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शिष्ट बने रहने के लिए कहना आसान है मगर बने रहना कठिन है। एक तो दिन वैसे ही कठिन और उस पर अनजाने लोगों से मुसकुराते हुये, बस यूं ही “कृपया” तथा “धन्यवाद” कहते रहना तो बस अति ही है। लेकिन ऐसा करना ही क्यों ? क्योंकी, शिष्टता लोगों को अच्छी लगती है और अच्छे संबंध बनाने में सहयोग देती है। और इतना ही नहीं, यह आपको वह सब पाने में सहायता करती है, जो आप पाना चाहते हैं, क्योंकि यदि आप शिष्ट हैं तो लोग आपकी मदद करने को अधिक प्रवृत्त होते हैं। आगे पढ़िये कि शिष्ट होना कैसे प्रारम्भ करें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

दिनचर्या में शिष्टता

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  1. मुस्कुराहट से लोग यह जान पाते हैं कि आप हंसमुख हैं। व्यक्ति कि आँखों में आँखें डालिए और चाहे मुस्कुराइए अथवा ठहाका लगाइये, दोनों में से आप क्या करते हैं, इससे अंतर नहीं पड़ता है। इससे मिलन की मनोदशा स्थापित होती है और आम तौर पर यह अन्य व्यक्ति को भी, जवाब में, मुस्कुराने को प्रेरित करता है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो समझिए कि शायद उनका दिन ठीक नहीं जा रहा है। यह भी है कि शिष्ट होने पर आपको सदैव सकारात्मक प्रतिउत्तर ही नहीं मिलेगा, परंतु समान्यतया इससे मदद मिलती है।
    • मुस्कराइए, जब आप सड़क पर लोगों के पास से निकलें तब, जब आप किसी दुकानदार से कुछ खरीदें तब, जब आप सुबह स्कूल पहुँचें तब या अन्य किसी भी समय जब आप किसी से नज़रें मिलाएँ तब।
    • जब आप उदास हों तब भी मुस्कुराइये। जब आप खराब मनोदशा में हों तब भी शिष्ट रह सकते हैं। अपनी नकारात्मक ऊर्जा क्यों दूसरों तक प्रसारित की जाये?
    • यदि आप खराब मनोदशा में हों और लोगों की बातें नहीं सुनना चाहते हों तब संगीत सुनें, चित्रकारी करें या ऐसा कुछ करें जिसमें आपको आनंद आता हो ताकि आप दूसरों के साथ रुखाई से पेश न आयें या अविनीत न हो जाएँ (अनचाहे ही सही)।
  2. जब आप किसी के करीब से निकलें, चाहे अनजाने के ही, तो सीधी सादी “हैलो” या “हाइ”, अथवा उनकी दिशा में गर्दन झुका के या हाथ के इशारे से उनकी उपस्थिति स्वीकार करें। लोगों को यह जताना, कि आप उनको देख सकते हैं, अच्छी बात है; लोगों को लगता है कि वे कुछ विशेष हैं।
    • यदि आप एक भीड़ भरे शहर में से निकल रहे हों तो हर उस व्यक्ति की, जिसके निकट से आप निकलें, उपस्थिति स्वीकार कर पाना मुश्किल हो सकता है। परंतु कम से कम उन लोगों से तो, जो आपके निकट बस या हवाईजहाज़ में बैठे हों, या जो अचानक आपसे टकरा जाएँ, आप शिष्ट हो ही सकते हैं।
    • जब आप सुबह अपने स्कूल या कार्यस्थल पर पहुँचें तो अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों या सहकर्मियों से “शुभ प्रभात” कहें। शीघ्र ही आप एक शिष्ट व्यक्ति के रूप में विख्यात हो जाएंगे।
  3. दख़लअंदाज़ी या हस्तक्षेप के बिना, समय निकाल कर, लोगों से पूछिये कि उनके जीवन में क्या चल रहा है। यदि वे बात करने में हिचकिचाते हुये लगें, तो जितना वे बताना चाहते हैं उससे अधिक बताने के लिए उनपर दबाव न डालें।
  4. जब और लोग आपसे बात कर रहे हों तब उनकी बात को सुनिए। अन्य व्यक्तियों के वृत्तान्त एवं अभिमत की अवहेलना करना शिष्टता नहीं है। उन्हें बोलने का समय दीजिये, ठीक उसी तरह, जैसे विपरीत परिस्थिति में आप बोलना चाहेंगे।
    • यदि आप किसी को अशिष्ट अथवा अभद्र होते हुये पाएँ, तब न तो कभी भी अपना हाथ अपने मुख पर मत रखिए और न ही अशिष्ट भंगिमा बनाइये। केवल उन्हें अपनी बात समाप्त कर दूसरे विषय पर आने की प्रतीक्षा करें।
    • शिष्ट होने का अर्थ यह नहीं है कि आप स्वयं को परेशान होने देंगे। यदि आप किसी अनजान व्यक्ति से बात प्रारम्भ करके, यह पाते हैं कि आप को बेचैनी होने लगी है, तो क्षमायाचना कर वहाँ से चले जाने में ही भलाई है।
  5. सदैव “कृपया”, “धन्यवाद” एवं “आपका स्वागत है” जैसे शब्दों का प्रयोग करें। धैर्यवान, चौकस एवं विचारशील रहिए। सभी का सम्मान करें, यहाँ तक कि उनका भी जिन्हें आप जानना भी नहीं चाहते हैं।
    • यदि कोई आपकी राह में हो तो ”हटिए” कहने के स्थान पर “क्षमा कीजिएगा” कहना न भूलें। लोग वह धूल नहीं हैं जिस पर आप गंदगी कर सकते हैं, वे आपकी ही तरह जीवित प्राणी हैं। यदि आप किसी का सम्मान करेंगे तो आम तौर पर वह भी वैसा ही करेगा।
    • यदि आप सार्वजनिक परिवहन में हों एवं कोई वृद्ध, निःशक्त अथवा गर्भवती महिला उसमें चढें तो अपना स्थान उनको प्रस्तावित करें। यह शिष्टता है।
    • यदि आप देखते हैं कि किसी से कुछ गिर गया है और उसे उठाने में अथवा किसी को ऊंची शेल्फ से सामान निकालने में, मदद की आवश्यकता है, तो उसकी सहायता करें।
  6. यदि आप वास्तव में शिष्ट होना चाहते हैं तो आपको पशुओं से भी शिष्ट होना पड़ेगा। उनको सताएँ नहीं और न ही उन्हें यंत्र मात्र समझ कर उनसे मनमाना व्यवहार करें। अन्य जीवों की भांति पशु भी सम्मान के पात्र हैं।
    • कभी भी किसी पशु को, चाहे वह आपका पालतू हो, किसी और का पालतू हो, भटका हुआ हो अथवा जंगली हो, जाने अनजाने चोट न पहुंचाएँ।
    • अपने मनोरंजन के लिए कभी किसी पशु को सताएँ नहीं। यह कीड़ों, मकोड़ों, चूहों, चिड़ियों, गिलहरियों, मछलियों और मिलने वाले अन्य सभी जीवों के लिए लागू है।
    • यदि आप अपने घर में किसी पशु अथवा कीड़े को पाते हैं तो सहृदयता से उसको बाहर करें अथवा उनकी संख्या कम करें।
विधि 2
विधि 2 का 3:

जिन्हें आप जानते हैं उनसे शिष्टता बरतें

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  1. जब आपके मित्र आपसे सुझाव मांगें अथवा केवल बात चीत ही करना चाहें तो नकारात्मक अथवा छिद्रान्वेषी मत बनिए। किसी भी स्थिति में सकारात्मकता को ही ढूंढिए। उनका उत्साहवर्धन करिए। हर परिस्थिति के दो पहलू होते हैं - सकारात्मक पहलू एवं नकारात्मक पहलू। शिष्ट व्यक्ति लोगों को उज्ज्वल पहलू को देखने में सहायता करते हैं।
    • अपने मित्र की उपलब्धियों की प्रशंसा करें। यदि मित्र किसी परीक्षा में अच्छा करता है अथवा कोई पुरस्कार प्राप्त करता है तो उसे बधाई दीजिये।
    • अपने मित्र की प्रशंसा करें। यदि आपकी एक मित्र है जिसे अपनी केशराशि अच्छी नहीं लगती है तो उसे बताइये कि वह कितनी सुंदर दिखती है और उसकी मृदु मुस्कान की सराहना करिए।
    • कभी कभी लोगों को नकारात्मक भावनाओं को निकालने की जगह चाहिए होती है। आप अति प्रफुल्लित हुये बिना भी, सकारात्मक एवं शिष्ट हो सकते हैं; यह सुनिश्चित करिए कि आपके फ़ीडबैक का लहज़ा, आपके मित्र द्वारा बताए जाने वाली भावनाओं से सुसंगत हों।
  2. क्या आप अपने से भिन्न अथवा “विचित्र” लोगों को नीची नज़र से देखते हैं? स्वयं को दूसरों से बेहतर समझना शिष्टता नहीं है। आप एक व्यक्ति हैं, परंतु हरेक के अपने संघर्ष हैं, और एक दूसरे से शिष्टता प्रत्येक के लिए जीवन बेहतर बना देती है। सबलोग बराबर हैं और जब आप कहते हैं कि आप कितने महान हैं, तो आप दूसरों को नीचा महसूस कराते हैं।
    • आत्मप्रशंसा अथवा अहंकार मत करिए। यदि आपकी वास्तव में कोई बड़ी उपलब्धि है, तो यह गर्व की बात है – परंतु जिन्होंने इसमें आपकी सहायता की है उनकी उपस्थिति को स्वीकार करें।
    • जब तक आप लोगों को जानें नहीं, उनका मूल्यांकन मत मत करें। इस आधार पर लोगों के संबंध में अवधारणाएँ न बनाएँ कि वे दिखते कैसे हैं अथवा बोलते कैसे हैं। जान लीजिये, कि प्रथम प्रभाव सदैव ही सत्य नहीं प्रकट करता है।
  3. कुछ पाने के लिए शिष्ट मत बनिए। यदि आप केवल इसलिए शिष्ट बनना चाहते हैं कि आपको बेहतर व्यवहार मिले, तब यह शिष्टता के बिलकुल विपरीत है, यह छल, छिछोरापन और नृशंसता है। शिष्ट इसलिए बनिए ताकि जब आप पीछे मूड कर अपने जीवन को देखें, तो पाएँ कि आप एक शिष्ट व्यक्ति थे, चाहे हालात जैसे भी रहे हों। इसलिए शिष्ट बनिए, क्योंकि आप स्वेच्छा से ऐसा करना चाहते हैं।
  4. लोगों के संबंध में बातें मत करिये और न ही चुगली करिये। लोगों के सम्मुख शिष्ट बने रहने पर आप उनका विश्वास जीत लेते हैं और यदि आप पीठ पीछे उनके संबंध में चर्चा करते हैं तो यह विश्वासघात है। जिनको आप पसंद नहीं करते हैं उनके बारे में अफवाहें न फैलाएँ। यह दुष्कर्म है जो आपको शिष्ट नहीं, छिछोरा बनाता है।
  5. रोज़मर्रा की छोटी छोटी बातें जैसे किसी अनजान अध्यापक के लिए दरवाजा पकड़ कर रखना, किसी ऐसे व्यक्ति के लिए मुसकुराना जिसका व्यवहार आपसे अच्छा नहीं रहा हो – लगता है, कि महत्वपूर्ण नहीं हैं परंतु अंततोगत्वा इनको करने से आप अत्यंत शिष्ट व्यक्ति प्रतीत होते हैं।
  6. सबके साथ एक जैसे शिष्ट रहिए। यदि आप अपने अध्यापकों तथा मित्रों से तो शिष्ट हैं, परंतु उनके साथ शिष्ट नहीं हैं जो लोकप्रिय और धैर्यवान नहीं हैं, तो आप निश्चय ही उतने शिष्ट नहीं माने जाएँगे, जितने कि आप वास्तव में हैं।
विधि 3
विधि 3 का 3:

जिनको आप प्रेम करते हैं उनके साथ शिष्ट रहना

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  1. यदि आप अपने माता अथवा पिता को प्रतिदिन के काम काज से जूझते हुये देखते हैं तो सहायता करने का प्रस्ताव करें। जब आपके पास ऊर्जा एवं खाली समय हो, तो दूसरों को, स्वयं से पहले रखें। आपके शिष्ट कृत्य देर सबेर, निश्चय ही पुरस्कृत होंगे, इसलिए स्वार्थी मत बनिए।
    • सहायता मांगे जाने की प्रतीक्षा मत करिये। यह पहचानना सीखिये कि कब अन्य लोगों को उसकी आवश्यकता है।
    • मदद करने की मौलिक विधियाँ खोजिए! भाई बहनों की गृहकार्य में मदद कीजिये, पत्नी की नई परियोजना के बारे में सुनिए, परिवार के लिए जलपान तैयार कीजिये, कुत्ते को टहलाइए, बहन को कार से स्कूल पहुंचाइए आदि।
  2. बांटने का अर्थ है अपनी मिठाई का आधा भाग छोटे भाई बहनों को देना या उससे भी बड़ी कोई चीज़ देना, जैसे अपना समय, स्थान अथवा ज्ञान की बातें। उदारता, शिष्ट होने का महत्वपूर्ण अंग है। यथा संभव, जितना आप देते हैं उससे अधिक लेने का प्रयास न करें अपितु, लेने से अधिक दीजिये।
  3. परिजनों तथा प्रियजनों के साथ शिष्टता का अर्थ है आवश्यकता के समय उनके लिए प्रस्तुत होना। जैसे कि, ई मेल का प्रत्युत्तर देना, लोगों के फोन का जवाब देना, योजनाओं में भांजी नहीं मारना और जब लोग कुछ कहना चाहें तो उनकी बात को सुनना।
    • यदि कोई आपके लिए संदेश छोड़ता है तो तत्परता से उसका प्रतिउत्तर दीजिये। उनको कई दिनों तक लटकाए रखना शिष्टता नहीं है।
    • यदि आप कहते हैं कि आप कहीं पर होंगे, तो वहाँ पहुंचिए। यदि आप कहते हैं कि कुछ करेंगे, तो करिये। सनकीपन से लोगों का आप पर से विश्वास टूट जाता है और यह शिष्टता भी नहीं है। अपनी मित्रता निबाहिए।
  4. कभी कभी शिष्ट होना आसान नहीं होता है। आपके सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ भी आएंगी जो आपकी शिष्ट होने की क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह लगा देंगी। कभी तो आपके प्रियजन भी सनकी, आलोचनात्मक, स्वार्थी अथवा पूर्णतया अधम हो सकते हैं। केवल इसलिए कि आपके धैर्य की परीक्षा हो रही है, शिष्ट से क्रूर मत हो जाइयेगा।
    • यदि आपके भाई अथवा बहन आपसे झगड़ा करने का बहाना ढूंढ रहे हों तो आप कम से कम अपनी ओर से उसको बढ्ने मत दीजिये। शांत रहिए और स्वयं को अधम मत होने दीजिये।
    • जब आप क्रोधित हों और आपको लग रहा हो कि आप अशिष्टता करने वाले हैं तो क्रूरता के स्थान पर उस क्रोध को किसी और तरह निकालें। दौड़ने के लिए जाएँ, अपने तकिये की पिटाई करिये, अथवा शांत होने के लिए वीडियो गेम खेलिए। आपका अपनी भावनाओं एवं कर्मों पर नियंत्रण होगा।

सलाह

  • प्रतिदिन कुछ शिष्ट कृत्य करिये। गुमनाम रह कर या ऐसे ही। यह आपकी मनोदशा को सुधारेगा और किसी और का दिन बनाएगा। जब आप प्रसन्न होते हैं तब शिष्ट होना बहुत आसान होता है।
  • अन्य लोगों की गलतियों पर हँसिये मत और उनके दोषों को बहुत रुखाई से मत बताइये। वैसे तो हंसी मज़ाक ठीक है, परंतु आप जो भी कहने जा रहे हैं ज़रा उसके संबंध में सोचिए और विचार करिये कि, हालांकि आप किसी टिप्पणी विशेष का बुरा नहीं मानते ,परंतु अन्य लोगों को वो बुरी लग सकती है।
  • सबलोगों को अपने मापदंड पर मत मापिए क्योंकि जो किसी एक के लिये अच्छा हो सकता है वही किसी दूसरे के लिए बुरा अथवा हानिकारक हो सकता है।
  • यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शिष्ट होने का प्रयास कर रहे हैं जो आपको पसंद नहीं है, तो कल्पना कीजिये कि उसे चोट लगी है अथवा वह रो रहा है। यदि आपको लगता है कि “उसके साथ ठीक ही हो रहा है” तो आपको कुछ गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। यदि आप उसको सांत्वना देने की अथवा बचाने का प्रयास करते हैं तो यह आम तौर पर नफरत को चाहत में बदल देता है।
  • जब आप आम तौर पर शिष्ट होने का प्रयास कर रहे हों तो सकारात्मक मनोभावनाओं को प्रदर्शित करना न भूलें। हर चीज़ का एक सकारात्मक पहलू होता है और आपको केवल उस पर विश्वास करना है। सांत्वना, परवाह, सुख एवं सकारात्मकता आपको प्रसन्नचित्त और दूसरों के साथ शिष्ट बनाए रखेगी।
  • मूर्खतापूर्ण बातों पर झगड़ें नहीं। समझौता करें अथवा माता पिता को बताएं।
  • चाहे जितने भी क्रोधित हों, लोगों को अपमानित नहीं करिये।
  • लोग चाहे जितने भी अलग दिखें, उनसे ऐसा व्यवहार करिये जैसे वे आपके परिजन अथवा मित्र हों।
  • हर समय हाइ मत कहिए वरना वह खिझाने लगता है। विशेषकर यदि आप व्यक्ति को जानते भी नहीं हों, तब।
  • सदैव दयावान रहिए। लोगों से वैसा ही व्यवहार करिये जैसा आप अपने लिए चाहते हों।
  • प्रयास करिये कि, जिस व्यक्ति से आप बात कर रहे हों उससे कोई अप्रिय बात न कहें।
  • यदि मित्र आपके साथ शिष्ट नहीं हों तो चिढ़ मत जाइए! बैठिए और उनसे पूछिए कि क्या गलती हो गई है। दूसरों की भावनाओं को जानना महत्वपूर्ण है।
  • यदि कोई आपका जानने वाला अकेला बैठा हो तो उसके साथ बैठिए और उसको कुछ अधिक जानने का प्रयास करिये।

चेतावनी

  • शिष्ट होते होते दब्बू मत बन जाइए। समझौता अच्छी बात है, परंतु पक्षपातरहित व्यवहार की अपेक्षा रखिए। जो सही है, हमेशा उसके लिए खड़े हो जाइए और कभी भी किसी की रक्षा करने में पीछे मत हटिए। यदि आपको कभी ऐसा लगता है कि आप तो दूसरों के समय का लिहाज़ कर रहे हैं, परंतु वे आपके समय का लिहाज़ नहीं कर रहे हैं तो बस यथासंभव सम्मान के साथ, स्वयं को वहाँ से दूर कर लीजिये।
  • आपने सुना होगा कि “इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि बाहर से कोई कैसा दिखता है, परंतु वह भीतर से कैसा है, यह महत्वपूर्ण होता है”। यह आंशिक सत्य है, चूंकि आपको किसी से मिलने का बस एक मौका मिलता है। परंतु यदि आप पहली बार में ही बर्बर हो जाते हैं तो आप वैसे ही जाने जाएँगे। और यदि आपका प्रथम प्रभाव मित्रवत होता है तो लोग आपको शिष्ट एवं निष्कपट जानेंगे।
  • ऐसे लोग, जिनसे आपका मनमुटाव रह चुका है उनका अभिवादन करने में अथवा उनकी ओर देख कर मुस्कुराने में, थोड़ी सावधानी बरतें। इसकी उल्टी प्रतिक्रिया भी हो सकती है, और वे सोच सकते हैं कि आप सयानापन कर रहे हैं तथा प्रतिउत्तर में वे कोई कड़वी टिप्पणी भी कर सकते हैं।
  • अतिशिष्ट होने में भी सावधानी बरतिए; लोग आपको उसके लिए नापसंद भी कर सकते हैं।

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