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आपको अपने बेबी का फोर्मुला पैसों की वजह से, या फिर उसके पेट को राहत देने के लिए बदलना पड़ सकता है | कोई भी बदलाव करने से पहले ये ज़रूरी है की आप अपने डॉक्टर से बात करें | इन्फेंट फ़ॉर्मूला पर काफी नियंत्रण रखा जाता है और सभी फ़ॉर्मूला इन्फैन्ट्स को संपूर्ण और उपयुक्त पोषण देते हैं | इसीलिए, बेबी फ़ॉर्मूला बदल कर नया अपनाना बेहद आसान है | बस नया फ़ॉर्मूला चुनें, एक से दूसरे पर धीरे से परिवर्तन करें, और फिर अपने बच्चे पर नज़र रखें की उसे नए फ़ॉर्मूला से कोई रिएक्शन तो नहीं हो रही है |

विधि 1
विधि 1 का 3:

नए इन्फेंट फ़ॉर्मूला का चुनाव

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  1. फ़ॉर्मूला बदलने से पहले डॉक्टर या पीडिएट्रिशन से राय लें: एक से दूसरे फ़ॉर्मूला पर जाने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें | चाहे आप डाइट या पैसा किसी भी वजह से ये बदलाव कर रहे हों आपके लिए ये करना ज़रूरी है | आपका डॉक्टर ऐसा फ़ॉर्मूला बताएगा जो आपके बेबी के लिए उपयुक्त है और साथ ही नए फ़ॉर्मूला की कैसे आदत डालनी है वो भी सिखाएगा | [१]
    • अगर आपके बेबी को फ़ॉर्मूला पीने के बाद हाइव्स, रैश, लालपन, या तेज़ी से उल्टी की शिकायत हो रही है, हो सकता है उन्हें फ़ॉर्मूला में मौजूद मिल्क या सोया प्रोटीन से एलर्जी हो रही होगी |
    • आपका डॉक्टर या पीडिएट्रिशन आपके बेबी में कम वज़न की बढ़त होने और डाइट की ज़रूरतों की वजह से भी फ़ॉर्मूला बदलने को कह सकता है | उदाहरण के तौर पर, आपके बेबी को अपनी डाइट में ज़्यादा आयरन की ज़रुरत है, और ऐसे में आयरन-युक्त फ़ॉर्मूला सर्वोत्तम रहता है | इसके अलावा एसिड रिफ्लक्स जैसी तकलीफ से ग्रस्त बेबी के लिए एक श्रेणी के फ़ॉर्मूला का सुझाव दिया जाता है |
    • लेकिन, अगर आपको डॉक्टर को किसी मेडिकल समस्या का शक नहीं है, तो वो ऐसे फ़ॉर्मूला या ब्रांड का सुझाव दे सकता है जो अन्य हेल्थ सिम्टम्स जैसे गैस, और पूप करने में तकलीफ और चिड़चिड़ेपन में सुधार ला सकता है |
  2. मिलते जुलते प्रोटीन के प्रकार के ही नए फ़ॉर्मूला के बारे में विचार करें: जब आप फ़ॉर्मूला में बदलाव कर रहे तो एक ही प्रकार के प्रोटीन के फ़ॉर्मूला का चुनाव आपके बेबी के डायाजेस्टिव सिस्टम के लिए सही रहता है | अगर आपने मेडिकल कारणों के बजाय कीमत की वजह से ब्रांड बदलने का फैसला किया है, तो ये चुनाव करना आसान है | मतलब अगर, आपके बेबी के मौजूदा फ़ॉर्मूला में प्रोटीन टाइप के लिए गाय का दूध प्रयोग किया गया है , तो आप ऐसा फ़ॉर्मूला चुन सकते हैं जिसमें गाय का दूध उसी अनुपात में है लेकिन जो ज़्यादा सस्ता है | अगर पुराने फ़ॉर्मूला में प्रोटीन हाइड्रोलाइज़्ड या पार्शियली हाइड्रोलाइज़्ड है, तो नए फ़ॉर्मूला में भी इसको कायम रखें | [२]
  3. डायाजेस्टिव परेशानियों के लिए अलग प्रोटीन का फ़ॉर्मूला चुनें: अगर आप इसीलिए फ़ॉर्मूला बदल रहे हैं, क्योंकि आपके बेबी को उसको पचाने में तकलीफ हो रही है, तो आपको भिन्न प्रोटीन का फ़ॉर्मूला चुनना होगा | देखें कौन सा फ़ॉर्मूला आपके डॉक्टर के हिसाब से आपके बेबी के पाचन को बेहतर बनाएगा | [३]
    • आपका डॉक्टर केसीन इनटॉलेरेंस की स्थिति में काऊ मिल्क के बजाय सोया बेस का फ़ॉर्मूला लेने का सुझाव दे सकता है |
  4. अगर आपका बेबी पहले जो फ़ॉर्मूला पी रहा था उसमें आयरन, डीएचऐ (DHA), या कोई और एडिटिव युक्त फ़ॉर्मूला पीता था, तो ऐसी ही विशेषताओं वाले फ़ॉर्मूला फिर खरीदें | लेबल पढ़ने से आपको उसके इंग्रीडिएंट समझने में आसानी होगी और आप ऐसे इंग्रीडिएंट से दूर रह सकते हैं जो आपके बेबी को एलर्जिक रिएक्शन का कारण हो सकते हैं |
विधि 2
विधि 2 का 3:

नए फ़ॉर्मूला की शुरुआत करना

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  1. अगर आप पुराना प्रोटीन प्रयोग कर रहे हैं तो फ़ॉर्मूला तुरंत बदल दें: कुछ मामलों में, आपका बेबी आसानी से फ़ॉर्मूला के बदलाव को संभाल पायेगा और नए फ़ॉर्मूला को लेकर ज़्यादा तंग नहीं करेगा | अपने बेबी की प्रतिक्रिया जानने के लिए नए फ़ॉर्मूला थोड़ी मात्रा में दे कर देखें | अगर कोई परेशानी नहीं हो, तो आप तुरंत ही नए फ़ॉर्मूला का सेवन शुरू कर सकते हैं | [४]
    • अगर बेबी नए फ़ॉर्मूला के सेवन के बाद परेशान दिखाई दे, तो कुछ मिनट इंतज़ार कर फिर से कोशिश करें | बेबी को कोई और विकल्प नहीं दें, और पुराना फ़ॉर्मूला फिर से नहीं दें |
    • इसी तरह से, अगर आपका बेबी पुराने फ़ॉर्मूला से एलर्जिक है, तो आपको बिना इंतज़ार किये नए फ़ॉर्मूला का प्रयोग शुरू कर देना चाहिए |
  2. अगर मेन प्रोटीन बदल रहे हैं तो धीरे धीरे नए फ़ॉर्मूला का सेवन शुरू करें: कुछ केस में, आपका बेबी सिर्फ नए फ़ॉर्मूला के स्वाद की वजह से परेशान हो सकता है | ऐसे समय में, धीरे से फ़ॉर्मूला में बदलाव लाएं | इससे नए फ़ॉर्मूला के स्वाद का फ़र्क़ पता नहीं चलेगा और बदलाव करने में आसानी होगी | [५]
    • बदलाव की शुरुआत पुराने फ़ॉर्मूला का ¾ और नए फ़ॉर्मूला का ¼ बेबी को देकर करें |
    • अपने बेबी को ये मिश्रण एक दिन तक दें: फिर आधे पुराने फ़ॉर्मूला और आधे नए फ़ॉर्मूला से शुरुआत करें और अपने बेबी को ये मिश्रण एक दिन तक दें |
    एक्सपर्ट टिप

    Sarah Siebold, IBCLC, MA

    इंटरनेशनल बोर्ड सर्टिफाइड लेक्टेशन कंसलटेंट
    सेरा सीबोल्ड, लॉस एंजेलिस कैलिफ़ोर्निया में स्थित एक इंटरनेशनल बोर्ड सर्टिफाइड लेक्टेशन कंसलटेंट (IBCLC) एवं सर्टिफाइड लेक्टेशन एजुकेटर काउंसलर (CLEC) हैं। वह IMMA नाम का खुद का लेक्टेशन कंसलटिंग प्रैक्टिस यानी स्तनपान परामर्श केंद्र चलाती हैं, वह इमोशनल सपोर्ट क्लीनिकल केयर और एविडेंस बेस्ड ब्रेस्टफीडिंग के तरीकों की माहिर हैं और इसकी शिक्षा भी देती हैं। मां की ममता और स्तनपान से जुड़े इनके कार्य को VoyageLA, The Tot और Hello My Tribe जैसी मैगजींस और पॉडकास्ट्स में दिखाया जा चुका है। इन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन दियागो से निजी प्रैक्टिस के साथ-साथ आउटपेशेंट सेटिंग्स के द्वारा अपनी क्लीनिकल लेक्टेशन की ट्रेनिंग पूरी की है। इन्होंने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से इंग्लिश और अमेरिकन लिटरेचर में MA की डिग्री हासिल की है।
    Sarah Siebold, IBCLC, MA
    इंटरनेशनल बोर्ड सर्टिफाइड लेक्टेशन कंसलटेंट

    क्या आप पता है? समय के साथ आपके ब्रेस्टमिल्क का पोषण आपके बेबी की ज़रूरतों के मुताबिक बदलता रहता है। क्योंकि फ़ॉर्मूला में ऐसा बदलाव नहीं हो सकता, बेबी को जितना ब्रेस्टमिल्क चाहिए उसमें और फ़ॉर्मूला की मात्रा में फ़र्क़ हो सकता है। जब बेबी दो हफ्ते पूरे कर ले, जो बेबी ब्रेस्ट मिल्क का एक बोतल पी रहे हैं, उन्हें एक समय पर सिर्फ 3 औंस ब्रेस्टमिल्क की ज़रुरत होती है । लेकिन, फ़ॉर्मूला के साथ, आपको समय के साथ उसकी मात्रा बढ़ानी पड़ती है तभी बेबी का वज़न उपयुक्त तरीके से बढ़ पाता है।

  3. पुराने फ़ॉर्मूला के देखे नए फ़ॉर्मूला की मात्रा बढ़ाएं: हर दिन पुराने फ़ॉर्मूला के देखे नए फ़ॉर्मूला का अनुपात बढ़ाते रहे | उदाहरण के तौर पर, तीसरे दिन अपने बेबी को पुराने फ़ॉर्मूला का ¼ और नए फ़ॉर्मूला का ¾ दें तथा चौथे दिन पूरा 100% नया फ़ॉर्मूला दें | [६]
    • इस समय तक आपके बेबी को नए फ़ॉर्मूला के स्वाद की आदत हो गयी होगी |
विधि 3
विधि 3 का 3:

अपने बेबी की फ़ॉर्मूला के लिए प्रतिक्रिया को देखना

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    समय समय पर बेबी का वज़न लें: ये देखें की नए फ़ॉर्मूला के सेवन से बेबी का वज़न उचित मात्रा में बढ़ रहा है | या तो घर पर ही स्केल से नापें या बेबी को डॉक्टर के पास ले जाएँ | बेबीज़ सामान्य तौर पर पांच महीने में अपना वज़न दुगना कर लेते हैं, लेकिन फिर भी आपको डॉक्टर से उसके स्वस्थ विकास के बारे में बात करनी चाहिए | [७]
  2. एक फ़ॉर्मूला से दूसरे फ़ॉर्मूला में बदलाव करते समय बेबी पर ध्यान दें | लगातार उल्टी, दस्त, गैस या बदहज़मी के निशान पर नज़र रखें | ये सभी संकेत हैं की आपका बेबी एलर्जिक रिएक्शन का शिकार है | एलर्जिक रिएक्शंस सामान्य डायजेस्टिव समस्याओं से भिन्न हैं क्योंकि ये क्रोनिक होते है और उनकी वजह से आपके बेबी के वज़न बढ़ने में अड़चन आ सकती है | [८]
    • उदाहरण के तौर पर, गैस और हलके दस्त बेबीज में आम बात है , लेकिन बदहज़मी या लम्बे समय तक दस्त का मतलब है बेबी की पाचन शक्ति सही नहीं है | [९]
    • अगर आपको लग रहा है की आपके बेबी को नए फ़ॉर्मूला से एलर्जी है, तो तुरंत मेडिकल सहायता लें |
  3. बच्चे की त्वचा पर एलर्जी हाइव्स और रैशेज़ के रूप में भी पेश हो सकती हैं | अगर आप बेबी पर कोई रैश देखें, तो तुरंत ही उसे डॉक्टर के पास ले जाएँ | ये इस बात का संकेत हो सकता है की वो नए फ़ॉर्मूला से एलर्जिक है | [१०]
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    अपने बेबी के स्टूल और वोमिट में खून के निशान देखें: अगर आप अपने बेबी के स्टूल और वोमिट में खून के निशान देखें, तो तुरंत ही उसे इमरजेंसी में ले जाएँ | ये तीव्र एलर्जिक रिएक्शन के साइन हैं और इसके लिए मेडिकल सहायता की ज़रुरत होगी | [११]

सलाह

  • निर्माता के वेबसाइट, न्यूज़पेपर, या पेरेंटिंग मैगज़ीन में कूपन ढूंढें ताकि आपको अपने बेबी के फ़ॉर्मूला ब्रांड पर छूट मिल सके | इस तरह से कीमत की वजह से आपको फ़ॉर्मूला बदलने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी | कुछ फ़ॉर्मूला कंपनी तो आप अपने बेबी के लिए जो फ़ॉर्मूला की प्रकार प्रयोग करते हैं उनके फ्री सैंपल भी देते हैं, तो ऐसे गिववेज़ का फायदा उठाएं!

चेतावनी

  • बार बार फ़ॉर्मूला में बदलाव नहीं करें, जब तक आपके डॉक्टर या पीडिएट्रिशन ने ऐसा सुझाव नहीं दिया हो | फ़ॉर्मूला में बदलाव आपके बेबी के डायजेस्टिव सिस्टम के लिए तकलीफदायक हो सकता है |
  • अगर आपके बेबी को मेटाबोलिक डिसऑर्डर, मिल्क प्रोटीन एलर्जी है या फिर सही से पनप नहीं रहा है, तो इन्फेंट फ़ॉर्मूला बदलने से पहले पीडिएट्रिशन की राय ज़रूर लें |

विकीहाउ के बारे में

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