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अपने नवजन्में बच्चे की भूख पूरी करने जितना पर्याप्त दूध नहीं हो पा रहा है, इस आशंका में कई मायें फिक्रमंद रहा करती हैं। ज्यादातर मामलों में, इस तरह के डर भ्रामक ख्यालों पर टिके होते हैं, जैसे नर्सिंग के लिए जरूरी वक्त न दे पाना, या बच्चे की भूख स्वाभाविक रूप से बढ़ जाना। आम तौर पर ये बेहद स्वाभाविक बाते हैं, जिनसे ब्रेस्टफीडिंग वाले दिनों में बहुत-सी माताएँ गुजरती हैं। हालाँकि अगर बच्चे का वजन नहीं बढ़ पा रहा है, या यह घटता जा रहा है, तो मां का दूध बढ़ा देना कुछ मदद कर सकता है।

विधि 1
विधि 1 का 2:

दूध की मात्रा बढ़ाना, ब्रेस्टफीडिंग से पहले

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  1. अगर आप फीड करा रही हैं, तो कम से कम 1,800 कैलोरी वाला खाना रोज खाएँ और दिन भर में कुछ नहीं तो 6 ग्लास तरल पेय लें: अगर डायटिंग पर हैं, तो हो सकता है यही आपके दूध के घट जाने की वजह हो। कोई हैरानी की बात नहीं है कि जो आप खाती हैं उसका दूध की गुणवत्ता और उसकी मात्रा पर सीधा असर होता है। आपके खान-पान और दूध की मात्रा से जुड़ी कुछ सामान्य गाइडलाइन ये रही, जिसे याद रखना चाहिए:
    • कैल्सियम के बेहतरीन स्रोत का पता लगाइए। यह आपके नन्हे बच्चे की हड्डियों के स्वस्थ और मजबूत विकास में मदद करेगा। कैल्सियम वाले खाद्यों में डेयरी उत्पाद (ऑर्गेनिक डेयरी उत्पादों को ही चुनें), पत्तेदार हरी सब्जियाँ, और कुछ मछलियाँ (छोटी-छोटी सफ़ेद चुन्नी और सामन) ले सकती हैं।
    • फल और सब्ज़ियां खूब खाइए। आहार का बड़ा हिस्सा फल और सब्जियों को बनाइये, क्योंकि ये विटामिन, मिनरल्स और फाइबर से भरे होते हैं।
    • कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट ही चुनें। जटिल कार्बोहाइड्रेट प्रोसेस किये हुए कार्बोहाइड्रेट की अपेक्षा ज्यादा सेहतमंद होते हैं, जिनसे आपको बचना चाहिए। कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट में ब्राउन राईस, साबूत अनाज वाले पास्ता और ब्रेड, और बीन्स जैसी चीजें आती हैं।
    • बिना फैट वाले मांस (Lean meat) ही खाएं। चरबी वाले मांस की अपेक्षा यह ज्यादा बेहतर होता है। स्किनलेस चिकेन ब्रेस्ट, मछली, कम फैट वाले डेयरी उत्पाद, और टोफू जैसे सोयाबीन प्रोडक्ट के बारे में सोच सकते हैं।
  2. ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने वाली दवाइयां या हर्बल उत्पादों के सेवन से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर ले लें: मेथी, भटकटैया (blessed thistle) और लाल रसभरी (red raspberry) जैसी जड़ी-बूटियाँ अच्छा काम करती हैं। नर्सिंग कर रही माताओं में कम दूध का इलाज करने के लिए कभी-कभी डॉक्टर आख़िरी सहारे के रूप में प्रेस्क्रिप्शन वाली दवा मेटोक्लोप्रेमाइड (Metoclopramide) का सहारा लेते हैं।
  3. पम्पिंग दो कारणों से फायदेमंद है। पहला, अगर आपके बच्चे को जरूरत नहीं है, तो पम्पिंग ब्रेस्ट मिल्क को एकत्र करके स्टोर करने की सहूलियत देती है। दूसरे, ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाने में पम्पिंग मदद करती है। [१]
    • थोड़ा खर्च हाई क्वालिटी वाले पंप पर करें। पम्पिंग कोई जिन्दगी का जायका नहीं है, इसलिए अच्छे कारगर पम्प में निवेश आपको फायदा भी देगा। अगर आपके पास कोई हाई क्वालिटी, डबल पम्प नहीं है, तो अस्पतालों वाले उम्दा पंप किराए पर ले सकते हैं।
    • आप चाहे काम पर रहें या घर पर, हर दो घंटे में 15 मिनट के लिए पम्पिंग करने का ध्यान रखें। ऐसा करें या फिर, नर्सिंग के बाद 5 से 10 मिनट के लिए पंप करें। 24 घंटे के दौरान कम से कम 8 बार पम्पिंग से दूध की मात्रा तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी। अगर नर्सिंग के तुरंत बाद आप पंप नहीं कर सकतीं, तो फीडिंग के बीच पंप करने की कोशिश करें।
    • दोनों ब्रेस्ट की साथ-साथ पम्पिंग करें। यह दूध में बढ़ोतरी करने के साथ दूध निकलने की मात्रा को दोगुना कर देगा।
  4. जब आप दूध बढ़ाने की कोशिश कर रहीं हैं, तो पैसिफायर्स यानी बच्चे को बहलाने के लिए दी जाने वाली चुसनी या बोतल का सीमित इस्तेमाल करें: यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे की तमाम जरूरतें आपके दूध से ही पूरी हो रही है। जैसे-जैसे बेबी बड़ा होगा, उसके लिए घूम-फिर कर दूध से चुसनी की ओर जाना आसान रहेगा। अगर आप सप्लीमेंट के तौर पर बोतल का उपयोग कर रही हैं, तो इसे सिरिंज या चम्मच से बदलने की कोशिश करें।
विधि 2
विधि 2 का 2:

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध बढ़ाना

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  1. तनाव का दबाव आपके दूध उत्पादन की क्षमता को नुकसान पहुँचा सकता है। [१] पम्पिंग या ब्रेस्टफीडिंग से पहले आरामदेह म्यूजिक या फिर खुशनुमा या जिन्दगी के प्यारे लम्हों वाली तस्वीरों के साथ रिलैक्स करने की कोशिश करें।
    • अगर चाहें, तो पम्प या ब्रेस्टफीड से पहले, थोड़े समय के लिए ब्रेस्ट पर हॉट कॉम्प्रेस या मालिश आजमा सकती हैं।
  2. जितना ज्यादा आपका ब्रेस्ट स्टीमुलेट होगा, शरीर उतना ज्यादा दूध बनाएगा। 24 घंटे में कम से कम 8 बार फीडिंग आदर्श रहेगा, अगर हो सके तो इससे ज्यादा भी कर सकती हैं। वैसे अगर एक तयशुदा शिड्यूल में फीड दे रही हैं, तो इससे अलग हटकर बेबी की मांग के मुताबिक़ बार-बार फीड देना दूध को बढ़ाएगा।
  3. ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान स्किन टू स्किन कांटेक्ट बढ़ाने के लिए बच्चे का कपड़ा हटा दीजिये: [२] बच्चा जब ब्रेस्टफीड कर रहा है उस समय उसके कपड़े हटा देना उसे देर तक फीड करने में मदद करेगा। (ज्यादा देर तक फीड यानी दूध का ज्यादा निकलना।)
    • बेबी को सिर्फ डाइपर में रखें, लेकिन उसकी पीठ पर एक ब्लैंकेट रख लें जिससे उसे ठंड न लगे।
    • ब्रा निकालकर फ्रंट बटन वाला शर्ट पहन लें जिससे स्कीन टू स्किन कांटेक्ट हो सके।
  4. एक स्लिंग गले में झुलाकर इसके सहारे बच्चे को फीड के स्रोत के करीब रखना उसे जल्दी-जल्दी दूध पीने के लिए उकसायेगा। कुछ बच्चे हिलते-डुलते हुए ज्यादा दूध पीते हैं।
  5. हर फीड के दौरान बच्चे को दोनों ब्रेस्ट देकर अपने शरीर को ज्यादा दूध निकालने का आभास दिलाइये: बच्चा जैसे ही थकता दिखे उसे दूसरि ब्रेस्ट तक ले जाएँ। एक फीडिंग सेशन में हर ब्रेस्ट बच्चे को दो बार दें। बच्चे के अलग होने या सो जाने तक उसकी नर्सिंग करें।
  6. अगर जरूरत पड़े तो एक या दो दिन तक बेबी को अपने साथ बेड पर रखें और नर्सिंग के अलावा कुछ और न करें। बेशक आपको किचेन में और बाथरूम जाना होगा और एक माँ होने के दूसरे जरूरी काम करने होंगे। लेकिन याद रखें, यह छुट्टी सिर्फ आपके और आपके नवजन्में बच्चे के लिए है।
    • छुट्टी के दौरान, नैप नर्सिंग का फायदा उठाइये, जो बिलकुल वही है, जैसा इसे सुनकर लगता है; बेबी के साथ सोना, उसे मनचाहे खाने के करीब रखकर। यह माँ और बच्चे दोनों को आराम देता है। यह दूध बढ़ाने वाले हॉर्मोन को उत्तेजित करता है।

सलाह

  • कुछ दवायें दूध की मात्रा घटाने के लिए जानी जाती हैं। अपने डॉक्टर से तसल्ली कर लें कि आप जिन दवाओं को ले रही हैं उनका कोई साइड इफेक्ट ऐसा तो नहीं है।

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