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एक रिसर्च पेपर को पीयर रिव्यू किए गए जर्नल में पब्लिश करना ऐकडेमिक कम्युनिटी में एक अच्छी बात माना जाता है। इससे आपके नाम और काम के बारे में दूसरे स्कॉलर्स के नेटवर्क को पता चलता है, और आपके विचार और रिसर्च और ज्यादा बढिया हो जाती है। पेपर पब्लिश करना आसान नहीं है, लेकिन आप एक बढ़िया और क्रिएटिव बिल्कुल सटीक रिसर्च को सबमिट करके इन दिक्कतों को दूर कर सकते हैं। अपने सब्जेक्ट और राइटिंग स्टाइल के मुताबिक़ एक सही ऐकडेमिक जर्नल सर्च करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, ताकि आप अपने रिसर्च पेपर को इसमें शामिल कर सकें और पब्लिकेशन और व्यापक मान्यता के अवसरों को बढ़ा सकें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपने पेपर को सबमिट करना (और रिसबमिट करना)

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  1. अपने सहकर्मी या प्रोफेसर से अपने रिसर्च पेपर का रिव्यू करने के लिए पूछें: उनको आपके पेपर में ग्रामर, स्पेलिंग एरर, टाइपो, स्पष्टता (clarity) और संक्षिप्तता (conciseness) को चेक करना चाहिए। उन्हें आपके कंटेंट को भी वेरीफाई करना चाहिए। रिसर्च पेपर में एक ज़रूरी और रेलेवेंट समस्या को उठाना होगा। पेपर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ, समझने में आसान और इंटेंडेड दर्शकों के हिसाब से होना चाहिए। [१]
    • अपने पेपर को दो या तीन लोगों से रिव्यू कराएँ। कम से कम एक व्यक्ति मेजर टॉपिक का नॉन-एक्सपर्ट होना चाहिए - बाहरी व्यक्ति के विचार बहुत ज़रूरी हो सकते हैं, क्योंकि सभी रिव्युअर आपके टॉपिक के एक्सपर्ट नहीं होंगे।
  2. अपने पेपर को रिव्युअर्स की सिफारिशों के आधार पर रिवाइज करें: हो सकता है कि आपने अपने रिसर्च पेपर को अंतिम रूप देने से पहले कई ड्राफ्ट्स बनाए होंगे। अपने पेपर को स्पष्ट, आकर्षक और समझने में आसान बनाने के लिए विशेष प्रयास करें। इससे आपके पेपर के पब्लिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी। [२]
  3. अपने चुने हुए जर्नल की जरूरतों के अनुसार अपनी मैनुस्क्रिप्ट को तैयार करें: अपने रिसर्च पेपर को इस प्रकार फॉर्मेट करें ताकि यह उस पब्लिकेशन की गाइडलाइन पर फिट बैठता हो। ज्यादातर जर्नल "Instruction to Authors" या "Author's Guide" नामक एक डॉक्यूमेंट देते हैं, जिसमें लेआउट, टाइप फ़ॉन्ट और लंबाई के बारे में ख़ास निर्देश दिए जाते हैं। यह गाइड आपको अपना पेपर सबमिट करने के बारे में भी बताएगी और रिव्यू प्रक्रिया की जानकारी भी देगी। [३]
    • अक्सर साइंस जर्नल आर्टिकल ऐब्सट्रैक्ट; इंट्रोडक्शन/परिचय; मेथड्स/तरीके; रिजल्ट्स/परिणाम; डिस्कशन/चर्चा; कन्क्लूजन/निष्कर्ष; एकनॉलेजमेंट्स/रेफरेन्सेस (संदर्भ) जैसे ख़ास तरह के फ़ॉर्मेट को फ़ॉलो करते हैं। आमतौर पर कला और मानविकी में यह फ़ॉर्मेट उतना ज़रूरी नहीं होता है।
  4. अपने आर्टिकल को तब सबमिट करें जब आपको लगे कि आप इसके लिए तैयार हैं: जर्नल में सबमिट करने की जरूरतों को रिव्यू करने के लिए ऑथर की गाइड लाइन (या उससे मिलती-जुलती) देखने के लिए जर्नल की वेबसाइट पर जाएं। आपका पेपर सभी गाइडलाइन्स (दिशा-निर्देशों) को पूरा करता है इस बात से संतुष्ट होने पर उपयुक्त तरीके से पेपर को सबमिट करें। कुछ जर्नल पेपर को ऑनलाइन सबमिट करने देते हैं, जबकि कुछ एक हार्ड कॉपी पसंद करते हैं। [४]
    • अपने आर्टिकल को एक बार में केवल एक जर्नल में सबमिट करें। आवश्यकतानुसार अपनी लिस्ट में एक बार में केवल एक जगह सबमिट करें।
    • ऑनलाइन सबमिट करने पर, अपने यूनिवर्सिटी ईमेल अकाउंट को यूज़ करें। इससे आपके एक स्कॉलर इंस्टीट्यूशन से जुड़ जाने से आपके काम की विश्वसनीयता (credibility) को बढ़ जाती है।
  5. आपको जर्नल से प्रारंभिक प्रतिक्रिया मिलने पर चिंता नहीं करें: एक पीयर-रिव्यू जर्नल में सबमिट किए गए बहुत कम आर्टिकल को तुरंत “Accept” का जवाब मिलता है। यदि आपको यह जवाब मिला है, तो जश्न मनाएं! अन्यथा, आपको मिले जवाब से शांति से निपटें। यह संभवतः निम्नलिखित में से एक होगा: [५]
    • Accept with Revision - रिव्युअर्स द्वारा दिए गए फीडबैक के आधार पर केवल मामूली एडजस्टमेंट की जरूरत है।
    • Revise and Resubmit - पब्लिकेशन के लिए मंज़ूर होने से पहले बहुत ज़रूरी बदलाव (जैसा कि बताया है) की जरूरत है, लेकिन जर्नल अभी भी आपके काम को बहुत पसंद करता है।
    • Reject and Resubmit - आर्टिकल अभी मंज़ूर करने लायक नहीं है, लेकिन पर्याप्त बदलाव और रीफ़ोकसिंग के बाद इन नतीजों को बदला जा सकता है।
    • Reject - पेपर इस पब्लिकेशन के लिए उपयुक्त नहीं है और उपयुक्त नहीं होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह किसी दूसरे जर्नल में पब्लिश नहीं हो सकता है।
  6. रिव्युअर्स के कमेंन्ट्स को रचनात्मक आलोचना के रूप में स्वीकार करें: आपको अक्सर कई (अक्सर तीन) अनाम रिव्युअर्स और एडिटर द्वारा दिए गए कमेंट्स के अनुसार अपने पेपर को रिवाइज करने और इसे फिर से सबमिट करने के लिए कहा जाएगा। उनकी आलोचनाओं को ध्यान पूर्वक पढ़ें और उसके अनुसार ज़रूरी बदलाव करें।
    • अपने ऑरिजिनल सबमिशन से ज्यादा लगाव न रखें। इसके बजाय, बदलाव करते रहें और मिलने वाले फीडबैक के हिसाब से पेपर पर फिर से काम करें। पेपर को बेहतर बनाने के लिए एक रिसर्चर और एक ऑथर के रूप में अपनी स्किल का यूज़ करें।
    • हालांकि, अगर आपको लगता है कि यह सही नहीं है तो आपको समझौता करने और रिव्युअर्स के कमेंट्स को हूबहू मानने की ज़रूरत नहीं है। एडिटर के साथ बातचीत शुरू करें और अपनी स्थिति को सम्मान पूर्वक लेकिन आत्मविश्वास के साथ समझाएं। याद रखें, आप इस खास टॉपिक के एक्सपर्ट हैं! [६]
  7. भले ही आपको अपने पसंदीदा जर्नल से रिजेक्ट कर दिया जाता है, लेकिन अपने रिसर्च पेपर को फिर से लिखना जारी रखें और इसे दूसरे पब्लिकेशन्स में सबमिट करें। [७]
    • याद रखें, पेपर रिजेक्ट होने का मतलब यह बिलकुल नहीं कि यह एक खराब पेपर है। कई सारी वजहें पूरी तरह से आपके नियंत्रण से बाहर होती हैं, जो आर्टिकल का मंज़ूर होना निर्धारित करती हैं।
    • सबमिट करने के लिए अपनी पसंद के दूसरे जर्नल पर जाएँ। आप जर्नल के एडिटर से बेहतर फिट खोजने के लिए पहले गाइडेंस के लिए पूछ सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 3:

सबमिशन के लिए राइट जर्नल चुनना

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  1. पहले से पब्लिश हो चुकी रिसर्च और अपने फील्ड की वर्तमान समस्याओं और स्टडीज को जानें। इस बात पर विशेष ध्यान दें कि आपके फील्ड में दूसरे रिसर्च पेपर फॉर्मेट, आर्टिकल्स का टाइप (क्वांटिटेटिव स्टडीज बनाम क्वालिटेटिव, प्राइमरी रिसर्च, मौजूदा पेपर्स का रिव्यू), राइटिंग स्टाइल, सब्जेक्ट मैटर और शब्दावली (vocabulary) आदि कैसे लिखे गए हैं। [८]
    • अपने स्टडीज फील्ड से संबंधित ऐकडेमिक जर्नल्स को पढ़ें।
    • पब्लिश किए गए रिसर्च पेपर, कांफ्रेंस पेपर, और जर्नल आर्टिकल्स को ऑनलाइन सर्च करें।
    • किसी रीडिंग लिस्ट के सुझाव के लिए किसी सहकर्मी या प्रोफेसर से पूछें।
  2. ऐसे पब्लिकेशन को चुनें जो आपके रिसर्च पेपर के लिए फिट बैठता हो: हर पब्लिकेशन की अपनी ख़ुद की ऑडीयन्स और राइटिंग टोन होती हैं। उदाहरण के लिए, तय करें कि क्या आपका रिसर्च पेपर किसी ऐसे जर्नल में बेहतर फिट होगा जो बहुत ही टेक्निकल है और केवल दूसरे स्कॉलरों के लिए बना है, या एक ऐसा जर्नल जो जनरल नेचर की ऑडीयन्स के लिए बना है। [९]
    • यहां फिट होना बहुत महत्वपूर्ण है - हो सकता है आपके फील्ड का सबसे प्रसिद्ध जर्नल आपके खास काम के लिए सबसे उपयुक्त न हो। हालांकि, यह सोचना कि आपका पेपर बड़े पब्लिकेशन के लिए कभी भी काफी नहीं होगा, इसलिए आप अपने पेपर को कम न समझें।
  3. अपनी संभावित सबमिशन साइट्स की लिस्ट बना लेने के बाद थोड़ा यह जानने का प्रयास करें कि उन जर्नल्स में आर्टिकल्स को कितने अच्छे ढंग से पढ़ा और साइट किया जाता है। आपके काम की ज्यादा पहुँच होने से निश्चित लाभ होगा, अगर आप अपने करियर की शुरुआत में खुद का नाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। [१०]
    • हालांकि, हमेशा पीयर-रिव्यु किए जाने वाले जर्नल को प्राथमिकता दें - जिसमें फील्ड के स्कॉलर गुमनाम रूप से सबमिट किये गए कामों को रिव्यू करते हैं। यह स्कॉलर पब्लिकेशन के लिए बेसिक स्टैंडर्ड है।
    • आप ओपन एक्सेस जर्नल में पब्लिश करके अपने रीडर्स को काफ़ी हद तक बढ़ा सकते हैं। वैसे तो, यह पीयर-रिव्यू स्कॉलर पेपर की ऑनलाइन रिपॉजिटरी में मुफ्त में उपलब्ध होगा। [११]
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने सबमिशन को मजबूत करना

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  1. आमतौर पर अच्छे जर्नल आर्टिकल सीधे मुद्दे की बात करते हैं और पूरे आर्टिकल में इसी पर फ़ोकस रहते हैं। अपने पेपर में शुरू से ही यह बताने की कोशिश करें कि आपका पेपर क्या पता लगाता है/जांच करता है/हासिल करता है, और सुनिश्चित करें कि बाद के हर पैराग्राफ इसी विज़न पर चर्चा होती है। [१२]
    • इस विज़न को अपनी थीसिस में एक मज़बूत, स्पष्ट से स्टेट्मेंट से बताएँ। निम्नलिखित कमजोर बनाम मजबूत स्टेट्मेंट्स की तुलना करें:
      • "यह पेपर बताता है कि एक युवा अधिकारी के रूप में जॉर्ज वाशिंगटन के अनुभवों ने कठिन परिस्थितियों में एक कमांडिंग ऑफिसर के रूप में उनके विचारों को कैसे तराशा होगा"।
      • "यह पेपर बताता है कि 1750 के दशक में पेंसिल्वेनिया फ्रंटियर के एक युवा अधिकारी के रूप में जॉर्ज वॉशिंगटन के अनुभवों ने वैली फोर्ज में कड़ाके की सर्दियों के दौरान अपनी महाद्वीपीय सेना के सैनिकों के साथ उनके संबंधों को सीधे तौर पर प्रभावित किया"।
  2. स्पष्ट विज़न बहुत बढ़िया भी हो सकते हैं, लेकिन जर्नल आर्टिकल लार्ज-स्केल टॉपिक के विस्तार से परीक्षण के लिए जगह नहीं देते हैं। एक थीसिस या डेजर्टेशन कंटेंट को रिवाइज कर रहे स्कॉलर अक्सर इस समस्या का सामना करते हैं; आपको जर्नल आर्टिकल के बैकग्राउंड की जानकारी, लिटरेचर रिव्यू, और मेथोड़ोलोजिकल चर्चा जैसी चीजों को हटाने (या कम से कम काफी हद तक कम करने) में सक्षम होने की जरूरत है। [१३]
    • यह समस्या इस फ़ील्ड में आ रहे युवा स्कॉलर्स के लिए बिलकुल सच होती है। बड़ी रिसर्च (भले ही सिर्फ 20-30 पेज) को जानेमाने स्कॉलर्स के लिए छोड़ दें।
  3. ऐब्सट्रैक्ट से रिव्युअर्स पर आपके काम की पहला इम्प्रेशन पड़ेगा, इसलिए आपको इसे अच्छा बनाने की जरूरत है। सुनिश्चित करें कि कोई टाइपो या अनावश्यक चीजें नहीं हैं; आपको इसे केवल 300 शब्द में लिखना होगा। अपने दावों को अच्छे से बताएँ और अपने असली तरीके बताएँ, लेकिन अपने आर्टिकल ज्यादा में बढ़ा चढ़ा कर न लिखें। [१४]
    • आपका ऐब्सट्रैक्ट लोगों को आर्टिकल पढ़ना शुरू करने के लिए उत्सुक बनाना चाहिए, लेकिन वे आर्टिकल को पूरा पढ़ने पर कभी निराश नहीं होते हैं।
    • जर्नल में अपना पेपर सबमिट करने से पहले ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने ऐब्सट्रैक्ट को पढ़ने के लिए दें और उनसे फीडबेक प्राप्त करें।

चेतावनी

  • यदि आप जर्नल के बदलाव के अनुरोधों से परेशान या निराश हैं तो अपने पेपर को तुरंत रिवाइज न करें। अपने पेपर को कुछ दिनों के लिए रखा रहने दें, फिर तरोताज़ा होकर फिर से काम शुरू करें। आपको जो फीडबैक प्राप्त हुआ है उसमें स्थायी समाधान मिलेगा, और अब आपके आर्टिकल में आराम से फिट हो जाएगा। याद रखें कि यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है और अंतिम रिफाइनमेंट में समय लगेगा।

विकीहाउ के बारे में

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