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ऐलकलाइज़्ड पानी (alkalized water) आजकल काफी प्रचलित है - और ऐसा क्यों है, यह समझ पाना कठिन नहीं। कई रिसर्च का कहना है कि ऐलकलाइज़्ड पानी आपके मेटाबोलिस्म को बढ़ाता है, आपके रक्त में अम्ल (ऐसिड) को नियंत्रित रखता है और खाने के पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित करने में मदद करता है। यह इसके अनेक फायदों में से कुछ हैं। नीचे बताये गए तरीकों से आप स्वयं अपने घर में ही पानी को ऐलकलाईज़ कर सकते हैं ।

विधि 1
विधि 1 का 3:

पानी का PH स्तर निर्धारित करना

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  1. पानी को ऐलकलाईज़ करने के पूर्व एवं पश्चात् आपको पानी का PH स्तर जाँच लेना चाहिए । ऐसा करने से आप यह जान पाएंगे कि आपको अपने पानी में कितना समायोजन करने की आवश्यकता है। स्वाभाविक रूप से पानी का PH ७ होता है, परन्तु पानी में पाए जाने वाली अशुद्धियाँ की वजह से PH का पैमाना बाईं तरफ (अधिक ऐसिडिक) झुक जाता है । शुद्ध पेयजल का PH स्तर 8 या 9 होता है, जिसे पानी ऐलकलाईजिंग के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। [१]
  2. अधिकतम स्वास्थ्य केन्द्रों में यह किट उपलब्ध है । इस किट के साथ आपको PH स्ट्रिप्स व रंग चार्ट मिलेंगे ।
  3. पानी को ऐलकलाईज़ करने से पहले एक स्ट्रिप को पानी में डुबो दें । कुछ पलों के लिए उस स्ट्रिप को भीगता रहने दें । उसके पश्चात् स्ट्रिप के रंग की तुलना चार्ट के रंगों से करें । रंग चार्ट की सहायता से पानी का पी.एच स्तर पता चल जाएगा और तब नीचे सूचिबुद्ध विधियों में से किसी भी तरीके से आप पानी को ऐलकलाईज़ कर सकते हैं । ऐलकलाईजेशन के उपरांत पानी का PH लगभग 8 या 9 होना चाहिए ।
  4. PH के पैमाने पर यदि पानी 7 से ऊपर की तरफ दिखता है तो पानी बेसिक प्रकृति का होता है जबकि ७ से नीचे होने पर पानी का स्वभाव ऐसिडिक होता है । परिणामवश आप पानी का PH स्तर 7 से 9 के बीच रखना चाहेंगे ।
विधि 2
विधि 2 का 3:

जल योज्य की सहायता से ऐलकलाईज़ेशन

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  1. 1/8 टेबलस्पून (600 मिलीग्राम) बेकिंग सोडा को 8 ऑउंस (0.237 लीटर) पानी में मिलाएं | बेकिंग सोडा एक उच्च क्षारीय (ऐलकलाईन ) सामग्री है । जब हम बेकिंग सोडा को पानी में घोलते हैं तो पानी की ऐलकलाईन मात्रा बढ़ जाती है । मिश्रण को जोर से हिला कर (अगर बोतल का प्रयोग कर रहे हों) या चला कर (अगर ग्लास का इस्तेमाल कर रहे हों तो) यह सुनिश्चित कर लें कि बेकिंग सोडा पूर्ण रूप से पानी में घुल गया है । [२]
    • यदि आप कम सोडियम के आधार पर हैं तो बेकिंग सोडा को पानी में ना मिलाएं क्योंकि यह सोडियम में उच्च है ।
  2. नींबू आयोनिक प्रकृति का होता है, इसीलिए जब आप नींबू पानी पीते हैं तो पाचन के समय आपका शरीर इन आयोन्स के साथ प्रतिक्रिया कर पानी को ऐलकलाईन बना देता है । [३]
    • एक बड़ा जग (64 ऑउंस) स्वच्छ जल से भरें । वैसा तो छना हुआ पानी ही उत्तम है, पर यदि आपके पास फ़िल्टर नहीं है तो साधारण नल का पानी भी काम में लिया जा सकता है ।
    • एक नींबू को 8 टुकड़ों में काटें । और इन टुकड़ों को बगैर निचोड़े यूँ ही इस जग में डाल दें ।
    • जग को ढक कर रात भर करीब 8 से 12 घंटों के लिए ऐसे ही सामान्य तापमान में छोड़ दें ।
    • आप चाहें तो इस पानी में गुलाबी हिमालयन नमक भी डाल सकते हैं । नमक से आपका ऐलकलाईन पानी खनिज हो जाता है ।
  3. PH ड्रॉप्स प्रभावशाली क्षारीय खनिज एवं अत्यधिक सघन होते हैं । PH ड्रॉप्स किसी भी स्वास्थ्य केंद्र अथवा ऑनलाइन से खरीदा जा सकता है । पानी में कितनी बूंदों का प्रयोग करना है यह आप अपने विशिष्ट पी.एच के बोतलों पर बताये गए निर्देशों का पालन कर जान सकते हैं । [४]
    • बस यह खयाल रखें यद्यपि PH ड्रॉप्स जल की क्षारीयता की वृद्धि करता है, यह जल के क्लोरीन व फ्लूराईड को स्वच्छ करने में असमर्थ है ।
विधि 3
विधि 3 का 3:

विभिन्न फिल्टरेशन तरीकों का प्रयोग

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  1. यह आपके नल से जुड़ जाता है और काफी उपयोगकर्ता भी है । जल में विद्युत् की बढ़ोतरी (आइओनाईज़द) होती है क्योंकि आइओनाईज़र इसे सकारात्मक एवं नकारात्मक इलेक्ट्रोड्स के संपर्क में लाता है । ऐसा करने से ऐलकलाईज़ड पानी और अम्लीय पानी अलग हो जाते हैं । परिणामवश जो पानी मिलता है उसका 70% ऐलकलाईज़ड होता है और पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है ।
    • ऐसिडिक पानी को यूँही जाया ना करें । इससे हम कई प्रकार के कीटाणुओं का खात्मा कर सकते हैं । इसे आप नहाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे आपके त्वचा पर रहने वाले जीवाणुओं का नाश हो ।
  2. यह आसानी से परिवहनीय होने के साथ साथ विद्युतीय आइओनाईज़र की तुलना में सस्ते भी होते हैं । यह सामान्य फ़िल्टर की तरह ही काम करते हैं । पानी फ़िल्टर में डाल कर ३ से ५ मिनट तक इंतजार करें । जब आप प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, पानी कई फिल्टरों में से छन रहा होता है । इन फिल्टरों में से छनने के बाद ऐलकलाईन खनिजों का एक समूह बनता है । [५]
    • इस तरह के फिल्टर्स आपको रसोई उपकरणों के साथ घरेलू वस्तुओं वाले दुकानों में मिल जायेंगे ।
  3. इस प्रकार के फिल्टर्स को हैपरफिल्टर्स के रूप में जाना जाता है, और वह इसीलिए क्योंकि यह विशेष रूप से महीन झल्ली का प्रयोग फ़िल्टरएशन के लिए करते हैं । इन फिल्टर्स का कौशल इन्हें सामान्य फिल्टर्स की उपेक्षा अधिक तत्वों को निचोड़ने में मदद करता है जो अंततः पानी को पूर्ण रूप से ऐलकलाईन करने में सहायक है ।
    • इन फिल्टर्स को स्थानीय घरेलू सामान वाली दुकानों अथवा हार्डवेयर दुकानों से खरीदा जा सकता है और पारंपरिक फिल्टर्स के साथ रखा जाता है ।
  4. आसवक अपने में डाले पानी को उबाल कर, उसमे मौजूद कीटाणु और अन्य अशुद्धियों को नष्ट कर स्वच्छ बनाता है । आसवक जल को थोड़ा अधिक ऐलकलाईन बना सकता है और इसीलिए वास्तव में ऐलकलाईज़ करने के लिए अपने नव शुद्ध जल में हमें PH ड्रॉप्स डालना पड़ता है ।
    • आसवक हर प्रकार के दाम व आकर में पाया जा सकता है । वे अन्य रसोई उपकरणों के साथ पाया जा सकता है ।

सलाह

  • ऐलकलाईज़ेशन की किसी भी विधि में अंत में जितना पानी पेय योग बचता है, प्रक्रिया के आरम्भ में उससे अधिक पानी का उपयोग करना पड़ेगा । आर.ओ विधि के लिए, अगर आपको अंत में 1 गैलन (3.785 लीटर) शुद्ध पेय योग पानी की आवश्यकता है तो आपको प्रक्रिया की शुरूवात में 3 गैलन (11.356 लीटर) के लगभग जल चाहिए होगा ।
  • हर विधि के दौरान PH किट का इस्तेमाल करते रहें, जिससे कि आपको अपने घर के नल का पानी को ऐलकलाईज़ करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका पता चल जाए ।

चेतावनी

  • सुझाए गए मात्रा से अधिक बेकिंग सोडा का इस्तेमाल ना करें चूंकि यह आपको बीमार कर सकता है।

विकीहाउ के बारे में

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