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बोनसाई पेड़ों को लगाने की कला हज़ारों साल पुरानी है। भले ही, इस कला का सम्बंध जापान से है, परंतु इसकी खेती का आरम्भ चीन में हुआ था, जहाँ इसको जैन बौद्ध धर्म से जोड़ दिया गया। [१] आजकल, बोनसाई पेड़ के पारम्परिक उपयोग के अलावा सजाने और मनोरंजनात्मक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है। किसान इस प्राकृतिक सुंदरता के प्रतीक को उगाने और देखरेख करने में विचारमग्न रहते हैं और उनको इस पर सृजनात्मक कलाकारी करने का अवसर भी मिलता है। पहले चरण में देखें और सीखें की बोनसाई के पेड़ को कैसे लगाया जाता हैं।

विधि 1
विधि 1 का 3:

सही प्रकार के बोनसाई पेड़ को चुनें

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  1. सब बोनसाई पेड़ एक जैसे नहीं होते हैं। ट्रॉपिकल और अन्य जंगली सदाबहार पेड़ों को बोनसाई बनाया जा सकता हैं परंतु अधिकतर पेड़ आपके लोकेशन के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। किसी प्रजाति को चुनने के समय विचार विमर्श करें। उदाहरण के तौर पर कुछ पेड़ बर्फ़ के ठंडे मौसम में मर जाते हैं और कुछ ऐसे पेड़ भी होते हैं जिनको, शून्य से नीचे का तापमान सुशुप्त अवस्था में प्रवेश करने हेतु आवश्यकता होती है, और उसके बाद बसंत ऋतु में इस अवस्था से बाहर निकलते है। बोनसाई बनाने के पहले यह सुनिश्चित करें की आपके द्वारा चुना गया पेड़ आपके क्षेत्र में रह सकेगा की नहीं, ख़ासतौर पर जब आप खुली हवा का पेड़ लगाने की सोच रहे हैं। यदि, आप निश्चित नहीं कर पा रहे है तो उद्यान आपूर्ति या सप्लाई स्टोर के कर्मचारी से मदद ले सकते हैं।
    • जूनिपर एक ऐसी क़िस्म है जो, नौसीखियों द्वारा बोनसाई पेड़ बनाने के लिए अनुकूल होता है। यह सदाबहार पेड़ मज़बूत और पूरे उत्तरी गोलार्ध में और दक्षिण गोलार्ध के समशितोष्ण (temperate) क्षेत्र में भी जीवित रह सकता है। जूनिपर की बड़ी आसानी से देखरेख की जा सकती है। इनकी कटाई और छटाई बड़ी आसानी से कर सकते हैं और इनकी पत्तियाँ भी कभी नहीं झड़ती हैं क्योंकि ये सदाबहार पेड़ है।
    • कुछ कोनिफरस पेड़ों की सामान्य तौर पर बोनसाई बना कर खेती की जाती है जैसे कि पाइन, स्प्रूस और विभिन्न प्रकार के सेडार। डेसिडुअस पेड़ को भी बोनसाइ बनाया जाता हैं। जापानी मेपल बहुत सुन्दर दिखते है, बिल्कुल मैग्नोलीया, एल्म और ओक की तरह। उष्णदेशीय (tropical) पेड़ जैसे जेड और स्नोरोज़ समशितोषण या ठंडे मौसम में घर के अंदर रखे जा सकते हैं।
  2. अंदर और बाहर रखे जाने वाले बोनसाई पेड़ की ज़रूरतें बहुत अलग होती हैं। सामान्यतः अंदर का वातावरण शुष्क होता है और बाहर की तुलना में कम रोशनी मिलती है, इसीलिए, आप कम रोशनी में रहने वाले और नमी वाले पेड़ को ही चुनें। नीचे कुछ बोनसाई पेड़ों की आम क़िस्में दी गई है और उन्हें बाहर या अंदर के वातावरण में रखने के अनुसार वर्गित किया गया है। [२]
    • अंदर : फ़िकस, हवायन अम्ब्रेला,सेरिस्सा, गारडेनीया, कमेलीया, किंग्सविल बाक्स्वुड।
    • बाहर : जूनिपर, साइप्रेस, सीडर, मेपल, बर्च, बीच, गिंक्गो, लॉर्च, एल्म।
    • ध्यान दें की कुछ मज़बूत क़िस्म के पेड़ जैसे की जूनिपर बाहर और अंदर दोनो ही जगह के लिए उपयुक्त है, बशर्ते कि उसकी देखभाल ठीक से हो।
  3. बोनसाई पेड़ के अनेक क़िस्म और आकार बाज़ार में उपलब्ध हैं। पूर्ण विकसित बोनसाई पेड़ सबसे छोटे 6 इंच (15.2 cm) की लम्बाई से लेकर सबसे बड़े 3 फ़ीट (0.9 m) की लम्बाइ तक होते हैं, ये पौधे की क़िस्म पर निर्भर करता है। यदि, आप बीज या किसी पेड़ की कटिंग से अपने बोनसाई पेड़ बनाना चाहते हैं, तो इनकी शुरुआत बहुत छोटे आकार के पौधे से हो सकती है। बड़े पेड़ को अधिक मात्रा में पानी, मिट्टी और सूरज की रोशनी की आवश्यकता होती है, तो ख़रीदने के पहले यह सुनिश्चित करें की सब ज़रूरी चीज़ें उपलब्ध है।
    • बान्साइ पेड़ के आकार के बारे में निर्णय लेने के समय कुछ चीज़ों को ध्यान में रखें:
      • गमले का आकार या साइज़ जिसका आप इस्तेमाल करेंगें।
      • आपके घर या ऑफ़िस में उपलब्ध जगह।
      • घर या ऑफ़िस में उपलब्ध सूरज की रोशनी।
      • आप कितना समय पेड़ की देखरेख में दे सकेंगें। बड़े पेड़ की देख भाल में ज़्यादा समय लगेगा।
  4. पेड़ का चयन करने के पहले बने हए बोनसाई का रूप कैसा होगा ऐसा मन में दृश्य बनाएँ: जैसे ही आप पेड़ के आकार और लम्बाई को तय कर लें, उसके पश्चात, नर्सरी या बोनसाई की दुकान पर जा कर पेड़ का चयन करें जिसे आप बोनसाई बनाना चाहते हैं। आप सबसे स्वस्थ, हरे पत्ते वाला, चमकीला और आकर्षक पेड़ का चयन करें, पर ध्यान रहे, की पतझड़ के मौसम में डेसिडुअस पेड़ (ऐसे पेड़ जिनके पत्ते सीजन के हिसाब से झड़ जाते हैं खासतौर पर पतझड़ के मौसम में) के पत्ते रंग बदलते हैं। पसंद करने के बाद, आप कल्पना करें की आपका पेड़ बोनसाई बनने के बाद कैसा दिखेगा। पेड़ की देख रेख और अपने पसंद के अनुसार आकार देने का अलग ही मज़ा है। इसको बड़ा करने में सालों लग जाते हैं। आप ऐसा पेड़ चुने जिसका आकार प्राकृतिक रूप से अच्छा हो और जो कटाई और छटाई के बाद आसानी से आपके मन मुताबिक़ सुंदर लगने लगे।
    • ध्यान रहे की यदि, आप बीज से पेड़ को उगाना चाहतें हैं, तब आप पेड़ के विकास को हर पड़ाव पर जिस तरह चाहें वैसे नियंत्रित कर सकते हैं। हालाँकि, बीज से पूर्ण विकसित बोनसाई पेड़ होने में 5 साल का लम्बा समय लग सकता है। [३] इस वजह से यदि, आपको देख रेख करना अच्छा लगता है तो आप पूर्ण विकसित पेड़ ही ख़रीदें।
    • कटिंग से बोनसाई बनाना दूसरा विकल्प है। कटिंग अर्थात, पेड़ की कटी टहनियों को अलग से मिट्टी में लगा कर (अनुवांशिक रूप से समान) [४] नया पेड़ उगा सकते हैं। बीज के बजाए, कटिंग से उगाए गए पेड़ को बढ़ने में देरी नहीं लगती है। इस प्रक्रिया में भी पेड़ के विकास के हर पड़ाव में आप उसको नियंत्रित कर सकते हैं।
  5. बोनसाई पेड़ की विशिष्टता यह है कि इन्हें विशेष गमलों में लगाया जाता है, जिससे उसकी लम्बाई और आकार का बढ़ना कम हो जाता है। गमला लेंने के समय, यह ध्यान रखें कि गमला इतना बड़ा हो कि पेड़ की जड़ को ढकने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिट्टी डाली जा सके। पानी डालने के पश्चात, पेड़ की जड़ मिट्टी से नमी सोख लेती है। इसके विपरीत, गमले में कम मात्रा में मिट्टी होने से पेड़ की जड़ पर्याप्त मात्रा में नमी नहीं ले पाती है। जड़ को सड़ने से बचने के लिए गमले के नीचे 3-4 छेद बनाएँ। आप इसे ड्रिल भी कर सकते हैं।
    • हालाँकि, पेड़ को सम्हालने के लिए बड़े गमले की आवश्यकता होती है परंतु, आप अपने बोनसाई पेड़ की सुंदरता और उसकी साफ़ सफ़ाई को ध्यान में रखते हुए सही आकार के गमले का चयन करें। बहुत बड़े गमले से पेड़ छोटा और विचित्र लगने लगेगा। पेड़ की जड़ मिट्टी को अच्छे से पकड़ ले, इस लिए बड़ा गमला लाएँ, परंतु बहुत बड़ा भी नहीं होना चाहिए। सुंदर गमले में लगा सुंदर पौधा एक दूसरे की सुंदरता को बढ़ाता है और सुशोभित करता है।
    • कुछ लोग पहले बोनसाई पेड़ को साधारण गमले में लगाते हैं फिर पूर्ण विकसित होने के बाद पेड़ों को दूसरे सुंदर गमले में ट्रान्स्फ़र कर देते हैं। यह प्रक्रिया कमज़ोर क़िस्म के पेड़ के लिए काम आती है, और ये अच्छा है कि, सुंदर महंगे गमले पेड़ के मज़बूत और आकर्षक होने के बाद ही इस्तेमाल किए जाते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 3:

पूर्ण रूप से विकसित वृक्ष को गमले में लगाएँ

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  1. अगर आप गंदे प्लास्टिक के गमले में बोनसाई का पेड़ दुकान से ले कर आए है या अपने द्वारा उगाया गया पौधा हो, तो इसे सुंदर गमले में लगाएँ। नए गमले में पेड़ ट्रांसफ़र करने से पहले तैयारी करनी पड़ती है। पहले, सुनिश्चित करें कि पेड़ को काट छाँट कर मनचाहा आकार दिया गया है कि नहीं। अगर आप नए गमले में लगाने के बाद भी उसे एक आकार देना चाहते हैं, तो तार पेड़ और टहनियों पर लपेट कर सुंदर आकार दें। इसकी मदद से पेड़ एक सुंदर आकार और निर्धारित दिशा में बढ़ सकेंगें। बोनसाई पेड़ के मनचाहे अच्छे आकार में हो जाने के बाद ही उसे दूसरे गमले में लगाएँ, इससे पेड़ को बहुत कष्ट होता है।
    • बसंत ऋतु में ही, पतझड़ वाले डेसिडुअस पेड़ों को गमले में ट्रान्स्फ़र करने का बढ़िया समय है। बसंत में तापमान के बढ़ने से पेड़ जल्दी बढ़ते हैं, इस का तात्पर्य यह है कि कटाई और छटाई के बाद पेड़ जल्दी बहाल हो जाते हैं।
    • आप गमला बदलने के कुछ समय पहले से पानी देना कम कर दें। सूखी ढीली मिट्टी पर आसानी से काम किया जा सकता है बनिस्पत गिली मिट्टी के। [५]
  2. पुराने गमले से पेड़ के तने को बिना नुक़सान पहुँचाए ध्यान से निकालें। पेड़ को गमले से निकालने के लिए खुरपी की आवश्यकता होती है। पेड़ की अतिरिक्त जड़ों को काटने के बाद ही नए बोनसाई के गमले में लगाएँ। यह अति आवश्यक है कि जड़ पर चिपकी मिट्टी को ठीक से झाड़ कर बिल्कुल साफ़ करें। इस प्रक्रिया में चोपस्टिक, जड़ को रखने के लिए रैक, चिमटी जैसे कुछ औजारों की मदद ली जा सकती हैं।
    • जड़ों को बहुत साफ़ करने की ज़रूरत नहीं है, बस इतना साफ़ हो की उस पर काम करने यानी कटाई के समय, उसे ठीक से देख सकें।
  3. जड़ों के बढ़ने को यदि, समय से नहीं रोका गया तो बोनसाई पेड़ गमले के मुक़ाबले अधिक बड़ा हो जाएगा। जड़ों की कटाई छटाई से बोनसाई पेड़ साफ़ सुथरे और उसका आकार भी क़ाबू में रहता है। बड़ी और मोटी जड़ों को और गमले की सतह की ओर जाती हुई जड़ों को काटें, बस पतली नाज़ुक जड़ों की जाल को ऊपरी सतह पर रहने दें। पेड, जड़ों के टिप से पानी खींचता है इसलिए छोटे गमले में एक मोटी गहरी जड़ के बजाए, जड़ों की जाल अच्छी रहती है।
  4. पेड़ लगाने के पहले ताजी, नई मिट्टी, गमले में मनमुताबिक ऊँचाई तक डालें। ख़ाली गमले में सबसे नीचे दानेदार मिट्टी डालें। फिर महीन ढीली मिट्टी या पेड़ को बढ़ाने वाले तत्व मिट्टी में डालें। ऐसी मिट्टी का गमले में इस्तेमाल करें जिससे मट्टी में अतिरिक्त पानी निकल जाए, ठहरे नहीं। मिट्टी में अधिक पानी होने के कारण पेड़ की जड़ सड़ जाती है। गमले में थोड़ी जगह जड़ को ढ़कने के लिए छोड़ें।
  5. पेड़ को नए गमले के बिल्कुल बीच में रखें। इस महीन स्वस्थ मिट्टी को पेड़ की जड़ के जाल पर डाल कर ढकें। आप अपनी इच्छा अनुसार मॉस या बजरी बिछा सकते हैं। इससे पेड़ सुंदर भी दिखता है और साथ में एक जगह पर भी खड़ा रहता है।
    • यदि गमले में पेड़ सीधे खड़ा नहीं हो रहा है, तो मोटे तार को गमले के नीचे पानी निकलने के छेद से अंदर ले जाएँ। जड़ की जाल को ठीक से बांधे जिससे वो एक जगह पर मज़बूती से रह सके।
    • आप पानी के निकास के लिए छेदों पर जाली लगाएँ, जिससे मिट्टी का कटाव न हो, मिट्टी पानी के साथ गमले में बने छेद से बह न जाए।
  6. बोनसाई पेड़ इस पूरी प्रक्रिया में मार खाता है। इस लिए 2-3 हफ़्ते तक इस पॉट को पेड़ की छांव में छोड़ दें, जहाँ सूरज की रोशनी और तेज़ हवा से बचाव हो सके। [६] पेड़ में पानी डालें, परंतु खाद का इस्तेमाल न करें जब तक पेड़ अच्छे से लग न जाए। कुछ समय के लिए जब तक पेड़ अपने नए माहौल यानी नए गमले का आदि न हो जाए तब तक उसे आराम करने दें।
    • आपने ऊपर देखा की डेसिडुअस पेड़ साल में एक बार पतझड़ से गुज़र कर बाद में बसंत में जल्दी नए पत्तों के साथ बढ़ते हैं। इस वजह से ठंड की ससुप्त अवस्था के बाद, बसंत ऋतु में डेसिडुअस पेड़ों को दोबारा गमले में लगा सकते हैं। अंदर रखने वाला डेसिडुअस बोनसाई पेड़ है तो, मिट्टी को जड़ जब तक अच्छे से न पकड़ ले तब तक उसे बाहर रख सकते है जहाँ सूरज की रोशनी और बढे हुए तापमान से वो जल्दी बढ़ जाता है।
    • बोनसाई पेड़ जब स्थापित हो जाए, तब आप कुछ और पेड़ों को पॉट गमले में लगा कर प्रयोग कर सकते हैं। इन पेड़ों को ठीक से एक साथ पोषित कर के और क्रम में लगा कर एक अद्भुत झाँकी सी बना सकते है। एक समान के पेड़ लगाएँ जिससे एक तरह की रोशनी और निश्चित पानी और रख रखाव के नियम से सब पेड़ों का एक साथ एक तरह का पोषण मिल जाता है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

बीज से पेड़ की उत्पत्ति

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  1. एक बीज से पेड़ उगाना बहुत धीमी और लम्बी प्रक्रिया है। यह उस पेड़ पर निर्भर करता है जिस को आप विकसित कर रहे है, उसके तने 4-5 सालों में 1इंच (2.5cm) के व्यास या चौड़ा होने में लगा सकते हैं। [७] कुछ बीज नियंत्रित दशा में उगाए जाते हैं। इस प्रक्रिया में बीज के अंकुरित होते ही आपका उसके वर्धन पर पूर्ण नियंत्रण रख सकते हैं। शुरुआत करने के लिए अपने मनपसंद पेड़ के बीज दुकान से लाएँ या ऐसे ही बाहर ज़मीन से उठा कर लाएँ।
    • बहुत सारे पतझड़ वाले पेड़ जैसे ओक, बीच, मेपल के बीज की फलियाँ साल में एक बार निकलती हैं, आप तुरंत ही पहचान सकते हैं। इन बीजों से बोनसाई बनाने का आपका ये सब से बढ़िया चुनाव है, क्योंकि ये आसानी से मिल जाते हैं।
    • ताज़े बीज इकट्ठा करने की कोशिश करें। पेड़ों के बीज, फलों और सब्ज़ियों के बीज से जल्दी अंकुरित होते हैं। उदाहरण के तौर पर, ओक के बीज सबसे ताज़े होते हैं क्योंकि, पतझड़ के मौसम में इनकी कटाई और उपज को एकत्र किया जाता है और अंत तक इसका रंग हरा बना रहता है। [८]
  2. बोनसाई का पेड़ उगाने के लिए उपयुक्त बीज इकट्ठा करने के पश्चात आप उनकी देखभाल अच्छे से करें ताकि बीज ठीक से अंकुरित हो सकें। ग़ैर ट्रॉपिकल (non-tropical) जगहों पर, जहाँ अलग अलग मौसम साफ़ तौर पर आते जाते हैं, ऐसे में, पतझड़ के मौसम में बीज पेड़ से ज़मीन पर गिर कर ठंड के मौसम में निष्क्रिय (dormant) अवस्था में चले जाते हैं और फिर बसंत ऋतु में अंकुरित हो जाते हैं। जो पेड़ मूल रूप से उसी स्थान पर पाए जाते हैं, उनके बीज, ठंड के बाद बसंत ऋतु की हल्की गर्मी के आगमन पर, अंकुरित होने के लिए स्वतः तैयार रहते हैं। ऐसी स्थिति में इन बीजों को प्रकृतिक रूप से इन सभी मौसम से रूबरू होने दें, या रेफ़्रीजरेटर में रख कृत्रिम रूप से तापमान संतुलित कर रखें।
    • यदि आप संतुलित वातावरण (temperate environment) वाली जगह पर रहते हैं, जहाँ हर मौसम साफ़ तौर पर बदलते हैं, ऐसी जगह पर आप बीज को ठंड के मौसम में मिट्टी से भरे गमले में दबा कर बसंत ऋतु तक रख दें। अन्यथा, आप बीज को सम्पूर्ण ठंड तक रेफ़्रीजरेटर में रख दें। अपने बीजों को अंकुरित करने वाले नम माध्यम (जैसे वर्मिक्युलाइट) में लपेट कर, ज़िप लॉक वाले प्लास्टिक के बैग में रख दें, और बसंत ऋतु में जब बीज अंकुरित होने लगें, तब निकाल लें।
      • यदि आप पतझड़ से बसंत तक के तापमान के धीरे धीरे ठंडे होने और फिर से गर्म होने की प्राकृतिक प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, तो आरम्भ में बीजों को फ्रिज में नीचे की सतह पर रखें। अगले दो हफ़्तों में आप बीजों को धीरे धीरे एक शेल्फ़ के बाद दूसरे ऊपरी शेल्फ़ पर रखते जाएँ, जिससे अंत में बीज कूलिंग यूनिट के ठीक नीचे पहुँच जाएँ। फिर, ठंड का मौसम प्रोत्साहित करने के बाद, उसकी ठीक विपरीत प्रक्रिया से बीजों को एक शेल्फ़ के बाद दूसरे नीचे वाले शेल्फ़ में रखते हुए नीचे ले जाएँ। [९]
  3. जब बीज अंकुरित होकर पौधे बनने लगें तब उन्हें अपनी पसंद के अनुसार मिट्टी वाले गमले में लगा दें। यदि आपने बीजों को प्राकृतिक रूप से अंकुरित करने के लिए गमले में छोड़ दिया था, तो आप उन अंकुरित पौधों को उसी गमले में रहने दें जिसमें वह अंकुरित हो रहे थे। अगर नहीं, तो फ़िर आप उन स्वस्थ्य अंकुरित पौधों को फ्रिज से निकाल कर मिट्टी वाले गमले में या बीज की ट्रे में स्थानांतरित कर दें। मिट्टी में छोटा से गड्ढा कर के अंकुरित पौधे को ऐसी तरह से रखें कि अंकुरित पत्तियाँ ऊपर की तरफ़ और जड़ नीचे की तरफ़ हो। बीज में तुरंत पानी डालें। हर समय यह सुनिश्चित करें कि बीज के आसपास की मिट्टी हमेशा नम रहे परंतु अत्यधिक पानी न हो जाए, जो कीचड़ बना दे, जिससे पौधों के सड़ने का ख़तरा हो जाए।
    • पहले 5 या 6 सप्ताह तक खाद न डालें जब तक पौधे अपने नए बरतन में ठीक से स्थापित नहीं हो जाते हैं। बहुत थोड़ी मात्रा में खाद का प्रयोग शुरू करें, अन्यथा खाद में मौजूद रसायन के अधिक अनावरण की वजह से पौधों की नर्म जड़ों के जलने का ख़तरा हो सकता है।
  4. पौधों के बढ़ने के समय यह आवश्यक है की पौधों को अत्यधिक ठंड से बचाएँ अन्यथा ठंड से पौधों के मरने का ख़तरा रहता है। यदि आप गर्म वातावरण वाली जगह में रहते हैं, तो आप पौधों को ध्यानपूर्वक बाहर छाँव में रख दें, जहाँ धूप और तेज़ हवा से बचाव हो सकेगा, बशर्ते कि, आपके चुने हुए पेड़ की नस्ल प्राकृतिक रूप से वहाँ के भौगोलिक क्षेत्र में जीवित रहने में सक्षम हैं कि नहीं। यदि, आप ट्रॉपिकल पेड़ या ग़ैर मौसम में पौधे लगा रहे हों, तो पौधों को अंदर रखें या ग्रीन हाउस में रखें जहाँ थोड़ी गर्मी होती है।
    • बावजूद इसके की आप पौधे कहाँ रखते हैं, यह ध्यान अवश्य रखें कि पौधों को ज़्यादा मात्रा में नहीं, परंतु अकसर पानी देना सुनिश्चित करें। मिट्टी को नम रखें पर कीचड़ न होने दें।
  5. पौधों के बढ़ते समय लगातार पानी देना और ध्यानपूर्वक धूप दिखाना सुनिश्चित करें। पतझड़ वाले पौधों (deciduous) में दो छोटी पत्तियाँ निकलेंगी, जिन्हें कोटीलेडन कहते हैं। [१०] ये वास्तविक पत्तियों के निकलने के पहले सीधे बीज में से निकलती हैं और बढ़ती जाती हैं। पेड़ के बढ़ने पर (पेड़ों के बढ़ने में वर्षों लग सकते हैं), उन्हें उनके आकार के अनुसार, बड़े बर्तनों या गमलों में स्थानांतरित करते जाएँ जिससे उनकी बढ़ोत्तरी तब तक समायोजित होती रहे जब तक वो आपकी इच्छानुसार बोनसाई पेड़ का आकार नहीं प्राप्त कर लेते हैं।
    • जब आपका पेड़ स्थायी रूप से स्थापित हो जाए, तब आप उसे सुबह की धूप और दोपहर की छाँव पाने के लिए बाहर रख सकते हैं, परंतु यह ध्यान रहे की आपके पेड़ की नस्ल ऐसी हो जो प्राकृतिक रूप से आपके भौगोलिक क्षेत्र में रहने में सक्षम हों।

सलाह

  • जड़ों को समय समय पर काटते रहने से उन्हें उनके उस छोटे से वातावरण में रहने में आसानी होती है।
  • कृपया साधारण शैली वाले पेड़ चुनें जैसे ऊपर बढ़ने वाले, अनौपचारिक (informal) और झालर जैसे (cascade)।
  • अपने पेड़ को बड़े बरतन या गमले में रखें जिससे पहले एक या दो वर्षों तक बढ़ने दें जिससे उनके तने चौड़े हो जाएँ।
  • अपने पेड़ को काटने या छाटने के पहले अगले मौसम तक बढ़ने दें।
  • अंदर रखे जाने वाले गमलों में कंकड़ की सतह बिछा दें जिससे कीचड़ न हो।

विकीहाउ के बारे में

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