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जीवन के अंतिम पड़ाव में मानसिक और शारीरिक कष्टों से जूझना सबसे कठिन काम होता है। समय आने पर, आप सम्मान और शालीनता से अत्याधिक कठिन परिस्थिति का सामना करना सीख सकते हैं। समय रहते सभी आवश्यक प्रबंध कर लीजिये और बचे जीवन को भरपूर जीने का प्रयास कीजिये। “’नोट”’: यह लेख जीवन के अंत समय में देख-भाल के विषय में है। यदि आपके मन में आत्महत्या करने के विचार आ रहे हैं, (9133) 24744704/ 2413339999 जैसी सूइसाइड प्रीवेंशन हॉटलाइन (suicide prevention hotline) पर फ़ोन करें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

अपनी पीड़ा को सहन करना

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  1. डॉक्टर से अपनी पीड़ा को सहन करने के विकल्पों के बारे में बात करिए: जीवन के अंतिम पड़ाव में शारीरिक सुविधा का सबसे अधिक ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण होता है। अपनी अवस्था के अनुसार, आप कुछ द्वाएँ लेते होंगे, या कुछ प्रणालियाँ अपनाते होंगे, इसलिए अपनी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये अपने डॉक्टर से उपचार की सारी बातों के विषय में चर्चा करना आवश्यक है।
    • आमतौर पर मॉर्फ़ीन टेर्मिनल रोगियों को दी जाती है, कभी कभी लगातार आवश्यकता के अनुसार भी। हालांकि मॉर्फ़ीन के प्रयोग से जीवन काल कम होने की बात बहस का मुद्दा है, यह एक प्रभावशाली दर्द निवारक के रूप में सिद्ध हो चुका है। यदि आपको बहुत पीड़ा हो रही है, तो अपने डॉक्टर से इस विकल्प के बारे में बात करिए। [१]
    • कुछ मामलों में, दर्द सहन करने के अपारंपरिक उपायों को भी अपनाना उचित होता है, जैसे होलिस्टिक दवाएं, मेडिकल गाँजा, या दूसरे अ-पाश्चात्य इलाज। जब तक इनसे आपकी देख भाल में रुकावट न पैदा हो, आपके डॉक्टर इनकी अनुमति देंगे, और इनका प्रयोग किंचित आपको आराम दे। [२]
  2. हालांकि, सब लोग घर पर कष्ट निवारक सुविधाओं का ख़र्च उठा नहीं सकते, फिर भी आपकी अवस्था में अधिक से अधिक आराम और शांति से रहने का प्रयास करिए। अस्पताल में ये सुविधाएं अधिक उपलब्ध होती हैं, फिर भी अपने घर की शांति की बात ही कुछ और होती है।
    • यदि आप अस्पताल से बाहर निकल सकते हैं, तो अधिक से अधिक बाहर निकला करें। थोड़ी दूरी तक टहलने से आपको अस्पताल के वातावरण के बाहर और वहाँ की मशीनों की बीप्स के बिना अच्छा लगेगा।
  3. जीवन के अंतिम पड़ाव में सांस का कष्ट आपको ठीक से बात करने में बाधा उत्पन्न करेगा, जिसके फलस्वरूप आपको उलझन और असुविधा होगी। कुछ सरल उपायों से आप इस कष्ट से आराम पा सकेंगे।
    • बिस्तर का सिरहाना ऊंचा रखिए, और यदि संभव हो, तो खिड़कियाँ खुली, ताकि ताज़ी हवा मिले।
    • आपकी अवस्था के अनुरूप, वेपोराइज़र का प्रयोग या ऑक्सिजन देने का सुझाव भी दिया जा सकता है।
    • कभी कभी गले में द्रव के जमा होने से भी सांस में खुरखुराहट होने लगती है,
    • मुंह को दूसरी तरफ़ घुमा लेने से या डॉक्टर से गला साफ़ कराने से सहायता मिल सकती है।
  4. एक ही स्थिति में अधिक समय तक पड़े रहने के कारण चेहरे की त्वचा का शुष्क होना अंतिम अवस्था में एक अनावश्यक कष्ट है। हम जैसे जैसे बूढ़े होते हैं, त्वचा संबन्धित समस्याएँ और भी उभर कर सामने आने लगती हैं, जिनका उपचार तुरंत करना आवश्यक होता है।
    • अपनी त्वचा को ख़ूब साफ़ और नम बनाए रखें। लिप बाम और नॉन अल्कोहोलिक मॉइस्चराइज़र के प्रयोग से अपनी रूखी त्वचा को कोमल बनाएँ। कभी कभी गीले कपड़े रखने से और बर्फ़ से त्वचा को भिगाने से त्वचा को और रूखे होंठों को बहुत आराम मिलता है।
    • कभी कभी एक ही अवस्था में लेटे रहने से प्रैशर अलसर हो जाते हैं, जिन्हें “बेड सोर्स” कहते हैं। एंड़ियों, नितंब, पीठ के नीचे के भाग, और गले की त्वचा का रंग हल्का हो जाता है। इन सोर्स से बचने के लिए कुछ घंटों के बाद करवट बदलते रहें, या संवेदनशील भागों के नीचे फ़ोम पैड को बिछा दें जिससे उन भागों का दबाव कम हो जाये।
  5. नियमित रूप से अस्पताल में रहना किसी पर भी बुरा असर डाल सकता है, और लगातार ब्लड प्रैशर की जांच और आइ वी ड्रिप से नींद पर बुरा असर पड़ता है। अपनी ऊर्जा के प्रति ईमानदार रहें, मिचली, या तापमान संवेदनशीलता के लिए अधिक से अधिक आराम करें जिससे अधिक ऊर्जावान बने रह सकें।
    • अक्सर, जीवन के अंत को समीप देखते हुये, मेडिकल स्टाफ़ नियमित उपचार और उपायों को बेकार हुआ जान कर रोक देते हैं। इससे आपके लिए तनावमुक्त होकर आराम करना आसान हो जाता है और आप ऊर्जावान और कुछ सक्रिय महसूस करते हैं।
  6. अस्पताल में रहना और ऐसा महसूस करना कि आपके जीवन पर अपना कोई नियंत्रण है ही नहीं, आपको विह्वल, उलझन में और परेशानी में डाल देगा। डॉक्टर से नियमित रूप से प्रश्न कर और जानकारी हासिल कर आपको भावनात्मक स्तर पर बल मिलेगा। डॉक्टर से इस प्रकार के प्रश्न पूछने का प्रयास करिए:
    • अगला क़दम क्या होगा?
    • आपने यह टेस्ट या इलाज क्यों कहा है?
    • इससे मुझे अधिक आराम मिलेगा, या कम?
    • इससे प्रक्रिया तेज़ होगी, या धीमी?
    • इसके लिए क्या समय सारणी है?
विधि 2
विधि 2 का 3:

प्रबंध करना

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  1. एक अग्रिम निर्देश मूलतः एक लिखित प्रलेख होता है या प्रलेखों की एक श्रंखला जिनमें यह स्पष्ट होता है कि जीवन के अंत में आपकी कैसी देख-भाल की जाये। इसमें अनेक विषय हो सकते हैं, आपकी देखभाल के संबंध में आपकी इच्छाएँ, यदि आप अपाहिज हो जाएँ, साथ ही प्रोक्सी का नाम और पावर ऑफ अटॉर्नी।
    • ये प्रलेख किसी वकील से लिखवाना होगा और नोटराइज़ कराना होगा। ये वो चीज़ें नहीं हैं जिन पर आप बहुत समय लगाना चाहेंगे, तो यह आम बात है कि इन्हें करने के लिए किसी और को दे दिया जाये।
  2. यह जान कर बहुत संतोष मिलता है कि आपने समय से पहले ही सब चीज़ें संभाल ली हैं और अपने जाने के बाद के लिए बड़े और तनावपूर्ण निर्णय छोड़ नहीं दिये हैं। अगर आप उस पर लगे ही हैं, तब कानूनी दस्तावेज़ तैयार करवा लेना महत्वपूर्ण होता है।
    • एक जीवित वसीयत में यह विवरण होता है कि आप कैसी स्वास्थ्य सेवा चाहेंगे और आप लाइफ़ सपोर्ट पर रहना चाहेंगे या नहीं, और किस परिस्थिति में, यदि आप अपाहिज हो जाएँ और अपने निर्णय खुद न ले सकें। जीवित वसीयत वकील बना सकते हैं और इन्हें समय से पहले ही बना लेना चाहिए।
    • अंतिम वसीयतें संपत्ति के बँटवारे, अल्पव्यसकों के लिए अभिभावक की नियुक्ति और अंतिम इच्छाओं के विवरण को बताने के लिए होती हैं। यह जीवित ट्रस्ट से कुछ हद तक फ़र्क है, जिसमें मृत्यु के बाद होने के स्थान पर, संपत्ति का हस्तांतरण तुरंत हो जाता है। [३]
  3. कुछ मामलों में अच्छा होगा यदि आप ये जिम्मेदारियाँ प्रोक्सी को दे दें, यदि आप इन निर्णयों को खुद लेने में अनिच्छुक या अक्षम हो जाएँ। अक्सर जैसे जैसे ये चीज़ें बढ़ती हैं, ये जिम्मेदारियाँ किसी वयस्क बच्चे या जीवन साथी को दे दी जाती हैं।
  4. आवश्यकता होने पर, एक हेल्थ केयर पावर ऑफ अटॉर्नी नामित करें: कुछ मामलों में निजी व्यक्तियों को प्रोक्सी की ज़िम्मेदारी देने के लिए चुनना कठिन हो सकता है, और उसके स्थान पर आप उन्हें शायद किसी वकील को देना चाहें। यह बहुत आम बात है और अपेक्षाकृत कम तनावपूर्ण भी, कि तकनीकी जिम्मेदारियाँ किसी और को सौंप दी जाएँ, ताकि आप अपने आराम और भावनात्मक जिम्मेदारियों को सहजता से संभाल सकें।. [४]
    • स्वास्थ्य देख भाल की पावर ऑफ़ अटॉर्नी उस सामान्य पावर ऑफ़ अटॉर्नी से भिन्न होती है जिसमें मृत्यु के उपरांत आर्थिक सहायता देते हैं। हालांकि, दोनों ही उचित विकल्प हैं, परंतु इनमें अंतर जानना आवश्यक है। [५]
  5. हालांकि यह थोड़ा दहला देने वाला है, परंतु यह निर्णय करना महत्त्वपूर्ण है कि मृत्यु के बाद आपके शरीर का क्या होगा। आपकी संस्कृति और धार्मिक पृष्ठभूमि के आधार पर अनेक विकल्प और विचार हो सकते हैं।
    • यदि आप मृत्यु के बाद अन्त्येष्टि या धार्मिक अनुष्ठान चाहते हैं, तो शायद आप उसका इंतज़ाम ख़ुद करना चाहेंगे या यह ज़िम्मेदारी किसी प्रियजन को दे देंगे। चर्च, फ़्यूनरल होम आदि का प्रबंध कर लें, इससे आपको शांति मिलेगी।
    • यदि आप दफ़नाया जाना चाहते हैं, और आपने यह निर्णय पहले नहीं लिया है, तो तय करिए कि कहाँ दफ़नाया जाना चाहेंगे और परिवार के किन सदस्यों के निकट। यदि आवश्यक हो, तो नक़द भुगतान करके दफ़नाने का प्लॉट ले लें तथा अपने क्षेत्र में फ़्यूनरल होम से प्रबंध भी कर लें।
    • यदि आप अपना शरीर दान करना चाहते हैं तो सुनिश्चित करिए कि आपकी इच्छा के अनुसार आपका डोनर स्टेटस अप टु डेट तथा सटीक है। जिस विश्वविद्यालय या फ़ाउंडेशन को आप अपने अवशेष दान करना चाहते हैं, उनसे संपर्क तथा आवश्यक प्रबंध करिए।
विधि 3
विधि 3 का 3:

अंतिम दिनों का पूर्ण उपयोग करना

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  1. मृत्यु का कोई सही या गलत तरीक़ा नहीं होता है। कुछ लोगों के लिए यह उचित होगा कि मित्रों तथा परिवार के साथ अधिक से अधिक समय बिताएँ, जबकि कुछ लोगों को एकांत में आराम मिलेगा जिससे वे अकेले में चीजों का सामना कर सकें। कुछ लोग जीवन के अंतिम दिनों में शायद पूरी तरह से मौज करना चाहें, वहीं कुछ लोग शायद नियमित दिनचर्या से जीवन यापन करना चाहें।
    • खुशियों से, या हंसने में समय बिताने से डरिए मत। कहीं नहीं कहा गया है कि जीवन का अंत गंभीर मामला होना चाहिए। यदि आप अपनी मनपसंद फ़ुटबॉल टीम का खेल देखना और संबंधियों से मज़ाक़ करना चाहते हैं, तो करिए।
    • यह आपका जीवन है। अपने चारों ओर उन चीजों और लोगों को रखिए जिनसे आप घिरे रहना चाहते हैं। अपनी ख़ुशी, आराम और शांति को अपनी प्राथमिकता बनाइये। [६]
  2. अपनी कार्य की जिम्मेदारियों से दूर होने पर विचार करें: कम ही लोग टेर्मिनल निदान होने पर अधिक समय कार्यालय में बिताना चाहेंगे, और मृत्यु के निकट पहुँचनेपर सबसे सामान्य शिकायत है कि काम बहुत किया, मगर बहुत कुछ और खो दिया। बचा हुआ समय, यदि बहुत नहीं है तो, वह करने में मत लगाइये जिसे आप करना नहीं चाहते हैं।
    • इसकी संभावना कम है कि बचे हुये थोड़े से समय में आप अपने परिवार के लिए बहुत वित्तीय अंतर डाल पाएंगे, इसलिए उसपर ध्यान दीजिये जिससे अंतर पड़े: अपनी और परिवार की भावनात्मक आवश्यकताओं पर ध्यान दें।
  3. मृत्यु के निकट पहुंचे अनेक लोगों को यह अफ़सोस रहा है कि वे मित्रों और संबंधियों के संपर्क में नहीं रहे। इसका इलाज करिए, उनके साथ, संभव हो तो एक एक करके, समय बिता कर और यादें ताज़ा कर।
    • अगर आप न चाहें तो जो आप पर गुज़र रही है, उसकी बात मत करिए। अतीत की बातें करिए, या वर्तमान पर ध्यान दीजिये। चीज़ों को जितना सकारात्मक चाहें, उतना रखिए।
    • यदि खुलना चाहें, तो वही करिए। जो आप पर बीत रही है वह बताइये और जो दुख आप अनुभव कर रहे हैं, उसे उनके साथ बाँटिए, जिन पर आपको विश्वास हो।
    • यदि आपके पास हंसने और बातें करने के लिए भी अधिक ऊर्जा नहीं है, तब केवल उनके बगल में बैठने से ही आपको बहुत आराम मिल सकता है।
    • आपकी पारिवारिक स्थिति पर यह निर्भर करता है कि आप अनेक लोगों से एक साथ, पूरे परिवारों से एक साथ, या व्यक्तिगत रूप से एक एक कर लोगों से मिलना पसंद करेंगे। इनसे समय की गति धीमी हो जाती है और मात्रा के स्थान पर आप गुणवत्ता पर ध्यान दे सकते हैं। बचे हुये समय को बड़ा करने का यह एक अच्छा तरीक़ा है।
  4. यह सामान्य है कि मृत्यु के निकट पहुंचे लोग जटिल सम्बन्धों को सुलझाना चाहते हैं। इसके अनेक मतलब हो सकते हैं, परंतु आमतौर पर इसका अर्थ है मतभेदों का समाधान, ताकि जाते समय बोझ कम हो सके।
    • किसी भी प्रकार के झगड़े, बहस, या गलतफ़हमी को समाप्त करने का प्रयास करिए। आपको बहस और संघर्ष में नहीं पड़ना चाहिए और जब आवश्यक हो, तो असहमत होने पर सहमत हो जाना चाहिए और सम्बन्धों को एक अच्छे सुर पर छोड़ना चाहिए।
    • हालांकि, आप जिनकी परवाह करते हैं वे हर समय आपके पास नहीं रह सकते हैं, आप उन्हें शिफ्ट्स में मिल सकते हैं, ताकि आप कम से कम अकेले रहें।
    • यदि आप अपने प्रियजन से व्यक्तिगत तौर पर नहीं भी मिल पाते हैं, तो जिसकी आप परवाह करते हैं उसे एक फ़ोन करना भी बहुत अंतर डाल सकता है।
  5. यदि आपके मित्रों और परिवार को आपके स्वास्थ्य के बारे में पता नहीं है, तो आप सबको वह बता सकते हैं जो हो रहा है, ताकि उन्हें अप टु डेट जानकारी रहे, या बातों को गोपनीय भी रख सकते हैं। प्रत्येक विकल्प के फ़ायदे और नुकसान दोनों ही हैं, और यह ऐसा कुछ है जिसका निर्णय आपको ही लेना होगा।
    • लोगों को बता देने से आपको क्लोज़र और आगे बढ्ने के लिए तैयार महसूस करने में सहायता मिलती है। यदि आप एक साथ शोक मनाना चाहते हैं, तो खुलिए और मित्रों तथा परिवार को साथ आने दीजिये। उनको और व्यक्तिगत महसूस कराने के लिए आप एक-एक कर केवल उन्हें बता सकते हैं, जिनकी आप परवाह करते हैं, अथवा उसे और सार्वजनिक कर सकते हैं। आने वाले हफ़्तों और महीनों में इससे मामले पर से ध्यान हटाना और हल्के फुल्के विषयों पर लगाना कठिन हो जाएगा, जो कि अनेक लोगों के लिए नकारात्मक होता है।
    • अपनी परिस्थिति को निजी रखने से आपको अपनी प्रतिष्ठा और निजता को बनाए रखने में सहायता मिल सकती है, जो कि अनेक लोगों के लिए वांछित चीज़ होती है। हालांकि, इससे दुख बाँटने और साथ साथ शोक करने में कठिनाई होगी, परंतु यदि आपको लगता है कि आप इसका अकेले ही सामना करना चाहते हैं, तब इसे निजी ही रखिए।
  6. चीज़ों को जितना हल्का रख सकें, रखने का प्रयास करिए: आपके अंतिम दिन नीत्शे के दर्शन पढ़ने और शून्यता के विचार में नहीं बीतने चाहिए, बशर्ते कि आप इन्हीं चीज़ों में आनंद न पाते हों। स्वयं को आनंद का अनुभव करने दीजिये। एक ग्लास में व्हिस्की डालिए, सूर्यास्त देखिये, पुराने दोस्त के साथ बैठिए। अपना जीवन जिएँ।
    • जब मृत्यु सामने आए तब उसके साथ समझौता करने में आपको प्रयास नहीं करना होगा। वह आपसे समझौता कर लेगी। उसके स्थान पर, मृत्यु पर ध्यान देने की जगह, बचे हुये समय में उन लोगों और चीज़ों के साथ आनंद लीजिये जो आपको पसंद हैं।
  7. एक बात यह समझ लीजिये कि आपके आस पास के लोगों को आपकी मृत्यु से परेशानी हो रही है। आप जितना महसूस करते हैं, वे उससे कहीं अधिक परेशान, आहत और भावुक दिख सकते हैं। अपनी भावनाएँ और इच्छाएँ अपने परिवार से व्यक्त करते समय जितना दयालुतापूर्ण हो सके, उतना ईमानदार रहिए।
    • हालांकि आपको उनसे आराम, आशावादिता, सहयोग और प्रेम से अधिक शायद और कुछ नहीं चाहिए होगा, आपको शायद यह पता चलेगा कि अपने शोक में उन्हें भी परेशानी हो रही है। यह बिलकुल स्वाभाविक है। स्वीकार करिए कि सबलोग अपने भरसक प्रयास कर रहे हैं, और कभी कभी उन्हें भी छुट्टी चाहिए। पूरा प्रयास करिए कि उनकी प्रतिक्रियाओं पर नाराज़ या निराश न हों।
    • आपको कभी ऐसा लग सकता है कि आपके प्रियजन अपनी भावनाओं का बहुत कम प्रदर्शन कर रहे हैं। कभी यह मत सोचिएगा कि उन्हें परवाह नहीं है। उसका अर्थ केवल इतना है कि वे आपके स्वास्थ्य से शांति से, अपने तरीक़े से निबट रहे हैं, और अपनी भावनाओं का प्रदर्शन कर आपको परेशान नहीं करने का प्रयास कर रहे हैं।
  8. किसी पंडित या अन्य धार्मिक नेता से बात करने से आपको लगेगा कि इस दुनिया में अकेलापन कम है और यह भी कि आपके लिए एक राह है। धार्मिक मित्रों से बात करने से, धार्मिक ग्रंथ पढ़ने से, या प्रार्थना करने से आपको शांति मिल सकती है। यदि आप इतने स्वस्थ हैं कि चर्च, मस्जिद, या मंदिर में जा सकें, तो आप अपने धार्मिक समुदाय के लोगों के साथ अधिक समय बिता कर भी शांति पा सकते हैं।
    • वैसे, यदि आप किसी धर्म को नहीं मानते, तो अपने विचार बदलने की और मृत्यु के बाद जीवन को मानने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि वह वास्तविक आप नहीं हैं। अपना जीवन वैसे ही समाप्त करिए जैसे आपने जिया है।
  9. यदि आप अपने जीवन का शांतिपूर्ण अंत इसलिए करना चाहते हैं, क्योंकि आप जीवन समाप्त करना चाहते हैं, मत करिए। किसी विश्वसनीय मित्र या परिवार के सदस्य से बात करिए, अस्पताल में भर्ती हो जाइए, और प्रयास करिए कि किसी भी क़ीमत पर अकेले न रहें। आपको ऐसा लग सकता है कि जीवन का अंत करने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। यदि आप शांतिपूर्ण मृत्यु चाहते हैं, तो जब तक कर सकते हैं, जीवन से अधिक से अधिक प्राप्त करिए।
    • यदि आप आत्महत्या के बारे में सोच रहे हैं और तुरंत मदद चाहिए, स्थानीय सूइसाइड प्रीवेंशन हॉटलाइन पर फ़ोन करिए। याद रखिए, यह इस योग्य नहीं है और इससे कोई लाभ नहीं होगा।

विकीहाउ के बारे में

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