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अक्सर, यहाँ तक की अनौपचारिक परिस्थितियों में भी, कब और कैसे विदा लेना है, यह जानना कठिन होता है। मगर अर्थपूर्ण ढंग से, चतुराईपूर्वक विदा लेना सीखना एक ऐसा कौशल है जो आपको अपने सम्बन्धों के निर्वाहन में सहायक होता है और लोगों को यह भी पता चलने देता है कि आपको उनकी परवाह है। और कभी कभी तो यह जितना लगता है, उससे कहीं अधिक सरल होता है। बिछड्ते समय सुअवसर पहचानने हेतु और दूसरों की आवश्यकताओं का पूर्वानुमान करने की कला सीखने के लिए, आगे पढ़िये।

विधि 1
विधि 1 का 3:

थोड़े समय के लिए विदा लेना

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  1. जब आप किसी पार्टी या समारोह में हों, या दो व्यक्ति आपस में केवल एक दूसरे से बात ही कर रहे हों, तो विदा लेना कठिन होता है। विदा लेने के सुअवसर को पहचानना सीख लेने से थोड़े समय के लिए विदा लेना सरल हो जाएगा।
    • ध्यान दीजिये कि क्या भीड़ कम हो रही है। यदि आधे से अधिक लोग जा चुके हों, तब यह विदा लेने के लिए उत्तम समय है। मेजबान को, या अपने मित्रों को खोज लीजिये, कमरे में सबकी ओर हाथ हिलाइये, और बस चली जाइए।
    • जब आप चाहें, तब चली जाइए। आपको किसी विशेष संकेत की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप घर जाने को तैयार हैं, या बात समाप्त करने को, तो कहिए, “अच्छा, तो अब मैं चलूँगी। आप सबसे फिर मुलाक़ात होगी!”
  2. अकारण, आवश्यकता से अधिक समय तक टिके रहना अशोभनीय होता है, मगर उचित समय को पहचान पाना भी अक्सर कठिन होता है। लोग आपसे यह तो नहीं कहना चाहते हैं कि उनकी इच्छा है कि अब आप चले जाएँ, अतः संकेतों को समझने का प्रयास करिए।
    • यदि किसी पार्टी का मेजबान सफाई शुरू कर देता है या बातचीत में से हट जाता है तो अपने मित्रों को, और सामान को एकत्रित करिए और चलती बनिए। यदि कोई अपनी घड़ी देखने लगता है, अथवा वैसे ही व्याकुल दिखने लगता है, तो यह भी चलने का समय हो गया है।
  3. केवल यह कहना कि, “कल आपको स्कूल में मिलेंगे”, या “आपसे दीपावली पर मिलने की आतुरता रहेगी” आपकी विदा बेला को हलकाफुलका और भविष्य केन्द्रित बनाए रखता है। यदि आपने अभी तक योजनाएँ नहीं बनाई हैं, तो इसको सुअवसर की तरह प्रयोग करके, उन्हें बना डालिए। यह कथन कि, “जल्दी ही, फिर मिलेंगे”, भी यही सुझाव देता है।
    • यदि इससे विदा लेने में सुविधा होती है तो, या तो कॉफी पर मिलने की तिथि निश्चित करिए या सप्ताह में किसी दिन भोज पर, मगर ऐसी किसी भी चीज़ के लिए वचनबद्ध मत हो जाइए, जो आप करना नहीं चाहती हों। केवल चले जाना भी ठीक है।
  4. जब आप जाने को तैयार हों तब एक “अच्छा बहाना” बनाने का लोभ संवरण करना कठिन होता है। आपको इसकी आवश्यकता है भी नहीं। यदि आप जाना चाहती हैं तो, केवल कहिए, “अब मैं चलती हूँ, आपसे बाद में मिलुंगी”। इससे अधिक जटिल कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप किसी वार्तालाप से बाहर निकलना चाहती हैं तो यह कहना काफी है कि, “मैं आपसे फिर बात करूंगी”।
विधि 2
विधि 2 का 3:

लंबे समय के लिए विदा लेना

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  1. यदि आपका कोई परिचित कई वर्षों के लिए विदेश अथवा कॉलेज के लिए जा रहा हो तो, यात्रा की योजना बनाते समय, यह एक तनावपूर्ण और चहल-पहल भरा समय हो सकता है। मिलने और विदा लेने के लिए निश्चित स्थान और समय तय करिए। इसी प्रकार, यदि आप कहीं जा रहे हों तो, अपनी विदाइयों को प्राथमिकतानुसार निर्धारित करें। ऐसा न करें कि ऐसे लोगों से तो विदा लेने की योजना बना लें, जिनका आपके जीवन में कोई महत्व नहीं है और अपनी बहन से मिलना भूल जाएँ।
    • कोई मज़ेदार स्थान चुनिये – चाहे रात्रि भोज पर, या अपने प्रिय इलाके में घूमते हुये या ऐसा कुछ करते हुये, जो कि आप दोनों को साथ में करने में मज़ा आता था, जैसे मैच देखते हुये।
  2. अपनी सबसे हास्यप्रद कहानियाँ दोहराइए, अच्छी चीजों की याद करिए। अपने अतीत में गहराई से झाँकिए: वे चीज़ें जो आप साथ करते थे, वे घटनाएँ जो हुई थीं जब आप सहेलियाँ थीं, वह समय जो आपने साथ बिताया था, यहाँ तक कि आप मिलीं कैसे थीं।
    • कमरे में घुसते ही विदा लेना मत शुरू कर दीजिये। स्वयं के, अथवा आपके जाने के बारे में उस व्यक्ति की मनोभावनाओं को आँकिए। यदि यह कोई ऐसी यात्रा है जिस पर वे नहीं जाना चाहते हैं, तो सारे समय उनकी तैनाती के बारे में प्रश्न मत पूछती रहिए। यदि वे जाने में उत्साहित हैं, तो सारा समय यह बताने में मत लगाइये कि आप सबको उनकी कितनी याद आएगी। यदि आपके मित्र आपकी विदेश में मिली नौकरी से ईर्ष्याग्रस्त हैं तो सारा समय उसके संबंध में बड़ाई करने में मत निकाल दीजिये।
  3. सम्बन्धों की प्रतिष्ठा बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप संपर्क बनाए रखना चाहती हैं, तो उनको पता चलने दीजिये। ई मेल, फोन, और पते की जानकारी का आदान प्रदान करें।
    • ई मेल पता या फोन नंबर पूछना यह आश्वस्त कर सकता है कि आप तब भी उनसे बात कर सकती हैं, मगर ईमानदार रहिए। यदि आपका संपर्क बनाए रखने का इरादा नहीं है, तो संपर्क जानकारी मत मांगिए। इससे आपकी निष्कपटता के संबंध में, आपके जाने वाले मित्र के हृदय में संशय उत्पन्न हो सकता है।
    • इसके पहले कि आप या आपके परिजन चले जाएँ सुनश्चित करिए कि उन सभी को आपकी स्थिति और परिस्थितियों का पूर्ण संज्ञान हो और आपको उनकी। यह आवश्यक है कि किसी को भी ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप स्वयं को सबसे दूर कर रही हैं अथवा गायब हो रही हैं।
  4. जब जाने का समय आए तो उसे संक्षिप्त एवं हार्दिक बनाइये: अधिकांश लोगों को लंबी चौड़ी विदा-बेला में आनंद नहीं आता है, मगर आप अपनी विदाई को व्यक्तिगत बनाइये। यदि आपको जटिल भावनायेँ व्यक्त करनी हैं तो, एक पत्र लिखने की सोचिए, जिसे वह व्यक्ति बाद में पढ़ सके। व्यक्तिगत रूप से मामले को हल्का फुल्का और मज़ेदार बनाए रखिए। आलिंगन करिए, अपनी बात कहिए, और यात्रा के लिए शुभकामनाएँ दीजिये। आवश्यकता से अधिक मत रुकी रहिए।
    • यदि आप लंबे समय के लिए जा रही हैं और सब कुछ अपने साथ नहीं ले जा सकती हैं, तो सामान देना एक अच्छा संकेत होता है और इससे सम्बन्धों को प्रगाढ़ता मिलती है। अपनी बैंड की साथी को जाते समय अपना पुराना गिटार दे सकती हैं या अपने भाई बहन को कोई ऐसी अर्थपूर्ण पुस्तक जिससे वे आपको याद रखेंगे।
  5. यदि आपने कहा है कि आप संपर्क बनाए रखेंगी, तो संपर्क बनाए रखिए। स्काइप पर बातें करिए या हास्यप्रद पोस्टकार्ड लिखिए। यदि आप किसी ऐसे मित्र या प्रियजन से धीरे धीरे संपर्क खो बैठती हैं, जिनसे आप वास्तव में जुड़ी रहना चाहती हैं तो कुछ अतिरिक्त प्रयास करिए। यदि आपको लगता है कि आपका मित्र अत्यंत व्यस्त हो गया है, तो प्रयास करके बहुत बुरा मत मानिए। चीजों को खुद ही स्वाभाविक रूप से जुडने दीजिये।
    • संपर्क की अपेक्षाओं को यथार्थवादी रखिए। एक मित्र जो कॉलेज जा रहा हो, नए मित्र बनाएगा ही और संभव है कि वह फोन पर साप्ताहिक बातचीत भी न कर पाये।
विधि 3
विधि 3 का 3:

सदैव के लिए विदा लेना

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  1. अस्पताल में भर्ती प्रियजन से मिलने नहीं जाना सदैव ही एक भूल है, जैसे कि उस दोस्त से मिलने के लिए अंतिम दिन की प्रतीक्षा करना, जो देश छोड़ कर जा रहा हो। अलविदा कहने का अपने अवसर को गंवा कर उनके अंतिम पलों को सुंदर बनाने का अवसर मत खो दीजिये। मृत्यु के लिए अस्पताल का अकेलापन एक भयानक स्थान हो सकता है। कमरे में रहिए और वह सब कहिए जिसके कहे जाने की आवश्यकता हो। अपने प्रियजन के साथ जितना संभव हो उतना समय बिताइए। उनके साथ रहिए और सहारा दीजिये।
    • अक्सर, वे लोग जिनकी मृत्यु निकट होती है यह चार संदेश सुनना चाहते हैं और इनसे उनको आराम मिलता है: “मैं आपसे प्रेम करता/करती हूँ”, “मैं आपको क्षमा करता/ करती हूँ”, “कृपया मुझे क्षमा कर दीजिये” या “धन्यवाद”। यदि इनमें से कोई भी उचित प्रतीत होता है, तो अपने अलविदा में इनको शामिल करने का ध्यान रखें। [१]
  2. अक्सर मृत्यु अथवा “सदैव” के लिए अलविदा निराशापूर्ण एवं रंजीदा चीज़ मानी जाती है। मगर जाने वाले व्यक्ति के संकेतों का अनुपालन करिए। आपकी भूमिका वहाँ पर, उनके लिए और उन्हें आवश्यकता के समय पर सहारा देने के लिए है। यदि हंसने की आवश्यकता है, और वैसा स्वाभाविक भी लगता हो, तो हँसिये।
  3. यह जानना कठिन हो सकता है कि मरने वाले के साथ कितना ईमानदार हुआ जा सकता है। यदि आप किसी पूर्व जीवनसाथी या विरक्त भाई बहन से मिल रहे हैं, तो सतह के नीचे बहुत सारा तनाव उबाल खाता हो सकता है, और जटिल भावनाएँ भी सम्मुख आ सकती हैं। मगर अस्पताल वह जगह नहीं है जहां पर आप खुद पर ढील छोड़ दें और अपने पिता को उनकी अनुपस्थिति के लिए धिक्कारने लगें।
    • यदि आपको लगता है कि सत्य मरने वाले को चोट पहुंचाएगा, तो इसे पहचान लीजिये और विषय परिवर्तन कर दीजिये। कहिए कि, “आपको आज मेरे बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है” और विषय परिवर्तित कर दीजिये।
    • अत्यंत आशावादी होना लुभावना लग सकता है, और जब प्रियजन यह कहता है कि, “मैं मर रहा हूँ”, तब यह कहना कि, “नहीं, अभी तो मौका है। हिम्मत मत छोड़िए”। ऐसी बात पर चर्चा करना, जिसके संबंध में आपमें से कोई भी निश्चित रूप से कुछ नहीं जानता हो, अर्थहीन है। विषय परिवर्तित कर पूछिए, “आज आप कैसा महसूस कर रहे हैं?” या यह कह कर आश्वस्त करिए कि, “आज तो आप बहुत अच्छे दिख रहे हैं”।
  4. सदैव मधुरता से बातें करिए और बोलने वाले के रूप में अपना परिचय दीजिये। चाहे आपको यह निश्चित नहीं भी हो कि आपकी बात सुनी जा रही है, जो भी कहना है, उसको कह डालिए। मृत्यु के समय की अलविदा दोतरफा काम करती है – सुनिश्चित करिए कि “मैं आपसे प्रेम करती हूँ” न कह पाने का पछतावा न रह जाये। चाहे आप अनिश्चित हों कि व्यक्ति आपको सुन पा रहा है, कह डालिए, और आपको पता चल जाएगा। [२]
  5. शारीरिक रूप से और भावनात्मक रूप से, कमरे में ही बने रहिए। पल की महत्ता के प्रति सचेत रहने से बचा रहना कठिन है: “क्या यह अंतिम बार होगा जब वह कहेगा कि ‘मैं तुमसे प्रेम करता हूँ’?” हर पल चरम तनावपूर्ण लग सकता है। परंतु यथासंभव, प्रयास करके, वहाँ से बाहर आइये और उस पल को वही समझिए, जो वह है: अपने प्रियजन के साथ बिताया गया समय।
    • अक्सर, मरने वालों का अपनी मृत्यु के वास्तविक पल पर काफी नियंत्रण होता है और वे उस समय की प्रतीक्षा करते हैं जब वे अकेले हों, ताकि जिनसे वे प्रेम करते हैं, उन्हें उस पल की पीड़ा से बचाया जा सके। इसी प्रकार अनेक परिवार के सदस्य “अंतिम क्षण” तक वहाँ रहने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। इस बात को जान लीजिये और मृत्यु के वास्तविक पल पर बहुत बल मत दीजिये। जब उचित लगे तभी अलविदा कह दीजिये।

सलाह

  • याद रखिए, रोना ठीक ही है।
  • यह विचार करना तो ठीक है कि जब तक आपके सामने दुनिया है, तब तक आप एक नई शुरुआत कर सकते हैं, मगर तब भी आप अपने अतीत से जुड़े रह सकते हैं।
  • यदि आप किसी ऐसे को खो देते हैं जिससे आप प्रेम करते रहे हों, विशेषकर किसी परिजन को, तो उनके संबंध में नहीं सोचने का प्रयास मत करिए। उनके संबंध में उन सभी से बातें करिए, जो उनको जानते रहे हों और उनसे प्रेम करते रहे हों – मज़ाकिया किस्से, यादें, आदतें और उद्धरण।
  • यदि व्यक्ति “अंतर्ध्यान” हो गया हो मगर अभी भी आपसे संपर्क किए बिना, यदा कदा उसका पता चलता रहता हो, तो स्वयं को दोषी मत मानिए। कभी कभी कुछ आंतरिक मामलों को सुलझाने के लिए लोगों को ऐसे स्थान की आवश्यकता होती है जहां उनका अतीत उनको पकड़े न रह सके – उनको वहीं रहने दीजिये और वे वापस आएंगे, किसी न किसी दिन।
  • कभी कभी विदा लेना इसलिए मुश्किल हो जाता है क्योंकि आप उसको केवल अपने परिप्रेक्ष्य में देखते हैं। किसी व्यक्ति के अपने जीवन से जाने को जब आप ऐसा कुछ समझते हैं जिसे बर्दाश्त करना ही है, तब आप अपनी “हानि” के लिए स्वयं को आश्वस्त करने का एक ऐसा असहनीय बोझ दूसरे व्यक्ति के ऊपर डाल देते हैं, जबकि उसको उठाने की क्षमता केवल आप में ही होती है।
  • यदि अपनी सहेली से विदा ले रहे हों तो आलिंगन करना सदैव ही बेहतर होता है। उसे कभी भी आलिंगन के बिना ना छोड़ें अन्यथा आपको उसके क्रोध का सामना करना पड़ेगा।

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