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हालाँकि अधिकतर मस्से अपने आप चले जाते हैं लेकिन अगर मस्सा आपके फेस पर हो तो आपको इसे जल्दी ठीक करना होगा | भाग्यवश, ऐसी कई रेमेडीज हैं जो चेहरे के मस्सों को दूर करने के लिए आज़माई जा सकती हैं |

विधि 1
विधि 1 का 3:

होम रेमेडीज से चेहरे के मस्से हटायें (Home Remedy for Facial Warts)

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  1. एप्पल साइडर विनेगर को सभी तरह के मस्सों पर इस्तेमाल किया जा सकता है | विनेगर में पाया जाने वाला एसिड मस्से पर अटैक करता है जिससे इसे आस-पास की हेल्दी स्किन से खींचकर निकाला जा सकता है और वायरस इसके साथ ही निकल जाते हैं | चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर इसका उपयोग काफी सुरक्षित होता है | इसे 50% पानी में डायल्युट कर लेना चाहिए | [१]
    • बल्कि, विनेगर में मैलिक एसिड और लैक्टिक एसिड भी पाए जाते हैं जो स्किन को एक्स्फोलियेट करने और सॉफ्ट बनाने में मदद कर सकते हैं |
    • इन इंग्रेडीयेंट्स का इस्तेमाल अधिकतर चेहरे के एक्ने को ठीक करने में किया जाता है |
    • एप्पल साइडर विनेगर को लगाने के लिए, एक कॉटन बॉल में विनेगर को (लगभग आधा भिगोकर) भिगोयें और इसे फेसिअल वार्ट्स या चेहरे के मस्से पर रखें | अब, इस एरिया को एक चिपकने वाली पट्टी से 24 घंटे तक कवर करके रखें |
  2. लहसुन के क्षारीय प्रभाव के कारण चेहरे के मस्से जल जाते हैं और एक सप्ताह में सूखकर झड जाते हैं | लहसुन में पाया जाने वाले एलीसिन नामक पदार्थ में एंटीवायरल इफ़ेक्ट होते हैं जो ब्रॉड स्पेक्ट्रम वायरस को मार देते हैं जिनमे ह्यूमन पेपिलिओमा नामक वायरस भी शामिल हैं | [२]
    • लहसुन को कुचल लें और इसे चेहरे के मस्सों पर लगायें |
    • इसे टेप से 24 घटे तक कवर करके रखें |
    • लहसुन और टेप रोज़ बदल लें |
  3. लेमन या नीम्बू का इस्तेमाल रोजमर्रा में कई तरह से क्लीनजिंग प्रोपर्टी के रूप में किया जाता है | लेमन के साइट्रस एसिड में विटामिन C पाया जाता है जो मस्से पैदा करने वाले वायरस को मार देता है | यह भी मस्से को सॉफ्ट करके आसानी से हटाने में मदद कर सकता है | [३]
    • इसे चेहरे के मस्सों पर दिन में कम से कम तीन बार लगायें |
  4. हालाँकि यह रेमेडी मेडिकली वेरिफाइड नहीं है लेकिन कुछ लोग दावा करते हैं कि इससे मस्से बहुत जल्दी निकल जाते हैं | डक्ट टेप सभवतः इसलिए काम करता है क्योंकि शरीर इसमें पाए जाने वाले सब्सटेंस से रियेक्ट करता है | डक्ट टेप के इस्तेमाल से स्किन उत्तेजित हो सकती है जिसके कारण ऐसी एंटीबॉडीज बन सकती हैं जो चेहरे के मस्सों को उत्पन्न करने वाले वायरस को ख़त्म करने में मदद करेंगी | इसमें छह दिन से लेकर ज्यादा से ज्यादा दो महीने तक लग सकते हैं |
    • सोने से पहले चेहरे के मस्सों को डक्ट टेप से कवर करें और फिर सुबह जागते ही तुरंत टेप को निकाल दें |
    • मस्से के हटने तक इस प्रोसीजर को रिपीट करते रहें |
  5. केले के गूदे में प्रोटियोलायटिक एंजाइम (ऐसे एंजाइम जो प्रोटीन को तोड़ते हैं) जो चेहरे के मस्सों को डाइजेस्ट और डिसोल्व करते हैं | यह चेहरे के मस्से हटाने का काफी आसान और आरामदायक तरीका है | पूरी रात केले के छिलके के अंदरूनी हिस्सों को मस्से पर चिपकाये रखें के लिए इस पर एक सर्जिकल टेप लगायें | [४]
    • इस ट्रीटमेंट में अमूमन एक से दो सप्ताह लगते हैं |
    • अन्य फूड्स जैसे पाइनेपल, पपीता और खट्टी गोभी (Sauerkraut) में भी ये एंजाइम पाए जाते हैं |
  6. बीटाडिन एक एंटीसेप्टिक होता है जो चेहरे के मस्से उत्पन्न करने वाले वायरस से लड़ने में मदद करते हैं | बीटाडिन सर्जिकल स्क्रब को घाव ठीक होने तक इन्फेक्टेड एरिया में हर दिन पांच मिनट तक मलें | बाज़ार में इसके समान कई प्रोडक्ट्स पाए जाते हैं जैसे: बक्ट्रिन या बज़ुका | इसे दिन में दो बार लगाया जा सकता है | [५]
    • आयोडीन या बीटाडिन से एलर्जिक लोगों को इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती |
    • अगर स्किन उत्तेजित हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें |
  7. मिल्कवीडक्रीम लोकल हेल्थ केयर स्टोर पर मिल सकती है | मिल्कवीड प्लांट में एक एंजाइम पाया जाता है जो मस्सों को डाइजेस्ट और डिसोल्व करता है | ये प्रोडक्ट्स मिल्कवीड प्लांट के स्टिकी सैप से बने होते हैं | इस प्लांट से एंटी-एक्ने ट्रीटमेंट भी किया जाता है | [६]
    • इसे मस्सों पर हर दिन कम से कम चार बार लगायें |
    • इस प्लांट को तोड़ने से निकलने वाले स्त्राव को भी मस्सों पर डायरेक्टली लगाया जा सकता है |
विधि 2
विधि 2 का 3:

वेरीफाईड मेडिकल ट्रीटमेंट से चेहरे के मस्से हटायें

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  1. ऐसी कुछ मेडिसिन होती हैं जिनका इस्तेमाल इन्फेक्शन के लक्षणों को कम करने और मस्सों को हटाने में किया जाता है | इन ट्रीटमेंट्स से इन्फेक्शन ख़त्म करने और इनसे सम्बंधित तीव्र इंफ्लेमेशन और परेशानी को दूर करने में आमतौर पर कई महीने लगते हैं | ये मेडिकेशन हैं:
    • रेटिनॉइड (ट्रेटिनोइन) क्रीम: इस क्रीम के डेली टोपिकल इस्तेमाल से मस्से का साइज धीरे धीरे घटना शुरू हो जाता है | [७] रेटिनॉइड क्रीम मस्से की स्किन की सेल ग्रोथ को बाधित कर देती है | ट्रेटिनोइन क्रीम लगाते समय निम्लिखित गाइडलाइन फॉलो करना चाहिए:
      • दिन में एक बार सोने से पहले ही लगायें |
      • सबसे पहले, मस्से को साबुन और पानी से धोएं और कम से कम 15 मिनट तक इसे सूखने दें | अब मस्से पर एक पर्ल-साइज़ हिस्से को लगायें | अगर इसे नम स्किन पर लगाया जाता है तो इससे पीलिंग और उत्तेजना हो सकती है |
      • ट्रेटिनोइन क्रीम के कारण धूप से सेंसिटिविटी हो सकती है क्योंकि यह स्किन को बहुत सॉफ्ट और पतला बना देती है | इसलिए बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन लगाना न भूलें |
    • कैन्थारिडीन या अन्य टोपिकल एजेंट्स जिनमे ट्राईक्लोरोएसिटिक एसिड पाया जाता है | कैन्थारिडीन ब्लिस्टर बीटल से मिलने वाले एक्सट्रेक्ट में पाया जाता है | जब इसे स्किन पर लगाया जाता है तब मस्से के आस-पास ब्लिस्टर होंगे और मस्से को स्किन से निकाल देंगे और फिर डर्मेटोलॉजिस्ट मस्से के इस डेड हिस्से को हटा सकते हैं | [८]
      • इसके बाद एक साफ़ बैंडेज से प्रभावित हिस्से को कवर करें |
      • इसके उपयोग के समय डॉक्टर के द्वारा दिए गये सभी इंस्ट्रक्शन्स फॉलो करें |
    • 5-फ्लोरोयुरेसिल: यह क्रीम DNA और RNA के रेप्लिकेशन को बंद कर देगी जिससे मस्से की ग्रोथ रुक जाएगी | [९]
      • इस क्रीम को तीन से पांच सप्ताह तक दिन में दो बार इस्तेमाल करें | [१०]
      • प्रभावित हिस्से को धूप से बचाएं क्योंकि इससे उत्तेजना और बढ़ सकती है | [११]
  2. केरेटोलायसिस में स्किन की सरफेस से डेड स्किन रगडकर हटाई जाती हैं | यह केमिकल ट्रीटमेंट के कॉम्बिनेशन के द्वारा काम करता है (आमतौर पर सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है), जिससे वायरस की सेल्स सॉफ्ट होकर नष्ट हो जाती हैं और फिर इनका मैन्युअल एक्स्फोलीयेशन किया जा सकता है | जब मस्से केमिकल ट्रीटमेंट से सॉफ्ट हो जाएँ तब प्यूमिक स्टोन या एमरी बोर्ड के इस्तेमाल से इसे हटा दिया जाता है | [१२]
  3. लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल मस्सों को फ्रीज़ और डिस्ट्रॉय करने में किया जाता है, [१३] जिसके बाद इन्हें एक क्यूरेट से स्क्रैप कर दिया जाता है | क्रायोसर्जरी ऐसे जिद्दी मस्सों को ट्रीट करने के लिए अच्छा ऑप्शन है जो आल नॉनइनवेसिव ट्रीटमेंट से रेसिस्ट हो चुके हों | अगर आप इस ट्रीटमेंट को आज़माना चाहते हों तो डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि इस ट्रीटमेंट के कुछ फॉर्म्स बाज़ार में भी उपलब्ध होते हैं |
    • लिक्विड नाइट्रोजन से ट्रीटमेंट साईट पर ब्लिस्टर हो सकते हैं लेकिन ये दो से चार सप्ताह में झड जाते हैं |
    • ध्यान रखें कि क्रायोसर्जरी और क्यूरेट स्क्रेपिंग पैनलेस प्रोसीजर नहीं होतीं और लिक्विड नाइट्रोजन लगाने से प्रभावित हिस्से पर जलन और चुभन हो सकती है जो ट्रीटमेंट के बाद कुछ समय तक बनी रहती है |
    • इस ट्रीटमेंट के कॉम्प्लिकेशन के रूप में स्कारिंग या स्किन का कलर लाइट हो सकते हैं |
  4. लेज़र थेरेपी में मस्सों और इन्हें पोषण देने वाली रेड ब्लड सेल्स को ख़त्म करने के लिए हीट एनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है | यह थेरेपी सहन करने योग्य होती है और इससे सकार या पिगमेंटेशन नहीं होता | पल्स डाई लेज़र थेरेपी फ़ास्ट और इफिशियेंट होती है लेकिन इसकी कॉस्ट इसे अन्य ऑप्शन की तुलना में पहुँच से बाहर कर देती है | इस ट्रीटमेंट को मस्सों पर इस्तेमाल करने पर 80% या उससे भी ज्यादा सफलता मिलती है | [१४]
    • लगभग दो सप्ताह में बिना स्कारिंग के घाव ठीक हो जाता है |
    • यह ट्रीटमेंट स्किन की कई परेशानियों में इस्तेमाल किया जाता है |
  5. डॉक्टर से इंट्रालिजनल ब्लियोमायसिन सल्फेट थेरेपी के बारे में जानें: अगर आपके चेहरे पर बहुत सारे मस्से हैं तो आप इस हाइली इफेक्टिव प्रोसीजर को आजमा सकते हैं | [१५] [१६] डॉक्टर आपके मस्से में इंट्रालिजनल ब्लियोमायसिन इंजेक्ट करेंगे जो एक ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर कैंसर के इलाज़ में किया जाता है | मस्सों को हटाने के लिए एक सिंगल इंजेक्शन काफी होता है या फिर आपको हर तीन से चार सप्ताह में फॉलो अप कराना पड़ सकते हैं | [१७] इस थेरेपी से बहुत कम या स्कारिंग नहीं होती और बहुत हल्का पिगमेंटेशन हो सकता है जो ट्रीटमेंट के एक साल के अंदर धुंधले हो जाते हैं | [१८]
    • यह ट्रीटमेंट बहुत महंगा होता है लेकिन इसकी सक्सेस रेट बहुत ज्यादा होती है (एक स्टडी के अनुसार 92% तक) [१९] और यह क्रायोसर्जरी की अपेक्षा ज्यादा असरदार साबित होता है | [२०]
  6. ऐसे मस्से जो किसी भी ट्रीटमेंट से नहीं जा रहे हों उनके लिए इम्यूनोथेरेपी एक बेहतर ऑप्शन है | डॉक्टर आपके इम्यून सिस्टम को मस्सों पर अटैक करने के लिए तैयार करते हैं, इसके लिए मस्सों पर एक केमिकल (जैसे डाइफेनसायप्रोन) को या तो लगाते हैं या फिर एक मॉलिक्यूल (आमतौर पर कैंडिडा एंटीजन) को इंजेक्ट करते हैं | [२१] [२२] लेकिन हो सकता है कि इसके कारण आपका इम्यून सिस्टम रियेक्ट करे जिससे यह इन्जेक्टेड सब्सटेंस और मस्सा दोनों पर ही अटैक करेगा और मस्से को नेचुरली हटा देगा | [२३] इससे बार-बार मस्से होने की टेन्डेन्सी भी कम होती है क्योंकि आपकी बॉडी HPV वायरस के विरुद्ध लड़ना सीख जाती है | [२४]
विधि 3
विधि 3 का 3:

चेहरे के मस्से खराब होने से रोकें

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  1. मस्सों को अनदेखा करें और उन्हें अपने आप हील होने दें: अगर हो सके तो मस्सों को अनदेखा करें क्योंकि कई बार ये अपने आप चले जाते हैं | आप मस्सों को बैंडेज से कवर कर सकते हैं या स्टाइलिश तरीके से एक स्कार्फ या एक बैंडेज से कवर कर सकते हैं | स्टडीज बताती हैं कि अधिकतर मस्से दो साल के बाद अपने आप चले जाते हैं | [२५]
    • लेकिन अगर मस्से से परेशानी हो रही हो तो ऊपर बताये गये ट्रीटमेंट ऑप्शन्स आजमायें |
    • अगर मस्से एक साल तक बने रहें या आपको लगता हो कि मस्से फ़ैलना शुरू हो रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएँ |
  2. मस्से को नोंचें नहीं और प्रॉपर हैण्ड हाइजीन मेन्टेन करें: मस्सों को बार-बार न छुएं और उन्हें अकेला छोड़ दें | गुड हैण्ड हाइजीन की आदत डालें जिससे आप मस्सों का संक्रमण दूसरो में न फैलाएं | मस्से नोंचने से परेशानी और बढ़ सकती है |
    • अपने हाथ साफ़ और सूखे रखें क्योंकि मस्से गीले एरिया में ज्यादा होते हैं |
    • अपने मस्सों पर टोपीकल सलूशन लगाने के पहले और बाद में हाथ धोने की आदत डालें |
    • अपने कपडे और टॉवल अलग रखें: म्मास्सों का ट्रांसमिशन होने से रोकने के लिए ध्यान रखें कि आपके ये आइटम्स कोई और इस्तेमाल न करें | अगर हो सके तो उन पर लेबल लगायें जिससे दूसरों को पता चल सके कि ये आपका सामान है और वे इनके इस्तेमाल से पहले दो बार सोच लें |
  3. मस्से वाले एरियाज में कभी भी ब्रश, कंघी या शेव न करें: इससे वायरस अन्य एरियाज में भी आसानी से फ़ैल सकते हैं | याद रखें कि मस्से अत्यधिक संक्रामक होते हैं | प्रभावित हिस्से पर एक हल्का सा ब्रश करने से भी वायरस अन्य जगहों पर फ़ैल सकते हैं | ये हार्बर वार्ट्स भी हो सकते हैं और दूसरे लोगों तक फ़ैल सकते हैं | अगर हो सके तो शेविंग से बचने के लिए अपने चेहरे के हेयर्स बढ़ने दें | फेसिअल स्क्रब और अपघर्षक भी संक्रमण फैला सकते हैं |

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