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हालाँकि लोगों के किसी समूह को असभ्य केटेगरी में डालना संभव नहीं होता है लेकिन इससे आपकी पर्सनालिटी में पाए जाने वाले जनरल ट्रेंड को पहचानने में काफी मदद मिल सकती है | अपनी पर्सनालिटी टाइप जानने से आपको खुद के बारे में मूल्यवान इनफार्मेशन मिल जाती है, जैसे आपको कौन सी चीज़ सबसे ज्यादा मोटीवेट करती है या आप सबसे ज्यादा क्रियाशील कब रहते हैं | आप आत्म-प्रतिबिम्बित होकर, पर्सनालिटी टेस्ट करके और अलग-अलग पर्सनालिटी ट्रेट्स के मतलब समझकर अपनी पर्सनालिटी के बारे में काफी कुछ समझ सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी पर्सनालिटी को प्रतिबिम्बित करें

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  1. हर व्यक्ति में सही और गलत को पहचानने के सहज भाव होते हैं | कई लोग इसे “मन की आवाज़” या अंतरात्मा की आवाज़ कहते हैं | जब आप अपने मोरल कोड्स को समझ जाते हैं तो बहुत अच्छा और खुश फ़ील कर सकते हैं | जब आप अपनी "अंतरात्मा की आवाज़" नहीं सुनते तो खुद को दोषी, असहज और एंग्जायटी फील कर सकते हैं |
    • आमतौर पर इस तरह की नैतिक दुविधा कब आती हैं, उन्हें पहचानें और सचेत रहें | अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुने क्योंकि वो आपको मार्गदर्शन देती है | I
    • आपके नैतिक मूल्य आपपको खुद को जानने की प्रक्रिया में मार्गदर्शन देंगे | ये उन चीज़ों को पहचानने में मदद करेंगे जो आपके लिए बुरी हैं और इसी के साथ आशा की किरण भी खोज लेंगे |
    • नैतिक मूल्यों के साथ जीते हुए याद रखना है कि अच्छाई का अस्तित्व होता है | जब आप अपनी नैतिकता को क्रियान्वित करते हैं तो आप जीत सकते हैं |
  2. अपनी पर्सनल वैल्यूज को पहचानना एक बहुत अच्छा आईडिया है जो आपने निर्णय का आकर देता है | इन आइडियाज के लक्ष्य बहुत बड़े होते हैं जैसे इनसे आपको फाइनेंसियल सिक्यूरिटी मिले, अपनी फैमिली के नजदीक आयें या स्वस्थ रहें | जब आप अपनी वैल्यूज को पहचान लेते हैं तो आप ऐसे लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं जो आपकी पर्सनालिटी को और निखर सकें | इससे संभवतः आप लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं और एक खुशहाल जीवन जी सकते हैं | [1]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपकी वैल्यू फाइनेंसियल सिक्यूरिटी है तो इमरजेंसी सेविंग अकाउंट में छह महीने की सैलरी रकने का लक्ष्य बना सकते हैं | हालाँकि इसे हासिल कर पाना मुश्किल लग सकता है लेकिन अगर आप अपनी वैल्यूज पर खरे उतरते हैं तो सफलता मिलने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं |
  3. हालाँकि वैल्यूज आपके लक्ष्यों के पीछे प्रेरणा देने का काम करती हैं लेकिन अपना जुनून खोजने से उन तक पहुँचने के लिए जरुरी फोकस भी मिल जाता है | अगर आपको किसी चीज़ में लम्बे समय तक रूचि बनी रहती है तो आपको समझ आएगा कि आपको उस चीज़ का जुनून है | अगर आप अपना कैरियर इस तरह के जुनून (बल्कि अपने शौक) के इर्द-गिर्द ही बनाते हैं तो आप खुश रहेंगे और उनकी उपेक्षा करने की बजाय उनसे ज्यादा संतुष्ट रहेंगे | [2]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपका शौक आर्ट है तो आप बैंकिंग में कैरियर बनाने की बजाय आर्ट पर फोकस करने वाले कैरियर में ज्यादा खुश रहेंगे | भले ही आप आर्टिस्ट न हों लेकिन आप आर्ट वाली चीजों की प्रदर्शनी लगाना, आर्ट पढ़ाना या आर्ट के बारे में लिखने जैसे काम कर सकते हैं |
  4. हालाँकि लोगों को दोस्त और सपोर्ट स्ट्रक्चर जैसी कुछ सामान्य चीजों की जरूरत होती है और यह जरूरत हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होती है | यही पर अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी शब्दों का खेल होता है | नोटिस करें कि किसी मुश्किल सप्ताह के बाद आप खुद को कितना रिचार्ज फील करते हैं | क्या आप दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं या आपको कुछ समय अकेले बिताने की जरूरत पड़ती है ? इन जरूरतों को समझने से आप दिन प्रतिदिन जीवन में आगे बढ़ते हुए खुद को बैलेंस और खुश बनाये रख सकते हैं | [3]
    • बहिर्मुखी व्यक्ति को लोगों के बीच रहने और सहज रहने में मजा आता है |
    • अन्तर्मुखी लोगों को अकेले समय बिताने और अपने दिन की सावधानीपूर्वक प्लानिंग करने में मजा आता है |
  5. पता लगायें कि आप खुद को सबसे ज्यादा ऊर्जावान या सबसे ज्यादा थका हुआ कब अनुभव करते हैं क्योंकि इससे ये आपकी ओवरऑल सफलता में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | आपने कब अपना बेस्ट दिया और कब थकान अनुभव की, इसके बारे में लिखते जाएँ | कुछ चीज़ों को ट्रैक करें जैसे आपको भूख कब लगती है और एक्सरसाइज करने की तरह सबसे ज्यादा थकान कब लगती है | इस जानकारी का इस्तेमाल अपने दिमाग और शरीर को लय में बनाये रखने के लिए करें | [4]
    • अगर आपको सुबह जल्दी जागने वाले लोगों में से एक हैं तो तीसरी शिफ्ट में काम करना आपके लिए उचित नहीं होगा | इसी तरह, रात में जागने वाले लोगों को सुबह छह बजे की जॉब रास नहीं आती |
  6. कोई भी हर काम बखूबी नहीं कर सकता और इसमें कोई बुराई भी नहीं है | उन चीज़ों को पहचानें जिनके बारे में लोग आपसे कहते हैं कि आप इन कामों में माहिर हैं और इन कामों में नहीं | इसके अलावा, ध्यान दें कि आपको कब फील होता है कि आप अपने काम में सफल होने वाले हैं और कब संघर्ष फील होता है | इससे आपके अपने विशेष टैलेंट और काबिलियत के प्रति आपकी सजगता बनना शुरू होगी | जब आप समझ जायेंगे कि ये सब क्या है तो इस जानकारी का इस्तेमाल अपनी कमजोरियों को दूर करने या अपनी ताकत को बढाने में कर सकते हैं | [5]
    • स्ट्रेंथ या ताकत में “फोकस,” “मैथ स्किल्स,” “क्रिएटिविटी,” और “लोगों को समझने की क्षमता”जैसे कौशल शामिल हो सकते हैं |
    • अगर आपको इन चीज़ों का पता लगाने में थोडा समय लगता है तो कोई बात नहीं , खुलकर आगे बढ़ें और जिज्ञासु रहें और ध्यान रखें कि यह एक ऐसा मार्ग है जिसमे थोडा समय लग सकता है |
  7. अपने दोस्तों और फैमिली के लोगों से पूछें कि वे आपकी पर्सनालिटी को किस तरह से देखते हैं | अपनी पर्सनालिटी के बारे में उनके कथन और अपने अनुभवों की तुलना करें | अगर ये मैच हो जाते हैं तो संभव है कि आप इन विशेषताओं को लगातार दिखाते रहें |
    • अगर आपके करीबी कई लगो आपकी परेसोनालिटी के बारे में बहुत ही अलग-अलग राय देते हैं तो आपको खुद के बारे में अपनी मान्यताओं को एक्सामिन करना चाहिए |
विधि 2
विधि 2 का 3:

पर्सनालिटी टेस्ट करें

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  1. सैंकड़ों तरह के अलग-अलग साइकोलॉजिकल पर्सनालिटी टेस्ट होते हैं जिनसे आपकी यूनिक और व्यक्तिगत भिन्नता का पता लगाया जाता हाउ और उसे नापा जाता है | आप जिस टाइप का चुनाव करेंगे, वो इस बात पर निर्भर करता है कि आप खुद के बारे में क्या खोजना चाहते हैं, टेस्ट देने के लिए आप कितना समय दे सकते हैं , आप किन सालों के जबाव देना चाहेंगे और टेस्ट देते समय आप कितने पैसे खर्च करना चाहते हैं | इन टेस्ट में शामिल हैं:
    • अपनी बुद्धिमत्ता के साथ ही न्यूरोलॉजिकल और संज्ञानात्मक विश्लेषणात्मक कार्यों के लेवल को नापने वाले टेस्ट |
    • आपके अन्तर्मुखी या बहिर्मुखी होने और दूसरों के साथ काम करने के पैमाने को नापने वाले टेस्ट |
    • किसी सिचुएशन का विश्लेषण करने और अलग-अलग तरह के स्ट्रेस का सामना करने की क्षमता को नापने वाले टेस्ट |
    • टेस्ट जिनसे पता लगाया जा सके कि आप किसी खास तरह की मेंटल हेल्थ समस्या का शिकार तो नहीं होने वाले |
    • प्रत्येक टेस्ट की अपनी स्ट्रेंथ और कमजोरी होती हैं और यह आप पर निर्भर करेगा कि आप किस तरह से रिसर्च करके अपनी रूचि के अनुसार अपने लिए टेस्ट चुनते हैं |
  2. पर्सनालिटी टेस्टिंग में ध्यान आकर्षित करने की शुरुआत करने का क्रेडिट कार्ल जंग को जाता है | 19 वी सदी की शुरुआत में उन्होंने व्यक्तिगत संस्करण की सूची लेने के लिए एक मार्ग विकसित किया | [6] इनमे से कुछ पॉपुलर वर्शन हैं: [7]
    • Personality and Preferences Inventory (PAPI) – इस टेस्ट को ज्यादातर बिज़नस सेटिंग में कैंडिडेट की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है |
    • Myers-Briggs Type indicator – इस टेस्ट का इस्तेमाल अन्तर्मुखी, बहिर्मुखी, सेंसेशन, विचार, अंतर्भाव और कार्यात्मकता में व्यक्तिगत रूचि को पहचानने के लिए किया जाता है |
    • सही कलर वाला टेस्ट- इस टेस्ट को आसानी से समझने के लिए पर्सनालिटी ट्रेट्स को कलर में वर्गीकृत किया गया है |
  3. पर्सनालिटी टेस्ट से पहले दिमाग को शांत करने के लिए कुछ डीप ब्रीथिंग करें या विसुअलाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल करें | अच्छे तरह से आराम करने के बाद और भूख शांत करने के बाद ही टेस्ट देना चाहिए | टेस्ट के दौरान तनावपूर्ण रहने से सवालों के एकदम सटीक और ईमानदारीपूर्वक जबाव देना मुश्किल हो जायेगा | प्रत्येक सवाल के बारे में बहुत ज्यादा सोचने से“सही जबाव” खोजने के बारे में कंफ्यूजन हो जायेगा | [8]
  4. स्कूल छोड़ने के बाद, ज्यादातर लोग “सही” जबाव या “सबसे ज्यादा सही जबाव” खोजने में लगे रहते हैं | लेकिन पर्सनालिटी टेस्ट में, सही या गलत जैसे कोई चीज़ नहीं होती | आपको कोई ग्रेड नहीं दी जाती बल्कि आप खुद अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं को सामने लाते हैं | सवालों का जबाव सहज रूप से दें, बहुत सोचसमझकर नहीं या उसका बेहतर तरीका खोजकर नहीं | [9]
    • उदाहरण के लिए, आपको इस तरह के सवाल का सामना करना पड़ सकता है जैसे,“क्या आप इस प्रोजेक्टका सञ्चालन करना पसंद करते हैं या इसे डायरेक्शन देना चाहेंगे?” ज्यादातर लोग “सञ्चालन करना” चुनते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह“सही” जबाव है लेकिन अगर आपको टीम को मैनेज करने का आईडिया नापसंद है तो आपको “डायरेक्शन लेने” का जबाव चुनना चाहिए |
विधि 3
विधि 3 का 3:

पर्सनालिटी टेस्ट रिजल्ट्स को समझें

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  1. हालाँकि कोई भी टेस्ट पूरी तरह सच्चाई जानने के लिए डेवलप नहीं किया गया है लेकिन अधिकतर पर्सनालिटी टेस्ट पांच विशेषताओं के आधार पर (जिन्हें बिग फाइव कहा जाता है) के आधार पर आंकलन किये जाते हैं | इनमे से प्रत्येक विशेषता सभी लोगों में किसी न किसी हद तक पायी जाती है और आपकी पर्सनालिटी इस बात पर निर्भर करती है कि इनमे से कौन सी विशेषता डोमिनेंट है | ये पांच विशेषताएं OCEAN के लघुरूप के संकेताक्षरों के रूप में बताई गयी हैं: [10]
    • O –openness-खुलेपन या स्पष्टता के लिए है |
    • C –conscientiousness-विवेकशीलता के लिए है |
    • E – extroversion- बहिर्मुखता के लिए है |
    • A – agreeableness-अनुकूलता के लिए है |
    • N- neuroticism-मनोविक्षुब्धता के लिए है |
  2. प्रत्येक लक्षण या खासियत को एक स्पेक्ट्रम के रूप में देखें: उदाहरण के लिए, कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से अन्तर्मुखी या पूरी तरह से बहिर्मुखी नहीं होता | इसका मतलब यह है कि कोई व्यक्ति कभी भी लोगों से घिरा हुआ नहीं रहना चाहता या वे कभी भी एक पल के लिए भी अकेले नहीं रहना चाहते | ऐसा कहा जाता है कि अधिकतर लोग किसी एक तरफ झुके रहते हैं | यह प्रत्येक पर्सनालिटी ट्रेट पर सही साबित होता है | आप पूरी तरह से किसी एक विशेषता या ट्रेट के रूप नहीं पहचाने जा सकते लेकिन अन्तर्मुखी से बहिर्मुखी होते समय आपका झुकाव किस तरफ होता है, इसे पहचान सकते हैं | [11]
    • खुलापन, विवेकशीलता, अनुकूलता और मनोविक्षुब्धता के लक्षणों के लिए एकसमान दृष्टिकोण रखें |
  3. जैसे-जैसे हम अपन लाइफ में आगे बढ़ते हैं, नयी चीज़ें एक्सपीरियंस करते हैं | ये नए एक्सपीरियंस हमे एक व्यक्ति के रूप में आगे बढ़ने और बदलने की प्रेरणा देते हैं | आपको सचेत रहना चाहिए कि इस तरह की ग्रोथ आपकी पर्सनालिटी को किस तरह से प्रभावित कर रही है | खुद को अपनी पेर्सोनाल्तीय शिफ्ट होने के बारे में अवगत कराते रहें, भले ही यह बहुत धीमी गति से हो रहा हो | ऐसा करने से आप गर्वो करते हुए खुद के प्रति ईमानदार बने रहेंगे | [12]
  4. अपनी परेसोनालिटी के उस हिस्से को बदलें जिससे आप नाखुश रहते हैं: अगर आप अपनी वर्तमान पर्सनालिटी से खुश नहीं है तो आप उसमे बदलाव ला सकते हैं | सिर्फ लक्ष्य निर्धारित करने और जिन ट्रेट्स को आप दिखाना चाहते हैं, उन पर फोकस कारने से आपकी पर्सनालिटी में शॉर्ट टर्म चेंजेस आ सकते हैं | अगर आप इन्हें लम्बे समय तक बनाये रखना चाहते हैं तो आपको खुद को अलग नजरिये से देखना शुरू करना होगा और लम्बे समय तक बने रहने वाले पॉइंट्स में बदलाव लाने के लिए अपने सोशल और इमोशनली रूप को कम दिखाना होगा | [13]
    • अगर आप अपनी पर्सनालिटी में व्यापक रूप से बदलाव लाने के प्रति गंभीर हैं तो आपको किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से सलाह लेनी चाहिए | आपको वहां गाइडेंस और सुपरविज़न दोनों मिल सकते हैं जिससे सुरक्षित और जिम्मेदारपूर्वक ढंग से अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल सकती है |

सलाह

  • अगर आपको लगता है कि पर्सनालिटी टेस्ट के रिजल्ट गलत आया है तो फिर से आजमायें | किसी दूसरे की बजाय आप खुद अपनी पर्सनालिटी के बारे में ज्यादा बेहतर रूप से जानते हैं |

चेतावनी

  • पर्सनालिटी ट्रेट्स का इस्तेमाल अपनी शक्ति के रूप में करें, बहाने के रूप में नहीं | उदाहरण के लिए, अगर आप बहुर्मुखी हैं तो अकेले पढने के लिए कुछ समय बिताने से बचने के लिए कोई बहाना न बनायें |

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