बिना प्रोसेस्ड फ़ूड की संतुलित डाइट |
विधि 3
विधि 3 का 3:

मेडिकल ट्रीटमेंट लें

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  1. SGPT का लेवल ब्लड सैंपल के जरिये चेक किया जाता है | हाल ही में हुए लिवर डैमेज के केस में SGPT काफी बढे हुए दिखाई दे सकते हैं क्योंकि इसकी कोशिकाओं की भित्ति से अभी भी SGPT ब्लड में लीक हो रहा होता है | लेकिन, SGPT लेवल के बढ़ने के पीछे के कारण को सावधानीपूर्वक वेरीफाई करे क्योंकि यह हाल ही में की गयी बहुत ज्यादा मेहनत वाली एक्टिविटी या एक्सरसाइज करने के कारण भी बढ़ सकता है | [२१]
    • SGPT लेवल का बढ़ना, लिवर डैमेज होने की डायग्नोसिस की पुष्टि नहीं करता | इसका इस्तेमाल दूसरे लिवर टेस्ट के साथ किया जाता है जिससे पता चल सके कि वो रोगी सच में लिवर डैमेज की परेशानी से जूझ रहा है या नहीं
    • अलग-अलग तरह के कारणों से SGPT की अलग-अलग लेवल तक बढ़ता है | उदाहरण के लिए, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के कारण SGPT लेवल हल्का सा बढ़ता है | फैटी लिवर एक ऐसी कंडीशन है जिसका सम्बन्ध मोटापा और इन्सुलिन रेजिस्टेंस से होता है | माइल्ड SGPT लेवल बढ़ने का सम्बन्ध मेहनत वाली एक्सरसाइज करने या थाइरोइड डिजीज से हो सकता है |
  2. अगर आपका लिवर पहले से ही डैमेज हो चुका है और आप फिर भी डॉक्टर के परामर्श के बिना कोई दवा लेते रहते हैं तो लिवर पर इन दवाओं के उपापचय और हानिकारक पदार्थों को फ़िल्टर करने का भार बढ़ जाता है जिससे लिवर डैमेज और बढ़ जाता है | इसलिए बेहतर है कि डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही अपने लिए उचित दवाएं लें | एंटीबायोटिक्स और नॉन-स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) के कारण SGPT और SGOT लेवल बढ़ सकते हैं | इसलिए बुद्धिमानी इसी में हैं कि आप संभावित लिवर डैमेज से बचने के लिए डॉक्टर से अलग-अलग तरह की दवाओं के बारे में जानकारी लें | [२२]
    • अगर को संदेह हो तो डॉक्टर से सलाह लें | ऐसी कई दवाएं मिलती हैं जो हेपेटोटॉक्सिक (लिवर के लिए टॉक्सिक) होती हैं | डॉक्टर आपको नॉन-हेपेटोटॉक्सिक दवाओं पर शिफ्ट कर सकते हैं | फार्मासिस्ट भी आपको बता सकते हैं कि बाज़ार में मिलने वाली कौन सी दवा आपके लिवर के लिए हानिकारक हो सकती है |
    • ऐसिटामिनोफेन वाली दवाओं के इस्तेमाल में विशेष सावधानी रखें | बाज़ार में मिलने वाली ज्यादातर दवाओं जिनमे दर्द निवारक दवाएं और फ्लू की दवाएं शामिल हैं, में Acetaminophen एक कॉमन कॉम्पोनेन्ट होता है |
  3. ये दवाएं शरीर के इम्यून सिस्टम की एक्टिविटी कम करने का काम करती है | ये इंफ्लेमेटरी केमिकल के प्रोडक्शन को कम करके इंफ्लेमेशन भी कर सकती हैं जिससे टिश्यू डैमेज कम हो जाता है | इन्हें ओरली लिया जा सकता है या शिरा के द्वारा भी इंजेक्ट किया जा सकता है | सबसे कॉमन कोर्टिकोस्टेरॉयड हैं- Hydrocortisone, Prednisone, और Fludrocortisone | [२३]
    • जब इंफ्लेमेशन कम हो जाता है तो लिवर की कोशिकाएं फिर से पुर्नजीवित (regenerate) होना शुरू कर देंगी जिससे रक्त में SGPT कम रिलीज़ होने लगता है |
    • डॉक्टर से कोर्टिकोस्टेरॉयड लेने के बारे में पूछें | कोई भी दवा डॉक्टर की अनुमति के बिना न लें |
  4. लिवर में वायरस के कारण इन्फेक्शन हो सकता है जैसे हेपेटाइटिस में होता है | ब्लड टेस्ट कराने के बाद, डॉक्टर इन्फेक्शन के कारण का पता लगा सकते हैं और आपको Entecavir, Sofosbuvir, Telaprevir और ऐसी ही दूसरी दवाएं लिखेंगे | [२४]
    • ये भी कोर्टिकोस्टेरॉयड के समान ही काम करती हैं | इन्फेक्शन ख़त्म होने के बाद, लिवर की कोशिकाएं पुर्नजीवित होना शुरू कर देंगी जिससे रक्त में SGPT कम रिलीज़ होने लगता है |
  5. ये ऐसे प्रोटीन हैं जो वायरस, बैक्टीरिया, ट्यूमर सेल्स जैसे विजातीय तत्वों की उपस्थिति होने पर प्रतिक्रिया के रूप में शरीर की होस्ट सेल्स के द्वारा रिलीज़ होते हैं | इन दवाओं को लेने से बाहरी चीज़ों को मारने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम की सुरक्षात्मक डिफेन्स मेकेनिज्म ट्रिगर होने लगती है | [२५]
    • इन्फेक्शन ख़त्म होने पर SGPT कम होने लगता है | लिवर की सेल्स रिजनरेट होने लगेंगी, लेवल संतुलित हो जायेगा | नयी सेल्स से रक्त में SGPT लीक नहीं ही पाता |
    • इंटरफेरॉन से कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे-चक्कर आना, हेयर लॉस, भूख कम हो जाना, थकान, सांस लेने में परेशानी और फ्लू जैसे लक्षण | [२६] संभावित रिस्क और साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए कोई भी नया ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले |
  6. लाइफस्टाइल मेडिकेशन के साथ हर्बल सप्लीमेंट लेने से SGPT लेवल को कम करने में मदद मिल सकती है | अगर इनमे से कोई दवा आपके लिए उचित हो तो डॉक्टर की सलाह से लेना शुरू करें | कुछ सप्लीमेंट नीचे दिए गये हैं:
    • Milk thistle :यह टॉक्सिक केमिकल और हानिकारक दवाओं से डैमेज हुए लिवर को रिपेयर करती हैं और उसे सुरक्षा देती हैं | ये 100 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम के रूप में मिलती हैं | इसका स्टैण्डर्ड डोज़ है- दिन में दो से तीन बार 200 मिलीग्राम | [२७]
    • Inositol : इससे लिवर में फैट को तोड़ने में मदद मिलती है | लेकिन, इसके कारण पेटदर्द और डायरिया हो सकता है | ये 500 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम के रूप में उपलब्ध होती हैं | आप दिन में तीन बार 500 मिलीग्राम ले सकते हैं |
    • Burdock root': ये लिवर को साफ़ करने और लिवर डैमेज को बढ़ने से रोक सकती हैं | ये 500 मिलीग्राम से 1000 मिलीग्राम के रूप में उपलब्ध होती हैं | आप दिन में तीन बार 500 मिलीग्राम डोज़ ले सकते हैं |
  7. अलग-अलग लेबोरेटरी के अनुसार के अनुसार रेफरेंस रेंज में अंतर हो सकता है और यह उनमे इस्तेमाल की गयी विधि पर निर्भर करता है | लेकिन, नॉर्मल वैल्यू आमतौर पर एक विशेष रेंज में ही पायी जाती है | SGPT लेवल के लिए नॉर्मल रेंज 10 से 40 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर होती है | [२८]
    • हेपेटाइटिस होने पर ये वैल्यू विशेषरूप से ज्यादा (नार्मल वैल्यू की ऊपरी लिमिट से 15 गुना से भी ज्यादा तक) हो सकती हैं।
    • गम्भीर रूप से जलने, लिवरसिरोसिस, ऑब्सट्रक्टिव ज्वाइंडिस और लिवर ट्यूमर में मॉडरेट हायर (ऊपरी लिमिट से 5 से 15 गुना तक) हो सकती हैं |
    • पैंक्रियाटाइटीस, शॉक, मोनोन्यूक्लीओसिस इन्फेक्शन और हार्ट अटैक में थोड़ी बढ़ी हुई (ऊपरी लिमिट से 5 गुना तक) हो सकती हैं |

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