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हमारा विश्वास करिए – जब बात बजट के अंदर रहने की होती है तब आपके साथ बहुत से अच्छे अच्छे लोग भी होते हैं। पहले की तुलना में आज ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो चाहते हैं कि उनका पैसा अधिक समय तक चले। और यह बिलकुल करने लायक बात भी है, - कभी कभी तो बिलकुल ऐसे ही, जिस पर कि आपने ध्यान भी नहीं दिया होगा। आप केवल जीवित ही नहीं होंगे, बल्कि आप वास्तव में जीवन जीवन को पूरी तरह से जी रहे होंगे और उसका आनंद ले रहे होंगे। अब इसको आप समझ लीजिये कि चुनौती स्वीकार हो गई है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

बजट बनाने में सहायता

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  1. किसी भी बजट का यह पहला चरण है। यह जान पाने के लिए कि आप कितना खर्च कर सकते हैं, आपको यह जानना होगा कि आप “बनाते” कितना पैसा हैं। और वह भी टैक्स कटने के बाद। इसको मासिक रूप से करना सबसे आसान होता है, इसलिए अपनी मासिक आय पर ध्यान दीजिये – पिछले चार हफ्तों में आप घर पर, लगभग, कितना पैसा लाये हैं?
    • अगर आप स्वतंत्र कौंट्रैक्टर या फ़्रीलांसर हैं, तब सुनिश्चित करिए कि आपको पता रहे कि आने वाले अप्रैल में आपको देना कितना है। अगर आप पूरे साल इसका ध्यान रखेंगे तब यह झटका उतना भारी नहीं लगेगा।
    • अगर आप नियमित कर्मचारी हों, तब टैक्स रिफ़ंड की आशा मत ही करिए। अगर और कभी वह आ ही जाता है तब उसको मौज करने के लिए ही समझ लीजिये। अभी उसको निश्चित आय समझने की भूल मत कर बैठिए।
  2. इसमें कुछ तो आम खर्चे होंगे जिनका अनुमान करना आसान होगा (किराया, स्टूडेंट लोन का भुगतान, यात्रा का खर्च आदि) और कुछ खास: खाना पीना, मनोरंजन, बिजली का बिल वगैरह। यह ध्यान रखिए कि आप अंदाज़ा सही ही लगाएँ – और अगर करना ही हो तो कुछ “ओवर” एस्टिमेट ही करिए। सब कुछ याद करने के लिए अपने दिमाग पर ज़ोर डालिए – क्या आप बच्चों की संस्था को दान देते हैं? क्या आप हर दूसरे दिन कॉफी पर 250 रुपये खर्च करते हैं? क्या आपने उन योग की कक्षाओं, जिनमें आप कभी जाते ही नहीं हैं, में हर महीने ऑटोमैटिक भुगतान करने का सेट अप किया हुआ है? सुनिश्चित करिए कि आप हर परिस्थिति के लिए तैयार हों!
    • अतिरिक्त ख़र्चों को जानने के लिए अपने रिकॉर्ड देखिये। प्लास्टिक समाज होने का मुख्य लाभ यह होता है कि आप वेबसाइट पर जा कर सचमुच में यह देख सकते हैं कि आपने ख़र्चे कहाँ कहाँ पर किए थे। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको अपने कॅश फ़्लो का ध्यान ही नहीं रखना चाहिए!
  3. जब आप इस सूची को देखेंगे, तब ऐसी जगहों को खोजिए जहां पर आप इन मनहूस संख्याओं को थोड़ा कम कर सकते हैं। क्या आप लैंडलाइन कटवा सकते हैं? क्या आप केबल या नेटफ़्लिक्स को छोड़ सकते हैं? क्या आप उस कॉफ़ी को भूल सकते हैं? सबसे आसान तो इसको “फ़्लाफ़्फ़” में करना होगा – वह पैसा जिसके ख़र्च करने का आपको पता भी नहीं चलता है।
    • जब बात टेक्नॉलॉजी की आती है तब थोड़ा फ़स मचाने में हिचकिचाइए मत। अपने फ़ोन/इन्टरनेट/टी वी प्रोवाइडर को यह बताना संभव “है” कि आप जो भी भुगतान अभी कर रहे हैं, उसे करते रहना संभव नहीं है। आपको पता ही नहीं है कि उन ख़र्चों, “जिन पर आपका ध्यान ही नहीं है”, को बचाने से कितनी बचत हो सकती है। इसलिए अगर आप अपनी सूची देख रहे हों और कह रहे हों कि “अब मैं और कटौती नहीं कर सकता हूँ! यह चीज़ें तो मुझे “चाहिए” ही!” तब शायद यह सब केवल आपकी कल्पना ही हो।
  4. अब जब आपको पता है, और आप सचेत हैं कि आप कितने अतिरिक्त पैसों की बात कर रहे हैं, तब उस संख्या को ध्यान में रख कर उसे बचाने का लक्ष्य बना लीजिये। दो संख्याएँ ले लीजिये: 1) वह संख्या जितना ख़र्च आपको हर महीने करना चाहिए, और 2) वह पैसा जिसे आप बचाना चाहते हैं। और बाक़ी सब मौज करने के लिए!
    • दैनिक, साप्ताहिक और मासिक लक्ष्य बना पाना संभव है – बस यह सारा मामला इसको चाहने का है। आप अपने को 100 रुपये प्रतिदिन खाने के लिए, 1000 रुपये प्रति सप्ताह ग्रोसरी के लिए तय कर सकते हैं, या अपने लिए कुछ मासिक ख़र्च तय कर सकते हैं, या जो भी आप चाहें। बस इतना ध्यान रखिए कि आपको पता हो कि वह क्या क्या है जिससे आप पैसे बचा सकते हैं।
  5. एमर्जेंसियाँ तो आएंगी ही। चाहे टपकता हुआ नल हो या वह रहस्यमय डायरिया जिसके कारण आप काम पर नहीं जा पाएंगे, एमर्जेंसियाँ तो होंगी ही। अपने बजट में कुछ राशि इनके लिए भी बचा कर रखिए – और अगर वैसा नहीं होता है तब तो वाह वाह! मज़े लेने के लिए कुछ और हाथ में आ जाएगा।
    • इसके बारे में सोचिए: कितनी बार आप ऐसी चीज़ों पर पैसे ख़र्च देते हैं, जिनके बारे में आपने सोचा ही नहीं था? अगर आप हममें से 99% लोगों की तरह हैं, तब सही जवाब होगा “हमेशा ही”। इसलिए अगर वह एमेर्जेंसी किसी दोस्त की बर्थडे भी है, जिसके बारे में आपको याद भी नहीं था, तब भी आप पूरी तरह से तैयार होते हैं।
  6. अतिरिक्त चीज़ों के लिए प्राथमिकताएँ निर्धारित करिए: आशा है कि आपके पास कुछ ऐसे पैसे पड़े हुये होंगे जिन्हें आप अपने मनमाने ढंग से ख़र्च कर सकते हैं। दुर्भाग्य से, ये पैसे पेड़ों पर नहीं निकलते हैं और हैं भी बहुत ही थोड़े से, इसलिए महत्वपूर्ण यह है कि आप इनके लिए प्राथमिकताएँ निर्धारित कर लें। क्या आप चाहते हैं कि आपके पास ढेरों पिल्ले हों या आप हर पखवाड़े में मैनीक्यूर करवाएँ ही? बताइये, कि क्या आपको किससे ख़ुशी मिलेगी?
    • हम आपसे यह नहीं कहने जा रहे हैं कि पिल्लों से भरा हुआ घर या हर पखवाड़े मैनीक्यूर करवाना बुरी बात है। कुछ लोग इन्हें आवश्यकता नहीं समझते होंगे, मगर आप “समझते हैं”। बस यही महत्वपूर्ण है। तो जो भी आपके लिए सबसे ज़रूरी है, उसके लिए जगह बना कर रखिए। बस रियलिस्टिक ही रहिए। अगर आप उसके लिए इंतज़ाम नहीं कर सकते हैं, तब तो उसे जाना ही होगा।
विधि 2
विधि 2 का 3:

जीवनशैली में परिवर्तन करना

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  1. हममें से अधिकांश के लिए यह निश्चित ही जीवनशैली में परिवर्तन है। हमें तो आदत है कि अपने पे चेक को पाएँ, और जब तक वह समाप्त नहीं हो जाये तब तक मौज करते रहें। अफ़सोस है कि अब आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। जब वीकेंड आए, तब पहले उतना पैसा निकाल कर अलग कर दीजिये, जितना बचाने की आपने क़सम खाई थी। जब वह चला जाएगा तब आपको उसे ख़र्चने का लोभ भी नहीं रहेगा।
    • अगर आप कर सकते हों, तब उसे बचत खाते में रखवा दीजिये – या कम से कम जहां से निकाल कर आप ख़र्च करते हों, उससे अलग किसी जगह पर। उसको अपने कपड़ों के बीच में रख दीजिये (अगर आप अपने लोभ पर नियंत्रण कर सकते हों तो), या, छोड़िए भी, और उसे रखने के लिए अपनी माँ को दे दीजिये। इस तरह से आप उतने ही पैसों में जीवन बिताने के लिए मजबूर हो जाएँगे, जितने में रहने का आपने निश्चय किया होगा।
  2. आज के टेक्नॉलॉजी के युग में यह कहना कुछ ज़्यादा ही है। फ़्रोज़ेन खाना, तुरंत संतुष्टि और लगातार एंटरटेनमेंट तो हमारी संस्कृति ही बन गई है। बजट में रहने के लिए इस जीवन शैली को तो जाना ही होगा। यह कुछ सुझाव हैं:
    • खाना पकाना शुरू करिए। यह न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि कहीं सस्ता भी पड़ता है। अगर आप बहुत सारा खाना एकसाथ बना लेते हैं, तब आप उसको फ़्रीज़ कर सकते हैं, कभी कठिनाई वाले दिनों के लिए बचा कर भी रख सकते हैं।
    • अपना भोजन खुद ही उगाइये। इससे आप अपने पकाने को अगले स्तर पर ले जाते हैं। अपने लिए फल और सब्ज़ियों को उगाने से सस्ता तो कुछ हो ही नहीं सकता है। इससे न केवल आप उन चीज़ों के ग्रोसरी स्टोर के अनापशनाप दामों से बच सकते हैं, बल्कि आपको यह भी संतोष होता है कि आप ख़ुद को खिला रहे हैं। कितने लोग ऐसा कह सकते हैं?!
    • सिलाई करिए। हममें से कितने ही ऐसे होते हैं जिनके कपड़ों में बस एक छेद होता है, और हम उन्हें फेंक देते हैं? बस बहुत हुआ, हाथ बढ़ाइए। आपको पता है कि आप कर सकते हैं। बरबादी करने वाला बन जाने के स्थान पर, क्या विचार है कि अपने कपड़े ख़ुद ही बनाए जाएँ, सिले जाएँ और उनकी मरम्मत भी की जाये? इससे न केवल आप बचत कर पाएंगे, बल्कि आप बहुत ट्रेंडी भी हो जाएँगे। एक ऐसा रख रखाव जो “किसी भी और” के पास नहीं है? शानदार।
  3. ठीक है न, यह कोई इतनी कठिन बात तो नहीं है, जो समझ में ही न आए? अगर आपको और पैसे चाहिए, तब तो आपको अतिरिक्त काम ढूँढना ही पड़ेगा। मगर यह मत समझिए कि इसके लिए आवश्यक होगा कि आप ऐसा काम करें जिसमें एप्रन पहनना पड़ेगा या ढेरों कागज़ काले करने होंगे – हर हफ़्तेवार बेबीसिटिंग से भी आप अपनी जीवनशैली के लिए इतना पा सकते हैं कि आपको थोड़ा अच्छा लगने लगेगा (जिसके लिए कि यह सारी लड़ाई चल रही है)। बात ख़ुश रहने की है; यह रईस बनने के लिए नहीं है।
    • क्रेगलिस्ट। सचमुच में। थोड़े से अतिरिक्त पैसों के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं, चाहे वह किसी की घर बदलने में मदद करना ही क्यों न हो। और अपने दोस्तों से पूछिये! उन्हें शायद ऐसा कोई छोटा मोटा ऐसा काम पता हो, जिसमें 1000 रुपये मिल सकते हों। जब तक आप पूछेंगे नहीं, तब तक तो आपको पता ही नहीं चलेगा!
  4. एक और ज़ाहिर क़दम। चाहे आप बड़े शहर में रहते हों या छोटे, रूममेट खोज लेने से आपका किराये का ख़र्च आधा रह जाता है। और उन अतिरिक्त पर्क्स के बारे में भूल मत जाइएगा! मतलब खाने पीने के ख़र्चे आधे, साबुन तेल के ख़र्चे आधे और पीने पिलाने के ख़र्चे भी तो आधे हो जाएँगे। और फिर आपका रूममेट, कम से कम, शानदार तो होगा ही।
    • आप रूममेट रख कर अपना किराये का ख़र्च आधा कर सकते हैं “या” वही किराया देते हुये आप किसी बड़े घर में शिफ़्ट कर सकते है (हालांकि इससे आपका ख़र्च तो कम नहीं होगा) – दोनों के ही अपने अपने फायदे हैं। अगर आपको अपना बिस्तर, पर्दे से अलग करना पड़ता है, तो करिए। जीवन तो चलता हे रहेगा। अरे, सोना तो कमरे के कोने के फ़र्श पर भी पड़ सकता है!
  5. क्योंकि वे महंगी ही होती जाएंगी। ज़ाहिर आदतें तो होती हैं धूम्रपान, शराब पीना और ड्रग्स लेना, मगर यह ज़ाहिर सूची तो बढ़ती ही जाती है। यह आपके जीवन की आवश्यकता नहीं है, और आपको यह चाहिए भी नहीं। और अगर यह आपके लिए बुरी है, तब तो आपको यह “सचमुच” में नहीं ही चाहिए। कभी कभी तो हमें अपनी सच्चाई समझ ही जानी चाहिए, और यह निश्चय ही उन्हीं में से एक समय है।
    • अगर आपको मूवी थिएटर का नशा भी है, तब भी इस इलाक़े में प्रगति हो सकती है। स्वयं को इमानदारी से देखिये: आपकी ऐसी कौन सी आदतें हैं जिनके कारण आपको व्यर्थ में ही ख़र्च करना पड़ रहा है? हम सभी की होती हैं। और अगर आप इनसे छुटकारा नहीं पा सकते हैं तब इनके बदले में क्या सस्ता सब्स्टिट्यूट इस्तेमाल कर सकते हैं? कुछ भी सस्ता, कोई बताएगा?
  6. हाथ में कुछ ठोस चीज़ होने से बहुत फ़र्क पड़ता है। जब हम प्लास्टिक के उस टुकड़े को स्वाइप करते हैं, तो हमारे दिमाग को यह समझ में नहीं आता है कि हमारे बैंक खाते से पैसे गायब हो रहे हैं। कल्पना करिए, कि हर बार जब आप अपने कार्ड का उपयोग करें, तब एक छोटा सा भूत सामने आए, और आपको वह पैसा दिखाये, जो अब आपका नहीं है। तब आप यह करने के लिए उतने उत्सुक नहीं होंगे! इसलिए कॅश का उपयोग करिए। आपके द्वारा उसको पकड़ के रखने की संभावना बढ़ जाएगी।
    • स्वयं को ख़र्च करने के लिए हर हफ़्ते कुछ कॅश दे दीजिये। जब आपका कॅश समाप्त हो जाये, तब समझिए कि बस हो गया। अफ़सोस, भाई लोग। यह कठिन है – मगर इससे आपको जल्दी से जल्दी राशन करना आ जाएगा!
  7. पैसे बचाने के बारे में ये सब बातें करने से जीवन में परिवर्तन आते हैं, और उनमें सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, मानसिक परिवर्तन। अगर आपको सचमुच में लगता है कि 5 स्टार में नहीं खाने से आपको बहुत कमी महसूस होती है, तब तो यह बजटिंग का अभ्यास क़रीब क़रीब बेकार ही हो जाएगा। आपको “किफ़ायत से थकान” होने का ख़तरा उठाना पड़ सकता है [१] और हाँ, उसकी वजह से आप झक्की भी हो सकते हैं। अगर आपमें उसके कारण पागलपन आ जाता है, तब तो बजटिंग ठीक नहीं है।
    • आपको किसी से तुलना करने की आवश्यकता नहीं है। और मानिए या मत मानिए, आपको ऐसी कोई इमेज बनाए रखने की आवश्यकता भी नहीं है। जो भी आपके पास है, आप उसी में ख़ुश रह सकते हैं। ज़िंदगी कुछ होने का नाम नहीं है। असल बात तो आपका माइंडसेट होता है। अगर आप अपनी परिस्थिति से ख़ुश हैं, तब आप ख़ुश हैं – और बस यही महत्वपूर्ण है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

पैसे से चालाकी करना

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  1. इसमें कोई शर्म की बात नहीं है – यह तो ट्रेंडी है! इस पर समर्पित तो पूरे पूरे टी वी शो हैं! यह तो एक तरह का सच्चा आंदोलन है! इसलिए अपनी कैंची उठाइये और ढूँढना शुरू कर दीजिये। आपके प्रिय स्टोर के साप्ताहिक विज्ञापन हो सकते हैं “और” निर्माताओं के कूपन भी होते हैं। दोनों के बारे में ही भूलिएगा नहीं!
    • और सीज़नल का भी ध्यान रखिएगा। अगर यह इस हफ़्ते में सेल पर नहीं है, तब अगले हफ़्ते में होगा, इस लिए थोड़ा ठहरने की कोशिश करिए। और कभी कभी तो सप्ताह के बीच में, या छुट्टियों के तुरंत बाद भी कुछ बेहतर डील्स आती हैं।
  2. अख़बार में से काटने और निर्माताओं की वेब साइट्स के अलावा सोशल कूपनिंग वेब साइट्स की ओर भी बढ़िए, जैसे कि लिविंगसोशल, ग्रुपोन, हक्स्टर तथा ट्रैवेल ज़ू। ये डील्स केवल किराने के सामान पर ही समाप्त नहीं हो जाती हैं – आपको आधे दामों पर रैस्टौरेंट भी मिल सकते हैं। थोड़ी से इंजीनुइटी (ingenuity) से आपकी पार्टी वाली जीवन शैली जैसी की तैसी बनी रह सकती है!
    • यह जीवन को समृद्ध बनाने की भी एक विधि है। आप जिम जाना अफ़्फ़ोर्ड नहीं कर सकते? ग्रुपोन के ज़रिये से किक्बोक्सिंग क्लासों के दाम में 80% कमी कराई जा सकती है। दीवाली के लिए उपहार चाहिए? तब आपको कूपन कहाँ मिलेगा? इसको उन चीज़ो पर ही रुक जाने की आवश्यकता नहीं है, जिन्हें आप अपने घर में रख सकते हैं!
  3. यह भी ट्रेंडी होती जा रही है। अगर आप उसको सेकंड हैंड ख़रीद सकते हैं, तब क्यों नहीं, ठीक है न? विंटेज समान आज कल चल रहा है और कंज़्यूमरिज़्म बस समाप्त हो चुका है। और वैध सेकंड हैंड दुकानों के अलावा, गैरेज सेल्स, क्रेगलिस्ट लिस्टिंग्स, नीलामी तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों (जैसे कि चर्चों द्वारा आयोजित किताबों की सेल वगैरह) की ओर भी देखिये। बस थोड़े ही समय में आप ख़ज़ाने की खोज में महारत हासिल कर लेंगे।
    • अपने परिवार से भी सहायता प्राप्त करने का प्रयास करिए। हमारी संस्कृति कुछ ऐसी हो गई है कि हमें सामान रखने के लिए स्टोरेज फ़ैसिलिटीज़ की ज़रूरत पड़ने लगी है। सोचिए ज़रा, कि यह कितनी उलझाने वाली बात है। आप कितने ऐसे लोगों को जानते हैं जो कि सचमुच में कम से कम सामान के साथ जीवन बिता सकते हैं? तो कोशिश करिए उनके साथ! शायद (पढ़िये: निश्चित ही) उनके पास ऐसा सामान भी होगा, जिससे छुटकारा पाने की उन्हें आवश्यकता भी होगी।
  4. आप क्रेगलिस्ट तो जानते हैं मगर क्या आपको Freecycle.org नाम की साइट का पता है? [२] आप अपनी कम्यूनिटी के पेज पर जाइए और ऐसे लोगों को खोजिए, जो “मुफ़्त में चीज़ों से छुटकारा चाहते हों”। और ऐसे लोगों की भी, जो चीज़ों को पाने की इच्छा रखते हों। और यह तो अनेकों में से बस एक ही है!
    • आपको सचमुच में किसी भी चीज़ का पूरा दाम देने की तो आवश्यकता है ही नहीं। उन सोशल कूपनों वाली वेब साइट्स के अलावा, जिनकी चर्चा हमने पहले की थी, eBay and Etsy जैसी साइट्स भी हैं जहां पर आप वास्तविक चीज़ें सचमुच के लोगों से, अक्सर ही कहीं कम दामों पर पा सकते हैं।
  5. यह कुछ ख़तरनाक भी हो सकता है। अगर आप ख़र्चीले हैं, तब क्रेडिट कार्ड शायद उन सबसे ख़राब चीज़ों में से हो सकता है जो कि आप अपने साथ कर सकते हैं। मगर यदि आपको लगता है कि आप इसे हैंडल कर सकते हैं (और आपका क्रेडिट स्कोर भी ठीक ठाक है), तब किसी ऐसे क्रेडिट कार्ड के बारे में सोचिए जिसमें रिवार्ड्स कार्यक्रम हो। जब भी आप उसका उपयोग करेंगे, आपको पॉइंट्स मिलेंगे। और अपनी इच्छानुसार आप उन पॉइंट्स से चीज़ें ले सकते हैं – या “कॅश”। हो गया धमाका, आमदनी का दूसरा सोर्स!
    • हमेशा फ़ाइन प्रिंट पढ़िये। आप कभी नहीं चाहेंगे कि आप एक ऐसा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने लगें, जिसकी ब्याज दर पगला देने वाली हो और फिर अपने आप को भयानक कर्ज़ों के जाल में फंसा दें। यह तो, जो भी आप चाहते हैं, उसके बिलकुल विपरीत बात होगी।
  6. अपना लक्ष्य बनाइये कि आप अनुभव प्राप्त करें, न कि वस्तुएँ: आपको शायद यह जान कर आश्चर्य नहीं होगा कि ऐसा देखा गया है कि लोगों को चीज़ों से अधिक ख़ुशी अनुभवों से मिलती है। वे लंबे समय तक चलते हैं और वे बिना उपयोग की गई चीज़ों की तरह से हमारी अलमारियों में जगह नहीं घेरते हैं। तो इसलिए यदि आपका जीवन भावनाओं से खाली है, तब अनुभवों को अपना लक्ष्य बनाइये। उन सामानों से आपको अच्छा लगना नहीं शुरू होगा। और अगर होता भी है, तो बहुत थोड़े समय के लिए ही होगा।
    • दीवाली आने वाली है? मांगिए, कि आपको एक क्लास मिले या आपकी जिम की मेम्बरशिप का दाम दे दिया जाये। यात्रा क्रेडिट मांगिए। ऐसी चीज़ें मांगिए जिनका आप “सचमुच” में इस्तेमाल कर सकें। यह ठीक है कि 50” टी वी बढ़िया होगा, मगर आप एक साल बाद उसको बदलने की इच्छा करने लगेंगे। अपने जीवन को अनुभवों से समृद्ध बनाइये, चीज़ों से नहीं।

सलाह

  • अन्य ड्रिंक्स के स्थान पर पानी पीने का विचार करिए। पानी बाहर उपलब्ध अनेक ड्रिंक्स का स्थान ले सकता है और यह तो कहने की आवश्यकता ही नहीं है कि वह थोड़ा सस्ता भी होता है।
  • हफ़्ते में केवल एक या दो बार ख़रीदारी करके अपने खाने का बिल भी कम करने का प्रयास करिए और बाकी दिनों में आपके किचेन में जो भी खाने पीने का सामान बचा है उसको समाप्त करने का प्रयास करिए।
  • अगर आपने अभी तक अपने कुछ कर्ज़ों या बिलों का भुगतान नहीं किया हो तब उनका भुगतान करने का प्रयास करिए। अगर आपने अभी तक क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान नहीं किया हो तब उसको जल्दी से जल्दी कर दीजिये अन्यथा ब्याज के कारण वह और भी महंगा हो जाएगा।
  • इन कुछ कदमों का पालन करके आप अपना बिजली का बिल भी कम कर सकते हैं। कमरे की सारी रोशनियाँ बंद कर दीजिये, जिन उपकरणों का भी उपयोग नहीं कर रहे हों, उनका प्लग निकाल दीजिये। उन उपकरणों को केवल बंद ही मत कर दीजिये क्योंकि वे तब भी थोड़ी पावर तो इस्तेमाल ही करते रहेंगे और उससे आपका बिल बढ़ता ही जाएगा।
  • स्वास्थ्यवर्धक खाना और व्यायाम चुनिये और अपने आपको फ़िट रखिए ताकि आपको डॉक्टरों और दवाइयों पर अनचाहे ही पैसे न ख़र्च करने पड़ें।
  • घर के कामों जैसे कपड़े धोना या खाना पकाना, करने के लिए, चुनिये। इस प्रकार से आप न केवल पैसे बचा सकते हैं बल्कि कुछ कैलोरीज़ भी जला सकते हैं।
  • साथ में घर का खाना ले जाने का प्रयास करिए ताकि आप बाहर के खाने पर होने वाले ख़र्च को बचा सकें। इस प्रकार से आप स्वास्थ्य और पैसा दोनों ही बचा सकते हैं।
  • आप ऐसे कुछ मोबाइल ऐप्स का भी प्रयोग कर सकते हैं जिनसे आपको अपने दिन प्रतिदिन के उपयोग के लिए बजट बनाने में सहायता मिल सकती है।

चेतावनी

  • जब आप साथ रहने के लिए नया रूममेट चुने तब सावधान रहिए, क्योंकि साथ रहने के लिए सभी अच्छे हों, ऐसा नहीं है। संभावित कारण यह हो सकता है कि उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड हो, या कोई ऐसी आदत हो जिसकी वजह से आप दूसरे किसी को ढूँढने में अपना समय बर्बाद करना उचित समझें।
  • जब आप क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करें तब सावधान रहिए। अनेक व्यक्ति इस लिए कर्ज़े में डूब जाते हैं क्योंकि वे अपनी सीमा से ऊपर चले जाते रहते हैं और उस कर्ज़े को चुकाने में उन्हें महीनों या शायद सालों लग जाते हैं। इससे तो दीवाला भी निकल सकता है, जिससे आप होमलेस हो सकते हैं।
  • अगर कभी आप बजट से बाहर भी कुछ ख़र्च कर देते हैं तब अपने को माफ़ करने का प्रयास करिए। अगली गतिविधि में, उसी के हिसाब से बचत करने की कोशिश करिए।
  • धैर्य रखिए और जीवन में, बजट बना कर उसके अनुसार जीने के, उसी सिद्धान्त पर टिके रहिए जो आपने अपने लिए तय किया था।

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