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लोग अनेक कारणों से अकेलापन महसूस करते हैं, जैसे सामान्य सामाजिक परेशानी एवं सुविचारित एकाकीपन। कुछ लोगों को तो भीड़ में भी अकेलापन लगता है, क्योंकि वे उन लोगों से अर्थपूर्ण संबंध ही नहीं जोड़ पाते हैं। [१] सभी को कभी न कभी अकेलेपन का एहसास होता है, मगर वह कभी भी अच्छा नहीं प्रतीत होता है। अकेलेपन से निबटने की कई विधियाँ संभव हैं, जैसे नए लोगों से मिलना, अपने एकांत का आनंद लेना, और परिवार से पुनर्मिलन। अकेलेपन से निबटने में सहायता के लिए आगे पढ़िये।

विधि 1
विधि 1 का 4:

स्वयं की अकेलेपन की भावनाओं को समझना

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  1. उन परिवर्तनों के लिए, जिनसे आपको वास्तव में मदद मिल सके, आपको कुछ समय यह जानने के लिए निकालना होगा कि आप अकेलापन महसूस कर क्यों रहे हैं। [२] जैसे कि, यदि आप यह सोचते हैं के अकेलापन मित्रों की कमी की वजह से है, तो जाइए, और मित्र बना लीजिये। यदि आपका अकेलापन मित्रों की बहुतायत की वजह से, परंतु अर्थपूर्ण सम्बन्धों के अभाव से हो तो नए मित्र बनाने के बाद भी आपको अकेलापन लग सकता है। यह जानने के लिए कि क्या आप वास्तव में अकेले हैं, नीचे दिये गए कुछ प्रश्नों पर विचार करिए:
    • आपको सर्वाधिक अकेलापन कब लगता है?
    • क्या कुछ ऐसे लोग हैं जिनके आसपास होने पर आप अधिक अकेलापन महसूस करते हैं?
    • आपको ऐसा कब से लग रहा है?
    • अकेलेपन की स्थिति में आप क्या करना चाहते हैं?
  2. अपनी भावनाओं और विचारों का हिसाब रखने के लिए एक दैनंदिनी रखना शुरू करिए: दैनंदिनी से आपको अपनी भावनाओं को समझने में सहायता मिलेगी और यह तनाव कम करने की भी एक उत्तम विधि है। [३] दैनंदिनी लिखना शुरू करने के लिए पहले एक सुविधाजनक स्थान निर्धारित कर लीजिये और प्रतिदिन लगभग 20 मिनट लिखने को देने की योजना बना डालिए। लिखना शुरू करने के लिए आप लिख सकते हैं कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं या आप क्या सोच रहे हैं या आप किसी अवलंब का भी प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कि ये:
    • ”मैं अकेलापन तब महसूस करता हूँ जब ....”
    • ”मैं अकेलापन इसलिए महसूस करता हूँ क्योंकि ......” [४]
    • आपने कब से अकेलापन महसूस करना शुरू किया? कितने समय से आप ऐसा महसूस कर रहे हैं? [५]
  3. किसी शोध से पता चला है कि चिंतन, अकेलेपन और नैराश्य से संबन्धित भावनाओं को नियंत्रित करने में सहायता कर सकता है। [६] चिंतन, अपनी अकेलेपन की भावनाओं तक पहुँचने और उनके उद्गम को समझना शुरू करने का उत्तम माध्यम है। चिंतन के लिए समय, अभ्यास और दिशा निर्देशन की आवश्यकता होती है, अतः आपके लिए सर्वश्रेष्ठ यही होगा कि अपने इलाके में कोई चिंतन की पाठशाला खोज लें। यदि ऐसी कोई पाठशाला आपके आसपास उपलब्ध न हो, तो आप ऐसे सी डी खरीद सकते हैं जिनसे चिंतन सीखा जा सके। [७]
    • चिंतन प्रारम्भ करने के लिए, एक शांत स्थान खोजें और वहाँ आराम से बैठ जायें। आप कुर्सी पर बैठ सकते हैं या धरती पर, गद्दी डाल कर और पालथी मार कर भी। अपनी आँखें बंद कर लीजिये और अपने श्वसन पर ध्यान लगाइए। जब आप अपने श्वसन पर ध्यान लगाएँ तब प्रयास करिए कि आप अपने विचारों से विचलित न हो जायें। बस उनको उत्पन्न होने दीजिये और चला जाने दीजिये।
    • बंद आँखों से अपने चारों ओर की दुनिया देखिये।और आप कैसा महसूस कर रहे हैं, इस पर भी ध्यान दीजिये। आप क्या सुन रहे हैं? आप क्या सूंघ रहे हैं? आपको कैसा लग रहा है? शारीरिक रूप से? भावनात्मक रूप से? [८]
  4. अपनी मनःस्थिति के संबंध में किसी चिकित्सक से चर्चा करने का विचार करिए: यह जानना कठिन हो सकता है कि आजकल आपको अकेलापन क्यों लग रहा है और उन भावनाओं से छुटकारा कैसे पाया जाये। कोई लाइसेंसधारी मनोचिकित्सक अकेलेपन की भावनाओं को समझने और उनसे छुटकारा पाने में आपकी मदद कर सकता है। अकेलेपन की मनोभावना संभवतः यह इंगित करती है कि आप निराश हैं और आपमें एक प्रकार की मानसिक अस्वास्थ्य की स्थिति है। चिकित्सक की सहायता से आप समझ सकते हैं कि हो क्या रहा है और सर्वश्रेष्ठ रास्ता क्या होगा।
विधि 2
विधि 2 का 4:

स्वयं को सांत्वना दीजिये

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  1. अकेलापन मानव होने का अभिन्न अंग है, मगर आपको ऐसा लग सकता है कि यह असामान्य है। किसी मित्र या परिजन की ओर हाथ बढ़ाएँ और उससे अपनी भावनाओं के संबंध में बात करें। जब आप किसी से अपनी भावनाओं के बारे में बताते हैं तो उनसे भी पूछिए कि क्या उन्हें भी वैसा महसूस होता है। किसी की ओर बढ़ना और उससे साझेदारी, आपको यह समझने में मदद करेगी कि आप अकेले नहीं हैं। [९]
    • ऐसा कुछ कहने का प्रयास करिए,”पिछले कुछ दिनों से मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा हूँ और मैं सोच रहा था कि क्या आपको भी कभी ऐसा महसूस होता है”।
    • यदि आप किसी मित्र या परिजन से इस संबंध में बात नहीं कर सकते हैं तो किसी शिक्षक, सलाहकार या धार्मिक गुरु की ओर बढ़िए। [१०]
  2. आप कितने अकेले हैं, इस बात पर अटके रहने के स्थान पर, ऐसा कुछ करिए जो आपके ध्यान को अकेलेपन से कहीं और ले जाये। टहलिए, साइकिल चलाइये या पुस्तक पढ़िये। नई गतिविधियां और शौक खोजिए और नवीनताओं से घबराइए मत। नए अनुभव होने से आप उनके संबंध में सामाजिक स्थितियों में अधिक टिप्पड़ियाँ कर सकते हैं (और लोगों से बात कर सकते हैं) तथा लोगों से दिलचस्प बातचीत शुरू कर सकते हैं। [११]
    • स्वयं को व्यस्त रखिए। खाली समय होने से अकेलेपन की भावनाएँ आ ही जाती हैं। स्वयं को कार्य या पाठ्येतर कार्यवाहियों में डूबा दीजिये।
  3. यदि आपके साथ, हर समय, बाहर जाने के लिए कोई और नहीं है, तो इस कारण से बाहर जाना और मज़े लेना बंद मत कर दीजिये। जैसे कि, यदि आप रात्रि भोज अथवा सिनेमा के लिए बाहर जाना चाहते हैं, तो स्वयं को ले कर सिनेमा या बढ़िया भोजनालय में जाइए। हालांकि शुरू में वह सब अकेले करना, जो आप किसी के साथ करते थे, अटपटा लग सकता है, मगर अपने को रोकिए मत। अपने आप के साथ रहना और चीज़ें करना कोई विचित्रता नहीं है! जब आप यह याद करेंगे कि पहले आप यह सब क्यों करते थे, आपको उसमें फिर से मज़ा आने लगेगा।
    • जब आप अकेले भोजन करने या कॉफी पीने जायें तो अपने साथ कोई पुस्तक, पत्रिका या जर्नल लेकर जाइए ताकि उस समय आप व्यस्त रहें जब आप आम तौर पर बातें करते थे। यह बात ध्यान में रखिए कि लोग अकेले इसलिए भी बाहर जाते हैं क्योंकि वे कुछ समय “अपने” साथ बिताना चाहते हैं; ऐसा नहीं है कि आपको अकेले बैठा देख कर लोग यह समझ लेंगे कि आपके कोई मित्र नहीं हैं।
    • अकेले बाहर रहने की आदत पड़ने में कुछ समय लग सकता है। केवल इसलिए कि आपको अटपटा लग रहा है, थोड़े से प्रयासों के बाद इसको छोड़ मत दीजिये।
  4. यदि आप साथी के बिना सचमुच में बेचैन हैं, तो स्थानीय पशु केंद्र से कोई कुत्ता या बिल्ली ला कर पालने की सोचिए। किसी कारण से ही पालतू पशुओं को रखने का चलन शताब्दियों से है, और पशुओं का विश्वास और प्रेम प्राप्त करना, अपने आप में गहन संतोषजनक अनुभव है।
    • जिम्मेदार पशुपालक बनिए: सुनिश्चित करिए कि आपके पशु का वंध्याकरण हुआ हो और अपने जीवन में पालतू पशु को आने का अवसर केवल तभी दीजिये जब आप उसकी दैनिक आवश्यकताओं का ध्यान रखने में सक्षम हों।
विधि 3
विधि 3 का 4:

फिर से सामाजिक हो जाइए

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  1. नए मित्र बनाने के लिए आपको बाहर निकलना और गतिविधियों में शामिल होना होगा। किसी खेलों के संगठन में शामिल हो जाइए, कुछ नया सीखने लगिए या अपने लोगों में स्वयंसेवा करने लगिए। यदि आप बहुत शरमीले हैं तो, समाज में परेशान रहने वाले लोगों का समूह, चाहे ऑनलाइन ही क्यों न हो, ढूंढ लीजिये। अपने आसपास की गतिविधियों की जानकारी के लिए क्रेगलिस्ट, मीटप, या स्थानीय वेब साइट्स को देखिये। [१२]
    • केवल नए लोगों से मिलने अथवा मित्र बनाने के लिए कार्यक्रमों में न शामिल हों। बिना किसी भी अपेक्षा के जाएँ और चाहे जो हो, मज़े लीजिये। ऐसी गतिविधियों को ध्यान में रखिए जिनमें आपकी रुचि हो और जिसमें लोगों के समूह सम्मिलित होते हों जैसे बुक क्लब, चर्च समूह, राजनैतिक आंदोलन, संगीत समारोह या कला प्रदर्शनियाँ।
  2. स्वयं को, सामाजिक सम्बन्धों में पहल लेने की चुनौती दें: नए मित्र बनाने के लिए अक्सर आपको पहला कदम उठाना होता है और लोगों को कुछ करने के लिए निमंत्रित करना होता है। लोगों के बुलावे की प्रतीक्षा मत करिए: आपको उनकी ओर बढ़ना होगा। दूसरे व्यक्ति से पूछिए कि क्या वह बातें करना अथवा कॉफी पीना चाहता है। इससे पहले कि वे आपमें रुचि दिखाएँ, आपको सदैव दूसरों में रुचि दिखानी चाहिए। [१३]
    • जब आप नए मित्र बनाएँ तब स्वयं ही बने रहें। स्वयं को गलत ढंग से प्रस्तुत करके नए व्यक्ति को प्रभावित करने का प्रयास न करें। इससे नई मित्रता शुरू होने से पहले ही समाप्त हो सकती है।
    • बढ़िया श्रोता बनिए। जब लोग बात कर रहे हों तो ध्यान से सुनिए। यह दिखाने के लिए, कि आप ध्यान से सुन रहे थे आपको प्रत्युत्तर देना होगा अन्यथा उसे लगेगा कि आप ध्यान नहीं दे रहे थे। [१४]
  3. पारिवारिक रिश्तों को गहरा करना, आपका अकेलापन कम करने में सहायक हो सकता है। चाहे परिवार के किसी सदस्य से पहले आपकी नहीं भी बनती हो, उसको निमंत्रण दे कर आप अपने सम्बन्धों की मरम्मत का प्रयास कर सकते हैं। जैसे कि आप अपने जिस परिजन से बहुत दिनों से नहीं मिले हों, उसको भोजन या कॉफी के लिए चलने को निमंत्रित कर सकते हैं।
    • जब आप अपने परिजनों से सम्बन्धों की मरम्मत या उन्हें गहराने का प्रयत्न कर रहे हों तब उन्हीं कुछ नीतियों का प्रयोग कर सकते हैं जिनका प्रयोग आप नए मित्र बनाने के लिए करते हैं। व्यक्ति को बाहर चलने के लिए निमंत्रित करने में पहल करिए, स्वयं ही बने रहिए, और अच्छे श्रोता बनिए। [१५]
  4. मज़ेदार साथी बनकर लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करें। प्रशंसा करिए, आलोचना नहीं। यूं ही बातचीत के लिए किसी के कपड़ों, आदतों या बालों में मीन मेख न निकालें। किसी को यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि उसकी कमीज़ पर एक छोटा सा धब्बा है, वह भी तब, जब वह उसके लिए कुछ कर नहीं सकता। वे यह सुनना चाहेंगे कि उनका स्वेटर बहुत शानदार है या आपने उनका लिखा लेख पढ़ा है। यदि आपको कुछ पसंद आता है तो बढ़ा चढ़ा कर कहने स्थान पर, केवल बता ही दीजिये। यह बात शुरू करने के सर्वश्रेष्ठ तरीकों में से एक है और इससे कालांतर में लोगों में यह विश्वास उत्पन्न होता है कि आप उनकी आलोचना नहीं करेंगे। [१६]
  5. कभी कभी लोगों से ऑनलाइन जुड़ना व्यक्तिगत रूप से जुड़ने से अधिक आसान हो जाता है, मगर ध्यान रहे कि ऑनलाइन अंतःक्रिया आमने सामने संपर्क की जगह नहीं ले सकती है। [१७] तथापि ऑनलाइन समूह कभी कभी, अपने अनुभव और विचारों की साझेदारी के लिए या उन लोगों से प्रश्न पूछने के लिए जो आप जैसी परिस्थितियों से गुज़र रहे हों, बहुत बढ़िया राह होते हैं। ऑनलाइन समूह अक्सर आपको दूसरों की मदद करते करते करते, स्वयं की मदद करने देते हैं।
    • जब ऑनलाइन हों, तब सावधान रहने का ध्यान रखिए। सभी लोग वही नहीं होते हैं, जो वह स्वयं को कहते हैं और दरिंदे तो एकाकीपन की तलाश में रहते हैं।
विधि 4
विधि 4 का 4:

अपने एकांत का आनंद लेना

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  1. अकेलापन तब होता है जब आप अकेले रहने से दुखी होते हैं। एकांत वह है, जहां आप अकेले में प्रसन्न रहते हैं। एकांत को चाहने में या एकांत में आनंदित रहने में कुछ गलत नहीं है। अकेले रहने का समय, उपयोगी एवं आनंददायक भी हो सकता है।
  2. स्वयं में सुधार लाने का और अपने को प्रसन्न रखने का प्रयास करिए: आम तौर पर जब हम अपना अधिकतर समय दूसरों के लिए लगाते हैं, हम स्वयं की उपेक्षा करने लगते हैं। यदि आप अकेलेपन के दौर से गुज़र रहे हों तो वे चीज़ें, जो आप अपने लिए करना चाहते थे, उनको करके इसका लाभ उठाएँ। यह एक सुअवसर है और आपको प्रसन्न होना चाहिए!
  3. जब हम व्यस्त हो जाते हैं तब व्यायाम करना और अपने शरीर की परवाह करना सबसे पहले छूट जाता है। यदि आप लोगों के साथ सामान्य से कम समय बिता रहे हैं तो उस समय का उपयोग व्यायाम में करिए। यदि आप जिम में व्यायाम करते हैं तो आप नए मित्र भी बना सकते हैं और शायद कोई नया और बिलकुल खास भी! [१८]
  4. किसी नए शौक के लिए समय निकालने से आप अपनी अकेलेपन की भावनाओं से उबर सकते हैं, चाहे आप उस शौक को अकेले ही क्यों न पूरा कर रहे हों। आप कोई वाद्य बजाना, चित्रकारी या नाचना सीख सकते हैं। दूसरों के साथ इन विषयों को सीखने के लिए जाने पर न केवल आप नए लोगों से मिल सकते हैं बल्कि यह आपकी भावनाओं को सृजनात्मक निकासी का अवसर भी देता है। अपने अकेलेपन को किसी सुंदर चीज़ में बदल दीजिये।
    • अपने लिए शानदार भोजन बनाइये या मित्रों और पड़ोसियों के लिए कुछ बेक करिए। भोजन पकाना लाभकर है, आप अपना ध्यान किसी पोषक चीज़ पर लगा रहे हैं।
    • किसी ऐसे क्लब में शामिल होने के संबंध में सोचिए जिसमें ऐसे लोग जाते हों जिनका यही शौक हो। [१९]
  5. अक्सर लोग कुछ बड़ा काम करना चाहते हैं मगर उसको नहीं कर पाने के उनके पास हज़ार कारण होते हैं। क्या आपने कभी पुस्तक लिखनी चाही है? फिल्म बनानी चाही है? अपने अकेलेपन को कुछ महान करने का बहाना बनाइये। क्या पता, इससे ऐसा कुछ हो जाये जो दूसरों को उनके अकेलेपन से निबटने में सहायता कर सके ...

सलाह

  • मामूली परिचय को ऐसी घनिष्ठ मित्रता मत समझिए जिनपर आप पूर्ण विश्वास कर सकते हों। भरोसा धीरे धीरे बनाइये और वे जैसे हैं वैसे ही उन्हें स्वीकार करिए। इसमें कुछ हानि नहीं है यदि आपके अनेक ऐसे परिचित हों जिनके साथ मिल जुल कर आप सहज ही कुछ गतिविधि कर सकते हैं और कुछ थोड़े से ऐसे करीबी मित्र हों जिनके साथ आप व्यक्तिगत जानकारी बाँट सकें। अपने संपर्कों को संकेंद्रित वृत्तों की तरह समझिए।
  • यह समझ लीजिये कि कोई “भीड़ में भी अकेला” हो सकता है। आपके मित्र हो सकते हैं, परिवार और परिचित हो सकते हैं मगर तब भी अकेलापन हो सकता है। कुछ लोगों के लिए, अपने आस पास के लोगों से जुड़ना कठिन होता है। इस स्थिति में, बाह्य सलाह शायद मदद कर सकती है।
  • स्वयं के साथ प्रसन्न रहना सीखिये। जब आप स्वयं को पसंद करते हैं, स्वयं से प्रेम करते हैं, तब दिखता है। लोग, आशावादी और आत्मविश्वासी व्यक्तियों के इर्दगिर्द रहना पसंद करते हैं।
  • यह जान लीजिये कि प्रसन्न रहने के लिए सम्बन्धों की आवश्यकता नहीं होती है। अपने मित्रों को डेटिंग पर जाते देखना कठिन हो सकता है या यह सोचना कि आपका डेटिंग पर नहीं जा पाना गलत है। मगर स्वयं को समूह का हिस्सा होने के लिए डेट पर जाना या ऐसे लोगों के बीच रहना जो आपका ध्यान रखें, आवश्यक नहीं है। जाइए कुछ नए दोस्त बनाइये और डेट तभी करिए जब आप इसके लिए तैयार हों।
  • याद रखिए कि आप संकोची इसीलिए हैं क्योंकि हर कोई संकोची होता है। लोग आपकी गलतियों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं – बल्कि, अधिक संभावना तो यह है कि वे अपनी गलतियों पर ही संकेन्द्रित हैं।
  • सकारात्मक मूड और वातावरण तैयार करिए। जान लीजिये कि अकेलापन कुछ नया करने का, आराम करने का और अपनी सृजनात्मकता को विकसित करने के लिए अच्छा समय है। आखिरकार, अनेक मशहूर हस्तियों ने बहुत समय अकेले ही बिताया है।
  • स्वयं बने रहिए! दूसरे आपको चाहें या आपके साथ रहें इसके लिए आपको कोई अन्य व्यक्ति बनने की आवश्यकता नहीं है। विभिन्न व्यक्तियों के अलग अलग स्टाइल और विशिष्टतायें होती हैं। अपने साथ कुछ समय व्यतीत करिए और जानिए कि आपमें क्या गुण हैं। लोग आपको, जो आप हैं उसी के लिए पसंद करेंगे, न कि जो आप होना चाहते हैं।
  • कभी कभी आप ही स्वयं को बाहर ले आते हैं। परंतु स्वयं को ऐसा व्यक्ति मत होने दीजिये, चाहे इसके लिए आपको कुछ समय के लिए अटपटा भी लगे। बाहर जाना, लोगों से मिलना और नई चीज़ें करने का प्रयास करना बेहतर है। स्वयं से प्रेम करिए ताकि अन्य लोग भी आपसे प्रेम कर सकें।
  • धार्मिक भावनाओं वाले व्यक्ति अपने धर्म के लोगों के साथ भाईचारे का प्रयत्न करें। अधिकांश चर्चों में नियमित भाईचारा होना ही चाहिए। यदि आपके चर्च में नहीं हो, तो शुरू करने की सोचिए।
  • विश्राम आपको चीज़ें याद रखने में सहायता करता है और शांत करता है।
  • किसी ख़ुशनुमा जगह या ऐसी जगह, जहां आपको मज़ा आता हो, के संबंध में सोचें।
  • संगीत सुनें या मध्यम पुरुष में (आप, आपका) पुस्तक पढ़ें ताकि आपको लगे कि कोई आपसे बात कर रहा है।

चेतावनी

  • सामाजिक निकासी के लिए ऑनलाइन समूहों पर अत्यधिक निर्भरता व्यसन बन सकती है जिससे जटिलताएँ और बढ़ सकती हैं। इसका केवल साधन की तरह अपने आस पास रहने वाले, समान रुचि वाले लोगों से मिलने के लिए उपयोग करें और अपने ऑनलाइन मित्रों से मिलने का प्रयास करें। यह समान रुचियों की छंटनी करने के लिए एक उत्तम छन्नी हो सकता है, मगर यह आशा मत करिए कि लोग ओफ़्फ़्लइन भी वैसे ही होंगे जैसे वे ऑनलाइन थे।
  • यदि आप अकेलापन महसूस कर रहे हों तो सामाजिक मीडिया जैसे फेसबुक, ट्वित्तर से दूर रहने का विचार करें – वे आपके सामाजिक सम्बन्धों में सहायता नहीं करते हैं। इन साइट्स पर लोग कभी कभी न केवल निर्दयी हो सकते हैं, बल्कि लोगों को अपने स्टेटस अपडेट में मज़े करते देख कर आपको और खराब भी लग सकता है। इसके स्थान पर बाहर जाकर कुछ करने की सोचिए। जैसे कि लंबी टहल, कुत्ते के साथ खेलना या भाई बहनों के साथ घूमना फिरना।
  • यदि आपको लगातार अकेलापन लगता है तो चिकित्सकीय सहायता लीजिये। यह विषाद का संकेत हो सकता है।
  • आपको बुरे समूहों में बुरे लोग मिल सकते हैं। अच्छे समूहों में अच्छे लोगों को खोजने का प्रयास करिए।
  • अकेलापन एक ऐसी स्थिति है जहां पंथ, गिरोह या अन्य समूह अरक्षितता का लाभ उठा कर आप पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सावधान रहिए और दूसरों की उन बातों को सुनिए, जो वे उन समूहों के बारे में कहते हैं, जिनमें आप जुडने का विचार कर रहे हैं।

विकीहाउ के बारे में

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