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जैतून को प्राचीन काल से ही क्योर किया जाता रहा है, जिससे कि प्राक्रतिक तौर पर कड़वे जैतून, नमकीन और खट्टे स्नैक्स में बदल जाते हैं | आप जैतून की किस्म के अनुसार उसे क्योर करने का सबसे उपयुक्त तरीका चुन सकते हैं | क्योर करने के अनेक तरीकें हैं, जैसे कि पानी से क्योर करना, नमकीन पानी (ब्रायन) से क्योर करना, सूखा क्योर करना (सिर्फ नमक के साथ) और लायी (एक तरह का रसायन) से क्योर करना | हर तरीके से जैतून की अलग बनावट और ज़ायकें विकसित होते हैं | जैतूनों को क्योर करने में काफी वक़्त लगता है, पर जब आप यह काम खुद करेंगें, तो आप अपने स्वाद के अनुसार इन्हें ज्यादा बेहतर तरीके से क्योर कर सकेंगें |

  • पानी में क्योर करने का वक़्त: 7-10 दिन
विधि 1
विधि 1 का 4:

जैतून को पानी में क्योर करें

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  1. जब आप जैतून को पानी से क्योर करते हैं, तो उसमे से ओलेयूरोपिन नामक तत्व निकल जाता है, जो जैतून के तेज़ और कड़वे स्वाद के लिए जिम्मेदार होता है | हरे जैतून असल में कच्चे जैतून ही होते हैं (जैसे हरे टमाटर कच्चे होते हैं) और इनका जायका मंद होता है, तो इनका कड़वापन दूर करने के लिए पानी ही काफी है |
    • हरे जैतून जो पेड़ पर पकने के लिए छोड़ दिए जाते हैं, वे पूरी तरह से पकने के बाद काले या जामुनी रंग के हो जाते हैं | जब जैतून पूरी तरह से पक जाते हैं, तो उन्हें सिर्फ पानी का इस्तेमाल कर के क्योर करना संभव नहीं होता; इसके लिए फिर क्योर करने के अन्य तरीकें इस्तेमाल करने पड़ते हैं |
  2. यह निश्चित कर लें कि वे कम से कम कटे-फटे हों | उनमें पक्षियों या कीटों आदि की वजह से छेद नहीं होने चाहियें | अगर जैतूनों पर रसायानों का प्रयोग किया गया है, तो उन्हें क्योर करने से पहले अच्छी तरह से धो लें |
  3. पानी जैतूनों के अन्दर तक पहुँच सके, इसके लिए आपको उन्हें तोड़ना या काटना होगा | ऐसा करने के लिए आप लकड़ी का एक माल्लेट (हथोड़े जैसा औज़ार) या फिर एक बेलन का इस्तेमाल कर सकते हैं | जैतूनों पर बेलन या माल्लेट से हल्का प्रहार करें,पर उन्हें पूरी तरह से तोड़ें नहीं | हमें सिर्फ जैतून को थोड़ा सा खरोचना है, न कि उसे मसलना या कई हिस्सों में तोड़ना | आप इस बात का भी ख्याल रखें कि जैतून की गुठली न टूटे |
    • अगर आप को इस बात की चिंता है कि बेलन या माल्लेट से प्रहार करने से जैतूनों का आकार खराब हो जायेगा, तो आप एक चाकू से उन पर कट लगा सकते हैं | एक तेज़धार चाकू से हर जैतून पर 3 कट लगायें, ताकि पानी उनके अन्दर तक पहुँच सकें |
  4. जैतूनों को एक बड़े डब्बें में डाल कर ठन्डे पानी से ढक दें: ऐसा डब्बा इस्तेमाल करें जो कि 'फ़ूड-ग्रेड' (हानिकारक रसायन रहित) प्लास्टिक से बना हो | जैतूनों को पानी से पूरी तरह से ढक दें और कोई भी जैतून पानी के बाहर नहीं होना चाहिये | सभी जैतून पानी के अन्दर ही रहें, इसके लिए आप उन पर एक थाली रख सकते हैं, ताकि वे पानी के ऊपर न तैरें | डब्बे को ढक्कन से ढक दें, पर बंद न करें और उसे किसी ठंडी और अँधेरे वाली जगह पर रख दें |
    • यह निश्चित कर लें कि आप एक 'फ़ूड-ग्रेड' प्लास्टिक से बना डब्बा ही इस्तेमाल कर रहे हों, ताकि डब्बे के रसायन रिस कर जैतूनों के साथ न मिल जायें | आप एक कांच का मर्तबान भी ले सकते हैं, बस इस बात का ध्यान रखें कि वह धुप के संपर्क में न आयें |
  5. दिन में कम से कम एक बार, डब्बे में से पानी निकाल कर, ताज़ा ठंडा पानी भरें | यह काम करना भूलें नहीं, नहीं तो पानी में बैक्टीरिया पनप सकते हैं और आपके जैतून खराब हो सकते हैं | पानी बदलने के लिए, जैतूनों को एक कोलेंदर (छेदों वाली एक बड़ी कटोरी) में डाल दें, डब्बे को धो लें और उसमे सारे जैतून वापस डाल कर फिर से ताज़ा, ठन्डे पानी से भर दें |
  6. एक हफ्ते तक हर रोज पानी बदलने के बाद, एक जैतून को चख कर देखें कि उसका कड़वापन आपके स्वादानुसार कम हुआ या नहीं | अगर आप संतुष्ट है, तो जैतून इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं; पर अगर आप उनका कड़वापन और कम करना चाहते हैं, तो कुछ दिन और इंतज़ार करें और पानी को रोज बदलते रहें | [१]
  7. यह वह तरल मिश्रण है जिसमे जैतूनों को रखा जायेगा | यह अचारी नमक (आयोडीन रहित शुद्ध नमक), पानी और सिरके का एक मिश्रण है, जिससे जैतून लम्बे समय तक सुरक्षित रहेंगें और उनका स्वाद भी स्वादिष्ट अचार जैसा हो जायेगा | ब्रायन बनाने के लिए, नीचे दी गयी सामग्री को मिलायें (यह करीब 5 किलो जैतूनों के लिए काफी है):
    • करीब 3.8 लीटर ठंडा पानी
    • 1 1/2 कप अचारी नमक (अगर उपलब्ध न हो तो आप सामान्य नमक भी इस्तेमाल कर सकते हैं)
    • 2 कप सफ़ेद वाइन सिरका (अगर उपलब्ध न हो तो आप सामान्य सिरका भी इस्तेमाल कर सकते हैं)
  8. जैतूनों का पानी निकाल कर उन्हें एक डब्बे में रखें: आप जैतूनों को सुरक्षित रखने के लिए, ढक्कन सहित एक कांच का मर्तबान ले सकते हैं या कोई और दूसरा डब्बा | डब्बे में जैतून डालने से पहले उसे अच्छी तरह से धो कर सूखा लें | डब्बे में ऊपर से 1 इंच की जगह छोड़ दें |
  9. ब्रायन को डब्बे में डाल दें, ताकि सारे जैतून उससे अच्छी तरह से ढक जाये | डब्बे पर ढक्कन लगा कर उसे फ्रिज में रख दें |
    • अगर आप ब्रायन मिश्रण को और ज्यादा ज़ायकेदार बनाना चाहते हैं, तो आप डब्बे में नींबू के छिलके, रोस्मेरी (गुलमेहंदी) की छोटी डंडी, भुना हुआ लहसुन या काली मिर्च भी डाल सकते हैं |
    • फ्रिज में ब्रायन मिश्रण के अन्दर जैतून करीब 1 साल तक सुरक्षित रहेंगें | [२]
विधि 2
विधि 2 का 4:

जैतूनों को ब्रायन में क्योर करें

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  1. ब्रायन में क्योर करने के लिए आप काले और हरे, दोनों तरह के जैतून ले सकते हैं | ब्रायन नमक और पानी का एक मिश्रण है जो जैतूनों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखता है और उन्हें एक नमकीन स्वाद भी देता है | इस तरीके से क्योर करने में पानी से क्योर करने के मुकाबले ज्यादा समय लगता है, पर ये पके हुए जैतूनों को क्योर करने के लिए सबसे उपयुक्त तरीका है | मंजानिल्लो, मिशन और कालामाता जैतून अक्सर ब्रायन में ही क्योर किये जाते हैं |
    • जैतूनों को जाँचें: यह निश्चित कर लें कि वे कम से कम कटे-फटे हों | उनमें पक्षियों या कीटों आदि की वजह से छेद नहीं होने चाहियें | अगर जैतूनों पर रसायानों का प्रयोग किया गया है, तो उन्हें क्योर करने से पहले अच्छी तरह से धो लें |
    • आप चाहें तो जैतूनों को उनके आकार के अनुसार अलग कर सकते हैं | एक ही आकार के जैतून ज्यादा बेहतर और समान तरीके से क्योर होते हैं |
  2. ब्रायन जैतूनों के अन्दर तक पहुँच सके, इसके लिए आपको उन्हें काटना होगा | एक तेज़ धार चाकू का इस्तेमाल कर के जैतून में एक खड़ा कट लगायें; पर इस बात का ख्याल रखें कि उसकी गुठली न कटे |
  3. जैतूनों को कांच के मर्तबानों (ढक्कन सहित) में रखें: हमें जैतूनों को ऐसे डब्बों में रखना है जिनमें हवा आ-जा न सके और इसके लिए कांच के मर्तबान सबसे ज्यादा उपयुक्त है | जैतूनों को मर्तबानों में अच्छी तरह से डाल दें और साथ ही मर्तबानों में ऊपर की तरफ से 1 इंच की जगह भी छोड़ दें |
  4. जैतूनों को एक मध्यम तीव्रता वाले ब्रायन से ढक दें: करीब 3.8 लीटर पानी में 3/4 कप अचारी नमक (बारीक शुद्ध नमक) मिलायें | अगर आप के पास अचारी नमक उपलब्ध न हो, तो आप सामान्य नमक भी ले सकते हैं | मर्तबानों में ब्रायन डाल दें, ताकि जैतून ब्रायन से अच्छी तरह से ढक जायें | मर्तबानों को बंद कर के उन्हें एक ठंडी, अँधेरे वाली जगह पर रख दें, जैसे कि रसोई का सामान रखने वाले किसी कबर्ड में |
  5. इस दौरान जैतून क्योर होने लगेंगें | मर्तबानों को हिलायें नहीं, ताकि उसमे मौजूद पानी और नमक जैतूनों के अन्दर अच्छी तरह से समा जायें |
  6. एक हफ्ते बाद, जैतूनों का पानी निकालें और ब्रायन को फेंक दें, क्योंकि अब वह कड़वा हो चुका है और आप उसे दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं | जैतूनों को कांच के मर्तबानों में वापस डाल दें |
  7. जैतूनों को उच्च तीव्रता (स्ट्रोंग) वाले ब्रायन में डालें: करीब 3.8 लीटर पानी में 1 1/2 कप अचारी नमक डालें | इस उच्च तीव्रता वाले ब्रायन को जैतूनों के ऊपर डाल दें | मर्तबानों को बंद कर दें |
  8. जैतूनों के मर्तबानों को एक ठंडी जगह पर, धुप से दूर रखें | 2 महीनों बाद, एक जैतून को चखें और देखें कि वह आपके स्वादानुसार कम कड़वा हुआ या नहीं | अगर नहीं, तो ब्रायन को बदल कर ताज़ा उच्च तीव्रता वाला ब्रायन डालें और जैतूनों को 1-2 महीनों तक दोबारा ब्रायन में रहने दें | आप इस प्रक्रिया को तब तक दोहरा सकते हैं, जब तक कि आपको अपने स्वादानुसार जैतून न मिल जायें |
विधि 3
विधि 3 का 4:

जैतूनों को सूखा क्योर करें

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  1. आप नमक का इस्तेमाल कर के काले, तैलीय जैतूनों को सूखा क्योर कर सकते हैं | मंज़िल्लो, मिशन और कालामाता जैतून अक्सर इसी तरीके से क्योर किये जाते हैं | इस बात का ध्यान रखें कि जिन जैतूनों आप इस तरीके से क्योर करने जा रहे हैं, वे पूरी तरह से पके और गहरे रंग के हों | यह निश्चित कर लें कि वे कम से कम कटे-फटे हों | उनमें पक्षियों या कीटों आदि की वजह से छेद नहीं होने चाहियें | [३]
  2. अगर जैतूनों पर रसायनों का प्रयोग किया गया था, तो उन्हें क्योर करने से पहले अच्छी तरह से धो लें | उन्हें पूरी तरह से सूखने के लिए छोड़ दें |
  3. आप एक तराजू या रसोई में इस्तेमाल होने वाली वेईंग मशीन का इस्तेमाल कर के जैतूनों का सटीक भार पता कर सकते हैं | करीब 1 किलो जैतूनों के लिए आपको आधा किलो (1 1/2 कप) अचारी नमक चाहिये होगा |
  4. आप फलों को रखने के लिए इस्तेमाल होने वाला लकड़ी का एक क्रैट ले सकते हैं, जो करीब 6 इंच गहरा हो और जिसकी हर तरफ लकड़ी के 2 फट्टें लगे हों | जूट की एक बोरी को क्रेट के अन्दर बिछा दें (नीचे और चारों तरफ), और फिर उसे स्टेपल कर के या फिर कील थोक कर फिक्स कर दें | इसी तरह से एक और क्रेट तैयार करें |
    • बोरी की जगह आप क्रेट में रसोई का साफ़ कपड़ा, पुरानी चादरें या टिश्यू आदि भी बिछा सकते हैं, बस कपड़ें प्रयाप्त मात्रा में होने चाहिये ताकि उन पर नमक डाला जा सके और वे सारी नमी को भी सोख लें, जो क्रेट में हो सकती है |
  5. एक बड़ी कटोरी में करीब 1 किलो जैतूनों के लिए 1 1/2 कप अचारी नमक या कोशर नमक (मोटे दानों वाला शुद्ध नमक) मिलायें | नमक और जैतूनों को अच्छी तरह से मिलायें, ताकि सारे जैतून नमक से अच्छी तरह से ढक जायें |
    • कोशिश करें कि आप आयोडीन युक्त सामान्य नमक का इस्तेमाल न करें; इससे जैतून का जायका प्रभावित हो सकता है | बेहतर होगा कि आप अचारी नमक या कोशर नमक का इस्तेमाल करें, या फिर आयोडीन रहित शुद्ध नमक का |
    • नमक डालने में कंजूसी न करें, नहीं तो जैतूनों में फफूंद लग सकती है |
  6. सारे जैतूनों और नमक को एक क्रेट में डाल दें, और फिर उन्हें अचारी नमक की एक परत से ढक दें | क्रेट को एक बारीक कपड़े से ढक दें, ताकि जैतून और नमक का यह मिश्रण, कीट-पतंगों से सुरक्षित रहें |
  7. क्रेट के नीचे एक टाट आदि बिछा दें, ताकि जैतूनों का रस क्रेट में से निकल कर फर्श को खराब न करें | क्रेट को सीधे जमीन पर रखने की बजाये उसे लकड़ी आदि के टुकड़ों पर रख दें, ताकि उसमे हवा का आवागमन होता रहे | [४]
  8. क्रेट में मौजूद जैतूनों और नमक को दूसरे साफ़ क्रेट में डाल दें | क्रेट को अच्छी तरह से हिला कर नमक और जैतूनों को मिला लें और उसके बाद सावधानीपूर्वक जैतूनों और नमक को वापस पहले वाले क्रेट में डाल दें | ऐसा करने से हर जैतून पर नमक की एक समान परत चढ़ जायेगी और आप खराब और सड़े हुए जैतूनों को भी देख पायेंगें | खराब और सड़े हुए जैतूनों को निकाल कर फेंक दें, नहीं तो इनकी वज़ह से बाकी जैतून भी खराब हो जायेंगें |
    • अगर किसी भी जैतून पर सफ़ेद गोल धब्बें हों, तो उसे निकाल लें, क्योंकि यह फफूंद लगने की एक निशानी है | अक्सर यह फफूंद जैतून की डंडी की तरफ लगी होती है |
    • जैतूनों को जाँचे ताकि आप यह निश्चित कर सकें कि वे सही से क्योर हो रहें है या नहीं | अगर कोई जैतून एक जगह से सूखा और एक जगह से फुला हुआ है, तो आप उसे नमक के साथ दोबारा मिलाने से पहले हल्का गीला कर ले; इससे फुला हुआ हिस्सा सूखने लगेगा |
  9. 1 महीने के बाद, एक जैतून को चख कर उसका जायका जाँचें | अगर जैतून अभी भी काफी कड़वा है, तो आप जैतूनों को 1-2 हफ्तें और सूखा क्योर कर सकते हैं | जैतूनों के आकार पर निर्भर करते हुए उन्हें सूखा क्योर करने में 1 माह से लेकर डेढ़ माह लग सकते हैं | क्योर होने के बाद, जैतून सुखें और नर्म होंगें |
  10. आप जैतूनों को बारीक छेदों वाली एक बड़ी जाली पर डाल कर उनका नमक अलग कर सकते हैं, या फिर एक-एक कर के जैतून निकालें और हिला कर उनका नमक झाड़ लें |
  11. जैतूनों को टिश्यू या कपड़ों पर बिछा दें और उन्हें अच्छी तरह से सूखने दें |
  12. करीब 5 किलो जैतूनों के साथ आधा किलो नमक मिलायें, ताकि वे लम्बे समय तक सुरक्षित रहें, फिर उन्हें कांच के मर्तबान में रख कर बंद कर दें | आप इन जैतूनों को फ्रिज में कई महीनों तक सुरक्षित रख सकते हैं |
    • आप चाहें तो इन जैतूनों को एक्स्ट्रा-वर्जिन (शुद्ध) जैतून तेल और मसालों के साथ मिला कर इन्हें और ज्यादा ज़ायकेदार बना सकते हैं |
विधि 4
विधि 4 का 4:

जैतूनों को लायी क्योर करें

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  1. लायी से आपकी त्वचा पर जलने के घाव हो सकते हैं | लायी के साथ काम करते वक़्त हमेशा रसायान-सुरक्षित दस्तानों और सेफ्टी ग्लासेस (आँखों को सुरक्षित रखने के लिए चश्में) का इस्तेमाल करें | साथ ही जैतूनों को लायी में रखने के लिए प्लास्टिक या धातु के बर्तन न इस्तेमाल करें | बर्तनों के ढक्कन भी प्लास्टिक या धातु के नहीं होने चाहियें, क्योंकि लायी धातु को पिंघला देती है | [५]
    • अगर आप के घर में छोटे बच्चें हैं, जो लायी के मिश्रण के नज़दीक आ सकते हैं, तो बेहतर है कि आप लायी से जैतूनों को क्योर न करें |
    • क्योर करने के इस प्रक्रिया को एक हवादार कमरे में ही करें | खिड़कियों को खोल दें और पंखा चला दें, ताकि हवा का आवागमन होता रहे |
  2. यह प्रक्रिया ख़ासकर बड़े जैतूनों के लिए कारगार है, जैसे कि सेविल्ल जैतून | यह कच्चे (हरे) और पके (गहरे रंग के), दोनों तरह के जैतूनों के लिए कारगार है | गले और कटे-फटे जैतूनों को निकाल कर फेंक दें और अगर आप चाहें तो जैतूनों को उनके आकार के अनुसार अलग कर सकते हैं, ताकि वे समान रूप से क्योर हो सकें |
  3. जैतूनों को लायी या रसायन-सुरक्षित बर्तन में रखें: धातु का बर्तन न लें, बल्कि एक बड़ा कांच या चीनीमिट्टी का बर्तन लें |
  4. करीब 3.8 लीटर पानी एक रसायन सुरक्षित बर्तन (जैसे कि कांच या चीनीमिट्टी का बर्तन) में डालें | पानी में करीब 60 मिलीलीटर लायी डालें | यह तरल मिश्रण लायी डालते ही गर्म हो जायेगा | जैतूनों को डालने से पहले, इस मिश्रण को करीब 18-21 डिग्री सेल्सिअस के तापमान तक ठंडा होने दें |
    • हमेशा पानी में लायी डालें, न कि लायी में पानी | लायी में पानी डालने से विस्फोटक रसायनिक क्रिया हो सकती है |
    • लायी और पानी की सटीक मात्रा लें | बहुत ज्यादा लायी इस्तेमाल करने से जैतून खराब हो सकते हैं, और बहुत कम लायी इस्तेमाल करने से वे सही से क्योर नहीं होंगें |
  5. जैतूनों को लायी के मिश्रण से पूरी तरह से ढक दें | जैतूनों के ऊपर एक थाली ढक दें, ताकि वे हवा के संपर्क में न आयें, जिसकी वज़ह से वे गहरे रंग के हो सकते हैं | बर्तन को एक बारीक कपड़े से ढक दें, ताकि जैतून कीटों से सुरक्षित रहें |
  6. मिश्रण को हर 2 घंटे में हिलाते रहें, जब तक कि लायी जैतूनों की गुठलियों तक न पहुँच जाये: पहले 8 घंटों तक मिश्रण को मिला कर दोबारा से ढक दें | 8 घंटों के बाद, जैतूनों को जाँचे, ताकि आपको पता चल सके कि लायी उनकी गुठलियों तक पहुँची या नहीं | रसायान-सुरक्षित दस्तानें पहन कर कुछ बड़ें जैतूनों को बाहर निकालें | अगर आप उन्हें काट कर उनकी गुठलियों तक आसानी से पहुँच पा रहे हैं, और जैतूनों का गूदा नर्म, पीला-हरा है, तो इसका मतलब है कि जैतून क्योर हो चुके हैं | पर अगर जैतूनों के बीच में मौजूद गूदा अभी हल्के रंग का है, तो आप उन्हें कुछ और घंटों के लिए लायी के मिश्रण में छोड़ सकते हैं, ताकि वे पूरी तरह से क्योर हो जायें |
    • कभी भी रसायन-सुरक्षित दस्तानें पहने बिना, जैतूनों को लायी के मिश्रण में से न निकालें | अगर आप के पास रसायन-सुरक्षित दस्तानें नहीं है, तो आप एक चम्मच से कुछ जैतूनों को निकाल कर उन्हें कुछ मिनटों तक ठन्डे पानी के नीचे धो सकते हैं | उसके बाद आप जाँच सकते हैं कि जैतून पूरी तरह से क्योर हुए या नहीं |
  7. अगर जैतून ज्यादा कच्चे या हरे हैं, तो 12 घंटों के बाद भी लायी का मिश्रण उनकी गुठलियों तक नहीं पहुँच पायेगा | अगर ऐसा है, तो लायी का पुराना मिश्रण निकाल कर, जैतूनों को लायी के ताज़ा मिश्रण से ढक दें | अगर अतिरिक्त 12 घंटों के बाद भी लायी का मिश्रण जैतूनों की गुठलियों तक न पहुँच पाये, तो इस प्रक्रिया को दोबारा दोहरायें |
  8. दिन में कम से कम 2 बार पानी को बदलें | इससे जैतून अच्छी तरह से धुल जायेंगें और लायी जैतूनों के अन्दर से निकल जायेगी | हर बार जब आप पानी बदलेंगें, तो उसका रंग हल्का होता जायेगा |
  9. अगर जैतून का स्वाद मीठा और तैलीय है और उसमे कड़वापन और साबुन जैसा स्वाद नहीं है, तो आप अगले कदम की तरफ बढ़ सकते हैं | पर अगर जैतून का स्वाद लायी जैसा लग रहा है, तो जैतूनों को दोबारा भिगो कर उनका पानी निकालें, जब तक कि उनका स्वाद सही न हो जाये और पानी एकदम साफ़ |
  10. जैतूनों को कम तीव्रता वाले ब्रायन मिश्रण में क्योर करें: जैतूनों को एक कांच के मर्तबान में रखें | करीब 3.8 लीटर पानी में 6 बड़ी चम्मच नमक मिलायें और उसे जैतूनों के ऊपर डाल दें | जैतूनों को ब्रायन के अन्दर 1 हफ्ते तक क्योर होने दें, जिसके बाद आप उनका सेवन कर सकते हैं | आप इन जैतूनों को ब्रायन के अन्दर रख कर, कुछ हफ़्तों तक फ्रिज में सुरक्षित रख सकते हैं |

सलाह

  • सूखे हुए जैतूनों को अगर जैतून के तेल में कुछ दिनों तक रखा जाये, तो वे दोबारा से फूल जायेंगें |
  • लायी से हुए जलने के घावों का इलाज करने के लिए आप उन्हें नल के नीचे 15 मिनटों तक धोयें और फिर एक डॉक्टर की सलाह लें | कभी भी लाय, जो कि एक बेस (एसिड का विपरीत रसायन) है, से हुए जलने के घावों को नींबू के रस या सिरके से संतुलित करने की कोशिश न करें; एसिड और बेस को मिलाना काफी खतरनाक हो सकता है |
  • अगर आप ब्रायन में साबुत कच्चा अंडा डालें, और वह उस पर तैरने लगे, तो इसका मतलब है कि ब्रायन मिश्रण सही बना है |
  • इस बात को निश्चित कर लें, कि आप जैतूनों को क्योर करने के लिए फ़ूड-ग्रेड (खाद्य सामग्रियों के साथ इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित) लायी का ही इस्तेमाल कर रहे हों | कभी भी लायी से जैतूनों को क्योर करने के लिए, ओवन क्लीनर या नाली साफ करने वाले रसायन न इस्तेमाल करें (ये रसायन भी लायी के स्त्रोत है) |
  • बेहतर गुणवता का ब्रायन मिश्रण बनाने के लिए आप पानी और नमक के मिश्रण को उबाल सकते हैं और फिर उसे जैतूनों पर डालने से पहले ठंडा होने दें |

चेतावनी

  • कभी भी लायी में भीगे हुए जैतूनों को न चखें | लायी से निकालने के बाद और पानी में 3 दिनों तक भिगोने के बाद ही उन्हें चखें |
  • ब्रायन मिश्रण के ऊपर कुछ झाग बन सकता है | जब तक जैतून ब्रायन मिश्रण के अन्दर हैं और झाग के संपर्क में नहीं आते हैं, तब तक झाग से कोई नुकसान नहीं है | पर बेहतर यही है कि आप इस झाग को बनते ही निकाल लें |

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • रसायन सुरक्षित दस्तानें
  • सेफ्टी ग्लासेस
  • 2 लकड़ी के क्रेट
  • जूट की बोरी (जो फटी न हो), बारीक कपड़ा, चादरें, टिश्यू या रूमाल

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