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मुंह के आस-पास कई तरह के कारणों से डार्क स्पॉट्स हो जाते हैं | इनसे काफी परेशानी हो सकती है लेकिन भाग्यवश, इनसे छुटकारा पाना संभव है | एक बार डार्क स्पॉट्स होने के कारण डायग्नोज़ होने के बाद, आप अपने लिए सही ट्रीटमेंट चुन सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

डार्क एरिया का पता लगायें

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  1. जानें कि आपके मुंह के चारों ओर डार्क स्पॉट्स क्यों होते हैं: ये स्पॉट्स आमतौर पर स्किन के कुछ ख़ास हिस्सों में स्किन को डार्क बनाने वाले मेलानिन के हाई अमाउंट के परिणामस्वरूप होते हैं | ये मेलानिन शरीर के अंदर और बाहर मिलने वाले ट्रिगर्स से सेट हो सकते हैं | मेलानिन की इस कंडीशन को हाइपरपिगमेंटेशन कहा जाता है | इन ट्रिगर्स में धूप, मेलास्मा और स्किन इंफ्लेमेशन शामिल हो सकते हैं |
    • सन स्पॉट्स: ये डार्क ब्राउन क्लस्टर्स सन-एक्सपोज़र एरिया में कुछ महीनों से लेकर कुछ साल में दिखाई देते हैं | अगर एक बार ये दिखाई देनें लगें तो बिना ट्रीटमेंट के ये धुंधले नहीं होते | ये पिगमेंट स्किन की सरफेस के पास स्थिर हो जाते हैं इसलिए क्रीम और स्क्रब्स से इनका ट्रीटमेंट किया जा सकता है | सन स्पॉट्स से बचने के लिए या इन्हें और खराब होने से रोकने के लिए रोज़ सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें |
    • मेलास्मा (कोलास्मा): ये डस्की, सिमेट्रिकल स्पॉट्स आमतौर पर बर्थ कण्ट्रोल पिल्स के उपयोग या प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण बनते हैं | जब ये हार्मोन्स सन एक्सपोज़र के साथ जुड़ जाते हैं तब गाल, माथे और ऊपरी होंठ पर डार्क स्पॉट्स दिखाई देने लगते हैं | हाइपरपिगमेंटेशन के इस रूप को आसानी से ट्रीट किया जा सकता है |
    • पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन: डार्क स्पॉट्स अधिकतर स्किन जलने, पिम्पल होने के बाद या अन्य स्किन पर खरोंच आने के कारण हो सकते हैं | ये विशेषरूप से सांवले लोगों को होते हैं लेकिन ये किसी को भी हो सकते हैं | इस केस में मेलानिन स्किन में गहराई तक चले जाते हैं और डार्क स्पॉट्स के धुंधले होने में छ से बारह महीने तक लग जाते हैं | [१]
  2. मुंह के आस-पास की स्किन ठण्ड के मौसम में शुष्क हो जाती है | कुछ लोग मुंह के आस-पास के एरिया को अपनी लार से गीला करते रहते हैं जिसके कारण स्किन और डार्क हो सकती है | अगर आप बहुत ज्यादा देर तक धूप में रहते हैं तो आप मुंह के आस-पास के हिस्सों को बहुत ज्यादा गीला कर सकते हैं | [२]
  3. मुंह के आस-पास की स्किन पतली होती है जिससे डिसकलरेशन, ड्राई स्किन और मुंह के चारों ओर झुर्रियां हो सकती हैं | ये प्रॉब्लम स्किन की गहराई तक नहीं होतीं इसलिए इनके लिए किसी इनवेसिव ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती | आप स्किन एक्स्फोलीएशन के द्वारा आसानी से डिसकलरेशन से छुटकारा पा सकते हैं |
  4. अगर आपको मुंह के आस-पास के डार्क स्पॉट्स के कारणों के बारे में कोई शंका हो तो डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखाएँ, वे प्रॉब्लम को डायग्नोज़ करके उसका ट्रीटमेंट बता सकते हैं | स्किन में होने वाले बदलाव स्किन कैंसर और अन्य सीरियस डिसऑर्डर्स के आरंभिक वार्निंग साइन होते हैं इसलिए बुद्धिमान बनें और डर्मेटोलॉजिस्ट को दिखाएँ |
विधि 2
विधि 2 का 3:

क्रीम, स्क्रब्स और प्रिस्क्रिप्शन

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  1. माइल्ड फेसिअल एक्स्फोलीएंट से रोज़ एक्सफोलिएट करें: एक्स्फोलीयेशन से डेड स्किन सेल्स निकल जाती हैं और समय के साथ इससे मुंह के आस-पास के डार्क एरिया भी फेड हो जाते हैं | आप केमिकल या फिजिकल एक्स्फोलीएंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं | डार्क एरियाज को ट्रीट करने के लिए केमिकल एक्स्फोलीएंट बेहतर हो सकते हैं क्योंकि ये फिजिकल एक्स्फोलीएंट की तरह स्किन को स्टीमुलेट नहीं करते और प्रॉब्लम को और बदतर नहीं बनने देते |
    • आपको केमिकल एक्सफोलीएंट्स और फेसिअल स्क्रब्स कई ड्रग स्टोर्स, ग्रोसरी स्टोर्स और बाथ-एंड-बॉडी सोत्र्स पर मिल सकते हैं | इन्हें खरीदने से पहले प्रोडक्ट रिव्यु जरुर पढ़ लें | कुछ स्क्रब्स एक्ने और स्किन की अन्य कंडीशन ट्रीट करने के लिए ख़रीदे जाते हैं, इन स्क्रब्स में स्किन को डीप-क्लीन करने के लिए अधिकतर एसिड्स और केमिकल मिलाये जाते हैं |
  2. बाज़ार में मिलने वाली स्किन-ब्राइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल करें: आपको ड्रग स्टोर्स और ब्यूटी स्टोर्स पर माँइश्चराइजिंग, स्किन-ब्राइटनिंग पिगमेंट वाले प्रोडक्ट्स मिल जाते हैं | ऐसी क्रीम खोजें जिसमे विटामिन C, कोजीक एसिड (विशेष प्रकार की फंगस स्पीशीज से मिलने वाला एक्सट्रेक्ट), अज़ेलैक एसिड (गेंहू, जौँ और राई में पाए जाने वाले एसिड), अर्बुटिन (इसे बेअर्बेर्री प्लांट से प्राप्त किया जाता है), लिकोरिस एक्सट्रेक्ट, नियासिनामाइड या ग्रेपसीड एक्सट्रेक्ट हों क्योंकि ये सभी टायरोसिनेज एंजाइम को ब्लाक करने में मदद करते हैं जिसका उपयोग स्किन सेल्स मेलेनिन प्रोड्यूस करने में करती हैं | अपने मुंह के आस-पास क्रीम की पतली लेयर लगायें | इन प्रोडक्ट्स पर लिखे इंस्ट्रक्शन पढ़े और इन स्किन-लाइटनिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल तीन सप्ताह से ज्यादा न करें | [३]
    • कोजीक एसिड एक पोपुलर ट्रीटमेंट है लेकिन इससे सेंसिटिव स्किन को परेशानी हो सकती है इसलिए सावधानी बरतें |
    • अगर आपको सीलिएक डिजीज या ग्लूटेन इन्टोलेरेंस है तो गेंहूँ से मिलने वाले अज़ेलैक एसिड के इस्तेमाल से बचें |
  3. एक प्रिस्क्रिप्शन क्रीम के उपयोग के बारे में विचार करें: अगर आपके स्पॉट्स नहीं जा रहे हों तो डर्मेटोलॉजिस्ट हाइड्रोकुइनोन जैसी ड्रग-बेस्ड क्रीम लिख सकते हैं | हाइड्रोकुइनोन पिगमेंट बनाने वाली सेल्स को सीमित कर देते हैं और स्किन के टायरोसिन एंजाइम के प्रोडक्शन को धीमा कर देते हैं | पिगमेंट प्रोडक्शन कम होने पर डार्क स्पॉट्स बहुत आसानी से और जल्दी गायब हो जाते हैं |
    • एनिमल्स स्टडीज में देखा गया है कि हाइड्रोक़ुइनिन का सम्बन्ध कैंसर से है लेकिन यह केवल उन एनिमल्स में था जिनमे यह ड्रग खिलाई गयी या जिनमे इसे इंजेक्ट किया गया था | अधिकतर ट्रीटमेंट टॉपिकल एप्लीकेशन पर ही आकर रुक जाते हैं और किसी रिसर्च में मानवों में इनसे टोक्सिसिटी होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं | कई डर्मेटोलॉजिस्ट इनके कैंसर से सम्बन्ध होने की बात को भी नकारते हैं | [४]
    • अधिकतर पेशेंट्स में कुछ दिनों में ही इससे स्किन लाइटनिंग होने के प्रारंभिक संकेत दिखाई देते हैं जबकि कुछ लोगों में इसके प्रभाव दिखने में छह सप्ताह का समय लग जाता है | ट्रीटमेंट के बाद, पिगमेंट को और ब्राइट बनाये रखने के लिए आप इनके उपयोग की बजाय बाज़ार में मिलने वाली क्रीम लगा सकते हैं |
  4. फ्राक्सेल जैसे लेज़र ट्रीटमेंट करवाना, स्किन की सरफेस के पास होने वाले डिसकलरेशन को ट्रीट करने के लिए एक प्रभावशाली और लम्बे समय तक साथ देने वाला उपाय है | लेकिन, लेज़र पिगमेंट का काम स्थायी नहीं होता | यह इफ़ेक्ट आपके जेनेटिक्स, UV एक्सपोज़र और आपकी स्किन केयर हैबिट्स पर निर्भर करता है | अन्य ट्रीटमेंट्स की तुलना में लेज़र काफी महंगा भी होता है |
  5. स्किन की गहराई में मौजूद डैमेज सेल्स को ट्रीट करने के लिए डर्मेटोलॉजिस्ट इन पील्स को सुझाव दे सकते हैं | आपकी डार्क स्पॉट्स के प्रति वंशानुगत संवेदनशीलता और उव एक्सपोज़र के आधार पर स्पॉट्स कुछ हफ़्तों से लेकर कुछ सालों में ठीक हो सकते हैं | धूप में न जाएँ, जब घर से बाहर जाएँ तब सनस्क्रीन लगायें और डार्क स्पॉट्स की शुरुआत होने पर ही उनका ट्रीटमेंट शुरू कर दें जिससे उनसे लम्बे समय के लिए छुटकारा पाया जा सके |
विधि 3
विधि 3 का 3:

नेचुरल रेमेडीज

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  1. एक छोटे बाउल में ¼ लेमन के जूस में एक बड़ी चम्मच दही या शहद मिलाएं | पोर्स ओपन करने के लिए चेहरे को गर्म पानी से धोएं | इस लेमन मिक्सचर को डार्क एरियाज पर सावधानीपूर्वक लगायें और अब इस मास्क को सूखने दें | सूखने के बाद गर्म पानी से स्किन को धोकर साफ़ करें |
    • आप 2 बड़ी चम्मच लेमन जूस और चीनी में एक मेकअप पैड को भिगोकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं | इसे डार्क एरियाज पर 2 से 3 मिनट के लिए स्क्रब करें और फिर पानी से धोकर साफ़ कर लें |
    • हेवियर ट्रीटमेंट कल इए, एक नीम्बू को दो भागों में काट लें और इसके रस को डार्क स्पॉट्स पर निचोड़ें | 10 मिनट के बाद धोकर साफ़ कर लें |
    • लेमन के उपयोग के बाद धूप में न निकलें | इन ट्रीटमेंट्स को रात में आजमायें, जब आप UV रेज़ के सम्पर्क में नहीं आयेंगे |
    • अगर आप इसका उपयोग अपने पूरे फेस पर कर रहे हों तो याद रखें कि लेमन जूस आपके पूरे कॉम्प्लेक्शन को लाइट कर देगा, न कि सिर्फ डार्क स्पॉट्स को |
  2. डार्क एरियाज पर एलोवेरा जेल या इसके फ्रेश एक्सट्रेक्ट को लगायें | इससे स्किन माँइश्चराइज होगी और उसे हील होने में मदद मिलेगी | अगर धूप में रहने की वजह से स्किन पर डार्क स्पॉट्स हुए हैं तो एलोवेरा काफी असरदार होता है |
  3. दोनों चीज़ों को एक समान मात्रा में मिलकर डार्क स्पॉट्स पर कवर करें | इस मिक्सचर को अपने मुंह के चारों ओर लगाएं और इसे 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगा रहने दें | अब गर्म पानी से धोकर साफ़ कर लें | यह ट्रीटमेंट स्किन को हील करने में मदद कर सकता है | [५]
  4. दो बड़े चम्मच बेसन, ½ छोटी चम्मच हल्दी पाउडर और आधा कप दही मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें | इस पेस्ट को डार्क एरियाज पर लगाकर 30 मिनट तक छोड़ दें और फिर गर्म पानी से धोकर साफ़ कर लें | [६]
  5. एक बड़ी चम्मच ओटमील, एक छोटी चम्मच टमाटर का रस और एक छोटी चम्मच दही मिलाकर एक स्क्रब तैयार करें | इन सभी चीज़ों को अच्छी तरह से मिला लें | इस स्क्रब को स्किन पर 3 से 5 मिनट तक धीरे-धीरे मलें | अब 15 मिनट के बाद इसे धोकर साफ़ कर लें |

सलाह

  • कुछ मेडिकेशन, एलर्जिक रिएक्शन्स और इंजुरी के कारण भी हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है | अगर नयी डाइट, मेडिसिन या स्किनकेयर प्रोडक्ट के इस्तेमाल करने पर पिगमेंटेशन दिखाई दे तो डॉक्टर को दिखाएँ |
  • स्किन को माँइश्चराइज करना न भूलें |
  • कोमलता अपनाएं | बहुत रगड़कर स्क्रब न करें अन्यथा मुंह के आस-पास जख्म या स्कार हो सकते हैं |
  • अगर आप पहली बार स्क्रब कर रहे हैं तो स्क्रबिंग से दर्द हो सकता है लेकिन धीरे-धीरे आपको इसकी आदत हो जाएगी |

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