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फीचर आर्टिकल (Feature Article) लोगों के द्वारा किए हुए कुछ अनुभवों को दूसरों के साथ व्यक्त करने का एक तरीका होते हैं, जो किसी न्यूज़ स्टोरी से कहीं ज्यादा डिटेल और डिस्क्रिप्शन प्रोवाइड करते हैं और जो आमतौर पर राइटिंग स्टाइल पर निर्भर करते हैं। फीचर्स अक्सर ही रीडर्स को सब्जेक्ट के किसी रोचक पहलू के बारे में पूरी तरह से समझने का मौका देते हुए, किसी एक इवैंट या स्टाइल को फोकस करते हैं। फीचर आर्टिकल लिखना काफी ज्यादा क्रिएटिव और एक फन एक्टिविटी हो सकता है, लेकिन फिर भी एक इफेक्टिव (प्रभावी) और इंगेजिंग (लोगों को थामे रखने योग्य) आर्टिकल लिखने के लिए हार्ड वर्क और प्लानिंग की जरूरत होती है।

विधि 1
विधि 1 का 5:

एक टॉपिक चुनना

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  1. इन्टरेस्टिंग स्टोरीज पाने के लिए न्यूज़ पढ़ें और लोगों से बात करें। जो भी घटनाएँ हो रही हैं, और आप उनके बारे में कैसे एक नए तरीके से बात कर सकते हैं, के बारे में सोचें।
  2. बैकग्राउंड इन्फोर्मेशन तलाशकर आपको एक एंगल का पता लगाने में और इंटरव्यू के सब्जेक्ट को पहचानने में मदद मिल सकती है। ऑनलाइन रिसर्च करना अच्छा है, लेकिन ये आपको सिर्फ बहुत ज्यादा आगे तक खींचकर ले जाएगा। एक टॉपिक के साथ मौजूद इशूज से अच्छी तरह से अवगत होने की पुष्टि करने के लिए, आपको बुक्स भी देखना होंगी। आपको किसी एक हिस्टॉरिकल आर्टिकल को भी देखने की जरूरत हो सकती है।
  3. आपके द्वारा लिखे जाने वाले फीचर के टाइप को तय करें: फीचर लिखने के कई टाइप मौजूद हैं, जो पूरी तरह से आप किसे फोकस करना चाहते हैं, के ऊपर डिपेंड करते हैं। उनमें से कुछ में, ये शामिल हैं:
    • ह्यूमन इन्टरेस्ट : ज़्यादातर फीचर स्टोरीज लोगों पर असर डालने वाले इशू पर फोकस करती हैं। ये अक्सर किसी एक इंसान पर या फिर लोगों के ग्रुप पर फोकस होती हैं।
    • प्रोफ़ाइल : ये फीचर टाइप किसी खास केरेक्टर या लाइफ़स्टाइल पर फोकस होता है। इस टाइप का मकसद रीडर को ऐसा फील कराना होता है, जैसे उसे किसी की लाइफ में झाँकने का मौका मिल गया है। अक्सर, इस तरह के फीचर को सेलिब्रिटीज या दूसरे पब्लिक फिगर्स के बारे में लिखा जाता है।
    • इन्सट्रक्शनल : हाउ टू (कैसे-करें) फीचर आर्टिकल्स रीडर्स को किसी चीज़ को करना सिखाते हैं। इसमें अक्सर, एक राइटर के द्वारा किसी काम को सीखने की अपनी खुद की जर्नी के बारे में लिखना शामिल होता है, जैसे एक वेडिंग केक को कैसे बनाया जाए।
    • हिस्टॉरिकल : फीचर्स जो हिस्टॉरिकल इवैंट्स या डेवलपमेंट्स के सम्मान के बारे में लिखे जाते हैं, वो अक्सर जरा कॉमन होते हैं। ये अक्सर रीडर को शेयर की जा रही हिस्ट्री के साथ जोड़े रखते हुए, पास्ट (बीते) और प्रेजेंट (वर्तमान) के बीच में तुलना (जक्स्टपोजिंग) करने में भी यूजफुल हुआ करते हैं।
    • सीजनल (Seasonal) : कुछ तरह के फीचर्स साल के किसी खास वक़्त के बारे में लिखने के लिए एकदम परफेक्ट हुआ करते हैं, जैसे कि समर वेकेशन या फिर विंटर होलिडेज की शुरुआत।
    • बिहाइंड द सीन (Behind the Scenes) : इस तरह के फीचर्स रीडर्स को किसी अनोखी प्रोसेस, इशू या इवैंट के बारे में जानकारी देते हैं। यह उन्हें कुछ ऐसी चीज़ों से परिचित करा सकता है, जो आमतौर पर पब्लिक के लिए ओपन नहीं होती हैं या जिन्हें पब्लिसाइज़ (प्रचारित) नहीं किया जाता है।
  4. आप किस तरह की आडियन्स से बात करना चाहते हैं, के बारे में सोचें: जब आप आइडियाज के बारे में विचार कर रहे हों, तब ये भी सोचें, कि इस स्टोरी को पढ़ने वाले लोग कौन हैं। अपने आप से कुछ इस तरह के सवाल करें, जैसे कि मेरे रीडर्स कौन होंगे? और इन रीडर्स को कौन से एंगल अच्छे लगने वाले हैं? उदाहरण के लिए, आप शायद एक पेस्ट्री शेफ के बारे में लिख सकते हैं, लेकिन अगर बनने जा रहे शेफ आपके रीडर्स हैं या फिर वो एक वेडिंग प्लानर हैं, जो वेडिंग केक खरीदना चाहते हैं, तो आप इसे एकदम अलग तरीके से लिखेंगे। [१]
  5. आप जिस पब्लिकेशन के लिए लिख रहे हैं, उसके टाइप के बारे में सोचें: अगर आप गार्डनिंग जैसे किसी खास टॉपिक के साथ किसी मैगजीन या ब्लॉग लिख रहे हैं, तो फिर आपको किसी तरीके से उस इन्टरेस्ट को रिफलेक्ट करने के लिए अपने फीचर में कुछ बदलाव करने होंगे। वहीं दूसरी तरफ, एक न्यूज़पेपर ज्यादा जनरल आडियन्स के लिए होते हैं और ये अलग-अलग तरह के कंटेन्ट के लिए भी ओपन होते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 5:

सब्जेक्ट्स के ऊपर इंटरव्यू करना

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  1. इंटरव्यू देने वाले इंसान के हिसाब से सुविधाजनक वक़्त और जगह पर एक इंटरव्यू शेड्यूल करें: इंटरव्यू देने वाले से पूछें, कि वो आप से कहाँ मिलना चाहेंगे। अगर वो आपको कोई चोईस देते हैं, तो फिर उन से किसी ऐसी जगह के बारे में पूछें, जो एकदम शांत हो और जहां आप इंटरव्यू के दौरान कम डिस्टर्ब हों।
    • उसके साथ में करीब 30-45 मिनट्स शेड्यूल करें। उनके वक़्त को लेकर रिस्पेक्ट्फ़ुल रहें और साथ ही उनका पूरा दिन भी न ले लें। इंटरव्यू दे रहे इंसान के लिए शेड्यूल के अभी भी सही बने होने की पुष्टि करने के लिए, इंटरव्यू के शेड्यूल होने के कुछ दिनों पहले डेट और टाइम को कंफर्म कर लें।
    • अगर आपके इंटरव्यू देने वाले इंसान शेड्यूल को बदलना चाह रहे हों, तो आप इसके लिए तैयार रहें। याद रखें, वो आपको अपना वक़्त दे रहे हैं और आपको उनके साथ बात करने दे रहे हैं, इसलिए आप भी अपने रिस्पोंस को लेकर उदार रहें। उन्हें कभी भी शेड्यूल बदलने के पीछे गिल्टी का अहसास मत कराएँ।
    • अगर आप उन्हें काम करते हुए देखना चाहते हैं, तो उन से पूछें, अगर वो आपको उनके वर्कप्लेस (ऑफिस) तक लेकर जा सकें। आपको इंटरव्यू दे रहे इंसान से वो क्या करते हैं, के बारे में एक शॉर्ट लेसन लेने का पूछना भी बहुत अच्छा हो सकता है, क्योंकि ये आपको लिखते वक़्त यूज किए जाने लायक एक्सपीरियंस दे देगा।
  2. आप सबसे आकर्षक सवाल पूछें, के बारे में पुष्टि करने के लिए, वक़्त से पहले रिसर्च करें। कन्वर्जेशन को बनाए रखने के लिए, अपने साथ में सवालों की एक लंबी लिस्ट बनाकर रखें। इंटरव्यू देने वाले इंसान के सब्जेक्ट के बैकग्राउंड और एक्सपीरियंस के बारे में जानें, साथ ही आप उन से जिस सब्जेक्ट के ऊपर बात कर रहे हैं, उस सब्जेक्ट के ऊपर उनके नजरिए के बारे में भी जानें।
  3. अपने इंटरव्यू देने वाले इंसान को वक़्त से पहले ही अपने सवालों की लिस्ट दे दें: इंटरव्यू की डाइरैक्शन से उन्हें सरप्राइज़ नहीं होना चाहिए। इंटरव्यू शुरू होने से पहले ही उन्हें सवालों की लिस्ट दे देने से, उन्हें आपको ज्यादा मददगार और तर्कसंगत जवाब देने में मदद मिलेगी।
  4. आपको इंटरव्यू देने वाले का वक़्त बहुत कीमती है, इसलिए आपको भागते-भागते उनके पास पहुँचने में और उनके सामने बैठकर हाँफते (अपनी साँसें भरते) हुए, उस कीमती वक़्त को बर्बाद नहीं करना है। इंटरव्यू साइट पर जल्दी पहुँच जाएँ। एक ऑडियो रिकॉर्डिंग इक्विपमेंट तैयार रखें और उसे टेस्ट कर लें। अपने साथ में एक्स्ट्रा पेन और पेपर लेकर चलने की पुष्टि कर लें।
  5. इंटरव्यू के लिए एक ऑडियो रिकॉर्ड का यूज करें, लेकिन इसके साथ ही इस दौरान नोट्स भी लेते रहें। ऐसा भी हो सकता है, कि इस बीच आपका रिकॉर्डर या तो बंद हो जाए या उसकी मेमोरी फुल हो जाए।
    • हालांकि इंटरव्यू की ऑडियो रिकॉर्डिंग करने से पहले, इंटरव्यू देने वाले इंसान से इस बात की पर्मिशन जरूर माँग लें। अगर आप इस रिकॉर्डिंग को आर्टिकल लिखने के अपने मकसद के अलावा किसी और दूसरे मकसद के लिए यूज करना चाहते हैं (जैसे कि पॉडकास्ट, जो फीचर आर्टिकल के साथ में जाने वाला है), तो फिर आपको उन्हें इस बारे में जरूर बता देना चाहिए और उन से उनकी राय भी ले लेना चाहिए।
    • अगर वो ऑडियो रिकॉर्डिंग देने से मना कर देते हैं, तो उनके ऊपर इसे करने के लिए प्रैशर मत बनाएँ।
  6. अपने इंटरव्यूई (interviewee) के बारे में डिटेल्स कंफर्म कर लें: आप भी किसी के बारे में एक ऐसे लंबे फीचर को लिखकर और फिर उसी के नाम की स्पेलिंग को गलत नहीं लिखना चाहेंगे। उनके नाम की स्पेलिंग को और साथ ही स्टोरी के लिए जरूरी दूसरी सभी डिटेल्स को डबल-चेक करने की पुष्टि जरूर कर लें।
  7. ऐसे सवाल, जिनके जवाब आपको सिर्फ हाँ या नहीं में मिलने वाले हैं, उन से आपको कोई बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिलेगी। इसकी बजाय, ऐसे सवाल पूछें, जिनकी शुरुआत “कैसे” या “क्यों” से होती हो। इस तरह के इंटरव्यू, उन्हें एक स्टोरी सुनाने, उनकी डिटेल्स को रिलेट करने या उनकी राय देने का मौका देते हैं।
    • इसके साथ ही मुझे उस वक़्त के बारे में बताएं, जब.... इस तरह से शुरू होने वाले सवाल के साथ शुरुआत करना भी अच्छा ऑप्शन होता है। ये इंटरव्यू देने वाले को आपको वो स्टोरी बताने देता है, जो उनके लिए जरूरी है और ये आपके आर्टिकल के लिए अच्छी जानकारी भी इकट्ठी करके दे सकता है।
  8. अच्छी तरह से सुनना किसी भी इंटरव्यू का अहम हिस्सा होता है। अपनी खुद की ओब्जर्वेशन के बारे में बहुत ज्यादा कुछ मत बताएँ, बल्कि स्माइल करते हुए और सिर हिलाते हुए उनकी बोली हुई बातों पर रिएक्ट करें। सामने वाला जब किसी की बातों में बहुत अच्छे से ध्यान देता है, तब लोगों को भी बात करना जारी रखना बहुत अच्छा लगता है।
  9. सामने वाले के द्वारा किसी सब्जेक्ट के ऊपर बोलना खत्म करने के बारे में समझना और कब आपके लिए डिस्कसन को आगे बढ़ाना मददगार होगा, इन सबके बारे में जानना एक अच्छे इंटरव्यू लेने का ही एक हिस्सा होता है। आप चाहें तो अपने विचारों के बीच में एक कनैक्शन बनाने के लिए फॉलो-अप क्वेश्चन भी पूछ सकते हैं।
  10. इंटरव्यू होने के फौरन बाद, जब ये आपके मन के अंदर एकदम फ्रेश बना हो, उसके बारे में ओब्जर्वेशन और नोट्स तैयार कर लें। ये शायद आपकी लोकेशन के बारे में, वो इंसान किस तरह से दिख रहा था, वो क्या कर रहे थे या उन्होने किस तरह से खुद को संभाला हुआ था, के बारे में एक ओब्जर्वेशन हो सकती है।
  11. इंटरव्यू को ट्रांस्क्राइब (अपने हिसाब से लिखना) करें: अपने पूरे इंटरव्यू को ट्रांस्क्राइब करना या टाइप करना, एक उबाऊ काम हो सकता है। हालांकि उनकी बोली हुई जरूरी बातों (कोट्स) को सही तरीके से यूज करना बहुत जरूरी होता है और ये आपके इंटरव्यू देने वाले के द्वारा कही हुई बातों को पढ़ने के हिसाब से भी सही रहेगा। इसे या तो खुद ही अपने लिए करें या फिर किसी को पे करके आपके लिए इसे करने के लिए कहें।
  12. आपको इंटरव्यू देने वाले इंसान को एक थैंक यू नोट जरूर भेजें: उन्हें आपको उनका वक़्त देने के लिए थैंक यू कहें और साथ ही उन्हें कब उनके आर्टिकल के आने के बारे में उम्मीद करना चाहिए, के बारे में भी एक आइडिया दें। साथ ही अगर आपको ऐसा लगे, कि आपको कुछ और इन्फोर्मेशन की जरूरत है, तो ये वक़्त आपके उन से फॉलो-अप क्वेश्चन पूछने के लिए भी एकदम सही रहेगा।
विधि 3
विधि 3 का 5:

आर्टिकल लिखने की तैयारी करना

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  1. फीचर आर्टिकलस में हार्ड न्यूज़ आर्टिकल्स के जैसे कोई खास फॉर्मूला नहीं होता है। आपको “इंवर्टेड पिरामिड (inverted pyramid)” स्टाइल, जो न्यूज़ स्टोरी में "किसने, क्या, कब और क्यों" को दर्शाता है, को यूज करने की कोई जरूरत नहीं है। इसकी बजाय, स्टोरी लिखने के एक और इनवेंटिव तरीके को चुनें। कुछ संभावित फ़ारमैट्स में, ये शामिल हैं:
    • पहले एक ड्रामैटिक पल को डिस्क्राइब करते हुए शुरुआत करें और फिर उस हिस्ट्री पर से पर्दा उठाएँ, जो इस पल तक लेकर आती हो।
    • कहानी के अंदर एक और कहानी (story-within-a-story) फ़ारमैट का यूज करें, जो कि अक्सर एक नरेटर के द्वारा किसी और को कहानी सुनाने के ऊपर डिपेंड करता है।
    • पहले किसी ओर्डिनरी पल के साथ में स्टोरी की शुरुआत करें और फिर धीरे-धीरे बताएँ कि ये स्टोरी किस तरह से अनोखी बनती जाती है।
  2. न्यूज़पेपर फीचर स्टोरीज आमतौर पर 500 और 2,500 शब्दों तक की हुआ करते हैं, वहीं मैगजीन फीचर्स 500 से 5,000 शब्दों के बीच होते हैं। ब्लॉग फीचर्स करीब 250 से 2,500 शब्दों तक के हुआ करते हैं।
    • पहले अपने एडिटर से पूछ लें, कि वो आप से कितने लंबे आर्टिकल की उम्मीद रखते हैं।
  3. अपने नोट्स को रिव्यू करते हुए, कोट्स (quotes) सिलेक्ट करते हुए और आर्टिकल के लिए स्ट्रक्चर ड्राफ्ट करते हुए, अपने आर्टिकल के हिस्सों को जोड़ना शुरू करें। पहले अपने इंट्रोडाक्शनके साथ शुरुआत करें और डिसाइड करें, कि आप आपके आर्टिकल को किस तरह से बनाना चाहते हैं। आप पहले किस इन्फोर्मेशन को सामने लाना चाहते हैं? आप जब कंक्लूजन पर पहुँचें, फिर अपनी पूरी थीम के बारे में और अपने रीडर के ऊपर छोड़े जाने वाले इंप्रेशन के बारे में सोचें। [२]
    • सोचें, कि आपकी स्टोरी में क्या है, जो जरूरी तौर पर होना ही चाहिए और किसे हटाया जाना चाहिए। मान लीजिए, अगर आप 500-शब्दों का आर्टिकल लिख रहे हैं, तो फिर आप जिसे भी शामिल करना चाहते हैं, उसके बारे में आपको काफी सिलेक्टिव होना होगा, वहीं एक 2,500 शब्दों के आर्टिकल को लिखने के लिए, आपके पास में काफी सारी जगह होती है।
विधि 4
विधि 4 का 5:

आर्टिकल को लिखना

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  1. अपनी स्टोरी के खुलने के लिए एक हुक (पकड़ मजबूत बनाने योग्य कुछ) लिखें: आपका पहला पैराग्राफ ही आपके द्वारा आपकी आडियन्स को जोड़े रखने का और उन्हें आपकी स्टोरी पर खींचकर लाने का आपका एक मौका हो सकता है। अगर ओपनिंग पैराग्राफ ज्यादा अच्छा नहीं या फॉलो करने में मुश्किल रहेगा, तो आप आपके रीडर्स को खो देंगे और वो आपकी बची हुई स्टोरी को पढ़ना जारी नहीं रख पाएंगे।
    • एक अच्छे हुक के लिए, किसी इन्टरेस्टिंग फ़ैक्ट, कोट या किसी कहावत के साथ शुरुआत करें।
    • आपका ओपनिंग पैराग्राफ सिर्फ 2-3 सेंटेन्स का ही होना चाहिए।
  2. हालांकि आपकी इस लीड को लोगों को रोके रखना चाहिए, आपके दूसरे पैराग्राफ (और अगले पैराग्राफ) को आपकी स्टोरी के पीछे की वजह को एक्सप्लेन करना शुरू करना चाहिए। हम इस स्टोरी को क्यों पढ़ रहे हैं? ऐसा क्या है, जो इसके बारे में जरूरी है?
  3. आपने आपके आर्टिकल को आउटलाइन के फॉर्म में ड्राफ्ट कर लिया है, जो आपको एक अच्छे फीचर आर्टिकल को बनाने के लिए ट्रेक पर बनाए रखने में मदद कर सकेगा। डिटेल्स किस तरह से एक दूसरे के साथ में जुड़ रही हैं और किस तरह से कोट्स, आपके द्वारा बनाए जा रहे किसी खास पॉइंट को सपोर्ट करते हैं, को जानने में भी आउटलाइन आपकी मदद कर सकती है।
    • हालांकि आप अपनी तरफ से फ्लेक्सिबल रहें। कभी-कभी जब आप लिखते हैं, तब फ़्लो कुछ इस तरह से मतलब रखने लगता है, जो आपकी आउटलाइन से पूरी तरह से अलग होता है। हालांकि, अगर आपको आपके आर्टिकल का कोई हिस्सा, किसी दूसरी तरह से ज्यादा अच्छी तरह से पढ़े जाने लायक नजर आए, तो उस हिस्से को बदलने को भी तैयार रहें।
  4. एक फीचर आर्टिकल लिखकर, आपके पास में लोगों को और सीन्स को लोगों को डिस्क्राइब करने का मौका रहेगा। [३] सेटिंग या परसन को कुछ ऐसे डिस्क्राइब करें, ताकि रीडर बड़ी आसानी से अपने मन में उन्हें बसा सकें।
  5. हालांकि आपके मन में आपकी स्टोरी के अंदर, इंटरव्यू देने वाले के खुद के शब्दों को यूज करने का खयाल आना लाज़मी है, लेकिन फिर भी उन्हें बहुत ज्यादा कोट करने के ऊपर भरोसा न करें। नहीं तो, ये बस एक सीधे-सादे इंटरव्यू की तरह लगने लग जाएगा। उनके बारे में कुछ बताने के लिए, स्टोरी को बनाने के लिए और रीडर को इंटरव्यूई के द्वारा बोली जाने वाली बातों को समझ पाने के लिए, कोट्स का इस्तेमाल करें।
  6. एक ऐसी लेंग्वेज को चुनें, जो आपके रीडर्स के हिसाब से ठीक हो: पब्लिकेशन की उस टार्गेट आडियन्स के बारे में सोचें, जिसके लिए आप लिख रहे हैं और फिर उन्हीं के लेवल और इन्टरेस्ट के हिसाब से लिखें। ऐसा मत सोच लें, कि आप जो भी कुछ बता रहे हैं, उसके बारे में उन्हें सब-कुछ मालूम है, इसलिए आपको कुछ चीजों के बारे में एक्सप्लेन करना होगा। एक-जैसे (पर्यायवाची) शब्दों के बारे में, आम बोल-चाल की भाषा के बारे में समझाना मत भूलें। बहुत ज्यादा ठोस और उच्च कोटि की स्टाइल यूज करने के बजाय, एक ऐसी स्टाइल को चुनें, जो ज्यादा सुलभ हो। [४]
  7. एक फीचर आर्टिकल एक ऐसा हिस्सा होता है, जो किसी इंसान या किसी घटना के बारे में जानकारी देता है। ये आपके द्वारा एक टॉपिक पर अपने विचारों को रखने का मौका नहीं है। इसकी बजाय, आपकी पर्सनालिटी को, आपकी स्टाइल से ही लोगों तक पहुँचने दें। [५]
  8. जैसे ही आप आपके आर्टिकल को पूरा कर लेते हैं, फिर अपने आर्टिकल से कुछ दूरी बनाए रखने के लिए, उसको कुछ वक़्त के लिए खुद से दूर रख दें। फिर जब आप एकदम फ्रेश हों, तब उस पर वापस आ जाएँ और फिर उसे फिर से अच्छी तरह से पढ़ें। डिसक्रिप्शन को शार्प करने के तरीके के बारे में सोचें, पॉइंट्स और जरूरी एक्सप्लेनेशन को स्पष्ट करें। आपको क्या कम करने की जरूरत है? किन एरिया में एडिशनल इन्फोर्मेशन एड करने की जरूरत है?
विधि 5
विधि 5 का 5:

आर्टिकल को पूरा करना

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  1. एक ऐसा आर्टिकल लिखना, जिसमें सब सही डिटेल्स या इन्फोर्मेशन न हों, ये शायद आप नहीं करना चाहेंगे। नेम्स को किस तरह से स्पेल किया गया है, ईवेंट्स के ऑर्डर और दूसरी किसी मुनासिब डिटेल्स को फिर से चेक कर लें।
  2. हालांकि सारे फीचर राइटर्स ऐसा नहीं करते हैं और असल में, कुछ तो इस बात का तर्क भी दे सकते हैं, कि इससे उनके लिखे हुए पीस की जर्नलिस्टिक क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। लेकिन काफी सारे सब्जेक्ट, अपने आर्टिकल में खुद को सही तरीके से प्रेजेंट किए जाने की पुष्टि करने के लिए, अक्सर प्रिंट होने से पहले उनके आर्टिकल को पढ़ना चाहते हैं।
    • हालांकि आप उनकी सलाह को मानने या न मानने का फैसला खुद कर सकते हैं।
  3. गलत तरीके से स्पेल किए हुए वर्ड्स और गलत ग्रामर का यूज करके, अपने आर्टिकल के लेवल को नीचे मत गिराएँ। "दा एलीमेंट ऑफ स्टाइल (The Elements of Style)," जो कि प्रोपर ग्रामर यूज करने का स्टैंडर्ड है, को कंसल्ट करें। [६]
    • फ़ारमैट नंबर्स, डेट्स, स्ट्रीट नेम्स और ऐसे ही कई स्टाइल गाइडलन्स के लिए "The Associated Press Stylebook" कंसल्ट करें। [७]
  4. किसी फ्रेंड या कलीग को आपके आर्टिकल को पढ़ने को कहें। आपके एडिटर भी आपको फीडबैक देंगे। इस फीडबैक के लिए एकदम ओपन रहें और इसे पर्सनली तो बिल्कुल भी मत लें। वो चाहते हैं, कि आप एक अच्छा, सॉलिड आर्टिकल लिखें और वो इस पहले से ही लिखे आर्टिकल को और बेहतर बनाने के लिए आपको इसमें बदलाव करने के ऊपर भी सलाह देंगे।
  5. शायद आपका पब्लिकेशन आपके लिए हैडलाइन लिखकर दे, लेकिन अगर आप आपके आर्टिकल की इस पहली ही एंट्री को, आपके कंटेन्ट के बारे में दर्शाता हुआ बनाना चाहते हैं, तो फिर एक ऐसी हैडलाइन लिखें, जो इस काम को करती हो। हैडलाइन को छोटा और एकदम मतलब की बात कहते हुए, ज्यादा से ज्यादा 10-15 शब्दों का होना चाहिए। एक हैडलाइन को एक्शन-ओरिएंटेड़ होना चाहिए, और बताना चाहिए, कि आखिर ये स्टोरी इतनी जरूरी क्यों है। इसे रीडर को खींचकर लाना चाहिए और उन्हें आर्टिकल में खोने लायक बनाते आना चाहिए। [८]
    • अगर आप जरा सी ज्यादा इन्फोर्मेशन भेजना चाहते हैं, तो एक सब-हैडिंग लिख लें, जो कि हैडलाइन पर ही बना हुआ एक सेकंडरी सेंटेन्स है।
  6. आपके आर्टिकल के डैडलाइन पर या इससे पहले ही एडिटर या पब्लिकेशन को सबमिट किए जाने की पुष्टि कर लें। लेट आर्टिकल्स को आमतौर पर प्रिंट नहीं किया जाता है और आपके द्वारा किया हुआ सारा हार्डवर्क अगले मौके तक के लिए रुका रहेगा या फिर शायद फिर कभी पब्लिश भी नहीं हो सकेगा।

सलाह

  • आपके आर्टिकल के पब्लिश होने से पहले, इसके प्रूफ को देखने की माँग करें। ये आपके लिए फ़ाइनल रिव्यू देने का और सारी डिटेल्स को सटीकता के लिए, फिर से चेक करने का एक मौका होता है।

चेतावनी

  • अपने सब्जेक्ट को सही और एकदम निष्पक्ष रूप से रिप्रेजेंट करने की पुष्टि कर लें। फीचर आर्टिकल उस वक़्त परेशानी खड़ी कर सकते हैं, जब वो कहानी के सिर्फ एक ही साइड को बता रहे होते हैं। अगर आपको इंटरव्यू दे रहे इंसान ने, किसी दूसरे इंसान या कंपनी के ऊपर कोई इल्जाम लगाया है तो उस इंसान या कंपनी के साथ में बात करने की पुष्टि जरूर कर लें। अगर आप किसी के ऊपर उंगली उठाएंगे, फिर चाहे ये बातें आपको उस इंटरव्यू दे रहे इंसान ने ही क्यों न बताई हों, फिर भी आप पर किसी का अपमान करने के जुर्म में मुकदमा चलाया जा सकता है। [९]

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