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आमतौर पर पिंक आई (pink eye) को कंजंक्टिवाइटिस (conjunctivitis) या आँख आने के तौर पर जाना जाता है जिसमे एलर्जी या इन्फेक्शन के कारण आँखों में काफी परेशानी होती है | विकीहाउ यहाँ आपको कुछ ऐसी टिप्स देगा जिससे आप अपनी आँखों के इन्फेक्शन के प्रकार के आधार पर आँखों की रिकवरी प्रोसेस को तेज़ कर सकते हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

आँख आने या पिंक आई के आधारभूत लक्षण जानें

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  1. कंजंक्टिवाइटिस वायरस, बैक्टीरिया और एलर्जी के कारण हो सकता है | सभी तरह के आँखों के इन्फेक्शन में आँखें लाल हो जाती हैं, उनमे से पानी आने लगता है और खुजली होती है लेकिन आँख आने के अन्य लक्षण उनके कारण के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं | [१]
    • वायरल इन्फेक्शन एक या दोनों आँखों को प्रभावित कर सकता है और इस इन्फेक्शन से पीड़ित व्यक्ति को लाइट से सेंसिटिविटी और आँखों से पानी आने जैसी परेशानी हो सकती हैं | वायरल कंजंक्टिवाइटिस बहुत ज्यादा संक्रामक होता है और इसे ठीक करना भी बहुत मुश्किल होता है | आमतौर पर इसका पूरा कोर्स कराना पड़ता है जो एक से लेकर तीन सप्ताह तक हो सकता है | वायरल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इसके होने पर इससे होने वाले उपद्रवों (complications) को रोकें | सीवियर केसेस में, स्थानीय कॉर्टिकोस्टेरॉयड की जरूरत हो सकती है | [२]
    • बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के कारण आँख के कोनों में चिपचिपा डिस्चार्ज होता है जो पीला या हरे रंग का होता है | इन्फेक्शन ज्यादा होने की स्थिति में, डिस्चार्ज के कारण आँखें आपस में चिपक सकती हैं | इससे एक या दोनों आँखें प्रभावित हो सकती हैं और यह भी संक्रामक होता है | बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का बेहतर इलाज़ डॉक्टर ही कर सकते हैं | आप घर पर इस बीमारी से उबरने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन एंटीबायोटिक्स इस बीमारी को ठीक होने में लगने वाले समय को काफी कम कर देंगी |
    • एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर अन्य एलर्जिक लक्षणों के साथ होती है जिसमे शामिल हैं; भरी या बहती हुई नाक और इसमें दोनों आँखें प्रभावित होती हैं | एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस को आमतौर पर घर पर ठीक किया जा सकता है लेकिन सीवियर एलर्जी वाले लोगों को इस कंडीशन से तुरंत छुटकारा पाने के लिए प्रोफेशनल मेडिकल हेल्प की जरूरत हो सकती है |
  2. आँखें आने पर डॉक्टर को दिखाना अच्छा होता है क्योंकि वे आपको सही जानकारी देंगे | अगर आँख आने के साथ ही बहुत सारे चिंताजनक लक्षण दिखाई दें तब डॉक्टर को दिखाना जरुरी होता है | [३]
    • अगर आपको आँखों में मॉडरेट या सीवियर दर्द हो या धुंधला दिखाई दे जो डिस्चार्ज को पोंछने के बाद भी साफ़ न हो तो डॉक्टर को दिखाएँ |
    • अगर आँखें गुलाबी से सुर्ख लाल हो जाएँ तो आपको जल्दी से जल्दी डॉक्टर को दिखाना चाहिए |
    • अगर आपको लगता है कि आपको हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस जैसा सीवियर टाइप का वायरल कंजंक्टिवाइटिस हुआ है या HIV इन्फेक्शन या कैंसर ट्रीटमेंट के कारण आपका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो चुका है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ |
    • अगर बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के इलाज़ के लिए एंटीबायोटिक्स लेने के 24 घंटे बाद भी कोई सुधार न हो तो डॉक्टर को दिखाएँ |
विधि 2
विधि 2 का 3:

घर पर कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करें

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  1. माइल्ड कंजंक्टिवाइटिस को ठीक करने के लिए बाज़ार में मिलने वाली एंटीएलर्जिक मेडिकेशन ही काफी होती हैं और इनसे कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में लक्षण ख़त्म हो जाते हैं | अगर ये जल्दी ख़त्म न हो तो यह बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन हो सकते हैं |
    • एंटीहिस्टामिन लें: शरीर हिस्टामिन कहलाने वाले केमिकल प्रोड्यूस करने के कारण एलर्जन्स से रियेक्ट करता है और माना जाता है कि ये केमिकल ही आँख आने और अन्य एलर्जी के लक्षणों के लिए जिम्मेदार होते हैं | एंटीहिस्टामिन हिस्टामिन के इन लेवल्स को कम करते हैं या इनके ब्लॉक्स को पूरी तरह से खत्म करते है जिससे लक्षण भी ख़त्म हो जाते है | [४]
    • डीकंजेस्टेंट (decongestant) का इस्तेमाल करें | हालाँकि डीकंजेस्टेंट्स एलर्जन के द्वारा आपको प्रभावित होने से नहीं रोक पाते लेकिन इंफ्लेमेशन कण्ट्रोल कर देते है | इससे ये आँखों के टिश्यू में सूजन आने से रोकने में मदद कर सकते हैं |
  2. [५] आँख में जिस जगह से ड्रेनेज बनना शुरू हो रहा हो, वहां से बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए आँख पोंछ देना चाहिए |
    • आँख के अंदरूनी कोने से पोंछना शुरू करें और फिर नाक के पास तक पोंछें | धीरे से पूरी आँखे से होते हुए बाहरी कोने तक पोंछें | इस तरह पोंछने से डिस्चार्ज अश्रुनलिका (tear duct) से साफ़ होकर सुरक्षित रूप से आँख से बाहर निकल जायेगा |
    • आँखें साफ़ करने से पहले और बाद में अपने हाथ धोएं |
    • हर वाइप्स की साफ़ साथ का इस्तेमाल करें या इससे डिस्चार्ज को आँख के पीछे जाने से रोकें |
    • डिस्पोजेबल आई वाइप्स (disposable eye wipes) या टिश्यू को तुरंत नष्ट कर दें | इस्तेमाल के तुरंत बाद कपडे को अच्छी तरह से धोएं |
  3. [६] "नकली आंसू (artificial tears)" लक्षणों में राहत दे सकते हैं और आँख साफ़ कर देते हैं |
    • बाज़ार में मिलने वाली अधिकतर आई ड्रॉप्स माइल्ड सेलाइन लुब्रिकेंट्स होते हैं जो आंसुओं को रिप्लेस करने के उद्देश्य से बनाये जाते हैं | ये पिंक आई के कारण होने वाली ड्राईनेस में राहत दे सकते हैं और ये आँख से उन सभी संक्रामक पदार्थों को धो देते हैं जिनसे उपद्रव हो सकते हैं और वायरल, बैक्टीरिया या एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस की कंडीशन और बढ़ सकती हैं |
    • बाज़ार में मिलने वाली कुछ आई ड्रॉप्स में एंटीहिस्टामिन्स भी पाए जाते हैं जो एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करने में असरदार साबित होते हैं |
  4. एक नर्म, साफ़, लिंट-फ्री कपड़े को पानी में भिगोयें | अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए इसे निचोड़ें और इसे बंद आँखों पर हलके प्रेशर के साथ रखें |
    • एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के लिए आमतौर पर ठंडा सेंक सबसे अच्छा होता है लेकिन गर्म सेंक से भी राहत मिल सकती है | गर्म और ठन्डे दोनों ही सेंक से वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के कारण होने वाली सूजन को कम किया जा सकता है |
    • याद रखें, सेंक से इन्फेक्शन एक आँख से दूसरी आँख तक फ़ैल सकता है इसलिए हर बार लगाने के लिए आपको एक साफ़ सेंक का इस्तेमाल करना चाहिए और हर आँख के लिए अलग-अलग सेंक का उपयोग करें |
  5. अगर आप कांटेक्ट लेंस पहनते हैं तो आँख आने के दौरान उन्हें हटा लेना चाहिए | कांटेक्ट लेंस के कारण आँखों में उत्तेजना (irritation) हो सकती है जिससे परेशानी और बढ़ सकती है और आँख में बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया ट्रैप (trap) हो सकते हैं |
    • आँख में बैक्टीरियल या वायरल कंजंक्टिवाइटिस होने पर भी अगर आपने डिस्पोजेबल कांटेक्ट लेंस पहने थे तो उन लेंसेस को नष्ट कर दें |
    • नॉन-डिस्पोजेबल कांटेक्ट लेंस को फिर से इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से साफ़ कर लेना चाहिए |
  6. वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस संक्रामक होते हैं और अगर यह बीमारी आपके घर के अन्य सदस्यों तक फ़ैल गयी है तो आप ठीक होने के बाद भी फिर से संक्रमित हो सकते हैं |
    • अपने हाथों से आँखें न छुएं | अगर अपनी आँखें या चेहरे को छुएं तो तुरंत अपने हाथों को धोएं | साथ ही, आई मेडिकेशन डालने के बाद भी अपने हाथ धोएं |
    • हर दिन एक साफ़ कपडा और टॉवल का इस्तेमाल करें | इन्फेक्शन के दौरान हर दिन अपने तकिये के कवर बदलें |
    • ऐसे किसी प्रोडक्ट्स शेयर न करें जो आपकी आँखों को स्पर्श करते हों | इनमे शामिल हैं; आई ड्रॉप्स, टॉवल, कपडे, आई कॉस्मेटिक्स, कांटेक्ट लेंस, लेंस सलूशन या कंटेनर या रुमाल |
    • कंजंक्टिवाइटिस पूरी तरह से ठीक होने तक आँखों में कोई कॉस्मेटिक्स (cosmetics) का इस्तेमाल न करें | अन्यथा, इन कॉस्मेटिक्स से आप खुद को फिर से संक्रमित कर लेंगे | अगर पिंक आई होने के दौरान कोई आई मेकअप का इस्तेमाल किया गया हो तो उसे नष्ट कर दें |
    • कुछ दिन तक स्कूल या काम पर न जाएँ | वायरल कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित कई लोग लक्षणों में सुधार की शुरुआत होने पर इस बीमारी के 3 से 5 दिन बाद फिर से अपने काम पर जा सकते हैं | बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित अधिकतर लोग एंटीबायोटिक्स से लक्षणों को ठीक करने के 24 घंटे बाद या लक्षण समाप्त होने पर वापस अपने काम पर जा सकते हैं |
विधि 3
विधि 3 का 3:

प्रिस्क्रिप्शन (डॉक्टर के द्वारा लिखे गये) ट्रीटमेंट लें

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  1. डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें: हालाँकि कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित कई लोगों को बाज़ार में मिलने वाली आई ड्रॉप्स से फायदा लग जाता है लेकिन इस बीमारी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए प्रिस्क्रिप्शन आई ड्रॉप्स काफी असरदार साबित होती हैं |
    • बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज़ एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स से करें | [७] एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स स्थानीय ट्रीटमेंट होते हैं जो सीधे बैक्टीरिया पर अटैक करते हैं | इनसे आमतौर पर कुछ दिनों में ही इन्फेक्शन ख़त्म हो जाता है लेकिन आपको पहले 24 घंटे में ही इम्प्रूवमेंट दिखाई देने लगेगा | इन्हें लगाने के बारे में डॉक्टर की द्वारा दिए गये इंस्ट्रक्शन फॉलो करें |
    • एंटीहिस्टामिन (antihistamine) या स्टेरॉयड आई ड्रॉप्स से एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करें | हालाँकि कुछ एंटीहिस्टामिन आई ड्रॉप्स बाज़ार से खरीदी जा सकती हैं लेकिन इनके स्ट्रोंगर वर्शन केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिलते हैं | कई बार सीवियर एलर्जी भी स्टेरॉयड युक्त आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल से ही ठीक होती हैं |
  2. विशेषरूप में बच्चों में, आई ड्रॉप्स के इस्तेमाल की बजाय आई ऑइंटमेंट डालना काफी आसान होता है |
    • याद रखें कि इस ऑइंटमेंट को डालने के 20 मिनट बाद तक धुंधला दिखाई देता है लेकिन इस समय के गुजरने के बाद रोगी को साफ-साफ़ दिखाई देने लगेगा |
    • बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस इस इलाज़ के इस्तेमाल के कुछ दिन बाद ठीक हो जायेगा |
  3. अगर आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (herpes simplex virus) के कारण वायरल कंजंक्टिवाइटिस हुआ है तो वे आपको कुछ खास तरह की मेडिकेशन पर रख सकते हैं |
    • अगर आपको पहले से कोई हेल्थ प्रॉब्लम हो जिसके कारण आपका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो गया हो तो आप एंटीवायरल मेडिकेशन भी ले सकते हैं |

सलाह

  • एंटीबायोटिक्स लेने के बाद, कम से कम 24 घंटे तक घर पर ही रहें | आँखों का आना बहुत संक्रामक होता है और आपको इन्फेक्शन की रिस्क कम करना चाहिए |

चीज़ें जिनकी आवश्यकता होगी

  • आमतौर पर बाज़ार में मिलने वाली एलर्जी मेडिसिन
  • आमतौर पर बाज़ार में मिलने वाली आई ड्रॉप्स
  • नर्म कपडे, टिश्यू या डिस्पोजल आई वाइप्स (eye wipes)
  • डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी आई ड्रॉप्स
  • डॉक्टर द्वारा लिखे गये आई ऑइंटमेंट (eye ointment)
  • एंटीवायरल मेडिकेशन

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