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आकर्षण के नियम (Law of Attraction) के अनुसार आप अपने जीवन में पॉज़िटिव (positive) और निगेटिव (negative) चीज़ों को अपने विचारों और कर्मों से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि सब कुछ ऊर्जा से निर्मित है, इसलिए जिस प्रकार की ऊर्जा आप बाहर छोड़ेंगे, वही आपके पास वापस लौटेगी। अगर आप ब्रह्मांड को अपनी इच्छाएँ बताने के लिए आकर्षण के नियमों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं, तब पॉज़िटिव माइंडसेट (mindset) का निर्माण करके शुरुआत करिए। उसके बाद अपने लक्ष्यों के लिए कर्म करिए और असफलताओं का सामना अच्छे एटीट्यूड (attitude) से करिए।

विधि 1
विधि 1 का 3:

पॉज़िटिव माइंडसेट बनाना

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  1. आप अपने जीवन में क्या चाहते हैं उस पर फ़ोकस (focus) करिए, न कि उस पर, जो आपके पास नहीं है: अपनी पुरानी, टूटी हुई कार के बारे में मत सोचिए। उसकी जगह, कल्पना करिए कि आप नई कार चला रहे हैं। इससे फ़ोकस उस पर जाता है, जो आप अपने जीवन में लाना चाहते हैं, बजाय उसके, जिसे आप अपने जीवन से हटाना चाहते हैं। इससे ब्रह्मांड को एक संदेश जाता है, कि आप चाहते हैं कि आपकी आशा अच्छी चीज़ों के होने की है! [१]
    • इसके पीछे विचार यह है, कि आप जिस बारे में सोच रहे हैं, वही आप अपने जीवन में चाहते हैं। इसलिए, अगर आप सोचते हैं कि, “काश मेरे पास एक ऐसी कार होती जो बार-बार न बिगड़ती,” तब भी आप अपनी पुरानी कार पर ही फ़ोकस कर रहे हैं, नई पर नहीं।
    • दूसरे उदाहरण के रूप में, अपने मन में बजाए यह सोचने के, “मुझे आशा है कि मैं इस सेमेस्टर में फेल नहीं होऊंगा,” सोचिए, “मैं अच्छे ग्रेड पाने के लिए पढ़ाई कर रहा हूँ।”
  2. अपनी इच्छाओं को कहने के लिए “नहीं” या “मत” जैसे निगेटिव शब्दों का इस्तेमाल करने से बचना महत्वपूर्ण है, जैसे कि, “मैं नहीं चाहता कि मेरी नौकरी चली जाये।” इसी प्रकार से, ग़लत चीज़ों को आकर्षित करने से बचने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करिए, जो आप चाहते हों। जैसे कि, “मैं हारना नहीं चाहता” से “हारना” शब्द बाहर जाता है, जबकि “मैं जीतना चाहता हूँ” बाहर भेजता है शब्द “जीतना।” [२]

    सलाह: आकर्षण का नियम कहता है कि ये यूनिवर्स या ब्रह्मांड आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों को पकड़ता है, न कि उनके पीछे के इरादे को। इसका मतलब है “उधार नहीं” को यूनिवर्स “उधार” पकड़ेगा।

  3. अपनी आँखें बंद करिए और कल्पना करिए कि आप वही जीवन जी रहे हैं, जो आप चाहते हैं। कल्पना करिए कि आप अपना मनपसंद काम कर रहे हैं, अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं, या अपनी नई कार में बैठ रहे हैं। अपने इरादों को सुदृढ़ करने और उनको वास्तविकता के एक कदम और निकट लाने के लिए प्रतिदिन ऐसा करिए। [३]
    • सदैव अपने को सफल होते हुये देखने की कल्पना करिए। उदाहरण के लिए, कल्पना करिए कि आपको काम में तरक्की मिली है, न कि आप केवल अपना रोज़मर्रा का काम कर रहे हैं। आप केवल काम पाना नहीं चाहते हैं; आप उसमें एक्सेल (excel) करना चाहते हैं।
  4. अपने जीवन की अच्छी चीज़ों के लिए आभारी होने से आपको अपना जीवन अच्छा लगता है, जिससे आपके पॉज़िटिव माइंडसेट को समर्थन मिलता है। जीवन की अच्छी चीज़ों के बारे में आभारी होने से आपको अपना जीवन बेहतर लगता है, जिससे आपके पॉज़िटिव माइंडसेट को भी समर्थन मिलता है। जिन चीज़ों के लिए आप आभारी हैं उन्हें ज़ोर से कहिए, या एक आभार जर्नल (journal) बना कर उसमें उनको लिख डालिए। इसके अलावा, लोगों से उन अच्छी चीज़ों के लिए धन्यवाद कहिए जो उन्होंने आपके जीवन में शामिल की हैं। [४]
    • जैसे कि, हर सुबह जब आप बिस्तर छोड़ते हैं, उसके बाद तीन ऐसी चीज़ें लिखिए जिनके लिए आप आभारी हैं। इससे आपको अपना दिन अच्छे मूड में शुरू करने में मदद मिलती है।
  5. अपने तनाव के स्तर को कम करने के लिए, प्रतिदिन कम से कम 5 मिनट मेडिटेट (Meditate) करिए : तनाव जीवन का सामान्य हिस्सा है, मगर इसकी अति आपको कुचल देगी। दिन प्रतिदिन के तनाव को, छोटे से मेडिटेशन से राहत दीजिये, जिससे आपके मन और शरीर दोनों को आराम मिलेगा। साधारण मेडिटेशन के लिए, आरामदेह पोज़ीशन (position) में बैठिए, फिर अपनी आँखें बंद कर लीजिये। अपनी सांस पर फ़ोकस करिए, और विचारों को आने और जाने दीजिये। [५]
    • गाइडेड (guided) मेडिटेशन आपको ऑनलाइन या काम (Calm), हेडस्पेस (Headspace), या इनसाइट टाइमर (Insight Timer) जैसे ऐप्स से मिल सकता है।
  6. अपनी चिंताओं की जगह, ऐसे विचार मन में लाइये कि चीज़ें कैसे ठीक हो सकती हैं: चिंता आपसे वह प्रदर्शित करवा सकती है जिससे बचने का आप प्रयास कर रहे हैं। [६] जब चिंता सामने आए, तब उसे यह कह कर चुनौती दीजिये कि उनके वास्तविकता में बदलने की संभावना कितनी है। फिर, सोचिए कि अतीत में जब आप चिंतित हुये थे तब क्या हुआ था। उसके बाद, सोचिए कि आप जिसकी चिंता कर रहे हैं अगर वह वास्तव में हो ही जाये, तो बुरे से बुरा क्या हो सकता है। आपको संभवतः एहसास होगा कि लॉन्ग-रन (long run) में यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं है। [७]
    • जैसे कि, मान लीजिये कि आपको चिंता है कि प्रेज़ेंटेशन के दौरान आपको शर्मिंदा होना पड़ेगा। ऐसा होने की कितनी संभावना है? क्या पहले कभी ऐसा हुआ है? अगर आपसे गड़बड़ हो ही गई, तब क्या उससे सचमुच कुछ बिगड़ेगा? क्या एक साल के बाद, आपको इसकी याद भी रहेगी? आपको शायद समझ में आ जाएगा, कि आपकी चिंता, वास्तव में, किसी बड़ी बात के लिए नहीं थी।
    • इससे आपको यह सोचने में भी मदद मिलेगी कि आपका जीवन अगले 5 या 10 सालों में क्या होगा। जिस चीज़ के लिए आज आप चिंतित हैं तब क्या उसका कुछ मतलब भी होगा? शायद नहीं। जैसे कि, आप किसी टेस्ट में फेल होने को ले कर चिंतित हो सकते हैं, मगर संभावना यह है कि 5 साल बाद आपको उस टेस्ट की याद भी नहीं रहेगी।

    सलाह: अगर आप चिंता करना बंद नहीं कर सकते, तब अपनी चिंताओं को एक जर्नल में लिख डालिए। फिर जर्नल को हटा दीजिये, ताकि आप विचारों को अपने दिमाग़ से निकाल सकें।

  7. स्वयं को पॉज़िटिव रहना सीखने का समय दीजिये, क्योंकि यह काम कठिन हो सकता है: शुरू में, आपके लिए अपने विचार पॉज़िटिव रखना कठिन हो सकता है। निगेटिव विचारों का आपके पास लौट कर आना स्वाभाविक है। मगर, जान बूझ कर, निगेटिव विचारों का सामना करके आप स्वयं को पॉज़िटिव पर फ़ोकस कर सकते हैं। उनको स्वीकार करिए, नकार दीजिये, उसके बाद उसकी जगह कुछ पॉज़िटिव लाइये। अभ्यास से समय के साथ आप अधिक पॉज़िटिव हो सकते हैं। [८]
    • जैसे कि, आप सोचते रह सकते हैं, "मैं इतनी मेहनत करता हूँ, मगर मुझे उसका कुछ परिणाम मिलता दिखाई नहीं देता है।" स्वयं को एक पल के लिए रोकिए और सोचिए कि आपको यह विचार क्यों आ रहा है? फिर, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोशिश करते समय आपको जो पॉज़िटिव अनुभव हुये हैं, उनकी गिनती करिए, जैसे कि आपने कुछ नई चीज़ें सीखी होंगी या आपको कुछ नए अनुभव हुये होंगे। अंततः, परिस्थिति में कुछ न कुछ पॉज़िटिव देखने का निर्णय करिए। आप अपने को बता सकते हैं कि, "समय के साथ मैं बेहतर होता जा रहा हूँ, और मुझे अपनी प्रगति पर गर्व है।"
विधि 2
विधि 2 का 3:

कर्म करना

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  1. आप जो जीवन चाहते हैं उसके लिए एक विज़न बोर्ड (vision board) बनाइये: आप जो चाहते हैं उसके लिए मैगज़ीन से कटे हुये शब्दों और चित्रों, छपी हुई तसवीरों या फ़ोटोज़ से एक कोलाज (collage) बनाइये। अपने कोलाज को लिविंग स्पेस (living space) में टाँगिए जहां आप उसे प्रतिदिन देख सकें। उसके बाद अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, काम करने की प्रेरणा पाने के लिए, प्रतिदिन अपने विज़न बोर्ड को देखते रहिए। [९]
    • उदाहरण के लिए, आप अपने मन पसंद मकान, मनचाही कार, जो पद चाहते हैं उसका नाम, और एक प्रेमी युगल के चित्र उनमें शामिल कर सकते हैं।
    • याद रखिए, विज़न बोर्ड कोई जादू की छड़ी नहीं है। जो भी आप पाना चाहते हैं, उसे पाने के लिए आपको आपको कुछ न कुछ करना ही होगा।
  2. अपने लक्ष्य की ओर बढ्ने केलिए प्रतिदिन कोई छोटा सा काम अवश्य करिए: लक्ष्य को पाने के लिए प्रतिदिन 15 मिनट का समय लगाने से शुरुआत करिए। उसके बाद वहाँ से आगे बढ़िए। अपनी प्रगति का हिसाब रखने के लिए, उन छोटे-छोटे कदमों की सूची बनाइये जो आपको लक्ष्य की दिशा में लेने हों, फिर जैसे-जैसे आप उन्हें लेते जाएँ, उन पर निशान लगाते जाइए। ये छोटे कर्म आपको बड़े परिणाम पाने में सहायता करेंगे! [१०]

    सलाह: अपने लक्ष्य के लिए प्रतिदिन एक ही समय पर काम करने की कोशिश करिए। जैसे कि, अपने लक्ष्य के लिए कर्म करने को शायद आपको प्रतिदिन सुबह 15 मिनट पहले उठना हो। इसी प्रकार, आप अपने लंच का आधा समय अपने लक्ष्य को पाने के लिए काम करने में लगा सकते हैं।

  3. अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आप जो करेंगे, उसकी ज़िम्मेदारी लीजिये: अपने लिए अपेक्षाएँ तय करिए, और जब आप उन तक न पहुँच पाएँ तब यह सच स्वीकार कर लीजिये। फिर, देखिये कि अपनी अपेक्षाओं को पाने के लिए आपको संघर्ष क्यों करना पड़ा और तय करिए कि क्या कुछ बदलने की ज़रूरत है? इसी प्रकार, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए गए कठोर परिश्रम के लिए स्वयं को पुरस्कृत भी करिए। [११]
    • जैसे कि, मान लीजिये कि आपने तय किया था कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन एक घंटे काम करेंगे, मगर आपने ऐसा सिर्फ पहले ही दिन किया। तब मान लीजिये कि आपने काम नहीं किया, मगर यह भी सोचिए कि क्या आपको आगे काम का समय कम कर देना चाहिए। शायद आपको प्रतिदिन 15 मिनट ही वह करना चाहिए और तब देखिये कि क्या आप उस लक्ष्य को पा सकते हैं।
  4. दूसरों से आपको जिन चीज़ों की ज़रूरत है और जो चीज़ें आप चाहते हैं उनको मांगिए: यही एक तरीका है जिससे उन लोगों को पता चलेगा कि आपकी उनसे क्या अपेक्षा है। आपके मन की बात तो कोई जान नहीं सकता, इसलिए आपको लोगों को बताना पड़ेगा कि आप क्या सोच रहे हैं। आपको अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं के बारे में साफ़-साफ़ और ईमानदारी से बता देना चाहिए, और तभी शायद आपको वह सब मिलेगा। [१२]
    • मान लीजिये कि आप किसी दोस्त के साथ घूमना फिरना चाहते हैं। तब यह कहने की जगह, “काश इस वीकेंड (weekend) के लिए मेरे कुछ प्लान्स होते,” ऐसा कहिए, “सुनो, शुक्रवार की शाम को मेरे साथ फ़िल्म देखने चलोगी?”
    • अगर आप चाहते हों कि आपका रूममेट घर के कामों में और मदद करे, तब यह मत कहिए कि, “काश यह जगह और साफ़ रहती।” इसकी जगह कहिए, “क्या अपने गंदे कपड़े हैम्पर (hamper) में और अपना सामान कॉमन एरिया से बाहर रखोगे?”
  5. स्वयं को कर्म करने के लिए प्रेरित करने हेतु, पॉज़िटिव सेल्फ़-टॉक (self-talk) का इस्तेमाल करिए: अपने बारे में निगेटिव विचारों का आना एक स्वाभाविक बात है, मगर यह आपको काम करने से रोक सकता है। जब आप ख़ुद को निगेटिव तरह से सोचते हुये पाएँ, तब अपने से सवाल पूछिये और और उस विचार की जगह पॉज़िटिव विचार ले आइये। इसके अलावा, अपने आप को रास्ते पर रखने के लिए, अपने मनपसंद पॉज़िटिव मंत्र का अपने लिए पूरे दिन पाठ करते रहिए। [१३]
    • मान लीजिये कि आप अपने को यह सोचते हुये पाते हैं, “मैं कभी भी बढ़िया सार्वजनिक भाषण नहीं दे पाऊँगा।” इस विचार का विरोध यह कह कर करिए, कि सभी लोग कभी न कभी तो शुरुआत करते ही हैं और अभ्यास से सुधार हो सकता है। फिर, ख़ुद को बताइये, “हर बार सार्वजनिक भाषण के बाद मैं सुधर ही रहा हूँ।”
    • पूरे दिन, अपने लिए ऐसा पॉज़िटिव मंत्र दोहराते रहिए, “मैं अपने सपनों का जीवन जी रहा हूँ,” “मैं सफल हूँ,” या “मुझमें से ख़ुशी की किरणें निकलती है।”
विधि 3
विधि 3 का 3:

सेटबैक्स (Setbacks) का प्रत्युत्तर

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  1. समझ लीजिये कि दुर्घटनाओं, बीमारी, या आपके नियंत्रण के बाहर की घटनाओं के लिए आप दोषी नहीं हैं: सभी को, कभी न कभी, कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ता है। इसमें नौकरी चली जाना, बीमारी आना या घायल होना शामिल सकता है। जब ये चीज़ें हों, तब ख़ुद को दोष मत दीजिये क्योंकि यह तो सभी के साथ होता ही है। [१४]
    • मान लीजिये कि जब आप अपनी कार चला रहे हों तब कोई आपसे गाड़ी लड़ा दे। यह एक दुर्घटना है, और आपने इसे नहीं किया है। अपने को दोष मत दीजिये!
    • बिना कठिनाई के किसी का जीवन परफेक्ट (perfect) नहीं हो सकता है, चाहे वह आकर्षण के नियम जैसे टूल (tool) का इस्तेमाल ही क्यों न कर रहा हो।
  2. उनसे बचने के स्थान पर, कठिनाइयों के प्रति अपने प्रत्युत्तर को बदलने पर फ़ोकस करिए: आप सभी बुरी चीज़ों को होने से रोक नहीं सकते, क्योंकि यह तो असंभव है। मगर आप उनके लिए बेहतर प्रतिक्रिया देना चुन सकते हैं। परेशान होने की जगह, कठिनाइयों को जीवन का हिस्सा समझ कर स्वीकार करिए। फिर सहायता के लिए उन लोगों की ओर हाथ बढ़ाइए, जिन्हें आपकी परवाह हो। [१५]
    • मान लीजिये कि आपने एक ऐसी नौकरी गँवा दी जिसे आप सचमुच चाहते थे। उसके नुकसान पर दुख मनाते रहने की जगह, मान लीजिए कि इस बार ऐसा होना ही था। फिर सोचिए, कि किस प्रकार आप इस अनुभव का इस्तेमाल, भविष्य में बेहतर कुछ करने के लिए कर सकते हैं।
  3. कठिनाइयों या अवरोधों में आगे के लिए पाठ या उम्मीद की किरण देखिये: इससे आपको वह अच्छाई, जो वह कठिनाई आपके जीवन में लाई होती है, उसे देखने में सहायता मिलती है। जब आप तैयार हों, तब जो भी हुआ उस पर सोचिए, और देखिये कि उसका आपके जीवन पर व्यक्ति के रूप में बड़ा होने में क्या लाभ मिला। इसी प्रकार से, सोचिए कि अपने अनुभव के आधार पर आप किस प्रकार दूसरों की मदद कर सकते हैं। [१६]
    • तैयार होने से पहले अपने आप पर पाठ या उम्मीद की किरण ढूँढने का दबाव मत डालिए।
    • जैसे कि किसी क्लास में फ़ेल होने से शायद आपको यह सीख मिलती है कि बेहतर छात्र कैसे बनें, और किसी संबंध के दुखद तरीके से टूटने से शायद आप यह सीख सकेंगे कि आप संबंध में क्या चाहते हैं।
  4. सेट बैक या कठिनाई के बाद अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए अपना नियंत्रण अपने हाथ में लीजिये: किसी अवरोध का सामना होने से आपका विश्वास हिल सकता है और आपका पॉज़िटिव माइंडसेट खंडित हो सकता है, मगर अपना नियंत्रण अपने हाथ में वापस लेने से आपको अपनी शक्ति वापस मिल जाती है। आगे बढ्ने के लिए आप जो काम कर सकते हैं उनकी सूची बनाने से शुरुआत करिए। फिर, कोई एक छोटी सी चीज़ करिए जिससे आपको सही दिशा में बढ्ने में मदद मिले। [१७]
    • जैसे कि, मान लीजिये कि आपने अपनी नौकरी गँवा दी है। तब उस पर ध्यान बनाए रखने की जगह, अपने रिज़्युम (resume) को अपडेट करिए और अन्य नौकरियाँ ढूंढिए। जब आप नई नौकरी के लिए आवेदन करें, तब अपनी जॉब स्किल्स (job skills) को बढ़ाने के लिए ऑनलाइन क्लास लीजिये।

    सलाह: अगर आपको मदद की ज़रूरत हो, तब मांग लीजिये। दूसरों से सहायता लेना नियंत्रण अपने हाथ में रखने का हिस्सा हो सकता है।

सलाह

  • आकर्षण का नियम और ब्रह्मांड से आकांक्षा करना एक ही बात नहीं है। आप केवल अपना ध्यान पॉज़िटिव ऊर्जा को बाहर निकालने पर फ़ोकस कर रहे हैं ताकि आप और अधिक पॉज़िटिव ऊर्जा को आकर्षित कर सकें।
  • अपने प्रिय गीत सुन कर, अपनी हॉबीज़ का आनंद ले कर, या दोस्तों के साथ घूम फिर कर अच्छी भावनाओं को ट्रिगर (trigger) करिए। इससे आपको पॉज़िटिव बने रहने में मदद मिलेगी।
  • पहले छोटे, आसानी से मापे जा सकने वाले लक्ष्यों पर फ़ोकस करके शुरू करिए। जैसे कि, आप क्लास में अच्छा ग्रेड पाने या कोई पेट (pet) पालने से शुरू कर सकते हैं। इस प्रकार आप उसके परिणाम माप सकेंगे।
  • धैर्य रखिए क्योंकि परिवर्तन में समय लगता है। अगर आप स्वयं को हताश हो जाने देंगे, तब आप ब्रह्मांड में निगेटिव विचार भेजेंगे, जिसके कारण आपकी इच्छा पूरी होने में और भी अधिक समय लगेगा।

चेतावनी

  • चिंता करने से बचिए, क्योंकि इससे ब्रह्मांड में यह संदेश जाता है कि आपको लगता है कि बुरी चीज़ें ही होंगी। उसकी जगह, अपने लिए एक पॉज़िटिव भविष्य की कल्पना करिए।
  • किसी व्यक्ति या वस्तु विशेष पर फ़ोकस मत करिए। जैसे कि, किसी को अपने प्यार में डालने की कोशिश मत करिए। उसकी जगह, जिसके साथ आपको होना हो, उसके साथ एक स्वस्थ, संतोषजनक संबंध की कल्पना करिए।
  • कठिनाइयों के लिए ख़ुद को दोष मत दीजिये! स्वास्थ्य या दूसरों के कर्मों के लिए आपको दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

विकीहाउ के बारे में

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