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वोड्का एक न्यूट्रल स्प्रिट है, जो कभी भी पुरानी नहीं होती और इसे अनाज, आलू, शुगर और फ्रूट्स को अल्कोहल प्रोड्यूस करने के लिए फ़र्मेंटेड (खमीरीकृत) कर बनाया जाता है। होम ब्रेवर्स (Home brewers) को मेन्थेनोल को डिस्कार्ड करने के लिए डिस्टिलिंग प्रोसेस के दौरान बहुत ज्यादा सावधानी बरतना चाहिए, क्योंकि अगर इसे निगल लिया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया और यू.एस. (U.S.) जैसी कुछ जगहों पर, घर पर अल्कोहल डिस्टिल करना गैर-कानूनी होता है। [१] वहीं दूसरी कंट्रीज में अपने स्टिल (still) के लिए रजिस्टर करना होता है या फिर अल्कोहल को डिस्टिल करने के लिए एक लाइसेन्स हासिल करना होता है, जैसे कि न्यूजीलैंड और चेक रिपब्लिक (Czech Republic) [२] इस प्रोसेस को शुरू करने से पहले अपने लोकल रेग्युलेशन्स को चेक कर लें।

विधि 1
विधि 1 का 6:

इंग्रेडिएंट्स चुनना

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  1. आप जिन इंग्रेडिएंट्स को फ़रमेंट करना चाहते हैं, उन्हें चुन लें: वोड्का बनाने के लिए, आमतौर पर व्हीट, राई (rye), जौ (barley), कॉर्न, या पोटेटो का यूज किया जाता है। शुगर और गुड़ को अकेले भी यूज किया जा सकता है या दूसरे इंग्रेडिएंट्स के साथ एड किया जा सकता है। एक डिस्टिलर यहां तक ​​कि पिनोट नोइर (Pinot Noir) रेड वाइन से एक नया वोड्का बनाता है। आप चाहे जो भी क्यों न चुन लें, इसमें शुगर्स या स्टार्च जरूर होना चाहिए, ताकि आखिर में अल्कोहल बन सके। यीस्ट शुगर्स या स्टार्चेस को खाता है और अल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालता है। [३]
    • जब ग्रेन्स और पोटेटोज से वोड्का बना रहे हों, तब एक ऐसा मैश बनाया जाना चाहिए, जिसमें एक्टिव एंजाइम्स मौजूद हों, जो ग्रेन्स या पोटेटोज से स्टार्चेस को अलग करके और फ़रमेंट होने लायक शुगर्स बनाते हैं।
    • फ्रूट जूस में पहले से ही शुगर्स मौजूद होता है, इसलिए स्टार्च-डिग्रेडिंग एंजाइम्स की आवश्यकता नहीं होती है। फ्रूट जूस की तरह ही, स्टोर से खरीदी हुई शुगर्स से बनाए हुए वोड्का को सिर्फ फ़रमेंट किया जाना होता है, इस तरह से मैश तैयार करने की जरूरत को दरकिनार किया जा सकता है।
    • जब वाइन जैसे पहले से ही फ़रमेंट किए हुए मीडियम का यूज किया जाता है, तो मीडियम को सीधे वोड्का में डिस्टिल किया जा सकता है।
  2. आपको एडिशनल एंजाइम्स की जरूरत है या नहीं, का फैसला करें: आप आपके वोड्का को किस तरह से बनाने का फैसला करते हैं, उसके हिसाब से, आपको स्टार्चेस को शुगर में कन्वर्ट करने के लिए एंजाइम्स एड करने की जरूरत पड़ सकती है। अगर आप ग्रेन्स और पोटेटोज यूज करते हैं, तो आपको एडिशनल एंजाइम्स की जरूरत पड़ेगी। ग्रेन्स और पोटेटोज स्टार्च के सोर्स होते हैं, इसलिए स्टार्च को शुगर में ब्रेक करने के लिए एंजाइम्स की जरूरत पड़ती है। [४]
    • अगर आप माल्टेड होल ग्रेन्स यूज कर रहे हैं, तो आपको एडिशनल एंजाइम्स की जरूरत नहीं पड़ेगी। माल्टेड होल ग्रेन्स, जैसे कि माल्टेड बर्ले या माल्टेड व्हीट, नेचुरल एंजाइम्स से रिच होते हैं, जो स्टार्चेस को फ़रमेंट होने लायक शुगर्स में ब्रेक कर देते हैं।
    • अगर आप रिफाइंड शुगर या गुड़ का यूज कर रहे हैं, तो क्योंकि शुगर पहले से ही मौजूद है, इसलिए आपको एडिशनल एंजाइम्स की जरूरत नहीं होगी।
  3. फूड-ग्रेड एमिलेज एंजाइम पाउडर को होमब्रेव शॉप से खरीदा जा सकता है और स्टार्च को फ़रमेंट होने लायक शुगर्स में कन्वर्ट करने के लिए, इन्हें मैश में एड किया जा सकता है, उदाहरण के लिए अगर आप पोटेटोज यूज कर रहे हैं। ब्रेक की जाने वाली स्टार्च की मात्रा के लिए, रिकमेंड की हुई मात्रा का यूज करें। एंजाइम पाउडर यूज करते वक़्त जौ या गेहूं जैसे माल्टेड, एंजाइम-रिच ग्रेन्स का उपयोग करने की कोई जरूरत नहीं होती है। [५]
    • एंजाइम के लिए स्टार्च को ब्रेक करने के लायक होने के लिए, स्टार्च को पहले जिलेटिनाइज़ (gelatinized) किया जाना चाहिए। फ्लेक्ड (रोल्ड) ग्रेन्स अक्सर पहले से ही जिलेटिनाइज़ होते हैं। उपयोग किए जाने वाले विशेष स्टार्च के जिलेटिनाइजेशन टेम्परेचर के लिए पोटेटो और अनरोल्ड या माल्टेड ग्रेन्स, जैसे अन-जिलेटिनाइज़्ड इंग्रेडिएंट्स को पानी में गर्म किया जाता है।
    • पोटेटोज को आमतौर पर करीब 150° F (66° C) के ऊपर जिलेटिनाइज़ किया जाता है, और बर्ले और व्हीट को करीब सेम टेम्परेचर पर जिलेटिनाइज़ किया जाता है। सैद्धांतिक रूप से, मैश को सिर्फ 150° F (66° C) तक ही हीट किया जाना चाहिए। अगर पोटेटोज के साथ में एक लो टेम्परेचर का यूज किया जा रहा है, तो पानी में एड करने से पहले, पोटेटो को अच्छी तरह से छोटा-छोटा काट लिया जाना चाहिए।
    • स्टार्च-डिग्रेडिंग एंजाइम्स सिर्फ विशेष टेम्परेचर्स पर ही काम किया करते हैं और हाइ टेम्परेचर में बर्बाद हो जाते हैं। 150° F (66° C) तक का टेम्परेचर कॉमन है, लेकिन 158° F (70° C) से ज्यादा टेम्परेचर की वजह से एंजाइम्स खत्म हो जाते हैं। इसके लिए जरूरी मैक्सिमम टेम्परेचर 165° F (74° C) होता है।
विधि 2
विधि 2 का 6:

अलग-अलग मैश (Mashes) तैयार करना

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  1. लिड वाले के 10 गैलन (38 L) मेटल पॉट में, करीब 165° F (74° C) तक 6 गैलनs (23 L) पानी को गरम करें। 2 गैलनs (7.6 L) ड्राइ, फ्लेक्ड व्हीट एड करें और चलाएँ। टेम्परेचर चेक करें और इसके 150° F (66° C) और 155° F (68° C) के बीच में होने की पुष्टि कर लें। 1 गैलन (3.8 L) क्रश्ड व्हीट माल्ट को चलाएँ। टेम्परेचर को करीब 149° F (65°) तक होना चाहिए। इसे कवर कर दें और इसे बीच-बीच में चलाते हुए, 90 मिनट्स से 2 घंटे तक रहने दें। [६]
    • इस वक़्त के दौरान स्टार्चेस को फ़रमेंट होने लायक शुगर में कन्वर्ट हो जाना चाहिए, और मिक्स्चर को बहुत कम चिपचिपा हो जाना चाहिए।
    • 90 मिनट्स से 2 घंटे के बाद, मिक्स्चर को 80° से 85° F (27° से 29° C) तक ठंडा करें। जल्दी से ठंडा करने के लिए एक इमर्शन चिलर (immersion chiller) का यूज करें या फिर इसे रातभर के लिए ठंडा होने के लिए छोड़ दें, लेकिन इसे 80° F (27° C) से बहुत नीचे भी मत रखें।
  2. करीब 20 pounds (9.1 kg) पोटेटोज को क्लीन कर लें। इन्हें पील किए बिना, एक बड़े केटल में, करीब एक घंटे तक, जिलेटिनाइज़ होने तक बोइल कर लें। पानी को अलग कर दें और पोटेटो को अपने हाँथ से या फिर फूड प्रोसेसर से अच्छी तरह से मैश कर दें। मैश किए हुए पोटेटोज को केटल में वापस रख दें और 5 से 6 गैलन (19 से 23 L) टैप वॉटर एड कर लें। ब्लेन्ड करने तक मिक्स करें और मिक्स्चर को 150° F (66° C) तक ले आएँ। [७]
    • करीब 2 pounds (0.91 kg) तक क्रश किए हुए माल्टेड बर्ले या व्हीट एड करें और इसे अच्छी तरह से मिला लें। कवर कर दें और 2 घंटे के वक़्त के दौरान बीच-बीच में चलाते रहें। इसे सारी रात के लिए 80° से 85° F (27° से 29° C) के बीच ठंडा करें।
    • इसे और ज्यादा लंबे वक़्त तक ठंडा करने से भी बर्ले माल्ट एंजाइम्स को पोटेटो स्टार्च को ब्रेक करने का ज्यादा वक़्त मिल जाएगा।
  3. व्हीट मैश रेसिपी के हिसाब से मैश कर लें, लेकिन फ्लेक्ड, प्री-जिलेटिनाइज्ड कॉर्न (maize) को फ्लेक्ड व्हीट के लिए सब्स्टिट्यूड कर लें। वैकल्पिक रूप से, 3 दिनों के इस वक़्त के दौरान, अपने कॉर्न को स्प्राउट होने दें और माल्टेड ग्रेन एड किए बिना, इससे मैश तैयार कर लें। हर एक ग्रेन से करीब 2 inches (5.1 cm) लंबे स्प्राउट आ जाने चाहिए। [८]
    • स्प्राउट हुए कॉर्न में एंजाइम्स होते हैं, जो जर्मनैशन (स्प्राउटिंग) प्रोसेस के दौरान बने हैं।
विधि 3
विधि 3 का 6:

अल्कोहल को फ़रमेंट करना

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  1. अपने सारे बर्तनों को अच्छी तरह से साफ कर लें और एरिया को अच्छी तरह से तैयार करें: फ़र्मेंटेशन को ऐसी क्लीन, सेनीटाइज़ वेसल्स में किया जाता है, जो कभी-कभी ओपन, लेकिन क्रॉस कन्टैमनैशन को रोके रखने के लिए कभी-कभी हवा से सील भी होती हैं। फ़र्मेंटेशन अक्सर 3-5 दिनों तक होता है। [९]
    • फ़र्मेंटेशन को ऐसी वेसल्स में किया जाना भी मुमकिन होता है, जिन्हें अच्छी तरह से क्लीन और सेनीटाइज़ किया गया हो और डिस्टिल्ड प्रोडक्ट से पीने योग्य अल्कोहल मिलेगा, लेकिन अनचाहे यीस्ट स्टेंस और बैक्टीरिया की वजह से फ़र्मेंटेशन से हाइ लेवल अनचाहे फ्लेवर कम्पाउंड और हायर अल्कोहल मिलता है।
    • ऑक्सीडेटिव क्लीनर्स, जैसे कि B-Brite होमब्रेव शॉप में, आइडोफोर (iodophor) जैसे सेनीटाइजर की तरह मिल जाते हैं।
  2. एयरलॉक एक ऐसा मेकेनिज़्म है, जो O 2 को अंदर आने दिए बिना, CO 2 को बाहर निकालकर देता है। स्ट्रेंड मैश के 5-गैलन (19-L) बैचेस को 7.5-गैलन (28-L) फूड-ग्रेड बकेट में या 6-गैलन (23-एल) कार्बोय (carboys) में फरमेंट किया जा सकता है। लिड्स को बकेट में लगाया जा सकता है, जैसे कि ड्रिल रबर स्टॉपर्स कार्बोयस पर जा सकता है, लेकिन जब लिड या स्टॉपर का यूज करें, तो वेसल को कभी भी पूरी तरह से सील मत करें, क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड से बनने वाला प्रैशर एक एक्सप्लोजिव प्रैशर प्रोड्यूस कर देगा। [१०]
    • एक्सप्लोजिव प्रैशर को बनने से रोकने के लिए, एयरलॉक्स को हमेशा लिड्स और ड्रिल किए गए रबर स्टॉपर्स पर चिपकाएं।
    • जब फ़र्मेंटेशन को ओपन वेसल में किया जाए, तो बग्स को और ऐसी ही दूसरी अनचाही चीजों को दूर रखने के लिए, वेसल पर एक चीज़क्लॉथ (cheesecloth) रख लें।
  3. अगर मैश बनाया गया है, तो फिर एक फ़ाइन मैश स्ट्रेनर के जरिए, एक साफ और सैनिटाइज़ की हुई फ़र्मेंटेशन वेसल में लिक्विड को छान लें। लिक्विड को उछाल लें और इसे दूरी से भरें, ताकि इसमें अच्छी तरह से हवा भर सके। [११]
    • यीस्ट को शुरुआत में बढ़ने और एक अच्छी क्वालिटी के फ़र्मेंटेशन को शुरू करने के लिए एयर (ऑक्सीज़न) की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यीस्ट ऑक्सीज़न से लिपिड्स के फॉर्म में सेल्यूलर मटेरियल बनाता है। हालांकि, इस शुरुआती ग्रोथ स्टेज के बाद ऑक्सीजन की कोई जरूरत नहीं होती है, क्योंकि ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में यीस्ट अल्कोहल प्रोड्यूस करता है।
    • अब इस वक़्त पर आपको शुगर सोल्यूशन को एड करना पड़ेगा। अब शुगर सोल्यूशन को दूर से फ़र्मेंटेशन वेसल में डालते हुए, इसे हवादार बना लें।
    • अगर जूस को फरमेंट किया जाना है, तो एक सीव (sieve) या स्टेनर से फ़र्मेंटेशन वेसल में दूर से डालते हुए हवादर कर लें।
  4. ड्राई डिस्टलर या दूसरी चाही हुई यीस्ट की उचित मात्रा को हाइड्रेट कर लें और इसे लिक्विड में एड कर दें। यीस्ट को एक-समान रूप से फैलाने के लिए एक क्लीन, सैनिटाइज़ की हुई स्पून का यूज करें। अगर एयरलॉक्स यूज कर रहे हैं, तो एक्टिव फ़र्मेंटेशन के दौरान एयरलॉक्स बबल देगा और जब लिक्विड फरमेंट हो जाएगा, तब ये बबलिंग अचानक से ही धीमी पड़ जाएगी या फिर पूरी तरह से रुक जाएगी। [१२]
    • अच्छा, बेहतरीन फ़र्मेंटेशन पाने के लिए, फरमेंट हो रहे लिक्विड को एक ऐसे रूम में रखें, जिसका टेम्परेचर 80° से 85° F (27° से 29° C) तक है। वैकल्पिक तौर पर, कोल्ड एरियाज में एक हीट बेल्ट का यूज करें।
    • डिस्टिलर्स यीस्ट सफाई से फरमेंट करेगा, जो ज्यादा मात्रा में अल्कोहल (इथेनॉल) को प्रोड्यूस करेगा, और इथेनॉल के अलावा, अल्कोहल के जैसे दूसरे अंचए कम्पाउंड्स की कम मात्रा को प्रोड्यूस करेगा। यीस्ट की मात्रा, यीस्ट के खास ब्रांड या टाइप के ऊपर डिपेंड करेगी।
    • यीस्ट के साथ, यीस्ट पैकेट में न्यूट्रीएंट्स मौजूद होंगे। यीस्ट न्यूट्रीएंट्स उस वक़्त काफी जरूरी होते हैं, जब एक ऐसे मीडियम में फरमेंट किया जा रहा हो, जिसमें न्यूट्रीएंट्स की कमी हो, लेकिन अगर इन्हें ग्रेन्स से बने हुए मीडियम के जैसे, किसी न्यूट्रीएंट्स-रिच मीडियम में भी यूज किया जाए, तो ये फ़र्मेंटेशन की क्वालिटी को इंप्रूव भी कर सकते हैं।
  5. एक क्लीन और सैनिटाइज़ की हुई वेसल में या एक डिस्टिलेशन अपेरेटस में फरमेंट हुए, अल्कोहोलिक लिक्विड (जिसे वॉश कहते हैं) को कलेक्ट कर लें। यीस्ट सेड़िमेंट्स को फ़र्मेंटेशन वेसल में ही रहने दें, क्योंकि स्टिल में हीट करते वक़्त ये जल भी सकते हैं। निकाले हुए वॉश को फिल्टर करके या डिस्टिलेशन के दूसरे तरीके से और भी साफ किया जा सकता है। [१३]
विधि 4
विधि 4 का 6:

स्टिल (Still) को निकालना

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  1. कॉलम स्टिल्स, पॉट स्टिल्स के मुक़ाबले काफी कॉम्प्लेक्स और सोफिस्टिकेटेड होते हैं। इन्हें खरीदा जा सकता है या, स्टिल की डिजाइन के मुताबिक, मौजूदा मटेरियल्स का यूज करके बना लें। हालांकि, कॉलम स्टिल्स और पॉट स्टिल्स काफी हद तक एक ही तरीके से काम करते हैं। [१४]
    • कूलिंग वॉटर आमतौर पर डिस्टिलेशन कॉलम में, सील्ड कम्पार्टमेंट से गुजरता है, जिसकी वजह से अल्कोहल वेपोराइज़ हो जाता है और कॉलम में मौजूद दूसरे सब्स्टेंस कंडेन्स हो जाते हैं। इसका मतलब, कि इस तरह की स्टिल्स में स्टिल में पानी सप्लाई करने के लिए, इसको डाइरैक्टली एक सोर्स (faucet) से या एक मेकेनिकल पम्प से अटेच होना चाहिए।
    • अगर किसी एक सिंगल सप्लाई से वॉटर रीसर्कुलेट नहीं हो रहा है, तो वोड्का के बस जरा से बैच को बनाने के लिए भी कई हजारों गैलन पानी की जरूरत पड़ेगी। अगर एक पम्प की मदद से पानी को किसी सेंट्रल रिजर्वायर (कुंड) से रीसर्कुलेट किया जा रहा है, तो करीब 50 गैलन (189 L) पानी का यूज किया जा सकता है, लेकिन पानी गरम हो जाएगा और कम असरदार बन जाएगा।
  2. अगर आप एक कॉलम स्टिल को नहीं पा सकते हैं, तो एक पॉट स्टिल का यूज करें: सिंपल पॉट स्टिल्स प्रैशर कुकर की तरह ही होते हैं, जो पाइपिंग या ट्यूबिंग से जुड़े होते हैं। इन्हें काफी आसानी से और काफी कम खर्च से बनाया जा सकता है। वर्टिकल कॉलम्स वाले कॉलम स्टिल्स से एकदम विपरीत, पॉट स्टिल्स शायद एक बेंट (bent) या कोइल्ड ट्यूबिंग या पाइपिंग का यूज कर सकते हैं, जो ठंडे पानी से भरे हुए वेसल में डूबे हों। पम्प्स और लार्ज वॉल्यूम कूलिंग वॉटर की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इन्हें यूज किया जा सकता है। [१५]
  3. अगर जरूरी हो, तो एक रिफ्लक्स स्टिल (reflux still) का यूज करें: रिफ्लक्स स्टिल एक बार में ही कई डिस्टिलेशन कर सकती है। कंडेंसर और पॉट के बीच में मौजूद पैकिंग, वेपर को कंडेन्स होने देती है और लिक्विड पूल में वापस जाने देता है। ये “रिफ्लक्स” उठने वाली वेपर को क्लीन करते हैं और वोड्का की प्योरिटी को बढ़ा देते हैं। [१६]
विधि 5
विधि 5 का 6:

अल्कोहल को डिस्टिल करना

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  1. स्टिल्स फरमेंट हुए, अपेक्षाकृत-लो अल्कोहलिक वॉश को एक ऐसे टेम्परेचर पर हीट करता है, जो अल्कोहल के बोइलिंग पॉइंट से ज्यादा हो, लेकिन पानी के बोइलिंग पॉइंट से कम हो। इस तरीके से, अल्कोहल तो वेपराइज़ होता है, वहीं पानी नहीं हो पाता। वेपराइज़ हुआ अल्कोहल (वेपराइज़ हुए कुछ पानी के साथ) स्टिल के कॉलम, पाइप या ट्यूब में ट्रेवल होता है। [१७]
    • ठंडे पानी के रूप में, एक्सटर्नल कूलिंग को कॉलम, पाइप या ट्यूबिंग में अप्लाई किया जाता है, जो वेपराइज़ हुए अल्कोहल को ठंडा और वापस लिक्विड में कंडेन्स कर देता है। ये अल्कोहलिक लिक्विड इकट्ठा हो जाएगा और वोड्का बन जाएगा।
  2. डिस्टिलेशन प्रोसेस को शुरू करने के लिए वॉश (wash) को हीट कर लें: यूज की जाने वाली स्टिल के टाइप के अनुसार, गैस बर्नर्स, वुड फायर्स या इलेक्ट्रिक हॉट प्लेट्स ऑप्शन रहेंगे। सी लेवल पर 173° F (78.3° C) तक का टेम्परेचर सही होता है, लेकिन टेम्परेचर को पानी के बोइलिंग पॉइंट से नीचे, 212° F (100° C) सी लेवल पर रखा जाना चाहिए [१८]
    • जब वॉश हीट हो जाता है, तब अल्कोहल और दूसरे सब्स्टेंस वेपराइज़ हो जाते हैं और स्टिल के वॉटर-कूल एरिया में कंडेन्स हो जाते हैं।
  3. पहला डिस्टिल किया हुआ लिक्विड (जिसे “हैड्स” कहते हैं), जो स्टिल से रिकवर हुआ है, ये हानिकारक मेथनॉल और ऐसे ही दूसरे बदलने लायक केमिकल्स, जो टॉक्सिक और घातक होते हैं से भरा हुआ होता है। 5 गैलन (19 L) वॉश के लिए, कम से कम 2 आउंस (60 mL) शुरुआती डिस्टिलेट को अलग कर दें। [१९]
    • ये बहुत जरूरी है, कि आप इस डिस्टिल किए हुए लिक्विड को न पिएँ!
  4. आपके द्वारा हैड्स को अलग करने के बाद, कलेक्ट किए हुए डिस्टिलेट में पानी और दूसरे कम्पाउंड्स के साथ, डिजायर्ड अल्कोहल (एथेनॉल) शामिल होता है। इसे ही “बॉडी (body)” या “हार्ट (heart)” बोला जाता है। इस वक़्त के दौरान, अगर आप ठंडे पानी के साथ में कॉलम स्टिल यूज कर रहे हैं, तो पानी के फ़्लो को, डिस्टिलेट आउटपुट और प्योरिटी के लिए कंट्रोल किया जा सकता है। [२०]
    • हर मिनट पर 2 से 3 टीस्पून (9.8 से 14.8 mL) डिस्टिलेट का लक्ष्य रखें। डिस्टिलेट आउटपुट बढ़ाने से, प्योरिटी कम हो जाती है।
  5. डिस्टिलेशन प्रोसेस के आखिर में, जब टेम्परेचर करीब 212° F (100° C) और इससे भी आगे चला जाता है, तब डिस्टिलेशन प्रोसेस में दूसरे बेकार केमिकल्स प्रोड्यूस होते हैं। इन्हें ही “टेल्स (tails)” कहा जाता है, जिसमें फ्यूज़ेल (fusel) अल्कोहल्स मौजूद होते हैं। टेल्स में क्योंकि प्रोपेनॉल और ब्यूटेनॉल होते हैं, इसीलिए ये गैर-जरूरी होते हैं और इन्हें अलग ही कर दिया जाना चाहिए। [२१]
    • टेल्स को हमेशा बाहर फेंक दिए जाने की पुष्टि कर लें, क्योंकि उनका सेवन नहीं किया जाना चाहिए!
  6. डिस्टिलेट की प्योरिटी और अल्कोहल कंटेन्ट को चेक कर लें: डिस्टिलेट के सैंपल को 68° F (20° C) पर ठंडा कर लें और डिस्टिलेट में मौजूद अल्कोहल पर्सेंटेज को मापने के लिए एक अल्कोमीटर (alcometer) का यूज करें। ये डिस्टिलेट शायद वोड्का के रूप में सर्व करने के हिसाब से बहुत ज्यादा पतला हो सकता है (40% अल्कोहल से भी वेक) या फिर ये इच्छा के हिसाब से कहीं ज्यादा कन्संट्रेटेड हो सकता है (शायद 50% अल्कोहल से हल्का)। [२२]
    • वोड्का को बॉटल में डालने से पहले पतला किया जाता है, इसलिए डिस्टिलेट में बहुत हाइ अल्कोहल कंटेन्ट हो सकता है। ये डिस्टिलेट शायद बहुत ज्यादा फ्लेवरफुल और अरोमेटिक भी हो सकता है, और इसके लिए एडिशनल डिस्टिलेशन या कार्बन फिल्टरिंग की जरूरत हो सकती है।
  7. अगर जरूरत हो या इच्छा हो, तो लिक्विड को रीडिस्टिल कर लें: इससे अल्कोहल कंटेन्ट बढ़ जाता है और डिस्टिलेट और भी ज्यादा प्योरिफाई हो जाता है। हाइ प्योरिटी के वोड्का को बनाने के लिए, डिस्टिलेट को 3 या और भी ज्यादा बार रीडिस्टिल करना बहुत कॉमन होता है। [२३]
    • एक बात का ध्यान रखें, कि हैड्स और टेल्स को हर बार वोड्का डिस्टिल करते वक़्त अलग किया जाना चाहिए!
    • वोड्का की प्रीमियम ब्रांड्स 4 या 5 डिस्टिलेशन किया करती हैं और ज़्यादातर दूसरी ब्रांड्स को पतला करने और बॉटल में डालने से पहले करीब 3 बार डिस्टिल किया जाना होता है।
विधि 6
विधि 6 का 6:

फिनिशिंग टच एड करना

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  1. अनचाहे बदलने लायक फ्लेवर्स और अरोमा को हटाने के लिए डिस्टिलेट को होमब्रेविंग शॉप पर मिलने वाले किसी एक एक्टिवेटेड कार्बन फिल्टर से निकालें। कार्बन वॉटर फिल्टर्स को डिस्टिलेट को प्योरिफाई करने के लिए मोडिफ़ाई किया जा सकता है। [२४]
  2. चाही हुई स्ट्रेंथ पाने के लिए वोड्का को पतला कर लें: चाहे हुए अल्कोहल परसेंटेज़ को पाने के लिए प्योरिफाइड वॉटर एड करें। अब जब तक कि आपको अपनी चाही हुई स्ट्रेंथ न मिल जाए, तब तक पूरी प्रोसेस के दौरान कई बार अल्कोमीटर से अल्कोहल परसेंटेज़ को मेजर करते रहें। [२५]
  3. एक ग्रेविटी बॉटल फिलर सेटअप और कॉर्क का यूज करते हुए बॉटल को भर दें या बॉटल को कैप कर दें। अगर इच्छा हो, तो बॉटल्स को कस्टम लेबल से लेबल कर दें। कुछ ग्रेविटी फिलर्स में शायद एक 7.5 गैलन (29 L) बॉटलिंग बकेट (स्पिगट/डाट के साथ), विनाइल ट्यूबिंग और एक सिंपल स्प्रिंग-लोडेड प्लास्टिक बॉटल फिलर मौजूद रहता है। मल्टीपल-स्पाउट वाइन बॉटल फिलर्स को भी यूज किया जा सकता है। [२६]

सलाह

  • वोड्का को फ्लेवर के साथ मिलाया जा सकता है।
  • बेहतरीन छोटे स्टिल्स न्यू जीलेंड में बनते हैं।
  • स्टार्च-डिग्रेडिंग एंजाइम्स के सही ढ़ंग से काम करने की पुष्टि करने के लिए, मैश के pH को जिप्सम या दूसरे कम्पाउंड्स के साथ एडजस्ट किया जाने की जरूरत होती है।
  • होम डिस्टिलेशन और साथ ही किसी के घर में वोड्का तैयार करना, न्यू जीलेंड और चेक रिपब्लिक (Czech Republic) में लीगल होता है।

चेतावनी

  • अल्कोहल फ्लेमेबल (ज्वलनशील) और शायद टॉक्सिक होता है।
  • डिस्टिलेट के पहले 5% या और ज्यादा को अलग करना मत भूलें। इसमें मेथनॉल होता है, एक ओप्टिक नर्व पॉइजन, जिसे अगर निगल लिया जाए, तो घातक हो सकता है!
  • कई एरिया में, 21 साल से कम उम्र में अल्कोहल का प्रोडक्शन और कंजंप्शन गैर-कानूनी है।
  • डिस्टिलेशन अपेरेटस ओपन फ्लेम्स और ऐसे ही दूसरे साधनों से गरम हो जाती हैं, जो शरीर को चोट पहुंचा सकते हैं और शायद, खासकर कि अल्कोहल के फ्लेमेबल नेचर के चलते इन से धमाका भी हो सकता है।
  • अपने स्टिल में लीक्स या ऐसी कोई भी स्थिति जहां पर अल्कोहल या अल्कोहल वेपर फ्लेम के सामने आ जाए, की वजह से एक्सप्लोजन और फायर भी हो सकता है।
  • सुरक्षा के चलते, डिस्टिलेशन को आपके घर के अलावा किसी और जगह पर किया जाना ही ठीक होता है।
  • होम डिस्टिलेशन कई देशों में गैर-कानूनी माना जाता है।
  • फ़र्मेंटेशन अपेरेटस में प्रैशर बन सकता है और इससे धमाका भी हो सकता है। डिस्टिलेशन अपेरेटस अक्सर क्लोज्ड, प्रैशराइज्ड सिस्टम नहीं होते हैं, इसलिए ये प्रैशर नहीं बनाते हैं।
  • अगर एक स्टिल को फेब्रिकेट कर रहे हैं, तो इस बात से अवगत रहें, कि प्लास्टिक और रबर के साथ-साथ सोल्डर और धातुओं से भी केमिकल निकलता है, और ये शायद डिस्टिलिंग प्रोसेस के दौरान, डिस्टिलेट में भी लीक हो जाता है।

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