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हर किसी के सपने होते हैं। अब सपने चाहे छोटे हों या बड़े, इनका आपके जीवन में बड़ा महत्व होता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति का सम्बन्ध हमारी ख़ुशी और भलाई से होता है। [१] यह आत्म-सम्मान में वृद्धि करने का एक तरीका है। अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश हमें बेहतर इंसान बनाती है। इसलिए इन्तजार मत कीजिये फिर चाहे आपका लक्ष्य कऱोडों में पैसा कमाना हो, एक कलाकार बनना हो, या एक विश्व-स्तरीय खिलाड़ी (एथलीट) बनना हो। आज से ही अपने लक्ष्य प्राप्ति की कोशिशों में जुट जाइए।

विधि 1
विधि 1 का 2:

लक्ष्य निर्धारित करें

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  1. आपका पहला कदम ये जानना है कि आप क्या पाना चाहते हैं। यह एक छोटा या बड़ा परिवर्तन हो सकता है, पर आप क्या पाने की उम्मीद करते है, इस पर विचार करना, सफलता प्राप्ति के लिए पहला महत्वपूर्ण कदम है।
    • मिसाल के लिए, क्या आपका लक्ष्य एक अधिक खुश मिज़ाज व्यक्ति बनना है? क्या आप कोई वाद्ययंत्र बजाना सीखना चाहते है? या किसी खेल में बेहतर होना चाहते हैं? अधिक स्वस्थ होना चाहते है? ये सभी मान्य (वैध) लक्ष्य हैं। यह निर्णय करना कि आप क्या चाहते है, आप पर निर्भर करता है।
  2. एक बार यह समझ लेने पर की आप क्या चाहते है, तो आपको इस दिशा में सोचना प्रारम्भ करना चाहिए कि इन लक्ष्यों का आपके लिए क्या अर्थ है। एक व्यक्ति के लिए लक्ष्य की परिभाषा दूसरे व्यक्ति से बहुत अलग हो सकती है। [२]
    • उदाहरण के लिए, यदि आपका लक्ष्य अधिक खुश रहना चाहते है, तो आपको सोचना पड़ेगा कि आपके लिए ख़ुशी के क्या मायने हैं। खुशनुमाँ (ख़ुशी से भरी हुई) जिंदगी कैसी दिखती है? और कैसी चीजें आपको खुश कर पाएंगी?
    • यह कम महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर भी लागू होता है: यदि आपका लक्ष्य गिटार बजाना सीखने का है, तो इसका वास्तव में आपके लिए क्या मतलब है? क्या आप थोड़ा बहुत गिटार सीखना चाहते है कि ताकि आप किसी जश्न में दोस्तों के साथ गाने पर गिटार बजा सकें? या आप क्लासिकल कोंसेर्ट्स (concerts) में गिटार बजाना चाहते है? गिटार बजाने को जानने की ये अलग-अलग परिभाषाएं है।
  3. इसलिए कि यह आवश्यक है कि आप थोड़ा समय निकाल के सोचें की आप चयनित लक्ष्य क्यों निर्धारित कर रहे हैं। यदि आप अपनी प्रेरणाओं पर सोचेंगे, तो बहुत संभव है कि आपको अपने लक्ष्य दोबारा निर्धारित करने पड़ें। [३]
    • मिसाल के तौर पर, कल्पना करें कि आपका लक्ष्य गिटार बजाना सीखना है: रुकें और सोचें क्यों, और तब आपको एहसास होता है कि जो लोग गिटार बजाते है वो विद्यालय में अधिक प्रसिद्ध हैं। यह आपका गिटार के प्रति समर्पण नहीं दिखाता है। यह आपको रुक कर फिर से सोचने पर मजबूर करता है कि जो आप चाहते हैं वो पाने का क्या कोई दूसरा और आसान तरीका है, जो संगीत से अधिक सामाजिक हो।
  4. अंतिम और महत्वपूर्ण बात यह है कि, निर्धारित करें कि आपका लक्ष्य वास्तविक है। जैसा कि उदासी भरा ये लगता है, हर सपना सच नहीं हो सकता। यदि आपका लक्ष्य वास्तविकता से परे है तो यह समय है कि आप कोई और लक्ष्य निर्धारित करें। [४]
    • कल्पना करें कि आपका लक्ष्य विश्व का सबसे महान बास्केट बॉल खिलाड़ी बनना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति किसी के लिए भी चुनौतीपूर्ण है, पर कुछ लोगों के लिए ये संभव भी हो सकता है। किन्तु, यदि आप सिर्फ पांच फ़ीट लम्बे हैं, तो यह लक्ष्य आपकी पहुँच से बाहर हो सकता है। यह लक्ष्य आपको असफलता और निराशा की ओर ले जाता है। [५] हालांकि, आप इसके बावजूद अपने मित्रो के साथ बास्केट बॉल खेलने का आनंद ले सकते हैं। लेकिन, अगर आप किसी खेल में सर्वश्रष्ठ स्थान पर पहुचना चाहते है, तो आपको किसी ऐसे खेल पर विचार करना होगा जहाँ आपकी लम्बाई इतनी महत्वपूर्ण न हो।
  5. जब एक बार आप साधारण लक्ष्य निर्धारित कर चुके हों, तब आपको अधिक निश्चित दिशा में सोचना और उस लक्ष्य पर पहुँचने की योजना बनानी चाहिए| कुछ सामान्य तौर पर लिखना एक बहुत अच्छा पहला कदम है। एक पेपर लेकर निम्न विषयों पर अपने विचार लिखें: [६]
    • आपका आदर्श भविष्य
    • ऐसे गुण जिन्हे आप दूसरे लोगों में सराहते है
    • ऐसी चीजें जो और बेहतर ढंग से की जा सकती है
    • ऐसी चीजे जिन पर आप अधिक सीखना चाहते हैं
    • आदतें जिन्हे आप सुधारना या बेहतर बनाना चाहते है
    • इस कदम का उद्देश्य आपको अनेक सम्भावनाओ पर सोच विचार करने में सहायता करना है। एक बार इन संभावनाओ के कागज पर उतर आने पर, आप निर्धारित कर सकते है की आपके लिए सबसे मत्वपूर्ण कौन सी सम्भावना हैं।
  6. एक बार कुछ लक्ष्यों पर सोच लेने और थोड़ा विचार कर लेने पर, अब आपको इनके बारे में अधिक स्पष्ट हो जाना चाहिये। अपने द्वारा विचारों के दौरान लिखे नोट्स और पहले वाले भाग से परिभाषाओं का उपयोग करें। कुछ ऐसी विशिष्ट बातों को लिख ले जिन्हें आप पाना चाहते हैँ। [७]
    • एक अस्पष्ट लक्ष्य: जैसे, "मैं बेहतर खेलना चाहता हूँ, इसलिए मैं अपना सर्वश्रष्ठ करूँगा," इतना प्रभावी नहीं होगा जितना "मैं छह महीनों में अपना पसंदीदा गाना बजाना सीखना चाहता हूँ" होगा। अच्छी तरह से परिभाषित नहीं किये हुए या अस्पष्ट "अपना सर्वश्रेष्ठ" जैसे लक्ष्य उतने प्रभावी नहीं होते जितने स्पष्ट लक्ष्य होते है।
    • "मैं अमीर बनाना चाहता हूँ": जैसे सामान्य और साधारण लक्ष्यों से आगे बढ़े, और ऐसी स्पष्ट उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करें जिनका परिणाम निकलता हो। "मैं अमीर बनाना चाहता हूँ" की बजाय आपका लक्ष्य "मैं स्टॉक बाज़ार में निपुण बनना चाहता हूँ" हो सकता है। "मैं गिटार बजाना चाहता हूँ" के बजाय "मैं एक रॉक बैंड में गिटार बजानाचाहता हूँ" आपका लक्ष्य हो सकता है।
  7. 7
    यहाँ पर लिख लेना एक अच्छी युक्ति है: अपने लक्ष्यों को जितना संभव हो उतने विस्तार से लिखने का प्रयत्न करें।
  8. स्मार्ट (SMART) विधि आपके लक्ष्यों को स्पष्ट करने और उनका मूल्यांकन करने का एक तरीका है। लक्ष्य निर्धारित करने की इस पद्धति से आप अपने लक्ष्यों को निम्न मापकों के द्वारा परिष्कृत करते हैं: [८]
    • स्पष्ट
    • मापने योग्य
    • प्राप्त किया जा सकने वाला
    • सम्बद्ध और
    • समयबद्ध
  9. बहुत से लोगों के कई लक्ष्य होते हैं। वास्तव में अपने विचारों को लिखने के दौरान, आपने स्वयं भी महसूस किया होगा की आप भी पहले से ही एक से अधिक लक्ष्य प्राप्त करने की आशा रखते हैं। अगर ऐसा है, तो अच्छा है की आप इन्हें इनके महत्व के अनुसार क्रमबद्ध कर लें।
    • क्रमबद्ध करने से आप अपने लिए सबसे अर्थपूर्ण लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
    • मिसाल के तौर पर, आप खगोल भौतिकी में पीएचडी करना चाहते है, क्लासिक गिटार बजाना सीखना चाहते हैं, टॉलस्टॉय द्वारा लिखित पूरे लेख पढ़ना चाहते हैं, और एक मैराथन में दौड़ना चाहतेहैं. इन सभी कामों को एक साथ कर पाना थोड़ा अवास्तविक है. यह निर्णय कर लेना कि कौन सा लक्ष्य आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है, आपको मौका देता है कि आप इन्हें दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों के तौर पर नियोजित कर सकें।
    • हर लक्ष्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता के स्तर को नापना इस प्रकिया का हिस्सा है। एक कठिन या दीर्घकालिक लक्ष्य जिसके प्रति आप उच्च स्तर तक प्रतिबद्ध नहीं हैं , ऐसा लक्ष्य आपके लिए प्राप्त कर पाना मुश्किल है। [९] यदि आप खगोल भौतिकी में पीएचडी करने को लेकर बहुत गंभीर नहीं है, तो संभवतः आपको इसे जीवन की प्राथमिकता नहीं बनाना चाहिए।
  10. इसके भविष्य पर पढ़ने वाले प्रभावों की कल्पना करें: थोड़ा समय निकाल कर सोचे की इनमें से हर लक्ष्य का आपके जीवन पर क्या प्रभाव होगा। इससे हर लक्ष्य को पाने के कोशिशों के लाभों को निर्धारित करने में सहायता मिलेगी। [१०]
    • इस प्रकार से सोचना आपको इन लक्ष्यों को पाने की कोशिशों की प्रक्रिया की कल्पना करने में सहायता करेगा। यह आपको लक्ष्य के प्रति अधिक प्रेरित करने में सहायक हो सकता है।
  11. अधिकतर लक्ष्यों को छोटे लक्ष्यों में बाँट लेने से उन्हें आसानी से पाया जा सकता है। ये छोटे-छोटे काम उप-लक्ष्य हैं--छोटे लक्ष्य जो जुड़ कर मुख्य लक्ष्य बनाते हैं जिसे आप पाना चाहते है। [११]
    • मिसाल के तौर पर, यदि आप गिटार बजाना सीखना चाहते हैं, तो आपका पहला उप-लक्ष्य गिटार पाना हो सकता है। अगला सीखने की कक्षा में प्रवेश लेना हो सकता है। अगला, आप सबसे प्रारंभिक कोर्ड्स और स्केल्स सीखना चाहेंगे, और यह क्रम से चलता रहेगा।
    • इन उप-लक्ष्यों की क्रमबद्ध सूची बनाने से आपको सही दिशा में ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेगा। [१२] ऊपर दिए उदाहरण में, आप आने वाले तीन महीनो में गिटार खरीदने के लिए पर्याप्त धन जुटाने को अपना लक्ष्य बना सकते है। उसके एक हफ्ते बाद आप प्रशिक्षण में प्रवेश लेने की योजना बना सकते है , अगले दो महीनो में प्रारंभिक कोर्ड्स सीखना, और इसी क्रम में आगे बढ़ते रह सकते हैं।
  12. अंतिम और महत्वपूर्ण बात, सोचें कि आपके लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में कौन सी बाधाएं आ सकती हैं। इन पर पहले से सोचने से आपको इन बाधाओं को पार करने की युक्ति निकाल पाने का मौका मिलता है। [१३]
    • मिसाल के तौर पर, आप को मालूम हो सकता है की गिटार के प्रशिक्षण में आपकी वर्तमान क्षमता से अधिक धन लगता है। इससे आप प्रशिक्षण के लिए अधिक धन जुटाने के उपायों पर सोच सकते हैं। या, आप निर्देशक पुस्तकों और वीडियोस की मदद से स्वयं सीखने पर भी विचार कर सकते हैं।
विधि 2
विधि 2 का 2:

अनुसरण

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  1. आप के लक्ष्य प्राप्ति की प्रक्रिया आसान बनाने के और ध्यान केंद्रित करने में सहायक कई तरीके हैं। अंत में निष्कर्ष तो फिर भी यही है, ज्यादातर लक्ष्यों की प्राप्ति और उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिए आपको कठिन परिश्रम और समय लगाना पड़ता है। [१४]
    • सोचें कि आप कितने समय में लक्ष्य प्राप्ति की उम्मीद रखते हैं, और कब इसे पूरा कर लेना चाहते हैं। मिसाल के लिए, कल्पना करें कि गिटार के प्रारंभिक तौर पर बजा पाना सीखने के लिए आपको 40 घंटो का समय लगेगा और आप एक महीने में इसे सीख लेना चाहते हैं। तो आपको रोज एक घंटे से कुछ अधिक समय इस पर लगाना होगा।
    • समय लगाये जाने की अलावा और कोई रास्ता नहीं है। यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति सचमुच समर्पित हैं, तो आपको ये करना ही होगा।
  2. नित्य नियम बना लेना समय निकालने में आपकी सहायता करेगा। अपने लक्ष्य को पाने के रोज एक समय निर्धारित करें। [१५]
    • उदाहरण के लिए, संगीत के स्केल्स का अभ्यास करने के लिए आप 6:30 बजे से आधा घंटा लगा सकते है। आप अगला आधा घंटा कोर्ड्स का अभ्यास करने के लिए लगा सकते हैं। फिर अगले 15 मिनिट आप किसी गाने का विशेष गाने को बजाने का अभ्यास कर सकते हैं। अगर आप ऐसा रोज करते हैं (या फिर एक दिन छोड़ कर भी करते हैं), तो आप बहुत जल्दी किसी भी वाद्य यन्त्र को बजाना सीख सकते हैं।
  3. एक बार जब आप अपने लक्ष्य की ओर काम करना शुरू करते हैं, तो अपनी प्रगति पर नजर रखें। प्रगति की एक पत्रिका बनाये, किसी ऍप (application/app) का उपयोग करें या किसी डेस्क कैलेंडर में अपने लगाये समय, प्राप्त हुए उप-लक्ष्यों आदि को लिख लें।
    • अपनी प्रगति पर नजर रखने से आपको अधिक प्रेरित रहने में सहायता मिलेगी। इससे आपको अपने नित्य क्रम का पालन हेतु अधिक जवाबदेह होने में भी सहायता मिलेगी। [१६]
    • रोजाना अपनी पत्रिका में नित्यक्रम लिखना आपके लक्ष्य प्राप्ति को लेकर महसूस होने वाले तनाव को काम करने का एक अच्छा उपाय है। [१७]
  4. विशेष रूप से दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुसरण में सबसे कठिन बात प्रेरित बने रहना ही है। प्राप्त किये जा सकने वाले उप-लक्ष्य बनाना और प्रगति पर नजर रखना दोनों ही आपके लिए मददगार होते हैं। लेकिन, आपको कुछ अतिरिक्त सुदृढीकरण के कदम भी लेने पड़ सकते हैं। [१८]
    • सुदृढीकरण का अर्थ है की आप अपने कामों का परिणामों का निर्माण करते हैं। सुदृढीकरण दो प्रकार के होते हैं।
    • आशावादी सुदृढीकरण का अर्थ है आप अपने जीवन में कुछ नया जोड़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, किसी उप-लक्ष्य की प्राप्ति पर जश्न मनाने के लिए आप खुद को मिठाई खाने के लिए दावत दे सकते हैं।
    • निराशावादी सुदृढीकरण अर्थ है किसी चीज़ से दूर होना। यदि कोई अनावश्यक चीज़ है, तो उसे हटाना ही पुरस्कार है। उदाहरण के लिए, एक उप-लक्ष्य की प्राप्ति पर आप खुद को किसी कार्य को एक हफ्ते तक न करने का पुरस्कार दे सकते हैं। ऐसा मानें कि यह कार्य उस एक हफ्ते के लिए आपके जीवन से निकाल दिया गया है।
    • सुदृढीकरण कोई सजा नहीं बल्कि आपके मनोबल को बनाये रखने में सहायक होता है। खुद को कुछ करने से रोकना या अन्यथा असफल होने पर खुद को सजा देना थोड़ी देर के लिए ठीक है, किन्तु जहाँ तक संभव हो आप पपुरस्कारों पर ही टिके रहें। [१९]

सलाह

  • खुद पर विश्वास रखें।
  • खुद से सच बोलें। ऐसी चीजें करके लक्ष्य प्राप्त करना जिन पर आपको गर्व न हो, तब लक्ष्य की प्राप्ति उतनी सुखद नहीं होगी।
  • लाओ-ज़े द्वारा कहे इन शब्दों को न भूले : "हज़ारों मील की यात्रा की शुरुवात पहले एक कदम से ही होती है।
  • इसे लिख कर रखें। लिखने से विचारों में सुदृढता आती है। अपने लिखे विचारों को देखने वाले चाहे सिर्फ आप ही हों, पर अपने लक्ष्यों को लिखना आपकी लक्ष्य प्राप्ति की मंशा को अधिक बल देता है।
  • लक्ष्य रखने वाले दूसरे लोग, चाहे वे आपके जैसे न हो, वे भी आपके लिए बड़ा सहारा बन सकते है। इनसे रोज बात करें। अगर कोई भी व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध न हो, किसी ऑनलाइन कम्युनिटी को आजमाएं जहाँ पर लोग लक्ष्य निर्धारित करके एक दूसरे को जवाबदेह बनाते हैं।

चेतावनी

  • जैसी आपने योजना बनाई है चीजें हमेशा वैसे ही नहीं होतीं। रुख लचीला रहे और अपने लक्ष्यों पर टिके रहें। ज्यादातर कोई चीज अपने ही तरीके से हो जाती है बजाए इसके जैसा आपने सोचा था, पर यह जरूरी नहीं की वो ख़राब ही हो। अपना दिमाग खुला रखें।
  • किसी चौकोर वस्तु को गोल बनाने का प्रयास न करें। अगर कुछ ठीक न लगे या आप को अच्छा महसूस न हो, तो कोई और तरीका अपनाएं।
  • अपनी गति बढ़ाएं। लक्ष्य की ओर बढ़ने की शुरुवात में लोग काफी समय और मेहनत करते है, किन्तु फिर धीमे पड़ जातें हैं। किसी नए लक्ष्य के साथ आने वाला शुरुवाती उत्साह बहुत अच्छा होता है। पर खुद के लिए शुरुवात में ऐसे मानक न तय करें जिन्हें लम्बे समय में निभाना मुश्किल हो जाए।

रेफरेन्स

  1. McGregor, I., & Little, B. R. (1998). Personal projects, happiness, and meaning: on doing well and being yourself. Journal of personality and social psychology, 74(2), 494.
  2. McGregor, I., & Little, B. R. (1998). Personal projects, happiness, and meaning: on doing well and being yourself. Journal of personality and social psychology, 74(2), 494.
  3. Brunstein, J. C. (1993). Personal goals and subjective well-being: A longitudinal study. Journal of Personality and Social Psychology, 65, 1061–1070.
  4. Brunstein, J. C. (1993). Personal goals and subjective well-being: A longitudinal study. Journal of Personality and Social Psychology, 65, 1061–1070.
  5. https://www.psychologytoday.com/blog/coaching-and-parenting-young-athletes/201311/keys-effective-goal-setting
  6. Morisano, D., Hirsh, J. B., Peterson, J. B., Pihl, R. O., & Shore, B. M. (2010). Setting, elaborating, and reflecting on personal goals improves academic performance. Journal of Applied Psychology, 95(2), 255.)
  7. Austin, J. T., & Vancouver, J. B. (1996). Goal constructs in psychology: Structure, process, and content. Psychological Bulletin, 120, 338 –375.
  8. Lawlor, B. & Hornyak, M. (2012). SMART Goals: How the Application of Smart Goals can Contribute to Achievement of Student Learning Outcomes. Journal of Development of Business Simulation and Experimental Learning, 39, 259-267. https://journals.tdl.org/absel/index.php/absel/article/viewFile/90/86
  9. Koestner, R., Lekes, N., Powers, T. A., & Chicoine, E. (2002). Attaining personal goals: Self-concordance plus implementation intentions equals success. Journal of Personality and Social Psychology, 83, 231–244.

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