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कॉमन सेंस का अर्थ होता है साउंड, प्रैक्टिकल जजमेंट जो कि आम तौर पर, किसी प्रकार की फ़ॉर्मल ट्रेनिंग से नहीं बल्कि जीवन के अनुभव से विकसित होता है। कॉमन सेंस को विकसित करना कठिन काम लग सकता है, मगर कोई भी निर्णय लेने से पहले, आप अधिक जागरूक हो कर और अपनी परिस्थिति पर विचार करके, आसानी से, कॉमन सेंस इस्तेमाल करने की प्रैक्टिस कर सकते हैं। जैसे-जैसे आपका कॉमन सेंस विकसित होता जाएगा, वैसे-वैसे आप और भी अधिक स्मार्ट चॉइसेज़ लेने लगेंगे।

विधि 1
विधि 1 का 2:

अपने निर्णयों में कॉमन सेंस लागू करना

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  1. क्या करना है इसका निर्णय लेने से पहले जोखिम और फ़ायदे कंपेयर कर लीजिये: आप जो भी निर्णय ले रहे हैं, उसके पॉज़िटिव तथा निगेटिव परिणाम क्या होंगे उनको देख लीजिये। अगर आप तेज़ी से निर्णय लेना चाहते हैं तब आप इसको मन ही मन में कर सकते हैं, या आप उसके पक्ष और विपक्ष की, लिख कर एक लिस्ट बना कर, यह तय कर सकते हैं कि क्या करना आपके लिए सबसे अच्छा होगा। यह देखने के लिए कि कौन सी चॉइस आपको सबसे अच्छा संभावित परिणाम देगी, अपने सभी विकल्पों को तौल कर देखिये। [१]
    • उदाहरण के लिए, अगर कोई आपको मुफ़्त ड्रिंक ऑफर करता है, तब उसका लाभ तो यह है कि आपको उनका साथ और मुफ़्त ड्रिंक मिलती है, मगर उसका जोखिम यह है कि आपको कानूनी समस्याएँ हो सकती हैं। सबसे बढ़िया और सबसे कॉमन सेंस वाला निर्णय तो यही होगा कि आप उस ड्रिंक के लिए मना कर दें।
  2. अगर आप चीज़ों को बहुत अधिक ओवर-एनालाइज़ नहीं करते हैं, तब अपनी इनीशियल भावनाओं पर ही विश्वास करिए: कभी-कभी आपका गट-रिएक्शन ही वह सबसे सही काम होता है, जो आपको करना चाहिए। जब भी कभी आपको कोई निर्णय लेना हो, तब ध्यान दीजिये कि आपकी पहली इन्स्टिंक्ट या उत्तर क्या था। सोचिए कि उस निर्णय के क्या अच्छे और बुरे परिणाम हो सकते हैं, और अगर वही निर्णय सबसे अच्छा लगता हो, तब उसे ले लीजिये। [२]
    • उदाहरण के लिए अगर कोई आपको अल्कोहोलिक ड्रिंक ऑफर करता है, और आप अंडरएज हैं, तब आम तौर पर आपका पहला विचार होता है कि आपको नहीं पीना चाहिए, क्योंकि पकड़े जाने पर आप मुश्किल में पड़ सकते हैं।

    चेतावनी: इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इंपल्सिव निर्णय लेने चाहिए। तब भी कुछ समय लगा कर सोचिए कि आप जो निर्णय लेने वाले हैं, उसके क्या निगेटिव परिणाम हो सकते हैं।

  3. स्पष्ट रूप से सोच पाने के लिए, अपनी परिस्थिति पर दूसरे के दृष्टिकोण से देखिये: आप देखेंगे कि खुद को वही बात समझाने की तुलना में किसी दोस्त को सलाह देना तो आसान लगता है। जब आपको कोई कठिन निर्णय लेना हो, तब मानसिक तौर पर एक कदम पीछे जाइए, और ऐसा समझिए कि आप उस परिस्थिति में किसी दूसरे को देख रहे हैं। सोचिए कि उनके लिए सबसे स्मार्ट या सबसे अच्छा निर्णय क्या होगा, और इस आधार पर आप उनसे क्या कहेंगे। अगर वह निर्णय ऐसा है जिसे आप किसी दोस्त को नहीं लेने देना चाहेंगे, तब आपको भी उसे नहीं लेना चाहिए। [३]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपको स्कूल में कोई जैकेट मिलती है जो आपकी तो नहीं है मगर आप उसको रखना चाहते हैं, तब सोचिए कि अगर आपके किसी दोस्त को ऐसे ही जैकेट मिली होती तब आप उससे क्या कहते। अधिक संभावना तो यही है कि आपने उससे कहा होता कि लॉस्ट और फ़ाउंड को लौटा दे, तो आपको भी वही निर्णय लेना चाहिए।
  4. अगर आपको अपने निर्णय के संबंध में संदेह हो, तब किसी ऐसे व्यक्ति से, जिस पर आपको विश्वास हो, फ़ीडबैक मांगिए: अगर आपको कोई कठिन निर्णय लेना हो, तब यह पता नहीं होना कि क्या करना चाहिए, कोई बुरी बात नहीं है। किसी पेरेंट/गार्जियन, गाइडेंस काउंसेलर, या विश्वसनीय दोस्त से बात करिए और उनको बताइये कि आप किस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। अपने संभावित निर्णयों के संबंध में उनसे बात करिए ताकि आप उनका इनपुट प्राप्त कर सकें, और चूंकि उनके पास जीवन का अनुभव आपसे अधिक होगा और संभव है कि कभी न कभी वे ऐसी चुनने वाली परिस्थिति से गुज़र चुके हों। [४]
    • उदाहरण के लिए आप पूछ सकते हैं, “मॉम, मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मेरे लिए सही निर्णय क्या होगा। क्या हम इस बारे में बात कर सकते हैं?”
    • केवल उन्हीं लोगों से फ़ीडबैक प्राप्त करिए जो आप पर अच्छे इन्फ़्लुएन्स हों, चूंकि कोई ऐसा, जो बुरे निर्णय लेता है शायद आपको ऐसा फ़ीडबैक नहीं देगा जो कॉमन सेंस हो।
  5. समझ लीजिये कि कभी कभार ग़लत निर्णय लेने में कोई हर्ज नहीं: सभी लोग ग़लतियाँ करते हैं और ऐसे निर्णय लेते हैं जिन पर बाद में उनको पछतावा होता है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि सब कुछ बरबाद हो गया है। अगर आप समझ लेते हैं कि आपने कोई ग़लत निर्णय ले लिया है, तब उस पर विचार करिए, और समझिए कि सबसे अच्छे परिणाम के लिए आपको क्या चॉइस करनी चाहिए थी। भविष्य में अगर फिर आपको वैसा ही कोई निर्णय लेना होगा, तब पिछली बार किए गए चुनाव की तुलना में उससे बेहतर चॉइस करिए। [५]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपने बीच पर जाने के लिए स्नीकर्स पहनना चुना, और आपके जूतों में रेत घुस गई, तब अगली बार जब आप बीच पर जाएँगे, तब आप फ़्लिप फ्लॉप पहन कर ही जाएँगे।
विधि 2
विधि 2 का 2:

कॉमन सेंस प्रैक्टिस करना

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  1. ऐसी चीज़ें मत करिए, जिनके संबंध में आप जानते हैं कि वे आपके लिए बुरी हैं: जिन लोगों में कॉमन सेंस होता है वे इस आधार पर निर्णय करते हैं कि किस तरह उनको सबसे अच्छे, सबसे पॉज़िटिव परिणाम मिल सकते हैं। अगर आपको पता है कि कोई चीज़ आपके लिए बुरी है, जैसे धूम्रपान करना या नशा करके ड्राइव करना, तब उनको मत करिए क्योंकि उनका आपके जीवन पर निगेटिव प्रभाव हो सकता है। प्रत्येक ऑप्शन के पक्ष और विपक्ष पर विचार करिए ताकि आप सबसे अच्छा निर्णय ले सकें। [६]
    • उदाहरण के लिए, कॉमन सेंस को आपको बताना चाहिए, कि किसी ऐसी चीज़ को खरीदने से, जिसे आप अफ़ोर्ड नहीं कर सकते हैं, आप भविष्य में आर्थिक बंधन में पड़ जाएंगे।
  2. अपने आसपास के संबंध में और भी अधिक ऑबजरवेंट रहिए: हर समय अपने चारों ओर के संबंध में जागरूक रहिए और ध्यान दीजिये की आपके चारों ओर लोग किसी भी खास एक्शन पर किस तरह से रिएक्ट कर रहे हैं। आपके आसपास जो भी हो रहा है, उसके आधार पर निर्णय लेने के लिए अपने कॉमन सेंस का इस्तेमाल करिए। उदाहरण के लिए, अगर आपको सड़क पार करनी हो, तब सुरक्षित रहने के लिए कि इधर उधर से कोई सवारी नहीं आ रही हो। [७]
    • जब आप लोगों के आसपास हों तब उनके चेहरे के भावों और बॉडी लैंगवेज पर ध्यान दीजिये ताकि आप देख सकें कि आपके प्रति उनका रिएक्शन क्या है। उदाहरण के लिए, अगर वे आई कॉन्टेक्ट नहीं बना रहे हों या आपसे दूर जा रहे हों, तब कॉमन सेंस यही होगा कि कनवरसेशन बंद कर दिया जाये, क्योंकि वे इंटरेस्टेड नहीं हैं।
  3. ऐसे ऑप्शन्स को चुनिये जो उस परिस्थिति में सबसे प्रैक्टिकल हों: जब आपको कोई निर्णय लेना हो, तब यह तय करने के लिए, प्रत्येक चॉइस के पक्ष और विपक्ष पर विचार करिए, कि उनमें से सबसे प्रैक्टिकल क्या होगी। रिएक्ट करने से पहले सभी ऑप्शन्स पर विचार करिए, ताकि जब आप आगे बढ़ें तब सबसे बढ़िया चॉइस कर सकें। निर्णय लेने के लिए अपने बेस्ट जजमेंट का इस्तेमाल करिए ताकि आपके लिए उसके निगेटिव नतीजों से डील करने की संभावना कम हो जाये। [८]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपको खाना ख़ुद पकाने या बाहर से ऑर्डर करने के बीच में चुनना हो, तब सबसे प्रैक्टिकल विकल्प तो यही होगा कि कि खाना पकाया जाये, क्योंकि आपके पास सभी सामग्री घर पर उपलब्ध है और आपको उसके लिए अतिरिक्त पैसे नहीं ख़र्च करने होंगे।
  4. बोलने से पहले सोच लीजिये, ताकि आप ऐसा कुछ न कह बैठें जिसके लिए आपको बाद में पछताना पड़े: इससे पहले कि आप कोई ऐसी बात कहें जिसको ऑफ़ेंसिव या चोट पहुंचाने वाली समझा जा सके, विचार करिए कि अगर कोई आपसे वही सब कहेगा तो आपको कैसा महसूस होगा। अगर आपको उससे अच्छा नहीं लगेगा, तब कॉमन सेंस यही है कि कुछ और ऐसा कहा जाये जो उतनी चोट न पहुंचाती हो, या कुछ भी न कहा जाये। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप जो कहने जा रहे हैं, वही उसे कहने का सबसे बढ़िया तरीका है, आप जो भी कहने जा रहे हैं, उस पर दोबारा विचार कर लीजिये। [९]
    • यही बात टेक्स्ट्स, ईमेल और पत्रों के संबंध में भी ठीक है। आपने जो भी लिखा हो उसको दोबारा पढ़ लीजिये ताकि वह स्पष्ट रूप से सामने आए और उसका कोई दूसरा मतलब न निकाला जा सके।
  5. स्वीकार कर लीजिये कि कुछ चीज़ें तो ऐसी होंगी ही जिनको आप बदल नहीं सकेंगे: कॉमन सेंस से आपको समझना चाहिए कि कुछ घटनाएँ तो होती ही हैं, और आप उनके परिणाम नहीं बदल सकते हैं, मगर उनका आपके जीवन पर निगेटिव प्रभाव नहीं होना चाहिए। घटना के कारण होने वाले पॉज़िटिव की खोज करके उस परिणाम को स्वीकार करना सीखिये ताकि आपको उसका उजला पक्ष दिख सके और आप सबसे बढ़िया रास्ता चुनें। [१०]
    • उदाहरण के लिए, अगर आपका टेस्ट खराब हो, तब हो सकता है कि आपको बहुत बुरा लगे, मगर आपको समझ में आ सकता है कि अभी तो क्लास के दौरान और भी टेस्ट होंगे ही और आपके पास सुधार की संभावनाएँ हैं। अगले टेस्ट की तैयारी करिए और पढ़ाई करिए ताकि आप आगे अच्छा कर सकें।

सलाह

  • अनुभव तथा जीवन की स्टेज के आधार पर लोगों का कॉमन सेंस अलग अलग हो सकता है।
  • चीज़ों के लिए पहले से ही तैयार हो जाइए। उदाहरण के लिए, अगर आप जानते हैं कि बाहर ठंडक होने वाली है, तब निकलने से पहले स्वेटशर्ट या जैकेट ले लीजिये।

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