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अल्ट्रासाउंड (ultrasound) को बहुत से कारणों के लिए किया जाता है, लेकिन गर्भाशय में शिशु या बच्चे को देखना सबसे आम कारण है। अगर आपका भी हाल ही में अल्ट्रासाउंड हुआ है और आप जानना चाहते हैं कि उसकी तस्वीरें क्या कहती हैं, तो आपको अल्ट्रासाउंड इमेजिंग (imaging) की बेसिक बातों को सीखना होगा। आपको ये भी जानना होगा कि प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड में फीचर्स को कैसे पहचाने जैसे कि बच्चे का सिर और हाथ। ये ध्यान में रखिएगा की अल्ट्रासाउंड को पढ़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप डॉक्टर की मदद से करें।

विधि 1
विधि 1 का 2:

इमेजेस (images) या तस्वीरों का मतलब निकालना

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  1. ज्यादातर हॉस्पिटल और अल्ट्रासाउंड सेंटर इस जगह को आपका नाम, हॉस्पिटल रिफरेन्स नंबर, या फिर अल्ट्रासाउंड मशीन की सेटिंग लिखने के लिए इस्तेमाल करते हैं। चूंकि इस जानकारी का आपके अल्ट्रासाउंड से कोई रिश्ता नहीं है, इसपर ध्यान न दें। [१]
  2. स्क्रीन या प्रिंटेड इमेज का ऊपरी हिस्सा दिखाता है कि अल्ट्रासाउंड प्रोब (probe) कहां रखा गया था। आसान शब्दों में, जो इमेज आपको दिख रही है वो दिखाती है कि ऑर्गन (organ) या टिश्यू (tissue) साइड से कैसे दिखता है। [२]
    • जैसे, अगर आप गर्भाशय (uterus) का अल्ट्रासाउंड देख रहे हैं, तो स्क्रीन या प्रिंटेड अल्ट्रासाउंड जे टॉप में गर्भशय के ऊपर के टिश्यू की आउटलाइन (outline) होगी। जब आप स्क्रीन के नीचे देखेंगे, तब आपको गहराई के टिश्यू दिखेंगे जैसे गर्भाशय की लाइनिंग, और गर्भाशय का अंदरूनी और पिछले हिस्सा।
  3. ज्यादातर अल्ट्रासाउंड इमेज ब्लैक एंड व्हाइट में होती हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड स्कैन में आप ब्लैक और व्हाइट के अलग-अलग शेड का अंतर बात सकते हैं। ये कलर में अंतर उन मटीरियल की डेंसिटी (density) के अंतर से आता है जिनसे साउंड होकर गुजरती है।
    • सॉलिड टिश्यू, जैसे कि हड्डियां, सफेद नजर आएंगी क्योंकि इनकी बाहर की सतह ज्यादा साउंड को रिफ्लेक्ट (reflect) करती है।
    • वो टिश्यू जिनके अंदर लिक्विड या तरल भरा हुआ होता है, जैसे कि गर्भाशय में एमनीओटिक फ्लूइड (amniotic fluid) डार्क या गहरे कलर के नजर आते हैं। [३]
    • अल्ट्रासाउंड इमेजिंग गैस के लिए बहुत अच्छे से काम नहीं कर पाती, जिन ऑर्गन या अंगों में गैस भरी होती है, जैसे कि लंग्स या फेफड़े, वो अल्ट्रासाउंड से नहीं जांचे जाते हैं।
  4. ज्यादातर अल्ट्रासाउंड इमेजेस को मिरर (mirrored) किया जाता है, यानी कि बॉडी की लेफ्ट साइड इमेज की लेफ्ट साइड में दिखाया जाता है। अगर आपके पास ट्रांसवैजाइनल (transvaginal) अल्ट्रासाउंड है, तो ये आपको एक स्ट्रेट शॉट (straight shot) दिखाएगा। स्ट्रेट शॉट में बॉडी की लेफ्ट साइड इमेज के राइट साइड में दिखती है। [४]
    • अगर आपको नहीं पता कि किस टाइप का अल्ट्रासाउंड हो रहा है, तो अपने अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन से पूछें।
  5. चूंकि अल्ट्रासाउंड बॉडी के अंदर के ढांचे की इमेज बनाने के लिए साउंड का इस्तेमाल करता है, सारी इमेज बहुत ज्यादा साफ नहीं होती। बहुत सारे अलग-अलग विसुअल इफ़ेक्ट अल्ट्रासाउंड की सेटिंग, एंगल, या जांचे टिश्यू की डेंसिटी की वजह से बनते हैं। ये रहे कुछ सबसे आम विसुअल इफ़ेक्ट जिनके लिए आपको नजर रखनी चाहिए: [५]
    • एनहांसमेंट (Enhancement) . ये तब होता है जब बॉडी का कोई हिस्सा एक्स्ट्रा फ्लूइड की वजह से ज्यादा ही ब्राइट (bright) नजर आता है, जैसे किसी गांठ या सिस्ट (cyst) में।
    • अटेनुएशन (Attenuation) : इसे शैडोइंग (shadowing) भी कहते हैं, ये इफ़ेक्ट तब होता है जब, स्कैन किया जा रहा एरिया जरूरत से ज्यादा डार्क नजर आता है।
    • एनिसोट्रॉपी (Anisotropy) : ये इफ़ेक्ट प्रोब (probe) के एंगल की वजह से बनता है। जैसे प्रोब को किसी टेंडन के ठीक 90° डिग्री पर रखने से ये नार्मल से बहुत ज्यादा ब्राइट नजर आता है, इसलिए इस इफ़ेक्ट से बचने के लिए प्रोब के एंगल को एडजस्ट (adjust) करने की जरूरत होती है।
विधि 2
विधि 2 का 2:

प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड पढ़ना

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  1. आप अल्ट्रासाउंड इमेज के किनारों में वाइट या लाइट ग्रे लाइन से अपने गर्भाशय की आउटलाइन का पता लगा सकते हैं। इस एरिया के अंदर एक काला एरिया होगा। ये एमनियोटिक फ्लूइड (amniotic fluid) है। [६] [७]
    • ये ध्यान रहे कि वोम्ब के किनारे शायद पूरी इमेज में न आएं। हो सकता है कि टेक्नीशियन ने प्रोब को इस हिसाब से सेट किया हो कि बच्चा इमेज के बीच में दिखे। अगर आपको वाइट और ग्रे लाइन सिर्फ इमेज की एक या दो साइड में भी दिखे, ये वोम्ब की आउटलाइन हो सकती है।
  2. आपका बेबी भी ग्रे और व्हाइटिश लगेगा और एमनीओटिक फ्लूइड (amniotic fluid) के अंदर होगा जो वोम्ब के अंदर का डार्क एरिया है। अपने एमनीओटिक फ्लूइड (amniotic fluid) के अंदर के एरिया को देखें और बेबी की आउटलाइन और फीचर्स को ढूँढने की कोशिश करें।
    • इमेज में डिटेल्स इस बात पर निर्भर करेगी कि प्रेंग्नेंसी कौन सी स्टेज में है। जैसे, आठ हफ्तों के बाद, शिशु छोटे से भालू जैसा दिखेगा; 12 हफ्ते बाद आप बेबी का सिर ही देख पाएंगे; जबकि 20 हफ्ते बाद आप कमर की हड्डी, आंखें, पैर और दिल भी देख पाएंगे। [८]
  3. अगर आप अपने बेबी की नार्मल अल्ट्रासाउंड से ज्यादा डिटेल्स देखना चाहते हैं, तो आप डॉक्टर से 3D अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए बोल सकते हैं। 3D अल्ट्रासाउंड आपके बच्चे के चेहरे के फीचर्स कुछ डिफेक्ट्स भी दिखा सकता है, जैसे कि कटे होंठ या पैलेट (palate)। [९] एक 4D अल्ट्रासाउंड 3D स्कैन की ही तरह होता है, लेकिन 4D स्कैन में वोम्ब में आपके बेबी की एक छोटी सी वीडियो रिकॉर्डिंग बन जाती है। [१०]
    • अगर आप एक 3D या 4D अल्ट्रासाउंड करवाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे अच्छा वक्त है 26 से 30 हफ्तों के बीच।
    • ये ध्यान में रखें कि ये स्कैन काफी मेंहगे हो सकते और अगर आपके पास ऐसा करने की मेडिकल वजह नहीं है तो शायद आपके इन्शुरन्स में कवर न हो।

सलाह

  • ये याद रखें कि अल्ट्रासाउंड पढ़ना एक जटिल या कॉम्प्लिकेटेड (complicated) काम है और कुछ डिटेल्स को ट्रेंड (trained) प्रोफेशनल के बिना पढ़ना लगभग नामुमकिन होता है। अपने आपको घर में अल्ट्रासाउंड में कोई चिंता वाली बात दिखे तो उसे एक बार डॉक्टर को दिखाएं।
  • आपको अल्ट्रासाउंड की फोटोज घर ले जाने के लिए दी जातीं हैं। घर जाने से पहले अल्ट्रा-सोनोग्राफर (ultra sonographer) को इमेजेस को समझाने के लिए बोलें।

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