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अधिकांश माडर्न बोलिंग गलियारों में इलेक्ट्रोनिक स्कोरिंग की व्यवस्था होती है परंतु बोलिंग की स्कोरिंग कैसे की जाती है यह समझना तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है जब इलेक्ट्रोनिक स्कोरिंग की व्यवस्था उपलब्ध न हो या जब आप सिर्फ मजा लेने के लिए अपने बैकयार्ड में खेलते हैं। बोलिंग की स्कोरिंग कैसे की जाती है, यह जानने से, एक खिलाड़ी को गेम की भी बेहतर समझ होने लगती है और प्वाइंट्स कैसे स्कोर किए जाएँ यह भी समझ में आने लगता है।

विधि 1
विधि 1 का 2:

सामान्य जानकारी

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  1. बोलिंग के प्रत्येक गेम में 10 फ्रेम्स होते हैं। हर फ्रेम के अंतर्गत प्रत्येक खिलाड़ी को पूरे 10 प्वाइंट्स नाक डाउन करने के लिए 2 अवसर मिलते हैं। [१]
    • यदि कोई खिलाड़ी पहले ही फ्रेम में सभी 10 प्वाइंट्स नाक डाउन कर लेता है तो उसे एक स्ट्राइक अवार्ड किया जाता है और उसे उस फ्रेम में दूसरे अवसर की आवश्यकता नहीं होती है।
    • यदि कोई खिलाड़ी किसी फ्रेम में सभी 10 प्वाइंट्स नाक डाउन करने के लिए 2 गेंदों को प्रयोग में लाता है तो उसे एक स्पेयर (spare) अवार्ड होता है। उदाहरण के लिए खिलाड़ी पहले रोल में 7 पिन्स (Pins) गिरा सकता है और दूसरे बार में 3 पिन्स।
    • यदि कोई खिलाड़ी पहले रोल में एक भी पिन नहीं गिरा पाता है परंतु दूसरे रोल में सभी 10 पिन्स गिरा देता है तो भी उसे स्पेयर ही अवार्ड होता है, स्ट्राइक नहीं, क्योंकि उसने सभी पिन्स को गिराने के लिए 2 गेंदों का प्रयोग किया है।
    • ऐसा फ्रेम जिसमें खिलाड़ी दोनों अवसर उपयोग करने के बाद भी सभी 10 पिन्स नहीं गिरा पाता है तो उस फ्रेम को ओपेन फ्रेम (open frame) कहते हैं।
  2. स्कोर कार्ड में प्रत्येक खिलाड़ी के नाम के लिए जगह बनी होती है जिसके बाद 10 बक्से बने होते हैं (हर फ्रेम के लिए एक) और एक फाइनल स्कोर बाक्स बना होता है। इन 10 बक्सों में से प्रत्येक में 2 छोटे बक्सों का एक सेट बना होता है जिसमें फ्रेम के प्रत्येक रोल में गिराए गए पिन्स की संख्या रिकार्ड की जाती है।
    • फाइनल स्कोर-बाक्स में एक और छोटा बक्सा होता है जिसका प्रयोग 10वें फ्रेम में तीसरे रोल के स्कोर को रिकार्ड करने के लिए किया जाता है और इसका प्रयोग तभी होता है जब खिलाड़ी को 10वें फ्रेम में या तो स्पेयर या फिर स्ट्राइक अवार्ड होता है।
  3. आप और आपके दोस्तों ने जो नियम (Rules) निर्धारित किये होंगे उनके आधार पर आपको खेल में किसी विविधता या बदलाव को चिन्हित करने के लिए भी किसी व्यवस्था को निर्धारित करने की आवश्यकता पड़ सकती है। खेल में कभी-कभी ऐसा भी होता है कि चीजें असामान्य हो जाती हैं—उनको चिन्हित करने के लिए क्या किया जाएगा?
    • जब कोई खिलाड़ी वाक-अप एरिया और वास्तविक लेन के बीच की लाइन को वास्तव में पार कर जाता है तो उसे चिन्हित करने के लिए “एफ” (F) लेटर का प्रयोग किया जा सकता है। यदि कोई खिलाड़ी ऐसा करता है तो उसे उस प्रयास के लिए 0 अंक प्राप्त होते हैं।
    • यदि खिलाड़ी को स्पिलट (split) मिलता है तो पिन सेट-अप को दर्शाने के लिए अंक के पास “ओ” (O) लिखा जाता है। इसके विकल्प के रूप में गिराए गए पिन्स की संख्या के सामने “एस” (S) भी लिखा जा सकता है। स्पिलट तब होता है जब हेड-पिन तो गिर जाता है परंतु शेष पिन्स या उनके समूह जो अभी भी खड़े रहते हैं उनके बीच गैप रह जाता है।
    • यदि हेड-पिन ही मिस हो जाता है तो उसके लिए कभी-कभी “वाइड” (wide) या “वाश-आउट” (washout) जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं। इसको दर्शाने के लिए कार्ड पर “डबल्यू” (W) लिख सकते हैं परंतु आजकल इस परिपाटी का प्रयोग सामान्यतया नहीं हो रहा है। [२]
विधि 2
विधि 2 का 2:

स्कोरिंग

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  1. स्कोर कार्ड में ओपेन फ्रेम दर्शाने के लिए पहले रोल में गिराए गए पिन्स की संख्या को दूसरे रोल में गिराए गए पिन्स की संख्या में जोड़ दिया जाता है। यह फ्रेम के लिए कुल टोटल होता है।
    • बोलिंग में एक रनिंग टोटल लिखा जाता है। प्रत्येक खिलाड़ी का वर्तमान स्कोर जोड़कर हर फ्रेम के लिए निर्धारित बक्से में लिख दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई खिलाड़ी अपने पहले रोल में 3 पिन्स गिराता है और दूसरे रोल में 2 पिन्स तो दोनों को जोड़कर प्राप्त हुए अंक 5 को फ्रेम 1 के लिए निर्धारित बक्से में लिख दिया जाता है। यदि खिलाड़ी दूसरे फ्रेम में कुल 7 पिन्स गिराता है तो फ्रेम 2 के लिए निर्धारित बक्से में 12 (अर्थात 5+7) की संख्या लिखी जाती है।
  2. यदि कोई खिलाड़ी स्पेयर प्राप्त करता है तो पहले बक्से में उसके द्वारा पहले रोल में गिराए गए पिन्स की संख्या लिखी जाती है और दूसरे बक्से में एक स्लैश (slash) लिखा जाता है।
    • एक स्पेयर का अर्थ है 10 पिन्स + खिलाड़ी द्वारा अगले रोल में गिराए गए पिन्स की संख्या। उदाहरण के लिए यदि किसी खिलाड़ी को पहले फ्रेम में स्पेयर मिलता है और उसके बाद वह दूसरे फ्रेम के पहले रोल में 7 पिन्स गिराता है तो उसके लिए फ्रेम 1 में 17 लिखा जाएगा।
  3. यदि किसी खिलाड़ी को एक स्ट्राइक मिलता है तो पहले रोल के लिए निर्धारित बक्से में “एक्स” (x) लिखें।
    • एक स्ट्राइक का अर्थ है 10 पिन्स + अगले 2 रोल्स में गिराए गए कुल पिन्स की संख्या। उदाहरण के लिए यदि किसी खिलाड़ी को फ्रेम 1 में एक स्ट्राइक मिलता है और उसके बाद फ्रेम 2 के पहले रोल मे 5 पिन्स गिराता है और दूसरे रोल में 4 पिन्स गिराता है तो फ्रेम 1 में कुल 19 (10+5+4) लिखें।
    • यदि कोई खिलाड़ी स्ट्राइक के अंतर्गत बोलिंग करते समय दुसरा स्ट्राइक प्राप्त करता है तो उसके अगले रोल में और वृद्धि होती है। इसलिए, यदि किसी खिलाड़ी को फेम 1, 2 और 3 में स्ट्राइक मिलता है तो उसके लिए पहले फ्रेम में कुल 30 का अंक लिखा जाएगा।
  4. कभी-कभी मामला थोड़ा कन्फ़्यूजिंग हो जाता है। हमें सिद्धान्त की कुछ चेकिंग करनी चाहिए: यदि आप पहले फ्रेम में स्ट्राइक पाते हैं, दूसरे फ्रेम में एक स्पिलट (7|/) पाते हैं और तीसरे फ्रेम में 9 अंक पाते हैं तो फाइनल स्कोर क्या होगा?
    • क्या आपके अनुसार यह 48 है? पहले फ्रेम के लिए 20 (स्ट्राइक+स्पेयर=10+10), दूसरे फ्रेम के लिए 39 (20+10+9) और तीसरे फ्रेम के लिए 48 (39+9) होगा।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • कागज़
  • पेन / पेंसिल l
  • बोलिंग उपकरण (Bowling equipment)

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