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आर्ट कलेक्ट करना एक महँगा शौक होता है, लेकिन कुछ बाज़ सी नज़र रखने वाले मोल भाव वाली कीमतों पर भी बेशकीमती ख़ज़ानों की पहचान कर पाते हैं | चाहे आप किसी थ्रिफ्ट दुकान में डील्स खोज रहे हैं या आर्ट शो में किसी पेंटिंग का आंकलन, उसकी प्रमाणिकता और कीमत को जान पाना आपको नकली और फ़र्ज़ी पेंटिंग के समूह में से बढ़िया डील की खोज करने की समझ देगा |

विधि 1
विधि 1 का 2:

बेशकीमती पेंटिंग की पहचान करना

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  1. कई लोगों के लिए, कला की खोज करने का मतलब है अपने पसंद के कलाकार की पेंटिंग्स ढूंढना | वैसे तो आपको मोनेट (Monet) और वेर्मीर (Vermeer) की पेंटिंग तो शायद नहीं मिलेगी लेकिन किसी कम चर्चित या किसी एक स्थान में ज़्यादा लोकप्रिय पाए हुए कलाकार की पेंटिंग मिल सकती है | [१]
    • कुछ कलाकार जिनका काम थ्रिफ्ट स्टोर्स वगैरह में बिका है उनमें शामिल है बेन निकल्सन (Ben Nicholson), इल्या बोलेटोव्स्की (Ilya Bolotowsky), जीओवान्नी बाटिस्टा टोररिग्लिआ (Giovanni Battista Torriglia), एलेग्जेंडर कैल्डेर (Alexander Calder), यहाँ तक की पैब्लो पिकासो (Pablo Picasso) भी |
    • आपको मालूम होना चाहिए की आपको किस प्रकार की कला की तलाश करनी चाहिए और इसके लिए आपको स्थानीय गैलरीज, कला संघ्रालय, और ऑनलाइन डेटाबेस जैसे नेशनल स्कूल ऑफ़ आर्ट से जानकारी हासिल करनी चाहिए |
  2. अपने फ़ोन पर पेंटिंग्स की तलाश करके देखें क्या कुछ नया है: अगर आपको कोई ऐसी कलाकृति मिलती है जो बेशकीमती हो सकती है, तो गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन पर उसकी जानकारी की तलाश करें | अगर पेंटिंग आपके सर्च नतीजों में आती है, तो शायद आपने एक बेशकीमती कला की तलाश की है | [२]
    • अगर आप को पेंटिंग का नाम नहीं मालूम है, तो विवरण के हिसाब से उसकी तलाश करें | उदाहरण के तौर पर आप थॉमस गेन्सबोरौघ ( Thomas Gainsborough) की द ब्लू बॉय (The Blue Boy) “पेंटिंग,” “किड,” और “ब्लू” शब्द लिख कर ढूंढ सकते हैं |
    • अगर आप उस पेंटिंग की एक उत्तम तस्वीर ले सकते हैं, तो फिर उसे गूगल के रिवर्स इमेज सर्च में https://reverse.photos पर सर्च करें | इससे उसको ढूंढ पाना आसान हो जायेगा |
  3. वैसे अधिकतर आर्ट प्रिंट्स की कोई खास कीमत नहीं होती है, लेकिन कुछ कला के प्रिंट्स इस विचार से विपरीत हैं | ऐसे प्रिंट्स ढूंढें जो किसी लिमिटेड एडिशन का भाग थे, मतलब कलाकार ने सिर्फ कुछ प्रतिलिपियाँ बनायीं थीं, और उनके आगे पीछे अपना हस्ताक्षर किया था | [३]
    • अधिकतर लिमिटेड एडिशन प्रिंट्स में अंक लिखे होते हैं जिनका मतलब है की आपके पास कौन सी कॉपी है और कितनी कॉपी बनायी गयी थीं |
  4. अगर आप बेचने के लिए पेंटिंग खरीद रहे हैं तो छोटी और कम चर्चित पेंटिंग्स नहीं खरीदें: अगर आपको किसी लोकप्रिय कलाकार की मूल पेंटिंग मिले तो अलग बात है, किसी भी हाल में छोटी और कम चर्चित पेंटिंग्स नहीं खरीदें | ऐसी पेंटिंग भी नहीं चुनें जो एब्स्ट्रैक्ट तरीके से बनायी गयी हैं | वैसे तो ये पेंटिंग देखने में उत्तम होंगी, उनकी एक बढ़ी, पारंपरिक पेंटिंग जैसी लोकप्रियता नहीं होगी, जिससे उनको आगे बेच पाना मुश्किल होगा |
    • ये ख़ास तौर से तब ज़रूरी है जब आप अपनी पेंटिंग्स ऑनलाइन बेचना चाहते हैं क्योंकि एब्स्ट्रैक्ट आर्ट को डिजिटल तस्वीरों के माध्यम से समझाना मुश्किल हो सकता है |
  5. चाहे आपको ऐसा लग रहा की पेंटिंग बेशकीमती नहीं है, फिर भी आगे बढ़ने से पहले उसके फ्रेम का आंकलन करना नहीं भूलें | पिक्चर फ्रेम्स भी खुद से कलाकृतियां होते हैं, तो एक विंटेज या ख़ूबसूरती से बना फ्रेम पेंटिंग से अलग कीमती हो सकता है | ऐसे फ्रेम्स ढूंढें जिनमें मौजूद हो: [४]
    • हाथ की कारीगरी की डिज़ाइन
    • नक्काशी या कोई अनोखा प्रिंट
    • गिल्डेड मोल्डिंग (Gilded molding)
    • समय के साथ इस्तेमाल के निशान
विधि 2
विधि 2 का 2:

पेंटिंग की प्रमाणिकता पता करना

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  1. अधिकतर समय में पेंटिंग असली है की नहीं ये पता करने का सबसे आसान तरीका है उसके आगे या पीछे कलाकार के हस्ताक्षर को ढूंढना | खास तौर से ऐसा हस्ताक्षर ढूंढें जो हाथ से और पेंट से ही किया गया हो | अगर पेंटिंग में कोई हस्ताक्षर नहीं है, या हस्ताक्षर नकली या दबा हुआ लग रहा है, तो पेंटिंग नकली या फ़र्ज़ी होने की काफी सम्भावना होती है | [५]
    • अगर आपको कलाकार का नाम पता है, तो ऑनलाइन उनकी तलाश करें और देखें की क्या उनके हस्ताक्षर पेंटिंग पर बने हस्ताक्षर से मेल खाते हैं |
    • हस्ताक्षर की नक़ल करना आसान है, तो इसे प्रमाणिकता का इकलौता सबूत नहीं मानें |
  2. मैग्नीफ़ाइंग ग्लास की मदद से प्रिंटर डॉट्स ढूंढें: कोई भी पेंटिंग खरीदने से पहले, उस के ऊपर मैग्नीफ़ाइंग ग्लास लगा कर ग्रिड में लगी छोटी, एक दम गोल डॉट्स ढूंढें | अगर आपको ऐसी डॉट्स दिखाई देती हैं, तो ये लेज़र प्रिंटर से बनायीं गयी एक रिप्रोडक्शन प्रिंट है | [६]
    • इस तरीके से आप आम प्रिंट्स की पहचान तो कर पाएंगे, ये ध्यान में रखियेगा की उत्तम गुणवत्ता की गीक्ली (giclee) रिप्रोडक्शन का पता कर पाना मुश्किल रहेगा |
    • लेज़र प्रिंट्स से विपरीत, पोइंटिलिस्ट तकनीक (pointillist technique) से बनी पेंटिंग्स में अलग अलग आकार और साइज की डॉट्स होंगी |
  3. ऑयल पेंटिंग्स की जांच करके देखें की क्या उनकी सतह खुरदरी है: किसी ऑयल पेंटिंग की प्रमाणिकता पता करते समय, ये ध्यान से देखें की उसके सतह पर उभरापन या पेंट की लहरें तो नहीं है | अगर इस कलाकृति में काफी खुरदुरापन है तो उसके असली होने की सम्भावना अधिक है | अगर सतह बिलकुल चपटी है, तो ये पेंटिंग किसी और ने बनायी हो सकती है | [७]
    • अगर एक पेंटिंग में सिर्फ एक या दो स्थान पर खुरदुरापन है, तो ये नकली को असली बना कर बेचने की एक महत्वपूर्ण कोशिश हो सकती है |
  4. वाटरकलर कलाकृतियों की जांच करके खुरदुरापन महसूस करें: ये जानने के लिए की वाटरकलर पेंटिंग असली है की नहीं, उसे टेढ़ा कर के पकड़ें और पेंट के स्ट्रोक्स को ध्यान समझें | अगर महत्वपूर्ण स्ट्रोक्स के पास कागज़ खुरदुरा है तो पेंटिंग असली है | अगर कागज़ बहुत ही ज़्यादा समान है, तो ये शायद एक नक़ल है | [८]
  5. देखें की क्या कैनवास पेंटिंग्स के कौने असमान हैं: बहुत बार, जो कलाकार कैनवास पर काम करते हैं वो उनके कोनों के पास टेड़े और असमान ब्रश स्ट्रोक्स मारते हैं | अधिकतर बार, वो इन स्थानों को फिर से पेंट नहीं करते हैं क्योंकि दर्शक ऐसे स्थानों पर ध्यान नहीं देते हैं | आम तौर पर अगर कैनवास पेंटिंग के कोने एक दम समान हैं, तो उसके फ़ैक्टरी में बने होने की बहुत बड़ी सम्भावना है | [९]
  6. कई बार फ्रेम के पिछले हिस्से में आपको पेंटिंग के बारे में ज़्यादा बातें पता चलती हैं | ऐसे फ्रेम्स ढूंढें जो गहरे रंग के हैं और उन पर समय बीतने के संकेत जैसे उपटता लैकर और घिसी हुई लकड़ी के टुकड़े ज़ाहिर हो रहे हैं | फ्रेम जितना पुराना होगा, उतना ही पेंटिंग के असली होने की सम्भावना ज़्यादा होगी | [१०]
    • अगर फ्रेम का पीछे का हिस्सा गहरे रंग का है लेकिन उस पर कहीं कहीं पर चमकीले निशान हैं, एक बहुत बड़ी सम्भावना है की पेंटिंग तो असली है लेकिन कुछ समय पहले उसका रख रखाव फिर से किया गया है |
    • अधिकतर पुराने फ्रेम्स में पीछे X या H शेप बानी होती है, जो की आजकल के फ्रेम्स में आपको देखने को नहीं मिलेगी |
  7. कलाकृति के मॉउंटिंग के तरीके को देखकर जानें की वह कितनी पुरानी है: अगर पेंटिंग को कीलें लगा कर लगाया गया है, या आपको फ्रेम के पास खाली कीलों के छेद दिख रहे हैं, तो एक बड़ी सम्भावना है की ये पेंटिंग 1940 से पहले बनी है | अगर पेंटिंग को रोकने के लिए स्टैपल का प्रयोग किया गया है, तो सम्भावना ये है की किसी ने इसे फिर बनाया है, खास तौर से उस स्थिति में जब वो पेंटिंग पुरानी तो है लेकिन उस पर पुराना मॉउंटिंग के कोई निशान नहीं दिख रहे हैं |

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