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यदि आप एक जोशीला, लंबी अवधि का और सफल संबंध चाहते हैं तो आपको आपसी सम्मान की आधार-रेखा से शुरुआत करनी होगी। और आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप और आपका साथी एक टीम की तरह हों तथा आप यथासंभव विचारशील, ईमानदार और संवेदनशील हों। तथापि, कोई भी सम्पूर्ण तो होता नहीं है और आपको सदैव ही भूल हो जाने पर क्षमा मांगने के लिए तैयार रहना होगा। यदि आप और आपका साथी, दोनो ही प्रयास करने को तैयार हों तब आपका संबंध संतोषप्रद और सम्मानीय हो सकता है।

विधि 1
विधि 1 का 3:

टीम की तरह काम करना

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  1. 1
    स्वयं को वास्तविक साथी समझें: यदि आप अपने साथी का सम्मान करना चाहते हैं, तब आपको स्वयं को एक साथ, एक टीम की तरह देखना होगा। आपसी निर्णयों में आपको टीम की तरह सोचना चाहिए और सदैव ही व्यक्तिगत निर्णय लेते समय अपने साथी के संबंध में सोच लेना चाहिए। आपको सोचना चाहिए कि आप दोनों अलग अलग आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कार्यरत हैं। यदि आप वास्तव में स्वयं को एक इकाई की भांति देखेंगे, तब आप अपने साथी को वह सम्मान दे पाएंगे जिसका/ जिसकी वह हक़दार है।
    • जब आप और आपका साथी समाज में बाहर जाएँ, तब आपको स्वयं को एक संयुक्त मोर्चा समझना चाहिए। हालांकि यह संभव नहीं है कि आप हर मुद्दे पर एक दूसरे से सहमत हो ही जाएँ, मगर आपको, एक दूसरे के साथ दयालुता और मर्यादापूर्ण व्यवहार करने पर तथा ऐसे निर्णयों के लेने पर, जो दोनों के हित में हों, परिश्रम करना होगा।
    • हालांकि आप दोनों को एक जैसे ही विचार रखने की आवश्यकता नहीं है, मगर आप जब निर्णय ले रहे हों तब अपने वाक्य हमेशा “मैं” से शुरू करने के स्थान पर “हम” से शुरू करने का अभ्यास करना होगा।
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    यदि आप अपने साथी से सहमत नहीं हों तो, परिस्थिति पर सम्मानपूर्वक चर्चा करें: आप सदैव अपने साथी से सहमत नहीं हो सकते हैं, और यह बिलकुल ठीक ही है। तथापि, जब असहमतियाँ सिर उठाएँ, तब यह महत्वपूर्ण है कि उन पर सम्मानपूर्वक चर्चा की जाये। अगर आप ऐसा कुछ कहते हैं कि, “यह तो मूर्खतापूर्ण विचार है ...” या “मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि आप की इच्छा यह करने की है ....” तब इससे आपके साथी को क्रोध आयेगा और वह रक्षात्मक हो जाएंगे जिसके बाद कोई भी अर्थपूर्ण बातचीत नहीं हो पाएगी। इसके स्थान पर, अपने साथी की बात सहृदयता से सुनने के लिए समय निकालिए क्योंकि वे अपनी राय ज़ाहिर रहे हैं। [१]
    • याद रखिए कि यदि आप आक्रामक और क्रोधित हो कर शुरुआत करते हैं तब तो यह संभावना कम ही है कि आपका साथी अपने विचार आपसे बांटेगा या सुलह होगी।
    • असहमति की परिस्थिति में, कृपा प्रदर्शन अथवा घटिया व्यवहार करने के स्थान पर, “मैं” वाली भाषा के प्रयोग पर ध्यान केन्द्रित करिए जैसे कि “मैं समझता हूँ कि आपको ऐसा क्यों लग रहा है ...” या “मैं केवल यही सोच रहा हूँ कि अभी यह सर्वोत्तम विकल्प नहीं प्रतीत हो रहा है ...” याद रखिए कि आप कैसे कह रहे हैं, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आप क्या कह रहे हैं।
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    असमानताओं को सहन करना और समझना सीखिये: जैसे जैसे आप अपने सम्बन्धों में आगे बढ़ते हैं, आप पाएंगे कि कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जिनमें आप और आपका साथी मूल रूप से असमान हैं। संभव है कि आपका साथी बहुत ही सफाई-पसंद हो जबकि आप अस्त व्यस्त हों, हो सकता है कि आप अत्यंत सामाजिक प्रवृत्ति के हों और वह थोड़े शरमीले। हालांकि, एक दूसरे के अनुकूल होने के लिए आप थोड़े तो बदल सकते हैं, मगर आप पूरी तरह से नहीं बदल सकते हैं और यदि आप अपने साथी को वास्तव में सम्मान देना चाहते हैं तो आपको असमानताओं को स्वीकारना और समझना पड़ेगा। [२]
    • निस्संदेह, यदि आप अत्यंत ही अस्त व्यस्त और आपका साथी सफाई का जुनून रखता है, तब आपको उनकी सीमाओं का सम्मान करना ही होगा, और चाहे आप उनके स्तर तक न भी पहुँच पाएँ, घर के, अपने भाग को, स्वच्छ रखना होगा।
    • यदि आपके साथी के संबंध में कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो कि आपको परेशान तो करती हैं, मगर आपको पता है कि उन्हें बदला नहीं जा सकता है, जैसे कि कुत्ते के लिए उनका जुनून, तब तो आपको उस चीज़ का सम्मान करना होगा और यदि आप स्वस्थ संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो उसके साथ ही रहना, सीखना होगा।
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    अपने साथी के योगदान को स्वीकार कीजिये: अपने साथी का सम्मान करने के लिए, आपको उन्हें पता चलने देना चाहिए कि कब वे सब कुछ ठीक से कर रहे हैं। जब आपका साथी आपके खराब दिन भी, आपको खुश करने का प्रयास करे, आपके लिए बढ़िया खाना बनाए या सदैव ही आप पर कृपा और ध्यान दे, तब तो आप अपना सारा समय नुक्ताचीनी में या दिखने वाली उन सभी समस्याओं के लिए नकारात्मक होने में या साथ में रहने पर खुश न होने में, नहीं बिता सकते हैं; अपने साथी को यह विश्वास दिलाने के लिए कुछ समय निकालिए कि उसका आपकी नज़रों में क्या मूल्य है।
    • इसका मतलब हो सकता है छोटा सा, मगर विशेष “धन्यवाद”, एक प्रेम भरा नोट, या केवल थोड़ा सा समय निकाल कर सकारात्मक व्यवहार की स्वीकृति।
    • यदि आप अपने साथी के द्वारा, अपने लिए की गई अच्छी चीजों की प्राप्ति नहीं स्वीकारते हैं तो वे इसे असम्मान का संकेत समझेंगे, क्योंकि उन्हें लगेगा कि आप उनको मूल्यहीन समझ रहे हैं।
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    आत्मसम्मान बनाए रखिए: आत्मसम्मान, अच्छे सम्बन्धों और आम तौर पर जीवन के लिए एक आधारशिला तैयार करता है। अपने शरीर का ध्यान रखिए, किसी भी ऐसे व्यवहार से बचिए जिससे आप स्वयं के लिए सम्मान खो बैठें, जैसे कि शराबी हो जाना या अपरिचितों से अशिष्ट व्यवहार करना, और अपने सर्वश्रेष्ठ रूप को पाने के लिए प्रयास करते रहिए। यदि आपके पास यह आधार-रेखा नहीं होगी तब आपके लिए अपने साथी का सम्मान कर पाना कठिन हो जाएगा, और आप उन लोगों के शिकार हो जाएँगे जो आपका सम्मान नहीं करते हैं।
    • अपना ध्यान रखने के लिए परिश्रम करिए। सामान्य नियम तो यह है कि, पूछिए कि क्या आप इसी तरह का व्यवहार अपने सबसे घनिष्ठ मित्र से करेंगे, जैसे कि, “क्या मैं अपनी सबसे घनिष्ठ मित्र से कहूँगी कि वह तो असफलता मात्र है?” यदि नहीं, तब ऐसा मत कहिए और स्वयं के साथ ऐसा मत करिए। अपने सबसे घनिष्ठ मित्र स्वयं ही बनिए।
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    समझौता करना सीखिये: अपने साथी का सम्मान करने की दूसरी विधि है जिन चीजों में भी आपकी असहमति है, उन पर समझौता कर लेना। जब आप साथ में कोई निर्णय ले रहे हों तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पहले आप एक दूसरे की बात को सुन लें और सुनिश्चित करें कि आपने समझ लिया है कि उस मुद्दे पर दूसरे व्यक्ति का क्या दृष्टिकोण है। तब आप उस परिस्थिति के पक्ष विपक्ष पर सम्मानपूर्ण ढंग से तर्क वितर्क कर सकते हैं और ऐसे हल पर पहुँच सकते हैं जिससे आप दोनों ही यथा संभव प्रसन्न हो सकें।
    • जब बात समझौते की आती है, तब आप जान लेंगे कि सही होने से प्रसन्न होना अच्छा होता है। चुन लीजिये कि आप झगड़ेंगे किन मुद्दों पर और तय कर लीजिये कि कब अपने साथी को, जो वह चाहे कर लेने देना चाहिए; और वैसे तो जब आप वास्तव में कुछ चाहें तब आप उसको मांग ही सकते हैं।
    • जब छोटे छोटे मसलों पर निर्णय लेना हो, जैसे कि खाना कहाँ खाना चाहिए, तब तो अच्छा होगा कि आप बारी बारी से निर्णय लीजिये।
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    आपसी उत्तरदायित्व का अभ्यास करिए: यदि आप और आपका साथी एक दूसरे का सम्मान करना चाहते हैं, तब तो आपको पारस्परिक उत्तरदायित्व का अभ्यास करना होगा। इसका अर्थ केवल भूल होने पर क्षमा याचना करना ही नहीं है, अपितु यह जानते हुये भी कि आपकी साथी को भी मालूम है कि कैसे बड़ी और छोटी विधियों से वह आपका अनादर करती है, सारे समय यह एहसास होना कि कब आपने अपने साथी का अनादर किया है। जब आप दोनों को आत्म ज्ञान होता है, आप समझते हैं कि एक दूसरे के अनादर का मतलब क्या होता है तथा अपने कृत्यों के लिए उत्तरदायी रहते हैं, तब आप एक दीर्घकालीन स्वस्थ संबंध बना पाते हैं।
    • जैसे कि, यदि आपको पता हो कि पत्नि आज की शाम घर पर ही डेट के लिए तैयार बैठी होगी और आप बिना किसी सूचना के दो घंटे देर से घर पहुँचते हैं, तब आप यह समझ सकते हैं कि आपने अपने साथी का अनादर किया है और अपने कृत्य के लिए आप उत्तरदायी होंगे।
    • जैसे कि आपके साथी ने किसी ऐसे अवसर पर अपनी किसी मित्र को भी निमंत्रित कर लिया हो जो कि कदाचित डेट थी, तब उसे उत्तरदायी महसूस करना चाहिए, चूंकि उसने भी एक प्रकार से आपका अनादर ही किया है।
    • जब तक कि आप दोनों के पास सम्बन्धों के लिए छोटे मोटे नियंत्रण और संतुलन उपलब्ध हैं और आप अपनी भूलों पर चर्चा करने में सहज हैं, तब तक आप सही दिशा में ही जा रहे हैं
विधि 2
विधि 2 का 3:

विचारशील रहना

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  1. 1
    जब आपसे कोई भूल हो जाये तब क्षमा याचना करिए: साथी का सम्मान करने की एक विधि यह है कि जब आपसे वास्तव में कोई गलती हो ही जाये तब क्षमा मांग लीजिये। नकारने या छुपाने के स्थान पर, सबसे अच्छी बात तो यह होगी कि आप कहिए कि आपको वास्तव में खेद है और यह बात केवल शब्दों से नहीं अपितु दिल से कहिए। अपनी साथी की आँखों में आँखें डालिए, अपना फोन किनारे रख दीजिये, और स्पष्ट करिए कि जो भी हुआ है, आपको उसके लिए बहुत खेद है और आप दिल से चाहते हैं कि आप अपने किए की भरपाई कर सकें।
    • केवल यह कहने के स्थान पर कि, “मुझे खेद है कि आपको आपको लगता है कि मैं ....” या “मुझे अफसोस है कि आपको इतना गुस्सा आ गया जबकि मैं ....”, वास्तव में अपने कृत्यों का उत्तरदायित्व स्वीकार करिए और मान लीजिये कि गलती आपकी थी।
    • यह तो सत्य ही है कि, करनी, कथनी से बलिष्ठ होती है। आपको केवल यही नहीं कहना चाहिए कि आपको खेद है, बल्कि आपको सचमुच का प्रयास भी करना चाहिए कि जो भी आपने किया था, वह आप दोहराएँ नहीं।
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    स्वयं को अपने साथी के स्थान पर रखने का अभ्यास करिए: विचारशील होने की और अपने साथी के प्रति सम्मान व्यक्त करने की एक अन्य विधि यह है कि किसी भी वाद विवाद होने की परिस्थिति में या कोई भी निर्णय लेते समय यह सोचिए कि उनके विचारों का कारण क्या हो सकता है। जैसे कि, यदि आपको पता है कि उसके पिता अस्पताल में भर्ती हैं, तब बर्तन साफ करने के संबंध में लड़ाई करने से पहले सोचिए कि उस पर क्या गुज़र रही होगी। यदि आपका भूतपूर्व बॉयफ्रेंड बाहर से आपके शहर में आया हुआ है और आपका वर्तमान बॉयफ्रेंड यह जानकार नाखुश है कि आप शाम को उसके साथ कॉफ़ी पीने के लिए जाने वाली हैं, तब यह सोचिए कि यदि वह अपनी भूतपूर्व के साथ मिलने जा रहा होता तो आपको कैसा लगता।
    • बातचीत शुरू करने से पहले या वाद विवाद से पहले ही अपने साथी के दृष्टिकोण को सोचने के नियमित प्रयास से आपको अपने साथी के लिए सम्मान विकसित करने में सहायता मिलती है।
    • स्वयं को उसके स्थान पर रखना ही उस व्यक्ति को सम्मानित करना है, चाहे वह आपका सबसे घनिष्ठ मित्र हो या बॉयफ्रेंड।
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    समय निकाल कर अपने साथी की बातों को ध्यान से सुनिए: श्रवण वह कौशल है जिसकी आज की, एक समय में बहुत से काम करने वाली और टेक्नोलोजी के जुनून में डूबी दुनिया में, लोगों में कमी हो गई है। यदि आप अपने साथी को सचमुच का सम्मान दिखाना चाहते हैं, तब तो जब वे बातें कर रहे हों, तब आपको उनकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप बात काटें, बिना मांगे सलाह दें या बोलने के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा करें, बल्कि यह है कि उनकी बातों पर ध्यान देने के लिए समय निकालें और उनके विचारों, अनुभवों और सुझावों को समझें।
    • फोन को किनारे रख दीजिये, निगाहें मिलाइये, और यह देखने के लिए कि चारों ओर, और क्या चल रहा है, कमरे में इधर उधर नज़रें मत घुमाइए; जब वे आपसे बात करें तब अपने साथी पर पूरा ध्यान दीजिये।
    • आप सक्रिय श्रवण का अभ्यास भी कर सकते हैं। यह दिखाने के लिए कि आप वास्तव में सुन रहे हैं, आप अपने साथी की बातों को दोहरा भी सकते हैं, केवल इतना सुनिश्चित करिए कि आप उसको अपने शब्दों में कहिए ताकि लगे कि आप सचमुच में समझ गए हैं। अपने साथी को यह दिखाने के लिए कि आप सच में ध्यान दे रहे हैं, आप ऐसा कुछ कह सकते हैं कि, “मैं देख रहा हूँ कि आप परेशान हैं क्योंकि आपका बॉस आपको समझ नहीं पा रहा है....”
    • यह प्रदर्शित करने के लिए कि आप सुन रहे हैं, न तो आपको समानुभूति के साथ गर्दन हिलानी है और न ही हर दो सेकंड पर “मैं समझता हूँ” ही कहना है। जब आपका साथी अपनी बात समाप्त कर लेगा, उसके बाद आप जो भी कहेंगे उसी से पता चलेगा कि आप सुन रहे थे।
  4. 4
    अपने साथी की सीमाओं का सम्मान करिए: सभी की अपनी अपनी सीमाएं होती हैं, और यदि आप वास्तव में अपनी साथी की सीमा का सम्मान करना चाहते हैं तो, आपको जानना होगा कि उनकी सीमा क्या हैं और उनका सम्मान करने को तैयार रहना होगा। हो सकता है कि आपका साथी अपनी जानकारी निजी रखने वाला व्यक्ति हो और नहीं चाहता हो कि आप उसकी पुरानी तसवीरों को देखें या उसके अतीत के संबंध में दूसरों के सामने बातें करें; शायद यह भी हो सकता है कि उसे आपकी, उसके बचपन के मोटापे को लेकर की गई, छेड़छाड़ भी न पसंद आए। चाहे वे सीमाएं जो भी हों, आपको उन्हें पहचानना है और उनका सम्मान करने के लिए उन पर ध्यान देना है और सम्मानपूर्ण बने रहना है।
    • अपने साथी की निजता का सम्मान करना सम्बन्धों की सफलता की कुंजी है। यह मत सोचिए कि केवल इस लिए कि आप डेटिंग कर रहे हैं तो आपको अपने साथी के फोन या कंप्यूटर में झाँकने का अधिकार मिल गया है।
    • आपको अपने साथी के सामानों का भी सम्मान करना चाहिए। यदि उसे आपका, उसकी प्रिय घड़ी मांगना पसंद नहीं है, तब आपको भी इसे समझ जाना चाहिए।
    • यदि आपको लगता है कि आपके साथी की ऐसी कोई परिसीमा है जिसके कारण आपको कठिनाई होती है, जैसे कि वह अपने भूतपूर्व पति के संबंध में बात नहीं करना चाहती, तब आप उससे सम्मानपूर्वक बातों के दौरान पूछ सकते हैं कि उसका कारण क्या है।
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    अपने साथी को पूर्ण क्षमता पाने के लिए प्रेरित करिए: यदि आप अपने साथी को सम्मानित करना चाहते हैं तो आपको सदैव उनके सर्वश्रेष्ठ हित के संबंध में ही सोचना चाहिए। आपको वहाँ ही होना चाहिए ताकि आपका साथी अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर सके और अपने सपने सच कर सके। आपको वहीं होना चाहिए, अपने साथी को यह बताने के लिए कि, वह अपने नौकरी के साक्षात्कार में बढ़िया करेगी, वह अगले मैरथॉन में अपना व्यक्तिगत रिकॉर्ड अवश्य ही तोड़ेगा, और जो उपन्यास उसने पाँच वर्ष पहले लिखना शुरू किया था, वह उसे पूरा करने में सक्षम है।
    • आपको कभी भी अपने साथी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए और न ही कभी कहना चाहिए कि वह अपने सपनों को सच नहीं कर सकता है।
    • सफल सम्बन्धों के लिए, आपको और आपके साथी को अकेले अकेले रहने के स्थान पर, मिल कर एक साथ काम करना चाहिए। आपको अपने साथी की देख रेख करनी चाहिए और प्रेरित करना चाहिए कि वे जो भी हैं उससे बेहतर भी कुछ बन सकते हैं।
    • यदि आपके साथी का पूर्ण क्षमताओं तक पहुंचना आपके लक्ष्यों के आड़े आता है तो, आपको क्षुद्र नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके बारे में क्या किया जा सकता है, इस पर बातचीत करनी चाहिए।
  6. 6
    सहानुभूति रखिए: जब बात सफल सम्बन्धों और साथी को सम्मान दिखाने की होती है तब सहानुभूति ही कुंजी होती है। यदि आपको वास्तव में उनकी परवाह है, तब आपमें उनको प्रेम और क्षमाशीलता दिखाने की क्षमता होनी चाहिए, विशेषकर तब, जब वे कठिन समय से गुज़र रहे हों। आपको यह समझ जाना चाहिए कि उनके अपने भी संघर्ष हैं और आप उनकी भावनाओं की केवल इसलिए उपेक्षा नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे बिलकुल वैसा ही नहीं कर रहे हैं, जैसा आप चाहते हैं।
    • जब आपके साथी को वास्तव में आपकी आवश्यकता हो तब सुनिश्चित करिए कि आप उसे प्रेम और अनुराग दे सकें। हालांकि आप सारे समय अपने साथी के लिए दुखी या अवसादग्रस्त नहीं रह सकते हैं और हर व्यक्ति के धैर्य की भी सीमा होती है मगर सुनिश्चित करिए कि जब आपके साथी को वास्तव में आवश्यकता हो, तब आप उसके साथ, सहानुभूति प्रदर्शित कर सकें।
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    ईमानदार रहिए: यदि आप चाहते हैं कि आप विचारशील रहें और अपने साथी का सम्मान करें तब तो सबसे पहले आपको उनके साथ ईमानदार रहना होगा। पिछली शाम आप कहाँ गए थे यह बताने में बेईमानी मत करिए और न ही ऐसा कुछ करिए जिससे उन्हें आप पर अविश्वास हो। हालांकि अपने बारे में सब कुछ बताने से आप असहज हो सकते हैं और आपके जीवन में ऐसा कुछ भी हो सकता है जिसे आप निजी ही रखना चाहें, मगर यथासंभव अपने साथी के मुंह पर झूठ बोलने से बचिए। यदि वे यह जान जाएँगे कि आपके उनका भरोसा तोड़ा है, तब उसे वापस पाना बहुत कठिन होगा।
    • सच है कि कभी कभी ऐसा भी समय आता है जबकि छोटा मोटा सफ़ेद झूठ बहुत चोट नहीं पहुंचा सकता है। परंतु यदि आपको साथी से झूठ बोलने की आदत ही हो जाती है, तब तो यह बहुत गंभीर असम्मान प्रदर्शन है।
  8. 8
    अपने साथी को स्थान दीजिये: अपने साथी को सम्मान देने का एक अन्य तरीका है, कि जब उन्हें आवश्यकता हो, तब उन्हें जगह दी जाये। यदि आपका साथी अकेला रहना चाहता है या कुछ समय के लिए कुछ निजी काम करना चाहता है, तब उसको टाल जाना, अवरुद्ध करना या ज़बरदस्ती घुस जाना वास्तव में बहुत सम्मानजनक तो नहीं है। सभी को अकेले में कुछ समय की या निजी कुछ करने की आवश्यकता होती है और संबंध रखते हुये भी अपनी स्वतन्त्रता बनाए रखना सामान्य ही है; यदि आप नहीं समझ पाते हैं कि कभी कभी आपके साथ रहने के स्थान पर आपका साथी अकेले क्यों रहना चाहता है, तब आप बहुत सम्मानजनक नहीं हैं।
    • यह मत सोचिए कि जब आपका साथी अकेला रहना चाहता है, तब उसका आपसे कुछ मतलब है। आपको समझना होगा कि कुछ लोगों को अपने आपको समेटने के लिए, निजता की आवश्यकता होती ही है और आपको उस सीमा का सम्मान करना चाहिए।
    • यदि उनके निजी समय के कारण आपको परेशानी होती है तब, अकेले में उनसे इस विषय में बात करिए। बात को आरोप की तरह शब्द मत दीजिये, ऐसे कहिए कि, “मुझे लगता है कि हम लोग आजकल एक दूसरे के साथ समुचित समय नहीं बिता रहे हैं और मुझे आपकी कमी वास्तव में खल रही है”।
विधि 3
विधि 3 का 3:

जानिए कि क्या नहीं करना चाहिए

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  1. 1
    सार्वजनिक रूप से अपने साथी को नीचा मत दिखाइये: अपने साथी का गहरा असम्मान करने का एक तरीका है कि उसकी साथ क्षुद्रता की जाये या सार्वजनिक रूप से, विशेषकर मित्रों और परिजनों के सम्मुख, उसे नीचा दिखाया जाये। आपको एक दूसरे को टीम समझना चाहिए, यदि आपके और उनके बीच में कुछ मसले हों भी, तो उनको घर के एकांत में उठाया जाना चाहिए, न कि अन्य लोगों के सामने। लोगों के सामने उनसे क्षुद्र बातें कहना या उनको सार्वजनिक रूप से झिड़क देना उन्हें बहुत ही बुरा लगेगा और वे आपसे रुष्ट भी होंगे, साथ ही, इससे आपके मित्र और परिजन भी असहज हो जाएँगे।
    • यदि आप सार्वजनिक रूप से अपने साथी को झिड़क देते हैं, तब सुनिश्चित करिए कि आप क्षमा याचना करें। कोई भी सदैव शांत नहीं रह सकता है।
    • अपने साथी को लोगों के सामने ऊल जलूल कहने या नीचा दिखाने के स्थान पर दूसरों के सामने उन्हें बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करिए।
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    अपने मित्रों से अपने साथी की बुराई मत करिए: इसी प्रकार आपको अपने परिजनों और मित्रों को अपनी सारी गोपनीय बातें नहीं बतानी चाहिए और न ही अपनी साथी की शिकायत ही उनसे करनी चाहिए। हालांकि जब आप वास्तव में कठिनाई में हों तब अपने प्रियजनों से सलाह मशविरा कर सकते हैं, परंतु यदि आप अपने साथी की, हर समय, शिकायत करने की आदत ही बना लेते हैं तब तो इससे वे और आपका संबंध, दोनों ही, घटिया लगने लगेंगे।
    • यदि उनकी अनुपस्थिति में उनको नीचा दिखाते हैं तब इससे तो यही लगता है कि आप उनका उतना सम्मान नहीं करते हैं।
    • इस बारे में सोचिए: आपको कैसा लगेगा यदि आपका साथी सदैव अपने मित्रों से आपकी बुराई ही करता रहे? यह तो बहुत ही असम्मानजनक लगेगा, है न?
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    विपरीत सेक्स के लोगों के संबंध में असम्मानजनक तरीके से बातें मत करिए: अपने साथी के प्रति असम्मान प्रदर्शित करने का एक और तरीका है, विपरीत सेक्स के लोगों के संबंध में असम्मानजनक बातें करना। ठीक है कि हम सभी मनुष्य हैं और चाहे हम कितना भी प्यार में क्यों न पड़े हों, हम सुंदर लोगों की प्रशंसा करने से रुक नहीं सकते हैं; इसके साथ ही यह भी सही है है कि यदि आप “पटाखा लड़कियों” या “आकर्षक पुरुषों” की ही चर्चा करते रहेंगे तब तो इससे आपके साथी को बुरा लगेगा ही और यह उसके प्रति असम्मान का एक स्पष्ट संकेत भी होगा। यह विशेष असम्मानजनक होगा, यदि आप यह सब अपने साथी के और अपने अन्य मित्रों के सम्मुख ही करेंगे; क्योंकि इससे लगेगा कि आप अपने संबंध को गंभीरता से नहीं लेते हैं।
    • ठीक है, कुछ लोग इस मामले में और लोगों से कहीं अधिक संवेदनशील होते है, मगर आपको तब भी, अपने आपको इससे बचाने का नियम ही बना लेना चाहिए।
    • साथ ही, जब आपका साथी आस पास नहीं हो तब आपको मिलने जुलने वाले उन सारे शानदार मर्दों या पटाखा लड़कियों की चर्चा अपने मित्रों से नहीं करनी चाहिए। ठीक है कि आपको विश्व के आकर्षक लोगों की उपस्थिती की उपेक्षा नहीं करनी है, मगर यदि आप उन्हीं की चर्चा करते रहेंगे, तो आपके मित्र समझेंगे कि आप सच में अपने साथी का सम्मान नहीं करते हैं।
  4. 4
    अपनी भावनाओं के उबाल पर आने की प्रतीक्षा मत करिए: यदि आप वास्तव में अपने साथी का सम्मान करते हैं तब आपको अपनी भावनाओं को इतना नहीं पक जाने देना चाहिए कि उसके बाद बस आप केवल चीखना चिल्लाना ही शुरू कर दें। यदि आप किसी चीज़ से सचमुच में परेशान हों तब, आपको अपने साथी को कम से कम इतना सम्मान तो देना चाहिए कि आप बैठ कर, उस बारे में, गंभीर बातचीत कर सकें। अपने साथी को अपनी परेशानी का अंदाज़ा ही मत लगाते रहने दीजिये और न ही उसको सार्वजनिक स्थान पर बताइये या तब कहिए जब वह बर्दाश्त से बाहर हो जाये; यह तो आपके साथी या सम्बन्धों के प्रति बहुत सम्मानजनक नहीं है।
    • यदि आप वास्तव में अपनी परेशानियों के बारे में बात नहीं करते हैं, तब संभावना है कि आप अपने साथी के प्रति दब्बू आक्रामक हो सकते हैं, जो कि फिर बहुत सम्मानजनक नहीं है।
    • चाहे आपका समय बहुत ही व्यस्त क्यों न चल रहा हो, आपको अपनी परेशानी के संबंध में बात करने को समय निकालना ही चाहिए; यदि आपका साथी आपसे रुष्ट हो तो आप भी तो जानना ही चाहेंगे, चाहेंगे न?
  5. 5
    अपने साथी का मूल्य समझिए: याद करिए कि वे आपके लिए कितनी मीठी मीठी चीज़ें करते हैं, और आप भी उनकी कितनी सराहना करते हैं। इससे आपके नज़रिये को सहायता मिलती है और यह पता चलता है कि आपके संबंध ने आपके जीवन पर कितना सकारात्मक प्रभाव डाला है। प्रेमपूर्ण विकल्पों के चयन का प्रयास करिए और उन्हें दिखाइये कि आप हर दिन उनकी कितनी परवाह करते हैं।
    • आपको, तब तक, शायद यह एहसास भी नहीं होगा कि आप अपने साथी को कितना मूल्यहीन समझ रहे हैं जब तक कि आप बैठ कर यह नहीं सोचेंगे कि पिछली बार आपने कब उनसे प्यार भारी बातें की थीं या कहा था कि, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ।“ सुनिश्चित करिए कि आपके साथी को पता चल जाये कि आप, चाहे जितनी भी व्यस्त क्यों न रहते हों, आप उसकी कितनी परवाह करते हैं।

सलाह

  • यह बात अपने मन से निकाल दीजिये कि आप अपने साथी के मालिक हैं। यह तथ्य कि आप डेटिंग कर रहे हैं या विवाहित हैं, आपको एक दूसरे का मालिक नहीं बना देता है।
  • किसी एक समय के मनोभाव को अपने सम्बन्धों का विनाश मत करने दीजिये।
  • चाहे कभी आपको यह क्यों न लगे कि आपके साथी का तर्क छिछला है, तब भी कभी भी अपने साथी के महत्व को कम मत समझिए।
  • जब कभी आपका साथी आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचा बैठे, तब भी, तब तक प्रतीक्षा करिए जब तक कि आप शांत न हो जाएँ और फिर उसे बताइये कि उससे आपको कैसा महसूस हुआ।
  • प्रेम का धीरज से गहन संबंध है, इसलिए आपको धैर्य रखना सीखना होगा।
  • अपनी बात पर टिके रहिए। जब आपने एक बार कुछ कह दिया हो, चाहे जैसे भी, तब बेहतर यह है कि उस पर टिके रहिए। आप बाद में, जब मामला ठंडा पड़ जाये, अपनी बात को अलग ढंग से व्यक्त कर सकते है। उदाहरण: “जब मैंने कहा था ..............., तब मेरा मतलब .................... नहीं था, मेरा मतलब था ..............”
  • हम अपने अनुभवों से सीखते हैं और अगर आपको पता नहीं हो कि इसका नतीजा क्या होगा, तब यदि लगता है कि इससे काम नहीं चलने वाला है, तब उसी पर अड़े मत रहिए।
  • सभी लोग एक ही तरह से अपनी बात नहीं कहते हैं। सीखिये कि आपका साथी अपनी बात कैसे कहता है और इससे आपसी सम्मान की गहनता और बढ़ेगी।
  • यदि आप अपने साथी से कुछ छुपाने की आवश्यकता महसूस करते हैं, तब अधिकतर इसका अर्थ यह होता है कि आप समझते हैं कि इससे उसे चोट पहुंचेगी, तब इसका अर्थ यह है कि आपको वह कर्म करना ही नहीं चाहिए था।

चेतावनी

  • सम्मान सर्वोपरि है, इसका संबंध कुछ सीखने से नहीं है, इसका अर्थ तो है कि आप अपने साथ कैसा व्यवहार चाहते हैं। यदि आप सम्मानपूर्ण व्यवहार चाहते हैं तब तो यह स्वाभाविक ही है कि आप अपने साथी या किसी भी और के साथ वैसा ही करें।

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