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बैटरीज़ अनेक प्रकार की होती हैं, और आप उन सभी को टेस्ट करके यह देख सकते हैं कि वे चार्ज्ड हैं या नहीं। अल्कलाइन बैटरीज़ ख़राब हो जाने पर बाउंस करने लगती हैं, इसलिए उनको किसी कड़ी सतह पर गिरा कर देखा जा सकता है कि वे बाउंस करती हैं या नहीं। चार्ज की इक्ज़ैक्ट रीडिंग जानने के लिए आप मल्टीमीटर, वोल्टमीटर, या बैटरी टेस्टर से इक्ज़ैक्ट वोल्टेज रीडिंग ले सकते हैं। आप अपनी कार की बैटरी को टेस्ट करने के लिए भी मल्टीमीटर या वोल्टमीटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। अंततः एक ऐप का इस्तेमाल करके, डायगनोस्टिक स्कैन चला कर या सेल फ़ोन रिटेलर को दिखा कर अपने सेल फ़ोन की बैटरी को भी टेस्ट कर सकते हैं।

विधि 1
विधि 1 का 4:

अल्कलाइन बैटरीज़ के लिए ड्रॉप टेस्ट करना

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  1. बैटरीज़ को किसी कड़ी सतह के 2–3 in (5.1–7.6 cm) ऊपर वर्टिकली होल्ड करिए: जब अल्कलाइन बैटरीज़ खराब हो जाती हैं, तब उनके अंदर ज़िंक ऑक्साइड का बिल्ड अप हो जाता है, जिसके कारण वे अधिक बाउंसी (bouncy) हो जाती हैं। इस साधारण ड्रॉप टेस्ट से आप नई और पुरानी बैटरीज़ में अंतर पता कर सकते हैं। एक बैटरी किसी कड़ी समतल सतह, जैसे कि मेटल की मेज़ या मार्बल के काउंटरटॉप के ऊपर होल्ड करके शुरू करिए। बैटरी को वर्टिकली होल्ड करिए ताकि उसका फ़्लैट भाग नीचे को फ़ेस करे। [१]
    • AA, AAA, C, तथा D बैटरीज़ को ऐसे होल्ड करिए जिससे कि पॉज़िटिव साइड ऊपर को फ़ेस करे।
    • 9v बैटरी को ऐसे होल्ड करिए ताकि उसकी दोनों नोड्स ऊपर को फ़ेस करें और उसका फ़्लैट सिरा नीचे को रहे।
    • इस टेस्ट के लिए लकड़ी की सतह ठीक नहीं रहेगी। लकड़ी अधिक एनर्जी अब्सॉर्ब कर लेती है और चीज़ें उस पर से उतनी अच्छी तरह बाउंस नहीं करती हैं।
  2. अगर बैटरी ड्रॉप करने पर बाउंस करती है, तब उसे रिप्लेस कर दीजिये: देखिये कि सतह से टकराने के बाद बैटरी किस तरह बिहेव करती है। कोई ताज़ी बैटरी बिना बाउंस किए बस नीचे प्लॉप (plop) करेगी। वह किसी एक साइड में रोल कर सकती है, मगर वह बाउंस करके वापस ऊपर की ओर नहीं आएगी। पुरानी बैटरी गिरने से पहले कई बार बाउंस करेगी। बैटरी के बिहेवियर को देख कर यह तय करिए कि बैटरी पुरानी है अथवा नई।
    • याद रखिएगा कि अगर बैटरी बाउंस करती ही है, तब भी इसका मतलब यह नहीं है कि वो डेड (dead) है। इसका अर्थ सिर्फ़ इतना है कि वह पुरानी हो गई है और उसने अपना चार्ज गंवाना शुरू कर दिया है। [२]
    • यह उस समय के लिए हैंडी टेस्ट है जब आपकी नई और पुरानी बैटरीज़ एक दूसरे में मिल गई हों, और आप नहीं बता पा रहे हों कि उनमें से कौन सी नई हैं।
  3. अगर आप कुछ मदद चाहते हैं, तब उस बाउंस को किसी ऐसी बैटरी के बाउंस से कंपेयर करिए, जिसके बारे में आपको पता हो कि वो डेड है: डेड बैटरी के इस्तेमाल से आप उस बैटरी के लिए बेहतर फ्रेम ऑफ रेफरेंस मिल सकता है, जिसे आप टेस्ट कर रहे होंगे। कोई ऐसी बैटरी लीजिये जो डिवाइस में लगाने पर काम न कर रही हो। उसके बाद उन दोनों बैटरीज़ को एक दूसरे के अगल-बगल में ड्रॉप करिए और उनके बाउंस को कंपेयर करिए।
    • चूंकि बैटरी डेड है, वह ताज़ी बैटरी की तुलना में अधिक ऊंचाई तक बाउंस करेगी। आप जिस बैटरी को टेस्ट कर रहे हैं खास तौर से उसकी कंडीशन जानने के लिए दोनों बाउंस की तुलना करिए।
विधि 2
विधि 2 का 4:

लीथियम और अल्कलाइन बैटरी पर वोल्टमीटर का इस्तेमाल करना

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  1. अपनी बैटरी के पॉज़िटिव और निगेटिव टर्मिनल्स को लोकेट करिए: बैटरी के सही-सही चार्ज को जानने के लिए वोल्टमीटर का इस्तेमाल करिए। आप जिस बैटरी को माप रहे हैं उसके पॉज़िटिव और निगेटिव टर्मिनल्स को का पता करने से शुरुआत करिए। वे बैटरी पर मार्क किए होते हैं। [३]
    • यह तरीका अल्कलाइन और लीथियम बैटरीज़ के लिए काम करता है।
    • AA, AAA, C, तथा D बैटरीज़ में, निगेटिव टर्मिनल फ़्लैट साइड होती है, और पॉज़िटिव साइड में उभार होता है। 9v में, छोटा, राउंडेड टर्मिनल पॉज़िटिव होता है और बड़ा, हेक्सागोनल टर्मिनल निगेटिव होता है।
    • लीथियम बैटरीज़ अनेक आकार प्रकार की होती हैं, इसलिए उनमें पॉज़िटिव और निगेटिव टर्मिनल्स देखने के लिए बैटरी पर बनी हुई मार्किंग्स को देखिये।
    • आप इस टेस्ट के लिए मल्टीमीटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, बस यह सुनिश्चित करिए कि आप मेज़र (measure) को ऐम्प्स या ओह्म्स की जगह, वोल्ट्स पर सेट करिए।
  2. वोल्टमीटर्स और मल्टीमीटर्स ऑल्टर्नेटिंग करेंट और डायरेक्ट करेंट को मेज़र करते हैं। सभी बैटरीज़ डायरेक्ट करेंट या डीसी का इस्तेमाल करती हैं। रीडिंग लेने से पहले अपने वोल्टमीटर के सामने वाली घुंडी को घुमाइए। [४]
    • कुछ वोल्टमीटर्स में यह ज़रूरी होता है कि आप जिस करेंट को टेस्ट कर रहे हों उसके मैक्स लेवेल को चुनें। अधिकांश में, निम्नतम सेटिंग 20 वोल्ट्स होती है। यह सभी कॉमन बैटरीज़ के लिए पर्याप्त होता है, इसलिए अगर आपको लेवेल चुनने के लिए कहा जाये तब मीटर को 20 वोल्ट पर सेट करिए।
  3. पॉज़िटिव और निगेटिव लीड्स को बैटरी के पॉज़िटिव और निगेटिव टर्मिनल्स से छुआ दीजिये: वोल्टमीटर पर लाल लीड पॉज़िटिव होती है। पॉज़िटिव लीड को पॉज़िटिव बैटरी टर्मिनल के साथ होल्ड करिए और निगेटिव लीड को निगेटिव टर्मिनल के साथ। [५]
    • अगर आप लीड्स को मिक्स अप कर देंगे, तब उससे बैटरी को नुकसान नहीं होगा। मगर रीडिंग पॉज़िटिव वैल्यू की जगह निगेटिव वैल्यू में होगी।
    • कॉमन घरेलू बैटरीज़ इस टेस्ट के दौरान आपको शॉक नहीं देंगी इसलिए चिंता मत करिए।
  4. वोल्ट रीडिंग पाने के लिए बैटरीज़ को लीड्स के साथ होल्ड करिए: कुछ ही सेकंडों में मीटर से आपको रीडिंग मिल जाएगी। इस रीडिंग का इस्तेमाल करके आप यह बता सकते हैं कि बैटरी नई है या पुरानी।
    • पूरी तरह से चार्ज की हुई AA, AAA, C, और D बैटरीज़ में 1.5 वोल्ट्स का चार्ज होता है। एक 9v में 9 वोल्ट होता है। अगर चार्ज जितना होना चाहिए उससे 1 वोल्ट से अधिक कम हो तब बैटरी को रिप्लेस कर देना चाहिए।
    • लीथियम आयन बैटरीज़ के लिए नॉर्मल चार्ज 3.7 वोल्ट्स होता है, मगर यह घट बढ़ सकता है। पूरे चार्ज की जानकारी मैनुफैक्चरर से ले लीजिये।
    • 3.7-वोल्ट लीथियम बैटरी आम तौर पर 3.4 वोल्ट्स से नीचे काम करना बंद कर देती है, इसलिए अगर वह इस लेवेल पर पहुँच रही हो, तब उसे या तो रीचार्ज करिए या रिप्लेस कर दीजिये।
  5. सर्वाधिक एक्यूरेट परिणाम पाने के लिए अल्कलाइन बैटरीज़ के लिए लोड टेस्ट करके देखिये: लोड टेस्ट में बैटरी की पावर इस्तेमाल के दौरान मेज़र की जाती है। हायर-एंड मल्टीमीटर्स में दो लोड सेटिंग्स होती हैं, 1.5V और 9V। AA, AAA, C, या D बैटरी के लिए, वोल्टेज डायल को 1.5V पर सेट करिए। 9V बैटरी के लिए वोल्टेज को 9V पर सेट करिए। बैटरी के मिलीऐम्प टेस्ट करने के लिए, काले प्रोब को बैटरी के निगेटिव एंड पर होल्ड करिए और लाल प्रोब को पॉज़िटिव एंड पर होल्ड करिए।
    • एक नई 1.5V बैटरी में रीडिंग आएगी 4 मिलीऐम्प, और एक नई 9V में आएगी 25। इससे नीचे आने वाली रीडिंग का अर्थ होगा कि बैटरी डेड है। और 1.2-1.3V होने का मतलब है कि अधिकांश 1.5V बैटरीज़ कमजोर होने लगी हैं।
    • यह खास टेस्ट लीथियम आयन बैटरी के लिए काम नहीं करेगा क्योंकि मल्टीमीटर में उनके वोल्टेजेज़ के लिए लोड सेटिंग नहीं होती है।
  6. साधारण रीडिंग के लिए बैटरी को बैटरी टैस्टर में प्लेस करिए: इस्तेमाल करने के लिए, ये डिवाइसेज़ मल्टीमीटर से आसान होती हैं, हालांकि ये उतनी कारगर नहीं होतीं, जितना मल्टीमीटर होता है। इन टेस्टर्स में स्लाइड होता है जिसे विभिन्न बैटरीज़ के आकार के अनुसार खिसका कर एडजस्ट किया जा सकता है। स्लाइड को खोलिए और स्लॉट में AA, AAA, C, या D बैटरी को ऐसे रखिए कि पॉज़िटिव साइड स्लाइड को छूती रहे। उसके बाद वोल्ट रीडिंग के लिए डिस्प्ले को देखिये।
    • 9v को टेस्ट करने के लिए, कुछ मीटर्स में अलग से ऐसे पोर्ट्स होते हैं, जिन्हें रीडिंग के लिए बैटरी छू सकती है। अपने मीटर को देखिये कि क्या उसमें यह फ़ीचर है।
    • अगर उनका आकार स्टैण्डर्ड अल्कलाइन बैटरीज़ की तरह हो तब कुछ मीटर्स में लीथियम आयन बैटरीज़ को भी टेस्ट किया जा सकता है। परंतु अगर उनका आकार इर्रेगुलर होगा तब ऐसा नहीं किया जा सकता है।
विधि 3
विधि 3 का 4:

कार की बैटरी को चेक करना

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  1. जब आप अपनी कार स्टार्ट करें, तब उन संकेतों की ओर देखिये जिनसे आपको पता चल सके कि आपकी बैटरी डेड है: अधिकांश समय आपको यह जानने के लिए टेस्टर की ज़रूरत नहीं पड़ती है कि आपकी कार की बैटरी डेड है। जब आप चाभी घुमाते है या स्टार्ट बटन दबाते हैं तब आपको अपने इंजन से ज़रा भी क्रैंकिंग नहीं मिलती है। आपकी हेडलाइट्स भी नहीं जलती हैं, या अगर जलती भी हैं, तब वे बहुत कमज़ोर होती हैं। [६]
    • जब आपकी बैटरी लगभग डेड होती है तब आपकी कार थोड़ी क्रैंक करती है मगर वास्तव में स्टार्ट नहीं होती है। हालांकि हर बार ऐसा बैटरी के कारण ही हो, ऐसा नहीं है, मगर टिपिकली ऐसा ही होता है।
  2. कार बंद करिए और हुड खोलिए ताकि आप बैटरी को देख सकें: बैटरी को टेस्ट करने से पहले कार को बंद कर देना सुरक्षित होता है और यह आपके काम को आसान भी कर देता है। अगर आपको यकीनन पता नहीं हो कि आपकी बैटरी कहाँ है, तब अपनी ओनर्स मैनुअल देखिये। हुड उठाइए और एक काले रेक्टेंगुलर बॉक्स को खोजिए जिस पर पॉज़िटिव (लाल) तथा निगेटिव (काला) टर्मिनल्स मार्क किये हुये होंगे। [७]
    • आपकी बैटरी प्लास्टिक हुड से कवर की हुई भी हो सकती है। अगर ऐसा हो, तब अपनी ओनर्स मैनुअल को रेफर करिए। उसे निकालने के लिए हो सकता है कि आपको कुछ स्क्रूज़ को खोलना पड़े।
  3. अपनी बैटरी को चेक करने के लिए मल्टीमीटर या वोल्टमीटर का इस्तेमाल करिए: अगर वो डिजिटल हो तब दोनों में किसी भी डिवाइस को डीसी वोल्टेज पर करिए। काले प्रोब के एक सिरे को निगेटिव टर्मिनल पर रखिए और लाल प्रोब के सिरे को पॉज़िटिव टर्मिनल पर रखिए। मल्टीमीटर के रीडआउट को देखिये। आपके रीडर पर वोल्ट्स दिखने चाहिए। [८]
    • अगर आपकी बैटरी की रीडिंग 12.45 वोल्ट्स या उससे अधिक है तब आपकी बैटरी अभी ठीक हाल में है, और आपको जो भी समस्या हो रही है, वो शायद किसी और कारण से हो रही है।
    • अगर रीडिंग उससे कम है, तब वो लगातार आपकी कार को स्टार्ट नहीं कर पाएगी, और संभावना यही है कि आपको शायद कोई नई बैटरी लेनी पड़ेगी।
    • कार बैटरी टैस्टर वही काम करेगा। आपको बस इतना करना है कि काले क्लिप को निगेटिव टर्मिनल पर लगाना है और लाल क्लिप को पॉज़िटिव टर्मिनल पर लगाना है।
  4. अगर आपके पास मल्टीमीटर नहीं हो तब अपनी बैटरी को किसी ऑटोपार्ट्स स्टोर में चेक करिए: अधिकांश ऑटोपार्ट्स स्टोर बाहर आ कर आपकी बैटरी को यह देखने के लिए चेक करेंगे कि क्या वह डेड है। ऐसा करने में उनका अपना फ़ायदा होता है, क्योंकि वे चाहते हैं कि आप बैटरी उन्हीं से ख़रीदें! [९]
    • यहाँ तक कि, अगर आप करना नहीं जानते हैं, तब अधिकांश ऑटोपार्ट्स स्टोर नई बैटरी को लगा भी देंगे।
    • अगर आपकी बैटरी डेड है तब स्टोर तक जाने के लिए आप उसको जंप कर सकते हैं या चार्ज कर सकते हैं।
विधि 4
विधि 4 का 4:

फ़ोन बैटरी को डायगनोज़ करना

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  1. अगर यह पहले से आपके फ़ोन पर नहीं हो, तब इस ऐप को डाउनलोड कर लीजिये। किसी भी उपलब्ध टेकनीशियन से चैट करना शुरू करिए, और वो आपको समझा सकेगा कि किस प्रकार आप अपनी बैटरी पर डायगनोस्टिक रन कर सकते हैं। डायगनोस्टिक रिपोर्ट टेकनीशियन को भेजी जाती है, और वे बता सकेंगे कि आपकी बैटरी कितनी स्वस्थ है। [१०]
    • आम तौर पर आपको पहले सेटिंग्स में जाना होगा, फिर प्राइवेसी में, और अंततः एनालिटिक्स पर। चेक करिए कि क्या "Share iPhone Analytics" पर चेक किया हुआ है। अगर नहीं हो, तब उस पर प्रेस करिए ताकि टेक आपकी एनालिटिक्स रिपोर्ट्स को देख सके।
  2. एण्ड्रोइड की बैटरी को टेस्ट करने के लिए थर्ड पार्टी ऐप का इस्तेमाल करिए: अपनी बैटरी के स्वास्थ्य को टेस्ट करने वाले, AccuBattery जैसे किसी ऐप को डाउनलोड करिए। ऐप को ओपेन करिए और उसे सेटअप करने के लिए स्क्रीन पर आने वाले निर्देशों को फॉलो करिए। उसके बाद कम से कम एक दिन के लिए अपने फ़ोन को सामान्य तरीके से, जैसे इस्तेमाल करते रहे हैं वैसे ही, इस्तेमाल करिए। एक दिन बाद अपनी बैटरी के स्वास्थ्य को जानने के लिए ऐप को ओपेन करिए। आपको ऐप को हफ़्तों या शायद महीनों इस्तेमाल करने के बाद और भी अधिक एक्यूरेट जानकारी मिल पाएगी। [११]
    • आप आईफ़ोन को ऐप पर टेस्ट करने के लिए Coconut Battery जैसे थर्ड पार्टी ऐप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर ऐसा करने के लिए आपको उसे मैक में प्लग इन करना पड़ेगा। [१२]
  3. अपनी बैटरी को टेस्ट कराने या रिप्लेस करने के लिए किसी सेल फ़ोन स्टोर में जाइए: सेल फ़ोन रिटेलर्स आपके फ़ोन की बैटरी का कॉम्प्रीहेंसिव टेस्ट कर सकते हैं और उसका परफ़ॉर्मेंस चेक कर सकते हैं। आईफ़ोन के लिए, एप्पल स्टोर आपके लिए सबसे बढ़िया ऑप्शन है, क्योंकि वहाँ पर आपकी बैटरी को चेक करने के लिए हर वो चीज़ मौजूद होगी, जिसकी ज़रूरत पड़ सकती है। अपने स्मार्ट फ़ोन की बैटरी को एनालाइज़ कराने के लिए, किसी ऐसे स्टोर में जाइए जहां स्मार्टफ़ोन और बैटरीज़ बिकती हों। [१३]
    • अगर आपकी बैटरी ख़राब हो चुकी होगी तब इन स्टोर्स में इसे रिप्लेस भी किया जा सकता है। अगर स्टॉक में नहीं होगा, तब हो सकता है कि पार्ट के लिए उनको इंतज़ार करना पड़े।

चेतावनी

  • बैटरीज़ को टैंपर करने से बचिए। हालांकि इसकी संभावना कम है, मगर ऐसा कर के आप बैटरी को शॉर्ट आउट कर सकते हैं। अगर ऐसा होगा, तब आपको पता चल जाएगा क्योंकि बैटरी गरम हो जाएगी। अगर ऐसा होता है, तब फौरन बैटरी को बाहर ले जाइए और उसे कंक्रीट ड्राइव-वे जैसी किसी नॉन-फ़्लेमेबल सतह पर रख दीजिये। जब तक वो ठंडी न हो जाये तब तक उसे रिट्रीव नहीं करिएगा।

विकीहाउ के बारे में

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