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खुद को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाने के लिए हम किसी भी व्यक्ति के चेहरे के भाव को देख कर निर्धारित कर सकते हैं कि क्या वह झूठ बोल रहा या बोल रही है। या फिर यह आप की यह जानने में भी मदद कर सकता है कि क्या अपने दिल पर भरोसा करना और किसी आकर्षक अजनबी के साथ संबद्ध होना आप सही होगा या नहीं। न्याय विश्लेषक न्यायपीठ का चयन करने के लिए झूठ का पता लगाने (lie detection) का उपयोग करते हैं; पुलिस पूछताछ के दौरान इस का उपयोग करती है। यहाँ तक कि न्ययायाधीश भी सच्चाई जानने के लिए इस का उपयोग करते हैं। इस प्रकार की तकनीक के उपयोग करने के लिए पहले आप को, चेहरे और शरीर के छोटे-छोटे हाव भाव जिन पर बहुत सारे लोग गौर नहीं करते, पता करना सीखना होगा। इस के लिए थोड़े से अभ्यास की ज़रूरत होगी, लेकिन आप को यह युक्ति जान कर बहुत ही आकर्षक लगेगा! आरंभ करने के लिए, पढ़ें ...

विधि 1
विधि 1 का 4:

चेहरे और आंखों में झूठ का पता लगाना

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  1. सूक्ष्म अभिव्यक्ति चेहरे के भाव हैं, जो चेहरे पर कुछ समय के लिए प्रकाश डाल कर झूठ के नीचे छिपे हुए सच का पता लगाते हैं। कुछ लोग स्वाभाविक रूप से इसे समझने के लायक होते हैं लेकिन लगभग हर कोई इन सूक्ष्म भावों का पता लगाने के लिए खुद को प्रशिक्षित कर सकता है।
    • आमतौर पर, जो व्यक्ति झूठ बोल रहा है, उस के सूक्ष्म भाव में कष्ट की अभिव्यक्ति होती है, जिसमें उस की भौंहे माथे की ओर बीच में ऊपर की तरफ खिंच जाती हैं, जिस से माथे पर छोटी-छोटी रेखाएँ नज़र आती हैं।
  2. झूठ बोलते वक्त लोग नाक को अधिक स्पर्श करते हैं और सच बोलते वक्त वे इस ओर ध्यान भी नहीं देते। [१] यह शायद एड्रेनलिन (adrenaline) के नाक की कोशिकाओं में हलचल के कारण हो, जिस से नाक में खुजली पैदा होती हो। [२] [३] संभावना है कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति अपने झूठ को बाहर आने से रोकने के लिए, एक हाथ से अपने मुँह को बार बार ढँकता है या अपने हाथों को अपने मुँह के पास ही रखता है। यदि मुख पर तनाव और होंठों में सिकुड़न हो, तो यह संकेत है कि व्यक्ति को कोई कष्ट है। [४] [५]
  3. आप किसी व्यक्ति की आँखों की चाल से भी यह पता लगा सकते हैं कि वह कुछ याद करने की कोशिश कर रहा है या आँखों की चाल के आधार पर कुछ कर रहा है। यदि कोई दाहिने हाथ से काम करने वाला व्यक्ति है, जो कुछ याद करने की कोशिश कर रहा है तो उस की आँखें बाँयी तरफ ऊपर की ओर चढ़ जाएँगी। और जब दाहिने हाथ से काम करने वाला व्यक्ति कुछ पूरा करने की कोशिश करता है, तो उस की आँखें दाएँ तरफ ऊपर की ओर चढ़ जाती हैं। बाएँ हाथ से काम करने वाले व्यक्ति के लिए इस का विपरीत सच है। व्यक्ति झूठ बोलते वक्त अपनी पलकों को तेज़ी से झपकाते ("आंख स्पंदन") है। महिलाओं की तुलना में पुरुष ऐसा ज़्यादा करते हैं, आँखों का मलना भी यह बताता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है। [१]
    • पलकों को देखें: जब कोई व्यक्ति कुछ ऐसा देखता या सुनता है जिस के साथ वह सहमत नहीं हैं, तो पलकें सामान्य से ज़्यादा देर में झपकती हैं। [४] हालाँकि, यह समय के साथ परिवर्तित होता है, तो आप को सटीक तुलना करने के लिए पहले यह पता लगाना होगा कि वह व्यक्ति एक गैर तनावपूर्ण स्थिति में सामान्य रूप से कैसे पलक झपकाता है। यदि हाथ या उंगलियाँ बार-बार आँखों तक जा रहे है, तो यह भी एक संकेत है कि वह व्यक्ति सच को रोक रहा है। [४]
    • सिर्फ़ आँखों की हलचल से किसी व्यक्ति की सच्चाई का आंकलन करते समय बहुत ही सावधान रहें। हाल ही में वैज्ञानिक अध्ययनों ने इस प्रकार से झूठ की तलाश के विचार पर संदेह प्रकट किया है। [६] [७] बहुत से वैज्ञानिक इस बात पर भरोसा करते हैं कि आँखें सीधे सत्यवादिता का पता लगाने के काबिल नही होती है।
  4. आँखों के संपर्क से बचें या इस की कमी सीधे सीधे सत्यवादिता का परिचय कराती है: बहुत ही लौकिक मत के विपरीत, ऐसा नहीं है कि एक झूठा व्यक्ति हमेशा ही नज़रों के संपर्क से बचता है। [१] जीव स्वाभाविक रूप से भी आँखों के संपर्क को तोड़ सकते हैं और किसी रुकी हुई वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने और याद करने में मदद पाने के लिए देखते हैं। झूठे लोग जान बूझकर सच्चा दिखने के लिए आँखों से संपर्क बना कर रखते हैं; वे किसी भी असुविधा से बचने के लिए, और अपने द्वारा बोली गई हर एक बात को सच्चा साबित करने के लिए, इस का अभ्यास कर सकते हैं।
    • वास्तव में, यह देखा गया है कि जाँचकर्ताओं के द्वारा हमेशा से ही बोले गये " झूठे लोगों की नज़रों के संपर्क से सच्चाई जानें ", इस तथ्य को जानकर अपनी आँखों के संपर्क को और बढ़ा देते हैं। [४] जाहिर सी बात है कि, जब भी कोई मुश्किल सवाल पूछा जाता है तब नज़रों के संपर्क का विरोध सिर्फ़ तनाव से बचने के लिए भी किया जा सकता है। [४]
विधि 2
विधि 2 का 4:

शाब्दिक प्रतिक्रियाओं में झूठ का पता लगाएँ

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  1. झूठ का पता लगाने के लिए व्यक्ति की आवाज़ सही हो सकती है। वह अचानक सामान्य से बहुत तेज़ या जल्दी बोलना शुरू कर सकता है या फिर तनाव से उनकी आवाज़ में एकदम से उच्च ढलाव या कंपन आ जाता है। बड़बड़ाना या हकलाना भी झूठ की तरफ इशारा करता है।
  2. यदि व्यक्ति आप को बहुत ज़्यादा कुछ बता रहा हो तो ध्यान दें। उदाहरण के लिए, " मेरी माँ आगरा (agra) में रहती हैं, वहाँ पर सब कितना अच्छा है ना? आप को ताज महल (Taj mehal) पसंद है? वहाँ पर बहुत साफ-सफाई है।" ये इतना ज़्यादा विवरण आप को उस व्यक्ति के द्वारा बोली गई हर एक बात पर विश्वास कराने की आतुरता को दर्शाएगा।
  3. जब कोई इंसान झूठ बोल रहा होता है तब समय और अवधि से दूर हो जाता है। इस का कारण यह भी हो सकता है कि वह व्यक्ति पहले से ही अपने जवाबों का अभ्यास कर के आया हो (या संभावित पूछे जाने वाले प्रश्नों को जानता हो) या कुछ भी जो शांति को तोड़ सके, का उपयोग करता हो।
    • यदि आप किसी से कोई प्रश्‍न पूछते हैं और वह प्रश्‍न के तुरंत बाद ही जवाब दे दे, तब यहाँ पर इस बात का कोई विकल्प ही नहीं है कि वह झूठ बोल रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि उस व्यक्ति ने पहले से ही अपने उत्तर का अभ्यास कर रखा हो या फिर वह पहले से ही उत्तर के बारे में सोच रहा हो।
    • एक और बात यह भी हो सकती है कि वह उचित समय में चूक कर रहा हो, जैसे कि "मैं सुबह के 5 बजे काम पर गया और जब मैं शाम को 5 बजे घर पहुँचा तो वह मर चुका था।" इस उदाहरण में, इस समय के बीच में क्या हुआ, सब कुछ बहता चला जाता है।
  4. पूछे गये प्रश्‍न पर व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दें: जो इंसान सच बोल रहे हैं वे अपने बचाव में बहुत कुछ नहीं बोलेंगे, क्योंकि वे सच बोल रहे हैं। और जो झूठ बोल रहे हैं, तो वे अपने झूठ को सच बताने के लिए कभी-कभी उग्र, विक्षेपित या कोई और रुकावट की युक्ति भी अपना सकते हैं।
    • एक सच्चा व्यक्ति अक्सर अपने द्वारा दी गई जानकारी से अविश्वास के भाव को हटाने के लिए और अधिक अच्छे से विवरण देता है। और जो धोखा देने की कोशिश कर रहा है, वो ज़्यादा कुछ तो नहीं बताएगा, लेकिन अपनी बात को बार-बार ज़रूर दोहराएगा। [५]
    • सवालों के जवाब में हुई हल्की सी देर पर भी ध्यान दें: एक सच्चा जवाब बहुत ही जल्दी मिलता है। झूठ बोलने वालों को अपने झूठ को बनाए रखने के लिए हर बार यह याद रखना पड़ता है कि उन्होने दूसरों को क्या बताया था और ज़रूरत पड़ने पर नए विवरण भी शामिल कर सकते हैं। याद रखें कि जब लोग किसी बात को याद करने की कोशिश करते हैं, तब यह हमेशा ज़रूरी नहीं होता कि वे झूठ ही बोल रहे हैं — यह किसी की स्वाभाविक प्रवत्ति भी हो सकती है।
  5. व्यक्ति के द्वारा प्रयोग किए गये शब्दों पर ध्यान दें: बोले हुए शब्दों से भी कभी-कभी व्यक्ति के झूठ का पता लगाया जा सकता है। इन में कुछ तथ्य शामिल हैं:
    • एक सवाल के जवाब में आप के ही शब्दों को दोहराना।
    • रोकने की तकनीकें, जैसे कि पूछे गये प्रश्‍न को दोहराना। [४] यह बोलना कि आप के द्वारा पूछा गया प्रश्‍न बहुत ही उत्तम है, और इस का जवाब भी साधारण नहीं है जैसे हाँ या ना, या फिर टकराव शैली में प्रतिक्रिया जैसे कि यह बोलना " यह X के मान पर निर्भर करता है" या फिर आप को यह जानकारी कहाँ से मिली है?, ये सब रोकने की तकनीक में शामिल हैं। [४]
    • संकुचन (शब्दों को छोटा करने) के उपयोग से बचें जैसे कि "I did not do it" के स्थान पर "I didn't do it" बोलना। ऐसा कर के आप यह जान सकते हैं कि झूठे व्यक्ति का असल मतलब क्या है। [४]
    • घबराते हुए और बिना मतलब की बातें बोलना; झूठे लोग अक्सर किसी वाक्य के बीच में ही रुक कर, फिर से शुरू करते हैं और फिर भी वाक्य को पूरा नहीं कर पाते हैं। [५]
    • किसी विषय को नकारने के लिए हास्य या व्यंग्य का उपयोग करते हैं।
    • कुछ ऐसे कथन जैसे कि "सच कहूँ तो", "साफ- साफ", " यह पूरी तरह से सच है", "मैं कभी झूठ नहीं बोलता" इत्यादि का प्रयोग करना, ये सारे धोखे के प्रतीक हैं। [४]
    • किसी भी सकारात्मक अभिकथन पर बहुत जल्दी से एक नकारात्मक कथन देना, जैसे कि "क्या तुमने ये बर्तन सुस्ती से धोएँ हैं?" इस का जवाब " नहीं, मैने ये बर्तन सुस्ती से नहीं धोए", यह जवाब में होने वाली देर के भाव को छिपाने का एक तरीका होता है। [४]
  6. ध्यान दें कि कोई इंसान कब किसी वाक्य को दोहराता है: यदि संदिग्ध बार-बार वही वाक्य दोहरा रहा है, तो यह शायद झूठ ही होगा। जब कोई व्यक्ति झूठ बनाता है, तब वह ऐसे वाक्यों या मुहावरों को याद करने की कोशिश करता है, जो कि विश्वास लायक लगें। जब उस व्यक्ति से समझाने को बोला जाता है तब वह फिर से उसी प्रकार के विश्वास दिलाने लायक वाक्यों का उपयोग करता या करती है।
  7. व्यक्ति के द्वारा किसी वाक्य को बीच में ही अधूरा छोड़ने पर ध्यान दें: जब कोई चालाक झूठा व्यक्ति अपने ऊपर से सब का ध्यान हटाना चाहता या चाहती है तब वह बीच में ही अवरोध डाल कर वाक्य को पूरा किए बिना ही किसी और चीज़ के बारे में बात करना शुरू कर देती या देता है। कोई इस प्रकार से अपना विषय बदलने की कोशिश कर सकता है जैसे कि: "मैं जा ही रहा या रही थी — अरे, क्या आपने इस हफ्ते कोई नया हेयर कट कराया है?"
    • किसी प्रश्‍न के विषय की प्रशंसा में बहुत ही सतर्क रहें: झूठा व्यक्ति यह जानता है कि लोगों को प्रशंसा सुनना पसंद होता है, और ऐसा कर के वे पूछताछ से बच सकते हैं। होशियार रहें यदि कोई व्यक्ति उदासीनता के साथ भी आप की प्रशंसा कर रहा है।
विधि 3
विधि 3 का 4:

शारीरिक हाव भाव से झूठ पकड़ना

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  1. जब लोग झूठ बोलते हैं तो उन्हें और ज़्यादा पसीना आता है। [८] असल में झूठ निर्धारित करने के लिए किए गए पालीग्राफ परीक्षण (सभी फिल्मों में उपयोग होता है "लाई डिटेक्टर") में पसीने को आँकना भी झूठ निर्धारित करने का एक तरीका है। [९] यहाँ पर फिर से, यह सच्चाई जानने का विश्वसनीय तरीका नही है। कुछ लोग घबराहट, शर्मिंदगी या ऐसी कोई परिस्थिति जिस में उन्हें सामान्य से ज़्यादा पसीना छूटता है, के कारण भी ज़्यादा पसीना छोड़ते हैं। यह एक ऐसा संकेत है, जिसे और भी प्रतीकों जैसे कि कंपन या कांपना, शर्माना और कुछ निगलने में कठिनाई के साथ देखा जाता है।
  2. यदि बोली गयी बातों के विरोध में सिर हिलता हुआ मिले, तो यह भी एक बात होगी। इसे विरोध "(incongruence)" कहते हैं।
    • उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति बोलता है कि उसने यह काम किया है, जैसे कि वह सिर को विपरीत दिशा में हिलाते हुए यह बोले "मैने ये सारे बर्तन धोए हैं" तो इस सच का खुलासा होता है कि बर्तन धोए तो गये हैं पर घिसे नहीं गये। जब तक कोई व्यक्ति अच्छी तरह से प्रशिक्षित नहीं होता, तब इस प्रकार की बेइरादतन ग़लतियाँ करता है और इस प्रकार की शारीरिक प्रतिक्रियाएँ अक्सर सच्चाई जाहिर कर देती हैं। [१] [४]
    • इस के अलावा, कोई भी व्यक्ति जवाब देने से पहले संकोच कर सकता है। एक सच्चा इंसान अपने द्वारा दिए गए बयान या जवाब के समर्थन में उसी समय अपना सिर हिलाता है; ऐसा माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो थोड़ी देर लगती है। [१]
  3. किसी इंसान का उस के अपने शरीर से या फिर उस के आस पास की चीज़ों के कारण व्यग्र होना, उस के झूठ बोलने का प्रतीक होता है। झूठ पकड़े जाने के भय से उत्पन्न ऊर्जा के परिणामस्वरूप व्यग्रता जन्म लेती है। अपनी बेचैनी की ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए, झूठे लोग अक्सर कुर्सी, रूमाल या अपने शरीर के किसी हिस्से के साथ बहुत ही व्यग्र दिखाई देते हैं।
  4. लोग जिन से बात कर रहे होते हैं अक्सर वे उन के हाव भाव की नकल करते हैं। यह खुद के शामिल रहने और दिलचस्पी दिखाने का एक तरीका है। यदि कोई इंसान झूठ बोल रहा है, तब वे खुद को वास्तविक बताने के लिए श्रोता के समक्ष अनुकरण का प्रयोग करते हैं। कुछ असफल अनुकरण जो आप को सचेत करते हैं कि कुछ तो ग़लत है, इस के उदाहरण हैं:
    • किसी तरफ झुकना: जब कोई व्यक्ति सच बोल रहा होता है और उस के पास कुछ भी छिपाने लायक नहीं होता, तो वह श्रोता के समक्ष झुकाव रखता है। वही दूसरी ओर, एक झूठा व्यक्ति ज़्यादातर पीछे की तरफ झुका रहता है, जो इस बात का प्रतीक है कि वह ज़रूरत से ज़्यादा कुछ भी नहीं बताना चाह रहा है। और वे इस से बाहर निकलना चाहते हैं। [४] दूर झुकना नापसंद या उदासीनता का भी प्रतीक होता है।
    • सच बोल रहे लोगों में, सिर और शरीर की हलचल वक्ता और श्रोता के बीच की परस्पर क्रियाओं के हिस्से के रूप में नज़र आती है। धोखा देने की कोशिश कर रहे इंसान इस बात से असंतुष्ट रहते हैं, और इन की शारीरिक हलचल और सिर की हलचल से ऐसा प्रतीत होता है कि ये कुछ ढँकने की कोशिश कर रहे है। हो सकता है कि आप को कुछ जानबूझ कर की गई हलचल, जैसे कि हाथ की स्थिति बदलना या फिर दूसरी तरफ मुड़ जाना देखने को मिले।
  5. झूठे व्यक्ति लगातार अपने गले को तर पाते हैं और कुछ निगलने की कोशिश करते हुए पाए जाते हैं। झूठ बोल रहे व्यक्ति का शरीर अड्रेनलिन (adrenaline) का उत्पादन बढ़ा देता है, जिस से लार बनती है। जैसे लार बढ़ती है, तो वह व्यक्ति उसे गुटकता है। जब लार बनना बंद हो जाती है, तब वह व्यक्ति अपना गला साफ करेगा।
  6. एक झूठा इंसान तेज़ी से साँस लेता है, एक गहरी सांस के बीच में बहुत सारी हल्की साँसों की श्रंखला होती है। [४] मुँह (बहुत बार गले को साफ करने की वजह से) सूखा प्रतीत होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे अपने शरीर को बहुत तनाव में रख रहे हैं, जिस से उन का दिल और भी तेज़ी से धड़कने लगता है, और फेफड़ों को और अधिक हवा की ज़रूरत होने लगती है।
  7. उस व्यक्ति के हाथों, भुजाओं और पैरों पर ध्यान दें। एक बिना तनावपूर्ण परिस्थिति में, लोग अपने हाथों और भुजाओं को फैला कर और शायद अपने पैरों को ढीला छोड़ कर, सहज महसूस करते हैं। और एक झूठे व्यक्ति में उस के शरीर के ये भाग सीमित, कड़क और आत्म-निर्देशित होते हैं। [४] उस व्यक्ति के हाथ उस के चेहरे, कानों या गर्दन के पिछले हिस्से को छू सकते हैं। बँधी हुई बाँहें, बँधे हुए पैर और हाथों की चाल में कमी यह दर्शाता है कि वह ज़्यादा जानकारी नहीं देना चाहता या चाहती है।
    • हाथों की चाल, जिसे हम बातचीत का एक सामान्य हिस्सा मानते हैं, झूठे लोग इस से बचते हैं। बहुत से झूठे लोग उंगली के इशारे, हथेलियों के भाव, स्टिपलिंग (उंगलियाँ एक दूसरे को त्रिकोण आकार में छूती हैं, अक्सर आप की सोच को जाहिर करती हैं), इत्यादि से निरंतर बचते हुए पाए जाते हैं। [४]
    • पोरों (knuckles) की जाँच करें। ऐसे झूठे लोग जो कि स्थिर रहते हैं, वे कुर्सी के बाजुओं को तब तक पकड़े रहते हैं जब तक कि उन के पोर सफेद नहीं पड़ जाते। [४]
    • झूठे लोगों में कुछ अलंकरण व्यवहार जैसे कि बालों के साथ खेलना, टाइ (tie) को व्यवस्थित करते रहना या फिर शर्ट की कॉलर के साथ हलचल करना बहुत ही सामान्य रहते हैं। [५] [१०]
    • याद रखने योग्य दो प्रतिवाद:
      • झूठे लोग निरंतर रूप से बेतकल्लुफ दिखने के लिए नीची दृष्टि रखते हैं। [४] बार-बार जम्हाई लेना और ऊबा सा व्यवहार करना स्थिति के लिए लापरवाह रवैया, उन के द्वारा धोखे को छिपाने के लिए किया गया सा प्रतीत होता है। बस इस लिए क्योंकि वे सहज हैं, यह नहीं कहा जा सकता कि वे झूठ नहीं बोल रहे हैं।
      • यह ध्यान रखें कि ये सारे ही संकेत घबराहट के प्रतीक हैं ना कि छल के। सिर्फ़ घबराना ही इस बात का प्रतीक नहीं होता कि वे झूठ ही बोल रहे हैं।
विधि 4
विधि 4 का 4:

पूछताछ के माध्यम से झूठ को पकड़ना

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  1. हालाँकि झूठ और फरेब को पकड़ना मुमकिन है, लेकिन धोखे के संकेत जिन के कारण व्यक्ति झूठा दिखाई पड़ता है, हो सकता है कि ये सारे संकेत उस व्यक्ति के घबराहट, शर्मिंदगी, बेढँगपना या फिर शर्मिंदगी / हीनता के भाव के कारण भी हो सकते हैं। एक तनाव पूर्ण व्यक्ति आसानी से झूठे इंसान की सारी ग़लतियाँ कर सकता है, जैसे कि कुछ तनाव की अभिव्यक्तियों के संकेतक, झूठ बोलने के संकेतक के जैसे ही होते हैं। इस कारण से, झूठ के लिए संदिग्ध व्यक्ति के अवलोकन में झूठ बोलने के कारणों और उस की प्रतिक्रियाओं को जानना बेहद ज़रूरी है, जैसे कि यहाँ पर कहीं भी आश्चर्यजनकता (अहा!) का प्रतीक नहीं है। [४]
  2. शारीरिक भाषा का अवलोकन करते समय, शाब्दिक प्रतिक्रियाएँ और झूठ बोलने के और भी कई संकेतक, में निम्नलिखित कारक शामिल हैं: [१]
    • क्या वह व्यक्ति सामान्य तौर पर उस परिस्थिति में जिस में वह अभी है, अनावश्यक रूप से चिंतित नज़र आ रहा या रही है?
    • क्या वहाँ सांस्कृतिक कारक शामिल हैं? हो सकता है कि उस का व्यवहार एक धर्म या संस्कृति के लिए सही हो, लेकिन किसी और के लिए प्रवंचक हो।
    • क्या आप इस व्यक्ति के खिलाफ हैं? क्या आप इस इंसान को झूठा बनाना ही चाहते हैं? इस जाल में फँसने से सावधान रहें !
    • क्या इस व्यक्ति के झूठ बोलने का कोई इतिहास रह चुका है? अर्थात क्या उसे इस में अनुभव प्राप्त है ?
    • क्या यहाँ पर आप के पास उस के झूठे होने पर शक का कोई मकसद और उचित कारण है ?
    • क्या आप झूठ पढ़ने में पारंगत हैं? क्या आप ने इस पूरे मसले को सन्दर्भ में लेकर सिर्फ़ एक या दो ही संभव संकेतकों को पाया है?
  3. कथित तौर पर झूठे कहे गये व्यक्ति के साथ सामंजस्य स्थापित करने में और शांति का वातावरण स्थापित करने में थोड़ा समय लें: इस में शामिल है कि आप उस व्यक्ति को ऐसा कोई भी संकेत ना दें, कि आप उस पर शक कर रहे हैं, और बातचीत के दौरान उस की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को जानने की कोशिश कर रहे हैं। व्यक्ति से पूछताछ करते वक्त, एक समझदार व्यक्ति की तरह व्यवहार करें, ना कि घमंडी या रौबदार व्यक्ति की तरह व्यवहार करें। इस दृष्टिकोण से आप को उस व्यक्ति की चौकसी कम करने में मदद मिलेगी और आप को स्पष्ट रूप से संकेत पढ़ने में मदद मिलेगी।
  4. आधारभूत, कि जब वह व्यक्ति झूठ नही बोल रहा होता है, तब उस का व्यवहार कैसा है। इस से आप को यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या वह व्यक्ति अपने असल अंदाज से कुछ अलग व्यवहार कर रहा या रही है। यदि आप उसे नहीं जानते हैं तो शुरुआत उसे जानने से ही करें और यहाँ से बढ़े — अक्सर लोग अपने बारे में पूछे गये सवालों का जवाब ईमानदारी से देते हैं। और जिसे आप पहले से जानते हैं उस से ऐसा कुछ सवाल करें जिस का जवाब आप भी पहले से जानते हैं।
  5. अक्सर देखा गया है कि झूठ बोलने वाला व्यक्ति आप को सच्ची कहानियाँ तो सुनाता है, लेकिन उस का लक्ष्य आप के सवाल का जवाब ना देना होता है। उदाहरण के लिए, पूछा गया प्रश्‍न "क्या आप ने अपनी पत्नी को कभी मारा है?" और इस का जवाब "मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ, मैं ऐसा क्यों करूँगा?" यदि पूछे गये प्रश्‍न पर व्यक्ति की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी हुई, तो व्यक्ति तकनीकी रूप से तो सच्चा है, लेकिन वह आप के असली प्रश्‍न का जवाब देने से कतरा रहा है। इस का मतलब यह है कि वह इंसान आप से झूठ बोल रहा या रही है और आप से कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है।
  6. यदि आप अभी भी इस बारे में सुनिश्चित नही हैं कि वह इंसान सच बोल रहा है या नहीं तो, उसे बार-बार उस की कहानी दोहराने को बोलें। जो बातें सच्ची नहीं हैं उन की जानकारी रखना बहुत ही कठिन होता है। इस प्रक्रिया में उन के द्वारा बनाई गई कहानी को दोहराते वक्त झूठा व्यक्ति कुछ असंगत, सीधा झूठ या गंभीर बोलेगा।
    • उन से उन की कहानी को पीछे से सुनाने को बोलो। [५] ऐसा करना जबकि आप कोई भी जानकारी को छोड़ नहीं सकते, बहुत कठिन है। यहाँ तक कि पेशेवर झूठे व्यक्ति भी इस दृष्टिकोण से प्रभावी रूप से निपटने में कठिनाई का सामना करते हैं।
  7. कथित झूठे व्यक्ति की तरफ अविश्वास की दृष्टि से देखें: यदि वह झूठ बोल रहा है, तो वह जल्द ही असहज हो जाएगा। यदि वह सच्चा है तो वह अक्सर गुस्सा या फिर हताश (होठों को मसलना, माथा नीचे, ऊपरी पलक खिंची हुई और सच्चाई पर प्रकाश डालती हुई सी प्रतीत होंगी) हो जाता है।
  8. एक झूठे व्यक्ति को आप के द्वारा बनाई गई चुप्पी को तोड़ना बहुत कठिन लगेगा। [४] वह चाहेगा कि आप उस के द्वारा बुने गये झूठ पर विश्वास करें, और आप की चुप्पी से उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलेगी। आप के धीर और चुपचाप रहने पर बहुत से धोखेबाज़ लोग बिना कुछ पूछे भी चुप्पी तोड़ने के लिए बोलना शुरू कर देते हैं और इस प्रक्रिया में, अपनी ही बातों को सजाने के चक्कर में धीरे धीरे फिसल जाते हैं!
    • आप ने कहानी को किस तरह लिया है, झूठे लोग यह पढ़ने की कोशिश करते हैं। [५] यदि आप पढ़े जाने वाले कोई भी संकेत नहीं दे रहे हैं, तो इस से झूठे व्यक्ति असहज महसूस करते हैं।
    • यदि आप एक अच्छे श्रोता हैं, तो आप स्वयं ही किसी भी रुकावट से परहेज़ करेंगे और यह कहानी प्रकट करने की एक अच्छी तकनीक है। यदि आप में यह गुण है तो दूसरों को दखल न देने का अभ्यास करें — यह न केवल आप को झूठ पकड़ने में मदद करेगा बल्कि आप को एक बेहतर श्रोता भी बनाएगा।
  9. यदि आप के पास ये माध्यम है तो झूठे लोगों के द्वारा बोले गयी बातों के पीछे के तर्क का पता लगाएँ। एक कुशल झूठा व्यक्ति आप को, कहानी की पुष्टि से इनकार करने वाले व्यक्ति से संपर्क ना रखने के बहुत से कारण दे सकता है। ये असल में खुद से ही झूठ बोलते हैं, तो अपनी अनिच्छा से दूर आप को उस व्यक्ति जिसने आप को इस के खिलाफ चेतावनी दी थी, के साथ इस की जाँच करनी चाहिए। ऐसा कुछ भी वास्तविक जो जाँचा जना चाहिए उसे जाँचें।

सलाह

  • अपने झूठ पकड़ने के कौशल को जाँचने का सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप टेलीविजन पर न्यायालय वाला धारावाहिक देखें और देखें क्या आप यह बताने के लायक हैं या नहीं कौन कि, झूठ बोल रहा है। अपनी बुद्धि पर भरोसा करें और आप किसी को भी (हालाँकि कभी-कभी ये दोनो ही झूठ बोल रहे होते हैं!) जिस पर आप इस मामले में कम भरोसा कर रहे हैं उसे झूठ बोलते हुए पकड़ सकने के लिए बहुत ही ध्यान से देखें। यदि आप न्यायाधीश के फ़ैसले से सहमत हैं, तो शायद आप ने भी वही संकेत पाए हैं जो उन्होने भी पाए।
  • आप को यह भी जाँचना चाहिए कि क्या इस झूठ का कोई मतलब भी है। जब बहुत से लोग झूठ बोलते हैं, तो वे और भी ज़्यादा घबरा जाते हैं, जिस से उनकी बात का कोई मतलब नहीं रह जाता। यदि वे बहुत ज़्यादा जानकारी दे रहे हैं, तो वे शायद झूठ बोल रहे हैं। उनकी कहानी को बार-बार दोहराने को कहें और सुनिश्चित करें कि उन के विचार हर बार एक जैसे ही रहे हैं।
  • आप को किसी के बारे में जितनी जानकारी मिलेगी, आप उतना ही अच्छे से उस के विचारों के बारे में जान सकेंगे और यदि वे कभी सच से भटक रहे हैं तब भी आप उन्हें पहचान पाएँगे
  • ऊपर दर्शाए गए झूठ बोलने वाले व्यक्ति के व्यवहार की सूची में से हो सकता है कि कुछ उस व्यक्ति के व्यवहार से भी मेल खाएँ जो झूठ नही बोल रहा है। ऐसे व्यक्ति जो घबराते हैं, शर्मीले हैं, आसानी से डर जाते हैं, और किसी कारण से अपराध ग्रस्त होते हैं, वे पूछताछ के दौरान या किसी दबाव में घबराए हुए और दीन प्रतिक्रियाएँ दे सकते हैं। ऐसे लोग झूठ बोले जाने का आरोप लगाए जाने पर विशेष रूप से ईमानदारी और न्याय की भावना के साथ बचाव करने लगते हैं। यह ऐसा प्रतीत होगा कि वे झूठ बोल रहे हैं, लेकिन वे सिर्फ़ अचानक से ध्यान का केंद्र बनाए जाने के कारण अक्सर हैरान या शर्म महसूस करते हैं।
  • सुनिश्चित करें कि आप सकारात्मक हैं और उन की बातों को भी सकारात्मकता से लें! आप अपनी दोस्ती या रिश्तेदारी को बिना किसी कारण के खराब नही करना चाहेंगे।
  • झूठे लोग अपने झूठ के विस्तार में अपने आसपास उपस्थित वस्तुओं का सहारा लेते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है कि वहाँ टेबल पर एक कलम रखी हो, तो वे अपनी कहानी में कलम को शामिल कर लेंगे। ये इंसान के झूठ को पकड़ने का एक और तरीका है।
  • बात के विषय को अचानक से बदलना या फिर कोई मज़ाक करना भी झूठ बोलने का एक संकेत होगा। और बहुत ज़्यादा अपने पक्ष का बचाव करना या फिर आप से सीधे आँखों का संपर्क बना कर अपनी बात पर विश्वास दिलाने की कोशिश करना। कभी-कभी वे आप का ध्यान खुद पर से हटाने के लिए आप से प्रश्‍न करते हैं। कुछ लोग बेशक बहुत अच्छा झूठ बोल लेते हैं और आप को इस बात का पता भी नहीं चलने देते। तब आप को आप के द्वारा महसूस भावनाओं और सबूत पर भरोसा करना होगा।
  • यदि आप को ऐसा लगता है कि कोई आप से झूठ बोल रहा है, तो उस से और ज़्यादा विवरण लें। यदि वे संकोच करते हैं या फिर अपने चेहरे को छूते हैं, तो यह उन के झूठ बोलने का एक संकेत होगा!
  • यदि आप किसी व्यक्ति को अच्छी तरह से जानते हैं, तो आप के लिए उन के झूठ का पता लगाना और भी आसान हो जाएगा।
  • कुछ लोग झूठ बोलने के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इसे ध्यान में रखें, लेकिन अपनी राय को इस पर न टिके रहने दें। लोग समय के साथ बदल जाते हैं और वे अतीत में उन पर लोगों के विश्वास में कमी या उनकी पुरानी प्रतिष्ठा के कारण एक नये रूप में ही बदल जाते हैं। पहली प्रतिष्ठा ही सब कुछ नहीं होती––जैसे कि झूठ के प्रतीकों के साथ, इसे हर मामले में व्यापक सन्दर्भ में लेना चाहिए। इसे भी ध्यान में रखें कि वो पहले वाली प्रतिष्ठा से किसी को तो लाभ हुआ होगा जिसने इसे निर्धारित किया होगा।
  • हालाँकि दिए गये किसी भी उदाहरण से आप को झूठ का पता चल सकता है, और एक साथ एक से ज़्यादा के संयोजन से भी झूठ बोलने के बहुत बड़े संकेत मिलता है।
  • बहुत से लोग ज़्यादातर समय सच बोलते हैं और अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं। झूठे लोग "हवा में बातें करते हैं"––इनकी प्रसिद्धि बनावटी होती है, और इस के कारण ये सामान्य की तुलना में ज़्यादा विश्वसनीय या आकर्षक लगते हैं।
  • कुछ लोग बस शर्मीले होते हैं और यदि वे विकल दिखते हैं या आप से नज़रें चुराते हैं तो वे वास्तव में झूठ नहीं बोल रहे होते हैं। तो उन पर ये पैमाने सही नहीं बैठेंगे।
  • कुछ लोग झूठ बोलने में बेहद कुशल या यहाँ तक कि पेशेवर झूठे होते हैं। ऐसे लोग अपनी बनाई हुई कहानी को हर बार कुछ इस तरह एकदम सटीक तारीख और समय के साथ बताते हैं, कि वो सच में भरोसे के लायक लगती है ! असल में हमारी यादों को हम जितनी बार भी दोहराते हैं, उतनी बार ही उनमें कुछ ना कुछ और भी जोड़ते जाते हैं, तो यादों को बनाना एक बहुत ही सामान्य क्रिया है लेकिन इस का मतलब हर बार ही किसी को धोखा देना नहीं होता। तो कई बार आप को सिर्फ़ इतना समझने की ज़रूरत होती है कि आप हर बार हर किसी का झूठ नहीं पकड़ सकते।
  • झूठे लोग बहुत ज़्यादा बातें नहीं करते। यदि आप इन से कुछ ऐसा पूछेंगे, क्या आप ने यह किया है? तो वे आप को सिर्फ़ हाँ या ना में जवाब देंगे। और जैसे, क्या आप ने इस बर्तन को तोड़ा है? आपने यह कैसे किया? उन का सच बाहर ला सकते हैं।
  • यदि आप ऐसा बोलते हैं कि "मुझे आप पर भरोसा नहीं है" या फिर "यह सुनने में कुछ ठीक नहीं लग रहा" तो झूठा इंसान अचानक से पागल सा हो जाएगा या फिर सामान्य से भी तेज़ बोलने लगेगा। मौखिक रूप से अपमानजनक बातें करने कि बजाय बातचीत से मसला सुलझाने की कोशिश करें।
  • कुछ झूठे लोग ज़रूरत से ज़्यादा विवरण देते हैं।
  • जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो वह हकलाना या कुलबुलाना शुरू कर देता है और ऐसे लोग आप का खुद पर भरोसा बनाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, जैसे कि: रोना या शिफरिश करना। यह सोच कर कि शायद आप इस पर भी ध्यान देंगे, ये एकदम से आप की आँखों से संपर्क बनाएँगे ।
  • ऐसे लोग जो सच्चाई को नकार कर सिर्फ़ वही देखते हैं जिसे वे देखना चाहते हैं, इन्हें लाक्षणिक रूप से मनोरोगी या सामाजिक रोगी प्रमाणित कर दिया जाता है। इस प्रकार के लोगों को ढूँढने से अच्छा है कि आप इन की इन के द्वारा बनाई हुई झूठी दुनिया से दूर रहें। इस तरह के लोग अपने अलावा किसी के भी बारे में नहीं सोचते और आप की परवाह किए बिना झूठ पर झूठ बोलने से भी नहीं कतराते हैं।
  • ऊपर दर्शाए गए भावों मे से कुछ भाव तब भी पैदा होते हैं जब व्यक्ति बोलने (उदाहरण के लिए, जब चर्चा का विषय जटिल या तनावयुक्त व्यक्ति होता है) पर ज़्यादा ध्यान देता है ।
  • तेज़ी से हुई आँखों की हलचल पर ध्यान दें। झूठा व्यक्ति आप की ओर देखने की कोशिश करता है, लेकिन आप की आँखों से संपर्क साधने की बजाय वह कमरे के चारों ओर देखेगा।
  • जब कथित झूठा व्यक्ति घटनाओं को याद करेगा, तब स्वाभाविक रूप से सोचते समय उन की नज़रें नीचे की ओर झुक जाती हैं। यदि वे आप की ओर घूरते ही रहते हैं और कुछ भी नहीं सोचते तो इस का मतलब कि कहानी का अभ्यास पहले से ही किया जा चुका है और ये झूठ बोल रहे हैं।
  • हर रोज उन से पूछताछ करने की बजाय आप उन से संबंधित प्रश्‍न पूंछ सकते हैं।
  • झूठे लोग धीरे-धीरे संभावित छोटा जवाब देंगे, और हर बार मुँह बंद करते हुए थोड़ा रुकेंगे।
  • शरीर की हलचल, आवाज़ में बदलाव और उन की आँखों को पढ़ें। जब कोई इंसान झूठ बोलता है तो ये सारे बदल जाते हैं।
  • Botox या कोई और प्लास्टिक सर्जरी भी आपका लिए विरोधात्मक और नकारात्मक प्रभाव डालता है। जब आप का चेहरा कॉसमेटिक ट्रीटमेंट (cosmetic traetments) से ढका होगा तो आप के लिए आप की भावनाओं को प्रकट करने में परेशानी होगी...
  • लगातार हुए समझौते पर ध्यान दें। कुछ अनुभवहीन झूठे व्यक्ति आप के द्वारा बोली जा रही बातों के साथ हाँ में हाँ करते जाते हैं। तो किसी को भी सुझाव देने से बचिए। "और उस के बाद जब आप जागें तो सपना ख़त्म हो जाएगा?"
  • यदि आप किसी व्यक्ति को बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं, और आप को यह भी पता है कि वह तनाव में है, तो यहाँ पर उस के सच बोलने की उम्मीद ज़्यादा होगी।

चेतावनी

  • किसी की सत्यवादिता का मूल्यांकन करते समय सावधान रहें। यदि आप हमेशा ही झूठ ढूँढते हैं, तो लोग आप के द्वारा पूछताछ से बचने के लिए आप से दूर ही रहेंगे। हर समय आक्रामक रहना और हर किसी पर शक करना सही नही होगा––यह आप के द्वारा किसी पर भी भरोसे की कमी का संकेत है।
  • कुछ लोग आप की आँखों में आँखें डालकर घूरना पसंद करते हैं, उन से सावधान रहें। हो सकता है उन्होने खुद को इस के लिए प्रशिक्षित किया हो, ये लोग इस तरीके का उपयोग खुद को लोगों की कसौटी पर सच्चा रखने में या फिर किसी ने उन्हें बताया है कि नज़रों के संपर्क से आप खुद को सच्चा साबित कर सकते हैं, तो खुद को सच्चा साबित करने के लिए वे ऐसा करते हैं!
  • कुछ लोगों का गला अक्सर ही सूखा रहता है, तो वे स्वाभाविक रूप से बार-बार अपने गले को तर करने की कोशिश करेंगे।
  • हल्की सी मुस्कुराहट भी सभ्य होने का एक प्रतीक है; इसे व्यक्तिगत रूप से न लें। यदि कोई आप के लिए झूठी मुस्कान देता है, तो इस का एक मतलब यह भी हो सकता है कि वो आप को एक अच्छा इंसान मानकर और आप के लिए आदर दिखा कर आप पर अपना एक अच्छा प्रभाव डालना चाहता है या चाहती है।
  • शारीरिक हावभाव भी एक अच्छा संकेत है; यह एक तथ्य नहीं है। किसी भी व्यक्ति को उस के शारीरिक भाव या कहानियों के कारण दंड ना दें। निर्णायक परिणाम देने से पहले हमेशा ही ठोस सबूत पाने की कोशिश करें। इस के अलावा, किसी को भी इस तरह से झूठा ना बनाएँ क्योंकि आप को लगता है कि " इसे गंभीरता के साथ न ले कर के आप मूर्ख साबित हो जाएँगे" अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को अलग रख के, तथ्यों, मकसद और उचित परिणाम को देखें। हालाँकि यदि आप को महसूस होता है कि किसी ने आप को धोखा दिया है और आप से कुछ इस तरह झूठ बोला है कि आप दुखी महसूस कर रहे हैं, या आप किसी को झूठा दर्शाना चाहते हैं क्योंकि आप को लगता है कि आप का न्याय सही है, तो आप को ऐसा महसूस करने का पूरा हक है।
  • पूछताछ से पता चला है कि कथित झूठे व्यक्ति के साथ उस की मात्रभाषा में ही बात करना चाहिए, जैसे कि दूसरी भाषाओं में वे अपनी भावनाओं (बोलचाल में और हावभाव में भी) को सही रूप से व्यक्त नहीं कर सकते, यदि दूसरी भाषा में प्रश्‍न पूछा जाए ।
  • कुछ व्यक्ति यदि प्रसाधन (toilet) जाना चाहते हैं या फिर बहुत ठंडा या गर्म महसूस कर रहे हैं, तो भी कुलबुला जाते हैं।
  • किसी की असमर्थता के बारे में सावधान रहें। किसी की असमर्थता उस के बातचीत के तरीकों को प्रभावित करती हैं, तो समर्थ व्यक्तियों के मानकों को उन पर भी लागू करना सही नहीं होगा। यह जानने की कोशिश करें कि वे सामान्य हालात में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और फिर उन के विचलन पर ध्यान दें।
    • अपने ही विचारों में खोए रहने वाले लोग (Autistic people) (जिनमें सामाजिक रूप से दूर लोग भी शामिल हैं) अपनी शारीरिक भावों के अनुरूप ही घबराते हैं और आँखों के संपर्क से बचते हुए पाए जाते हैं।
    • चिंता (सामाजिक चिंता या PSTD) भी झूठ बोलने के जैसे प्रतीत हो सकती है; कुछ व्यक्ति नज़रों के संपर्क से बचते हुए पाए जा सकते हैं, लोगों से बच सकते है और परेशान प्रतीत हो सकते हैं।
    • बहरे या कम सुनने वाले व्यक्ति आप की आँखों की जगह आप के मुँह की तरफ आप के होंठों से शब्द पढ़ने के लिए या आप की बातों को और भी अच्छी तरह से समझने के लिए देखेंगे।
    • जल्दी बात करना द्विध्रुवी ( गहरे अवसाद) वाले लक्षण में शामिल हैं। जब तक आप यह सुनिश्चित ना का लें कि वह झूठ बोल रहा है तब तक उस पर आरोप ना लगाएँ ।

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