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गहरे घाव से रिसाव को रोकने और उसका बचाव करने के लिए, रोगाणुरहित पट्टी (sterile gauze) जैसी अन्य सामग्री से पट्टी लगाने की प्रक्रिया को घाव भरना कहते हैं। घाव को ठीक से न भरने से खुले घाव ऊपर से तो भर जाते हैं, लेकिन अंदर से ज़ख़्म बने रहते है, इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि खुले घाव की देखभाल कैसे की जाय और उनका इलाज कैसे किया जाय। आइये पढ़ते हैं यह लेख (kaise ghav ko bhare, first aid)।

विधि 1
विधि 1 का 3:

खुले घाव पर पट्टी कैसे बाँधें

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  1. यदि आप खुले घाव की ठीक होने तक देखभाल करना चाहते हैं तो आपके पास काफ़ी अधिक मात्रा में निम्न सामग्रियाँ होनी चाहिए। यदि पट्टियों को दिन में एक या दो बार बदलना हो तो आपके पास अच्छी ख़ासी मात्रा में पट्टियाँ होनी चाहिए जिससे आप बार बार दुकान पर जाने से बच जाएँगे। आपको निम्न सामग्रियों की आवश्यकता होगी:
    • रोगाणुरहित नमक के पानी का घोल। आप इसे मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं या फिर घर पर ही लगभग एक लीटर पानी में एक छोटा चम्मच नमक को 5 मिनट तक उबाल कर, सेलाइन (saline) बना सकते हैं।
    • घाव भरने के लिए, आपको स्टेराइल (sterile) दास्तानों, साफ़ तौलिए, एक साफ़ कटोरे, और उबलते पानी में स्टेरलाइज (sterilize) की हुई एक कैंची या चिमटी, की आवश्यकता होगी।
    • घाव पर पट्टी बाँधने के लिए, आपको भरने के लिए gauze, और बाहर बाँधने के लिए पट्टियों, मेडिकल टेप, रुई के फ़ाहे या Q-टिप की आवश्यकता होगी।
  2. घाव भरने की सामग्रियों को रखने के पहले आस पास के स्थान को साफ़ कर लें: घावों को भरते समय साफ़ सुथरे और जीवाणु रहित वातावरण की आवश्यकता होती है। यदि आप घर पर ही यह करने जा रहे हैं, तो ध्यान रहे कि किचन टेबल पर धूल होती है और TV ट्रे में जीवाणु हो सकते हैं, जिससे संक्रमण होने का ख़तरा होता है। परंतु आपको कहीं तो काम करना ही है, तो आप जहाँ घाव पर पट्टी बाँधने जा रहे हैं, उस जगह को पहले कीटाणु नाशक से अच्छी तरह साफ़ कर लें। [१]
    • शुरू करने के पहले हाथों को साबुन और पानी से धोएँ। दोनों हाथों की कोहनी को अच्छे से रगड़े, और नाखूनों को साफ़ और काट कर रखें।
  3. काम करने की जगह को साफ़ करने और घाव की मरहम पट्टी करने के पहले एक साफ़ तौलिए को उस जगह पर बिछायें। नमक का पानी या सेलाइन घोल को साफ़ कटोरे में डालें। ज़्यादा नहीं बस घाव को भरने की सामग्री को हल्का नम करने के लिए इस्तेमाल करेंगें। घाव पर बाहरी पट्टी और टेप को खोल कर तौलिए पर रखें। उसे पानी के कटोरे से दूर रखें और भीगने ना दें।
    • घाव पर बाँधने की पट्टी को हल्के से सेलाइन से भिगोएँ। सेलाइन में पट्टी को बिलकुल न भिगोएँ। बस हल्के से नम करें। यदि सेलाइन पट्टी में से टपक रहा है तो इसका मतलब है की पट्टी बहुत ज़्यादा गीली है।
    • नर्सेस और घर में पट्टी करने वाला व्यक्ति पट्टी की जितनी अवश्यता है उतनी काट कर टेबल के छोर से लटका देते हैं, ताकि पट्टी बाँधते समय टेप के छोर को खोलने के लिए खोदना न पड़े। काम करने की जगह को सुवव्यवथित करें जो आप के लिए ही अच्छा होगा।
  4. घुले गहरे घाव पर पट्टी करने के बाद आप ध्यान से हाँथ धोएँ। संक्रमण घातक होता है। साबुन और पानी से हाथ धोएँ, उसके बाद लेटेक्स चिकित्सिय दस्ताने बचाव के लिए पहनें।
  5. स्टरलाइज की गई पैकिंग सामग्री को सेलाइन से निकाल कर अतिरिक्त सेलाइन को निचोड़े। गौज को हल्का गीला करें, यह पूरा भीगा हुआ नहीं होना चाहिए। बहुत साड़ी रुई या (Q-tips) Q-टिप्स, गौज ले कर घाव में भरें।
    • घाव को बहुत ज़ोर लगा कर न भरे, अगर रुई और गौज़ पूरी तरह से घाव में नहीं जा रहा हो तो उसे घाव पर सफ़ाई से रखें, और फिर पट्टी से सब चीज़ों को ठीक से बाँधें।
    • सौम्यता और स्फूर्ति से काम करें। घाव में रुई और गौज़ डालना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है -आपको बस जितना हो सके उतने हल्के हाथों से काम करना होगा। घाव के आकार और गंभीरता के अनुसार यह काम जल्दी और देर से हो सकता है। घाव भरने के समय मरीज़ से बात कर उसका ध्यान भटकाने की कोशिश करते रहें जिससे उसे दर्द का कम से कम अहसास हो और ध्यान दें कि आप पट्टी ज़ोर से न बाँध रहे हों या उसे कष्ट न हो रहा हो।
  6. गौज के चौकोर टुकड़े काट कर अंदर की पैकिंग को ऊपर से ढकने और ठीक से बंद करने के लिए बाहर से परतदार इस्तेमाल किया जाता है। स्टेराइल 4 x 4 गौज़ स्पंज घाव के पूरे हिस्से को बाहर से ढकने के लिए और सुरक्षा के लिए ठीक है।
    • घाव को भरने के बाद टेप लगाएँ: घाव को अच्छे से भरने के बाद ऊपर से अच्छी तरह ढकें और चिकित्सिय टेप लगाएँ जिनको पहले आपने टेबल के किनारों पर लटकाया था। गौज़ को हमेशा किनारे से पकड़े जिससे संक्रमित न हो जाए।
विधि 2
विधि 2 का 3:

ड्रेसिंग या पट्टी बदलें

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  1. टेप हटाना शुरू करें उसके बाद गौज़ निकालें। ग्लव पहने हाथों से घाव का छुएँ और दूसरे हाथ से ड्रेसिंग निकालें।
    • पपड़ी बने ख़ून और रिसाव जो रुई की फ़ाहें और गौज़ पर चिपक गई है उसे बहुत ध्यान से देखें। Q -टिप को सेलाइन में भिगोकर बैंडिज को निकालें।बहुत धीरे और हल्के हाथों से काम करें।
    • ख़राब पैकिंग सामग्री को प्लास्टिक के बैग में रखें और तुरंत फेंके, बच्चों और पालतू जानवरों से दूर रखें।
  2. स्टरलाइज्ड चिमटी (tweezers) या उँगलियों से गौज़ के किनारों को उठाएँ और धीरे से घाव के ऊपर से निकालें। बहुत धीरे और सावधानी से काम करें। ध्यान हटाए बिना ख़ून अथवा रिसाव जो पैकिंग और घाव के बीच जम गया हो उसे बहुत बहुत धीरे से निकालें। पैकिंग निकालने के बाद घाव को देखें कि कहीं रुई या गौज़ रह तो नहीं गया है। [२]
  3. घाव के गहराई और गम्भीरता देखते हुए, पैकिंग को निकालते समय ख़ून निकल सकता है। ख़ासतौर पर जब रुई और गौज पहली बार निकाल रहे हों। अगर ऐसा होता है गौज़ स्पंज से दबाव डालते हुए सोखें ऐसा 5 मिनट के लिए करें। समय देने से ख़ून जम जाएगा और ख़ून बहना बंद हो जाएगा। दोबारा नई पैकिंग लगाएँ।
    • अगर ख़ून बहना बंद न हो तो चिकित्सिय जाँच करवाएँ।
  4. घाव के खुलने के बाद जाँच करे की कहीं घाव संक्रमित तो नहीं है। बेरंग होना, अधिक रीसाव या बदबू संक्रमण के लक्षण हैं। चिकित्सिय जाँच करवा कर इलाज तुरंत करवाएँ। चिकित्सक एंटीबायोटिक और वैकल्पिक नियम से पट्टी बाँधेंगें।
  5. घाव को हल्के हाथों से साबुन और पानी के घोल से धोएँ। साफ़ स्पंज, गुनगुने पानी और एँटी बैक्टीरीयल साबुन का प्रयोग घाव को साफ़ करने के लिए करते हैं। पानी और साबुन सीधे घाव पर न डालें। उसके किनारे पर चारो तरफ़ साफ़ करें।
    • खुले घाव की देखभाल के लिए कुछ विशेष निर्देशों को अगले भाग पढ़ें।
  6. पुरानी पट्टी रुई और गौज़ को निकालने और साबुन पानी के घोल से धोने के बाद नई पैकिंग को दोबारा घाव में भरें। हमेशा अपने चिकित्सक के निर्देश के अनुसार ही काम करें और दोबारा पट्टी घाव की हालत को देख कर ही बदलें। कुछ घावों को तो दिन में अनेक बार घाव की दशा देख कर बदला जाता है और कुछ घावों को ठीक करने के अलग पद्धति होती है।
विधि 3
विधि 3 का 3:

खुले घाव की देखभाल

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  1. खुले घाव के बारे में चिकित्सक के निर्देश माने। घाव के टिशू के ठीक होने पर चिकित्सक आपको केवल एक बार पट्टी बदलने की सलाह देगें। और कुछ दिनो के बाद वो भी मना कर देगा। थोड़े दिनों तक बाहरी पट्टी बाँधने से उसकी ठीक होने की प्रक्रिया चलती रहेगी। [३]
    • ज़्यादातर घावों पर ज़्यादा से ज़्यादा 10 दिन तक पट्टी बदलनी पड़ सकती है। हमेशा अपनी समझ से घाव की जाँच करें। अगर लगे की घाव ठीक नहीं है या समय ज़्यादा ले रहा है तो चिकित्सक को तुरंत बुलाएँ।
  2. पट्टी बदलते समय ध्यान दें की कही घाव में नीचे दिए गए संक्रमण के लक्षण तो नहीं दिख रहे। फ़ौरन चिकित्सक को बुलाएँ अगर मरीज़ को लगे की:
    • 101.5 °F (38.6 °C) से ज़्यादा का बुखार
    • ठंड लगना (कम्पन)।
    • घाव का रंग गुलाबी से सफ़ेद, पीला या काला होना।
    • घाव से बदबुदार रीसव।
    • घाव के चारो ओर सूजन या अधिक लाल हो जाना।
    • घाव में अधिक दर्द और नरम होना।
  3. उस भाग पर पट्टी बाँधते समय बिल्कुल गिला न होने दें, ये संकट पूर्ण होता है। इससे संक्रमण फैलता है और घाव भी जल्दी ठीक नहीं होता है। अपने शरीर को स्वयं ही घाव ठीक करने दें, बस भीगने से बचाएँ।
    • 24 घंटे के बाद घाव को बिना भीगाए नहा सकते हैं। उस हिस्से को प्लास्टिक से बाँध कर नहा सकते हैं। चिकित्सक को आपके घाव को साफ़ करने के विशेष निर्देश हो सकते है।
  4. घाव की देखभाल एक गम्भीर बात है। अगर आप को घाव के ठीक होने पर संदेह और चिंता है तो चिकित्सक को बुला भी सकते हैं। संक्रमण को बढ़ने ना दें फ़ौरन इलाज कराएँ। ख़ून संक्रमित होना और गैंग्रीन (gangrene) भी घाव की देखभाल में लापरवाही बरतने से होता है।

चीजें जिनकी आपको आवश्यकता होगी

  • पैकिंग सामग्री
  • नम करने का घोल
  • कैंची
  • एक साफ़ कटोरा
  • साफ़ तौलिया
  • ऊपर का पट्टी
  • रुई के फ़ाहे या Q-टिप्स
  • इस्तेमाल करी हुइ चीज़ों को फ़ेकने के लिए प्लास्टिक का बैग

सलाह

ये टिप्स घाव के देख रेख के बारे सामान्य सुझाव है।

  • घाव पर दबाव न डालें।
  • ड्रेसिंग सुखी होनी चाहिए।
  • चोट लगे हिस्से पर न लेटें।

चेतावनी

  • प्रस्तुत लेख का चिकित्सिय सलाह के बदले में इस्तेमाल नहीं कर सकते है। आप अपने चिकित्सक के निर्देशानुसार ही घाव को भरने का काम करें।

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