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हमारा आत्म-सम्मान (self-esteem) हमारी यंग एज के दौरान हमारे अंदर तैयार होता है। आमतौर पर अपनी फ़ैमिली, फ्रेंड्स और सोसाइटी के द्वारा लगातार आलोचनाएँ मिलना, आत्म-मूल्य की हमारी भावनाओं से दूर कर देता है। हमारी लो-सेल्फ एस्टीम, हमारे अंदर किसी भी छोटे से फैसले को लेने के सेल्फ-कॉन्फ़िडेंस को कम कर देता है। हालांकि, इस तरह की फीलिंग्स को हमेशा के लिए नहीं होना चाहिए। अपनी सेल्फ-एस्टीम आपके कॉन्फ़िडेंस को बढ़ा देता है और ये खुशी और बेहतर लाइफ पाने की ओर पहला स्टेप भी होता है। इसे करने के तरीके को जानने के लिए आगे पढ़ते जाएँ!

विधि 1
विधि 1 का 4:

अपनी सेल्फ-एस्टीम को पहचानना

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  1. सेल्फ-एस्टीम या हमारा अपने आप को फील करने का तरीका, हमारी इमोशनल भलाई का एक बेहद जरूरी पहलू होता है। हाइ सेल्फ-एस्टीम का मतलब, हम जैसे भी हैं, उसी के साथ प्यार करते हैं और खुद को स्वीकार भी करते हैं और ज़्यादातर वक़्त में हम सेटीस्फाइ (संतुष्ट) भी फील करते हैं। लो सेल्फ-एस्टीम का मतलब हम खुद को लेकर खुश नहीं हैं।
    • द सेंटर फॉर क्लीनिकल इंटर्वेंशन (The Centre for Clinical Interventions) डिस्क्राइब करता है, कि लो सेल्फ-एस्टीम वाले लोगों में “अपने आप को लेकर और वो जिस भी तरह के इंसान हैं, उसे लेकर बहुत ही गहरा, छिपा हुआ, नेगेटिव भरोसा होता है। इन भरोसों को अक्सर उनकी पहचान के लिए एक फ़ैक्ट या सच्चाई के तौर पर ले लिया जाता है।” [१]
    • बिना ध्यान दी हुई लो सेल्फ-एस्टीम अक्सर जिंदगीभर के लिए परेशानी खड़ी कर सकती हैं, जिनमें किसी अब्यूसिव रिश्ते का शिकार होना, हमेशा अपने आप को लेकर सचेत रहना और असफल होने को लेकर इतना डर जाना शामिल होता है, कि आप फिर अपने लिए लक्ष्य तक नहीं तैयार कर सकते।
  2. इस बात को जानना, कि आपकी सेल्फ-एस्टीम लो है, ये इस मेंटल हैबिट से उबरने और उसमें सुधार करने का पहला स्टेप होता है। अगर आपके मन में खुद को लेकर नेगेटिव विचार चल रहे हैं, तो आपकी सेल्फ-एस्टीम लो हो सकती है। इस तरह के विचार अक्सर किसी एक ही तरह के गुण के बारे में हो सकते हैं, जैसे कि आपका वजन, बॉडी इमेज या फिर ये आपकी लाइफ, कैरियर और रिलेशिप्स के कई एरिया को घेर सकता है।
    • अगर आपकी इनर वॉइस या आपके बारे में विचार ज़्यादातर आलोचनात्मक हैं, तो शायद आपकी सेल्फ-एस्टीम लो है। [२]
    • अगर आपकी इनर वॉइस पॉज़िटिव और आपको कंफ़र्ट देने वाली है, तो आपकी सेल्फ-एस्टीम हाइ हो सकती है। [३]
  3. जब आपके मन में खुद के बारे में कोई विचार आता है, तय करें, कि वो नेगेटिव हैं या पॉज़िटिव। अगर आपको इसे पहचानने में या पैटर्न को नोटिस करने में मुश्किल हो रही है, तो फिर कुछ दिनों या हफ्तों तक अपने मन में, खुद के बारे में आने वाले विचारों को लिखते जाएँ। फिर पैटर्न्स या टेंडेंसी के स्टेटमेंट्स की तरफ ध्यान दें।
    • लो सेल्फ-एस्टीम वाले किसी भी इंसान की इनर वॉइस अक्सर निम्नलिखित व्यक्तियों में से एक में प्रकट होती है: एक नैगर (हमेशा परेशान रहने वाला), एक जनरलिस्ट (generalist), एक कंपेयरर (तुलना करने वाला), एक कैटस्ट्रोफाइजर (चीजों को हमेशा बुरा मानना), या एक माइंड-रीडर। इनमें से हर एक इनर वॉइस या तो आपकी इन्सल्ट करती होंगी या फिर किसी दूसरे इंसान के आपके बारे में नजरिए को बदतर मानेंगी।
    • अपने अंदर की आवाज को शांत करना, अपने कॉन्फ़िडेंस को तैयार करने का पहला स्टेप है। इन्हें और ज्यादा पॉज़िटिव विचारों से रिप्लेस करना, अगला लक्ष्य होना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, आपकी इनर वॉइस ऐसा कुछ बोल सकती है “मैंने जिस जॉब के लिए अप्लाई किया है, वो मुझे नहीं मिलेगी, इसलिए मुझे फिर कभी जॉब नहीं मिलेगी और मैं किसी काम का नहीं हूँ।” आपको इसे कुछ ऐसी बात से बदलना है “मुझे ये जॉब नहीं मिलने पर निराशा तो होगी, लेकिन मैंने बहुत कड़ी मेहनत की है, और एक अच्छी जॉब मेरा इंतज़ार कर रही है; बस मुझे उसे ढ़ूँढ़ने की जरूरत है।”
  4. अपनी सेल्फ-एस्टीम के सोर्स के बारे में जांच करें: [४] जन्म से ही किसी के पास लो सेल्फ-एस्टीम नहीं हो जाती; ये आमतौर पर बचपन में किसी जरूरत के पूरे नहीं होने की वजह से, दूसरों की ओर से आने वाले नेगेटिव फीडबैक से या फिर ज़िंदगी में होने वाली किसी बहुत बड़ी नेगेटिव घटना की वजह से बनना शुरू होती है। अपनी सेल्फ-एस्टीम की प्रॉब्लम के सोर्स के बारे में मालूम होना, आपको उनसे उबरने में मदद करेगा।
    • अगर आप अपनी इनर वॉइस का आंकलन करते वक़्त किसी खास तरह के पैटर्न को नोटिस करते हैं, उन फीलिंग्स को, उनके बारे में अपनी पहली मेमोरी में वापस लाने की कोशिश करें।
    • उदाहरण के लिए, अगर आपकी नेगेटिविटी आपके वेट या अपीयरेंस के बारे में है, तो उस वक़्त को याद करके देखें, जब आपको पहली बार अपने वजन की वजह से अनकम्फ़र्टेबल फील हुआ था; क्या वो किसी खास तरह के कमेन्ट की वजह से हुआ था या फिर काफी सारे कमेंट्स की वजह से?
  5. अपनी सेल्फ-एस्टीम को इम्प्रूव करने के लिए एक लक्ष्य तैयार करें: अपने अंदर से आने वाली नेगेटिव, आलोचनात्मक आवाज को एक पॉज़िटिव, प्रेरणा देने वाली आवाज में बदलना, अपनी सेल्फ-एस्टीम को बनाने का तरीका है। आख़िर में, आपको अपने खुद के बारे में सोचने के तरीके को बदलने के ऊपर काम करने के बारे में तय करना होगा। अपने बारे में और ज्यादा पॉज़िटिव होने के लिए एक शुरुआती लक्ष्य निर्धारित करना, आपको ज्यादा से ज्यादा सेल्फ-कॉन्फ़िडेंस की राह पर ले जाएगा।
    • उदाहरण के लिए, आपका लक्ष्य ऐसा हो सकता है, “मैं अपने आप को लेकर पॉज़िटिव बनूँगा और अपने साथ में एक दुश्मन जैसे नहीं, बल्कि एक फ्रेंड की तरह बात करुंगा।”
विधि 2
विधि 2 का 4:

अपनी सेल्फ-केयर को इम्प्रूव करना

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  1. उन चीजों के ऊपर ध्यान केंद्रित करें, जिसे सोचकर आपको ये याद आ सके, कि आपकी इनर वॉइस से आने वाले नेगेटिव विचारों से कहीं ज्यादा कुछ और भी है। अपनी उपलब्धियों के लिए खुद को बधाई दें। [५]
    • हाइ सेल्फ-एस्टीम वाले लोग, अपने आप में मौजूद पॉज़िटिव गुणों को कहीं ज्यादा अच्छी तरह से स्वीकार कर पाते हैं, फिर चाहे आप परफेक्ट न भी हों। [६]
    • अपनी इस लिस्ट को किसी ऐसी जगह पर लगा दें, जहां से ये दिखाई दे सके, जैसी कि बाथरूम मिरर पर लगा दें और उसे डेली देखें। जब आपकी इनर वॉइस और ज्यादा पॉज़िटिव हो जाए, तब आप इस लिस्ट में और भी कुछ एड कर सकते हैं।
  2. अपनी किसी उपलब्धि को, किसी के द्वारा दिए हुए कोम्प्लीमेंट (तारीफ) को और अपने बारे में अच्छे विचारों को लिख लें। वैसे तो नेगेटिव विचार पूरी तरह से चले जाएंगे, पॉज़िटिव के ऊपर फोकस करने से आपकी अपने बारे में ओवरऑल फीलिंग्स इम्प्रूव हो जाएंगी। [७]
    • जर्नल बनाना, अपनी अंदर से आने वाली आवाज को मॉनिटर करने और अपनी सेल्फ-एस्टीम को इम्प्रूव करने का एक बेहद पावरफुल टूल है। [८]
    • अपने नॉर्मल नेगेटिव विचारों को नकारने के लिए, अपनी पॉज़िटिविटी जर्नल पर ध्यान देने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी चीज़ के बारे में अपने मन की बात न कहने के लिए खुद का अपमान करते हैं, तो जब भी कभी आपने अपने मन की बात रखी हो, उस वक़्त को लिखना मत भूलें।
  3. लक्ष्यों को तैयार करने के लिए इस जर्नल का यूज करें: आप अपनी लाइफ के हर एक पहलू से परफेक्शन पाने की चाह रखे बिना भी खुद को इम्प्रूव करने के लिए लक्ष्य तैयार कर सकते हैं। आपके लक्ष्यों को न सिर्फ एकदम स्पष्ट और विशिष्ट होना चाहिए, बल्कि आपको इनमें कुछ इम्परफेक्शन के लिए भी “जरा-सी जगह” रखनी होगी।
    • उदाहरण के लिए, “मैं हमेशा उन लोगों के खिलाफ बोलूँगा, जो भेदभाव और नफरत फैलाने का काम करते हैं,” कहने के बजाय, आप एक लक्ष्य बना सकते हैं, “मैं भेदभाव और नफरत फैलाने का काम करने वाले लोगों का विरोध करने के लिए पूरी शांति से कोशिश करूंगा।”
    • “मैं अब कभी भी शुगर नहीं यूज करूंगा/करूंगी और मैं 15 किलो वजन कम कर दूँगी/दूंगा,” कहने के बजाय आपका लक्ष्य ऐसा हो सकता है, “मैं बेहतर फूड चॉइस अपनाकर और एक्सर्साइज़ करके, एक हैल्दी लाइफ़स्टाइल की ओर अपना कदम बढ़ा लूँगा।”
  4. इस बात को याद रखें, कि आप, ठीक दूसरों की तरह, एक इंसान ही हैं। एक हाइ-सेल्फ एस्टीम पाने के लिए आपको परफेक्ट होने की कोई जरूरत नहीं है। [९] अगर आप खुद को, आप जैसे भी हैं, उसी तरह से एक्सेप्ट कर सकते हैं, फिर भले आप कुछ एरिया में इम्प्रूव करने की कोशिश ही क्यों न कर रहे हों, आपको एक हाइ सेल्फ-एस्टीम मिल जाएगी।
    • अपने लिए एक ऐसा मंत्र तैयार करें, जैसे कि “कोई बात नहीं, मैं तो फिर भी काफी अच्छा हूँ।”
    • उदाहरण के लिए, अगर आपने अपना टेंपर खो दिया और पार्क में बच्चे को डांट दिया, तो आप खुद से ऐसा कह सकती हैं, “मैं परफेक्ट नहीं हूँ और मैं अपने इमोशन्स पर कंट्रोल करने के ऊपर काम करूंगी। मैं इस तरह से चिल्लाने के लिए अपने बच्चे से माफी माँगूँगी और उसे एक्सप्लेन करूंगी, कि आखिर मुझे क्यों इतना गुस्सा आया। चलो कोई बात नहीं, लेकिन मैं एक अच्छी माँ हूँ।”
  5. अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप खुद से अपनी सेल्फ-एस्टीम को नहीं सुधार सकते या अपने लो-सेल्फ एस्टीम के बारे में तलाश करते हुए आप बहुत नाराज हो जाएंगे, तो फिर आपको किसी ऐसे थेरेपिस्ट के पास जाना होगा, जो आपकी लो सेल्फ-एस्टेम प्रॉब्लम के पीछे की वजहों का सामना करने में आपकी मदद कर सके। [१०]
    • कोग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behavioral therapy/CBT) एक ऐसी अप्रोच है, जो आपके अपने बारे में ऑटोमेटिक नेगेटिव विचारों को एड्रेस करती है और एक हैल्दी तरीके से इमोशन्स का सामना करना सिखाती है। [११]
    • और ज्यादा कॉम्प्लेक्स सेल्फ-एस्टीम के मामलों में, अपनी प्रॉब्लम्स की जड़ों से निपटने के लिए एक और ज्यादा इन-डेप्थ साइकोडाइनैमिक थेरेपी एक अच्छा ऑप्शन होगा।
  6. बहुत से लोग, उस वक़्त खुद के बारे में बेहतर महसूस करना शुरू करते हैं, जब वो अपनी जरूरतों के बाहर किसी कारण में योगदान दे रहे होते हैं। किसी चेरिटेबल ऑर्गनाइज़ेशन को वॉलंटियर करना, चेरिटी को वॉलंटियर करने वाले और इसे लेने वाले, दोनों की ही मदद करता है: जो कि सब तरफ से सिर्फ जीत ही जीत है! [१२]
    • किसी ऐसे ऑर्गनाइज़ेशन की तलाश करें, जो आपके पैशन के मुताबिक कोई काम कर रहा हो।
    • अपने फ्रेंड्स या फ्रेंड्स के ग्रुप के साथ किसी जगह को वॉलंटियर करें; ये ऑर्गनाइज़ेशन (काफी सारे हाँथ मिलकर, किसी भी काम को छोटा सा बना सकते हैं) की हेल्प करेगा और साथ ही ये जो अनुभव होगा, वो आपके लिए और भी ज्यादा रोचक होगा।
विधि 3
विधि 3 का 4:

एक ज्यादा पॉज़िटिव लाइफ़स्टाइल को अपनाना

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  1. अपने लिए वक़्त निकाल पाना जरा सा मुश्किल हो सकता है, लेकिन उन चीजों को करने के लिए वक़्त निकालना, जो आपको रिलैक्स और हैप्पी फील करा सकें और आपकी सेल्फ-एस्टीम को बढ़ाने के साथ-साथ काम और घर पर आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ा सकता है।
    • एक ऐसी हॉबी तलाश लें, जो आपको फिजिकली और मेंटली बेहतर फील करा सके। कुछ लोग योगा, बाइसाइकलिंग या रनिंग को उन्हें शांत, फोकस्ड पॉज़िटिविटी पाने में मददगार लगते हैं।
  2. अगर आपकी ज़िंदगी में नेगेटिव लोग मौजूद होंगे, तो उनकी वजह से आपको खुद के बारे में बुरा फील होना शुरू हो जाएगा,उनके साथ बिताए जाने वाले वक़्त को कम करने की कोशिश करें। अपनी लाइफ में ऐसे लोगों को शामिल कर लें, जो पॉज़िटिव हों और आपके अपने बारे में पॉज़िटिव विचारों को सपोर्ट करते हों।
    • अपने करीबी लोगों को अपनी सेल्फ-एस्टीम पाने की जर्नी के बारे में बताना, उन्हें आपके लिए एक सपोर्ट सिस्टम की तरह एक्ट करने के लिए प्रेरित कर देगा।
    • आपको अपने क्लोज फ्रेंड या फ़ैमिली को ऐसा कुछ बताना होगा, कि “मैं अपनी सेल्फ-एस्टीम को सुधारने की कोशिश कर रहा/रही हूँ। आप चाहें तो जब कभी भी मैं अपने बारे में कुछ भी नेगेटिव बोलूँ, तो मुझे टॉक सकते हैं, ताकि मैं अपनी नेगेटिविटी के बारे में और भी अच्छी तरह से जान सकूँ।”
  3. ऐसे फूड्स को चुनना, जो कि ज्यादा न्यूट्रीशन से भरपूर हों और जिनमें शुगर और फेट कम हो, आपकी एनर्जी को बूस्ट कर सकते हैं, शुगर की मात्रा को कम कर दें और अपनी ओवरऑल हैल्थ को इम्प्रूव करें।
    • फेड (fad) डाइट्स को अवॉइड करें और कम से कम प्रोसेस्ड, होल (whole) फूड्स को लें।
    • कैंडी बरस, सोडा, केक, डोनट्स और पेस्ट्रीज जैसे फूड्स को अवॉइड करें, जिनकी वजह से बहुत ज्यादा एनर्जी क्रेश, सिरदर्द होता है और जिनसे आपको सिर्फ बीमारी और एडेड केलोरी के अलावा जरा सा भी न्यूट्रीशन न मिलता हो।
    • ज्यादा से ज्यादा फ्रूट्स, वेजीस, लीन मेट्स और फलियाँ खाएँ। इन्हें अपनी दिनभर की एनरजो और अपने शरीर के लिए जरूरी एनर्जी की तरह सोचें, जिससे आप अपने जॉब और बच्चों की देखभाल कर सकें, अपने शरीर को बीमारियों से बचा सकें और अपनी लाइफ को भी बढ़ा सकें, ताकि आप अपनी फ़ैमिली के साथ में और ज्यादा वक़्त बिता सकें।
  4. फिर चाहे जिम जाने का ऑप्शन न भी हो, अपनी हैल्थ को इम्प्रूव करने और ज्यादा से ज्यादा मूव होने के लिए, एक ब्रिस्क वॉक भी काफी होती है। जरा सी एक्सर्साइज़ भी आपको बहुत सारी एनर्जी दे सकती है, आपको बेहतर फेल करा सकती है और आपके इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने में हेल्प कर सकती है।
    • काफी सारे लोगों को घर से बाहर निकलकर वॉक करना रिफ्रेशिंग और रिस्टोरेटिव लगता है, खासकर अगर तब जब वो अपना ज़्यादातर वक़्त सिर्फ इंडोर बिताते हैं।
    • यहाँ तक कि हर रोज एक या दो बार, सिर्फ 10 मिनट्स का वर्कआउट भी आपकी हैल्थ को लाभ पहुंचा सकता है।
  5. अगर आप आपको कॉन्फ़िडेंस फील कराने वाले कपड़े पहनकर अपने खुद के अपीयरेंस पर ध्यान देंगे और डेली हाइज्न की आदतों पर ध्यान देंगे, तो आप और ज्यादा कम्फ़र्टेबल और कॉन्फिडेंट फील करने लग जाएंगे।
विधि 4
विधि 4 का 4:

परफेक्शन को भूल जाना

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  1. पिकासो (Picasso) की पेंटिंग की तरह, परफेक्शन हर किसी की नजरों के साथ बदलता रहता है। परफेक्शन एक ऐसी स्टेट है, जो कि सब्जेक्टिव है और अक्सर सेल्फ-इम्पोज्ड हुआ करती है। अपने आप को हायर स्टैंडर्ड्स के साथ बनाए रखने में कोई बुराई नहीं, लेकिन क्योंकि लाइफ हमेशा प्लान के मुताबिक नहीं चला करती है, इसलिए अक्सर ये स्टैंडर्ड्स काफी आइडियलिस्टिक हुआ करते हैं। जब आप हमारी बनाई हुई इमेज के मुताबिक खुद को मैच करता हुआ नहीं पाते हैं, तब आपका निराश होना वाजिब है।
    • क्योंकि ये लोगों को खुद में सुधार करने के लिए, अपने आप को बेस्ट बनाने के सबसे सही तरीकों को तलाशने के लिए प्रेरित करती है, इसलिए जरूरी नहीं है, कि ये कोई बुरी चीज़ ही हो।
  2. जब चीज़ें आपके मनमुताबिक नहीं होती, तब उस दौरान खुद को ज्यादा से ज्यादा माफ करने से आप इस मानव प्रवृत्ति को अनुत्पादक बनने से रोकना सीख सकते हैं और अपनी उपलब्धियों और शक्तियों में अच्छा महसूस करके अपने आप को और अधिक समर्थन न करें ताकि हम वास्तव में इस समय हम जो सही हैं, का आनंद ले सकें।

सलाह

  • अपने आप को ऐसे लोगों से घेर लें, जिन्हें आपकी फीलिंग्स की परवाह है। ऐसे लोग जिन्हें आपकी परवाह ही नहीं, वो आपको आपके कॉन्फ़िडेंस के लिए कोई मदद नहीं कर पाएंगे।
  • फिर चाहे आपको इस तरीके से महसूस न भी होता हो, फिर भी खुद से बोलें, कि आप काफी कॉन्फिडेंट हैं। आपकी फीलिंग्स और विश्वास, ये सब आपके विचारों के ऊपर डिपेंड करते हैं, इसलिए अगर आपको भरोसा है, कि आप कॉन्फिडेंट आउट आउटगोइंग हैं, तो आप हो जाएंगे।
  • असर्टिव (assertive) रहें। अपने कॉन्फ़िडेंस को बूस्ट करना, आप क्या चाहते हैं, के बारे में होता है। अपने खुद के लिए चीज़ें करें। याद रखें, कि दूसरों की मदद करने से पहले, आपको खुद की मदद करना होती है।
  • हर रोज खुद को आईने में देखें। अपने आपकी तारीफ करने लायक कुछ पाएँ: आपके लुक्स, आपकी उपलब्धियां, आपकी सफलताएँ।
  • मैगजीन एड्स और मीडिया आउटलेट्स को उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी की वजह से आपके सेल्फ-कॉन्फ़िडेंस को मत गिराने दें: मार्केटिंग केंपेन अक्सर उन फीलिंग्स को सामने लाकर डर की भावना पैदा कर देते हैं। अपने इनर कॉन्फ़िडेंस और जागरूकता के साथ, मार्केटिंग टैक्टिक्स का विरोध करें।
  • अपनी सेल्फ-टॉक के हर वक़्त पॉज़िटिव होने की पुष्टि कर लें। अपने आप से कहें, कि आप कितने ग्रेट हैं या आज आप कितने अच्छे दिख रहे हैं। अपने होने की स्वाभाविक स्थिति को सकारात्मक बनाएं।
  • लोगों के द्वारा आपको मिले नेगेटिव कमेंट्स को इग्नोर करें। अपने आपको सुनें और कॉन्फिडेंट रहें, कोई भी नहीं है, जो आपको आपकी तरह बनकर रहने को लेकर जज कर सके।
  • अपने मन को रिफ्रेश और बैलेंस करने के लिए योगा या मेडिटेशन करके देखें।

चेतावनी

  • लगातार बनी रहने वाली लो सेल्फ-एस्टीम डिप्रेशन की निशानी हो सकती है। अपने डॉक्टर से बात करें और अगर आपको लगता है, कि ऐसा मामला है, तो अपने लिए सारे ऑप्शन्स को रिव्यू कर लें।

विकीहाउ के बारे में

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