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मुड़ी हुई या कूबड़ वाली पीठ के कारण काफी पीड़ादायक परेशानियाँ झेलनी पड़ती हैं जो समय के साथ-साथ और भी बदतर होती जाती हैं | इसलिए अपनी पीठ को सीधा रखने के लिए कोशिश करते रहें जिससे उम्र बढ़ने पर लक्षणों के बदतर होंने को कम किया जा सके |

विधि 1
विधि 1 का 4:

खराब पोस्चर के संकेतों को पहचानें

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  1. सही पोस्चर के बारे में जानें: अपने पोस्चर को सुधारने की पहली स्टेप है- आप खुद को कैसा देखना चाहते हैं | ध्यान दें कि आपके कंधे पीछे हों, पैर अंदर हो और छाती बाहर हो | किसी मिरर के पास खड़े हों और अगर आप ड्रा कर सकते हों तो अपनी कर्णपाली (earlobe) से नीचे जाते ही कंधे, कूल्हे, घुटने और टखने के मध्य भाग तक एक सीधी लाइन खींचें |
    • सिर और गर्दन: ध्यान रखें कि सिर आपके कन्धों से सीधा ऊपर रहना चाहिए | कई लोग अपने सिर को आगे की ओर निकाले रखते हैं | अगर कान छाती के सामने वाले हिस्से की सीध में होते हैं तो आपको अपने सिर को पीछे खींचना पड़ेगा | [१]
    • कंधे, भुजाएं और हाथ: आपकी भुजाएं और हाथों को शरीर के साइड में लटकाएं | अगर ऐसा होता है तो कंधे सही पोस्चर में रहते हैं | अगर भुजाएं छाती के सामने की ओर रहती हैं तो कन्धों को पीछे खींचें | [२]
    • कूल्हें: अपने कूल्हों को आगे या पीछे घुमाते हुए बीच की अच्छी पोजीशन खोजें | [३]
  2. ख़राब पोस्चर के सबसे ज्यादा दिखाई देने वाले संकेत हैं- पीठ, कंधे और गर्दन में दर्द | ख़राब पोस्चर के कारण छाती की मसल्स टाइट हो जाती हैं जिससे संतुलन बनाये रखने के लिए पीठ के ऊपरी हिस्से की मसल्स पर जोर पड़ता है | इसके कारण आमतौर पर पीठ की मसल्स कमज़ोर हो जाती है जिससे दर्द और परेशानी झेलनी पड़ती है | चूँकि आपकी सभी मसल्स एकसाथ काम करती है इसलिए जब एक मसल सही तरीके से काम न करे तो दूसरी भी प्रभावित होती हैं | [४]
    • ख़राब पोस्चर वाले सभी लोगों को दर्द या परेशानी फील नहीं होती | हमारी बॉडी एडजस्टमेंट और समन्वय करने की काफी क्षमता रखती है |
  3. देखें कि आपके पैरों के पंजे “बहुत ज्यादा मुड़े हुए” तो नहीं हैं: ऐसा तब होता है जब पंजों की आर्च लगभग पूरी तरह से फ्लैट हो जाती है | इसे अधिकतर “fallen arch” भी कहा जाता है | हमारे पंजे, शरीर की सबसे निचले संतुलन तंत्र होते हैं | आगर आपका पोस्चर ख़राब रहता है तो आप अपने पंजों पर बैलेंस बनाये रखने के लिए ज्यादा जोर डालते हैं | इसके कारण पंजे धीरे-धीरे “फ्लैट या समतल” होते जाते हैं, आपका वज़न पूरा ही हील्स या एडियों पर आकर ठहर जायेगा और बांकी का पंजा आर्च के रूप में फ्री रह जाए [५]
    • हालाँकि “fallen arches” खुद ही एक खराब पोस्चर का संकेत है और इसके अलावा आपको पैरों, टखनों, पिंडलियों, घुटनों, कूल्हों और पैर के निचले हिस्से में दर्द फील होने लगता है | [६]
  4. San Francisco State University में की गयी एक स्टडी में स्टूडेंट्स को झुकी हुई स्थित में एक हॉल में चलने के लिए या सीधे खड़े होने और उचकने के लिए कहा गया | झुके हुए लोगों में डिप्रेशन और सामान्य थकान की फीलिंग्स ज्यादा देखी गयीं | लेकिन इसके बारे में सोचना बहुत अजीब लग सकता है | आपकी बॉडी लैंग्वेज भी आपके मूड का संकेत देती है | जब आप गुस्से में या दुखी होते हैं तो किसी कोने में हाथ बांधकर बैठ जाते हैं | जब आप खुश होते हैं तो गर्व से रहते हैं | इसलिए अपने मूड से ही बॉडी पोस्चर को ठीक रखने की कोशिश करें | अगर आप झुककर चलने लगे हैं तो अपना पोस्चर सुधारने की कोशिश करें | [७]
विधि 2
विधि 2 का 4:

अपने पोस्चर को सुधारें

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  1. खुद को सीधे खड़े होने के बारे में याद दिलाते रहें: अपने पोस्चर को चेक करने के लिए अपने फ़ोन या कंप्यूटर को सेट करें | अपने घर, कार और ऑफिस में खुद के लिए नोट्स रखें | कई बार इन सभी चीज़ों से सही पोस्चर बनाये रखने के लिए लगातार रिमाइंडर और प्रोत्साहन मिलता रहता है | अपनी पीठ को मजबूती देने के लिए आपको अपनी आदतें भी सुधारनी हंगी | [८]
  2. योग विशेषरूप से आपके पोस्चर को सुधारने के लिए बहुत अच्छा होता है | कुछ बेहतरीन एक्सरसाइज निम्नलिखित हैं:
    • भुजंगासन (Cobra Pose) करें: अपने दोनों हाथों को कंधे के नीचे रखते हुए पेट के बल लेट जाएँ | ध्यान रखें कि आपकी अंगुलियाँ आगे की ओर रहें | इसके बाद, अपनी कोहनियों को पार्श्व में रखें और कंधे ही दोनों हड्डियों (शोल्डर ब्लेड्स) को एकसाथ टच करने की कोशिश करें | पेट की मसल्स को टाइट रखते ही पीठ को स्थिर रखें | इसके बाद, धीरे-धीरे छाती को छत की ओर ऊपर उठायें और ध्यान रखें कि गर्दन लम्बी रहे | सपोर्ट के लिए भुजाओं का इस्तेमाल करें लेकिन पीठ की मसल्स ऊपर खिंची रहें |10 बार सांस लेने तक रुकें और इसके बाद खुद को नीचे ले आयें | इसे तीन बार रिपीट करें | [९]
    • बालासन (Child Pose) करें  : अपने हाथों को सिर के ऊपर रखते हुए घुटनों के बल बैठें | हथेलियाँ एकदूसरे के सामने होनी चाहिए |इसके बाद, सांस छोड़ें और धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें | अपने माथे को जमीन पर नीचे लाये और हाथों को स्ट्रेच करते हुए जमीन पर हथेलियों को दबाते हुए अपने सामने लायें | ऐसे ही रुकें और फिर शुरुआती पोजीशन में वापस आ जाएँ | छह बार रिपीट करें | [१०]
    • ताड़ासन (Mountain Pose) करें: जमीन पर पैरों को सीधा रखते हुए खड़े हो जाएँ और एडियों को थोडा सा दूर रखें | ध्यान रखें कि आपका वज़न दोनों पैरों पर एकसमान रूप से डिस्ट्रीब्यूट हो | अपने टखनों को अंदर की ओर थोडा ऊपर उठायें जिससे पंजे मुड़े प्याले की तरह दिखाई दें | इसके बाद, कंधे की हड्डियों (shoulder blade) को फैलाएं और उन्हें टच करने की कोशिश करें | धीरे-धीरे रिलीज़ करें | अंत में, अपने हाथ ऊपर उठाते हुए छत की ओर ले जाएँ | [११]
  3. अपना पोस्चर सुधारने के लिए दूसरी एक्सरसाइज और स्ट्रेचेस करें: यह तकनीकें विशेषरूप से पेट और पीठ की मसल्स पर फोकस करेंगी जिससे स्पाइन को सपोर्ट मिलेगा | [१२]
    • कंधे की हड्डियों (shoulder blades) को एक साथ इस तरह दबाएँ जैसे आपने अपने कंधे में बीच कोई बॉल पकड़ी हो | कंधे की हड्डियों को एकसाथ लाते हुए बॉल को दबाने की कोशिश करें | 10 सेकंड तक ऐसे ही रहें | इससे कंधे के सामने वाले हिस्से को स्ट्रेच करने में मदद मिलेगी जिससे आपका ढीला पोस्चर टाइट हो पायेगा |
    • कंधे घुमाएँ | एक कंधे को आगे, ऊपर, पीछे की ओर घुमाएं और फिर वापस पीछे ले जाएँ | कल्पना करें कि आप अपनी शोल्डर ब्लेड्स को स्पाइन के नीचे ले जा रहे हों | इसके बाद, दूसरी साइड से रिपीट करें | इससे कंधे सामान्य की तुलना में थोडा ज्यादा पीछे सेटल हो जायेंगे |
    • छाती को स्ट्रेच करें | एक मुड़ी हुई टॉवेल या कपडे के टुकड़े लें और कंधे की चौड़ाई में खड़े हो जाएँ | कपडे को पकड़ें जिससे यह कसा रहे और हाथ भी कंधे की चौड़ाई में बने रहें | सांस अंदर भरें और हाथों को कन्धों की ऊंचाई में ऊपर उठायें | इसके बाद सांस छोड़ें और हाथों को जितना हो सके ऊपर और पीछे की ओर खींचें | दो बार सांस लेने और छोड़ने तक ऐसे ही रखें | इसके बाद हाथ नीचे ले आयें और रिपीट करें | [१३]
विधि 3
विधि 3 का 4:

अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में थोड़े एडजस्टमेंट करें

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  1. कोई ऐसा पर्स, बोक बैग या बैकपैक चुनें जो पूरी पीठ में एकसमान वज़न डिस्ट्रीब्यूट कर सके | कोई ऐसा बैग चुनें जो चौड़ा और गद्दीदार स्ट्रैप्स वाला हो जिसे दोनों कन्धों पर टांग सकें | [१४]
  2. लगातार हाई हील्स या पतली चप्पल पहनने से पीठ पर एक्स्ट्रा तनाव पड़ता है | सपोर्टिव सोल, आगे के चौकोर हिस्से वाले और एक इंच से कम हील वाले जूते चुनें | ज्यादा बड़ी हील्स आपके ज्यादा से ज्यादा वज़न को आगे की ओर डालती है जिससे आप झुक जायेंगे या ओवरकरेक्ट रहेंगे और ये स्थिति आपकी पीठ के लिए बहुत बुरी साबित होगी | [१५]
  3. आपके पंजे जमीन पर टच होने चाहिए, पीठ सीधी और गर्दन न्यूट्रल पोजीशन में होनी चाहिए | इससे पीठ दर्द में आराम के साथ ही पीठ को सीधा रखने में भी मदद मिलेगी | आप एर्गोनोमिक चेयर भी खरीद सकते हैं जो कम्फ़र्टेबल होने के साथ इह आपको सीधा बैठने के लिए प्रोत्साहित करेगी | [१६]
  4. कूल्हों को 30 डिग्री पर मोड़ते हुए कूल्हों को मोड़कर करवट लेकर सोयें | अंत में, तकिये पर गर्दन को थोडा आगे की ओर रखने से स्पाइन को सीधा रखने में मदद मिलती है |
    • अगर आप पीठ के बल सोते हैं तो तकिये को घुटनों में नीचे रखें और पीठ के नीचे एक टॉवेल को रोल करके रखें | इससे पीठ दर्द में तो आराम मिलता ही है, पीठ को सीधा रखें के लिए प्रोत्साहन भी मिलता है |
    • करवट से सोते समय अपने घुटनों के बीच तकिया लगाकर सोयें जिससे कूल्हे एक लाइन में रखें |
    • पेट के बल सोने से बचें | चेहरा नीचे रखते हुए सोने से स्पाइन पर अनावश्यक तनाव पड़ता है और इससे स्पाइन या रीढ़ की हड्डी में गिरावट (spinal degradation) होने लगती है | इससे लम्बे समय तक गर्दन में दर्द और भविष्य में पीठदर्द होने की संभावना बनी रहती है |
  5. सही तरीके से ऊपर उठाने वाली तकनीकों की प्रैक्टिस करें: भारी वज़न उठाने और उठाकर गलत तरीके से चलने से गंभीर पीठदर्द होने लगता है | अगर आप लगातार भरी वज़न उठाते हैं तो पीठ को सपोर्ट देने वाले बेल्ट पहनें जो वज़न उठाते समय सही पोस्चर रखने में मदद करेंगे | इसके अलावा, नीचे दिए गये सही तरीके अपनाना न भूलें:
    • घुटनों को मोड़ें, कमर को नहीं | पैर और कमर को चीज़ों को रखने और ऊपर उठाने के लिए ही बनाया गया है, पीठ की मसल्स को नहीं | जब आप कोई चीज़ उठायें तो ध्यान दें कि कमर के निचले हिस्से को मोड़ने की बजाय घुटने मोड़ें |
    • वस्तु को अपनी छाती के नजदीक रखें | वस्तु आपकी छाती से जितनी नजदीक रहेगी, कमर को उसे थामे रखने में उतना ही कम काम करना पड़ेगा |
विधि 4
विधि 4 का 4:

प्रोफेशनल की मदद लें

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  1. अगर पीठ या रीढ़ की हड्डी गंभीर रूप से मुड़ी हुई हो और आपको सीधे खड़े होने में परेशानी हो तो डॉक्टर से सलाह लें | आपको स्कोलियोसिस ( scoliosis) या कई दूसरी तरह के स्पाइनल- रिलेटेड इशू हो सकते हैं | केवल सबसे ज्यादा एक्सट्रीम कैसे में ही डॉक्टर स्पाइनल सर्जरी की सलाह देते हैं | पीठदर्द को ठीक करने की कई सारी दूसरी विधियाँ भी होती हैं | [१७]
  2. एगोस्क्यु (egoscue-दर्द निवारक पोस्चर ट्रीटमेंट) प्रैक्टिसनर को दिखाएँ: एगोस्क्यु प्रोफेशनल पोस्चर थेरेपी में स्पेशलाइज होते हैं | वे आपके लक्षणों (अगर कोई हैं तो), पोस्चर, चाल और दूसरी परेशानियों की रेंज पर फोकस करेंगे | वे आपको सिखायेंगे कि किस तरह से पीठ को स्ट्रेच करना है और प्रॉब्लम एरिया पर फोकस करना है | इसके बाद वे ऐसे एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग रेजिमेंट बनायेंगे जिसे आप घर पर कर सकें | [१८]
    • इनमे से अधिकतर एक्सरसाइज से कूल्हों की रेंज और स्पाइन को सीधा रखने की क्षमता को बढाने, रीढ़ की हड्डी पर पड़ने वाले तनाव को रिलीज़ करने पर फोकस किया जायेगा | [१९]
    • अगर आपको परेशानी ज्यादा सीवियर नहीं है तो किसी पर्सनल ट्रेनर की मदद लें | आप अपने ट्रेनर को बता सकते हैं कि आप उन मसल्स पर फोकस करना चाहते हैं जो पोस्चर को बेहतर बना सकें (प्राथमिक रूप से पार्श्व की मसल्स) | वे आपको कुछ सामान्य एक्सरसाइज और स्ट्रेचेस बताएँगे जिससे पोस्चर में सुधार आ सकता है | [२०]
  3. वे आपकी पीठ और स्पाइन की कई सारे X-रे इमेज लेते हैं | और इसके बाद, आपकी परेशानी की गंभीरता का अंदाजा लगाकर स्पाइन की एकदम सही वक्रता को नापते हैं | वे आपकी अलग-अलग कशेरुका के मालफार्मेशन, स्लिप्स या मिसएलाइनमेंट को एक्सामिन कर सकते हिं | इनमे से कई इशू क्लिनिक में ही ठीक किये जा सकते हैं लेकिन अगर काइरोप्रेक्टर को कोई ज्यादा सीरियस इशू मिलता है तो वे आपको स्पेशलिस्ट के पास भेज सकते हैं | [२१]
  4. स्ट्रेस और लगातार टेंशन बने रहने से पीठ की मसल्स टाइट हो सकती हैं और इसके कारण कूबड़ निकल सकती है | अगर आप स्ट्रेसफुल लाइफ जीते हैं तो हर दिन नियमित मसाज कराएँ | [२२]
    • इसके अलावा रेगुलरली मसाज चेयर पर बैठने से भी स्ट्रेस में राहत मिलेगी लेकिन इससे उन एरिया में होने वाले ख़ास तरह के टेंशन दूर नहीं होंगे जिनके लिए किसी प्रशिक्षित मसाजर की ही जरूरत पड़े |

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