आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

साधारण मान्यता के विरूद्ध शेयर बाज़ार सिर्फ अमीर लोगों के लिए ही नहीं है। पैसे कमाने के लिए और आर्थिक स्वतंत्रता पाने के लिए धन निवेश एक महत्वपूर्ण मार्ग है। छोटी छोटी धनराशि के निरंतर निवेश की नीति से फलतः छोटी रकम जल्द ही विस्तृत होकर बड़ी रकम बन जायेगी। यह ध्येय प्राप्त करने के लिए आप को सुयोग्य आयोजन अपनाने के अलावा धीरज, अनुशासन और मेहनत से काम लेना होगा। यह सूचनाएं आपको छोटे मगर सफल निवेश के लिए सहायक होगी।

विधि 1
विधि 1 का 3:

निवेश के लिए तैयार होना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. सुनिश्चित करें कि निवेश आपके लिए सही है अथवा नहीं: शेयर बाजार के निवेश में जोखिम है, जिसमे सारे पैसे गंवाने का जोखिम भी है। निवेश करने से पहले हमेशा सुनिश्चित कर ले कि आपकी मुख्य आर्थिक ज़रूरतों का इंतज़ाम आपने कर लिया है, अगर आप की नौकरी जाए या कोई बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़े।
    • यह सुनिश्चित कर लें कि आपके बचत खाते में 3 से 6 महीने कि आमदनी जमा है, ताकि आपको अचानक पैसों कि ज़रुरत पड़ने पर आपको शेयर न बेचने पड़ें। बिलकुल सलामत मान कर लिए गए शेयर के भाव में भी कभी कभी नाटकीय उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। जब आप को पैसों की ज़रुरत पड़े, तब आप के शेयर खरीद भाव से नीचे चलने की संभावना तो हरदम बनी रहती है।
    • शेयर बाज़ार निवेश के लिए अपनी मासिक आमदनी का हिस्सा तय करने से पूर्व आपकी बीमा ज़रूरतों को पूरा कर लीजिये। आपके जान-माल का सही बीमा पहले करवा लीजिये।
    • इस बात को याद रखें कि निवेश की हुई राशि पर आप किसी आफत के समय के लिए आधारित नहीं रह सकते है, क्योंकि शेयर बाज़ार में तेज़ी-मंदी का दौर हरदम चलता रहता है। उदहारण के तौर पर, अगर 2008 में अपनी बचत शेयर बाज़ार में निवेश करने के बाद 6 महीने की बीमारी कि वजह से काम न कर पाते, तो उस समय की बाजार गिरावट के कारण आपको अपने शेयर आधी कीमत बेचने कि नौबत आ जाये। उचित बचत और बीमा होने पर आपकी मुख्य ज़रुरत हमेशा पूरी हो सकती है, चाहे शेयर बाज़ार में कितने ही उतार चढ़ाव आ जाए।
  2. अपनी निवेश ज़रुरत पर आधारित कई अलग अलग प्रकार के खातों में से आपको एक का चयन करना होगा। हर प्रकार का खाता आपके निवेश करने का एक अलग साधन दर्शाता है।
    • करपात्र (taxable) खाता एक ऐसा खाता है जिसमें हर साल आपके निवेश पर हुआ लाभ उसी साल में करपात्र होगा। इसलिए, अगर आप को साल के दरमियान कोई ब्याज या डिविडेंड मिले, या शेयर की बिक्री से लाभ हो, उस रकम पर कर (tax) जमा करना ज़रूरी है। करपात्र खाते में आपको किसी भी वक्त अपने पैसे बिना जुर्माने मिल सकते हैं, जो टैक्स डैफर्ड (deffered)खाते में मुमकिन नहीं होता हैं। [१] [२]
    • आप एक परम्परागत वैयक्तिक निवृत्ति आयोजन खाते (ट्रेडिशनल इंडिविजुअल रिटायरमेंट अकाउंट या IRA) में आयकर (इनकम टैक्स) रहित निवेश कर सकते हैं, यह निवेश आप एक मर्यादित मात्रा में ही कर सकते हैं। इस प्रकार के खाते से आप तभी अपना पैसा वापस निकाल सकते हैं जब आप सेवानिवृत्ति की उम्र पर पहुँच जाएँ (उससे पहले निकालने पर आप को जुर्माना लगेगा)। इसमें आपको 70 साल की उम्र से पैसे निकलने की अनुमति मिलेगी। जो रकम आप उठाओगे, उस पर आप को कर अदा करना होगा। इस प्रकार के खाते का फायदा यह है कि आपकी सारी निवेश की गई रकम और उस पर हुआ लाभ कर रहित बढ़ सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर इस खाते से आपने किसी शेयर में 60000₹ निवेश किये है और आपको 5% (3000₹ सालाना) डिविडेंड (divident) मिले, उन पूरे 3000₹ को आप फिर निवेश कर सकते है, क्योंकि उस लाभ से कोई कर नहीं कटता। इसका मतलब है कि अगले बरस आपको 63000₹ पर 5% मिलेंगे। इस फायदे के बदले में आपके पैसो से आप दूर रहेंगे, क्योंकि निवृत्ति से पहले पैसा निकालने पर जुर्माना भरना होगा। [३]
    • रॉथ (roth) निजी निवृत्ति खाते (IRA) में आप कर रहित निवेश तो नहीं कर सकते है, पर जब आप निवृत्ति के समय अपना पैसा वापस निकालते है तब भी आप को कर नहीं भरना होता है। रॉथ (roth/IRA) में नियत उम्र पर पहुंचने पर ही पैसे निकालने अनिवार्य नहीं है। इस कारण वारिसों को संपत्ति सौंपने का यह एक अच्छा जरिया है। [४]
    • इनमे से कोई भी निवेश के लिए अच्छा साधन बन सकता है। निर्णय करने से पहले कुछ समय आपके सारे विकल्पों की जानकारी पाकर उन्हें अच्छी तरह से परखने में बिताएं।
  3. जहाँ यह काफी पेचीदी लगती है, पर है नहीं -- जब आप हर महीने एक निश्चित रकम का निवेश करते हो, आप का औसत खरीद भाव शेयर के औसत बाज़ार भाव के नज़दीक हो जाएगा। इस नीति से जोखिम इस लिए कम होता है क्योंकि जब आप नियमित रूप से छोटी छोटी रकम का निवेश करते हैं, तब इस बात की संभावना कम हो जाती है कि आपके द्वारा निवेश की गई मोटी रकम संयोगवश बड़ी मंदी से पहले ही हुई हो। यही मुख्य कारण है जिसकी वजह से आपको मासिक निवेश का सुव्यवस्थित कार्यक्रम तैयार करना चाहिए। इसके अलावा, नियमित निवेश से खरीद मोल घट सकता है, क्योंकि जब शेयर के भाव घटेंगे तो उतने ही मासिक निवेश से आप ज़्यादा शेयर खरीद पाएंगे।
    • जब आप किसी स्टॉक में निवेश करते हैं, तो कोई एक दाम में शेयर खरीदते हैं। अगर आप हर महीने उदाहरण के लिए 30000₹ खर्च कर सकें, और उस स्टॉक का दाम 300₹ प्रति शेयर हो, तो आप 100 शेयर खरीद सकते हैं।
    • जब आप हर महीने एक निश्चित रकम से स्टॉक खरीदते हैं (उदाहरण के लिए 30000₹), आप शेयर के लिए जो दाम देते हैं उसे घटा सकते हैं। और शेयर भाव बढ़ते ही उस कम खरीद भाव की वजह से ज़्यादा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
    • यह इसलिए होता है कि जब शेयर का भाव गिरेगा, आप के मासिक 30000₹ ज़्यादा शेयर खरीद पाएंगे, और जब शेयर का भाव बढ़ेगा, वही मासिक 30000₹ कम शेयर खरीदेंगे। अंत में इसका परिणाम यह होगा कि आपका औसत खरीद भाव समय के चलते कम होगा।
    • यह जानना ज़रूरी है कि बिल्कुल इससे उलट भी हो सकता है। शेयर भाव अगर लगातार बढ़ते हो तो आपकी नियमित निवेश रकम में शेयर की संख्या घटती जायेगी, जिससे आपका औसत खरीद भाव बढ़ता जाएगा। मगर इसके सामने आपके शेयर की कीमत भी बढ़ती रहेगी, इसलिए आपको मुनाफा तो होगा ही। मुनाफा कमाने का मुख्य मंत्र यह है कि शेयर का भाव जो भी हो, आप अनुशासित तरीके से नियमित निवेश करें।
    • इसी के साथ आपके लगातार छोटी छोटी रकम के निवेश से यह निश्चित हो जाता है की आपके द्वारा निवेश की गई मोटी रकम संयोगवश शेयर बाज़ार की बड़ी मंदी से पहले ही न हुई हो।
  4. सूद-दर-सूद लाभ या चक्रवृद्धि (compounding) के बारे में जानकारी हासिल करें: यह निवेश में एक मूलभूत सिद्धांत है। इसका मतलब है की किसी संपत्ति से हुए लाभ का पुनर्निवेश कर फिर उस लाभ पर लाभ पाना।
    • यह एक उदाहरण से अच्छी तरह समझा जा सकता है। मान लीजिए आप 60000₹ आप किसी स्टॉक में एक साल के लिए निवेश करते हैं, और उस स्टॉक से आप को हर साल 5% डिविडेंड (divident) मिलता है। पहले साल के अंत में आप के पास 63000 ₹ होंगे। दुसरे साल के अंत में भी वह स्टॉक 5% डिविडेंड देगा, पर अब यह 5% आपको 63000 ₹ पर मिलेंगे। इसलिए आपको 3150 ₹ का डिविडेंड मिलेगा, जो कि पहले साल में केवल 3000 ₹ ही मिला था।
    • पर्याप्त समय गुजरने पर इस तरह आप का निवेश काफी बढ़ जाएगा। अगर आप उस 60000 ₹ को सिर्फ खाते में पड़े रहने दें और उस पर 5% डिविडेंड (divident) मिलता रहे, 40 साल बाद यह रकम बढ़कर रु.420000 हो जायेगी। लेकिन यदि आप हर साल इसमें 60000 ₹ और जोड़ते रहे, तो वही चालीस साल के बाद यह रकम होगी 7980000 ₹। वही यदि आप दूसरे साल से हर महीने 30000 जोड़ने लगें, तो 40 साल के बाद रकम बढ़कर लगभग रु.42000000 ₹ तक पहुँच जाएगी।
    • ऊपर जो बात हमने कही है, यह सिर्फ एक उदाहरण है, इसलिए हम यह मान कर चलें हैं कि स्टॉक का मूल्य और डिविडेंड (divident) हर समय स्थिर और समान रहेंगे। वास्तविकता में इन दोनों में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं जिसके चलते 40 साल बाद की रकम काफी हद तक ज़्यादा या कम हो सकती है।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अच्छे निवेश विकल्पों का चुनाव

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. थोडे स्टॉक पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना छोड़िये: अपने सारे अंडे एक ही टोकरी में न डालकर अलग अलग जगहों पर रखना ही, निवेश से लाभ कमाने की चाबी है। जब आप शुरुआत करें, आपका ध्यान अपने निवेश में विविधता लाने पर लगाएं, यानी आपके पैसे कई अलग अलग स्टॉक में लगाएं। [५]
    • अगर आप एक ही कंपनी का स्टॉक खरीदें, तो उसका मूल्य घट जाने का खतरा बना रहता है। पर आप अगर कई उद्योगों के अलग अलग स्टॉक खरीदते हैं तो जोखिम काफी हद तक कम हो जाता है।
    • उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि तेल (पेट्रोल) का दाम घटे और आप के तेल के स्टॉक का भाव २०% गिर जाए। पर तेल के दाम घटने से आम आदमी के पास खर्च करने ज़्यादा पैसे बचेंगे, और इस वजह से रिटेल उद्योगों को फायदा होगा। आपके ख़रीदे हुए रिटेल कंपनी के स्टॉक का मूल्य बढ़ेगा। इसी समय सुचना तकनीक कम्पनी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कंपनी) के स्टॉक के भाव में शायद कोई बदलाव न आए। अंततः इन सब का परिणाम यह होगा कि आप के निवेश पोर्टफोलियो (portfolio) के मूल्य के गिरने की संभावना कम हो जाएगी।
    • आपके निवेश में विविधता लाने का एक अच्छा तरीका है कि आप एक ऐसा निवेश विकल्प खरीदें जो खुद आपको यह विविधता देता हो। इस में म्यूच्यूअल फण्ड (mutual fund) या एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड (ETF) शामिल हो सकते हैं। इनमे निवेश करने से आपको तुरंत ही विविधता मिल जाती है, इसलिए यह नए निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है। [६] [७]
  2. निवेश के लिए बहुत किस्म के विकल्प उपलब्ध हैं। क्योंकि यह लेख निवेश पर केंद्रित है, हम शेयर बाज़ार में निवेश करने के तीन मुख्य तरीकों की बात करेंगे।
    • पहले बात करते हैं एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) की, जो एक ऐसा फण्ड है जिसके पोर्टफोलियो (portfolio) के स्टॉक या बॉन्ड बार-बार खरीदे और बेचे न जाएँ। इस फण्ड से कुछ निश्चित लक्ष्य प्राप्त किये जाते हैं। कई बार, यह लक्ष्य होता है किसी विस्तृत इंडेक्स (जैसे कि S&P 500 या NASDAQ) का अनुसरण करना। उदाहरण के तौर पर, अगर आप ऐसा एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) खरीदते हैं जो S&P 500 का अनुसरण करता हो, तो आप हूबहू 500 कंपनी के शेयर खरीद रहे हैं, जो आपको एक बहुत विस्तृत और विविधतापूर्ण पोर्टफोलियो देता है। ETF का एक और फायदा है कि इसका शुल्क बहुत कम है। ऐसे फण्ड में संचालन कार्य कम से कम होता है, इसलिए खरीददार को ज़्यादा खर्च नहीं देना पड़ता। [८]
    • आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं सक्रिय रूप से संचालित म्यूच्यूअल फण्ड की। ऐसे फण्डमें निवेशकों के एक समूह से ली गई धनराशि से निश्चित कार्यनीति अनुसार निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए कुछ स्टॉक और बॉन्ड में निवेश किया जाता है। म्यूच्यूअल फण्ड के फायदों में से एक है व्यावसायिक तरीके से संचालन। ये फण्ड की देखरेख व्यावसायिक निवेशकों द्वारा की जाती है, जो आपका पैसा अलग अलग विकल्पों में लगाते हैं और बाज़ार के रुख के अनुसार पोर्टफोलियो में बदलाव लाते हैं। म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) में यही एक बुनियादी फर्क है -- म्यूच्यूअल फण्ड में सक्रिय रूप से एक कार्यनीति के अनुसार स्टॉक चुने जाते हैं, वहीँ एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) में सिर्फ निर्धारित इंडेक्स का अनुसरण करते हैं। म्यूच्यूअल फण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) से ज़्यादा महंगे होते हैं, क्योंकि सक्रिय व्यायसायिक संचालन के लिए आपको अतिरिक्त कीमत चुकानी पड़ती है। [९] [१०]
    • कुछ ख़ास कंपनी के स्टॉक में निवेश करने के बारे में भी सोंचे। अगर आप के पास इन कंपनी के स्टॉक के बारे में रिसर्च या खोज करने के लिए समय, जानकारी और रूचि है, तो काफी अच्छा लाभ आपको मिल सकता है। इस बात का ध्यान रहे कि म्यूच्यूअल फण्ड या ETF के विस्तृत पोर्टफोलियो में जितनी विविधता होगी, उतनी आप के निजी पोर्टफोलियो में नहीं होगी, इसलिए जोखिम ज़्यादा रहेगा। इस जोखिम को कम करने के लिए किसी एक कंपनी के शेयर में अपनी निर्धारित धनराशि के 20% से ज़्यादा न लगाएं। इससे निवेश विविधता का थोड़ा लाभ मिल जाएगा जो म्यूच्यूअल फण्ड व एक्सचेंज ट्रेडेड इनेक्स फण्ड (ETF) में मिलता है।
  3. आप की ज़रूरतों के अनुरूप एक शेयर दलाल या म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को खोजें: आप की ओर से निवेश करे ऐसे शेयर दलाल या म्यूच्यूअल फण्ड से काम लें। दलाल जो आपके लिए कार्य करे, और शेयरों की कीमत और महत्व, दोनों पर ध्यान दें। [११]
    • उदाहरण के लिए, ऐसे कई खाते उपलब्ध हैं जिसमे आप पैसे जमा करके बहुत कम कमीशन पर निवेश खरीद सकते हैं। यह ऐसे निवेशक के लिए उत्तम है जो कैसे निवेश करें यह पहले से ही जानते हैं। [१२]
    • अगर आप को निवेश के लिए व्यावसायिक सलाह चाहिए, तब आपको ऐसी जगह जाना होगा जहां कुछ अधिक कमीशन देकर आपको बेहतर सेवा मिले। [१३]
    • क्योंकि कई ऎसे दलाल हैं जो कमीशन में छूट देते हैं, आप को ऐसा दलाल मिल जाएगा जो कम कमीशन लेकर आप की ज़रूरतें पूरी करे।
    • हर दलाल कंपनी कमीशन के अलग अलग दर लगाती है। आप जो सेवाएं ज़्यादा लेने की सोंच रहे हैं, उनकी बारीकियों पर ध्यान दें।
  4. आप को एक फॉर्म भरना होगा जिसमे आप की निजी जानकारी देनी होगी। यह जानकारी आप के लिए शेयर खरीदने या बेचने, और आप के कर भरने के लिए इस्तेमाल की जायेगी। इसके अलावा, आप को उस खाते में पैसे जमा कराने होंगे जो आप अपना पहला निवेश करने के लिए इस्तेमाल करेंगे। [१४]
विधि 3
विधि 3 का 3:

भविष्य पर ध्यान केंद्रित करें

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. चक्रवृद्धि (compounding) के जिस बड़े प्रभाव की बात हम पहले कर चुके हैं, निवेशक को वह पाने में पहली बड़ी रुकावट है धीरज की कमी। वास्तव में, छोटी रकम को धीरे धीरे बढ़ते देखना, और कभी कभी अल्प समय के लिए घाटा सहना, हमेशा आसान नहीं होता हैं। [१५]
    • याद रहे कि आप लम्बी अवधि का खेल खेल रहे हैं। तुरंत और बड़े लाभ के अभाव को असफलता नहीं समझना चाहिए। जब आप कोई स्टॉक खरीदें, उस निवेश का लाभ और हानि के बीच झूलते रहना अपेक्षित ही है। बहुधा, कोई भी स्टॉक की कीमत बढ़ने से पहले घटेगी। यह याद रखें कि आप एक ठोस व्यापार का एक हिस्सा खरीद रहे हैं। जैसे आप के एक गैस स्टेशन की कीमत अगर एक हफ्ते या महीने में घट जाए तो आप निरुत्साह नहीं होते, वैसे ही आप के खरीदे हुए शेयर के भाव घटने पर आप का उत्साह कम नहीं होना चाहिए। किसी कंपनी की सफलता या विफलता को नापने के लिए पिछले लम्बे समय की कमाई पर ध्यान दें, और स्टॉक का मूल्य इसी का अनुसरण करेगा।
  2. आप के निवेश के गतिक्रम पर ध्यान दीजिये। पूर्वनिश्चित रकम निर्धारित समय पर लगातार निवेश करते रहिये, और आपके निवेश को धीरे धीरे बढ़ने दीजिये। [१६]
    • मंदी का फायदा उठायें! शेयर बाज़ार में लम्बी अवधि में लाभ कमाने के लिए “रुपया कॉस्ट एवेरेजिंग” एक जानी मानी नीति है। [१७] और, आज स्टॉक जितने सस्ते हैं, कल उतने ही ज़्यादा लाभ की अपेक्षा रहेगी।
  3. पलभर में आपको अपनी अपेक्षित जानकारी देने वाली तकनीक के इस युग में, कई साल आगे की सोचते हुए, अपनी मौजूदा निवेशित राशि की निगरानी करना मुश्किल है। पर जो लोग यह कर लेते हैं, वह धीरे धीरे अपने निवेश को बढ़ाने की शुरआत करते है, और फिर उस स्तर तक पहुँच जाते हैं जहाँ से यह तेजी से गति पकड़कर अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती है।
  4. चक्रवृद्धि (compunding) से फायदा कमाने में दूसरी बड़ी रुकावट है आपकी कार्यनीति बदलने का प्रलोभन, जिसकी वजह से आप तुरंत लाभ पाने की लालच में ऐसे विकल्पों में निवेश कर लेते है जहां हाल ही में काफी बढ़त आई हो, या ऐसे निवेश बेच दें जिसमे हाल में घाटा हुआ हो। अधिकाँश सफल निवेशक जो करते हैं उससे यह बिलकुल उल्टा होगा। [१८]
    • अन्य शब्दों में कहें तो, लाभ का पीछा मत कीजिए। जिन निवेशों में लाभ हो रहे हैं, वे जल्द ही मुड़कर गिरावट में जा सकते हैं। "लाभ का पीछा करना" अक्सर मुसीबत हो सकता है। [१९] आपकी मूल कार्यनीति को पकडे रखिये। हाँ, पर यह मूल कार्यनीति पहले ही अच्छी तरह से बनाई हुई होनी चाहिए।
    • बने रहे और कभी भी इस कार्य को छोड़े नहीं। इतिहास बताता है कि साल के सबसे बड़ी वृद्धि वाले पांच दिनों में से चार दिन बाज़ार से बाहर रहना तय कर सकता है कि आप पैसे बनाते हो या गंवाते।
    • बाज़ार जब चोटी पर हो तब ही बेचने की, या जब गिरावट के तल पर हो तब ही खरीदने की चेष्टा न करें। उदाहरण के लिए, जब आप को लगे बाज़ार शायद गिरेगा तब बेचने का प्रलोभन हो सकता है, या आप निवेश टाल रहे हो क्योंकि आपको लगता है कि अर्थव्यवस्था मंदी में है। अनुसंधान में यह साबित हुआ है कि सबसे असरदार वह तरीका है जिसमें आप बस नियमित निवेश करते रहें और “रुपया कॉस्ट एवेरेजिंग” नीति अपनाएं, जो ऊपर बताई गई है।
    • अनुसंधान में पाया गया है कि जो लोग बस “रुपया कॉस्ट एवेरेजिंग” की नीति अपनाते हैं और निवेश बनाये रहते हैं वे लोग उन लोगों से कई ज़्यादा लाभ पाते हैं जो बाज़ार की चोटी/तल पकड़ने की कोशिश करते हैं, या हर साल नए साल के दिन एक राशि का निवेश कर देते हैं, या फिर स्टॉक्स में निवेश ही नहीं करते हैं। [२०] [२१]

सलाह

  • शुरुआत में मदद मांगें। किसी पेशेवर या आर्थिक अनुभव वाले दोस्त या रिश्तेदार से सलाह लें। अहंकार को छोड़ कर यह बात स्वीकार कर लें कि आप को पहले से सब कुछ नहीं आता। ऐसे बहुत लोग होंगे जो शुरूआती गलतियों से बचने में आप की मदद करना पसंद करते होंगे।
  • टैक्स भरने और बजट बनाने के लिए आपके निवेशों की पूरी जानकारी रखें। स्पष्ट, सुलभ रिकार्ड्स रखने से बाद में आप का काम आसान हो जाएगा।
  • कुछ निवेश विकल्प ऐसे होते हैं जो त्वरित लाभ देते हैं, पर इनमे नुकसान का जोखिम भी ज़्यादा रहता है। ऐसे निवेश विकल्प से दूर रहें, ख़ास कर जब आपने निवेश करने की शुरुआत ही की है, यहाँ पर एक गलत कदम उठा कर आप सब कुछ गँवा सकते हैं।

चेतावनी

  • आप के निवेश पर पर्याप्त लाभ पाने के लिए कुछ इंतज़ार करने को तैयार रहिए। छोटी रकम के कम जोखिम वाले निवेश से लाभ कमाने में कुछ समय लगता है।
  • सब से सुरक्षित निवेश विकल्पों में भी थोड़ा जोखिम तो बना ही रहता है। आप जितने पैसे गंवाना सहन कर सकते हैं उससे ज़्यादा निवेश कभी भी ना करें।

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो ५,२८६ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?