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बजट से आपको अपने बकाया उधार को चुका पाने में, अपने फ़ाइनेंशियल (financial) भविष्य को अपने हाथों में लेने में और यहाँ तक कि अधिक ख़ुश और अधिक रिलैक्स्ड (relaxed) व्यक्ति बनने में भी सहायता मिल सकती है। आपकी परिस्थितियों के आधार पर, यह भी हो सकता है कि एक उचित बजट द्वारा आपको ख़र्च कम करने की ज़रूरत ही न पड़े। उसकी जगह, आपको संभवतः अधिक प्रभावी फ़ाइनेंशियल निर्णय लेने हो सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी आय और व्यय को ट्रैक करना

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  1. अपने ख़र्चों को ट्रैक करने के लिए आपको जिस चीज़ की आवश्यकता हो, वो सब एकत्र कर लीजिये: पिछले बिल, बैंक और क्रेडिट कार्ड्स के स्टेमेंट्स, और दूसरी रसीदें एकत्र कर लीजिये, जिनसे आप एक सही-सही एस्टिमेट (estimate) लगा सकें कि आप हर महीने कितना ख़र्च करते हैं।
  2. बजट में सहायता के लिए सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने पर विचार करिए: फ़ाइनेंस के क्षेत्र में निजी फ़ाइनेंस सॉफ्टवेयर तेज़ी से एक नया ट्रेंड (trend) बनता जा रहा है। इन प्रोग्राम्स में बजट बनाने के बिल्ट-इन टूल्स होते हैं जो आपको अपनी पसंद का बजट बनाने में सहायता कर सकते हैं, तथा साथ ही ऐसी एनालिटिक्स (analytics) भी दे सकते हैं जिससे आप अपने भविष्य के कैश-फ़्लो का अंदाज़ा लगा सकें और अपने ख़र्च करने की आदत को और भी बेहतर समझ सकें। कुछ लोकप्रिय निजी फ़ाइनेंस सॉफ्टवेयर हैं:
    • Mint
    • Quicken
    • AceMoney
    • BudgetPulse
  3. अगर आप बजटिंग सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने का निर्णय नहीं लेते हैं, तब आप एक साधारण स्प्रेडशीट का इस्तेमाल करके अपना बजट तय कर सकते हैं। आपका लक्ष्य है कि पूरे साल के आय और व्यय को चार्ट किया जाये, इसलिए एक स्प्रेडशीट बनाइये जिसमें ये सब जानकारी स्पष्ट रूप से दिखाई जा सके, और आप वो जगहें सरलता से पहचान सकें जहां पर ख़र्च करने में आपको और अधिक बुद्धिमानी दिखाने की आवश्यकता है। [१]
    • टॉप पर सेल्स (cells) की रो (row) को (सेल B1 से शुरू करके) साल के बारह महीनों से लेबल करिए।
    • कॉलम A में ख़र्च और आय का कॉलम बनाइये। आप आय या व्यय में से जिसे चाहें, उसे पहले लिख़ सकते हैं, मगर उलझन से बचने के लिए, कोशिश करिए कि ख़र्चों को एक साथ ग्रुप (group) कर दें।
    • आप चाह सकते हैं कि कैटेगरी हेडिंग्स दे कर ख़र्चों को एक साथ ग्रुप करें। उदाहरण के लिए, आपके पास एक कैटेगरी हो सकती है “यूटिलिटीज़ (utilities)” जिसमें बिजली, पेट्रोल, गैस, पानी और फ़ोन के बिल्स आएंगे।
    • आप यह तय करिए कि वे आइटम जो सीधे आपके वेतन में से कट जाते हैं, जैसे कि बीमा, रिटायरमेंट के लिए बचत, या टैक्सेज़ आदि, उनको भी आप यहाँ शामिल करना चाहेंगे, अथवा नहीं। अगर आप उनको यहाँ अपनी स्प्रेडशीट में नहीं शामिल करते हैं, तब यह सुनिश्चित कर लीजिएगा कि आप “revenue” सेक्शन में अपनी नेट (कटौती के बाद) आय लिखें, और ग्रौस (कुल, कटौती से पहले की) आय नहीं लिखें।
  4. पिछले 12 महीनों की अपनी आय और व्यय को जोड़ लीजिये, और आपकी आय और व्यय का विवरण शुद्ध रहे इसके लिए बैंक और क्रेडिट कार्ड के डेटा का इस्तेमाल करिए।
  5. क्या आपका कोई फिक्स्ड वेतन है जहां आपको पता चलता है कि आपको प्रति माह/सप्ताह घर ले जाने के लिए कितना मिलता है? क्या आप फ़्रीलांसर हैं जिसका वेतन हर महीने बदलता रहता है? एक साल का विवरण लिख लेने से आपको अपनी औसत मासिक आय का अंदाज़ा लगाने में सहायता मिल सकती है। [२]
    • अगर आप कोई स्वतंत्र कॉन्ट्रेक्टर या फ़्रीलांसर हैं, तब यह ध्यान रखिएगा कि आप जो घर ले जाते हैं उसको आपकी आय नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आप प्रतिमाह 25,000 रुपये घर ले जाते हों, मगर इसमें से टैक्स नहीं कटा है। पता लगाइए कि आपको कितना टैक्स देना है और सही आंकड़ा जानने के लिए, उसमें से टैक्स की राशि को घटा दीजिये।
    • अगर आप वेतन पाने वाले कर्मचारी हैं, तब संभावित टैक्स रिफ़ंड को अपनी कुल आय में मत जोड़ लीजिएगा। आपकी मासिक आय में केवल वही दिख़ना चाहिए जो आपको टैक्स काटने के बाद मिलता है, अगर आपको टेक्स रिफ़ंड मिल ही जाता है, तब आप उसके साथ जो चाहे वो कर सकते हैं; और अगर नहीं मिलता है, तब आपको उसकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
  6. अपने सभी मासिक ख़र्चों को स्प्रेडशीट में लिस्ट कर लीजिये: वे कौन से बिल हैं जिनका भुगतान आपको हर महीने करना पड़ता है? प्रति सप्ताह आप ग्रोसरीज़ (groceries) और गैसोलीन पर कितना ख़र्च करते हैं? क्या आप दोस्तों के साथ हर शुक्रवार की रात में डिनर करने जाते हैं या सप्ताह में एक मूवी देख़ते ही हैं? आप शॉपिंग पर कितना ख़र्च करते हैं? एक साल के वास्तविक ख़र्चों को ट्रैक करने से आप अपनी ख़र्च करने की आदतों का सही अंदाज़ा लगा सकते हैं, चूंकि अधिकांश लोग हर महीने किए जाने वाले अपने ख़र्च का कम आकलन करते हैं। [३]
  7. अगर आपका ख़र्च आपकी आय से अधिक है, तब आप अपनी हैसियत से बढ़ कर ख़र्च कर रहे हैं। आपके बजट को दो ग्रुप्स में विभाजित किया जाना चाहिए:
    • Fixed Expenses . इनमें शामिल होते हैं नियमित मासिक व्यय जैसे बिल्स, बीमा, ऋण की किश्त, भोजन, और कपड़े तथा घरेलू सामान।
    • Discretionary Expenses . डिसक्रीशनरी (Discretionary) व्यय वे ख़र्च होते हैं जो कि फिक्स्ड नहीं होते तथा जो “वैकल्पिक” होते हैं। इसमें बचत, मनोरंजन, छुट्टियों का फ़ंड तथा अन्य विलासिताएँ शामिल होती हैं।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अपना बजट बनाना

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  1. भाग 1 में स्थापित इतिहास से आपको एक एक्यूरेट (accurate) प्रिलिमिनरी बजट बनाने में मदद मिलेगी। आपको अपने फिक्स्ड एक्स्पेंसेज़ और आय की गणना कर लेनी चाहिए, और उसके बाद आप तय करिए कि आप अपने डिसक्रीशनरी धन का इस्तेमाल कैसे करेंगे।
    • फिक्स्ड एक्स्पेंसेज़ की गणना करने के लिए, पिछले साल के प्रत्येक महीने का औसत लीजिये, उसके बाद उसमें लगभग 5% जोड़ दीजिये। उदाहरण के लिए, अगर आपका बिजली का बिल मौसम के अनुसार बदलता तो रहता है, मगर उसका औसत 2,100 रुपये होता है, तब आपको उसके बिल का अंदाज़ा 2,200 रुपये लगा सकते हैं।
    • फिक्स्ड एक्सपेन्सेज़ में अगर कोई परिवर्तन होता है तब उसका हिसाब रख़ने का ध्यान रखिएगा, जैसे कि कोई छात्र ऋण चुकाना या नई कार की किश्त देना आदि।
  2. अपने अधिकांश डिस्क्रीशनरी ख़र्चों के लिए एक लक्ष्य तय कर लीजिये: अब जबकि आपको पता है कि आपके पास हर महीने लगभग कितना धन डिस्क्रीशनरी ख़र्चों के लिए बचेगा, तब आप यह तय करिए कि आप किस तरह उस धन को ख़र्च करना चाहेंगे। आपका लक्ष्य स्पष्ट, और करने योग्य होना चाहिए। कुछ शॉर्ट टर्म लक्ष्य ये हो सकते हैं:
    • 80,000 रुपये एमर्जेंसी बचत फ़ंड में जमा करना
    • प्रत्येक वेतन का 5% बचत खाते में रख़ना
    • क्रेडिट कार्ड्स की देनदारी 12 महीनों में चुका देनी है
    • एनिवर्सरी की छुट्टियों के लिए 60,000 रुपये जमा करना
  3. पैसे बचाने के ऐसे भी तरीके हैं जिनसे टैक्स लाभ मिल सकते हैं। कुछ धाराओं के अंतर्गत, कुछ विशेष प्रकार के निवेश होते हैं, जिनमें पैसे बचा कर आप टैक्स में कमी ला सकते हैं। कुछ कंपनी ऐसी भी हैं जो आपके रिटायरमेंट कंट्रीब्यूशन को मैच कराती हैं, जिससे आपकी बचत और भी अधिक लाभकर हो जाती है।
  4. अपने शेष डिस्क्रीशनरी ख़र्चों का बजट बना लीजिये: आपके बजट का यह भाग आपकी वैल्यूज (values) से सम्बद्ध है। आपकी क्या वैल्यूज हैं और उनको पाने के लिए आप किस तरह से ख़र्च करना चाहते हैं? धन, आखिरकार एक साधन है, साध्य नहीं।
    • आप किस प्रकार के व्यक्ति हैं और आप क्या करना चाहते हैं? बहुत सारे लोग अंततः अपना धन अपनी हॉबीज़, रुचियों या दान के लिए ख़र्च करते हैं। इसको ऐसे सोचिए कि आप किसी अनुभव या संतुष्टि की भावना के लिए निवेश कर रहे हैं।
    • सोचिए कि ऐसी क्या चीज़ है जिससे आपको वास्तव में ख़ुशी मिलती है। एक लोकप्रिय सिद्धान्त यह है कि जो लोग अनुभव के लिए ख़र्च करते हैं, वे उनकी अपेक्षा अधिक खुश होते हैं जो चीज़ों को एकत्र करने के लिए ख़र्च करते हैं। [४]
    • यात्रा और छुट्टियों के लिए अधिक पैसे निकाल कर रखने पर विचार करिए।
विधि 3
विधि 3 का 3:

बजट माहिर बनना

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  1. अपने ही बजट पर टिके रहिए और ओवरस्पेंड (overspend) मत करिए: यह बजटिंग का पहला नियम है, और सच कहें तो एकमात्र नियम है। बात तो काफ़ी आसान लगती है, मगर बजट को पार कर जाना आसान होता है, चाहे आपने पहले से उसको बना कर रखा भी हो। अपनी ख़र्च करने की आदतों का ध्यान रखिए और इस पर भी कि आपका पैसा कहाँ जा रहा है।
  2. बड़े ख़र्च को कम करना सबसे बुरा लग सकता है मगर बजट के अंदर रहने का यह सबसे आसान तरीका होता है। अगर आप हर साल छुट्टी पर जाते हैं, तब इस साल घर पर रहने का विचार करिए। छोटे छोटे ख़र्च भी बड़े हो सकते हैं।
    • अगर आप किसी महंगी विलासिता का आनंद लेते हों, तब उसे पहचान कर उस ख़र्च को कम करने की कोशिश करिए। अगर आप साप्ताहिक मसाज करवाते हैं, या आपको महंगी वाइन का शौक है, तब अपने इन शौक़ों की फ़्रीक्वेन्सी (frequency) कम कर दीजिये ताकि आप इन पर महीने या दो महीने में एक बार ही ख़र्च करें।
    • जेनेरिक ब्राण्ड्स का इस्तेमाल करके और अधिकतर घर पर ही खाना खा कर आप छोटे ख़र्चों से भी बचत कर सकते हैं। कोशिश करिए कि सप्ताह में एक या दो बार से अधिक बाहर खाना न खाएं। [५]
    • किसी सस्ते फ़ोन प्लान पर स्विच करके, अपने टेलीविज़न के पैकेज को कम करके या अपने घर की एनर्जी एफ़िशियेन्सी को सुधार कर देखिये कि क्या आप अपने फिक्स्ड ख़र्चों को कम कर सकते हैं।
  3. अपने आपको कभी कभी ट्रीट (treat) भी दीजिये, मगर सीमा के अंदर: आपके पैसे को आपके लिए काम करना चाहिए, न कि आपको पैसे के लिए। आप ऐसा नहीं महसूस करना चाहेंगे कि आप आम तौर पर अपने बजट के या पैसों ग़ुलाम हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप हर महीने अपने को सीमा के अंदर छोटी मोटी ट्रीट दें, जिससे कि आपका बजट भी न बिगड़ जाये।
    • अपनी इनाम देने की प्रणाली का इतना भी दुरुपयोग मत करिएगा कि उसका उल्टा असर होने लगे और आपका बजट ही बिगड़ जाये। बात तो यह है कि अपने आप को छुट्टी या महंगे शानदार जूते जैसे महंगे उपहार देने की जगह, आप खुद को कॉफी या कमीज़ जैसा कोई सस्ता सा इनाम दे कर ही ख़ुश करें।
  4. क्रेडिट कार्ड के ख़र्चे को हर महीने भुगतान कर दीजिए: अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तब आपको हर महीने उसे शून्य बैलेंस पर रख़ने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि आप महंगी फीस देने से बच जाएँ। अगर आप वर्तमान बैलेंस का भुगतान नहीं कर सकते, तब प्राथमिकता यही बनाइये कि उचित समय सीमा के अंदर भुगतान कर दिया जाये ताकि आप शून्य बैलेंस पर जल्दी से जल्दी पहुँच सकें।
    • अधिकांश साप्ताहिक ख़र्चों के लिए नकद भुगतान पर स्विच करने का प्रयास करिए – खास तौर पर बाहर खाने या कॉफी वगैरह जैसे “extras” के लिए। इससे आप अपने ख़र्चों पर नियंत्रण कर सकते हैं, चूंकि जब लोग कार्ड स्वाइप करने की जगह नकद भुगतान करते हैं, उस समय उनको ख़र्च का एहसास कुछ अधिक होता है।
  5. जब आप अपने टैक्स हर साल फाइल करते हैं तब सभी डिडकश्न्स (deductions) का पूरा लाभ उठाएँ।
    • अपनी सभी रसीदें संभाल कर रख़ना शुरू कर दीजिये, खास तौर से उस स्थिति में जबकि आप या तो घर से या रिमोटली (remotely) काम कर रहे हों या आप स्वतंत्र कॉन्ट्रेक्टर हों। जब आप अपने टैक्स का हिसाब कर रहे होंगे, तब ऐसी अनेक सुविधाएं हैं जिन्हें आप ख़र्चों में डाल सकते हैं। [६]
    • यह तो अच्छा होगा यदि आप कॉन्ट्रेक्टर के रूप में बेहतर टैक्स रिफ़ंड पाने के तरीकों के लिए कुछ रिसर्च करें, या आप अपने अकाउंटेंट से भी पूछ सकते हैं कि किस प्रकार बेहतर रिफ़ंड पाया जा सकता है।
  6. अगर आप होमओनर हैं और आपके पास उसका पर्याप्त सबूत है, तब आप अपील करके, रियल एस्टेट टैक्स, जो आपकी संपत्ति पर असेसर द्वारा लगाया गया होगा, कम करवा सकते हैं।
  7. आमदनी के संभावित (पक्के नहीं) स्त्रोतों, जैसे कि साल के अंत में मिलने वाला बोनस, पैतृक धन, या टैक्स रिफ़ंड आदि को हिसाब में मत लीजिये। आप अपने बजट में केवल उसी धन को हिसाब में लेना चाहेंगे जो गारंटीड हो।

सलाह

  • सिक्कों को एक जार में एकत्र करिए और फिर उसे बैंक में ले जा कर जमा करवा दीजिये। आप यह जान कर चकित रह जाएँगे कि छोटे-छोटे सिक्कों से कितना पैसा एकत्र हो सकता है। [७]
  • महंगे ब्याज वाले क्रेडिट कार्ड्स या दूसरे ऐसे ऋण लेने से बचिए जिनमें ब्याज बहुत देना पड़ता है क्योंकि वह आपके लिए महंगा पड़ता है, विशेषकर तब, जबकि आप हर महीने अपने बिल समय पर देने के लिए संघर्ष करते रहते हों। [८]

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