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आत्म विश्वास एक मुश्किल भाव है | अपने बारे में अच्छा सोचना औरों के ऊपर छोड़ना बहुत आसान है जबकि यह सिर्फ और सिर्फ आपके ऊपर निर्भर होना चाहिए | अच्छी खबर ये है की आत्मविश्वास की गाड़ी के चालक आप खुद हैं | चलिए जानते हैं कैसे! (Be Confidant)

विधि 1
विधि 1 का 3:

आत्मविश्वासी प्रतीत होना (Confidant Dikhna)

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  1. या फिर जैसे कहते हैं " फेक इट टिल यू मेक इट" | अगर आपको पता है की आप आत्मविश्वासी, लायक इंसान जैसा दिख रहे हैं तो अंत में आप वैसा अनुभव भी करने लगेंगे | आप को इस तरह से तैयार होना चाहिए जिसमें आपको अच्छा लगे नाकि जो आपको लगे की आपको आत्मिविश्वसी दिखायेगा | ये कुछ उपाय हैं जो आप अपना सकते हैं:
    • हर दिन थोडा सा वक़्त अपनी व्यक्तिगत सफायी के लिए निकालें और ध्यान से अपने आपको सही से पेश करें | रोज़ नहाएं, दांतों को सही से ब्रश करें और अपनी त्वचा और बालों का ख्याल रखें |
    • आत्मविश्वास बढ़ाने वाल कपड़े पहनें | इसके लिए आपको हर रोज़ नए कपडे खरीदने की ज़रुरत नहीं है, अगर आप साफ़, सुखी और खुशनुमा महसूस कर रहे हैं तो आप में आत्मविश्वास अपने आप आ जाएगा | मसलन आप अगर पिज़्ज़ा डिलीवर करने जा रहे हैं तो आप सूट तो नहीं पहनेंगे | अगर आपको खुद अच्छा लग रहा है तो इसका मतलब है की सब सही है |
  2. आप कैसे चल रहे हैं ये बहुत लोगों से बहुत सारी बातें बताता है आपके बारे में इसलिए कोशिश करें की आप अपनी चाल से आत्मविश्वासी होने का भाव प्रकट करें | अपने कन्धों को पीछे करें, रीढ़ के हड्डी को सीधा करें और अपनी ठोड़ी को उठा कर चलें | पैरों को घसीटने के बजाय उद्देश्य से चलें और सीधे बेठें | जब आप बाहर से आत्मविश्वासी दिखेंगे तो बाकी दुनिया भी आपके पास इसी नज़रिए के साथ आयेगी |
    • आप ऐसे न सिर्फ औरों को बेवकूफ बनायेंगे अपन आप को बेवकूफ बनायेंगे | एक खोज से पता चला है की आपके शरीर की स्थिती आपके दिमाग को एक तरह से सोचने के लिए मजबूर करती है - इसलिए अपने आपको आत्मविश्वासी दिखाने से वाकई में आप अपने आप को नियंत्रण में पाएंगे | ऊपर से एक आत्मविश्वासी शरीर होने से तनाव की स्थिति भी कम उत्पन्न होती है | [१]
  3. अपनी हंसी को पास में रखें, आप हैरान होंगे की एक छोटी सी मुस्कराहट कैसे किसी विपरीत परिस्थिती को भी काबू में ले आती है और सबको आराम देती है | क्या आप किसी ऐसे शख्स के पास जाकर उससे बात करेंगे जो गुस्से में हैं ? नहीं ना |
    • अगर आपको ये चिंता है की आपकी मुस्कराहट नकली लग रही है तो थोड़ा ही मुस्कुराएं | एक नकली मुस्कराहट दूर से भी पहचानी जाती है | इसके विपरीत अगर आप लोगों से मिलकर वाकई में खुश हैं तो खूब जोर से हंसकर दिखाएं ताकी आपका आत्मविश्वास साफ़ छलक के उनके सामने आये |
  4. ये एक हल्का सा बदलाव है लेकिन इससे लोगों के मन में आपके लिए जो धारणा है वो एकदम बदल जायेगी | किसी से भी नज़रें मिलाने से डरें नहीं, इससे न सिर्फ उन्हें ये लगता है की आप बात करने योग्य हैं पर ये भी प्रतीत होता है की आप उन्हें इज्ज़त दे रहे हैं और उनसे बात करना चाहते हैं | आप असभ्य तो नहीं दिखना चाहते हैं, है ना ?
    • आपकी आँखें एक आईने जैसी हैं | अगर आप चाहें तो ये आपके दिल का झरोका बनकर आपकी भावनाएं और ध्यान लोगों के आगे ज़ाहिर करती हैं | आँखों के संपर्क से आप न सिर्फ आत्मविश्वासी महसूस करते हैं आप अपने संबंधों के गुणवत्ता भी बड़ा सकते हैं | लोगों को आप ज्यादा दिलकश और भरोसमंद लगेंगे और जो भी आपसे बातचीत करेगा वो अपने आप को सराहनीय समझेगा | [२] अगर आप अपने लिए ऐसा नहीं कर सकते हैं तो उन लोगों के लिए ही करें !
  5. अगर आप किसी ऐसे इंसान को अकेले एक कोने में मोबाइल फ़ोन पर खेलते देखेंगे तो क्या आप उससे बात करने जायेंगे? शायद नहीं | अगर आप चाहते की और लोग आपको अवेलेब समझें तो ऐसा दिखाएं भी |
    • अपने शरीर के अंगों को खुला छोडें | अगर आपने अपनी बाहें और पैर बांध रखें हैं तो इसका मतलब ये है की आप किसी का स्वागत नहीं करना चाहते हैं | ये ही आपके चेहरे और हाथों के लिए मान्य होगी -- अगर ये साफ़ है की आप कहीं और व्यस्त हैं (चाहे वो आपका ख्याल हो या मोबाइल ) तो लोग आपका इशारा समझ जायेंगे |
  6. अब जब आप को आँखों का संपर्क साधना आ गया है, ये वक़्त है की उसे अमल में लायें | क्या आप जानते हैं की इस दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो अभी भी आँखों से संपर्क नहीं साध पाते हैं ? ये कोशिश करें : किसी के साथ आँखों से संपर्क साधें और देखें की वो कितनी देर अपने संपर्क पर टिका रहता है | क्या उन्होनें आपसे पहले नज़र झुका ली ? देखा ?! इसका मतलब है की वो भी ऐसा नहीं कर पाते हैं|
    • हम यह नहीं कह रहे की आप किसी को लगातार घूरें | किसी को लगातार घूरते रहना तब तक वो ध्यान न देने लग जायें और परेशान हो जाए ये हमारा लक्ष्य नहीं है | लक्ष्य ये है की बाकी लोग भी आपके द्वारा उन्हें देखने में वैसे ही हिचकिचाएं जैसे आप उनके द्वारा देखे जानें में हों | अगर आप पकडे जायें तो हल्का सा मुस्कुरा दें | आप बच जायेंगे |
विधि 2
विधि 2 का 3:

आत्मविश्वास से सोचें

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  1. चाहे आपको मन में कैसा भी महसूस हो रहा है, अपने आप को शाबाशी दें और याद रखें की आप कौनसी चीज़ें अच्छे से कर सकते हैं | अपने गुणों पर ज्यादा ध्यान देकर आप अपनी बुराइयों को हटा कर अपनी कीमत को बढ़ा पाएंगे | अपनी अच्छे गुणों जैसे आपका चेहरा, दोस्ती, हुनर और सबसे ज्यादा अपने व्यक्तित्व पर थोड़ा सा ज्यादा ध्यान दें |
    • लोगों द्वारा की गयी तारीफ़ पर गौर फरमायें | उन्होंने ऐसा क्या बोला है जो अब तक आपने या तो देखा नहीं या समझा नहीं ? शायद उन्होंने आपकी मुस्कराहट, या आपके शांत स्वभाव या आपके बिना तनाव के रहने की आदत के बारे में कुछ कहा है |
    • अपनी पुरानी उपलब्धियों को याद करें | याद करें कैसे आपने पहले किसी के लिए कोई अच्छा काम किया था या आपने कहीं बहुत अच्छे अंक प्राप्त किये थे कुछ भी ऐसा जिसमें लोगों ने आपको पहचाना हो | इस बात को याद करें की आपको तब कितना अच्छा लगा था |
    • आप कौनसे गुणों को बढ़ावा देना चाहते हैं उनके बारे में सोचें: कोई भी संपन्न नहीं होता है पर अगर आप एक इज्ज़तदार और अच्छे इंसान बनने की लगातार कोशिश कर रहे हैं तो अपने आपको इस मेहनत के लिए श्रेय दें | ये कोशिश बताती है की आप अपने आप को और बेहतर बनाना चाहते हैं और आप कितने नम्र और अच्छे दिल के मालिक हैं |
      • जो भी आप सोच पाएं इस कोशिश में उसे कहीं लिख लें और अगली बार जब मन उदास हो तो उस को पड़ें | जैसे जैसे याद आती जाएँ तो इसमें और ऐसी चीज़ें जोड़ते जाएँ |
  2. आपके आत्मविश्वास क रास्ते में जो भी रुकावट है उनक बारे में सोचें: एक कागज़ पर उन सब चीजों का नाम लिखें जो आपको आत्मविश्वासी बनने से रोक रहे हैं उदाहरण के तौर पर बुरे अंक, ज्यादा दोस्त न होना या आत्मलीनता | अब य पूछें की क्या ये वैध है ? या फिर आप सिर्फ अटकलें लगा रहे हैं ? आपके जानकारी के लिए इन दोनों प्रश्नों का उत्तर क्रमशः "नहीं" और "हाँ" है | क्या ऐसा हो सकता है की एक चीज़ से आप अपनी कीमत का अंदाज़ा लगा पाएं ? नहीं !
    • उदाहरण के तौर पर : आपको अपने गणित की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त नहीं हुए जिसका नतीजा ये है की आप अगली परीक्षा के लिए आत्मविश्वासी महसूस नहीं कर रहे हैं | पर अपने आप से ये सवाल करें : अगर आप फिर से जी तोड़ मेहनत करें, अपने अध्यापक के साथ अच्छे से पढाई करें तो क्या बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं ? हाँ | ये सिर्फ एक बार की बात है और इसमें आपकी कोई गलती नहीं है | अब आपके पास आत्मविश्वासी न होने के कोई कारण नहीं हैं |
  3. याद रखें हर किसी को आत्मविश्वास के साथ संघर्ष करना पढता है: कई लोग ऐसा दिखाते नहीं हैं, पर सच में हर इंसान ने अपने आत्मविश्वास के साथ किसी न किसी वक़्त पर संघर्ष किया होता है | आप अकेले नहीं है ! अगर आप किसी ऐसे इंसान के बारे में सोचें जो आत्मविश्वासी दिख रहा है तो सम्भावना ये है की वो भी आत्मविश्वासी नहीं है | आत्मविश्वास बहुत कम ही सार्वभौमिक होता है |
    • एक सच्चा तथ्य ये है : काफी लोग अपने में ही इतने मसरूफ होते हैं की वो आप पर फैसला नहीं देना चाहेंगे | 99% लोग का ध्यान अपने ऊपर हे केन्द्रित होता है | आप चैन की सांस लें और ये समझें की आपको हमेशा सब से बढ़िया दिखने की ज़रुरत नहीं है |
    • अपनी तुलना औरों से न करें | हर किसी को एक चुनौती की तरह न समझें ऐसा करने से आप जल्द ही थक जायेंगे | आपको खुश रहने के लिए दुनिया का सबसे तेज़ , सुन्दर और मशहूर इंसान बनने की ज़रुरत नहीं है | अगर फिर भी आपको मुकाबला करना अच्छा लगता है तो अपने से मुकाबला करें और अपने आप को और बेहतर बनाने की कोशिश करें |
  4. आत्मविश्वास को एक उपलब्धी की तरह न समझकर एक प्रक्रिया की तरह समझें: आत्मविश्वास कोई समाप्ति रेखा नहीं है जिस के पार पहुँच गए तो वो प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी - कई ऐसे दिन होंगे जब आप को लगेगा की आप दुबारा से शुरुआत कर सकते हैं | एक गहरी सांस लें , याद करें की पहले कौनसी मुश्किलों को पार किया था आपने और आगे बढ़ने की हिम्मत बनाये रखें | मुश्किल हालातों में भी बिना कुछ किये अपने आप को कभी कभी शाबाशी देने न भूलें |
    • हो सकता है के आप तब तक यह जान ही न पाएं की आप आत्मविश्वासी हैं जब तक की हों न जायें | क्या ऐसा कोई दिन था जब आप तेज़, मजाकिया , कुशल और समयनिष्ट महसूस कर रहे थे ? शायद नहीं | तो अगर आप एकदम से बदलाव न देखें य समझें की ये इस वजह से है क्यूंकि आप तस्वीर के बहुत नज़दीक हैं | शायद आप समझ गए होंगे |
  5. जब आपने अपनी मां की कोख से जनम लिया था आपको ये चिंता नहीं थी की किसी ने आपको रोते तो नहीं सुना या आपका सर कितना कोमल है | ये समाज है जो आप पर ऊँगली उठाता है और आपको ऐसा अहसास दिलाता है जैसे आप किसी से कम हैं | ये आपको सिखाया गया था | आपको पता है सिखाई गयी चीज़ों के बारे में क्या कहा जाता है? जो सिखाया गया है वो भूला भी जा सकता है |
    • आपके अन्दर जो आत्मविश्वास है उसे बाहर लेकर आयें | वो वहीँ है बस लोगों की तारीफ, धमकियों और निर्णयओं के बीच में कहीं गायब हो गया है | बाकी सब लोगों को तस्वीर से बाहर करें | ऐसे लोग महत्वपूर्ण नहीं हैं | उनका आपसे कोई सरोकार नहीं है | "में" तो अच्छी बात है | में तो बिना लोगों को फैसले के भी अस्तित्व में रहेगा |
  6. थोड़ा कम आत्मविश्वास का दुनिया से कोई वास्ता नहीं है , इसीलिए इस बात को दिमाग से बाहर निकालना है | अगर फिर भी आपका दिमाग आपके साथ जिरह करें तो उसे रोकें | दुनिया आपके पास झूम रही है -- आप भी उसके साथ झूमें | जो वक़्त है वो अभी है | क्या आप उसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं ?
    • आपके दिमाग के बाहर भी एक दुनिया है, बार बार अपने बारे में सोचते रहने से आप इस पल को जी नहीं पाते हैं | अपने भूत या भविष्य के बारे में सोचना छोड़ दें | आपके सामने जो भी है उसके बारे में सोचें और सब चीज़ों को भूल जाएँ |
विधि 3
विधि 3 का 3:

आत्मविश्वास का अभ्यास करें

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  1. अगर कोई ऐसा खेल या शौक़ है जो आप पूरा करना चाहते हैं तो यही सही वक़्त है | अपने शौकों को सुधारने से आपका विश्वास अपने हुनर में और बढेगा और आप ज्यादा आत्मविश्वासी महसूस करेंगे | कोई वाद्य या विदेशी भाषा सीखें , चित्रकारी सीखें - या जिस भी कार्य में आपका मन लगे उसको अंजाम दें |
    • अगर आपको एकदम फायदा न लगे तो हिम्मत न हारें | याद रखें की सीखना एक लम्बी प्रक्रिया होती है और आप इसमें छोटी जीतों और मनोरंजन का भी मज़ा उठा सकते हैं |
    • ऐसा कोई शौक पकडें जो आप एक समूह में सीख सकते हैं | अपने जैसे एक जैसा सोचने वाले लोगों के साथ एक जुट होने से आप कई नए दोस्त बना सकते हैं और अपना आत्मविश्वास भी बड़ा सकता है | अपने आस पास ऐसे गुटों के बारे में जानकारी हासिल करें और अपने दोस्तों का दायरा बढाएं |
  2. आत्मविश्वास दिमाग की स्थिती से ज्यादा एक आदत होती है | सारे इंसान ऐसे ही होते हैं, इसलिए आत्मविश्वासी बनाने के लिए आपको ऐसे कार्यों को अंजाम देना है | उसमें से एक है अजनबियों से बात करना | ऐसा करने में आपको शुरू शुरू में तकलीफ होगी पर धीरे धीरे आप इसमें और निपुण होते जायेंगे |
    • नहीं इससे लोग आपसे डरेंगे नहीं | अगर कोई आप को देखकर मुस्कुराये और कहे की कॉफ़ी पीनें चलें तो आपको कैसा लगेगा ? शायद बेहद अच्छा | हर किसी को महत्वपूर्ण दिखना, औरों से बात करना और खुशमिजाज़ होना अच्छा लगता है | [३] आप सिर्फ उनके बेरंग दिन में रंग भर रहे हैं |
    • आपके पास ज्यादा मौके नहीं हैं ? कॉफ़ी शॉप के बारे में क्या ख्याल है ? ग्रोसरी स्टोर की बिलिंग पर खड़ी लड़की या सड़क पर चलते राहगीर ?
  3. किसी से माफी मांग पाना एक अच्छा लक्षण है (बहुत लोग ऐसा कर नहीं पाते) | लेकिन माफी तब मांगें जब जरूरत हो | जब आपने किसी को तकलीफ पहुंचाई हो तब माफी मांगना एक अच्छी बात है; लेकिन बिना किसी गलती के माफी माँगना आप में अधीन जैसी भावना जागृत करेगा | बोलने से पहले एक बार सोच लें की क्या वाकई में आपको यहाँ पर माफी मांगने की ज़रुरत है |
    • बात को घुमा कर बोलें | आप अपना खेद बिना माफी मांगें भी ज़ाहिर कर सकते हैं | मसलन अगर आप को लगे की आपने किसी को तकलीफ दी है तो सीधा माफी मांगने से पहले कहें " में आशा करता हूँ इससे आपको ज़यादा तकलीफ नहीं हुई होगी" |
    • बिना बात के माफी मांगने से ऐसा लगता है की आपको अपने ऊपर विश्वास नहीं है | ये सही नहीं है क्यूंकि आप किसी से कम नहीं है | अगर कोई गलती नहीं की तो माफी क्यूँ मांगनी है ? हर चीज़ के लिए माफी मांगने का मतलब है की आप किसी भी चीज़ के लिए शर्मिंदा नहीं है | " आय ऍम सॉरी " को " आय लव यू " की तरह सोच समझ कर बोलें |
  4. अपनी आँखें मटका कर बात को आई गयी न करदें - इस बात को तूल दें ! आँखों से संपर्क साध कर मुस्कुराएं और शुक्रिया अदा करें | जब कोई आपकी तारीफ करे तो खुशी ज़ाहिर करने से आपकी विनम्रता पर असर नहीं पड़ेगा; ये सिर्फ ये दिखाता है की आप कितने सभ्य हैं और आपको अपनी कितनी कदर है |
    • जवाब में तारीफ करें | अगर आपको तारीफ सुनकर अजीब लगता हो तो उस तारीफ को वापिस कर दें | इससे आपको लगेगा की हिसाब पूरा हो गया है और आप ज्यादा घमंडी भी नहीं लगेंगे |
  5. वक़्त निकाल कर किसी की तारीफ करें या बिना बताये कोई अच्छा काम करें | आप न सिर्फ उनका दिन बना देंगे आप खुद को लेकर भी अच्छा महसूस करेंगे | जब आप सकरात्मक सोच रखेंगे तो बाकी लोग उसका फायदा उठाने के लिए आपके आस पास रहना चाहेंगे |
    • काफी लोगों को तारीफ सुनना पसंद नहीं होता है | ज़रूरी नहीं की अगर आप किसी की तारीफ करें तो वो वापिस से जवाब मं आपकी तारीफ करेगा | बस ध्यान दें की आप जो कह रहे उसको मानते भी हैं मसलन --" मुझे तुम्हारी शर्ट अच्छी लग रही है | क्या ये चीन में बनी है ?" से आपको सही जवाब मिलने की उम्मीद कम होनी चाहिए |
  6. ऐसे लोगों के साथ रहना बहुत मुश्किल है जो आपको बार बार अपनी पहचान बनाने के लिए कहते रहते हों | आप वैसे काफी आत्मविश्वासी, खुशनुमा इंसान होंगे लेकिन ऐसे लोगों का साथ आपके अस्तित्व को बहुत नुकसान पहुँच सकता है | एसे लोगों को उसी वक़्त एक ख़राब आदत समझ कर छोड़ दें |
    • ये बहुत ज़रूरी है के आप ऐसे लोगों के साथ रहे जो आपको ऐसा एहसास दिलाएं जैसे आप से बढ़िया कोई नहीं है | ऐसे ही लोगों के आस पास आप वो बढ़त हासिल कर सकते हैं जो आप पाना चाहते हैं |
  7. कई लोगों को भीड़ नहीं अच्छी लगती है | कई लोग सबके सामने अपने को पेश नहीं कर पाते हैं | अगर आप उनमें से एक हैं तो अपनी गति को धीम करलें | जब हम परेशान होते हैं तो हर चीज़ को जल्दी ख़त्म करने के चक्कर में रहते हैं | ऐसा न करें इससे पता चलता है की आप परेशान हैं और आप ऐसा दिखा भी रहे हैं |
    • सबसे जरूरी है "सांस लेना" | जब हम छोटी और तीव्र सांसें लेते हैं तो उसका मतलब है हम लड़ने के लिए या भागने के लिए तैयार हैं | ऐसा करना बंद करदें तो आप एकदम से शांत हो जायेंगे |
    • दूसरी ज़रूरी बात ये है की अपने हरकतों को थोडा काबू में लायें | अपना बचपना छोड़ दें, शांत रहेंगे तो मन भी प्रसन्न रहेगा | अपने हरकतों को अपनी सांस लेने की प्रक्रिया की तरह शांती से करें |
  8. जिन्दगी में कुछ भी पहले से भांप पाना कठिन होता है | जब आप सोचते हैं की आप हार गए हैं तो इसका मतलब आपने मन से कोशिश नहीं की है | जब हम सोचते हैं की हममें कोई कमी हैं तो इसका मतलब ये है की हमने पूरी कोशिश नहीं करें | अगर आप सफलता पाना चाहते हैं तो इसके लिए भरपूर कोशिश करें | नकारात्मक भाव आपके सोचने समझने की शक्ती को ख़त्म कर देते हैं | [४]
    • आप शायद ऐसा कह रहे होंगे "की में भविष्य नहीं बता सकता हूँ ! सफलता की उम्मीद करना गलत है ये मुमकिन ही नहीं है" हाँ पर इसको ऐसे देखें की जब आप हार की उम्मीद रखते हैं तो सफलता की क्यूँ नहीं कर सकते हैं | इन दोनों के होने की सम्भावना एक हे जैसी है तो उम्मीद का दामन न छोडें |
  9. कई बार बिना जोखिम उठाये कुछ हासिल नहीं होता है | ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए आपको कई ऐसे अनुभवों का सामना करना पड़ेगा जो आपको काफी कुछ सिखायेंगे | आप पहले दिन से ही सही नहीं सोच सकते हैं | अगर आप वो ही करते रहेंगे जो आप हमेशा से करते आ रहे हैं तो आप किसी भी बात में आगे नहीं बढ़ पायेंगे | आपको बढ़ने के लिए कुछ जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा |
    • हार अटल होती है | इसका सामना आपको हमेशा करना पड़ेगा और इससे फरक नहीं पड़ता है बस यह ध्यान रहे की आप हार के बाद दुबारा उठ कर उसका सामना करें | हर किसी को इस स्थिती स गुज़ारना पड़ता है पर हर कोई दुबारा नहीं उठ पाता है | दुबारा उठ पाने से ही आत्मविश्वास बढ़ता है और उसके लिए आपको पहले हारना पड़ेगा |

सलाह

  • अपने अन्दर की आवाज़ को बदलें | जिन हालातों में आपको लगे की आप में आत्मविश्वास की कमी है ये देखें की आपकी मन की आवाज़ कहीं नकारात्मक चीज़ें तो नहीं सोच रही है | आपको इस मन के आवाज़ को सकरात्मक सोचने पर मजबूर करना होगा |
  • हर दिन अपने दिमाग में अपनी अच्छाइयों की सूची बना लें | हर अच्छाई क लिए मन ही मन शुक्रिया अदा करें |
  • अपने लिए लक्ष्य बनाएं, उम्मीदें न बढाएं |
  • सकरात्मक सोचें | जब आपके मन में अपने बारे में नकरात्मक ख्याल उठे तो फटाफट उसे एक सकरात्मक ख्याल से बदल लें |
  • आप अपने आप को सबसे अच्छे से जानते हैं | अपने से प्यार करेंगे तो बाकी लोग भी आपसे प्यार करेंगे |
  • आपके पास जो है उसके लिए अहसानमंद रहें | कई बार किसी चीज़ जैसे प्यार, किस्मत, पैसा इत्यादी की कमी का एहसास हमारे आत्मविश्वास को कम कर देता है | मन की शांति बनाये रखने से आपका आत्मविश्वास यूँ ही बढ़ जायेगा | इससे आप अधूरेपन और असंतुष्टि के ख्यालों को अपने दिमाग के बाहर निकाल सकते हैं |
  • पूर्णतावादी न बनें | कुछ भी और कोई भी दुनिया में संपूर्ण नहीं होता है | हासिल होने वाली उम्मीदें रखना सही है क्यूंकि आपको अपनी ज़िंदगी में कई ठोकरों का सामना करना पड़ेगा | उन्हें एक सबक की तरह लेकर आगे बढ़ते रहें |
  • अपने आप को ऐसे हालातों में सोचें जहाँ आप आत्मविश्वास, नेतृत्व और चतुराई का प्रदर्शन कर सकते हैं | ऐसा करने से ही आप को ये विश्वास होने लगता है की आप आत्मविश्वासी और खुशमिजाज़ बन सकत हैं |
  • हर दिन को ऐसे जीयें जैसे आपका आखिरी हो | क्या पता कब ये खत्म हो जाये ? क्या फर्क पढता है की लोग आपके बारे में क्या सोच रहे हैं जब तक आप खुद अच्छा महसूस कर रहे हैं |
  • जब आप चलें इस बात पर ध्यान करें की आप कहाँ जा रहें हैं | ये ध्यान रहे की आप हमेशा सीधे बैठें |
  • हर बार अपन आपको शीशे में देखें तो दिमाग में अपनी तारीफ करें | ऐसा तब तक करें जब तक वह तारीफ आपकी शक्सियत का हिस्सा न बन जाये |
  • जब आप सुबह उठें तो शीशा देखे कर सोचें की आप ज़िंदगी में इतने आगे आ गये हैं अब कोई आपकी इस बढ़त को नहीं रोक पायेगा |
  • कई बार लोग जलन में आपसे बुरी बातें कहेंगे ऐसे में मुस्कुराएं और ज़िंदगी का आनंद उठाएं |
  • नेतृत्व कक्षाओं में भाग लें | ज़िंदगी में हर चीज़ को नियंत्रण में लेना सीखें | अगर आप पढ़ रहे हैं तो किसी पद के उम्मीदवार बनें | लोगों का नेतृत्व करने से और उन्हें सही मागदर्शन कराने से आपका आत्मविश्वास और बढ़ेगा |
  • जब आपको अपने बारे में बुरा लग रहा हो तो अपने किसी दोस्त को उस अवस्था में कल्पना करें | एक कागज़ लेकर उस पर लिखें की आप उस इंसान को खुश करने के लिए क्या कहेंगे | इस कागज़ को संभाल कर रखें और जब आपका मन ख़राब हो तो ये कागज़ निकाल कर पढ़ें |
  • अपना असली रूप लोगों को दिखाने से डरें नहीं चाहे किसी को अच्छा लगे न लगे | आप अपने आप से सच्चाई बनाएं रखें |
  • अपन बारे में हमेशा अच्छा सोचें !
  • आँखों का संपर्क बहुत ज़रूरी है अपने आत्मविश्वास को ज़ाहिर करने के लिए |
  • ज्यादा दिखावा न करें | कोशिश करें की आपको अपनी ताक़त का अंदाज़ा हो लकिन ये न लगे की आप उसका दिखावा कर रहें हैं |
  • झुक के न चलें, इससे आप अपने में ही मग्न और अस्थिर लगते हैं | इससे आप बाकी लोगों को दुखी और अनाकर्षक नज़र आयेंगे और ऐसा लगेगा की आप नहीं चाहते हैं की लोगों को पता चले की आप कितने आत्मविश्वासी हैं |
  • अपने डरों को भूल जायें |
  • सकरात्मक सोचें | अपने बारे में अच्छी बातें सोचें और ये ध्यान रखें की आप कितने किस्मत वाले हैं | ये सोचें की आप बाकी लोगों से अलग हैं और यही आपकी खूबियों और कमियों से झलकता है |

चेतावनी

  • आत्मविश्वासी बनने को अपनी ज़िंदगी का मकसद न बनाएं | आपको वो चीज़ें करनी हैं जो आपको ख़ुशी दें | ख़ुशी मिलने से आत्मविश्वास अपने आप बढ़ जायेगा |
  • अहंकारी और आत्मविश्वासी दो अलग चीज़ें होती हैं | अहंकारी होना सही नहीं है, आत्मविश्वासी होना है | इन दोनों में फर्क समझें |
  • आत्मविश्वास को ज्यादा न बढ़ने दें | ज्यादा आत्मविश्वासी होने से ऐसा लगेगा जैसे आप शेखी बघार रहे हैं | आराम से रहें और ज़िंदगी का मज़ा उठायें |

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