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पश्चिम के दृष्टिकोण से चीनी और जापानी लोगों तथा कल्चर्स में अंतर करना कठिन होता है। मगर, एशियन के लिए ये दोनों उतने ही भिन्न हैं, जितना अमरीकन कल्चर रूसी कल्चर से भिन्न है। जब एक बार आप दोनों के बीच बेसिक अंतर पहचानने लगेंगे, तब इनके बीच फ़र्क करना आसान हो जाएगा। इनकी भाषाओं तथा सोशल क्यूज़ के बारे में थोड़ा बहुत समझ लेने से आपको इन दोनों एशियन कल्चर्स के बीच में मूलभूत अंतरों को समझना आसान हो जाएगा।

विधि 1
विधि 1 का 3:

मूलभूत अंतरों को पहचानना

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  1. विनम्रता तथा सोशल हारमोनी को कितना महत्व दिया जाता है: हालांकि दोनों ही कल्चर्स पश्चिमी कल्चर्स की तुलना में अधिक विनम्र हैं, परंतु चीनियों की तुलना में जापानी मैनर्स तथा सामाजिक हायरार्की (hierarchy) को कहीं अधिक महत्व देते हैं। जापानी समाज में अपने से आयु में काफ़ी बड़े या सामाजिक रैंक में ऊंचे स्तर वाले व्यक्ति के साथ आप कभी भी कैजुयल या फ़ैमिलियर नहीं हो सकते हैं। [१]
    • हालांकि चीनी और जापानी, दोनों ही कल्चर्स में, आयु में बड़े लोगों के साथ अधिक फ़ॉर्मल रहा जाता है, मगर जापानी व्यक्ति अपने से केवल एक या दो साल बड़े लोगों के साथ भी अधिक फ़ॉर्मल होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी जापानी विश्वविद्यालय में पहले साल में पढ़ रहे होते हैं, तब आप अपने उन सहपाठियों के साथ भी विनम्र और फ़ॉर्मल ही रहेंगे जो दूसरे साल में पढ़ रहेंगे।
    • जापानी व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में उच्च स्तर के डिसिप्लिन तथा डेकोरम का पालन करते हैं। आप शायद ही कभी जापानी व्यक्तियों को सार्वजनिक रूप से एक दूसरे के साथ बहस करते या अपना क्रोध प्रदर्शित करते देखेंगे, जबकि चीनी व्यक्तियों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती है।
  2. जापानी पॉप कल्चर के विशव्यापी स्प्रेड को पहचानिए: जहां एक ओर चीनी अपने पॉपुलर कल्चर का लाभ उठाने के लिए कुछ ख़ास मोटिवेटेड नहीं होते हैं, जापानी पॉपुलर कल्चर एक विश्वव्यापी कमोडिटी है। मंगा कॉमिक पुस्तकें, एनीमे (anime), तथा हराजूके स्ट्रीट फैशन सभी पश्चिमी कल्चर्स में भली-भांति जाने जाते हैं। [२]
    • पॉप कल्चर्स में इन दोनों के अंतर का कारण इन दोनों देशों की शासन व्यवस्था है। चीन में कम्युनिस्ट शासन तथा इकोनोमी है, जिसके कारण यह कम स्तर की कंज़्यूमर-आधारित सोसायटी है। इसके विपरीत जापान में एक धमाकेदार कैपिटलिस्ट सिस्टम है जिसके कारण वहाँ के नागरिक अमीर होना तथा मनोरंजन चाहते हैं।
    • चीन की फ़िल्में तथा संगीत आम तौर पर सरकारी प्रोपगेंडा तथा राजनीतिक अजेंडा से परिपूर्ण होती हैं, जिसका अर्थ यह होता है कि वह देश के बाहर बहुत लोकप्रिय नहीं होता।
  3. चूंकि चीन एक कम्युनिस्ट देश है, इसलिए वहाँ के अधिकांश नागरिक नास्तिक होते हैं। चूंकि धर्म में विश्वास करने वालों को चीन में अक्सर प्रताड़ित किया जाता है, इसलिए धार्मिक उत्सव और मीटिंग्स आम तौर पर प्राइवेटली होते हैं। जापानी लोग कहीं अधिक धार्मिक होते हैं, जो कि बौद्ध तथा शिंतो, दोनों, धार्मिक परम्पराओं पर विश्वास करते हैं। [३]
    • जापानी मंदिर तथा पवित्र बग़ीचे देश भर में फैले हुये हैं, और विस्तृत फ़ॉर्मल उत्सव सार्वजनिक उत्सव होते हैं।
    • अनेक जापानी ईसाई चर्चेज़ में भी जाते हैं, यह एक ऐसी प्रैक्टिस है जो चीन में नहीं के बराबर होती है।
  4. चीन निकटस्थ यूनाइटेड स्टेट्स से थोड़ा ही छोटा है, जबकि जापान कैलिफोर्निया स्टेट से थोड़ा छोटा है। ज़मीनी क्षेत्रफल में अतर का अर्थ यह है कि चीन की तुलना में जापान कहीं अधिक अरबनाइज्ड (urbanised) है। चीनी व्यक्ति मुख्यतः कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र में काम करते हैं जबकि अधिकांश जापानी सर्विस सेक्टर में काम करते हैं। [४]
    • चीन के आकार के कारण यूनिवर्सल चीनी कल्चर के संबंध में जनरलाइज़ेशन करना कठिन है। चीन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के अपने-अपने रीति, रिवाज़ और विश्वास होते हैं। जबकि, जहां चीन अधिक डाइवर्स है, वहीं जापान कहीं अधिक होमोजीनाइज्ड है।
    • द्वीप होने के कारण, तुलनात्मक रूप में, हमेशा से ही, जापान बाहरी प्रभाव से अछूता रहा है। इसके कारण जापान अनेक दूसरे कल्चर्स की तुलना में यूनीक है। इसके विपरीत, चीनी व्यापारी पुराने समय से अनेक कल्चर्स और राष्ट्रीयताओं से मिलते-जुलते रहे हैं, और उन्होंने विभिन्न स्टाइल, विश्वास, तथा प्रैक्टिसेज़ को अपने में समाहित कर लिया है। [५]
  5. जापानी बहुत सारा ताज़ा और कच्चा फ़ूड, विशेषकर सीफ़ूड पसंद करते हैं, जबकि चीनी अक्सर चीज़ों को तलते हैं। हालांकि चावल और नूडल, चीनी और जापानी दोनों ही डायट्स में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, मगर वे अलग-अलग तरीके से पकाए जाते हैं, तथा उनका स्वाद भी अलग-अलग होता है। [६]
    • चीन में चावल को आम तौर पर फ़्राई किया जाता है तथा उसको सब्जियों, अंडों, और सौस के साथ मिलाया जाता है। जापानी चावल आम तौर पर स्टिकी राइस होता है। जहां चीनी खाने में चावल का आधार होता है, जापान में उसे एक साइड डिश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
    • जापानी ताज़ी सब्जियाँ ख़ास तौर से स्टीम की जाती हैं और अलग से सर्व की जाती हैं, जबकि चीनी सब्ज़ियाँ मीट के साथ फ़्राई की जाती हैं और उन्हें आपस में मिला दिया जाता है।

    सलाह: हालांकि दोनों ही कल्चर्स में चॉप स्टिक्स से खाया जाता है, मगर स्टाइल में थोड़ा अंतर होता है। जापानी चॉप स्टिक्स में गोलाकार सिरे होते हैं, और वे चीनी चॉप स्टिक्स से कुछ छोटी ही होती हैं।

विधि 2
विधि 2 का 3:

सोशल क्यूज़ को समझना

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  1. ग्रीटिंग्स के साथ किए जाने वाले बो (bow) पर ध्यान दीजिये: चीनी और जापानी दोनों ही व्यक्तियों को पहली बार ग्रीट करते समय बो करते हैं। मगर, जापानी बो करने के मामले में कहीं अधिक सख़्त होते हैं, जहां सम्पूर्ण प्रोटोकॉल, आप जिस व्यक्ति को ग्रीट कर रहे हैं, उसकी वरिष्ठता और उम्र पर निर्भर करता है। [७]
    • चीन में, अगर आप किसी अपने से बड़ी आयु के व्यक्ति को नहीं ग्रीट कर रहे हैं, तब बो की जगह पश्चिमी तरीके से हाथ मिलाने ने ले ली है। हाथ मिलाते समय चीनी लोग सम्मान दिखाने के लिए अपने सिर को नॉड भी कर सकते हैं। इसके विपरीत, जापान में सिर को हल्के से नॉड करना अशिष्टता मानी जाती है, बशर्ते कि आप किसी ऐसे निकट मित्र को न ग्रीट कर रहे हों, जो आपका हमउम्र हो या उम्र में आपसे छोटा हो।
  2. लोग जब बोल रहे हों, तब उनकी आवाज़ के वॉल्यूम पर ध्यान दीजिये: जापानी व्यक्ति साधारणतया सार्वजनिक रूप से शांत रहते हैं। सार्वजनिक ट्रांसपोर्टेशन में, अक्सर जापानी लोग अपने फ़ोन के रिंगर को ऑफ कर देते हैं और बातचीत नहीं ही करने की कोशिश करते हैं। जब लोग, सार्वजनिक रूप से बात करते भी हैं, तब वह भी दबी आवाज़ में ही करते हैं। [८]
    • इसके विपरीत चीनियों में, ज़ोर से बोलने या सार्वजनिक स्थानों पर बात करने के संबंध में कोई कल्चरल पाबंदी नहीं है। तो अगर आप एशियन लोगों के किसी समूह को देखें जो ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे हों और बातें कर रहे हों, तब जापानी होने की जगह उनकी चीनी होने की संभावना ही अधिक होगी।

    सलाह: अगर आप किसी पश्चिमी देश में किसी की बात सुन रहे हों, तब वॉल्यूम शायद राष्ट्रीयता का सबसे अच्छा संकेत नहीं होगा। हो सकता है कि वे वहाँ पर कितने समय रहे हैं, इसके आधार पर उन्होंने स्थानीय रिवाज़ अपना लिए हों।

  3. जेश्चर्स तथा नॉन-वर्बल कम्यूनिकेशन पर ध्यान दीजिये: चीनी और जापानी दोनों ही कल्चर्स, नॉन-वर्बल कम्यूनिकेशन पर बहुत हद तक आश्रित होते हैं। जापान, ख़ास तौर से, सख़्त सोशल हायरार्की को बहुत महत्व देता है। आप चीनी और जापानी कल्चर्स में फ़र्क यह देख कर पहचान सकते हैं कि एक दूसरे से बातें करते समय वे एक दूसरे से कितनी दूरी पर खड़े होते हैं और उनकी बॉडी लैंगवेज कितनी सम्मानजनक तथा सबमिसिव रहती है। [९]
    • उदाहरण के लिए, चीन में, अक्सर चुप रहना कुछ करने के लिए सहमति माना जाता है। अगर वह व्यक्ति असहमत होगा, तब अधिकतर संभावना यही होगी कि वह नकारात्मक पक्ष की बातें करेगा और आपसे यह बताने के पहले कि उसकी जगह वह क्या करना चाहेगा, उसी की समानताओं के बारे में बताता रहेगा।
    • चूंकि चीनी भाषा टोनल होती है, चीनी अपनी बात का मतलब कम्युनिकेट करने के लिए अपनी आवाज़ के टोन पर आश्रित नहीं रह सकते हैं। इसीलिए किसी भी दूसरी अवस्था की तुलना में, जेश्चर्स तथा बॉडी लैंगवेज कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
    • जापानियों के लिए, नॉनवर्बल कम्यूनिकेशन सम्मान और विनम्रता का संकेत अधिक होता है। आप कितना अधिक झुकते हैं, और बात करते समय किसी दूसरे से कितनी अधिक दूरी बनाए रखते हैं, इन सभी चीज़ों से आपके साथ उनके संबंध का संकेत मिलता है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

भाषा में अंतर को पहचानना

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  1. किसी लिखित चीज़ में जापानी कैरेक्टर्स को ढूँढने की कोशिश करिए: हालांकि चीनी और जापानी, दोनों ही लिपियों में चीनी कैरेक्टर्स का ही इस्तेमाल होता है (जिनको चीनी में हांज़ी (hànzì) और जापानी में कांजी (kanji) कहते हैं), जापानी एक फ़ोनेटिक स्क्रिप्ट जिसे हिरागन (hiragana) कहते हैं, उसका भी इस्तेमाल करते हैं। अगर आप किसी लिखित चीज़ में हिरागन कैरेक्टर्स का इस्तेमाल देखते हैं, तब इसका मतलब है कि आप किसी जापानी चीज़ को देख रहे है। [१०]
    • हिरागन कैरेक्टर्स घुमावदार और हल्के होते हैं, और उनमें से कुछ तो वास्तव में एक तरह से क्यूट होते हैं। साधारणतया, उनको एंगुलर, जटिल कांजी से अलग बता पाना काफ़ी आसान होता है। एक कैरेक्टर, है の जिसे ख़ास तौर से ढूँढना चाहिए। यह अक्सर बार-बार दिखाई पड़ता है, और किसी भी तरह से चीनी लिपि की तरह नहीं दिखाई पड़ता है। अगर आपको यह कैरेक्टर दिखाई पड़ता है, तब आप आश्वस्त हो सकते हैं कि आप किसी जापानी चीज़ को देख रहे हैं।
    • जापानियों की एक और भी अधिक एंगुलर स्क्रिप्ट होती है, कटकना (katakana) , जिसका उपयोग उन उधार के शब्दों के लिए किया जाता है जिनको अंग्रेज़ी जैसी कैसी दूसरी भाषा से ट्रांस्लिटरेट किया जाता है।

    सलाह: जहां जापानियों के पास तीन लिखने की स्क्रिप्ट्स होती हैं, उनकी केवल एक जापानी भाषा है। इसके विपरीत, चीन की केवल एक स्क्रिप्ट है मगर अनेक भाषाएँ हैं जो सभी एक ही स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करती हैं (ठीक उसी तरह जिस तरह विभिन्न भाषाएँ लैटिन स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करती हैं)।

  2. जब कोई व्यक्ति बोल रहा हो, तब उसके टोन में होने वाले बदलाव पर ध्यान दीजिये: सभी चीनी भाषाएँ टोनल भाषाएँ हैं, जिसका अर्थ यह है कि किसी व्यक्ति की आवाज़ में टोन के चढ़ाव-उतार से उसके कहने का मतलब बदल सकता है। पश्चिमी व्यक्तियों के अनुसार बोली जाने वाली चीनी में एक गाने जैसा प्रवाह होता है। [११]
    • इसके विपरीत, इसकी तुलना में जापानी एक मोनोटोन वाली भाषा है। जापानी भाषाभाषी अपने इमोशन या आशय को एक्स्प्रेस करने के लिए अपनी आवाज़ के टोन को उसी तरह मॉड्यूलेट कर सकते हैं, जैसे कि आप अंग्रेज़ी में किसी वाक्य के अंत में यह संकेत देने के लिए करते कि आप कोई प्रश्न पूछ रहे हैं।
  3. जापानी भाषा में केवल 5 वॉवेल आवाजें हैं (अंग्रेज़ी से कम) और करीब 100 भिन्न अक्षर होते हैं जिनको सीमित तरीकों से अरेंज किया जा सकता है। अगर आप शब्दों के बीच में वॉवेल की कम आवाज़ें या वेरिएशन्स सुनें, तब संभावना यही है कि शायद आप किसी जापानी व्यक्ति को बोलते हुये सुन रहे हैं। [१२]
    • वहीं दूसरी ओर, चीनी, में अनेक वॉवेल आवाज़ें होती हैं, जो किसी शब्द में वॉवेल की पोज़ीशन तथा उसके कहे जाने के टोन पर निर्भर करती हैं। अगर आप वॉवेल की आवाज़ों में बहुत वेरिएशन सुन रहे हों, तब संभावना यही है कि आप किसी को चीनी भाषा बोलते हुये सुन रहे हैं।
  4. चीनी शब्द किसी भी अक्षर पर समाप्त हो सकते हैं, और अनेक चीनी शब्द किसी व्यंजन (कॉन्सोनेंट) पर समाप्त होते हैं। इसके विपरीत, जापानी शब्द केवल वॉवेल या "n" अक्षर पर समाप्त हो सकते हैं। [१३]
    • अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को सुन रहे हैं जो लगभग मोनोटोन में बोल रहा है और जिसके सभी शब्द वॉवेल में ही समाप्त होते हैं, तब यह निश्चित समझ लीजिये कि वह जापानी बोल रहा है।
  5. चीनी सरनेम्स की तुलना में जापानी सरनेम कहीं अधिक होते हैं। जापानी सरनेम लगभग 2 या 3 अक्षरों का होता है और लगभग हमेशा ही वॉवेल में समाप्त होता है। इसके विपरीत चीनी सरनेम खास तौर से केवल एक अक्षर का होता है और उसका समापन किसी कॉन्सोनेंट में होता है। [१४]
    • याद रखिएगा कि यदि किसी का जन्म किसी पश्चिमी देश में हुआ होगा, तब उनका प्रथम नाम, पारंपरिक जापानी या चीनी नाम की जगह उस देश के कॉमन नामों में से कोई एक होगा। आप तब भी उनके सरनेम को देख कर उनकी राष्ट्रीयता का पता लगा सकते हैं।

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