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यदि आप किसी भाषण की, निबंध की, उपन्यास की या अध्ययन गाइड की तैयारी कर रहे हों तो रूपरेखा बनाना अपने विचारों एवं अन्वेषणों को संयोजित करने का एक उत्तम मार्ग है।
चरण
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एक विषय चुनें। आपका काम चाहे विचारात्मक हो, प्रेरक हो, सूचनात्मक हो, अनुसंधान आधारित हो या इन सबका सम्मिश्रण हो आप एक केंद्र बिदु का चयन करें ताकि आपके विचार मार्ग पर ही रहें। [१] X रिसर्च सोर्स
- इस समय यही उचित है कि, एक विशिष्ट विषय तक सीमित रहने के स्थान पर, एक व्यापक विषय का चयन किया जाये। उदाहरणतः जब आप शुरू कर रहे हों तो उस समय प्रारम्भ में ही विषय को “द्वितीय विश्वयुद्ध में मारकुइस विद्रोही योद्धाओं के प्रति फ़्रांसीसियों के मनोभाव” पर सीमित करने के स्थान पर आप जर्मन कब्जे के दौरान फ्रांसीसी जीवन पर निगाह डालें।
- आप सर्जनात्मक लेखन, जैसे उपन्यास के लिए भी रूपरेखा बना सकते हैं। आप अभी भी एक विषय पर केन्द्रित होना चाहेंगे (जैसे स्टीमपुंक द्वारा हैमलेट कि पुनर्कल्पना)। आपके पास शोध प्रबंध तो नहीं होगा परंतु रूपरेखा उपन्यास की संरचना बना देगी (जैसे प्रमुख घटनाएँ)
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अपने कार्य के बड़े उद्देश्य का पूर्वनिर्धारण करें। लक्ष्य का निर्धारण न केवल आपके विषय को दिशा प्रदान करेगा अपितु आपके लेखन को तार्किक संरचना भी देगा। यदि आप एक औपचारिक निबंध लिख रहे हों तो पहले उसकी अभिव्यक्ति लिखें जो उसका उद्देश्य बता सके अन्यथा आपको अपने कार्य से यह निर्धारण करना होगा कि आप क्या कहना चाह रहे हैं।
- यदि आप दो चीजों की समानता एवं वैषम्य देख सकते हैं तो इसका अर्थ है कि आप कड़ियाँ जोड़ रहे हैं और समालोचनात्मक विचारधारा से (समान्यतः) दोनों चीजों का विशलेषण कर रहे हैं। यह संक्षिप्तीकरण से तो कुछ अधिक ही होगा परंतु इसके लिए बहुत अधिक बाह्य अनुसंधान की आवश्यकता नहीं होगी। [२] X विश्वसनीय स्त्रोत University of North Carolina Writing Center स्त्रोत (source) पर जायें
- कारण एवं प्रभाव दिखाये। दिखाये कि कोई चीज़ क्यों होती है (ऐतिहासिक निबंधों के लिए विशेषकर, क्योंकि आप ऐसा कुछ देख सकते हैं जो हुआ तो इतिहास में है परंतु उसका प्रभाव बाद की घटनाओं पर है)।
- किसी विशेष पक्ष अथवा संकल्पना को परिभाषित या विश्लेषित करें। उदाहरण के लिए आप नारीवाद को लें तो, उस शब्द का इतिहास, नारीवाद के विभिन्न प्रकार और अलग अलग समूहों के लिए उसका अर्थ क्या है, की चर्चा कर सकते हैं।
- बहस के एक पक्ष को दिखाएँ (और दूसरे पक्ष को भी प्रस्तुत करें या कम से कम उसे संबोधित तो करें)।
- साक्ष्य प्रस्तुत करें तब निर्णय पर पहुँचें। सदैव ही, जब आप कोई निबंध लिखें तो अपने निर्णयों को तथा शोध प्रबंध के वक्तव्यों को विशिष्ट साक्ष्यों से पूर्तिकर करें। तब भी जब आप व्यक्तिगत निबंध, प्रेरक निबंध (विशेषकर प्रेरक निबंध) अथवा सर्जनात्मक निबंध लिख रहे हों।
- सहायक सामग्री एकत्रित करें। कार्य की प्रकृति के अनुसार, यह हो सकते हैं, उद्धरण, आंकड़े, सिद्धान्त, छवियाँ, विषय बिन्दु, अथवा वैयक्तिक विचार। सुनिश्चित करें कि ये चीज़ें आपके लेखन को संबल प्रदान करें और यदि इनसे असंगत साक्ष्य और विचार भी प्राप्त होते हैं तो उनकी उपेक्षा करने के स्थान पर आप यह बताएं कि वे गलत क्यों हैं।
- अपने अभिकथनों को साक्ष्यों, सनदों व उदाहरणों से विस्तारित करें। अपने लेख के ढांचे को मजबूती देने के लिए और संभावित भूलों को पहचानने हेतु साक्ष्यों का उपयोग करें।
- यदि आप एक उपन्यास के लिए सहायक सूचनाएँ ढूंढ रहे हैं तो (चूंकि यह एक शास्त्रीय रूपरेखा से थोड़ी भिन्न होंगी) परिस्थितियों, चरित्रों, कपड़ों, भोजन आदि की जानकारी पाना महत्वपूर्ण है। आप चाहते हैं कि आपकी कहानी यथासंभव मुमकिन लगे।
- सुनिश्चित करें कि जब आप रूपरेखा के लिए सूचनाएँ नोट कर रहे हों आप उन किताबों कि पृष्ठ संख्या भी नोट कर लें जहां से आप सूचनाएँ प्राप्त कर रहे हों। इससे जब आप रूपरेखा की संरचना कर रहे होंगे तो वापस जा कर उनको देखना आसान होगा।
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अपने प्रकार की रूपरेखा का चयन करें। विषयपरक रूपरेखा यदि लचीली हो तो उसमें छोटे, सामान्य मुहावरे बहुत उपयोगी होते हैं; वाक्य रूपरेखा में पूरे वाक्यों का प्रयोग होता है और जटिलताएँ एवं विवरणों का ध्यान रखा जाता है। [३] X रिसर्च सोर्स http:// www.lavc.edu/Library/outline.htm
- रूपरेखा का प्रारम्भ, एक ऐसी विषयबद्ध रूपरेखा की तरह करें जिसमें संरचनात्मक लचीलापन हो तथा बाद में उसे वाक्य रूपरेखा में बदल दें।
- दोनों में इसके सिवा कोई विशेष अंतर नहीं है कि बाद वाली में से वाक्य को आप सीधे अपने लेख अथवा प्रस्तुतीकरण में इस्तेमाल कर सकते हैं।
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निर्धारित करें कि सहायक साक्ष्यों को कैसे क्रमबद्ध करना है। आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे आपके बड़े उद्देश्य को सहायता दें। आप यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि आप उनको सबसे प्रभावशाली ढंग से क्रमबद्ध कर रहे हैं। अर्थात सबसे पहले सबसे मजबूत साक्ष्य और तत्पश्चात यह सुनिश्चित करना कि शेष साक्ष्यों के सभी भाग एक दूसरे के साथ सहज रूप से आयें। [४] X रिसर्च सोर्स
- उदाहरण के लिए यदि आप एक ऐतिहासिक विहंगावलोकन प्रस्तुत कर रहे हों तो आप चाहेंगे कि सभी चीज़ें कालानुक्रम से क्रमबद्ध हों; यदि आप साहित्यिक व्याख्या के लिए तर्क कर रहे हों तो आप थीम के अनुसार क्रमबद्ध करना चाहेंगे; यदि आप कुछ ठानने के पहले दोनों पक्षों के तर्कों की तुलना करना चाहते हैं और तब उसकी छंटाई विपरीत तर्कों के आधार पर ठोस तरह से करना चाहते हैं।
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मुख्य श्रेणियों की पहचान करें। कार्य के बड़े उद्देश्य तथा उपलब्ध सहायक सामग्रियों की प्रकृति के अनुसार, निर्धारित करिए कि आप बड़े विषय को किस सर्वश्रेष्ठ विधि से तार्किक श्रेणियों में विघटित कर सकते हैं। यह आपकी रूपरेखा का प्रथम स्तर होगा जिसे परंपरागत रूप में रोमन अंकों से लेबल किया जाता है (I, II, III, IV आदि)
- निबंध लिखते समय समान्यतः एक श्रेणी को एक अनुच्छेद दिया जाता है: I. परिचय अनुच्छेद, II. पहला तात्विक अनुच्छेद इत्यादि
- उदाहरणतः: यदि कार का ऐतिहासिक विहंगावलोकन प्रस्तुत कर रहे हों तो, प्रत्येक श्रेणी कार के इतिहास का एक मुख्य युग समाविष्ट करेगी।
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प्रत्येक श्रेणी के लिए कम से कम दो बिदु सोचें। लेख के उद्देश्य एवं सहायक सामग्री जो आपने पहले एकत्रित की थी, उसके आधार पर इन उप बिदुओं को चुनें। यह आपकी रूपरेखा के द्वितीय स्तर की संरचना करेंगे, जिसको पारंपरिक रूप से अङ्ग्रेज़ी वर्णमाला के अक्षरों से लेबल किया जाता है (A, B, C, D इत्यादि)।
- पहले स्तर को पार करके रूपरेखा के द्वितीय स्तर को हाशिये पर लाएँ।
- उदाहरणतः: यदि कार का ऐतिहासिक विहंगावलोकन प्रस्तुत कर रहे हों तो, प्रत्येक बिन्दु उस युग के विशिष्ट इंजन मौडेल के संबंध में हो सकता है।
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आवश्यकता होने पर अपने बिदुओं को उपबिन्दुओं की मदद से विस्तारित करें। यह आपके निबंध की तार्किकता को बढ़ाएगा। इसको अपनी रूपरेखा के तीसरे स्तर पर रखें जिसको पारंपरिक रूप में अंकों से लेबल किया जाता है (1, 2, 3, 4 आदि)।
- यदि आपको अपनी रूपरेखा में एक और स्तर की गहराई तक जाना हो तो रोमन अंकों के नीचे वाले केस का प्रयोग करें (i, ii, iii, iv आदि) उसके बाद अक्षरों के नीचे वाले केस (a, b, c, d आदि) और अंत में अंकों पर आयें (1, 2, 3, 4 आदि)।
- यह असंभाव्य है कि आपको रूपरेखा में 4 से अधिक स्तरों की आवश्यकता पड़े। परंतु यदि ऐसा हो तो बिदुओं को मिलाने का प्रयास करें।
- उदाहरणतः: कार के ऐतिहासिक विहंगवलोकन के प्रस्तुतीकरण में हर उपबिन्दु पर इंजन के उस मौडेल में हुये एक तकनीकी नवोन्मेष की चर्चा करें।
सलाह
- रूपरेखा संक्षिप्त और सरल हो। यह आवश्यक नहीं है कि यह पूर्णतः सुसंस्कृत लेखन हो; इसे बस मुद्दा समझाने योग्य होना है।
- जब आप अपने विषय पर अधिक शोध करते हैं और अपने लेखन को मुद्दे पर केन्द्रित कर संकुचित करते जाते हैं तब अप्रासंगिक सूचनाओं को हटाने में संकोच न करें।
- रूपरेखाओं को याद दिलाने के साधन के रूप में प्रयोग करें। संकल्पना को सक्रिय करने हेतु संक्षिप्त शब्दों का प्रयोग करें।
- कंप्यूटर का प्रयोग करें। अनेक कंप्यूटर रूपरेखा साधन उपलब्ध कराते हैं। इससे सूचनाओं को शीघ्रतापूर्वक जोड़ा, निकाला अथवा पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है।
- जब आप माइक्रोसौफ्ट वर्ड में रूपरेखा बनाना प्रारम्भ करते हैं, तो उसमे स्वचालित हाशिये बनाने का विशेष गुण है जो वह आपकी रूपरेखा पर लागू कर देता है। यदि आप अपनी हाशिया प्रणाली पर काम करना चाहते हैं तो पढ़िये के कैसे वर्ड में रूपरेखा टेक्स्ट बनाएँ।
- प्रत्येक स्तर के उपरांत अपनी रूपरेखा के प्रत्येक स्तर पर पिछले स्तर से भिन्न 0.5 इंच से 1 इंच (1.3 से 2.5 से॰ मी॰) के हाशिये बनाएँ।
- हाशियों की बढ़त हर स्तर पर समान रखें और ध्यान रहे कि .5 इंच (1.3 से॰ मी॰) के बाद 1 इंच (2.5 से॰ मी॰) का और उसके बाद .75 इंच (1.9 से॰ मी॰) का हाशिया न बनाया जाये।
चेतावनी
- आपकी रूपरेखा दूसरे रूप में आपका निबंध नहीं होना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप केवल अपने मुख्य अभिकथन ही लिख रहे हैं और विशिष्ट विवरणों/उदाहरणों को ही उपनामित कर रहे हैं। रूपरेखा संक्षिप्त होनी चाहिए।
- रूपरेखा पर ध्यान दीजिये क्योंकि वह लेख को तार्किक रूप से संरचित करने में आपकी सहायता करेगी। अनेक निबंध इस लिए डूब जाते हैं क्योंकि उनकी सामान्य संरचना तथा संगठन निर्बल होता है।
- सामान्यतः रूपरेखा के किसी भी स्तर पर केवल एक बिदु अथवा उपबिंदु न होने दें। यदि वहाँ पर A है तो जटिलता को बढ़ाने के लिए वहाँ संभवतः आपको B की भी आवश्यकता होगी।
रेफरेन्स
- ↑ https://owl.english.purdue.edu/owl/resource/544/02/
- ↑ http://writingcenter.unc.edu/ handouts/ comparing-and-contrasting/
- ↑ http:// www.lavc.edu/Library/outline.htm
- ↑ http://www.albany.edu/eas/170/outline.htm