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दयालु होना अपने और दूसरों के भी जीवन को अर्थपूर्ण बनाने का एक महत्वपूर्ण गुण है। दयालु होना हमें बेहतर ढंग से बातचीत करने, अधिक संवेदनशील बनने, और लोगों के जीवन में एक आशावादी प्रभाव डालने योग्य बनाता है। दयालुता का स्रोत आपके अंदर ही गहराई में है, और जहां कुछ लोग नैसर्गिक रूप से दयालु होते है, वही कोई भी अपनी पसंद से इसे विकसित कर सकता है।
चरण
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सचमुच में लोगो की चिंता करें: बिलकुल प्रारंभिक तौर पर दयालुता अपने आसपास के लोगों की सचमुच चिंता रखना, उनसे सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करना, और उनमे अपने जैसी ही चाहतों, जरूरतों, आकांक्षाओं और यहाँ तक कि डरों को पहचानना। दया उष्ण, लचीली, धैर्यवान, विश्वास करने वाली, वफ़ादार और कृतज्ञ है। [१] X रिसर्च सोर्स Piero Ferrucci, <i>The power of kindness</i>, p. 8 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4 पिएरो फेरुची के अनुसार दयालुता का अर्थ है "कम प्रयत्न करना" क्योंकि यह हमें नकारात्मक व्यवहार और नाराजगी, जलन, शंका और धोखेबाजी के बंधन से आजाद करती है। [२] X रिसर्च सोर्स Piero Ferrucci, <i>The power of kindness</i>, p. 9 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4 अंत में दयालुता सभी के लिए गहराई से चिंतित होना या ध्यान रखना है।
- दूसरों के प्रति दयालुता और उदारता का अभ्यास करें। अभ्यास रहित होना, शर्मीला होना, या अनजान होना कि किसी की ओर कैसे मदद का हाथ कैसे बढाना है, इन पर अभ्यास से और निरंतर प्रयास कर के ही पार पाया जा सकता है। तब तक जब तक दयालु होना और दूसरों को देना आपके लिए स्वाभाविक न हो जाये।
- बदले में कुछ न चाहें। महानतम दयालुता कोई उम्मीद नहीं रखती, बिना किसी दाँव-पेच के आती है और बिना किसी जगह या शर्त रखे या किये आती है।
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अपनी चाहतों को पाने के लिए दयालु न बनें: मोहित दयालुता से सावधान रहें। "खुद के स्वार्थ साधने हेतु शीलता, सोची समझी उदारता, दिखावटी शिष्टाचार" का दयालुता से कोई सम्बन्ध नहीं है। [३] X रिसर्च सोर्स Piero Ferrucci, <i>The power of kindness</i>, p. 7 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4 लागों के साथ सिर्फ इसलिए अच्छा व्यवहार करना कि आपको विश्वास है की ऐसा करने से धोख़े खा के वे आपको आपकी चाही वस्तु दे देंगे, या किसी को नियंत्रित करने के लिए ऐसा करना दयालुता नहीं है। अपने अपमान और गुस्से को दबा कर किसी की चिंता का दिखावा करना; झूठी खशियों के पीछे अपना गुस्सा और निराशा को छुपाना भी दयालुता नहीं है।
- अंत में यही कहना होगा कि किसी को खुश करना दयालुता नहीं है; यह अपनी पराजय स्वीकार करना और यह मान के आगे न बढ़ना है कि आप सफल नहीं होंगे।
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स्वयं के प्रति दयालु बनें: कई लोग दूसरे के प्रति दयालु होने का प्रयत्न करते हुए खुद के प्रति दयालु ना होने की भूल करते है। बहुत बार इसका कारण खुद की कोई बात पसंद न होना हो सकता है, पर अधिकतर, इसका कारण खुद को बेहतर जानने की असमर्थता होती है। और दुर्भाग्यवश, जब आप खुद तो अंदर से समर्थ महसूस नहीं करते, तो आपकी दयालुता इसके पहले चरण में बताई गयी मोहित दयालुता के किसी प्रकार की होगी। या इसमें मोहभंग या बर्बाद होने की सम्भावना बढ़ जाती है क्योंकि आपने बाकि सबको अपने आगे रखा है।
- खुद का ज्ञान आपको अपने दर्द और टकराव के कारणों को जानने में समर्थ बनाता है, और आपको अपने विरोधाभासों और विसंगतियों को स्वीकार करने में सहायता करता है। ये आपको मौका देता है कि आप अपनी उन बातों में सुधार कर सके जिनसे आप खुश नहीं हैं। खुद का ज्ञान आपको दूसरों के सामने अपने नकारात्मक पक्ष को उजागर करने से बचाता है, यह आपको दूसरों के साथ प्यार और दया का व्यवहार करने की शक्ति देता है। [४] X रिसर्च सोर्स Stephanie Dowrick, <i>Choosing Happiness</i>, p. 55, (2005), ISBN 1-74114-521
- स्वयं के प्रति जागरूक बनने के लिए समय निकाले और इस सीख का स्वयं के (याद रखते हुए की कमजोरियाँ हम "सभी" में होती है और दुसरो के प्रति दयालु होने में उपयोग करें। आपको अपना चोट और दर्द को दूसरों को दिखाने पर मजबूर करने बजाय इस तरीके से आपके आंतरिक गुस्से का समाधान होता है।
- अपनी खुद की जरूरतों और सीमाओं को अधिक समझने पर लगाये हुए समय को स्वार्थी नजरिये से दखने से बचें; इसके उलट, यह लोगों तक शक्ति और जानकारी के साथ पहुचने के साम्यर्थ की एक अति अतिमहत्वपूर्ण पूर्व शर्त है।
- स्वयं से पूछे की स्वयं के प्रति अधिक दयालु होने का आपके लिए क्या अर्थ है। बहुत से लोगों के लिए, अपने विचारों में चलने वाली बातचीत पर नजर रखना और नकारात्मक सोच रोकना भी खुद के प्रति दयालु होने में शामिल है।
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दूसरों से दयालुता सीखें: अपने जीवन में उपस्थित सचमुच दयालु लोगों के बारे में सोचे और सोचे कि वे आपको कैसा महसूस करवाते हैं। क्या आपका ह्रदय हर बार उनके बारे में सोच कर ख़ुशी के अहसास से भर जाता है? संभवतः आप ऐसा महसूस करते है क्योकि दयालुता बनी रहती है, और आपके सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए भी आपको सुखद अहसास करवाती है। जब लोग आपको आपके होने के लिए प्यार करने का रास्ता ढूंढ लेते हैं, ऐसे विश्वास और अपनी कीमत की स्वीकृति भूलना असंभव है, और उनकी दयालुता हमेशा जिन्दा रहती है।
- याद करिये कैसे किसी और की दयालुता "आपका दिन खुशनुमा बना देती है"। उनकी दयालुता से कैसे आपको विशेष और प्रोत्साहित महसूस करवाती है? क्या उनकी कुछ ऐसी बातें है जिन्हे आप अपने दिल से दोहरा सकते हैं?
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खुद अपनी भलाई और स्वास्थ्य के लिए दयालुता विकसित करें: बेहतर मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और ख़ुशी अधिक सकारात्मक सोच से आती है, और दयालुता एक सकारत्मक मानसिक अवस्था है। वैसे दयालुता देने और खुलेपन(उपलब्ध होने) का नाम है, देने पर दयालुता हमें भलाई की भावना और खुद से जुड़ाव का अहसास करवाती है जिससे हमारी मानसिक अवस्था और स्वास्थ्य बेहतर बनते है।
- सामान्य होने पर भी दयालु होने का साम्यर्थ स्वयं में एक शक्तिशाली और निरंतर पुरस्कार है, और एक आत्म सम्मान वर्धक है। [५] X रिसर्च सोर्स Stephanie Dowrick, <i>Choosing Happiness</i>, p. 4, (2005), ISBN 1-74114-521
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दयालुता पर ध्यान केंद्रित करने की आदत बनाये: लियो बबौटा (Leo Babauta) कहते हैं कि दयालुता एक आदत है और एक ऐसी आदत है जिसे हर कोई विकसित कर सकता है। वो एक महीने तक रोज दयालुता पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं। इस निर्देशित ध्यान केंद्रण के अंत में, आप अपने जीवन में गहन परिवर्तनो के प्रति जागरूक बनेंगें, एक व्यक्ति के तौर पर आप स्वयं के बारे में बेहतर महसूस करेंगे, और आप अपने प्रति लोगो की प्रतिकिया में भी अंतर पाएंगे, जिसमें आपसे ज्यादा अच्छा व्यवहार भी शामिल है।उनके कहे अनुसार, दीर्घकाल में, दयालु होना अभ्यास में कर्म है। [६] X रिसर्च सोर्स स्वयं में दया का विकास करने की सलाहें निम्न है:
- किसी के लिए रोज एक दयापूर्ण कार्य करें: दिन की शुरुवात में ही एक सचेत निर्णय करें कि वह दयापूर्ण काम क्या होगा और दिन के दौरान उसे करने का समय निकाले।
- किसी से बात करते समय दयावान, दोस्ताना और करुणाशील रहें, और तब और भी ज्यादा जब आप ऐसे व्यक्ति के साथ हो जिसके साथ आपको गुस्सा, तनाव या चिंता हो जाती हो। दयालुता को अपनी ताकत के रूप में उपयोग करें।
- अपने छोटे दया के कृत्यों को एक बड़े करुणाशील कृत्य में परिवर्तित करें। जरूरतमन्दो के पास स्वयं मदद के लिए जाना और पीड़ा का निदान करने की पहल करना करुणाशीलता के बड़े कृत्य हैं। [७] X रिसर्च सोर्स
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सबके प्रति दयालु बने, सिर्फ "जरूरतमंदो" के लिए नहीं: अपने दयालुता के समुदाय को बढ़ाये। दयालु होना बहुत आसान हो जाता है जब हम अनजाने में ऐसा करते हैं जिसे स्टेफ़नी डौरीक ने "संरक्षण दयालुता(patronizing kindness)" कहा है। [८] X रिसर्च सोर्स Stephanie Dowrick, <i>Choosing Happiness</i>, p. 357, (2005), ISBN 1-74114-521 इसका अर्थ है उन लोगों के प्रति दयालु होना जिनके बारे में हमें लगता है कि वे सच में जरूरतमंद हैं (बीमार, गरीब, कमजोर और वे हमारे स्वयं के आदर्शों के अनुरूप हैं)। अपने भावनात्मक रूप से निकट के लोगों (जैसे मित्र या परिवार) या अन्य निकट के लोगों के प्रति (एक ही देश, रंग, लिंग आदि) के प्रति दयावान भी दार्शनिक हेगेल द्वारा "दूसरे" कहे गए लोगो से ज्यादा आसान है। ऐसे लोग जिन्हे हम बराबरी का मानते है दयावान होना अधिक मुश्किल है, पर होना अच्छा है।
- अपनी "सुविधा" के अनुसार दयाभाव को सीमित करना की कठिनाई ये है की हम ये समझने में असफल हो जाते है कि हमें सबके प्रति दयावान होना चाहिए, वे कौन है, उनके धन और भाग्य का स्तर क्या है, उनके मूल्य और विश्वास क्या हैं , उनका व्यवहार और रैवैया कैसा है, वे कहाँ के है, और उनके हमारे जैसे होने की सम्भावना क्या है, आदि इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता।
- सिर्फ उन लोगों के प्रति दयावांन होने का चुनाव जिनके बारे में हम सोचतें है कि वे दया योग्य हैं, हम अपना निर्णय और पूर्वाग्रहों को ही पोषित करेंगे, और सिर्फ बशर्त दयालुता का अभ्यास करेंगे। स्वाभाविक दयालुता सभी को अपने में सम्मिलित करती है। इसे बड़े स्तर रखने और अभ्यास करने पर आप कई चुनौतियों का सामना करेंगे और प्रयत्न करेंगे, अपने दयालु हो सकने की गहराई के बारे में आप निरंतर सीखते ही रहेंगे।
- यदि आप किसी और के प्रति दयालु होने की उपेक्षा इसलिए कर रहे है कि आपको लगता है कि वो आप आपके सहारे या समझ के बिना उबर सकते है, तो आप पसंद की दयालुता का अभ्यास कर रहे है।
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निर्णय को कम से कम करिये: यदि आप सच में दयावान होना चाहते है, तो आपको अपने निर्णय को पीछे छोड़ना होगा। किसी के प्रति आलोचनात्मक होने में अपना समय खर्च करने के बजाय सकारात्मक और करुणामय बनने पर काम करें। अगर आप दूसरों को नीचे समझते हैं, चाहते है की दूसरों को सुधरने की जरूरत है या महसूस करते है की आपके आसपास के लोग जरूरतमंद या अनभिज्ञ है, औ आप कभी सच्ची दयालुता नहीं सीखेंगे। लोगों के बारे में निर्णय करना बंद करें और समझे कि आप कभी नहीं समझेंगे कि वे कहाँ से आ रहे है, जब तक आप एक दिन के लिए खुद को उनकी जगह नहीं रखते। लोगों को जैसे है, उससे बेहतर होने चाहिए थे इस बात पर निर्णय करने की बजाय दूसरों की मदद करने की चाहत रखने पर ध्यान केंद्रित करें।
- अगर आप निर्णयात्मक है, गपशप के शिकार है, या हमेशा अपने आसपास के लोगों के बारे में बुरा बोलते है, तो आप कभी भी दयालु हो पाने की आपकी सीमा को पार नहीं कर पायेंगें।
- दयालु होने का अर्थ है लोगो को संदेह का लाभ देना नाकि उनसे बिलकुल ठीक होने की उम्मीद करना।
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दूसरों के प्रति दयावान बने: "सभी एक कठिन युद्ध लड़ रहे है, सबके प्रति दयावान बनें" यह सन्देश याद रखे।प्लैटो द्वारा दिया ये सन्देश हमें याद दिलाता है कि सभी अपने जीवन में किसी चुनौती का सामना कर रहे हैं और यह कि अपने गुस्से और झगड़ों में उलझ कर इस बात को भुला देना बहुत आसान है। ऐसा कोई काम करने से पहले जिसका किसी व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव होगा, खुद से एक आसान सवाल करे: "क्या यह दयापूर्ण है?"। यदि आप इसका सकारात्मक उत्तर नहीं दे पा रहे, तो यह आपको आपके कृत्य और दृष्टिकोण को तुरंत बदलने की चेतावनी है।
- चाहे आप बहुत बुरा महसूस कर रहें हों, याद रखे कि और लोग भी अनिश्चितता, पीड़ा, मुश्किल, उदासी, निराशा और नुकसान महसूस कर रहें हैं। इससे आपकी तकलीफ किसी भी तरह कम नहीं होगी लेकिन इससे आप समझ पायेंगें कि लोग अधिकतर अपनी पीड़ा या चोट खाने की वजह से प्रतिक्रिया करते हैं, अपने पूरे व्यक्तित्व की वजह से नहीं, और तीव्र भावनाओं पर देख पाने और अंदर के व्यक्ति को समझने और उससे जुड़ने में दयाभाव ही आपकी सहायता करता है।
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पूर्णता की आशा मत रखे: यदि आपका पूर्णता,प्रतियोगितात्मकता की ओर झुकाव है या हर काम तात्कालिक तौर पर करने की प्रवत्ति है, तो स्वयं पर दयाभाव पर आपकी तेज गति और महत्वाकांक्षा का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, और खुद को आलसी या स्वार्थी ठहराने का भी भय रहेगा। [९] X रिसर्च सोर्स Stephanie Dowrick, <i>Choosing Happiness</i>, p. 341, (2005), ISBN 1-74114-521 जब चीजे चाहत के अनुरूप न हो तो गति धीमी करके खुद को माफ़ करना याद रखें।
- स्वयं को दोषी ठहराने और पछताने या खुद की दूसरों से तुलना करने की बजाय अपनी गलतियों से सीखें। [१०] X रिसर्च सोर्स Stephanie Dowrick, <i>Choosing Happiness</i>, p. 279, (2005), ISBN 1-74114-521 स्वयं के प्रति करुणाशील प्रतिक्रियाओं की सहायता से ही आप दूसरे लोगो की जरूरत को करुणाशीलता से देख सकेंगे।
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उपस्थित रहे: दूसरे व्यक्ति के लिए दयालुता का महानतम उपहार है, उनके पास उस समय पर होना, ध्यान से उनकी बात सुनना, और सच में उनकी बात पर दिन देना। अपने दिन को अलग ढंग से सूची बना कर नियोजित करे, और ऐसे व्यक्ति के रूप में न पहचाने जाये जो हमेशा जल्दी में रहता है। उपस्थित रहने का अर्थ है, उपलब्ध रहना; ऐसा आप किसी भी काम या लोगों के साथ हड़बड़ी न मचा कर ही कर सकते है।
- दूसरो से संपर्क के लिए संचार के तकनीकी साधनों का उपयोग सीमित रखें। टेक्स्ट और ईमेल जैसे अव्यक्तिगत और तीव्र सम्पर्क साधनों का जीवन में अपना स्थानं है, पर यह सम्पर्क का एक मात्र साधन नहीं है। लोगों से आमने सामने मिलने या निर्वघ्न फ़ोन कॉल द्वारा संपर्क करने का समय निकाले। किसी को ईमेल के बजाय पत्र भेज कर कागज पर पेन चलाने की अपने दयाभाव से हतप्रभ कर दें।
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अच्छे श्रोता बनें: हमारे तेज गति संसार में सुनना उससे कहीं आसान है जैसे किया जाता है, जहाँ भाग दौड़ करना और व्यस्त रहना नैतिक गुण हैं;जहाँ अपनी अधिक व्यस्तता या कहीं और पहुचने की जल्दी के कारण किसी से सम्पर्क तोड़ना नियम है। इस पर भी व्यस्त होने की आदत बना लेना दयाहीन होने का बहाना नहीं हो सकती। किसी से बात करते समय, अपने पूरे ध्यान(अस्तित्व) से सुने और उन पर पूरा ध्यान रखें जब तक वो अपने विचार या कहानी पूरी न कर लें।
- सचमुच किसी को सुनना, आँखों से सम्पर्क बनाना, सभी ध्यान भटकने वाले कारणों से बचना, और एक व्यक्ति को अपना समय देना दयालुता का महानतम कृत्य है। पहले से तैयार जवाब देने या बीच में रोकने के पहले व्यक्ति क्या कह रहा है समझने के लिए समय निकाले। व्यक्ति को प्रदर्शित करें की आप उसकी स्तिथि समझते हैं और उसकी बात सुनने के लिए तैयार हैं।
- अच्छे श्रोता होने का अर्थ यह नहीं है कि आप एक अच्छे समस्या का निदान करने वाले हैं। कई बार, आप जो सबसे अच्छा कर सकते है वो है सुनने के लिए उसके साथ होना और स्वीकार करना कि आप नहीं जानते कि उस व्यक्ति को क्या करना चाहिये।
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आशावादी बने: ख़ुशी, आनंद और कृतज्ञता दयालुता के ह्रदय में रहते है, ये आपको दूसरों और संसार में अच्छाई देखना सिखाते है। यह आपको देखे और अनुभव चुनौतियों, निराशा और क्रूरता से पार पाने सामर्थ्य प्रदान करता है, और लगातार मानवता में विश्वास बनाये रखने के लिए निरंतर प्रेरित रखता है। दयापूर्ण काम सचमुच आनंद और ख़ुशी के साथ किये जाये नाकि अरुचि या सेवा या कर्तव्य की मजबूरी के कारण आशावादी रवैया बनाये रखना इसे सुनिश्चित करता है। मजाकिया स्वभाव रखें सुनिश्चित करता है कि आप अपने आप को बहुत गंभीरता से न लें और जीवन में आने वाले विपरीत और विरोधाभासी पलों को अच्छी भावना से लें।
- आशावादी होना हमेशा आसान नहीं होता, विशेषतः जब आपका दिन ख़राब हो। पर पर्याप्त अभ्यास से कोई भी नकारात्मक के बजाय सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करके, आने वाले भविष्य की खुशियो के बारे में सोच के, और उदासी की जगह खुशियों भरा जीवन के आशावादिता विकसित कर सकता है। और चीज़ों के अच्छे पहलु की ओर देखने के पैसे भी नहीं लगते।
- आशावादी होना और सकारात्मक बने रहना न सिर्फ आपको अधिक दयालु मानसिक स्तिथि में पंहुचा देता है, पर यह आपके आसपास के लोगों को भी आनंदित कर देता है। यदि आप ज्यादातर समय शिकायत करने में बिताते हैं, तब आपके आसपास के लोगों को खुश करना और मुश्किल हो जाएगा।
- आशावादिता विकसित करने के लिए कैसे खुश रहे, कैसे हसमुँख रहे, और कैसे कृतज्ञ रहे आदि विषयों पर अधिक जानकारी जुटाने के लिए पढ़ें।
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दोस्ताना रहे: दयावान लोग दोस्ताना भी होते है। इसका यह अर्थ नहीं है कि कमरे में ये लोग सबसे ज्यादा बाहर जाने का शौक रखते हैं, पर ये लोग ये नए लोगों को जानने का प्रयास करते है और इन्हे अपने घर में ही होने का अहसास करवाते हैं। अगर आपके विद्यालय या कार्यस्थल पर कुछ नया हो रहा है, आप इस व्यक्ति से बात कर सकते हैं, उसे समझा सकते है की क्या कैसे होता है, और उसे किसी सामाजिक आयोजन के लिए निमंत्रित भी कर सकते हैं। अगर आप बाहर जाने के शौक़ीन न भी हों, सिर्फ मुस्कुराना और लोगों से थोड़ी बात करना भी आपको अधिक दोस्ताना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, और यहाँ दयाभाव अनदेखा नहीं किया जा सकता।
- दोस्ताना लोग दयालु होते हैं: क्योंकि ये लोगों से सर्वश्रष्ठ की उम्मीद करते हैं। ये नए लोगों और दोस्तों से एक ही तरह के आसान और आश्वस्त करने वाले तरीके से बात करते है जिससे उन्हें अपनापन महसूस होता है।
- अगर आप स्वाभाविक रूप से शर्मीले हैं: आपको अपना व्यक्तित्व पूरी तरह बदलने की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा अधिक प्रयास करके लोगों की ओर अधिक ध्यान दें, उनसे हालचाल पूछे और उनमें रूचि दिखाएँ।
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विनम्र बने: यद्यपि विनम्र होना स्वयं में दयालुता का संकेत नहीं है, पर सच्ची विनम्रता आपका उन लोगों के प्रति सम्मान दिखाती है जिनसे आप बात कर रहे है। विनम्रता लोगों का ध्यान आकर्षित करने और अपनी बात रखने का एक दयापूर्ण तरीका है। यह करने के कुछ आसान उपाय निम्न हैं:
- लोगों से किये जाने वाले अपने अनुरोधों और प्रतिक्रियाओं के शब्दों में फेर बदल करने के तरीके ढूंढे: उदाहरण के लिए, "क्या मैं?" की बजाय कहिये "क्या मुझे इजाजत है?", "यह ठीक नहीं है " की जगह कहिये "मैं आश्चर्यचकित हूँ", "मैंने ऐसा नहीं कहा" की बजाय कहें "मैं इसे अलग तरह से समझाता हूँ"। शब्दों में फेरबदल आपके कहे शब्दों को अधिक विनम्र बना देगा।
- श्रेष्ठ शिष्टाचार रखें: लोगों के लिए खुले दरवाज़े को पकड़ें रखे, व्यक्तिगत रूप से अधिक अश्लील होने से बचें और नए लोगों से अधिक अतरंग न हों।
- सच्ची प्रशंसा करें।
- ज्यादा उपायों के लिए भद्रता और दयालुता का अभ्यास कैसे करे, पर पढ़े।
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आभारी बनें: वे लोग जो सच में दयालु हैं वे आसानी से आभार व्यक्त कर पाते हैं। वे किसी भी चीज़ को हलके में नहीं लेते और हमेशा मदद करने की लिए लोगों को धन्यवाद देते हैं। वे जानते हैं कि "धन्यबाद" कैसे कहें और आपका मतलब भी वो ही हो, वे धन्यबाद पत्र(thank-you cards) लिखते है, और वे यह मानने में सहज होते हैं कि उनकी मदद की गयी है। वे लोग जो आभारी रहते हैं, वे लोगों को सिर्फ अपना दिन खुशनुमा बनाने के लिए भी धन्यवाद कहतें है, बजाय किसी विशेष काम को पूरा करने के लिए धन्यवाद करना। यदि आप अपने आसपास के लोगों के प्रति अधिक आभार मानने की आदत बना लेते है, तो आप देखेंगे की आपकी दयालु होने की क्षमता बढ़ गई है।
- अगर आप दूसरों के द्वारा आपके लिए किये जाने वाले अच्छे कामों को ज्यादा ध्यान से देखेंगे, तो आप दूसरों के लिए अच्छे काम करने के लिए ज्यादा तैयार होंगे। आप इस बात के प्रति ज्यादा जागरूक होंगे कि कैसे दूसरों का दयाभाव आपको बेहतर महसूस करवाता है और आपका झुकाव प्रेम के प्रसार की तरफ बढ़ेगा।
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जानवरों और जीवंत संसार से प्रेम करें: जानवरों से प्रेम और पालतू जानवरों की देखभाल दयालुता का क्रियान्वयन है। अन्य प्रजातियों की देख वाल करने के लिए कोई आपको मजबूर नहीं करता, विशेषकर आज के दिनों और युग में जब मानव प्रभुत्व के इतने शक्तिशाली साधन उपलब्ध है। और फिर, भी जानवरों को उनके ही रूप में प्यार करना और उनके प्रति आदरभाव रखना स्वयं में गहन दया का प्रदर्शन है। ये भी, कि उस संसार के प्रति दयावान होना जो हमारा पालन करके हमें बनाये रखता है, समझदारी है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उन्ही तत्वों में जहर न फैलाएं जो हमारे स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करते हैं।
- एक जानवर को गोद लें या पालन पोषण करें: आपका दयाभाव एक अन्य जीव के आपके जीवन में प्रवेश से पुरस्कृत होगा जो आपके लिए खुशियाँ और आनंद लेकर आएगा।
- किसी बाहर जा रहे मित्र को उसके पालतू पशु को रखने का प्रस्ताव दें:अपने/अपनी मित्र को आश्वासन दे कि जब वह दूर होगा/होगी तो कोई प्रेम और ध्यान से उसके पालतू पशु को देख रेख करने वाला होगा।
- अपने द्वारा देखभाल किये जा रही प्रजाति क सम्मान करे: मानव जानवरों के "मालिक" नहीं होते; बल्कि, हमारा उनसे उनकी भलाई करने और ध्यान रखने का रिश्ता होता है।
- अपने आस पड़ोस के समुदाय को साथ लेकर स्थानीय पर्यावरण के कुछ हिस्सों को पुनः स्थापित करने का प्रयास करें: अपने परिवार, मित्रो या अकेले ही प्रकृति में टहलने जाए और जिस संसार का आप हिस्सा है उस से बातचीत करें। प्रकृति के प्रति अपने प्रेम के बारें में दूसरों को बताएं, इस से उनमें भी प्रकृति से सम्बन्ध को लेकर उनकी भावना पुनर्जागृत होगी।
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बाटें: वे लोग जो दयालु होतें है दूसरों के साथ बाँट कर खुश होते है। आप अपना पसंदीदा स्वेटर, किसी स्वादिष्ट पकवान का आधा हिस्सा, या किसी उम्र में छोटे व्यक्ति से आजीविका के बारे में आपकी राय बाँट सकतें है। यह महत्वपूर्ण है कि आप कोई ऐसी चीज बांटे जिसकी आपको परवाह है ना कि ऐसा कुछ दे देना जिसकी आपकी वास्तव में जरूरत ही न हो। कोई ऐसी चीज जो आप कभी न पहनने वाले हो उसकी अपेक्षा अपना पसंदीदा स्वेटर देना कही अधिक अर्थपूर्ण है। लोगों के साथ बांटने से आप में उदारता बढ़ेगी और इससे आपका झुकाव दयशीलता को ओर बढ़ेगा।
- ऐसे लोगों पर निगाह रखिये जिनका आपकी कुछ चीजों से फायदा हो सकता है: हमेशा वे आपसे मांगने नहीं भी आ सकते, पर आप स्वयं उनके यह स्वीकार करने से पहले की उन्हें आपसे कुछ चाहिए उस वस्तु की पेशकश कर सकते है।
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ज्यादा मुस्कुराइए: मुस्कुराना दयालुता का एक साधारण कृत्य है जिसका स्वयं में बड़ा महत्व है। अजनबियों, या अपने दोस्तों या परिचितों की तरफ देख कर मुस्कुराने की आदत बनाइये। यद्यपि आपको अपने चेहरे पे मुस्कुराहट चिपका कर नहीं घूमना है, किसी की ओर देखकर मुस्कुराने से वह भी आपकी तरफ देखकर मुस्कुराएगा, और उनके दिन में थोड़ी ख़ुशी भी भर देगा। इस प्रकिया में आपकी दयालुता का विकास होगा।
- लोगों के और देख कर मुस्कुराने से वे सुखद महसूस करतें है और आप अधिक सुगम्य दिखतें हैं, जो दयालु होने का एक और तरीका है। दुसरो का स्वागत करने वाले बन कर, और यहाँ तक की अजनबियों की ओर देख कर मुस्कुराकर, उन्हें भी संदेह का लाभ देना, दयावान होने का एक अन्य तरीका है।
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लोगों में रूचि लें: लोग जो सचमुच दयालु होते हैं, वे दूसरे लोगों में सच्ची रूचि दिखाते हैं। वे उन के प्रति इसलिए दयावान नहीं होते क्योकि जो वे चाहते है वह मिल रहा होता है या उन्हें किसी सहायता की तलाश होती है। वे ऐसा करते है क्योकि वे इस बात की सच में परवाह करते है कि लोग कैसे है और चाहते है की उनके आसपास के लोग खुश और स्वस्थ रहे। अधिक दयालु बनने के लिए, दूसरे लोगों में रूचि लेना सीखने पर काम करें, और उनकी तरफ ध्यान देकर, प्रश्न पूछ कर और उनकी बात सुन कर दिखाए की आप उनकी परवाह करते है। लोगों में रूचि लेने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- सही मायने में लोगों से पूछे कि वे कैसे है।
- लोगों से उनके परिवार, शौक और रुचियों के बारें में पूछे।
- यदि कोई व्यक्ति जिसकी आपने परवाह की हो और उसके जीवन में कोई बड़ी घटना/आयोजन हुआ हो, तो उससे पूछे कि वह कैसा हुआ।
- अगर कोई जानने वाला एक बड़ी परीक्षा या साक्षात्कार का सामना करने वाला है, तो उसे शुभकामनायें दें।
- जब आप लोगों बात करते हैं, सुनिश्चित करें कि कम से कम आधा वार्तालाप वे लोग करें। एक वार्तालाप पर एकाधिकार ना बनाये और स्वयं से ज्यादा ध्यान दूसरे व्यक्ति पर केंद्रित करें।
- आँख मिला कर बात करें और अपना मोबाइल फ़ोन बंद कर दें। उन्हें दिखाएँ कि वे आपकी पहली प्राथमिकता हैं।
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बिना किसी कारण के किसी मित्र को फ़ोन करें: एक अच्छे मित्र को फ़ोन करने के लिए आपको हमेशा किसी कारण की जरूरत नहीं है। हर हफ्ते एक मित्र को फ़ोन करने का लक्ष्य बनायें, या दो मित्रो को भी, सिर्फ उनसे संपर्क करने और उनका हालचाल जानने के लिए। योजना बनाने या कोई विशेष बात पूछने के लिए फ़ोन न करें; सिर्फ इसलिए फ़ोन करे कि आप उन्हें याद करते हैं और उनके बारे में सोच रहे थे। बिना किसी कारण के किसी मित्र से संपर्क करने पर उन्हें लगेगा की आपको उनकी परवाह है और आपको अच्छा महसूस; यह दयाभाव और विचारशीलता दिखाता है।
- यदि आपके पास सच में बहुत कम समय है, आप अपने मित्रों को उनके जन्मदिन पर फ़ोन करने की आदत बना सकते हैं। आलस छोड़े और टेक्स्ट मैसेज भेजें या फेसबुक पोस्ट भी, पर अपने मित्र को फ़ोन दिल से करें।
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अपनी चीजों का दान करें: अपनी कुछ चीजों का दान करना दयालु बनने का एक और तरीका है। अपनी पुरानी चीजों को फेंकने या उन्हें किसी कबाड़ी को सस्ते में बेचने के बजाय, गैर जरूरती चीजों को किसी अच्छे कारण के लिए दान करें। अगर आपके पास कपडे, किताबें, या अन्य घरेलु सामान अच्छी अवस्था में है, तो उन्हें जमा करके रखने या फेंक देने की बजाय दान करने की आदत बनाना, अपनी दया को दूसरों तक पहुचने का एक बहुत अच्छा तरीका है।
- यदि आपके पास कुछ कपड़े या किताबें है, जो आप जानते है कि अमुक व्यक्ति के काम आ सकती हैं, तो उस व्यक्ति को इन चीजों का दान करने में शर्म न करें। यह दयालु बनने का एक और तरीका है।
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दयालुता का बिना सोचा समझा काम करें: "दयालुता के किसी बिना सोचे समझे काम को अंजाम दें, बिना किसी प्रतिफल की उम्मीद के, जो आपकी जानकारी में सुरक्षित हो कि एक दिन कोई आपके लिए भी ऐसा ही करेगा।" ये राजकुमारी डायना द्वारा एक बार कहे गए शब्द हैं। दयालुता के बिन सोचे समझे कृत्यों का अभ्यास जीवंत अभ्यास है और अधिक दयालुता फैलाने का एक सचेतन प्रयास है; कुछ ऐसे समूह भी है जो अपने आवश्यक नागरिक कर्तव्यों को निभाने के लिए बने है! [११] X रिसर्च सोर्स . ये रहे बिना सोचे समझे किये जा सकने वाले दयालु कृत्यों के कुछ बेहतरीन उपाय:
- अपने मित्र की कार की धुलाई करें।
- किसी को भारी बैग उठाने में मदद करें।
- किसी के दरवाजे पर कोई उपहार रख दें।
- कार्यस्थल पर किसी निम्न श्रेणी कर्मचारी को उपहार दें।
- बिन समझे दया के कृत्यों का अभ्यास करने के लिए, How to practice random acts of kindness(बिन समझे दया के कृत्यों का अभ्यास कैसे करें) पढ़े।
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दयालुता के माध्यम से अपना जीवन पूरी तरह बदलें: आप कैसे जीतें है और कैसे दुनिया को देखते है, इसे बदलना चुनौतीपूर्ण लग सकता है। पर एल्डस हक्सले की जीवन को बदलने पर दी गई सलाह पर एक नजर डालें:""लोग मुझसे बहुत बार पूछते है कि जीवन बदलने की सबसे प्रभावी तकनीक क्या है। इतने वर्षों के अनुसंधान और प्रयोगों के बाद यह कहने में थोड़ा संकोच होता है, मुझे कहना होगा सबसे अच्छा जवाब है-बस थोड़ा सा अधिक दयालु बने।"" [१२] X रिसर्च सोर्स Piero Ferrucci, <i>The power of kindness</i>, p. 11 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4 हक्सले के कई वर्षों के अनुसन्धान को दिल से स्वीकार करे और दयाभाव को, आक्रात्मकता, घृणा, भय, आत्म निंदा की भावनाओं और कृत्यों से ऊपर उठ कर और निराशा से खंडित अपनी शक्ति को पुनर्स्थापित करके अपना जीवन परिवर्तित करने दें।
- दयालु होकर, आप इस निर्णय की पुष्टि करते है के दूसरों का, अपने पर्यावरण का और स्वयं का ध्यान रखना, भलाई करना, जीवन जीने का सही मार्ग है। [१३] X रिसर्च सोर्स Piero Ferrucci, <i>The power of kindness</i>, p. 271 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4 इसका फौरी प्रभावों से कोई सम्बन्ध नहीं है; दयालुता जीवन जीने के तरीके का चुनाव है, आपकी हर सोच और कृत्य के साथ चलने वाला निरंतर स्वर-ताल है।
- दयालु बन कर आप, दूसरों के पास आपसे ज्यादा है, वे आपसे अधिक या कम योग्य हैं, या वे आपसे वरिष्ठ या कनिष्ठ हैं आदि चिंताओं को पीछे छोड़ देते हैं। इन सबके बजाय, दयालुता सभी को योग्य मानती है, जिसमे आप स्वयं भी शामिल हैं।
- दयालु बन कर, आप मान लेते हैं की हम सभी साथ में हैं। जब आप किसी को नुकसान पहुँचाते है, आप स्वयं को भी नुकसान पहुँचाते हैं। जो आप किसी के सहायता के लिए करते है, उससे आपकी भी सहायता होती है।
सलाह
- यदि कोई अजनबी आपकी ओर देख कर मुस्कुराता है, हिचकिचाएं नहीं और मुस्कुरा कर जवाब दें; यह दया की एक मुद्रा है।
- आप जिसके साथ है उससे पूछे, "आप कैसे हैं?",प्रतिक्रिया को ध्यान से सुनें और उसके बारे में पूछें। दयालुता में परवाह और सहानुभूति सम्मिलित होते है, और हर कोई "सुना जाना" चाहता है।
- दया का कृत्य एक से दूसरे व्यक्ति के साथ बढ़ता जाता है। इसलिए बिना किसी बदले की चाह इसे आगे बढ़ा दें। वैसे भी ये आप तक वापस आएगा।
- दयालु होना आपको यथार्थवादी और अधिक सकारात्मक भी रखेगा।
- ऐसे किसी व्यक्ति का भारी सूटकेस उठाने में मदद करे जो उसे उठा न पा रहा हो।
- आप सभी को पसंद नहीं कर सकते और ये सामान्य बात है; दुनिया के सबसे अच्छे लोग भी नाराज होतें हैं! इसके बाद भी विनम्र बने रहे।
- किसी अंधे व्यक्ति को रास्ता पार करने में सहायता करें।
- किसी बुरे वक़्त से गुजर रहे मित्र के लिए खाना बनाए।
- किसी वृद्धाश्रम जाएं और किसी ऐसे वृद्ध के साथ पत्ते खेल कर एक घंटे के आसपास का समय बिताये जिससे मिलने बहुत लोग न आते हो।
- सिर्फ अल्प-कालिक न सोचें; दया का कृत्य जो आपने आज किया है किसी को दूसरों के लिए दया का कृत्य करना सिखा सकता है, और वो दया के प्राप्तकर्ता होने के कारण आपके उदाहरण से सीखेंगे।इसके अतिरिक्त पाने प्रारंभिक बिंदु से काफी दूर तक प्रतिध्वनित होता है; कई लोग बहुत सालों बाद ये जानकर हतप्रभ रह जाते हैं, कि कैसे दया के एक कृत्य ने किसी व्यक्ति को कोई बहुत अच्छा काम करने या खुद पर अधिक विश्वास रखने के लिए प्रेरित किया। याद रखे दया सदा जीवित रहती है।
- अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखे; अगर आप बहुत गुस्से में है तो ऐसे सब्द मत बोले जिससे किसी को ठेस पहुंचे और बाद में आपको भी बुरा लगे। शांत और शीतल बने रहे।
- अगर किसी का कुछ गिर जाता है, तो उनके लिए उसे उठा दें। या आप साथ में उठा देने का प्रस्ताव भी रख सकते है, चाहे कितनी छोटी या बड़ी चीज़ हो!
- कुछ चॉकलेट्स और बादाम आदि के पैकेट्स सुपरमार्केट से खरीद कर किसी बेघर व्यक्ति को दें।
- गरीब या बेघर व्यक्ति के प्रति दयालु बने, और उन्हें खाना या पैसे दें।
- अगर कोई वरिष्ठ नागरिक आपके रास्ते में चल रहा है, तो जल्दी में उन्हें धक्का न दें। या तो "माफ़ कीजिये" कहे और आप उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचने में सहायता भी कर सकते है।
- "दयालु होने के लिए क्रूर बनें" इस कहावत पर सोचें। सोचे कि ये इतनी क्यों लोकप्रिय है।क्या आपको लगता है लोगों की परिस्थिति को देखने का ये उचित तरीका है?जब आपको लगे किसी स्वयं में समर्थ व्यक्ति को एक सबक सीखने को जरूरत है, तो उनके लिए आप जो सबसे अच्छा दयालु काम कर सकते है वो होगा, अपने निर्णय को लागु न करते हुए अतिरक्त प्रयासों द्वारा ऐसी परिस्थिति पैदा करे कि वे खुद उस परवर्तन को करने योग्य हो जाये बजाय इसके कि आप उनके लिए वो परिवर्तन करें। हम सभी जानते है कि हम दूसरे इंसान को नहीं बदल सकते। पर दयालुता हमें उनकी परिस्तिथियों को ऐसे बदलने का मौका देती है ताकि वो अपने लिए आवश्यक परिवर्तन खुद ला सकें। जिसका अर्थ है कि हमें अपने कृत्य को "क्रूर" नहीं बल्कि "समर्थ बनाने" वाले कृत्य के रूप में देखना चाहिए।
- दयालुता मुफ्त है, इसलिए रोज सबके साथ इसे बाटें। जब आपको पता लगे की आपका मित्र छुट्टियों पर जा रहा है, तो उसके पालतू जानवार की देखभाल करने का प्रस्ताव रखें। अगर आप जानते है की आपका पड़ोसी बीमार है, तो किराने बाजार जाते समय उनसे पूछ ले अगर उन्हें कुछ किराने की जरूरत हो। रुक कर किसी अकेले व्यक्ति से बात करें, उनके साथ कॉफी पिए और उनका बिल भी दें।
- स्टोर के सेल्समेन से लेकर अपने बॉस तक जो मिले उसका अभिवादन करें, इससे वातावरण हल्का होगा और दूसरे सहज महसूस करेंगे। नित्य इसका अभ्यास करें।
चेतावनी
- अपने अच्छे कामों के बारे में प्रचार करने की आवश्यकता महसूस न करें; विनम्र बनें। अपने जाने पहचाने लोगों की नज़रों में अच्छा बनने के लिए कुछ अच्छा करना सच में दयालुता नहीं है। आपकी मदद से अनिभज्ञ किसी पर दया भी उतना ही अच्छा महसूस करवाएगी।
- यदि आप सच में किसी से नाराज या निराश है तो याद रखे, दयाभाव दूसरे व्यक्ति को बदले की भावना में किये गए गलत काम से ज्यादा शर्मिंदा करता है। लोग अपने गलत काम के लिए बहुत से बहाने बना सकते है पर दयाभाव से माफ़ किये जाने को भूल सकना संभव नहीं।
- सुनिश्चित करें कि आपकी मदद वांछित हो। कभी कभी बिन मांगी मदद उल्टी गले पड़ सकती है।"कोई अच्छा काम बिन सजा के नहीं बचता।" कई बार ऐसा होता है कि हमें लगता है हम मदद कर रहे है, पर हम परेशानी पैदा कर रहे हो सकते है क्योंकि हमारे पास समस्या के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं थी।
रेफरेन्स
- ↑ Piero Ferrucci, The power of kindness , p. 8 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4
- ↑ Piero Ferrucci, The power of kindness , p. 9 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4
- ↑ Piero Ferrucci, The power of kindness , p. 7 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4
- ↑ Stephanie Dowrick, Choosing Happiness , p. 55, (2005), ISBN 1-74114-521
- ↑ Stephanie Dowrick, Choosing Happiness , p. 4, (2005), ISBN 1-74114-521
- ↑ Leo Babauta, 7 Little Habits That Can Change Your Life and How to Form Them, http://zenhabits.net/7-little-habits-that-can-change-your-life-and-how-to-form-them/
- ↑ Leo Babauta, 7 Little Habits That Can Change Your Life and How to Form Them, http://zenhabits.net/7-little-habits-that-can-change-your-life-and-how-to-form-them/
- ↑ Stephanie Dowrick, Choosing Happiness , p. 357, (2005), ISBN 1-74114-521
- ↑ Stephanie Dowrick, Choosing Happiness , p. 341, (2005), ISBN 1-74114-521
- ↑ Stephanie Dowrick, Choosing Happiness , p. 279, (2005), ISBN 1-74114-521
- ↑ For example, see ARK, Acts of Random Kindness, Ltd., http://www.arkhq.com/
- ↑ Piero Ferrucci, The power of kindness , p. 11 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4
- ↑ Piero Ferrucci, The power of kindness , p. 271 (2007), ISBN 978-1-58542-588-4