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अंजीर (Fig) एक लोकप्रिय फल है जो ताजा एवं सूखा ही खाया जाता है। इसे पकाकर तथा परिरक्षित (preserve) अर्थात् मुरब्बा बनाकर भी प्रयोग किया जाता है। पेड़ पर उगने वाला यह फल अधिकांश उन जगहों पर पाया जाता है जहाँ का वातावरण शीतोष्ण तथा शुष्क (temperate and dry) होता है। भारत में यह फल मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में पाया जाता है। विश्व की यदि बात करें तो यह प्रमुखतः दक्षिणी तथा पश्चिमी अमरीका और मेडिटेरेनियन (Mediterranean) तथा उत्तरी अफ्रीकी देशों में उगाया जाता है। अंजीर के लिए गर्म मौसम तथा पर्याप्त सूर्य का प्रकाश चाहिए होता है। यदि पर्याप्त भौतिक कारक उपलब्ध हों तो अंजीर के पेड़ बड़े एवं घने होते हैं। इन्हें फलने-फूलने के लिए अच्छी खासी जगह चाहिए होती है।

विधि 1
विधि 1 का 2:

तैयारी करना

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  1. बाजार में बहुत सारी तरह की अंजीर उपलब्ध हैं, परंतु इनमें से कुछ एक ही अपनी खूबी के लिए प्रसिद्ध हैं। अपने क्षेत्र में उगने वाली अंजीर की अच्छी किस्मों को देखें। भारत में पायी जाने वाली कुछ प्रमुख किस्में हैं: इंडियन रॉक, एलींफेंट ईयर, कृष्णा, वींपिंग फिग तथा सफेद फिग आदि। यदि विश्व की बात करें तो ब्राउन टर्की (brown turkey), ब्रन्सविक (Brunswick), तथा ओसबॉर्न (Osborne) अंजीर की कुछ प्रमुख किस्में हैं। ध्यान रखें कि अंजीर अलग-अलग रंग तथा शेड में उपलब्ध होती हैं। इनका रंग बैंगनी, हरा या फिर भूरा भी हो सकता है। प्रत्येक तरह की अंजीर साल के अलग-अलग समय पर उपलब्ध होती हैं। [१]
    • अपनी निकटतम नर्सरी में जायें या फिर किसी अच्छे कृषि वैज्ञानिक से सलाह लें कि आपकी भौतिक परिस्थितियों के अनुसार कौन सी किस्म आपके लिए अच्छी रहेगी।
    • अंजीर के लिए गर्म तथा ट्रॉपिकल मौसम सबसे बेहतर होता है। रेगिस्तानी परिस्थितियाँ अंजीर की अच्छी पैदावर के लिए अनुकुल मानी जाती हैं। इसलिए आप पायेंगे कि अंजीर की प्रमुख किस्में अधिकांश ऐसे ही क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। कुछ ही किस्में ऐसी होती हैं जो कि 40 डिग्री फारेनहाइट (4 डिग्री सेल्सियस) से कम तापमान पर उगाई जाती हैं।
  2. सामान्यतः अंजीर वसंत के मध्य में बोई जानी चाहिए। अंजीर का एक नया पेड़ लगभग दो से तीन साल में फल देना शुरु कर देता है। यदि मौसम की बात करें तो ये गर्मियों के अंत में या फिर पतझड़ के प्रारंभ में इसका पेड़ फल देता है। इसकी छंटाई (Pruning) भी गर्मियों में शुरु कर देनी चाहिए जो कि बहुत सारे फलों के लिए असमान्य समय है।
  3. क्योंकि अंजीर गर्म तापमान के अनुकुल होती है और आरंभ में इसकी जड़ों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है इसलिए इन्हें शुरुआत में एक गमले में उगाना आसान होता है। इस तरह से इन्हें अासानी से गर्म जगह पर स्थानांतरित किया जा सकता है और इसकी जड़ें भी सही रहती हैं। हाँलांकि यदि परिस्थितियाँ अनुकुल हों तो अाप इसे घर के बाहर भी उगा सकते हैं। बेहतर होगा कि आप दक्षिण की ओर ढलान वाली किसी जगह का चुनाव करें जहाँ पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो।
  4. हाँलांकि अंजीर के पेड़ के लिए किसी विशेष मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है और थोड़ा सा परिवर्तन करके इन्हें किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, परंतु फिर भी यदि रेतीली मिट्टी जिसका pH मान 7 या उससे थोड़ा कम हो (अधिक क्षारीय मिट्टी), बेहतर होगी। इसमें 4-8-12 या 10-20-25 के अनुपात में उर्वरक (fertilizer) मिलायें। [२]
विधि 2
विधि 2 का 2:

अंजीर के पेड़ लगाना

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  1. अंजीर का पौधा लगाने के लिए कन्नी (trowel) की सहायता से या फिर अपने हाथ से एक गड्ढा खोदें। गड्ढे की चौड़ाई तथा गहराई का ध्यान रखें जिससे कि इसकी जड़ें सही तरह से इसमें विकसित हो सकें। पेड़ के तने के आधार को जमीन में दबाये रखने के लिए गड्ढे की गहराई 1-2 इंच (2.5-5.1 सेमी) उचित हो सकती है।
  2. गमले में से पौधे को निकालकर साइड में रखें। खेती में प्रयोग आने वाली कैंची से बाहरी तरफ स्थित अतिरिक्त जड़ों की कांट-छांट करें। ये अतिरिक्त जड़ें पौधे के विकास को रोकती हैं। अब इस पौधे को खोदे हुए गड्ढे में रखें और जड़ों को ध्यानपूर्वक अच्छी तरह नीचे की तरफ दबा दें। अब इस गड्ढे को मिट्टी से भर दें। ध्यान रहे कि आप गड्ढे को सभी तरफ से मिट्टी से भर दें। [३]
  3. अपने पौधे को सही तरह से स्थापित करने के लिए इसमें कुछ दिन तक ध्यानपूर्वक पानी दें। हाँलांकि अंजीर के पौधे को बहुत अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता नहीं होती है और पौधा लगाने के बाद सप्ताह में सीमित मात्रा में एक या दो बार पानी देना काफ़ी होगा।
  4. अगर आपने अपना अंजीर का पौधा घर के बाहर लगाया है तो आप इसका विशेष ध्यान रखें। मिट्टी का ध्यान रखें। यदि खरपतवार उग रही हो तो इसे उखाड़ दें। हर 4-5 सप्ताह पर इसमें उर्वरक का छिड़काव करें। अच्छा होगा कि मिट्टी को बनाये रखने के लिए आप पौधे के पास 4 से 6 इंच ऊंची गीली घास (mulch) लगायें जिससे आपकी मिट्टी समतल बनी रहे।
    • गर्मियों में ये घास नमी को बनाये रखेगी और सर्दियों में ये आपके पौधे को थंड तथा पाले से बचायेगी।
  5. दूसरे साल में गर्मियों में अपने पौधे की छंटाई करें क्याेंकि पौधा लगाने के पहले साल में आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। शाखाओं की चार-पाँच मजबूत टहनियों तक छंटाई करें जिससे कि इन पर सही तरह से फल लगें। जब आपका पेड़ परिपक्व (mature) हो जाये तो इसकी प्रत्येक वसंत में छंटाई करें। ऐसा करने से इसका विकास तेजी से होगा।
  6. पेड़ पर लगी अंजीर जब पक जायें तो इन्हें तोड़ें। ध्यान रखें कि ये पेड़ से तोड़ने के बाद नहीं पकेंगी (जैसे आड़ू)। एक पकी हुई अंजीर थोड़ी नरम और ऊपर गर्दन की तरफ अंदर की ओर मुड़ी होगी। क्योंकि अंजीर अलग-अलग रंग की होती हैं इसलिए आपके पेड़ की अंजीर का रंग निर्भर करता है कि आपने कौन-सी किस्म की अंजीर उगाई है। पेड़ से ध्यानपूर्वक अंजीर तोड़ें और इनको मसलने आदि से बचायें।
    • फल तोड़ते समय दस्ताने पहनें जिससे पेड़ से निकलने वाला सैप (एक तरह का रस) आपके हाथों पर न लगे। यह रस आपके शरीर में खुजली उत्पन्न कर सकता है। [४]

सलाह

  • ऐसे उर्वरकों के प्रयोग से बचें जिनमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो।
  • पके हुए फलों को सही समय पर तथा ध्यानपूर्वक तोड़ें क्योंकि यह कीड़ों और कीट-पतंगों को आकर्षित कर सकते हैं।
  • दक्षिण दिशा की ओर अंजीर उगाने से आपको उज्जवल गर्मी का फायदा मिलेगा जो कि अंजीर के पेड़ के लिए आवश्यक होती है। एेसा करने से आपका पेड़ सर्दियों में संभावित जमाव से भी बचा रहेगा।
  • अंजीर को लगभग 4 या 5 दिन धूप में रखकर या फिर 10 से 12 घंटे डीहाईड्रेटर (dehydrator) में रखकर भी सुखाया जा सकता है। सूखी हुई अंजीर को 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

चेतावनी

  • फलों को तोड़ते समय दस्ताने पहनना न भूलें क्योंकि अंजीर के पेड़ से निकलने वाला सैप आपकी त्वचा को खुजली या फिर अन्य नुकसान पहुँचा सकता है।

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