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ड्रेगन फ्रूट (Dragon fruit) या पिटाया (pitaya) ये कैक्टस फ्रूट होते हैं, जो तीन प्रकार में आते हैं। इनका छिलका या तो लाल या फिर पीला हो सकता है। लाल छिलके वाली वेराइटी में पल्प या अंदर का भाग सफेद या लाल रह सकता है, जबकि पीले छिलके वाले में अंदर का भाग सफेद रहता है। इन तीनों में से किसी भी किस्म में आप फल को खाने से पहले बस उसे देखकर और छूकर ही पता लगा सकते हैं कि ड्रेगन फ्रूट पका है या नहीं। अगर आपने अपने खुद के ड्रेगन फ्रूट उगाए हैं, तो उनके पके होने की पुष्टि के लिए उन्हें सही समय पर काट लें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

ड्रेगन फ्रूट को देखकर उसके पके होने का पता लगाना

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  1. ऐसे ड्रेगन फ्रूट की तलाश करें, जिसका रंग लाल या पीला हो: जब एक ड्रेगन फ्रूट पका नहीं होता है, तब उसका रंग हरा सा रहता है। जब ये फल बढ़ता और पक जाता है, तब इसके बाहरी छिलके का रंग, फल की किस्म के आधार पर बदलकर लाल या पीला हो जाएगा। [१]
    • जब फल पका होगा, तब इसका बाहरी छिलका ब्राइट और एक-समान रंग का रहेगा। अगर फल के छिलके के ऊपर बहुत सारे गहरे निशान हैं, जो ठीक सेब के फल के ऊपर के निशानों की तरह दिखते हैं, तो इसका मतलब किफल ज्यादा पक चुका है। हालांकि, बहुत थोड़े से निशान रहना नॉर्मल हैं।
  2. निर्धारित करें कि फल के ऊपर के “विंग्ज (wings)” कहीं सूखने या मुरझाने तो नहीं लगे हैं: फल से आगे तक बढ़े हुए पत्ती जैसे भाग को ड्रेगन फ्रूट के विंग्ज कहा जाता है। जब ये सूखने लगते हैं, ब्राउन हो जाते हैं और मुरझाने लगते हैं, तब समझ जाएँ कि ड्रेगन फ्रूट पक चुका है और अब उसे खाया जा सकता है। इसी तरह से, अगर विंग्ज अभी भी कलरफुल हैं (जैसे कि लाल या पीली), तो इसका मतलब कि फल अभी कच्चा है और अभी उसके पकने में थोड़ा टाइम है। [२]
    • जैसे ही फल पकने की उस स्थिति में पहुँच जाता है, जहां से विंग्ज मुरझाना शुरू कर दे, तब फल खुद ही उसके बेल (vine) से बड़ी आसानी से बस जरा सा झटका देकर टूट आएगा। अगर फल खुद ही बेल से नीचे गिर जाता है, तो इसका मतलब कि वो जरूरत से ज्यादा पक चुका है।
  3. ड्रेगन फ्रूट के अंदर का हिस्सा आमतौर पर सफेद, गहरा गुलाबी या पर्पल रहता है, जो कि इसकी किस्म के ऊपर निर्भर करता है और इसमें छोटे-छोटे काले बीज होते हैं। काले बीज खाने के लायक होते हैं और ये भी ठीक कीवी (kiwi) फ्रूट के बीज की तरह ही दिखते हैं। जब ड्रेगन फ्रूट के अंदर का भाग पका होगा, तब ये थोड़ा रसीला, लेकिन अभी भी कड़क टेक्सचर में ही दिखेगा: ठीक एक तरबूज और एक नाशपाती के बीच एक क्रॉस की तरह। [३]
    • जब एक ड्रेगन फ्रूट जरूरत से ज्यादा पक चुका होता है, तब इसके अंदर का भाग ब्राउन कलर का, ठीक केले के निशान पड़े पल्प की तरह दिखता है। आपको कभी भी ब्राउन या सूखे फलों को नहीं खाना चाहिए।
विधि 2
विधि 2 का 3:

ड्रेगन फ्रूट को छूकर उसके पके होने का पता लगाना

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  1. ड्रेगन फ्रूट को अपनी हथेली में पकड़ें और फिर अपने अंगूठे या उँगलियों से उसके छिलके को दबाने की कोशिश करें। इसे हल्का सा नरम रहना चाहिए, लेकिन बहुत ज्यादा भी नहीं दबना चाहिए। अगर ये बहुत ज्यादा दब रहा है, तो फिर फल शायद ज्यादा ही पक चुका है। अगर ये ठोस है, तो अभी इसे पकने में कुछ और दिन का समय बाकी है। [४]
    • इस तरीके को केवल तभी इस्तेमाल करें, जब आप अपने खुद के ड्रेगन फ्रूट को उगा और काट रहे हैं। ड्रेगन फ्रूट को दबाने की वजह से फल के ऊपर दाग पड़ सकते हैं, जिसे शायद कोई भी फल वाला और फल लेने आए दूसरे कस्टमर्स भी पसंद नहीं करेंगे।
    • आप चाहें तो हल्के कच्चे ड्रेगन फ्रूट को खरीद सकते हैं और फिर उसे कुछ दिनों के लिए काउंटर के ऊपर कमरे के टेम्परेचर पर छोड़ सकते हैं। ये बस कुछ ही दिनों में पक जाएगा। अब काउंटर पर रखे फल के छिलके को हर रोज दबाकर उसके पके होने की जांच करते रहें।
  2. छिलके के ऊपर की दूसरी इम्प्योरिटीज या डैमेज के लिए भी जांच करें: ड्रेगन फ्रूट को संभालते समय और ट्रांसपोर्ट करते समय उसके छिलके के ऊपर निशान पड़ सकते हैं। जैसे, ट्रांसपोर्टेशन के दौरान अगर फलों को सही तरीके से पैक नहीं किया गया है, तो ये शायद एक-दूसरे के ऊपर भी जा सकते हैं। गिरने की वजह से भी शायद इन पर निशान पड़ सकते हैं। अगर बर्बाद हुए फल के ऊपर नजर आ रहे धब्बे मौजूद हैं और ये नमी के वजह से कहीं ज्यादा छोटे और सिकुड़े रह सकते हैं। [५]
    • फल के सभी साइड्स को चेक करें और ऐसे फल को खरीदने से बचें, जिस पर दरार है, जो खुल चुका है या फिर डैमेज हो चुका है।
  3. ड्रेगन फ्रूट की सूखी स्टेम या तना, उसके जरूरत से ज्यादा पके होने का एक संकेत हो सकता है। फल को छूकर पता लगाएँ कि कहीं इसका तना रुखा, सिकुड़ा और मुरझाया तो नहीं। [६]
विधि 3
विधि 3 का 3:

सही टाइम पर ड्रेगन फ्रूट की कटाई करना

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  1. ड्रेगन फ्रूट को तभी काटें, जब वो लगभग पक चुके हों: ड्रेगन फ्रूट, बाकी के दूसरे फलों के विपरीत, काटने के बाद ज्यादा नहीं पक सकते हैं और इसी वजह से इन्हें तभी काटा जाना चाहिए, जब ये लगभग पूरे पके दिखने लग जाएँ। [७]
    • जैसे ही फल का रंग हरे से पीला या लाल हो जाए, फिर समझ जाएँ कि वो काटे जाने के लिए तैयार है।
    • फल के साइड में मौजूद छोटी-छोटी पत्तियाँ (जिन्हें “विंग्ज” भी कहा जाता है) ये भी पकने पर फेड होना या ब्राउन होना शुरू कर देंगी।
    • आप चाहें तो पौधे के फूल देने के बाद के दिनों को गिनकर भी उसके पके होने का पता लगा सकते हैं: आमतौर पर, फल पौधे के फूल देने के कम से कम 27 से 33 दिनों के बाद पक जाते हैं।
    • फल के रंग बदलने के चार दिनों के बाद का समय उसकी कटाई करने का एक सही समय होता है। हालांकि फल को एक्सपोर्ट करने या कहीं भेजे जाने के लिए, जरूरी है कि इसे थोड़ा सा जल्दी, रंग बदलने के अगले दिन काट लिया जाए।
  2. फल को काटने के पहले उसके ऊपर से काँटों को हटा लें: आप पाइलर्स का इस्तेमाल करके, उन्हें घिसकर या फिर ग्लव्स के जरिए भी काँटों को निकाल सकते हैं। जब फल पक जाएगा, तब ये कांटे खुद से ही हटते जाएंगे और इसकी वजह से इन्हें निकालना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं रहेगा। हालांकि, आपको हमेशा ग्लव्स पहने रहना चाहिए और क्योंकि ये कांटे इतने नुकीले होते हैं, इसलिए सावधानी बरतें। [८]
  3. ड्रेगन फ्रूट को थोड़ा सा घुमाकर उसके बेल से अलग हटाएँ: जब ड्रेगन फ्रूट पक जाए और काटे जाने के लिए तैयार हो जाता है, ये बस हल्का सा मोड़कर या घुमाकर इसके पौधे से आराम से निकल आता है। अगर फल को तोड़ने के लिए आपको थोड़ा ज़ोर डालना पड़ रहा है, तो समझ जाएँ कि ये अभी काटे जाने के लिए तैयार नहीं है। [९]
    • ड्रेगन फ्रूट के खुद ही पौधे से गिरने तक का इंतज़ार न करें। क्योंकि इसका मतलब ये होगा कि फल कुछ ज्यादा ही पक चुका है।

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