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पैराग्राफ या अनुच्छेद लिखने के प्रैक्टिस से ही अच्छा लिखा जा सकता है। पैराग्राफ, मूल पाठ को बड़े बड़े हिस्सों में तोड़ने में सहायक होते हैं और रीडर्स के लिए सामग्री को पढ़ने में सरल बना देते हैं। वे रीडर्स को, आपके मुख्य तर्क को समझ कर, मुख्य विचार या लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए निर्देशित करते हैं। [१] परंतु, अच्छा पैराग्राफ कैसे लिखा जाये या उसकी संरचना कैसे की जाये यह थोड़ा कठिन हो सकता है। नीचे दी गई सामग्री को पढ़िये और सीखिये की कैसे आप अपनी पैराग्राफ लिखने की कला को बढ़िया से, बहुत बढ़िया बना सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:

पैराग्राफ की योजना बनाना

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  1. आप अपना पैराग्राफ लिखना शुरू करें उससे पहले, आपको यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह पैराग्राफ होगा किस विषय में। इसका कारण यह है कि पैराग्राफ वास्तव में ऐसे वाक्यों का समूह होता है जिनका एक केन्द्रीय विषय होता है। [२] बिना इस निश्चित विचार के कि आपका मुख्य विषय क्या है, आपके पैराग्राफ में न तो फोकस होगा और न ही एकरूपता। अपने पैराग्राफ के मुख्य विषय को समझने के लिए आपको कुछ प्रश्न पूछने होंगे:
    • ’’’मुझे क्या संकेत दिया गया है?’’’ यदि आप कोई पैराग्राफ किसी विशेष संकेत के उत्तर में या प्रतिक्रिया स्वरूप लिख रहे हैं, जैसे कि “तो आपने धनराशि किसी धर्मार्थ संगठन को देने का निश्चय किया है। वह संगठन कौन सा है और आपने उसका चयन क्यों किया है?” या “सप्ताह के अपने प्रिय दिन का वर्णन करिए”, आपको ध्यानपूर्वक संकेत को समझने की आवश्यकता होगी तथा यह सुनिश्चित करना होगा कि आप इधर उधर भटके बिना सीधे मुद्दे पर पहुँच जाएँ।
    • ’’’वे कौन से मुख्य मुद्दे या विचार हैं जिनके समाधान की आवश्यकता है?’’’ जिस विषय पर आपको लिखने को कहा गया है उसके संबंध में सोचिए और यह विचार करिए कि उस विषय से संबन्धित प्रसंगोचित विचार या मुद्दा क्या है। चूंकि पैराग्राफ आमतौर पर छोटे होते हैं, इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है कि आप इधर उधर भटके बिना मुख्य मुद्दों पर ही केन्द्रित रहें।
    • ’’’मैं किसके लिए लिख रहा हूँ?’’’ सोचिए कि इस पैराग्राफ या लेख के अभीष्ट पाठक कौन होने वाले हैं। वे पहले से क्या जानते हैं? क्या उन्हें इस विषय की जानकारी है, या इसके लिए कई वर्णनात्ममक वाक्यों की आवश्यकता होगी?
    • यदि आपके पैराग्राफ किसी बड़े निबंध के भाग हैं, तो निबंध की रूपरेखा लिखने से आपको प्रत्येक पैराग्राफ के लिए मुख्य विचार या लक्ष्य को परिभाषित करने में सहायता मिलेगी।
  2. उस विषय से संबन्धित सूचनाओं एवं विचारों को लिख डालिए: जब एक बार आपको यह स्पष्ट हो जाये कि आप अपने पैराग्राफ में किस मुद्दे को उठाना चाहते हैं, आप अपने विचारों को संगठित करने के लिए उन्हें एक नोट पैड या वर्ड डॉक्यूमेंट में लिखना शुरू कर सकते हैं। अभी पूर्ण वाक्य लिखने की आवश्यकता नहीं है, केवल कुछ मुख्य शब्द और मुहावरे लिख डालिए। जब आप सब कुछ लिखा हुआ देखेंगे, तब आपको यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन से बिन्दुओं का समावेश पैराग्राफ में करना अनिवार्य है और कौन से बिन्दु निरर्थक हैं।
    • इस समय, आपको यह एहसास हो सकता है कि आपके ज्ञान में कुछ कमी है और अपने तर्क के समर्थन के लिए आपको कुछ और तथ्यों और आंकड़ों को जानना अनिवार्य होगा।
    • इस शोध को अभी ही कर लेना अच्छा होगा, ताकि आपको समस्त सम्बद्ध जानकारी, लिखते समय, आसानी से उपलब्ध हो सके।
  3. तय करिए कि आप अपने पैराग्राफ की संरचना कैसे करना चाहते हैं: अब जबकि आपके विचार, तथ्य और आंकड़े आपके सम्मुख स्पष्ट रूप से रखे हुये हैं, आप यह सोचना शुरू कर सकते हैं कि आप अपने पैराग्राफ की संरचना कैसे करना चाहेंगे। जिन मुद्दों को भी आप उठाना चाहें उनका विचार कर लीजिये और उन्हें एक तार्किक क्रम में रखने का प्रयास करिए – इससे आपका पैराग्राफ सुसंगत एवं सुपाठ्य हो जाएगा। [३]
    • संभव है कि नवीन क्रम तिथिवार हो, आप सबसे प्रमुख जानकारी सबसे पहले लिखना चाहें या शायद आप केवल पैराग्राफ को सरल एवं पढ़ने में रुचिकर बनाना चाहें – यह सब विषय और आपकी लेखन शैली, जो आप अपनाना चाहें, पर निर्भर करेगा। [३]
    • जब एक बार आपने यह निर्णय कर लिया हो कि सब चीज़ें कहाँ जाएंगी, आप सभी बिन्दुओं को इस नई संरचना के अनुसार पुनः लिख सकते है – इससे लेखन प्रक्रिया बहुत तेज़ और सीधी सादी हो जाएगी।
विधि 2
विधि 2 का 3:

पैराग्राफ लेखन

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  1. आपके पैराग्राफ का पहला वाक्य विषय संबंधी वाक्य होना चाहिए। विषय संबंधी वाक्य वह परिचयात्मक वाक्य होता है जिसमें आने वाले पैराग्राफ के मुख्य विचार या प्रसंग की चर्चा की जाती है। इसमें विषय से संबन्धित मुख्य और सम्बद्ध मुद्दा जो आप उठाना चाहते हैं, होना चाहिए, अतः इसमें पूरे पैराग्राफ का संक्षिप्तीकरण होना चाहिए। [२]
    • अन्य सभी वाक्यों को विषय वाक्य का समर्थन करता हुआ होना चाहिए और उनमें आगे की जानकारी तथा मुद्दे से संबन्धित तर्क या उठाए जाने वाले विचार दिये जाने चाहिए। यदि आपके द्वारा लिखा गया कोई वाक्य सीधे सीधे विषय वाक्य से सम्बद्ध नहीं होता है तो, उसे पैराग्राफ में सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए।
    • अधिक अनुभवी लेखक विषय वाक्य को पैराग्राफ में किसी भी स्थान पर रख सकते हैं; यह आवश्यक नहीं है कि वह पहला वाक्य ही हो। तथापि, नौसिखिया लेखकों के लिए या जिन्हें पैराग्राफ लिखना अभी सरल नहीं लगता है, उनके लिए, विषय वाक्य को पहले लिखना ही उचित होगा, क्योंकि इससे उन्हें पूरे पैराग्राफ में निर्देशन प्राप्त होता रहेगा। [२]
    • आपके विषय वाक्य को न तो बहुत व्यापक होना चाहिए और न ही अति संकीर्ण। यदि आपका विषय वाक्य बहुत व्यापक होगा तब आप विचार पर पैराग्राफ में पूरी चर्चा नहीं कर पाएंगे। यदि वह बहुत संकीर्ण होगा, तब आपके पास चर्चा करने के लिए बहुत कुछ होगा भी नहीं। [४]
  2. जब एक बार आपने विषय वाक्य लिख लिया है तथा आप उससे संतुष्ट हैं, आप शेष पैराग्राफ में जानकारी रख सकते हैं। इस स्थान पर आपके पहले से लिखे गए बढ़िया तरीके से संरचित, विस्तृत नोट्स काम आएंगे। सुनिश्चित करिए कि आपका पैराग्राफ सुसंगत है, अर्थात पढ़ने में सहज और समझ आने लायक है, प्रत्येक वाक्य अगले वाक्य से जुड़ा हुआ है और सम्पूर्णता में एक अच्छा प्रवाह भी है। यह पाने के लिए, प्रयास करिए कि आप स्पष्ट एवं ऐसे सरल वाक्य लिखें जो बिलकुल वही प्रदर्शित करें जो आप कहना चाहते हैं। [३]
    • प्रत्येक वाक्य को संक्रमण शब्द की सहायता से अगले वाक्य से ऐसे जोड़िए कि वे पुल का काम करें। संक्रमण शब्द आपको समानता एवं विषमता दिखाने में, क्रम दिखाने में, कारण और प्रभाव दिखाने में, मुख्य विचारों का महत्त्व दिखाने में और एक विचार से दूसरे विचार तक सहज रूप से जाने में सहायता कर सकते हैं। “साथ ही साथ”, “वास्तव में” तथा “इसके साथ ही” कुछ संक्रमण शब्द हैं। आप काल संक्रमण का प्रयोग भी कर सकते हैं, जैसे कि “सबसे पहले”, “दूसरे”, और “तीसरे”। [३]
    • समर्थन करने वाले वाक्य आपके पैराग्राफ का मांसल भाग होते हैं, अतः आपको इनमें ऐसे सभी संभव साक्ष्य भरने चाहिए जिनसे आपके विषय वाक्य को यथासंभव समर्थन मिले। यह विषय पर निर्भर करता है कि आप तथ्य, आंकड़े, संख्याएँ तथा उदाहरण देंगे या कहानियाँ, किस्से, तथा उद्धरण रखेंगे। जो भी प्रसंगोचित हो वह सभी उचित है। [२]
    • जहां तक लंबाई का प्रश्न है, आमतौर से तीन से पाँच वाक्यों में आपका मुख्य मुद्दा सम्पूर्ण हो जाना चाहिए जिससे कि आपके विषय वाक्य को समुचित समर्थन प्राप्त हो, परंतु इसमें विषय के आधार पर और आपके द्वारा लिखे जा रहे लेख के आधार पर बहुत परिवर्तन संभव है। पैराग्राफ की कोई निर्धारित लंबाई नहीं है। उसे इतना लंबा होने की आवश्यकता है कि उसमें मुख्य विचार सम्पूर्ण रूप से सम्मिलित हो सके। [३] [५]
  3. पैराग्राफ का समापन वाक्य ऐसा होना चाहिए जो सबकुछ एकसाथ संगठित कर सके। एक अच्छा समापन वाक्य आपके विषय वाक्य में दिये गए विचार को सुदृढ़ करेगा, परंतु अब उसमें सभी साक्ष्यों और तर्कों का समर्थन भी संलग्न होता है। समापन वाक्य पढ़ने के बाद पाठक को सम्पूर्ण पैराग्राफ की सत्यता और प्रासंगिकता पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
    • विषय वाक्य को ही अलग शब्दों में मत लिख दीजिये। आपके समापन वाक्य में पहले आए हुये तर्कों की स्वीकृति होनी चाहिए और उससे पाठकों को चर्चा की प्रासंगिकता की भी याद दिलाई जानी चाहिए। [६]
    • उदाहरण के लिए, “कनाडा रहने के लिए अच्छी जगह क्यों है?” से संबन्धित पैराग्राफ में समापन वाक्य ऐसा कुछ होना चाहिए “ऊपर दिये गए समस्त साक्ष्यों, जैसे कनाडा की श्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएँ, उसकी उच्च श्रेणी की शिक्षा प्रणाली, और उसके साफ़, सुरक्षित शहरों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कनाडा वास्तव में रहने के लिए अच्छी जगह है।“
  4. जान लीजिये कि कब आपको नया पैराग्राफ शुरू करना है: कभी कभी यह बता पाना कठिन होता है कि एक पैराग्राफ कहाँ समाप्त हो और दूसरा कहाँ शुरू। सौभाग्य से, अनुपालन करने के लिए अनेक दिशा निर्देश उपलब्ध हैं जिनसे नए पैराग्राफ को शुरू करने के निर्णय सरल हो जाते हैं। बुनियादी बात यह है कि हर बार जब नये विचार की चर्चा की जाये तब नया पैराग्राफ शुरू किया जाये। पैराग्राफ में कभी भी एक से अधिक मुख्य विचार नहीं होना चाहिए। यदि किसी विचार में अनेक बिन्दु या आयाम हों, तब विचार के प्रत्येक आयाम को अपना एक पैराग्राफ दिया जाना चाहिए। [२] [७]
    • जब आप दो बिदुओं की तुलना कर रहे होते हैं या किसी विवाद के सभी पक्षों को प्रस्तुत कर रहे होते हैं तब भी नया पैराग्राफ शुरू किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपका विषय है “क्या प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को कम वेतन मिलना चाहिए?” तब एक पैराग्राफ में प्रशासनिक अधिकारियों को कम वेतन दिये जाने के समर्थन में दिये जाने वाले तर्क दिये जाने चाहिए जबकि दूसरे पैराग्राफ में उसके विरोध में तर्क दिये जाने चाहिए। [२]
    • पैराग्राफ से लेखों को समझना सरल हो जाता है और पाठकों को पढे जाने वाले विचारों के पाचन के लिए दो विचारों के बीच में “ब्रेक” मिल जाता है। यदि आपको लगता है कि आपके द्वारा लिखा जाने वाला पैराग्राफ अत्यंत जटिल होता जा रहा है या उसमें अनेक जटिल बिन्दु सम्मिलित हो गए हैं, तब आप उनको अलग अलग पैराग्राफ में बांटने के संबंध में विचार कर सकते हैं। [२]
    • जब आप कोई लेख लिख रहे हों, तब प्रस्तावना और उपसंहार में एक एक पैराग्राफ दिया जाना चाहिए। परिचयात्मक पैराग्राफ में लेख का उद्देश्य परिभाषित होना चाहिए तथा यह भी, कि इससे क्या प्राप्त होने की आशा है, और साथ ही चर्चित विचारों एवं मुद्दों की संक्षिप्त रूपरेखा भी दी जानी चाहिए। उपसंहार वाले पैराग्राफ में लेख में दी गई समस्त जानकारी तथा तर्कों, जिन्हें प्रस्तुत या/तथा सिद्ध किया गया हो, का सारांश स्पष्ट शब्दों में दिया जाता है। यहाँ पर उस नए विचार का परिचय भी दिया जा सकता है, जो लेख को पढ़ने के बाद पाठक के मन में उठ रहा हो। [२]
    • यदि आप कल्पना से कुछ लिख रहे हैं, तो आपको नए वक्ता को दिखाने के लिए नया पैराग्राफ शुरू करने की आवश्यकता है। [८]
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने पैराग्राफ का पुनरीक्षण

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  1. जब आपने लिखना समाप्त कर लिया हो, तो यह आवश्यक है कि आप अपने पैराग्राफ को वर्तनी की गलतियों तथा घटिया व्याकरण के लिए दो या तीन बार फिर से पढ़ें। वर्तनी की गलतियों और बुरे व्याकरण से आपके पैराग्राफ की दिखाई पड़ने वाली गुणवत्ता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, चाहे उसमें सम्मिलित विचार और तर्क उच्च स्तर के ही क्यों न हों। लिखते समय छोटी छोटी भूलों का नज़रअंदाज़ हो जाना बहुत संभव है, इसलिए इस चरण को, चाहे आप जल्दी में ही क्यों न हों, छोड़ मत दीजिएगा।
    • सुनिश्चित करिए कि प्रत्येक वाक्य में विषय वस्तु है। यह भी सुनिश्चित करिए कि क्रियाएँ और विषय सुसंगत हैं तथा पूरे पैराग्राफ में एक ही काल का प्रयोग हो रहा है।
    • उन शब्दों की वर्तनी, जिनके संबंध में आप निश्चित नहीं हैं, को पक्की तरह से जाँचने के लिए, शब्दकोश का उपयोग करिए, केवल यह मान मत लीजिये कि वे सही ही होंगे। यदि आपको लगता है कि आप एक ही शब्द बार बार प्रयोग कर रहे हैं, तब आप समानार्थी शब्दों की खोज के लिए थेसौरस का उपयोग भी कर सकते हैं। केवल यह याद रखिए कि आप जो भी शब्द थेसौरस में से चुनें, उसका अर्थ शब्दकोश में अवश्य देख लीजिये ताकि आपको उसका सही अर्थ पता चल जाये। थेसौरस में शब्द हल्के फुल्के ढंग से समूहबद्ध किये जाते हैं, और उन सभी का एक ही अर्थ नहीं होता है। उदाहरण के लिए थेसौरस में “chirpy,” “ecstatic,” तथा “merry” को “happy” का समानार्थक बताया जाता है जबकि इनमें से प्रत्येक का “अपना एक अर्थ” होता है जिसके कारण, यदि आप सावधान नहीं होते हैं, तब आपके वाक्य का पूरा अर्थ ही बदल सकता है।
    • पैराग्राफ की जांच विरामचिन्हन के उचित प्रयोग के लिए भी करिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपने अल्प विराम, कोलन, सेमीकोलन तथा एलिप्सेस का उपयोग सही संदर्भ में ही किया है।
  2. अपने पैराग्राफ की जांच अनुकूलता और शैली के लिए करिए: न केवल आपके लेखन के तकनीकी आयाम बिलकुल सही होने चाहिए, बल्कि आपको यह भी प्रयास करना चाहिए कि आपके लेखन में स्पष्टता और शैली प्रवाहपूर्ण हो। आप अपने वाक्यों की लंबाई और संरचना में परिवर्तन करके, तथा संक्रमणशील शब्दों और विविध शब्दावली का उपयोग करके यह प्राप्त कर सकते हैं। [२]
    • पूरे पैराग्राफ, और सच पूछिये तो पूरे लेख में, आपका दृष्टिकोण सुसंगत बना रहना चाहिए। जैसे कि, यदि आप प्रथम पुरुष में लिख रहे हों (उदाहरण: “मेरा विश्वास है कि...”) तब आपको आधे रास्ते में कर्मवाच्य (passive voice) में नहीं चला जाना चाहिए (“यह माना जाता है”)।
    • साथ ही, प्रत्येक वाक्य की शुरुआत “मेरे विचार से ....” या “मेरा मानना है कि ...” से करने से भी बचिए। अपने वाक्यों की संरचना में परिवर्तन करने का प्रयास करिए, क्योंकि इससे पैराग्राफ, पाठक के लिए और भी दिलचस्प हो जाएगा और प्राकृतिक प्रवाह में भी सहायता मिलेगी।
    • नौसिखिया लेखकों के लिए, छोटे छोटे, मुद्दे पर केन्द्रित वाक्यों का लेखन ही अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए उचित होता है। लंबे, घुमावदार वाक्य बहुत जल्द ही असंगत या व्याकरण की भूलों के शिकार हो जाते हैं, इसलिए जब तक आपको ढेर सारा अनुभव न हो जाये, उनसे बच कर ही रहिए।
  3. निश्चय करिए कि कब पैराग्राफ सम्पूर्ण हो जाता है: जब एक बार आपने पैराग्राफ को पुनः पढ़ लिया है और शैली तथा व्याकरण की भूलों को सुधार भी लियी है तब आपको उस पर एक नज़र यह सुनिश्चित करने के लिए डालनी चाहिए कि वह सम्पूर्ण हो गया है अथवा नहीं। पैराग्राफ को निष्पक्ष दृष्टि से देखने का प्रयास करिए और तय करिए कि क्या वह आपके विषय वाक्य का समुचित समर्थन करता है या आपके दावे का समर्थन करने के लिए उसमें कुछ और सूचनाएँ अथवा अतिरिक्त साक्ष्य दिये जाने की आवश्यकता है। [३]
    • यदि आपको लगता है कि आपके विषय वाक्य का मुख्य दावा आपके पैराग्राफ की सामग्री से भली भांति और संपूर्णतया समर्थित है, तब शायद आपका पैराग्राफ पूरा हो गया है। परंतु, यदि विषय का मुख्य आयाम अभी अनछुआ रह गया है या असपष्ट है या पैराग्राफ तीन वाक्यों से भी कम लंबा है, तब शायद उसमें कुछ और काम करने की आवश्यकता है। [३]
    • वहीं दूसरी ओर आप तय कर सकते हैं कि आपका पैराग्राफ बहुत लंबा हो गया है और उसमें निरर्थक या फालतू सामग्री आ गई है। यदि यह बात है, तब आपको पैराग्राफ का ऐसा सम्पादन करना चाहिए कि उसमें केवल प्रासंगिक जानकारी मात्र ही रह जाये।
    • यदि आपको लगता है कि आपकी बात के लिए सभी सामग्री की उपस्थिति आवश्यक है, मगर पैराग्राफ तब भी बहुत लंबा है, तब आपको विचार करना होगा कि क्या उसे अनेक छोटे छोटे, अधिक विशिष्ट, पैराग्राफ में विभाजित कर दिया जाये।

सलाह

  • पैराग्राफ में होने चाहिए:
    • विषय वाक्य
    • समर्थक वाक्य
    • समापन वाक्य
  • पढ़ते समय देखिये कि पैराग्राफ कैसे विभाजित किए गए हैं। यदि आप अनुभव से यह सीखते हैं कि पैराग्राफ क्या हैं, तब आप केवल अपने महसूस कर पाने के आधार पर ही लेखन का उचित विभाजन कर पाएंगे।
  • पैराग्राफ की लंबाई के संबंध में कोई स्थापित नियम नहीं है। इसके स्थान पर यह सुनिश्चित करिए कि प्राकृतिक ब्रेक हों। प्रत्येक पैराग्राफ में एक मुख्य विचार होना चाहिए और लेखन ऐसा, जो उसका समर्थन करे।
  • नया पैराग्राफ प्रारम्भ करते समय सदैव इंडेंट (indent) करिए। जैसे कि अङ्ग्रेज़ी लेखन में 0.5 इंच का इंडेंटेशन (indetation) साधारणतया प्रयोग किया जाता है।
  • वर्तनी और व्याकरण की गलतियां अच्छे से अच्छे लेखन को भी कलंकित कर सकती हैं। इसलिए वर्तनी की शुद्धि सुनिश्चित करें और संदेह की स्थिति में अपनी कृति को किसी और से पढ़वाएँ।
  • यदि आप किसी वार्तालाप को लिख रहे हों, तो हर बार जब कोई व्यक्ति बोले तो नया पैराग्राफ प्रारम्भ करिए।
  • कुंजी है:
    • सामंजस्य: विचार एवं प्रदर्शित विषय एकसार होने चाहिए।
    • क्रम: आपके वाक्यों के संयोजन से पाठक को समझने में सहायता मिलती है।
    • अनुकूलता: वह गुण है जिससे आपका लेखन समझा जा सकता है। वाक्यों को एक दूसरे से सम्बद्ध होना चाहिए।
    • संपूर्णता: पैराग्राफ में उपयोग किए गए सभी वाक्यों द्वारा पूरा संदेश दिया जाना चाहिए।
  • अपने लेखन को उद्देश्य के अनुसार समायोजित करिए। जिस प्रकार से आप अलग अलग अवसरों व मौसमों के अनुसार अलग अलग कपड़े पहनते हैं, आपको अपनी लेखन शैली भी अपने उद्देश्य के अनुकूल रखनी चाहिए।

चेतावनी

  • यदि यह स्कूल से दिया गया कार्य हो तब अंतिम क्षण तक प्रतीक्षा मत करिए। स्वयं को प्रत्येक पैराग्राफ की योजना बनाने एवं लिखने के लिए ढेरों समय कीजिये। इसके परिणामस्वरूप आपका कार्य बहुत ही उच्च स्तर का हो सकता है।

विकीहाउ के बारे में

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