आर्टिकल डाउनलोड करें आर्टिकल डाउनलोड करें

सभ्य बनना मतलब शिष्ट बनना है, यह एक ऐसी बात है, जिससे आपके शिष्टाचार का पता चलता है; इसका मतलब हर एक व्यक्ति की भावनाओं को समझने, संस्कृति और धारणाओं का सम्मान करने से है। बहुत सारे लोगों के लिए यह गुण पाना बहुत ही कठिनाई भरा काम है, वहीं कुछ लोग इसे एक चुनौती समझते हैं। कुछ लोगों को सभ्य बनने में कोई दिलचस्पी ही नहीं होती, हो सकता है, आपके मन में भी सभ्य बनने का ख्याल पैदा हो रहा हो, और आपने शिष्टाचार सीखने के बारे में सोचना शुरू कर दिया हो। तो इसके लिए आप खुद को आक्रामक होने से बचाने के तरीकों के बारे में जानना चाह रहे होंगे। सभ्यता से आपके मित्र बनाने के रास्ते भी खुलेंगे।

विधि 1
विधि 1 का 2:

साधारण सभ्यता

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है, कि आप ज़्यादा ही नम्र बनने के चक्कर में लोगों को असहज महसूस कराने लगें। इसका अर्थ यह है, कि जब कभी आप किसी को कोई चीज़ का प्रस्ताव दें या फिर किसी से कोई निवेदन करें, तो ऐसे में उन पर बहुत ज़्यादा दबाव ना बनाएँ और उन्हें ऐसा ना महसूस होने दें, कि उन्हें आपके निवेदन को स्वीकार करना ही है।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप किसी से बात कर रहे हैं, तो अपनी बात रखना और अपने विचार प्रस्तुत करना एक अलग बात है, लेकिन अपनी विचारों को मानने का दबाव उन पर बनाना बिल्कुल भी उचित नहीं है, या फिर किसी विषय पर किसी के विचारों से असहमत होने पर उसका विरोध करना शुरू कर देना कहाँ का विचार है।
    • इस के साथ ही यदि आप किसी को लंच का प्रस्ताव दे रहे हैं, या फिर घर में बर्तन धोने का प्रस्ताव दे रहे हैं, तो बहुत ज़्यादा भी आग्रह ना करें। यदि कोई व्यक्ति कहता है, कि "नहीं, धन्यवाद, मैं इसे कर सकता हूँ" तो फिर कहें, "कोई बात नहीं, लेकिन मुझे आपकी मदद कर के अच्छा महसूस होगा।" यदि वे अभी भी नहीं ही बोलते हैं, तो फिर इसे बिल्कुल जाने दो। आप बाद में भी उनकी मदद कर सकते हैं।
  2. वे किस तरह से एक-दूसरे से मिलते हैं? किस तरह अभिवादन करते हैं? वे किस तरह के कपड़े पहनते हैं? किस तरह की बॉडी लेंग्वेज रखते हैं? किस तरह की बातें करते हैं? सभ्य होने के अलग-अलग मानक हैं, और यही मानक आपके सभ्य होने और ना होने को तय करते हैं।
    • किसी कार्य-संबंधी डिनर पर या छुट्टियों में, एक शादी में या फिर एक शोक-सभा में, अलग-अलग तरह के शिष्टाचार और औपचारिक व्यवहार की ज़रूरत होती है, जिसकी जरूरत शायद आपको अपने दोस्तों के साथ ना पड़े।
  3. शिष्ट बनें : हमेशा विनम्रता से ही पेश आएँ, जैसे कि यदि इस व्यक्ति से दोबारा कभी आपकी मुलाकात होती है, तो कम से कम वह आपकी अच्छी यादों के साथ ही आपसे मिले। यदि कोई आपको परेशान करता है, या फिर आपका अपमान करता है, तो किसी भी तरह की बहस में ना पड़ें। सहमति या असहमति भी ना दर्शाएँ, और विनम्रता पूर्वक चर्चा के विषय को ही बदल दें या फिर वहाँ से बाहर निकल जाएँ।
  4. उस व्यक्ति के बारे में कोई सवाल कर के बातचीत की शुरुआत करें: जहाँ तक हो सके, अपने बारे में कम ही बताएँ—यदि वो आपके बारे में कुछ जानना भी चाहते होंगे, तो आपसे पूछेंगे। आश्वस्त और प्यारे बने रहें। बातचीत के विषय को इतना भी ना खींचें, कि वह अशिष्ट और अभिमान से भरपूर सा लगने लगे। एकदम रोचक दिखें और उस के जवाब को सुनने का प्रयास करें।
    • जब वे कुछ बोल रहे हों, तो कमरे में यहाँ-वहाँ या फिर उस व्यक्ति के कंधों की ओर ही ना देखते रहें, या फिर अपना ध्यान, कमरे में आए किसी भी नए व्यक्ति की ओर ना लगा कर रखें। यह आपके विचलन या सामने वाले की ओर आपकी दिलचस्पी में कमी को दर्शाता है—इतना ज़्यादा कि उसे लगने लगता है, कि आप उसकी बातों में ध्यान लगाने लायक ही नहीं हैं।
  5. अपने हाथों को बहुत ही सभ्यता के साथ मिलाएं और ऐसा करते वक़्त अपनी आँखो से अपनी पहचान दें: आपको इसके लिए ज़रा से अभ्यास की ज़रूरत होगी, वरना आपके हाथ, दूसरे व्यक्ति के हाथों से टकरा सकते हैं। शायद इससे उन्हें थोड़ा सा असहज महसूस होने लगे। किसी ऐसी महिला के सामने अपने हाथ हिलाते वक़्त ज़रा सावधान रहें, जिस ने उंगलियों में रिंग पहनी हुई हैं (हो सकता है कि ऐसा करके आप उन्हें चोट पहुंचा दें)। बहुत ज़्यादा दवाब भी आपके लिए बहुत कष्टकर हो सकता है।
    • ऐसे लोगों का भी ध्यान रखें, जो "पुराने ख्यालों वाले हों" किसी भी बड़े-बुजुर्ग के सामने हाथ मिलाने के हाथ आगे ना कर दें, हमेशा उनके सामने हाथ जोड़ कर नमस्कार करें। यदि आप एक महिला हैं, तो फिर किसी बुजुर्ग महिला की ओर हाथ बढाएं या फिर यदि आप एक पुरुष हैं, तो अपने से बड़े किसी पुरुष के सामने हाथ बढाएं। हमेशा पहला अभिवादन करने की कोशिश करें, और उनकी तरफ से हाथ बढ़ाए जाने का इंतज़ार करें। यदि आप एक बुजुर्ग इंसान या फिर एक महिला हैं, तो ध्यान रखें, कि यदि कोई आप की ओर हाथ बढाता है और यदि आप अपना हाथ आगे नहीं कर रहे हैं, तो ऐसा करके, आप उसका अपमान कर रहे हैं, और उसके अंदर आपके द्वारा अस्वीकार किए जाने की भावना उत्पन्न होने लगेगी या फिर उसे लगेगा कि उसे आपके साथ हाथ मिलाने का अधिकार नहीं है। ज़रा सा सतर्क रहें।
    • ऐसे किसी के भी पीछे ना पड़ें, जिसने पहले से ही अपने हाथ सिकोड़ लिए हों। यह उस पर दवाब बनाने जैसा लगने लगेगा। यदि आप किसी की तरफ अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो चेहरे पर मुस्कान ले कर, उसके साथ ऑय कांटेक्ट बना, स्वागत भरी मुद्रा में (अपनी कोहनी को हल्का सा झुका कर) अपना हाथ आगे बढाएं।
  6. नैपकिन को अपनी गोद में रखें, और टेबल पर ऐसा कुछ भी ना रखें, जो पहले से वहाँ पर मौजूद नहीं था (जैसे कि मोबाइल फ़ोन, ग्लास या कोई गहने)। अपने पर्स को अपने पैरों के बीच रखे। महिलाओं को टेबल पर मेकअप (लिपस्टिक ठीक करना, शीशे में खुद को देखना) ठीक ना करने की सलाह दी जाती है। यह बहुत ही असभ्य लगता है और आपमें शिष्टता की कमी को दर्शाता है। यदि आप अपना मेकअप ठीक करना चाहतीं हैं, तो रेस्टरूम में जा कर ही करें।
  7. लाउड ना होते हुए, ऐसे हँसे, जिससे लोगों को आपके मजाकिया होने का पता चले: बहुत ज़्यादा लाउड होना आपकी अशिष्टता और असुरक्षा को दर्शाता है। एक मजाकिया सभ्य इंसान अन्य लोगों को भी अच्छा महसूस कराता है। अन्य लोगों के विचारों और ज़रूरतों को भी ध्यान में रखने की कोशिश करें। किसी भी तरह की राजनीतिक, सभ्यता से जुड़े हुए या धार्मिक मुद्दों पर कोई भी ग़लत बात ना करें।
  8. किसी भी परिस्थिति में खुद को शांत रखें। लोग आपके इस सांकेतिक आकर्षण के ऊपर ध्यान देंगे और आप की मदद भी करेंगे।
  9. शिष्टाचार और सभ्यता ये दोनों ही संस्कृति पर निर्भर करते हैं.. .तो किसी भी स्थानीय बात पर टिप्पणी करने के लिए, पहले ज़रा सी छानबीन कर लें!
विधि 2
विधि 2 का 2:

सभ्य प्रतिक्रिया देना

आर्टिकल डाउनलोड करें
  1. किसी भी परिस्थिति पर उचित रूप से प्रतिक्रिया दें: अलग-अलग सभ्यताओं में शिष्टता पूर्वक बात करने के लिए अलग-अलग तरह के मानक हैं। किसी की बातों को अच्छे से सुनना, फिर, बिना कोई निंदा पूर्वक टिप्पणी किए, बिना अपमान किए या बिना ज्यादा औपचारिक बने और सभ्यता पूर्वक सोच-समझ कर जवाब देना शामिल है। यहाँ पर कुछ उदाहरण मौजूद हैं:
  2. अपने सहकर्मियों का नाम लेकर अभिवादन करें। और किसी के द्वारा किए अभिवादन पर सभ्यता से प्रतिक्रिया करें। उदाहरण के लिए:
    • "गुड मॉर्निंग, जया"
      • "गुड मॉर्निंग, अभिषेक"
    • इन उदाहरणों में अभिवादन को बहुत छोटा रखा गया है। यहाँ कुछ और उदाहरण मौजूद हैं, जिसे ज़रा सा बढ़ाया गया है:
    • "गुड मॉर्निंग, जया, कैसी हो?"
      • "थैंक यू अभिषेक, मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो?"
    • यदि आप अपने सहकर्मियों से ऊपर के किसी व्यक्ति को अभिवादन कर रहे हैं—शायद आपके बॉस, या कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति या फिर ऐसा कोई भी, जिस से आप बहुत ज़्यादा बात ना करते हों, तो जहाँ तक हो सके, इसे बहुत फॉर्मल रखें। उदाहरण के लिए:
    • "गुड मॉर्निंग जया"
      • "गुड मॉर्निंग मिस्टर अभिषेक"
    • यदि मिस्टर अभिषेक आपसे कहते हैं, कि "मुझे सिर्फ़ अभिषेक बोलो", तो फिर ऐसा ही करें। लेकिन जब तक आपसे ऐसा ना कहा जाए, तब बिल्कुल भी ऐसा ना करें।
  3. फ़ोन का शिष्टाचार पूरी तरह से परिस्थिति पर निर्भर करता है। यदि आप बिज़नेस संबंधी कोई बात कर रहे हैं, तो यह पूरी तरह आपकी स्थिति पर निर्भर करेगा। किसी ग्राहक के साथ की जाने वाली बात में कुछ ये उदाहरण शामिल हैं:
    • "हेलो, एबीसी कॉर्पोरेशन, मैं मिस्टर अभिषेक बोल रहा हूँ। आज मैं आपकी किस तरह से मदद कर सकता हूँ?"
  4. किसी भी कॉल का जवाब चिल्लाकर ना दें। बस ज़रा से अभ्यास से आप सभ्यता से बात करना सीख सकते हैं, जैसे:
    • "सेल्स।" यहाँ पर ज़्यादा से ज़्यादा फ़ोन के जवाब रोबोट के ज़रिए होते हैं। और ये रोबोट सामने लाइन पर मौजूद व्यक्ति के हर सवाल का जवाब देता है। यहाँ पर एक बेहतर प्रस्ताव दिया है:
    • "सेल्स, मैं मोहित बोल रहा हूँ। बताइए मैं किस तरह से आपकी मदद कर सकता हूँ?"
  5. यह एक आम स्थिति है, जिस में हमेशा हर कोई कंफ्यूज़ रहता है, कि कौन बोल रहा है और किसे पहले बोलना चाहिए। यहाँ पर कुछ निर्देश दिए गए हैं। [१]
    • औपचारिक परिस्थिति। औपचारिक परिस्थिति में आप ना सिर्फ़ लोगों का परिचय देते हैं, बल्कि उन्हें प्रदर्शित करते हैं। यहाँ पर इस के तरीके मौजूद है:
    • कम उम्र या कम संपन्न लोगों को अक्सर बड़ी उम्र के या ज्यादा संपन्न लोगों का परिचय देना होता है:
      • "मिस्टर बासु क्या मैं मिस्टर गांगुली का परिचय करा सकता हूँ?"
    • एक सभ्य व्यक्ति हमेशा ही महिलाओं का परिचय देता है:
      • " मिस्टर बासु क्या मैं मिस जया का परिचय करा सकता हूँ?"
    • प्रधानमंत्री, पंडितों, और अधिकारीयों को, उन की उम्र, लिंग (सेक्स) या स्थिति के हिसाब से प्रस्तुत किया जाता है:
      • "श्रीमान प्रधानमंत्री जी, मेरे लिए आपका परिचय देना बेहद सम्मान की बात है।"
    • अनौपचारिक परिस्थितियां। अनौपचारिक परिस्थितियों के दिशानिर्देश भी कुछ औपचारिक परिस्थितियों के जैसे ही होते हैं—छोटा हो या बड़ा, कम संपन्न हो या ज्यादा, पुरुष हो या महिला—लेकिन आप सामाजिक विचारों की परवाह किये बिना भी कभी-कभी भी इन के साथ बातें कर सकते हैं! इसके साथ ही आप एक दूसरे का "परिचय" भी दे सकते हैं, जैसे:
      • "श्रीमान गुप्ता जी, क्या मैं अकाउंटिंग डिपार्टमेंट से, श्रीमान सिंह का परिचय दे सकता हूँ?" इसके अलावा दो लोगों के नामों का आदान-प्रदान भी अच्छी तरह से काम करेगा:
      • "श्रीमान गुप्ता जी, श्रीमान सिंह।" हालाँकि यहाँ पर किसी भी तरह का औपचारिक प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है। अपने से बड़े लोगों का नाम एक सवाल के रूप में बोला जा सकता है और अपने से छोटों का नाम एक साधारण से वाक्य में लिया जा सकता है: "श्रीमान गुप्ता जी? श्रीमान सिंह।"
    • जब कभी भी आपका परिचय हो, तो इस के बाद में "आप कैसे हैं?" सब से सभ्य अभिव्यक्ति होगी।
    • मिस्टर मल्होत्रा, क्या मैं मिस शर्मा का परिचय दे सकता हूँ?" मिस शर्मा कहेंगी "आप कैसे हैं।" मिस्टर मल्होत्रा अपने अनुसार प्रतिक्रिया देंगे।

सलाह

  • कृपया और धन्यवाद बोलते रहें।
  • जब भी कोई किसी और से बात कर रहा हो, या फिर आपसे ही बात कर रहा हो, तो उसे बात करते वक़्त बीच में ना टोके।
  • अपने नौकरों के साथ भी सभ्यता से पेश आएँ (और यदि आप होस्ट हैं, तो अपने अनुसार उन्हें कुछ टिप भी दें)।
  • झूठ बोलते हुए पकड़े जाने से बेहतर है कि आप झूठ बोलें ही ना, ईमानदार रहें।
  • अपनी कोहनी को टेबल पर ना रखें या नमक की डिब्बी या पानी का ग्लास उठाने के लिए लोगों पर से ना गुजरें। हमेशा अन्य लोगों से इसे आपको देने का कहें।
  • परिस्थिति के हिसाब से ही अपने व्यवहार को भी बदल लें। यही बात आप के कपड़ों के लिए भी लागू होती है। आप किसी सामाजिक पार्टी से अलग अपने परिवार की पार्टी में ज़रा सा बचकाना व्यवहार भी रख सकते हैं। और यही निर्देश आप के पहनावे पर भी लागू होते हैं। यदि आप को नहीं मालूम कि आप किस तरह की पार्टी में जा रहे हैं, तो आप पूछ सकते हैं, कि आखिर यह किस तरह की पार्टी है, ताकि आप उसी ढंग से तैयार होकर आ सकें। इससे ज्यादा बुरा और क्या होगा जब आप किसी पूजन विधि में जींस पहन कर चले जाएँ।
  • जब तक कि आप जिसके भी साथ में, मौजूद हैं वह खुद सामने से आप से मदद ना मांगे, तब तक अपनी ओर से कुछ भी ना करें।
  • यदि किसी ने आपके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, तो उसे वापस निवेदन ना करें। इस तरह से ऐसा लगेगा कि आप किसी भी बात के जवाब में ना नहीं सुन सकते।
  • सामने मौजूद व्यक्ति को सम्मान देना ना भूलें।
  • हर किसी के साथ एक जैसा व्यवहार करें, फिर वह कैसा दिखता है, कहाँ से है, यह कोई मायने नहीं रखता।

रेफरेन्स

विकीहाउ के बारे में

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो १०,३७३ बार पढ़ा गया है।

यह लेख ने कैसे आपकी मदद की?