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मसूड़ों की बीमारी (Gum Disease) का घरेलू इलाज संभव है, और इससे मसूड़ों से संबंधित जिंजिवाइटिस (gingivitis), पेरिओडाँटल बीमारी (periodontal disease) और गंभीरता से लेने लायक अनेक दूसरी समस्याओं को ठीक करने में मदद मिल सकती है। इन सरल इलाजों की जानकारी आपके मुंह के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने में मददगार साबित होगी। इससे स्वस्थ मसूड़ों और दांतों के विषय में आपकी जागरूकता भी बढ़ेगी और आप यह जान पाएंगे की इन आसान तरीकों का उपयोग घर पर कैसे करें। लाल मसूड़े। सूजे हुए मसूड़े। दर्द भरे मसूड़े। मसूड़ों की समस्याएं मजाक नहीं है! और, अगर इनका समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे शरीर के अन्य अंगों में भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। मसूड़ों की कुछ समस्याओं का स्वयं से उपचार करने का प्रयास आप बखूबी कर सकते हैं, परंतु यदि समस्या बढ़ जाएं और आपके मसूड़ों से लगातार खून आ रहा है, तो तत्काल अपने दंत-चिकित्सक (dentist) से मिलें। इस बीच, नीचे दिए गए सुझावों को अमल में लाकर आप अपने मसूड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का प्रयास करें।

विधि 1
विधि 1 का 2:

घरेलू नुस्खे (Home Remedies)

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  1. एकेडमी ऑफ़ जनरल डेंटिस्ट्री (AGD-Academy of General Dentistry) के अनुसार मानसिक तनाव, आपके दांतों सम्बन्धी स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। तनाव ग्रस्त व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) संकट में होती है, जिससे इम्यून सिस्टम को पेरिओडाँटल बीमारियों के कारण होने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में कठिनाई आती है और ऐसी स्थिति में लोगों को मसूड़ों का संक्रमण बहुत आसानी से हो जाता है। रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि सभी तनाव एक जैसे नहीं होते है। अमेरिका के तीन विभिन्न विश्वविद्यालयों में किये गए शोध में पाया गया है कि ऐसे लोग जिनको आर्थिक चिंता सताती है, उनको पेरिओडाँटल बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। [१]
  2. समुद्री नमक (sea salt) की थोड़ी मात्रा को एक कप गुनगुने पानी में मिलायें। इस घोल के एक घूँट को अपने मुंह में 30 सेकंड तक कुल्ला करें और थूक दें। इस प्रक्रिया को अनेक बार दोहराएं। समुद्री नमक मसूड़े की सूजन को कम करेगा और चोट के उपस्थित संक्रमण (infection) को खत्म करेगा। मुंह कुल्ला करने की इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दांत साफ करने की अपनी आदत के साथ जोड़ दें।
  3. टी बैग को खौलते पानी में भिगोकर रख दें, 2-3 मिनट के बाद उसे निकालें और इसे उस तापमान तक ठंडा होने दें जिसको आप आसानी से सहन कर सकते हैं। इस टी बैग को अपने मसूड़े के प्रभावित क्षेत्र के ऊपर करीब पांच मिनट तक दबाये रखें। टी बैग में मौजूद टैनिक ऐसिड (tannic acid) मसूड़े के संक्रमण से आराम दिलाने में बहुत प्रभावी होता है।
    • टी बैग को मसूड़ों के ऊपर सीधे-सीधे रखना चाय पीने से कहीं बेहतर परिणाम देता है। इसके अलावा, बहुत ज्यादा चाय पीने से भी कई नकारात्मक परिणाम होते है: जैसे दांतो का बदरंग, दागदार और गंदा होना।
  4. शहद में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरीअल (anti-bacterial) और एंटीसेप्टिक (antisephtic) तत्व हैं, जिसका लाभ आप अपने संक्रमित मसूड़े के इलाज में उठा सकते हैं। दांतो को ब्रश करने के बाद मसूड़ों के प्रभावित भाग पर शहद की थोड़ी मात्रा का लेप लगा दें।
    • शहद में चीनी की मात्रा बहुत ज्यादा होने के कारण, ध्यान रखते हुए शहद की बस थोड़ी मात्रा का इस्तेमाल करें और सिर्फ मसूड़ों के ऊपर शहद लगाएं, दांतो पर नहीं।
  5. क्रैनबेरी जूस बैक्टीरिया को दांतो में चिपकने से रोकता है, इसलिए लगभग 120 मिली मिठास रहित क्रैनबेरी जूस प्रतिदिन पीने का प्रयास करें।
  6. एक नींबू के रस में थोड़ा नमक मिला कर पेस्ट बना लें। इसे अच्छे से मिलाएं और अपने दांतो पर लगाएं। कुछ मिनट छोड़ने के बाद गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें।
    • मसूड़ों की बीमारियों के इलाज में नींबू हर तरह से लाभप्रद है। सबसे पहले, नींबू एंटी-इन्फ्लामेटरी (anti-inflammatory) है जो संक्रमित मसूड़े के इलाज में मदद करता है। यही नहीं, इसमें विटामिन C भी है, जो आपके मसूड़ों के संक्रमण को खत्म करने में मदद करता है।
  7. ऐसा नहीं है कि मसूड़ों की तकलीफों में सिर्फ नींबू ही मददगार है। विटामिन-सी की भरपूर मात्रा वाले अन्य फल और भोजन, जैसे संतरा, अंगूर, अमरूद, कीवी, आम, पपीता, शिमला मिर्च और स्ट्रॉबेरी भी मसूड़ों की बीमारी के इलाज में बहुत प्रभावी हैं। विटामिन-सी एंटीऑक्सीडेंट है, और एंटीऑक्सीडेंट संयोजी उतकों (connective tissue) के विकास और हड्डी के पुनर्जन्म को बढ़ाते हैं, जो विभिन्न मसूड़ों की बीमारियों से प्रभावित हो सकते हैं।
  8. विटामिन-डी में एंटी-इन्फ्लामेटरी तत्व होता है, इसलिए जब आप मसूड़ों के सूजन का इलाज कर रहे हैं और चाहते हैं कि ऐसा फिर से न हो, तो इस बात को सुनिश्चित करें कि आप विटामिन-D की यथोचित मात्रा ले रहे हैं। उम्रदराज और बुजुर्गों को खास तौर पर इस विटामिन पर गौर करना चाहिए। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के खून में विटामिन-D की समुचित मात्रा उनके मसूड़ों की बीमारियों के खतरे को कम करता है।
    • शरीर में विटामिन-D की उचित मात्रा को बरकरार रखने के लिए हफ्ते में दो दिन कम से कम 15 से 20 मिनट के लिए धूप सेंकना चाहिए और विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली, पूरे अंडे, सूरजमुखी के बीज, और कॉड लिवर का सेवन करें।
  9. दांतो को ब्रश करते समय बेकिंग सोडा का प्रयोग करें: बेकिंग सोडा आपके मुंह में उपस्थित ऐसिड को निष्क्रिय करता है जिससे दंत-क्षय (tooth decay) और मसूड़ों की समस्याओं की संभावना कम हो जाती है, और ऐसा करना मसूड़े की बीमारियों का इलाज तो नहीं, पर बेकिंग सोडा से नियमित रूप से ब्रश करने से मसूड़े की पीड़ादायक समस्याएं दूर रहती है। थोड़े से गुनगुने पानी में एक चुटकी बेकिंग सोडा मिलाकर पेस्ट बना लीजिये और इससे अपने दांतो को ब्रश करें।
  10. तम्बाकू आपके शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता को कम करता है और इसके उपयोग से रोग को ठीक होने में सामान्य से कहीं ज्यादा वक्त लगता है। तम्बाकू का इस्तेमाल करने वालों को तम्बाकू से दूर रहनेवालों के मुकाबले मसूड़ों की समस्याएं कई गुना ज्यादा होती है, और अंत में वह अपने दांतो को गँवा बैठते हैं। [२]
विधि 2
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दवा की दुकान में उपलब्ध उपायों का उपयोग करना

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  1. लैक्टोबैसिलस रुटेरि प्रोडेन्टिस (Lactobacillus reuteri Prodentis) नामक “फायदेमंद” जीवाणु जो हमारे आंत में पाये जाते हैं कई लोज़ेन्ज में भी मौजूद हैं, कहा जाता है कि इनका उपयोग जिंजीविटिस के इलाज में बहुत प्रभावी है, क्योंकि यह आपके मुंह के प्राकृतिक संतुलन को फिर से बहाल करने की क्षमता है जो ओरल एंटीसेप्टिक, माउथवाश और भिन्न प्रकार के जेल में ऐसे एंटी-बैक्टीरीअल (anti-bacterial) तत्व हैं।
  2. को-एन्जाइम क्यू-10 (Co-enzyme Q10) (जिसे यूबीक्विनोन भी कहते हैं) विटामिन के जैसा तत्व है जो शरीर में शर्करा (sugar) और वसा (fat) को ऊर्जा (energy) में बदलने में मदद करता है। मेयो क्लिनिक के अनुसार, प्रारंभिक शोध यह दर्शाते हैं कि को-एन्जाइम क्यू-10 को मुंह के रास्ते लेने से, या त्वचा या मसूड़ों पर लगाने से पेरीओडोन्टाइटिस के इलाज में सहूलियत होती है। [३]
  3. लिस्ट्रीन या इससे कम दाम परंतु समान घटक वाले विकल्प से कुल्ला करें - लेबल जरूर देखें: डॉक्टरों के द्वारा लिखे गए माउथवाश के अलावा, लिस्ट्रीन का फॉर्मूला प्लाक और जिंजीविटिस को कम करने में काफी असरदार पाया गया है। इसे प्रतिदिन 30 सेकंड के लिए दो बार कुल्ला करने की सलाह दी जाती है। इस उत्पाद में उपलब्ध ऐसेन्शियस ऑयल की वजह से मुंह में जलन हो सकती है, परंतु कुछ दिनों के नियमित इस्तेमाल के बाद लोगों को इसकी आदत पड़ जाती है। [४]
  4. अपने दांतो के देखभाल की दिनचर्या में किसी ऐसे स्प्रे को शामिल करने की कोशिश करें जिसमें क्लोरहेक्सिडीन (CHX-chlorhexidine) है, एक बहुत ही प्रभावी एंटी-बैक्टीरीअल है जो प्लाक बनने से रोकने के गुण है। पेरिओडेंटल रोगों के खतरे वाले बुजुर्ग रोगियों के ऊपर किये गए एक अध्ययन से पता चला कि 0.2% CHX को प्रतिदिन एक बार स्प्रे करने से प्लाक जमा होने में और जिंजीविटिस के कारण होने वाले सूजन में कमी आयी है। [५]
  5. इस उत्पाद में हायलुरोनिक ऐसिड (hyaluronic acid) है, जो शरीर के संयोजी उतक (connective tissues) में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। शोध ने दर्शाया है कि हायलुरोनिक ऐसिड में एंटी-इंफ्लामेटरी (anti-inflammatory), एंटी-एडेमेटॉस (antiedematous) और एंटी-बैक्टीरीअल (anti-bacterial) तत्व होते हैं, जो जिंजीविटिस और पेरीओडोन्टाइटिस के इलाज में बहुत कारगर होते हैं। [६] जेंजीजेल को जब मसूड़ों पर लगाया जाता है तो इससे नए उतक (tissue) के निर्माण में तेजी आती है। रॉस्टॉक यूनिवर्सिटी, जर्मनी, में किये गए परीक्षणों में वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह घाव को आधे समय में भरने में मदद करता है, रक्त संचार को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है। [७]
  6. टी ट्री बैक्टीरिया को मारता है। दरअसल दांतों का प्लाक बैक्टीरिया “है”। इसलिए टी ट्री ऑयल युक्त टूथपेस्ट प्लाक से मुक्ति और मसूड़े के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
    • आप अपने नियमित टूथपेस्ट के साथ एक बूँद टी ट्री ऑयल हर बार मिला कर ब्रश सकते हैं। अगर आप टी ट्री ऑयल के सार का इस्तेमाल करते हैं, तो ध्यान रखें कि आप उसे न निगलें, अन्यथा इससे आपको पेट में तकलीफें होंगी, जैसे दस्त (diarrhea), इत्यादि। [८]

सलाह

  • यह पाया गया है कि जब दांतो के ऊपर प्लाक विकसित होने पर मसूड़ों की बीमारी भी बढ़ने लगती है। यह एक तरह का बैक्टीरियल सफेद और चिपचिपा वस्तु है जो तब गठित होते हैं जब कोई बैक्टीरियम किसी व्यक्ति के थूक और आहार में उपस्थित स्टार्च एवं अन्य पदार्थों के साथ मिल जाता है। मुंह के स्वास्थ्य का ख्याल रखना विश्व में एक बड़ी समस्या बन गयी है क्योंकि दांत की छोटी समस्या बड़े और निरुपाय बनते रहे हैं। परिणामस्वरूप, दुनिया भर में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या घरेलू नुस्खों की मदद से मसूड़ों की बीमारियों का इलाज कैसे करना है बनी है जिससे लोग ऐसे साधारण और प्रभावी तरीकों का इस्तेमाल करके बेहतर ओरल स्वास्थ्य पा सकते हैं।
  • नींबू-नमक वाले नुस्खे के इस्तेमाल से आपके दांत थोड़ी देर के लिए ज्यादा संवेदनशील (sensitive) हो सकते हैं। यह नींबू में ऐसिडिटी ज्यादा होने के कारण होता है जो आपके दांतों के इनेमल (enamel) को घिस देता है।

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