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सामाजिक मेल-जोल में, स्कूल में अच्छा परफ़ोर्म करने के लिए और अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए, हमारे अंदर कॉन्फ़िडेंस का होना बेहद जरूरी होता है। अगर आप में कॉन्फ़िडेंस की कमी होगी, तो फिर आपके लिए ज्यादा कॉन्फिडेंट बनने का तरीका सीखना, काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। आप, आपको कम कॉन्फिडेंट महसूस कराने वाली उन सामाजिक परिस्थितियों को समझकर, अपने बारे में बेहतर महसूस कराने वाली स्ट्रेटजीस का इस्तेमाल करके, सामाजिक परिस्थितियों में खुद पर ज़ोर देकर और पॉज़िटिव एटिट्यूड बनाए रखकर, अपना कॉन्फ़िडेंस बना सकते हैं। कॉन्फिडेंट बनना सीखने के बारे में और जानने के लिए पढ़ते जाएँ।

विधि 1
विधि 1 का 4:

चुनौतियों को पहचानना (Identifying Challenges)

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  1. अपने नेगेटिव विचारों और विश्वास के बारे में जागरूकता जगाएँ: और भी कॉन्फिडेंट बनने के लिए, आपको अपने कुछ नेगेटिव विचारों और मान्यताओं को समझना होगा। अपने साथ में एक जर्नल रखें, ताकि आप अपने पूरे दिनभर के दौरान नेगेटिव विचारों और धारणाओं को मन में आते ही तुरंत लिख सकें। फिर, आपने जो भी कुछ लिखा है, उसे देखें और फिर पता लगाने की कोशिश करें कि आपके ये विचार या मान्यताएँ कहाँ से आ रहे हैं। कौन सी परिस्थिति या लोग आपके मन में इन विचारों और विश्वास को पैदा कर रहे हैं? [१]
  2. आपके कॉन्फ़िडेंस को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों को पहचानें: कई लोगों के ऐसे ट्रिगर्स होते हैं, जो उनके कॉन्फ़िडेंस को नेगेटिव तरीके से प्रभावित करते हैं। आपके मन में, आपके खुद के बारे में महसूस करने के तरीके को नेगेटिव तरीके से प्रभावित करने वाली परिस्थिति और उन जगहों को पहचानने की कोशिश करें। इन परिस्थितियों के बारे में जानना, आपको उनके द्वारा आपके प्रति महसूस करने के तरीके को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। [२]
    • उदाहरण के लिए, आप ऐसा महसूस कर सकते हैं कि जब आप जिम जाते हैं, तभी आपका कॉन्फ़िडेंस कम होने लग जाता है। एक बार सोचने की कोशिश करें कि इस स्थिति में ऐसा क्या है, जो आपको खुद के बारे में इतना सचेत कर रहा है और फिर अपने सेल्फ-कॉन्फ़िडेंस को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए एडजस्टमेंट्स करें। अगर आप अलग कपड़े पहनेंगे, तो क्या आप बेहतर महसूस करेंगे? कोई अलग मशीन इस्तेमाल करें? या फिर ऐसे समय पर जिम जाएँ, जब वहाँ ज्यादा भीड़ न हो?
  3. पता लगाएँ, अगर दूसरे लोग भी आपके कॉन्फ़िडेंस लेवल में अपना योगदान दे रहे हों: फ्रेंड या फैमिली मेम्बर से मिलने वाली आलोचना का भी आपके कॉन्फ़िडेंस के ऊपर नेगेटिव इफेक्ट पड़ सकता है। अगर आपको लगता है कि आपका कोई फ्रेंड या फैमिली मेम्बर, आपके कॉन्फिडेंट होने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है, तो फिर आपको उस इंसान का सामना करने के तरीके की तलाश कर लेना चाहिए।
  4. आप खुद के बारे में जो महसूस करते हैं, उसके ऊपर, एक्सरसाइज, अच्छा खाना और भरपूर आराम लेने का काफी असर पड़ सकता है। अगर आप अपना सही ख्याल नहीं रखेंगे, तो अपना मन ऐसा सोचने लगेगा कि आप खुद की कोई परवाह नहीं करते हैं। अपनी फिजिकल जरूरतों को पूरा करके और हैल्दी रहकर आप अपने मन को पॉज़िटिव सिग्नल्स पहुंचा सकते हैं। [३]
  5. एक खुशनुमा माहौल होना, लोगों को ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करने में मदद कर सकता है। अगर आपका घर साफ और आकर्षक नहीं है, तो इससे भी आपके खुद के बारे में महसूस करने के तरीके के ऊपर असर पड़ सकता है। अपने घर को (या कम से कम अपने कमरे को) साफ और आकर्षक बनाए रखने की पूरी कोशिश करें। स्पेशल और आकर्षण महसूस करने के लिए, वहाँ पर कुछ मददगार चीजें रख लें। [४]
विधि 2
विधि 2 का 4:

ज्यादा कॉन्फिडेंट बनना (Becoming More Confident)

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  1. डेली खुद को पॉज़िटिव तरीके से आश्वस्त करना, कॉन्फिडेंट महसूस करने में आपकी मदद कर सकता है। ऑफिस या कॉलेज जाने के पहले खुद को आईने में देखने का समय निकालें और अपने आप से कोई प्रोत्साहित करने वाली बात कहें। आप या तो ऐसा कुछ कह सकते हैं, जिसे आप खुद के बारे में मानते हैं या फिर ऐसा कुछ, जो आप अपने बारे में मानना चाहते हैं। [५] ये पॉज़िटिव अफर्मेशन (positive affirmations) के कुछ उदाहरण हैं:
    • “मैं एक इंटेलिजेंट इंसान हूँ।”
    • “मैं एक अच्छा पिता हूँ।”
    • “मैंने अपनी ज़िंदगी में कई जरूरी चीजें हासिल कर ली हैं।”
    • “लोगों को मेरे साथ समय बिताना अच्छा लगता है।”
  2. अपने नेगेटिव विचारों को स्वीकारें और उन्हें चैलेंज करें: नेगेटिव विचार सभी लोगों में कॉमन होते हैं, लेकिन अगर आपके अंदर कॉन्फ़िडेंस की कमी हुई, तो ये आप में कुछ और भी ज्यादा कॉमन हो सकते हैं। कॉन्फिडेंट बनने के लिए, अपने उन नेगेटिव विचारों को स्वीकार करना और उन्हें चैलेंज करना बहुत जरूरी होता है। अपने विचारों को स्वीकार करने की प्रैक्टिस करें और फिर कहें कि आखिर आप क्यों उन्हें स्वीकार नहीं कर सकते। [६]
    • जैसे, अगर आपके मन में ख्याल आता है कि “मैं स्टुपिड हूँ',” तो फिर खुद से ऐसा कहकर “मुझे ऐसा विचार आ रहा है कि मैं एक स्टुपिड हूँ,” स्वीकार करें, कि ये तो केवल एक ख्याल है। फिर, “मैं एक इंटेलिजेंट इंसान हूँ,” के जैसा कुछ कहकर अपने इस विचार को चैलेंज करने की कोशिश करें।
  3. खुद को कॉन्फिडेंट बनते हुए विज्युअलाइज करें या सोचकर देखें: विज्युअलाइजेशन एक ऐसा पावरफुल टूल है, जो आपको और भी कॉन्फिडेंट बनने में मदद कर सकता है। विज्युअलाइजेशन करने के लिए, अपनी आँखें बंद करें और उस समय को इमेजिन करके देखें, जब आपको किसी चीज में सफलता मिली या फिर जब आपको खासतौर से कॉन्फिडेंट महसूस हुआ। उस पल की हर एक डिटेल को याद रखने की कोशिश करें, आप कहाँ थे, वहाँ पर कौन था, क्या बोला गया और आपको कैसा महसूस हुआ। अपने कॉन्फ़िडेंस को बढ़ाने में मदद पाने के लिए, दिन में एक बार इस पल को अपने मन में दोबारा दोहराएँ। [७]
  4. अपने घर में हर जगह पर छोटे-छोटे रिमाइंडर्स रखना, आपको और कॉन्फिडेंट महसूस करने में भी मदद कर सकता है। स्टिकी नोट्स पर अपने लिए कुछ पॉज़िटिव मेसेज लिखें और उन्हें अपने घर में हर जगह लगा दें, अपनी ड्रॉअर में या कॉलेज के अपने लॉकर में। आप अपने बारे में इन पॉज़िटिव मेसेज को जितना ज्यादा देखेंगे, आप खुद के ऊपर उतना ही ज्यादा भरोसा करने लग जाएंगे। [८]
    • कुछ चीजें, जिन्हें आप स्टिकी नोट्स पर लिख सकते हैं, उनमें ये शामिल हैं, “आप बहुत ब्रिलियंट हैं!” “आपके पास में बेस्ट आइडिया होते हैं!” या “आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं!” अपने लिए इस तरह से हर जगह छोड़ने के लायक एंकरेजिंग मेसेज तलाशने के लिए अपने सोचने की ताकत का इस्तेमाल करें।
  5. दूसरे लोगों का भी आपके कॉन्फ़िडेंस लेवल के ऊपर काफी बड़ा असर पड़ सकता है। अगर आपका कोई ऐसा फ्रेंड है, जो अक्सर आपकी आलोचना करता है या जिसका नेगेटिव एटिट्यूड है, तो फिर ये समय एक बदलाव लाने का है। आप चाहें तो अपने फ्रेंड्स के साथ में उनके नेगेटिव कमेंट्स के बारे में बात करके देख सकते हैं, ताकि आप उन्हें आपके कॉन्फ़िडेंस को डैमेज करने वाली बातें कहने से रोक लें। [९]
    • एक बात का ख्याल रखें कि आप लोगों की आदतों को या वो जैसे हैं, उस तरीके को नहीं बदल सकते हैं। आप केवल लोगों के लिए प्रतिक्रिया देने के अपने तरीके को ही बदल सकते हैं। जहां तक हो सके, आप अपनी तरफ से पॉज़िटिव बने रहने की कोशिश करें, फिर चाहे आपके आसपास के लोग कितने भी नेगेटिव क्यों न हों।
  6. एक्सरसाइज, हैल्दी फूड और रिलैक्सेशन, अच्छे कॉन्फ़िडेंस को बनाने के लिए काफी जरूरी कम्पोनेंट्स होते हैं। अपना सही ख्याल रखकर, आप अपने मन तक ये सिग्नल्स पहुंचा रहे होते हैं कि आप भी केयर किए जाने के हकदार हैं। आपके द्वारा एक्सरसाइज, फूड, नींद और आराम जैसी अपनी बेसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भरपूर समय दिए जाने की पुष्टि क़र लें। [१०]
    • हर रोज कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज करने का टाइम निकालें।
    • फलों, सब्जियों, होल ग्रेन्स (साबुत अनाज) और लीन प्रोटीन जैसे हैल्दी फूड्स को लेकर बैलेंस्ड डाइट लें।
    • हर रात को 8 घंटे की नींद लें।
    • हर रोज योगा करने, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज या मेडिटेट करने के लिए कम से कम 15 मिनट का समय निकालकर रखें।
विधि 3
विधि 3 का 4:

खुद के ऊपर ज़ोर देना

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  1. खुद के लिए खड़े होना या फिर जब भी आपके पास में किसी कन्वर्जेशन में बोलने के लायक कुछ हो, तब बोलना, ये दिखाता है कि आप कॉन्फिडेंट हैं। अगर आप में कॉन्फ़िडेंस की कमी हुई, तो फिर आप खुद के ऊपर ज़ोर देने को मुश्किल पाएंगे। अपनी असर्टिवनेस को बनाकर, आप और भी कॉन्फिडेंट महसूस करेंगे और दूसरे लोगों के द्वारा भी आपको एक कॉन्फिडेंट इंसान समझने की संभावना बढ़ जाएगी। [११]
  2. असर्टिव होने का एक हिस्सा ऐसा सोचना भी होता है कि आपके पास में खुद की एक आवाज है, जिसे भी सुने जाने का पूरा हक है। आखिर लोगों को आपको क्यों सुनना चाहिए, आप पर भरोसा करना और आपके पास में जो भी कुछ कहने के लिए है, उसका सम्मान करना चाहिए, उन सभी कारणों के बारे में सोचें। अपने आपके ऊपर ज़ोर देने में असफल होने वाली भावनाओं और विचारों को रिकॉर्ड करने के लिए एक डायरी रखने की कोशिश करें। उन तरीकों के ऊपर विचार करें, जो आपके ऊपर ज़ोर नहीं दे पा रहे हैं, जो आपको अपने सामाजिक, एकेडमिक और प्रोफेशनल लाइफ में पीछे रख सकते हैं। [१२]
  3. उन परिस्थितियों को पहचानें, जहां पर आपको थोड़ा ज्यादा खुलने की जरूरत है: अगर आपको खुद पर ज़ोर देने में मुश्किल जा रही है, तो फिर ऐसी और भी परिस्थितियाँ हो सकती हैं, जो आपके लिए इस तरह से खुद पर ज़ोर दे पाना मुश्किल बना रही हैं। सोचकर देखें कि वो स्थितियाँ क्या हैं और आखिर क्यों वो आपके लिए खड़ा हो पाना और अपने लिए कुछ कह पाना इतना मुश्किल बना रही हैं। परिस्थिति के बारे में और आप उसे भविष्य में किस तरह से बदलना चाहते हैं, लिखें। [१३]
    • उसमें शामिल परिस्थिति को और लोगों को डिस्क्राइब करें। कहाँ और किसके साथ, आपको खुद पर ज़ोर देने में मुश्किल हुई?
    • उल्लेख दें, कि इससे आपको कैसा महसूस होता है। जब आप खुद को ज़ोर नहीं दे पाते या नहीं देते हैं, तब आपको कैसा महसूस होता है?
    • डिस्क्राइब करें, कि आप क्या बदलना चाहते हैं। आप ऐसी परिस्थितियों में आपके प्रतिक्रिया देने के तरीके में क्या बदलना चाहेंगे?
  4. इसके पहले कि आप, आपके लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में खुद पर ज़ोर देना शुरू करें, कुछ समय लेकर खुद पर ज़ोर देने की प्रैक्टिस करें। आप अपने आप प्रैक्टिस कर सकते हैं या फिर अपने किसी सपोर्टिव फ्रेंड की मदद भी ले सकते हैं। कुछ आसान परिस्थितियों में, जहां आपके लिए खुद पर ज़ोर देना जरूरी हो, रोल प्ले करते हुए शुरुआत करें और फिर कुछ मुश्किल परिस्थितियों तक बढ़ें। एक शांत और एक-बराबर टोन में किसी स्टेटमेंट को बार-बार दोहराते जाना, खुद के ऊपर ज़ोर देने का एक तरीका हो सकता है। [१४]
    • उदाहरण के लिए, ऐसा सोचें कि आपका एक फ्रेंड है, जो हमेशा वीकनाइट पर आपको उसके साथ में पार्टी पर चलने की जिद करता रहता है और आप थके होने या ठीक नहीं महसूस कर रहे होने की वजह से उसके साथ में जाना नहीं चाहते हैं। तो आप उससे ऐसा कह सकते हैं, “मैं पार्टी में जाना नहीं चाहता हूँ। मैं सिर्फ घर में रहना और आराम करना चाहता हूँ।”
    • एक शांत आवाज में बोलना न भूलें। चिल्लाएँ नहीं या न ही नाराज हों। वो आपको जितनी भी बार उसके साथ पार्टी में चलने का बोलने, आप उतनी ही बार इस स्टेटमेंट को रिपीट करते जाएँ।
    • एक बात का ध्यान रखें कि रोल प्लेइंग ठीक ज़िंदगी की परिस्थितियों के जैसा नहीं होगा। आप के हर तरह की प्रतिक्रिया के लिए तैयार होने की पुष्टि करने के लिए, अपने रोल-प्ले में भी हर तरह की प्रतिक्रियाओं को शामिल करने की कोशिश करें।
  5. आपके खुद पर ज़ोर देने की प्रैक्टिस करने के बाद और जब आप अपनी बोलने और अपने लिए खड़े होने की काबिलियत को लेकर और कॉन्फिडेंट महसूस करने लग जाएँ, उसके बाद आप असल ज़िंदगी में खुद पर ज़ोर देना शुरू कर सकते हैं। ठीक रोल-प्ले की तरह ही, आपको और भी ज्यादा मुश्किल परिस्थितियों के लिए अपना कॉन्फ़िडेंस बनाने के लिए, पहले बहुत छोटे से शुरुआत करना होगी। [१५]
    • पहले छोटे-छोटे तरीकों से खुद पर ज़ोर देने की कोशिश करें, जैसे कि किसी कन्वर्जेशन में अपनी राय भी पेश करना या फिर मीटिंग के दौरान बोलना।
    • जैसे-जैसे आप और भी कॉन्फिडेंट बनते जाएंगे, फिर आप खुद को, किसी की बातों से सहमत नहीं होना या फिर अपने किसी दबाव डालने वाले वाले फ्रेंड या को-वर्कर को न कहने जैसी और भी ज्यादा मुश्किल परिस्थितियों में खुद को आगे बढ़ा पाएंगे।
विधि 4
विधि 4 का 4:

सामाजिक परिस्थितियों में अपना कॉन्फ़िडेंस दिखाना

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  1. कॉम्प्लिमेंट्स दो लोगों के बीच में टेंशन को कम करते हैं और साथ ही वो उनके बीच की बातचीत को और भी पॉज़िटिव बनाने में भी मदद करते हैं। [१६] अगर आप बहुत कॉन्फिडेंट नहीं हैं, तो आप लोगों से कॉम्प्लिमेंट को ले पाना मुश्किल पाएंगे। हो सकता है कि आप अनकम्फ़र्टेबल हो जाएँ या फिर उनके कॉम्प्लिमेंट को रिजेक्ट कर दें। ज्यादा कॉन्फिडेंट बनने के लिए, आपको कॉम्प्लिमेंट को पूरी गर्मजोशी के साथ लेना सीखना होगा। अब अगली बार जब भी कोई आपको एक कॉम्प्लिमेंट देता है, तो अपने मन में उठी उसे रिजेक्ट करने की इच्छा को रोकें और उसे उसके इतने अच्छे शब्दों के लिए धन्यवाद कहें।
    • उदाहरण के लिए, आप केवल “थैंक यू। मुझे अच्छा लगा।,” कहकर किसी कॉम्प्लिमेंट के लिए रिस्पोंड कर सकते हैं। या फिर और भी आसान, एक “थैंक्स!” भी आपके काम आएगा।
    • साथ में दूसरों को कॉम्प्लिमेंट करना भी सीखने की पुष्टि कर लें। दूसरे लोगों को कॉम्प्लिमेंट करना, अपनी ओर से ध्यान को दूर ले जाने में मदद करेगा, जो आपको और भी कॉन्फिडेंट बनने में मदद कर सकता है। दूसरे लोगों को सच्चे कॉम्प्लिमेंट देने की आपकी काबिलियत भी आपके कॉन्फ़िडेंस को साबित करने में मदद करेगा।
  2. इस बात को स्वीकार करें कि आप दूसरे लोगों को बदल नहीं सकते हैं: कभी-कभी, क्योंकि लोग अक्सर दूसरे लोगों की प्रतिक्रिया मिलने के बारे में सोचते रहते हैं, इसी वजह से लोगों में कॉन्फ़िडेंस की कमी आ जाती है। ज्यादा कॉन्फिडेंट बनने के लिए, आपको ये समझना होगा कि आप लोगों को तो बदल नहीं सकते और आप उनकी तरफ से आपके प्रति आने वाली प्रतिक्रिया को भी नहीं बदल सकते हैं। अगर आप किसी पर काबू पा सकते हैं, तो वो हैं सिर्फ आप। दूसरे लोगों को, वो जैसे हैं, उसी तरह से स्वीकार करना सीखने की कोशिश करें। उन्हें उनकी खामियों के ऊपर ज्ञान देने की कोशिश न करें या न ही दूसरे लोगों को बदलने की सीख दें। [१७]
  3. पॉज़िटिव एटिट्यूड रखना, कॉन्फिडेंट होने का एक हिस्सा होता है, फिर भले सामने वाला इंसान आपको नीचा दिखाने की कोशिश ही क्यों न कर रहा हो। याद रखें, आप आपके भविष्य, आपके लक्ष्यों और आपकी खुद की खुशी को ही काबू कर सकते हैं। अगर लोग आपके कॉन्फ़िडेंस को तोड़ने की कोशिश करते हैं, तो अपनी उपलब्धियों और प्रशंसा के लायक गुणों को याद करने की कोशिश करें। अपने नजरिए को आशावादी बनाए रखने की कोशिश करें! [१८]
    • मुस्कुराने या हँसने की कोशिश करें, फिर भले आपका मन ऐसा करने का न भी हो रहा हो। रिसर्च से पता चला है कि यहाँ तक कि जबरदस्ती वाली मुस्कान और हँसी से भी ज्यादा आशावादी और कॉन्फिडेंट महसूस करने में मदद मिल सकती है। [१९]
  4. मुश्किल परिस्थितियों में शांत रहना, हमेशा आसान नहीं होता है, लेकिन जब भी कोई प्रॉब्लम खड़ी हो, तब शांत रहना आपको और भी कॉन्फिडेंट बनने में मदद करेगा और दूसरों के सामने भी आपको एक कॉन्फिडेंट इंसान की तरह पेश करेगा। जब भी आप स्ट्रेस में, नाराज, बहुत परेशान या उदास हों, तब कुछ गहरी साँसें लेने की कोशिश करें। साँसे लेते समय, धीरे-धीरे 10 तक काउंट करें और फिर उस प्रॉब्लम का सामना करें। [२०]

सलाह

  • अगर आपको गंभीर सोशल एंजाइटी है, बहुत कम कॉन्फ़िडेंस है या फिर प्रैक्टिस करने के बाद भी आप खुद पर ज़ोर नहीं दे पा रहे हैं, तो फिर एक मेंटल हैल्थ प्रोफेशनल के साथ में बात करके देखें। एक थेरेपिस्ट इनमें से कुछ मुश्किलों में आपकी मदद कर सकेगा।
  • खुद को कंफ़र्ट जोन से बाहर निकालने के लिए कदम उठाने की कोशिश करें। स्कूल/कॉलेज वाले माहौल में एक्सट्रा-करिक्यलर एक्टिविज, जैसे कि ड्रामा और डिबेट करने में भाग लेना, आपके कॉन्फ़िडेंस को बढ़ाने में मदद कर सकता है। भले ही ये काम थोड़ा डरावना क्यों न लग रहा हो, इस तरह की चीजों का अनुभव लेना, आपको आपकी पहचान को लेकर और भी सिक्योर महसूस करने में मदद कर सकता है।

चेतावनी

  • अगर आपका कोई ऐसा फ्रेंड या को-वर्कर है, जो लगातार आपको नीचा दिखाता है और इसका आपके कॉन्फ़िडेंस लेवल्स पर बहुत असर पड़ रहा है, तो फिर अपने टीचर या ह्यूमन-रिसोर्स रीप्रजेन्टेटिव से इसके बारे में बात करके देखें। खुद को किसी से भी बुली (या परेशान) मत होने दें।

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