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अच्छे से बात कर पाना, सफलता पाने की कुंजी होती है, फिर भले ही आप बहुत सारे लोगों के सामने बोल रहे हों, या फिर अपने किसी नए दोस्त को अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहे हों। यदि आप स्पष्ट और विश्वास के साथ में बोलना सीखना चाहते हैं, तो उसके लिए सबसे पहले आपको अपने आप पर विश्वास करना सीखना होगा, धीरे-धीरे, और सावधानी के साथ में बोलना होगा और आप जो कुछ भी बोल रहे हैं, उस पर पूरी तरह से विश्वास करना होगा। यदि आप बोलते वक़्त बुद्धिमान और विचारशील दिखाई देना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत करने के लिए, नीचे दिए गए पहले चरण को देखें।

विधि 1
विधि 1 का 3:

विश्वास के साथ में बोलना

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  1. कुछ भी बोलने से पहले, आप जो कुछ भी बोल रहे हैं, उस पर पहले खुद ही विश्वास करें, फिर भले ही आप अरिजीत सिंह के नए गाने की तारीफ कर रहे हों, या फिर देश में चल रहे आरक्षण के मुद्दे को सरकार की पहली चिंता का विषय होना चाहिए, बोल रहे हों। दूसरों के सामने अपने विचारों को पेश करते वक़्त आपकी आवाज में घमंड की गूँज नहीं सुनाई देनी चाहिए और आपकी बातों से ऐसा भी नहीं लगना चाहिए कि आप जिस चीज़ पर विश्वास करते हैं, अन्य लोगों भी उस पर विश्वास करना ही होगा।
    • यह सब इस बात पर निर्भर करता है, कि आप इन्हें कैसे बोल रहे हैं। यदि आप किसी एक वाक्य की शुरुआत कुछ ऐसा बोलते हुए करते हैं, "मुझें ऐसा लगता है…" या "लेकिन फिर भी…" तो फिर इसके बाद में आप चाहे जो कुछ भी बोल दें, लोगों को ऐसा ही लगेगा कि आपने अपना मत दे दिया है और अब आप किसी के भी विचारों को नहीं सुनने वाले हैं।
  2. सिर्फ इसलिए, क्योंकि ये दूसरों के प्रति आपकी विनम्रता को दर्शाता है। इसके साथ ही आँखों का संपर्क सामने वाले को आपकी बातों को ध्यान से सुन सकने में मदद करता है। तो ऐसे कुछ अच्छे और सहज चेहरों को ढूंढ लें, जिनको देख कर आपके आत्म-विश्वास का स्तर बढ़ जाए और आप अपने विचारों को और भी अच्छे से सामने रख पाएँ। यदि आप नीचे जमीन पर देखते रहेंगे, तो आप किसी भी तरह से कॉंफिडेंट नजर नहीं आएँगे और यदि आप चारों ओर देख-देख कर बातें करेंगे, तो लोगों को लगेगा कि आप विचलित हैं या फिर करने के लायक किसी और बेहतर चीज़ की तलाश कर रहे हैं।
    • जब कभी भी आप किसी से बात करें, तो उसकी आँखों में देखें - आप चाहें तो एक पल के लिए कहीं और भी देख सकते हैं या फिर एक बार अपने स्थान को ठीक कर सकते हैं, लेकिन सामान्य रूप से आप जिससे भी बात कर रहे हैं, उसकी आँखों की ओर केंद्रित रहें।
    • यदि बोलते वक़्त आपको कोई भी व्यक्ति कंफ्यूज या चिंतित सा दिखाई देता है, तो आप एक बार सोच सकते हैं कि क्या आप अपनी बात को पर्याप्त रूप से स्पष्ट कर रहे हैं या नहीं। हालाँकि आपको किसी एक कंफ्यूज व्यक्ति के कारण खुद को विचलित नहीं कर लेना है।
    • यदि आप किसी इतने बड़े ग्रुप के बीच में बोल रहे हैं, जहाँ पर आपके लिए आँखों से संपर्क कर पाना कठिन लग रहा हो, तो भी वहां पर मौजूद लोगों में से कम से कम कुछ लोगों की तरफ ध्यान देने की कोशिश करें।
  3. यह आपके आत्म-विश्वास को बढ़ावा देगा, जो बात करते वक़्त आपके लिए बहुत जरूरी होगा। आप जितना ज्यादा विश्वास में नजर आएँगे, लोग भी आपकी बातों को उतनी ही गंभीरता से लेंगे। ऐसा नहीं है कि आपको अपनी तारीफ करने के लिए, ऐसा सोचना है, कि आप कितने परफेक्ट हैं, बल्कि इसकी जगह पर खुद को उस शानदार व्यक्ति की तरह महसूस करने दें, जो आप हैं। खुद को उन सारी बातों की याद दिलाते रहें, जिन्हें आपने अपने जीवन में हासिल किया है और अपने कठिन परिश्रम को भी याद करें। आईने में देखें और अपने बारे में कम से कम तीन बातें कहें या फिर उन सारी बातों कि एक लिस्ट बना लें, जो आपको वास्तविक बनाती हैं।
    • यदि आप अपने अंदर से तारीफ के काबिल कोई भी चीज़ नहीं निकाल पा रहे हैं, तो फिर आपको अपने आत्म-विश्वास को जगाने के लिए कुछ करने की जरूरत है। आप जिस भी चीज़ में अच्छे हैं, उस ओर अपना ध्यान लगा कर अपने अंदर विश्वास का निर्माण करें, अपनी कमियों को पहचानना और ऐसे लोगों के साथ वक़्त बिताना, जो सच में आप की परवाह करते हों, और जो आपको अंदर से अच्छा महसूस कराते हों।
  4. बेहतर ढंग से बात करने के लिए संक्षिप्त में बोलना सीखें: हो सकता है कि आपको किसी वक़्त बहुत सारे लोगों के सामने भी बोलना पड़े। हालाँकि यह आपको ज़रा सा डरावना लग सकता है, लेकिन यदि आप ऐसा कर पाएंगे, तो इस के परिणामस्वरूप आप अच्छी तरह से बोलना और इस तरह के किसी भी डर से उबर पाना सीख पाएंगे। एक अच्छा प्रवक्ता बनने के लिए, इन तरकीबों पर ध्यान दें (आसानी से याद रख पाने के लिए जान-बूझ कर इन्हें छोटा रखा गया है):
    • उचित रूप से योजना बनाएँ।
    • अभ्यास करें।
    • अपने श्रोतागणों के साथ में संबंध बनाएँ।
    • बॉडी लेंग्वेज की ओर ध्यान दें।
    • सकारात्मक रूप से सोचें और बोलें।
    • अपनी कुलबुलाहट का सामना करें।
    • अपने भाषण को रिकॉर्ड कर के इस रिकार्डिंग को देखें। यह आपको हर बार और बेहतर ढंग से भाषण देनें में मदद करेगा।
  5. थोडा जल्दी पहुँच जाएँ, आप जहाँ पर खड़े हो कर बोलने वाले हैं, उस जगह पर चल कर देखें और माइक्रोफोन और आप जो भी विज्ञापन ले कर आए हैं, उसके साथ में अभ्यास कर लें। आप किस जगह पर जाने वाले हैं और आप कहाँ पर खड़े होने वाले हैं, भीड़ कैसी दिखाई देने वाली है और आप जब इधर से उधर जा कर बोलेंगे, तो कैसे दिखाई देने वाले हैं, इन सारी बातों को जान कर आपको आत्म-विश्वास के साथ बोल पाने में मदद मिलेगी। बाद में अचानक से किसी जगह पर पहुँच कर परेशान होने से अच्छा है, कि आप पहले ही उन सारी बातों सामना कर लें -- और इससे, उस दिन जब आप उस जगह पर खड़े होंगे, तो -- आपके विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
    • यदि आप सच में उस जगह को समझना चाहते हैं, तो आप जिस दिन बोलने वाले हैं, उसके एक दिन पहले वहाँ जाकर उस जगह का मुआयना भी कर सकते हैं, ताकि आपको पता चल जाए कि आखिर आप कल कैसा महसूस करने वाले हैं।
  6. भाषण देते हुए अपने आपकी कल्पना करें। सोचें कि आप बोल रहे हैं, आपकी तेज़ आवाज, स्पष्ट और आश्वस्त। लोगों के तालियाँ बजाने की कल्पना करें – यह आपके आत्म-विश्वास को बढ़ावा देगा। अपनी ऑंखें बंद करें और कल्पना करें कि आप दर्शकों के सामने बहुत ज्यादा विश्वास के साथ और अच्छी तरह से-बोल कर अपने दर्शकों को अपनी बातों से आश्चर्य में डाल रहे हैं। या फिर यदि आप किसी बहुत छोटी सी जगह में बोलने से घबरा रहे हैं, तो कल्पना करें कि आप अपने दोस्तों के साथ बैठे हुए हैं और उन्हें अपनी बातों से भाव-विभोर कर रहे हैं। इस तरह वहाँ पर क्या होने वाला है, इसकी पहले से ही कल्पना कर लेने से आपको अपने आप को सफल बनाने में मदद होगी।
    • इस तरह से जब भी आप उस जगह पर खड़े हों, तो बस उसी बात को याद रखें, जिसकी आपने कल्पना की थी -- आप वहाँ तक कैसे पहुँच सकते हैं?
  7. आप जिन लोगों के सामने वाले हैं, उनको अच्छी तरह से जान कर आपको, उनके सामने विश्वास के साथ बोल पाने में मदद होगी। यदि आपके श्रोतागण बहुत सारे हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है, कि आखिर ये कहाँ से आए हैं, इन की उम्र क्या है, और आपके द्वारा बोले जाने वाले विषय के बारे में कितना जानते हैं। इस तरह से आपको अपनी बातों को उन्ही की भाषा में तैयार करने में सहायता होगी। यदि आप कुछ गिने-चुने लोगों के सामने बोलने वाले हैं, तो इनके बारे में जितना भी जान सकते हों, जानने की कोशिश करें -- उनकी राजनीतिक धारणाएँ, उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर -- ये सब कुछ आपको उचित बातें बोलने में मदद करेंगे (और गलत बातों को बोलने से बचा सकेंगे)।
    • कुछ बोलते वक़्त लोगों के परेशान होने का एक कारण यह भी है, कि उन्हें अनजाने लोग पसंद नहीं होते; बस इसलिए आप उन लोगों के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी निकाल सकें, निकालने की कोशिश करें।
  8. आपकी बॉडी लेंग्वेज आपको लोगों के सामने और खुद के सामने भी आश्वस्त बनाने में सहायता करेगी। यदि आप एक विश्वास से भरपूर बॉडी लेंग्वेज पाना चाहते हैं, तो यहाँ पर कुछ बातें दी गई हैं, जिनके बारे में आपको सोचना चाहिए:
    • अच्छी मुद्रा में रहें।
    • किसी एक तरफ झुकाव रखने से बचें।
    • अपने हाथों से कुलबुलाहट ना दर्शाएँ।
    • अपने आसपास बहुत तेज़ गति से ना चलें।
    • नीचे, जमीन पर देखने के बजाय अपने सामने देखें।
    • अपने चेहरे और शरीर को आराम में रहने दें।
  9. वही विषय चुनें, जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। आप अपने भाषण में जो कुछ भी बोलने वाले हैं, अपने साथ में उससे कहीं ज्यादा जानकारी ले कर चले। यदि आप अपने विषय के बारे में ज्यादा जानकारी रखेंगे, तो जब आप बोलेंगे, तो कहीं ज्यादा आत्म-विश्वास महसूस करेंगे। यदि आप अपने भाषण को एक रात पहले ही तैयार करेंगे और इस बात को ले कर डरेंगे कि कोई आप से इस बारे में कुछ सवाल ना कर ले, और आपको किसी बात का भी जवाब नहीं मालूम होगा, तो फिर आप अपना विश्वास ज्यादा समय तक बना कर नहीं रख पाएंगे। यदि आप अपने विषय के बारे में जितना बोलने वाले हैं, उससे पांच गुना ज्यादा जानकारी रखेंगे, तो इससे आपको अपने उस दिन के लिए तैयार रहने में मदद होगी।
    • यदि आप बोलने के बाद, सवाल पूछने के लिए कुछ समय देंगे, तो यदि आप चाहें तो अपने किसी दोस्त के साथ में इसका अभ्यास कर सकते हैं; और अपने दोस्तों को आपसे कुछ कठिन सवाल भी पूछने दें, ताकि आप आने वाले सवालों के लिए खुद को तैयार कर पाएँ।
विधि 2
विधि 2 का 3:

अच्छी तरह से बोलना

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  1. हालाँकि आपको चिल्लाना भी नहीं है, लेकिन आपको इतना तेज़ बोलना है, जितना कि सब लोग सुन पाएँ और जितने में आपको अपनी बातों को बार-बार बोलने की जरूरत भी ना पड़े। धीमी आवाज में और नरमी से बोलने पर लोगों को लग सकता है कि आप बेहद शर्मीले हैं, और आप जो कुछ भी बोल रहे हैं, उसे ले कर आश्वस्त नहीं हैं -- और इसलिए आप चाहते हैं कि लोग आपको सुन भी ना पाएँ।
    • यदि आप धीमी आवाज में बोल रहे हैं, तो इस से ना सिर्फ आप लोगों के द्वारा अच्छी तरह से नहीं सुने जाएँगे, बल्कि ऐसा करके आप अपने एक ऐसे व्यक्तित्व का विकास करेंगे, जो आपके आत्म-विश्वास से भरे व्यक्तित्व से बिलकुल विपरीत होगा।
    • वहीं दूसरी ओर आप इतना ज्यादा जोर से भी नहीं बोलना चाहेंगे, कि लोगों को लगने लगे कि आप सिर्फ सुने जाने के लिए ही अन्य लोगों की आवाज को दबा रहे हैं। लोगों का ध्यान पाने के लिए आपके शब्द अकेले ही काफी हैं।
  2. www.indianjournals.com या www.nbrc.ac.in जैसी ऑनलाइन जर्नल से जितना ज्यादा पढ़ सकें, पढ़ें। आप जितना ज्यादा पढेंगे, उतना ज्यादा जान पाएंगे और आपकी शब्दावली भी उतनी ही ज्यादा विस्तृत होगी। आप बिना किसी जानकारी के ही नए शब्दों को और नए वाक्यों को पढ़ रहे होंगे और आपके द्वारा पढ़े हुए शब्दों को जल्द ही आप बोलते समय भी इस्तेमाल करने लगेंगे। यदि आप सच में अच्छी तरह से बात करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको एक विस्तृत शब्दावली की जरूरत होगी।
    • इसका यह मतलब नहीं है कि आपको अपनी बातों में या फिर हर दिन की सामान्य बातों में एक ही बार में हजारों नये शब्द इस्तेमाल करना है। बस कुछ ही "काल्पनिक" शब्द भी आपको और भी ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति की तरह दर्शा सकते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं कि आप बहुत ज्यादा ही कोशिश करते नजर आएँ।
    • शब्दावली की एक डायरी बनाएँ। जब कभी भी आपको कोई नया शब्द मिले, तो उसे इस में लिख लें और अच्छी तरह से परिभाषित कर लें।
  3. आम बोलचाल की भाषा का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें: यदि आप एक अच्छे प्रवक्ता बनना चाहते हैं, तो फिर आप आम बोलचाल की भाषा या कहावतों का इस्तेमाल करने से बचें। बेशक, यदि आपके श्रोतागण जवान और युवा वर्ग की है, तो फिर आपको ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए जो अनुकूल हो, लेकिन फिर भी आपको कुछ ऐसी बातें बोलने से बचना होगा, जैसे कि, "तुम लोग," या "ढक्कन" या फिर "इस चक्कर में!" या फिर आपके आसपास जिस भी तरह की बातें चलन में हैं, उनका इस्तेमाल करने से बचें।
    • बेशक, यदि आप अपने दोस्तों से बातें कर रहे हैं, तो फिर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना ठीक है, लेकिन यदि आप जरा ज्यादा समझदार लोगों के साथ बातें कर रहे हैं, तो फिर आपको अपने शब्दों का चयन जरा सोच-समझ कर करना होगा और इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल से बचना होगा।
  4. कुछ लोगों को लगता है कि बातों के बीच में रुकने वाले लोग कमजोर होते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अपने विचारों को इकठ्ठा करने के लिए रुकना और आप अब क्या बोलने वाले हैं उस के बारे में सोचने के लिए, थोडा-बहुत ठहराव भी जरूरी है। जल्दी-जल्दी बोलते वक़्त इस से बुरा और क्या होगा, जब लोगों की नजरों में आप घुमा-घुमा कर बातें करते हुए और घबराए हुए से लगने लगेंगे, और यहाँ तक कि हो सकता है कि आप जल्दबाजी में कुछ ऐसा बोल दें, जिस के लिए बाद में आपको पछताना पड़े। बातों की गति को कम करना और बीच-बीच में रुकना भी बात करने का ही एक हिस्सा है और यह एक आम बात है।
    • यदि आप बोलते वक़्त बीच में कुछ शाब्दिक विराम देते हैं (जैसे कि "um" या "uh"), तो भी इस बारे में ज्यादा ना सोचें। यह अपनी बातों को तेज़ी देने का एक आम तरीका है, और यहाँ तक कि प्रधानमंत्री जी भी अक्सर अपनी बातों के बीच में इस तरह का विराम लेते हैं। यदि आपको लगता है कि आप इन का इस्तेमाल बहुत जल्दी-जल्दी और बहुत ज्यादा बार करते हैं, तो फिर आप इनका इस्तेमाल करना कम कर सकते हैं, लेकिन ऐसा बिलकुल भी ना सोचें कि आपको इन का इस्तेमाल करना पूरी तरह से बंद कर देना है।
  5. अपने बातों को समर्थन देने और अपनी बातों को सबके सामने अच्छी तरह से लाने के लिए इशारों का इस्तेमाल करना सही रहेगा। लेकिन बातें करते वक़्त अपने हाथों और संकेतों का बहुत ज्यादा भी इस्तेमाल ना करें, वरना आप जरा घबराए हुए से प्रतीत होंगे और लोगों को लगने लगेगा कि आप इस तरह के संकेतों का इसलिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि आपके पास बात करने के लिए ज्यादा शब्द ही नहीं हैं। इसकी जगह पर अपने हाथों को एक तरफ ही रखें और जब ज्यादा जरूरत हो तभी इनका इस्तेमाल करें।
  6. अच्छी तरह से बोलने का मतलब यह भी जानना है कि आपको क्या नहीं बोलना है। आप सोचते होंगे कि आपको अपनी बातों को समझाने के लिए कम से कम 10 उदाहरण देने की जरूरत है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है, असल में आपको सिर्फ दो या तीन उदाहरण की ही जरूरत है और इसके साथ ही आपके विचार और भी अच्छी तरह से सामने आएँगे, क्योंकि आप उसे समझाने के लिए कुछ अच्छे उदाहरणों का इस्तेमाल कर रहे होंगे। यदि आप एक भाषण दे रहे हैं, तो आपको अपने हर एक शब्द का हिसाब रखना होगा; यदि आप अपने किसी दोस्त से बात कर रहे हैं, तो भी अच्छा होगा यदि आप अपनी बातों को ज्यादा घुमा-फिरा कर ना बोलें।
    • यदि आप कोई भाषण दे रहे हैं, तो फिर इसे लिख लें और फिर जोर-जोर से बोलें। अपनी बातों को पढने से आपको यह समझ पाने में मदद होगी कि कहाँ पर आप एक ही बात को बार-बार दोहरा रहे हैं और इन चीज़ों को आप को हटाने की जरूरत है।
  7. आप सोच रहे होंगे कि अपने मुख्य विचार को एक बार दर्शाना ही काफी है, और इसके साथ ही आपके श्रोतागणों को समझ आ जाएगा, कि आखिर आप किस विषय पर बात करने वाले हैं। हालाँकि, ऐसा नहीं है, आप गलत सोच रहे हैं। यदि आपके पास में कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें आपको लोगों के सामने लाने की जरूरत है, फिर भले ही आप अपने दोस्त के सामने अपने विचार रख रहे हों, या फिर एक सभा में बहुत सारे लोगों के सामने के सामने अपनी बातें रख रहे हों, इन बातों को जरुर रखें, इससे आपके विचार को लोगों के सामने और भी अच्छी तरह से स्पष्ट करने में आपकी मदद करेगा।
    • एक निबन्ध लिखने के बारे में विचार करें। आपको इसके हर एक पैराग्राफ के बाद में और निबन्ध के आखिर में अपने मुख्य बिंदु को लिखना होता है। है ना? वैसे ही, बोलने में कुछ अलग नहीं है।
  8. अपने श्रोताओं को जोड़ कर रखने के लिए, कुछ ठोस उदाहरणों का इस्तेमाल करें: ठोस सबूत आपके श्रोताओं को जोड़े रखने में काफी मदद करते हैं। फिर भले ही आप अपने श्रोताओं को ऊर्जा के नवीनीकरण के बारे में समझाने की कोशिश कर रहे हों, या फिर अपनी सहेली को उसके लूज़र बॉयफ्रेंड को छोड़ने के लिए मना रहीं हों, बस आपको अपने श्रोताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए, कुछ सबूतों का इस्तेमाल करना होगा। अपने विचारों को सबके सामने स्पष्ट करने के लिए, कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा कहानियों को ढूंढ सकें, मान्यताओं का इस्तेमाल कर सकें। याद रखें कि इसका मतलब, आपको अपने श्रोताओं के सामने एक-साथ कई हजारों उदाहरण पेश नहीं करना -- इसका मतलब कुछ ऐसे मुख्य बिन्दुओं को सामने लाना है, जिन्हें आपके दर्शक याद रख पाएं।
    • सिर्फ एक या दो ही कहानी कहें। यदि आप एक भाषण दे रहे हैं, तो अपने विचार को प्रभावी ढंग से सामने लाने के लिए, इसकी शुरुआत में या फिर आखिर में एक कहानी सुनाना काफी है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

इसे अगले स्तर पर ले कर जाना

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  1. एक ऐसा माहौल तैयार करें जिस में लोगों को अनुकूल महसूस हो: अपने श्रोताओं के साथ में जान-पहचान करते हुए शुरुआत करें। इससे आपको समय भी मिलेगा और आपकी बेचैनी को भी शांत करेगा। थोडा रुकें, मुस्कुराएँ और कुछ भी बोलने से पहले तीन तक गिनती गिनें। ("एक, दो, तीन। रुकें। और शुरू करें।) अपनी इस बेचैनी को उत्साह में परिवर्तित करें। इसका मतलब ऐसा कुछ भी ढूंढना है, जो आपके लिए सही ढंग से काम करे। फिर हो सकता है कि कुछ बोलने से पहले पी गई एक कप चाय आपके लिए मददगार साबित हो। या फिर हर पांच मिनट में एक घूँट पानी पीना आपके लिए सही हो। एक बार आपके लिए कोई सही तरकीब मिल जाए, बस फिर उसी पर टिके रहें।
    • आप चाहें तो बात करते समय किसी ऐसी चीज़ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपको शांति दे सके। जैसे कि एक कुशन बाल अपने कोट की जेब में रखना और बोलते समय बीच-बीच में इसे दबाना या फिर थोडा और ज्यादा मुस्कुराना।
  2. बोलते वक़्त आपको जिन-जिन चीज़ों का इस्तेमाल करना है, उनके साथ एक बार अच्छी तरह से अभ्यास कर लें। जितनी बार भी जरूरत हो, इसे दोहराएँ। बीच-बीच में नियंत्रण करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले शब्दों को अच्छे से चुन लें; ठहराव और लंबी सांसों का भी अभ्यास करें। टाइमर के साथ में अभ्यास करें, और बीच में लगने वाले कुछ और संभावित समय अपने साथ में ले कर चलें। आप जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे, बोलते वक़्त स्पष्ट और आश्वस्त दिखाई देंगे। और इसके साथ ही आप क्या बोलने वाले हैं, आपको भी यह जान कर अच्छा और अपने अंदर विश्वास का अनुभव होगा।
  3. यदि आप बेचैन हैं या फिर आप ने अचानक से कुछ गलत बोल दिया, तो जबरदस्ती में माफ़ी मांग कर अपनी इस गलती पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेंगे। बस आप आगे बोलना जारी रखें, और वहां मौजूद सारे लोग आप ने क्या बोला था, को भूल कर आप जो बोल रहे हैं उस पर ध्यान देने लगेंगे। ऐसा बोलना कि, "माफ़ करना दोस्तों, मैं बस थोडा सा परेशान हूँ," या "ओह, वो मैंने गलती से बोल दिया था," यह चीज़ों को और भी ज्यादा अजीब और असहज बना देगा। गलतियाँ तो हर किसी से होती हैं, तो तब तक अपनी गलियों का बखान ना शुरू करें, जब तक कि आप अपना मजाक बनाने और सहने में अच्छी तरह से निपुण ना हों।
  4. अपना सारा ध्यान अपनी खुद की चिंताओं से हटाएँ और सिर्फ और सिर्फ अपने विचारों और अपने श्रोताओं पर ध्यान दें। सबसे जरूरी बात अपने विचारों को लोगों के सामने प्रस्तुत करना है, लेकिन आपको ऐसा करते वक़्त एन आर नारायणमूर्ति की तरह भी नहीं दिखाई देना है। यदि आप अपने ऊपर कम ही ध्यान देंगे, तो आप ज़रा कम ही अपने प्रति सजग दिखाई देंगे और सिर्फ और सिर्फ अपने संदेश पर ध्यान देना शुरू कर देंगे, जो आपके ऊपर मौजूद सारे दबाव को एक हद तक दूर करने में मदद करेगा। बोलने से पहले ज़रा खुद को याद दिलाएं कि आपका संदेश आखिर कितना जरूरी है और इसे लोगों तक पहुँचाना भी आखिर कितना जरूरी है। इस तरह से आप खुद को किसी भी बारे में चिंता करने से रोक पाएँगे, फिर भले ही आपके मन में जल्दी-जल्दी बोलने का डर हो या फिर बहुत ज्यादा पसीना आने का डर।
  5. आपके द्वारा बोली जा रही बातें आपका परिचय देंगी — एक अधिकारी की तरह और एक व्यक्ति की तरह। अनुभव से आपमें विश्वास जागृत होगा, जो सफलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से बोल सकने की कुंजी है। एक टोस्टमास्टर (Toastmasters) क्लब आपको, आपके लिए जरूरी विश्वास और अनुभव को विकसित करने में मदद कर सकता है। बहुत सारे लोगों के सामने बैठ कर बातें करना या फिर भाषण देना भी आपके अंदर आत्म-विश्वास को जागृत कर पाने और सफलतापूर्वक बातें कर पाने में सहायता करेगा। फिर भले ही आप अपने घर में या दोस्तों के सामने ही क्यों ना बोल रहे हों, लेकिन आप जितना ज्यादा ऐसा करेंगे, आप इसमें उतने ही बेहतर बनते जाएँगे। यह भी दूसरी अन्य कलाओं की तरह ही है, आप जितना ज्यादा अभ्यास करेंगे, यह उतना ही ज्यादा कुशल बनते जाएँगे।
  6. इस बात को समझें कि लोग भी आपको सफल ही देखना चाहते हैं: आपके श्रोता भी यही चाहते हैं कि आप रोचक लगें, प्रेरणादायक लगे, अच्छे जानकार लगें और मनोरंजक लगें। ये आपके पक्ष में ही रहना चाहते हैं। कुछ भी करने से पहले इस के बारे में ज़रा एक बार सोच लें, आप क्या करने वाले हैं, लोग इसे किस तरह ग्रहण करने वाले हैं और क्या ऐसा करते हुए आप स्पष्ट नजर आ रहे हैं। कोई भी आप की बोली हुई बातों को ठीक करने के लिए आपको बीच में नहीं टोकेगा, आपके शब्दों पर आ कर नहीं रुकेगा। हर कोई आप के लिए जो सर्वश्रेष्ठ हो, वही चाहता है, और आपको भी इसी की ख्वाहिश रखनी चाहिए। अच्छी तरह से बोल पाना सच में एक बेहद कठिन काम है, फिर भले ही आप क्रिकेट के बारे में बातें कर रहे हों, किसी टीवी शो के बारे में बोल रहे हों या फिर सिर्फ अपनी क्लास के बारे में कोई बात कर रहे हों, लेकिन आपको सुनने वाला हर एक इंसान बस यही चाहेगा कि आप अच्छी तरह से बोलें, और उनकी दिलचस्पी आप में बनी रहे।

सलाह

  • अभ्यास आपको परिपूर्ण बनाता है। यदि आप सच में अच्छी तरह से बोलना चाहते हैं या कोई भाषण देने वाले हैं, तो इसकी पहले से की हुई तैयारी आपको उस दिन आश्वस्त और स्पष्ट बनाने में सहायता करेगी।
  • हो सकता है कि बीच में लिया हुआ विराम आपको कुछ इस तरह से लगे कि आप कुछ भूल गए हैं या फिर आपको समझ नहीं आ रहा है कि क्या बोलना है, लेकिन असल में ऐसा बिलकुल नहीं है, इन तरकीबों का इस्तेमाल अपने श्रोताओं का ध्यान खींचने के लिए भी किया जाता है। यदि लोग आप में अपनी दिलचस्पी को खोते जा रहे हैं, या फिर आप अपनी बातों को स्पष्ट करने के लिए कुछ सोचना चाहते हैं, तो बस एक विराम लें!
  • यदि आप एक शर्मीले इंसान हैं, या फिर लोगों के साथ में अच्छी तरह से नजरे नहीं मिला पाते हैं तो फिर लोगों की आँखों में सीधे ना देखें, ये आप को विचलित भी कर सकता है। इसकी जगह पर लोगों के सिर पर देखें और अपनी आँखों को किसी एक जगह पर टिका कर रखें, तो इस से ऐसा भी नहीं लगेगा कि आप कहीं और देख रहे हैं और आप अपना ध्यान भी भटकाने ससे बचा लेंगे।
  • यदि आप बहुत सारे अजनबी लोगों से भरे हुए एक कमरे में हैं, तो ऐसे लोगों के बारे में सोचें, जो आप को पसंद करते हैं, और सोचें कि वो आप को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

चेतावनी

  • ध्यान दें कि आश्वस्त होने में और अशिष्ट होने के बीच में अच्छा खासा अंतर है। बहुत ज्यादा भी आत्म-विश्वास ना दर्शाएँ वरना लोगों की नजरों में आप एक अशिष्ट व्यक्ति की तरह अपनी छवि बना लेंगे। यदि आप सोचेंगे कि आपके विचारों से बेहतर और किसी के विचार नहीं हो सकते, तो आपके लिए इस से बुरा और कुछ नहीं होगा।
  • अपने विचारों को प्रस्तुत करने के साथ ही, वहां मौजूद दूसरे लोगों के विचारों को भी सुनें! नहीं तो उन लोगों को लगने लगेगा कि आप सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं और इस तरह से आप उन के कीमती विचारों से लाभ लेने से भी वंचित रह जाएँगे।

विकीहाउ के बारे में

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अगर आप अच्छी तरह से और कॉन्फ़िडेंस के साथ बात करना सीखना चाहते हैं, तो इन 6 स्टेप्स को फॉलो करें: स्टेप 1: अपनी स्पीच को आउटलाइन करते हुए, छोटे नोट्स बना लें। अपनी पूरी बातों को लिखने की कोशिश न करें – बस ऐसे नोट्स बनाएँ, जो आपके सबसे जरूरी पॉइंट्स को कवर करते हों। प्रेजेंटेशन वाले दिन रेफरेंस के लिए, अपने साथ में अपने नोट्स लेकर जाएँ। स्टेप 2: अपनी स्पीच की बार-बार प्रैक्टिस करें। अगर आपको मालूम होगा, कि आपको क्या और कैसे बोलना है, तो आप और ज्यादा कॉन्फिडेंट महसूस करेंगे। आइ कांटैक्ट बनाने के ऊपर काम करने के लिए और जेस्चर को प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने के लिए, आईने के सामने खड़े होकर प्रैक्टिस करना, एक अच्छा आईडिया है। अगर आप कर सकें, तो अपनी बातों को अपनी फैमिली या फ्रेंड्स के छोटे ग्रुप के सामने प्रेजेंट करें और उनसे फीडबैक की माँग करें। स्टेप 3: अपनी बात कहने से पहले, शांत होने और रिलैक्सेशन टेकनिक्स का इस्तेमाल करते हुए, खुद को फोकस करने में कुछ वक़्त बिताएँ। आपके लंग्स के पूरे भरने तक अपनी नाक से साँस खींचकर और अपने मुँह से साँस छोड़ते हुए, गहरी साँसें लेकर देखें। विज़्यूलाइजेशन या मन में किसी चीज के बारे में सोचना, एक और प्रभावी टेकनिक होती है: ऐसा सोचकर देखें, जैसे आपने एक अच्छी स्पीच दी है और इसके पूरा होने के बाद ऑडियन्स आपके लिए ताली बजा रही है। स्टेप 4: तेज और आराम से बोलकर, आपकी ऑडियन्स के द्वारा आपको सही ढंग से सुने और समझे जाने की पुष्टि कर लें, ताकि वो आपके द्वारा बोली जाने वाली बातों को आसानी से फॉलो कर सकें। धीरे-धीरे, स्पष्ट रूप से बोलकर और बीच-बीच में रुककर, आपकी ऑडियन्स को उनके द्वारा सुनी हुई बातों को प्रोसेस करने का मौका दें। एक स्थिर, सोची-समझी हुई गति, आपको जरा ज्यादा आधिकारिक और आपकी स्पीच को और ज्यादा असरदार बनाने में मदद करेगी। स्टेप 5: पूरी स्पीच के दौरान, बीच-बीच में अपनी ऑडियन्स के साथ आइ कांटैक्ट बनाएँ। रूम में मौजूद कुछ सपोर्टिव लोगों को चुन लें और अपनी नजरों को उन्हीं के बीच में मूव करें। अगर आपकी ऑडियन्स जरा डरावनी नजर आ रही है, तो आप खुद को सिर्फ इन्हीं लोगों को स्पीच देते हुए सोच सकते हैं। स्टेप 6: बात की असली थीम के छोटे स्टेटमेंट के साथ अपनी स्पीच को पूरा करें और आपकी ऑडियन्स को आपको सुनने के लिए थैंक्स बोलें। इसके बाद आपको मिलने वाली तालियों को एंजॉय करें – आपने इसे हासिल किया है!

सभी लेखकों को यह पृष्ठ बनाने के लिए धन्यवाद दें जो १६,५७८ बार पढ़ा गया है।

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